बिना पगड़ी सिख युवकों को डिपोर्ट करने के मामले ने पकड़ा तूल, एसजीपीसी भड़का

#sgpc_angry_over_deportation_of_sikh_youth_without_turban

Image 2Image 4

अमेरिका से अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का सिलसिला जारी है। एक जत्था 5 फरवरी को अमृतसर एयरपोर्ट पर पहुंचा था, तो दूसरा जत्था 15 फरवरी को अमृतसर पहुंचा। वहीं, 10 फरवरी की रात को तीसरा जत्था भारत पहुंचा। यूएस से अवैध लोगों को बेड़ियों और जंजीरों में जकड़ पर डिपोर्ट किया जा रहा है। यूएस की तरफ से डिपोर्ट किए गए सिख समुदाय के युवक की पगड़ी की बेअदबी करने के आरोप लगाए हैं। अब इस मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने अमेरिकी प्रशासन की कड़ी निंदा की है।

इंडिया टुडे टीवी में छपी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका से डिपोर्ट हुए अवैध प्रवासियों के साथ बदसलूकी की गई। सिख समुदाय के गैर-प्रवासियों को पगड़ी भी नहीं डालने दी। ऐसे में ये एक धर्म की निंदा करने के समान है। बताया गया कि अमेरिकी अधिकारियों ने सिख लोगों को पगड़ी तक नहीं पहनने दी। ऐसे में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने इस कृत्य के लिए अमेरिकी प्रशासन की कड़ी निंदा की है।

एसजीपीसी के पूर्व महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने युवाओं को बिना दस्तार (पगड़ी) के यहां लाने के लिए भी निंदा की। उन्होंने कहा कि दस्तार की बेअदबी का मुद्दा एसजीपीसी शीघ्र ही अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाएगी और इस संदर्भ में पत्र भेजा जाएगा। ग्रेवाल ने एसजीपीसी की ओर से एयरपोर्ट पर सिख युवकों के सिर पर पगड़ियां बंधवाईं।

शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया भी अमेरिकी प्रशासन की निंदा करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय से आग्रह किया कि वह इस मामले को तुरंत अमेरिकी अधिकारियों के साथ उठाए ताकि भविष्य में ऐसा न हो।

अवैध अप्रवासियों का तीसरा जत्था पहुंचा अमृतसर, भारत की अपील फिर अनसुनी, हथकड़ी-जंजीर में दिखे लोग

#usindiaillegalimmigrantsdeportation

अमेरिका में अवैध रूप से रहने के कारण वहां से निकाले गए भारतीयों की तीसरी खेप 16 फरवरी की रात अमृतसर पहुंची। अमेरिकी वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान करीब रात के 10 बजे अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान में 112 लोग सवार थे। पिछले 10 दिनों में अवैध भारतीयों को लाने वाला ये तीसरा विमान है।

Image 2Image 4

पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा

इस बार भी बच्चों व महिलाओं को छोड़कर पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा गया था। डिपोर्ट किए गए लोगों में सात बच्चे भी शामिल हैं। इनमें पंजाब के विभिन्न जिलों से 31 लोग हैं। वहीं हरियाणा के 44, गुजरात के 33, उत्तरप्रदेश के दो, हिमाचल का एक, उत्तराखंड का एक नागरिक शामिल है। पुरुषों की संख्या 89, बच्चे 10 व महिलाओं की संख्या 23 है।

सिख युवक बिना पगड़ी के भेजे गए

इससे पहले 15 फरवरी की देर रात 116 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर दूसरा अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था। निर्वासित लोगों ने दावा किया कि पूरे उड़ान के दौरान वे बेड़ियों में बंधे रहे। इस दौरान कथित तौर पर सिख युवक बिना पगड़ी के थे। इन अवैध प्रवासियों में से 65 पंजाब से, 33 हरियाणा से, आठ गुजरात से, दो-दो उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान से और एक-एक हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से थे।

भारत की अपील अनसुनी कर रहा अमेरिका

अमेरिका अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचे डिपोर्ट लोगों में शामिल पुरुषों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा है।ये बात इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के सामने यह मुद्दा उठाया था और उम्मीद की जा रही थी कि अब वह इसमें सुधार करेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के दौरान जमीन में सुनाई दी तेज गड़गड़ाहट की आवाज, झटकों के बाद पीएम मोदी की खास अपील

#pmmodisaysstayingalertforpossibleaftershocksdelhi_ncr

Image 2Image 4

सोमवार की सुबह राजधानी दिल्ली में आए भूकंप से दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई इलाके कांप गए। सोमवार की सुबह 5.36 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। भूकंप से अधिक लोगों को एक डरावनी आवाज ने डराया। भूकंप के दौरान जमीन के भीतर तेज गड़गड़ाहट की आवाज भी सुनी गई, जिससे लोगों में दहशत फैल गई। भूकंप के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बयान सामने आया है। पीएम मोदी ने लोगों से संभावित झटकों के प्रति सतर्क, शांत और सुरक्षित रहने की अपील की है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, दिल्ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। सभी से शांत रहने और सुरक्षा सावधानियों का पालन करने, संभावित झटकों के प्रति सतर्क रहने की अपील की गई है। उन्होंने कहा कि अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं। गनीमत ये रही कि इस भूकंप से किसी जान माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

क्यों आई तेज गड़गड़ाहट की आवाज

भुकंर के दौरान सुनाई दिए तेज आवाज के बाद विशेषज्ञों ने बताया है कि किस वजह से यह आवाज सुनाई दी। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप के दौरान, जमीन कंपन करती है, जिससे छोटी अवधि की भूकंपीय तरंग गति पैदा होती है जो हवा तक पहुंचती है और ये ध्वनि तरंग बन जाती है। ये ध्वनि तरंग वायुमंडल में कंपन पैदा कर सकती हैं। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, भूकंप का केंद्र जितना उथला या कम गहराई में होगा, उतनी ही ज्यादा ऊर्जा सतह तक पहुंच सकती है। उच्च आवृत्ति वाली भूकंपीय तरंगे जमीन से होकर गुजरती हैं, इसकी वजह से ही भूकंप के दौरान गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देती है। दिल्ली में आए भूकंप का केंद्र जमीन के भीतर महज पांच किलोमीटर अंदर ही था, जिसके कारण लोगों को तेज आवाज सुनाईं दी।

असंवैधानिक; अराजकता का एजेंट': 14 अमेरिकी राज्यों ने DOGE प्रमुख के रूप में एलन मस्क की भूमिका के खिलाफ मुकदमा दायर किया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के दो गवर्नरों सहित चौदह अमेरिकी राज्यों ने ट्रम्प और उनके करीबी सहयोगी, अरबपति एलन मस्क के खिलाफ संघीय मुकदमा दायर किया है, जिसमें नए सरकारी दक्षता विभाग या DOGE के प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति को चुनौती दी गई है। एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, न्यू मैक्सिको के नेतृत्व में राज्यों ने एलन मस्क पर 'अराजकता का नामित एजेंट' होने का आरोप लगाया, जिनके DOGE प्रमुख के रूप में 'व्यापक अधिकार', उन्होंने तर्क दिया, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान का उल्लंघन है।

Image 2Image 4

वाशिंगटन, डी.सी. की संघीय अदालत में गुरुवार को दायर की गई शिकायत में कहा गया है, "सरकार से कर्मचारियों को हटाने और एक कलम या माउस के क्लिक से पूरे विभागों को खत्म करने की मस्क की असीमित और अनियंत्रित शक्ति, इस देश की स्वतंत्रता जीतने वालों के लिए चौंकाने वाली होती।" मुकदमे में कहा गया है, "लोकतंत्र के लिए इससे बड़ा कोई खतरा नहीं है कि राज्य की शक्ति एक अकेले, अनिर्वाचित व्यक्ति के हाथों में जमा हो जाए।" "इसलिए, संविधान के नियुक्ति खंड में कहा गया है कि मस्क जैसे महत्वपूर्ण और व्यापक अधिकार वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप से नामित किया जाना चाहिए और सीनेट द्वारा पुष्टि की जानी चाहिए।"

न्यू मैक्सिको के अलावा, जिन राज्यों ने मुकदमे में भाग लिया है उनमें एरिजोना, कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट, हवाई, मैरीलैंड, मैसाचुसेट्स, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट और वाशिंगटन शामिल हैं। नेवादा और वर्मोंट में रिपब्लिकन गवर्नर हैं। यह मस्क के खिलाफ DOGE प्रमुख के रूप में उनके पद को चुनौती देने वाला दूसरा मुकदमा है। मैरीलैंड संघीय अदालत में दायर एक अलग मुकदमा, नवीनतम मुकदमे के समान ही संवैधानिक दावा करता है। 14 राज्यों के मुकदमे के अनुसार, संविधान अमेरिकी राष्ट्रपति को ‘कार्यकारी शाखा और संघीय व्यय की संरचना से संबंधित मौजूदा कानूनों को रद्द करने’ से रोकता है, और इसलिए, कमांडर-इन-चीफ को संघीय एजेंसियों को ‘बनाने’ या ‘खत्म’ करने से मना किया जाता है।

मस्क को ‘व्हाइट हाउस के सलाहकार से कहीं ज़्यादा’ बताते हुए, राज्यों ने दावा किया है कि DOGE ने ‘कम से कम 17 एजेंसियों में खुद को शामिल कर लिया है, और ‘मस्क की अब तक की अधिकारी-स्तरीय सरकारी कार्रवाइयों’ को ‘गैरकानूनी’ घोषित करने का आह्वान किया है। हालांकि, मस्क और ट्रंप दोनों ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि DOGE एजेंसियों के भीतर ‘बस विशाल सरकारी बर्बादी और संभावित रूप से आपराधिक भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर रहा है’।

हमास द्वारा बंधकों की अदला-बदली के बाद इजरायल ने सैकड़ों फिलिस्तीनियों को किया रिहा

हमास द्वारा युद्धविराम समझौते के तहत तीन इजरायली बंधकों को रिहा किए जाने के बाद इजरायली बलों ने सैकड़ों कैदियों को रिहा करना शुरू कर दिया है, हाल के तनावों के बावजूद युद्धविराम जारी है। रिहा किए जाने से पहले, बंधकों को दक्षिणी गाजा में उग्रवादियों द्वारा भीड़ के सामने परेड कराया गया। उनमें 46 वर्षीय इयार हॉर्न, 36 वर्षीय सागुई डेकेल चेन और 29 वर्षीय अलेक्जेंडर ट्रूफानोव शामिल थे।

Image 2Image 4

19 जनवरी को युद्धविराम शुरू होने के बाद से यह छठा ऐसा आदान-प्रदान था। शनिवार से पहले, 700 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों के साथ 21 बंधकों को पहले ही रिहा किया जा चुका था। लगभग एक महीने तक चलने वाला युद्धविराम हाल के दिनों में नाजुक रहा है, जिसमें इजरायल और हमास के बीच मतभेद सामने आए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा गाजा से 2 मिलियन से अधिक फिलिस्तीनियों को हटाने का सुझाव दिए जाने के बाद तनाव बढ़ गया, जिससे युद्धविराम का भविष्य अनिश्चित हो गया। मिस्र और कतर के साथ बातचीत के बाद, हमास ने और बंधकों को रिहा करने पर सहमति जताई। बंधकों की रिहाई आम तौर पर हाई-प्रोफाइल होती है, जिसमें बंदी मंच पर चढ़ते हैं और माइक्रोफोन को संबोधित करते हैं, अक्सर उनके साथ सशस्त्र हमास लड़ाके और तेज़ संगीत होता है। जब बंधक तेल अवीव में रेड क्रॉस पहुंचे, तो भीड़ ने जयकारे लगाए, चिल्लाते हुए कहा, "इयर, सगुई और साशा अपने घर जा रहे हैं।"

हमास के कैदी सूचना कार्यालय ने घोषणा की कि 369 फिलिस्तीनियों को इजरायली जेलों से रिहा किया जाएगा, जिनमें अहमद बरगौटी भी शामिल हैं, जो एक प्रमुख फिलिस्तीनी राजनीतिक व्यक्ति हैं, जो दूसरे इंतिफादा के दौरान इजरायल में आत्मघाती हमलावरों को भेजने के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, जिससे इजरायली नागरिकों में गंभीर हताहत हुए हैं।

शेष 251 अपहृतों के लिए चिंताएँ बढ़ रही हैं, जिनमें से 73 अभी भी गाजा में हैं, जिनमें से आधे के बारे में माना जाता है कि वे मर चुके हैं। शेष बंधकों में से कई इजरायली सैनिक हैं। पिछले शनिवार को रिहा किए गए तीन लोगों ने चिंता जताई क्योंकि वे बहुत खराब स्थिति में थे, और बंधकों में से एक कीथ सीगल ने अपने साथ हुए क्रूर व्यवहार का वर्णन करते हुए संदेश भेजे। उन्होंने कहा, "मुझे अकल्पनीय परिस्थितियों में 484 दिनों तक रखा गया था, और हर एक दिन ऐसा लगा जैसे यह मेरा आखिरी दिन हो सकता है। राष्ट्रपति ट्रम्प, आप ही कारण हैं कि मैं जीवित घर पर हूँ। कृपया उन्हें घर वापस लाएँ।"

हालाँकि युद्धविराम को अस्थायी रूप से संरक्षित किया गया है, लेकिन यह महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमास ने इजरायल द्वारा पर्याप्त सहायता, चिकित्सा आपूर्ति और मलबे को साफ करने के लिए उपकरण प्रदान करने में विफलता का हवाला देते हुए आगे की रिहाई में देरी करने की धमकी दी। हालाँकि तत्काल संकट टल गया, लेकिन अगर वार्ता का अगला दौर आगे नहीं बढ़ता है तो संघर्ष विराम फिर से टूट सकता है।

युद्ध ने बड़े पैमाने पर विनाश किया

युद्ध ने बड़े पैमाने पर विनाश किया है, जिससे गाजा की अधिकांश आबादी विस्थापित हो गई है। 48,000 से अधिक फिलिस्तीनी लोगों की मौत की सूचना मिली है, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं, जबकि इज़राइल का दावा है कि उसने 17,000 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। ट्रम्प की गाजा से 2 मिलियन फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना ने अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। जबकि इजरायल सरकार इस विचार का समर्थन करती है, फिलिस्तीनी और मानवाधिकार समूह इसका विरोध करते हैं, इसे संभावित रूप से अवैध बताते हैं। कुछ इजरायली राजनेता युद्ध को फिर से शुरू करने का आह्वान कर रहे हैं, और अगर हमास को लगता है कि लड़ाई जारी रहेगी तो वह और अधिक बंधकों को रिहा करने के लिए कम इच्छुक हो सकता है।

जम्मू-कश्मीर में तीन सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, टेरर लिंक मामले में एलजी मनोज सिन्हा का बड़ा एक्शन

#jammukashmirlgmanojsinhaactionthreegovtemployeesterrorlinks

Image 2Image 4

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। तीनों कर्मचारियों पर टेरर लिंक मामले में गाज गिरी है। इनमें एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और वन विभाग का कर्मचारी शामिल हैं। उपराज्यपाल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया। जांच में यह पाया गया कि इनकी आतंकवादी संगठनों से संबंध थे।

बर्खास्त तीनों कर्मचारी अलग-अलग आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं। इनमें से एक पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट को कथित तौर पर क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के साथ कथित संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि फिरदौस अहमद ने आतंकवादी संगठनों को साजोसामान और दूसरी सहायता दी। मोहम्मद अशरफ भट, जो एक टीचर है उन पर छात्रों को कट्टरपंथी बनाने और प्रतिबंधित संगठनों के साथ संबंध बनाए रखने का आरोप लगाया गया था। वहीं, वन विभाग का निसार अहमद खान कथित तौर पर कश्मीर के जंगली इलाकों में आतंकवादियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में शामिल था।

यह बड़ी कार्रवाई उपराज्यपाल की अध्यक्षता में सुरक्षा समीक्षा बैठक के एक दिन बाद की गई। बैठक में उपराज्यपाल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों और परदे के पीछे छिपे आतंकी तंत्र को बेअसर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने का निर्देश दिया था। उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण करने वालों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

पुलिस में रहकर आतंकियों की मदद

फिरदौस अहमद भट 2005 में एसपीओ के रूप में नियुक्त हुआ और 2011 में कांस्टेबल बन गया। उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया। वह कोट भलवाल जेल में बंद है। फिरदौस भट को जम्मू-कश्मीर पुलिस में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई के संवेदनशील पद पर तैनात किया गया था। हालांकि, उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरू कर दिया। मई 2024 में फिरदौस भट का पर्दाफाश हुआ जब दो आतंकवादियों- वसीम शाह और अदनान बेग को अनंतनाग में पिस्तौल और हैंड ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि फिरदौस भट ने लश्कर के दो अन्य स्थानीय आतंकवादियों- ओमास और अकीब को वसीम और अदनान को गैर-स्थानीय नागरिकों और अनंतनाग आने वाले पर्यटकों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने का काम सौंपा था। पूछताछ के दौरान फिरदौस भट ने सच उगल दिया। फिरदौस भट साजिद जट्ट का करीबी सहयोगी था जिसने उसे पाकिस्तान से एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क को संचालित करने में मदद की।

वन विभाग का अर्दली आतंकियों की मददगार

निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में सहायक के तौर पर शामिल हुआ था। वह गुप्त रूप से हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया और उनके लिए जासूसी करता था। हिजबुल मुजाहिदीन के साथ उसके संबंध पहली बार वर्ष 2000 में सामने आए जब अनंतनाग जिले के चमारन में एक बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ। इस हमले को हिजबुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन बिजली मंत्री गुलाम हसन भट मारे गए थे।

नासिर खान और एक अन्य आरोपी ने तत्कालीन मंत्री और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी। नासिर ने विस्फोट में इस्तेमाल आरडीएक्स की तस्करी में भी मदद की और आतंकी हमले का समन्वय किया।

शिक्षक बना लश्कर का ओवरग्राउंड वर्कर

रियासी निवासी अशरफ भट को 2008 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था। उसे 2013 में स्थायी शिक्षक बना दिया गया। एक शिक्षक के रूप में काम करते हुए अशरफ ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति निष्ठा की शपथ ली और एक ओवरग्राउंड वर्कर बन गया। वर्ष 2022 में उसकी गतिविधियों का पता चला और उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वर्तमान में वह रियासी की जिला जेल में बंद है।

एक शिक्षक के तौर पर अशरफ भट युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी गतिविधियों के लिए वित्त जुटाने और हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों के परिवहन में कोऑर्डिनेट करने में लश्कर-ए-तैयबा की मदद की।

कौन हैं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की विदेशी पत्नी एलिजाबेथ? जिसको लेकर आक्रामक हो रहे असम के सीएम सरमा

#himantabiswasarmatargetsgaurav_gogoi

असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई आमने सामने हैं। दोनों नेताओं के विवाद के बीच की वजह हैं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की ब्रिटिश मूल की उनकी पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न। बिस्वा सरमा के गोगोई और उनकी ब्रिटिश मूल की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर सवाल उठाने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। बिस्वा ने गोरव की पत्नी पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी- आईएसआई से संपर्क रखने के आरोप लगाए हैं। सरमा ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की दस साल पहले भारत में उस समय पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के साथ हुई मीटिंग को लेकर सवाल उठाए और इसे उनकी पत्नी एलिजाबेथ गोगोई से जोड़ा है। इसके बाद भाजपा ने इस बात को लेकर ना केवल गौरव गोगोई को घेरा है, बल्कि कांग्रेस पर भी हमलावर है।

हिमंत का आरोप

सबसे पहले मामले की जड़ मे चलते है, यानी जानते हैं कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गौरव गोगोई को लेकर आखिर कहा क्या है। बिस्वा सरमा ने गुरुवार, 13 फ़रवरी को एक्स पर लिखा, "2015 में भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने पहली बार बने सांसद (गौरव गोगोई) और उनके स्टार्टअप, पॉलिसी फॉर यूथ को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था। उल्लेखनीय बात यह है कि यह सांसद उस समय विदेशी मामलों की संसदीय समिति तक के सदस्य नहीं थे। जिससे उनके पाकिस्तानी उच्चायोग जाने की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। गोगोई ऐसे वक़्त में पाकिस्तानी उच्चायोग गए जब भारत ने अपने अंदरूनी मामलों में उच्चायोग के दख़ल और हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के नेताओं से उसके संपर्क करने को लेकर आधिकारिक विरोध जताया था।"

Image 2Image 4

मुख्यमंत्री सरमा ने ये भी लिखा कि इस मुलाकात के फौरन बाद 'द हिंदू' में प्रकाशित लेख में सांसद के स्टार्टअप ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) की आलोचना करते हुए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से निपटने के उनके तरीक़ों पर एतराज जताया। गोगोई के संसद की कार्रवाई के दौरान पूछे गए प्रश्नों का जिक्र करते हुए हिमंत ने उनकी मंशा पर सवाल उठाए और इशारा किया कि संवेदनशील रक्षा मामलों की तरफ़ उनका ध्यान लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने इस पोस्ट में ये भी लिखा कि ये सभी डेवलपमेंट उनकी एक ब्रितानी महिला से शादी के बाद होने शुरु हुए। उन महिला का प्रोफेशनल बैकग्राउंड और भी कई संदेहों को जन्म देता है।

इससे पहले हिमंत ने एक और पोस्ट में लिखा था, "आईएसआई से संबंधों, युवाओं को ब्रेनवॉश करने और कट्टरपंथी बनाने के लिए पाकिस्तानी दूतावास में ले जाने तथा पिछले 12 वर्षों से भारतीय नागरिकता लेने से इनकार करने के आरोपों से जुड़े गंभीर सवालों के जवाब दिए जाने की आवश्यकता है।"

इससे पहले बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था, "विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई की पत्नी एलिज़ाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान योजना आयोग के सलाहकार अली तौकीर शेख और आईएसआई से संबंध पाए गए हैं। यह बेहद चिंताजनक है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इसलिए उम्मीद है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और गौरव गोगोई पाकिस्तान और आईएसआई के साथ उनके संबंधों के बारे में स्पष्ट करेंगे।"

कौन हैं एलिजाबेथ?

ब्रिटेन में जन्मी एलिज़ाबेथ कोलबर्न से गौरव गोगोई की मुलाकात 2010 में हुई थी जब वे दोनों संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की एक समिति में एक साथ इंटर्नशिप कर रहे थे। एलिजाबेथ का परिवार लंदन में बसा है। तीन साल बाद यानी 2013 में गौरव गोगोई ने नई दिल्ली में एलिजाबेथ से शादी कर ली। एक जानकारी के अनुसार एलिजाबेथ ने मार्च 2011 से जनवरी 2015 तक सीडीकेएन (क्लाइमेट डेवलपमेंट एड नॉलेज नेटवर्क) के साथ काम किया था।

सीडीकेएन की वेबसाइट के अनुसार यह संस्था ग़रीब और जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे सबसे अधिक संवेदनशील लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में काम करती है। एलिजाबेथ इस संस्था के लिए भारत-पाकिस्तान और नेपाल में काम कर चुकी हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़े उनके कई लेख सीडीकेएन की वेबसाइट पर मौजूद है।

एलिज़ाबेथ ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई की है। वह इस समय ऑक्सफ़ोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट से जुड़ी हुई हैं, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए काम करती है। सांसद गौरव गोगोई ने 2024 के आम चुनाव में जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें पत्नी के काम की जानकारी के तौर पर उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार बताया गया है।

हिमंत क्यों गौरव के पीछे पड़े?

असम के ही जोरहाट से सांसद गौरव गोगोई लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर हैं। अब सवाल ये उठाता है कि असम के सीएम अपने ही राज्य के कांग्रेस नेता पर इतने ज्यादा आक्रामक क्यों हैं?दरअसल, इस पूरे विवाद को हिमंता और गोगोई के बीच प्रतिद्वंद्विता के महज एक पड़ाव के रूप में देखा जाना चाहिए। दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई करीब डेढ़ दशक पहले शुरू हुई थी, जब हिमंता, गौरव के पिता तरुण गोगोई के करीबी हुआ करते थे। 90 के दशक में हिमंता ने कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की थी। हिमंता कांग्रेस में तेजी से आगे बढ़े। वह 2001 में पहली बार जालुकबाड़ी सीट से विधायक बने। विधानसभा पहुंचने के साथ ही हिमंता की नज़दीकियां मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से बढ़ती गईं। हिमंता 2001 से लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए और तरुण गोगोई भी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने।

दूसरे ही कार्यकाल में हिमंता को कैबिनेट में जगह मिल गई। ना सिर्फ मंत्री बने मुख्यमंत्री गोगोई ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे अहम मंत्रालय हिमंता को सौंपे। इस दौरान सरमा तरुण गोगोई के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक बन गए। लेकिन अक्सर इस तरफ की राजनीतिक मित्रताओं में 'पुत्रमोह' आड़े आ जाता है।

तरुण गोगोई के तीसरे कार्यकाल में हिमंत (तब वो कांग्रेस में थे) उम्मीद लगाकर बैठे थे कि आगे उन्हें सीएम बनने का मौका मिलेगा। लेकिन तरुण गोगोई ने 2014 में अपने बेटे गौरव गोगोई को लोकसभा चुनाव में खड़ा कर राजनीति में एंट्री करवा दी। इस समय गौरव असम में एक बड़े नेता हैं। क्योंकि हिमंता ने गौरव की पुरानी लोकसभा सीट कलियाबोर को परिसीमन के तहत खत्म कर दिया था ताकि गौरव मुसलमानों के वोट से जीत न सकें। लेकिन गौरव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हिंदू बहुल जोरहाट सीट से जीत दर्ज कर हिमंता को बड़ा झटका दे दिया। लिहाजा गौरव असम में सीएम सरमा के बड़े प्रतिद्वंद्वी बनकर सामने आ गए है।

अवैध प्रवासियों के विमान की अमृतसर में लैंडिंग पर रार, भड़के मान, कांग्रेस के साथ अकाली दाल का मिला साथ

#landingofimmigrantsinamritsarcontroversybhagwant_mann

अमेरिका का एक सैन्य विमान देश में अवैध रूप से रह रहे 119 भारतीयों को लेकर आज रात अमृतसर पहुंचेगा। यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यहां से निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का दूसरा जत्था होगा। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को भारत भेजने मामले में एक नया विवाद शुरू हो गया है। ये विवाद अवैध प्रवासियों के विमान के अमृतसर में उतारने को लेकर खड़ा हो गया। पंजाब के राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने आरोप लगाया है कि अमृतसर में अमेरिकी विमान की लैंडिंग राज्य को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और शिरोमणि अकाली दल ने भी अब भगवंत मान का समर्थन किया है।

Image 2Image 4

यूएस डिपोर्टेशन पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। भगवंत मान ने केंद्र पर पंजाब और पंजाबियों को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र अमृतसर जैसे पवित्र शहर को ‘डिपोर्टेशन सेंटर’ बना रही है। यूएस से डिपोर्ट किए जाने का मुद्दा जब संसद तक पहुंचा था तो विपक्ष के सवालों का सरकार को जवाब देना पड़ गया था। विदेश मंत्री एस जयशकर ने राज्यसभा में बयान जारी कर विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब दिया।

सीएम भगवंत मान कहा कि बीजेपी की सरकार पंजाब के साथ भेदभाव करती है और राज्य को बदनाम करने का कोई मौका नहीं चूकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार साजिश के तहत अप्रवासियों को अमृतसर ला रही है। मान ने बताया कि अमेरिका से आने वाले दूसरे जत्थे में सिर्फ 67 पंजाब के हैं, जबकि हरियाणा के 33, गुजरात के 8, यूपी के 3 पैसेंजर हैं। इसके अलावा गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान के भी दो-दो अप्रवासी है। हिमाचल और जम्मू-कश्मीर का भी एक-एक पैसेंजर है।

मान को मनीष तिवारी का साथ

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी भगवंत मान के आरोपों का समर्थन किया है। मनीष तिवारी ने कहा कि बुनियादी बात है यह है कि जो लोग अमेरिका गए थे, चाहे वह पंजाब से थे या गुजरात से थे या हरियाणा से थे, वे सभी आर्थिक मौके के लिए अमेरिका गए थे। भगवंत मान की बात बिल्कुल सही है कि उनको पंजाब में क्यों लाया जा रहा है? यह विमान दिल्ली में भी लैंड कर सकता था। केंद्र सरकार क्या संदेश देना चाह रही है? आप यह संदेश देना चाहते हैं कि जो लोग बाहर जाते हैं वे सिर्फ पंजाब से जाते हैं।

शिवसेना (यूबीटी) का समर्थन

भगवंत मान के अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों को अमृतसर लाने वाले विमानों पर दिए गए बयान पर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने समर्थन जताया। उन्होंने कहा कि भगवंत मान बिलकुल सही हैं। पहले विमान में जिन अप्रवासियों को अमानवीय परिस्थितियों में वापस लाया गया, उनमें ज्यादातर लोग गुजरात के थे। उन्होंने कहा कि उस विमान को गुजरात में उतरना चाहिए था, लेकिन वह अमृतसर में उतरा, ताकि यह दिखाया जा सके कि सभी अवैध अप्रवासी पंजाब से हैं और पंजाब ही आर्थिक संकट में फंसा हुआ राज्य है। साथ ही प्रियंका चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि अगर सरकार एजेंटों पर कड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रही है, तो यह सरकार की विफलता है।

अकाली दल ने भी दिया साथ

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान पर शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री गुलज़ार सिंह रानीके ने अपनी राय रखी है। पूर्व मंत्री ने कहा कि यह पंजाब का दुर्भाग्य है कि केंद्र सरकारें हमेशा पंजाब को बदनाम करने की कोशिश करती रही हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब एक बॉर्डर स्टेट है और अमृतसर ज़िला भी बॉर्डर के पास है। ऐसे में अमेरिका जाने वाले कथित अवैध प्रवासियों को ले जाने वाले विमानों का उतरना पंजाब को बदनाम करने की साजिश है। यह दिखाने की कोशिश है कि सिर्फ़ पंजाबी ही अवैध प्रवासी हैं। ये विमान कहीं और भी उतर सकते हैं।

अरविंद केजरीवाल की बढ़े वाली है मुसीबत, सीएम आवास रिनोवेशन की होगी जांच, CVC ने दिए आदेश

#investigation_into_former_delhi_cm_kejriwals_bungalow_cvc_given_order

Image 2Image 4

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबत बढ़ने वाली है। दरअसल, सेंट्र्रल विजिलेंस कमिशन यानी सीवीसी ने दिल्ली के सीएम आवास के नवीनीकरण और लग्जरी चीजों की खरीद के लिए अरविंद केजरीवाल द्वारा कराए गए खर्च की जांच करने का आदेश दिया है। सीवीसी ने 13 फरवरी को जांच के आदेश जारी किए हैं। आदेश सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्यूडी) की रिपोर्ट सामने आने के बाद दिया। बता दें कि सिविल लाइंस इलाके में 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगला 2015 से अक्टूबर 2024 तक, दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल का आधिकारिक निवास था। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों पर पद से इस्तीफा देने के बाद इसे खाली कर दिया था।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री आवास पर किए गए खर्च की शिकायत की थी।विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भी इसे लेकर पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास पर अवैध निर्माण और नियमों के घोर उल्लंघन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। साथ उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से आग्रह किया था कि संपत्ति को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाए और आस-पास की सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण को बिना देरी के हटाया जाए।

एलजी को लिखे अपने पत्र में विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक धन का उपयोग करके अपने आधिकारिक आवास को शीश महल में बदल दिया, जो पूरी तरह से अवैध और अनैतिक था। ऐसे में संपत्ति को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाए और आस-पास की सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण को बिना देरी के हटाया जाए। इस शिकायत पर ही कार्रवाई करते हुए ये आदेश जारी किए गए हैं।

वहीं, 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले में रिनोवेशन को लेकर सें सीपीडब्यूडी की रिपोर्ट में कहा गया कि 40,000 वर्ग गज (8 एकड़) में बने बंगले के निर्माण में कई नियमों को तोड़ा गया। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि बंगले के रेनोवेशन में 45 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। भाजपा ने बंगले को केजरीवाल का शीशमहल नाम दिया है।

एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को फिर दिखाया आईना, लोकतंत्र पर खतरे को लेकर दिया ये जवाब

#democracyunderthreatsjaishankarrespondsbyshowinghisindexfinger

विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूरी दुनिया को भारत की मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था की झलक दिलाई। साथ ही ‘खतरे में लोकतंत्र’ का झंडा बुलंद करने वाले पश्चिमी देशों को आईना भी दिखाया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के लोकतंत्र पर बात की। विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग लोकतंत्र को वेस्टर्न कैरेक्टरिस्टिक मानते हैं।

Image 2Image 4

मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं-जयशंकर

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ‘लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस’ पर चर्चा के दौरान जब विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि क्या विश्व स्तर पर लोकतंत्र संकट में है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मैं इस पैनल में जितने भी लोग बैठे हैं, उसमें मैं सबसे आशावादी व्यक्ति हूं। यहां अधिकतर लोग निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं।

लोकतंत्र केवल सिद्धांत नहीं, डिलीवर किया गया एक वादा-जयशंकर

जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र खतरे में है, तो उन्होंने स्याही लगी इंडेक्स फिंगर दिखा दी। अपनी उंगली दिखाते हुए जयशंकर ने कहा, हमारे लिए, लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है। भारतीय विदेश ने इस दावे को खारिज करतो हुए कहा कि मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूं। बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जो कहा जा रहा है कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन मेरा ऐसा मानना नहीं है। लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है और लोकतंत्र ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।' उन्होंने माना कि 'लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी हैं और अलग-अलग देशों में हालात अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद ही लोकतंत्र के मॉडल को अपनाया। पश्चिम के देश मानते हैं कि लोकतंत्र उनकी देन हैं, लेकिन वैश्विक दक्षिण के देश मानते हैं कि भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरे तक बैठा हुआ है।