महाराष्ट्र में कहर बरपा रहा GBS, संक्रमितों की संख्या हुई 207, अब तक 9 की मौत

महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या बढ़कर 207 हो गई है. 14 फरवरी को दो संदिग्ध मरीज और मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कुल मरीजों में से 180 में जीबीएस की पुष्टि हुई है, जबकि बाकी मरीज में बीमारी के लक्षण हैं और उनका इलाज करने की बात स्वास्थ्य विभाग ने कही है.

वहीं, इस बीमारी के चलते अब तक कुल 9 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 4 की मौत GBS के चलते और अन्य की GBS के संदिग्ध मरीज के तौर पर हुई है. 13 फरवरी को 9वी मौत कोल्हापुर शहर में हुई. गुइलेन-बैरे सिंड्रोम यानी GBS एक रेयर ऑटोइम्यून विकार है. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ही तंत्रिकाओं पर हमला करती है.

अधिकतर मामले पुणे और पिंपरी चिंचवड़ से

यह तंत्रिकाओं के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है. यह तंत्रिकाओं के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचाती है और मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी और पक्षाघात का कारण बनती है. इसके अधिकतर मामले पुणे और पिंपरी चिंचवड़ से हैं. आमतौर पर जीवाणु और वायरल संक्रमण जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं.

इस बीमारी से शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है. इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं. राज्य में ज्यादातर मामले पुणे और आस-पास के इलाकों से हैं. नए मामले सहित, संक्रमण के सभी मामले संभवत: दूषित जल स्रोतों से जुड़े हैं. माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी इस प्रकोप का कारण है.

वॉट्सऐप अकाउंट ब्लॉक या बैन हो जाए तो उसे रिकवर कैसे करें?

अगर आप भी अपने नंबर से वॉट्सऐप पर लॉगिन नहीं कर पा रहे हैं तो परेशान ना हो. वॉट्सऐप अपनी कई सारी प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव कर रहा है. जिससे कि कई बार प्लेटफॉर्म पर गलती से या कंपनी गाइड लाइन्स का उल्लघंन करने पर आपके अकाउंट को बैन कर दिया जाता है. ऐसे में आप अपने नंबर से अकाउंट लॉगिन नहीं कर पाते हैं और किसी से चैट भी नहीं कर पाते हैं. लेकिन अगर आप इस सिचुएशन में हैं तो जल्दी से नीचे बताए गए प्रोसेस को फॉलो करें. इसके बाद आपके वॉट्सऐप अकाउंट से बैन हट जाएगा.

WhatsApp अकाउंट बैन के पीछे वजह?

जब वॉट्सऐप अकाउंट बैन किया जाता है, तो यूजर के पास एक नोटिफिकेशन भेजी जाती है. इस नोटिफिकेशन में अकाउंट बैन करने के पीछ की वजह बताई गई होती है. आपके अकाउंट को बैन क्यों किया गया है या आपने किन नियमों का उल्लंघन किया है. इसमें सभी डिटेल्स लिखी होती हैं. आपको हर वजह पर अपनी सफाई पेश करनी होती है. ये स्पैम के अलाव अनवैरिफाइड मैसेज सेंड करने और थर्ड पार्टी ऐप्स यूज करने की वजह से होता है.

ऐसे हटेगा वॉट्सऐप से बैन

अगर आपका वॉट्सऐप अकाउंट बिना किसी गलती के बैन किया गया है तो आप वॉट्सऐप की सपोर्ट टीम से कनेक्ट कर सकते हैं. इनसे कॉन्टैक्ट करके आप अपनी परेशानी इन्हें बतकर अकाउंट रिव्यू का सकते हैं. वॉट्सऐप में सेटिंग में जाकर Help सेक्शन के ऑप्शन पर क्लिक करें. इसके बाद ईमेल पर अपनी परेशानी और पूरी बात लिखने के बाद रिपोर्ट कर सकते हैं. एक बात का ध्यान रखना कि आप ईमेल में नीचे अपना नाम और कॉन्टेक्ट नंबर के अलाव पूरी डिटेल्स लिखें. इसके बाद आपके अकाउंट को क्यों बैन किया गया है और इसकी सफाई में आपको क्या कहना है. सब लिखकर सेंड कर दें.

कितने दिन में होगा रिकवर

कई मामलों में अगर वॉट्सऐप टेंपरेरी आपके अकाउंट को बैन करता है तो ये बैन 24 घंटे से लेकर 30 दिन के भीतर ठीक हो सकता है.

पर आप इस दौरान गलती से भी किसी थर्डपार्टी वॉट्सऐप मोड GBWhatsApp या WhatsApp Plus का इस्तेमाल शुरू ना करें.

कई बार वॉट्सऐप थर्ड पार्टी ऐप्स के यूज की वजह से भी आपके अकाउंट को टेंपरेरी बैन कर देता है. इन प्लेटफॉर्म का वॉट्सऐप से कोई कनेक्शन नहीं होता है. अगर आप इन्हें यूज कर रहे हैं तो ये वॉट्सऐप कम्युनिटी की गाइडलाइन्स का उल्लघंन कर रहे हैं.

जेब में नहीं थे 300 रुपये, स्ट्रेचर पर बहु को घसीटते नजर आए बुजुर्ग

मध्य प्रदेश में संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर से एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. महज 300 रुपए ना दे पाने पर एक बुजुर्ग को जिला अस्पताल से एंबुलेंस नहीं मिली. ऐसे हालात में बुजुर्ग अपनी बीमार बहू को स्ट्रेचर पर घसीटते नजर आए. यह तस्वीर सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है. इस वीडियो पर लोग मध्य प्रदेश सरकार और राज्य के स्वास्थ्य विभाग की खिंचाई कर रहे हैं.

वायरल तस्वीर में नजर आ रहे बुजुर्ग व्यवहार बाग इलाके में रहने वाले बृज बिहारी हैं. कुछ दिन पहले उनकी बहु की तबियत खराब हो गई. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो डॉक्टरों ने छुट्टी दे दी. चूंकि महिला बीमारी की वजह से इतनी कमजोर हो गई थी कि वह अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो पा रही थी. ऐसे में महिला के ससुर ने एंबुलेंस की मांग की, लेकिन उसके लिए 300 रुपये जमा कराने को कहा गया.

300 रुपये जमा नहीं करने पर नहीं मिली एंबुलेंस

अब बुजुर्ग के पास इतने भी पैसे नहीं थे. ऐसे में वह बहू को स्ट्रेचर पर लिटाकर धकेलते हुए घर ले जाने लगे. उन्हें ऐसा करते देख वहां मौजूद लोगों का दिल पसीजा और तत्काल लोगों ने मिलकर एंबुलेंस के पैसे इकट्ठा किए और उन्हें घर पहुंचाया. एक मददगार आसू खान ने बताया कि बुजुर्ग को स्ट्रेचर घसीटते देख उन्होंने पूछताछ की. जब उन्होंने बताया कि पैसे नहीं हैं तो उन्होंने तत्काल दो तीन लोगों से बात की और एंबुलेंस का खर्चा जुटाकर उन्हें घर भेजने की व्यवस्था कर दी.

सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीर

इस दौरान कई अन्य लोगों ने चंदा जमाकर बीमार महिला के इलाज के लिए भी आर्थिक मदद दी. इस घटना के बाद लोगों ने स्वास्थ्य विभाग पर खूब तंज कसा है. साथ ही एंबुलेंस सेवा फ्री करने की मांग की है. सोशल मीडिया में यह तस्वीर खूब वायरल हो रही है. लोगों का आरोप है कि यह तस्वीर केवल जबलपुर की ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश के अस्पतालों का यही हाल है.

1999 में बनी, 25 साल में ही टूट गई कुशीनगर की मदनी मस्जिद; जानें क्यों

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बनी मदनी मस्जिद पर आखिरकार रविवार को प्रशासन ने बुलडोजर चला ही दिया. 1999 में बनी इस मस्जिद में अवैध निर्माण का विवाद लंबे समय से चल रहा था. इस संबंध में कुशीनगर जिला प्रशासन को कई बार शिकायत दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. आखिर में जब मुख्यमंत्री के संज्ञान में मामला आया तो 54 दिन पहले प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की. हालांकि उस समय मस्जिद पक्ष के लोगों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था. अब स्टे की अवधि पूरी होने के बाद रविवार की सुबह प्रशासन ने कार्रवाई की है.

मामला कुशीनगर में हाटा नगर पालिका क्षेत्र का है. साल 1999 में कुछ लोगों ने दो मंजिल के भवन का नक्सा पास कराया और नियमों को ताक पर रखकर बेसमेंट के अलावा चार मंजिल के भवन का निर्माण करा लिया. उसी समय हिन्दूवादी नेता राम बच्चन सिंह ने जिला प्रशासन में इस अवैध निर्माण की शिकायत दी थी. हालांकि राजनीतिक दबाव की वजह से प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की. साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी तो रामबचन सिंह ने एक बार फिर से इसकी पैरवी शुरू की.

सीएम योगी के निर्देश पर हुआ एक्शन

उन्होंने कई बार तहसीलदार से लेकर डीएम तक से मिलकर शिकायत की. बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं हुई. आखिर में राम बच्चन सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर शिकायत दी. इसके बाद सीएम योगी ने डीएम को मामले की जांच कराने के आदेश थे. इसके बाद हरकत में आए जिला प्रशासन ने 18 दिसंबर को मामले की जांच पड़ताल की और 23 दिसंबर को जांच पूरी होने के बाद मदनी मस्जिद के पक्षकारों को लगातार तीन बार नोटिस जारी किया. हालांकि मस्जिद पक्ष से एक बार भी इस नोटिस का जवाब नहीं दिया गया. ना ही इस मस्जिद के संबंध में कोई दस्तावेज भी पेश किया गया.

8 फरवरी तक लगी थी रोक

ऐसे में कुशनगर नगर पालिका ने मस्जिद की बिल्डिंग को अवैध मानते हुए इसे गिराने की कोशिश की. हालांकि उस समय मस्जिद पक्ष के लोग हाईकोर्ट चले गए और 8 फरवरी तक मस्जिद के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर रोक लग गई. रविवार को स्टे अवधि पूरी होने पर 7 बुलडोजर और भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंची नगर पालिका की टीम ने अवैध रूप से बने हिस्से को गिरा दिया है. इस कार्रवाई के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए मौके पर तो पुलिस बल तैनात था ही, पूरे जिले में पुलिस को अलर्ट पर रखा गया था.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कल महाकुंभ में करेंगी पवित्र स्नान, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब उमड़ रहा है. इसी बीच देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कल प्रयागराज के संगम नोज पर पवित्र स्नान करने आ रही हैं. राष्ट्रपति महाकुंभ में करीब पांच घंटे बिताएंगी और इस दौरान वे अक्षयवट एवं बड़े हनुमान मंदिर में भी पूजा-अर्चना करेंगी. उनकी यात्रा को लेकर प्रयागराज मेला प्राधिकरण, जिला पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है. उनके आगमन के मद्देनजर महाकुंभ क्षेत्र में वाहनों के आवागमन और नावों के संचालन पर प्रतिबंध लगाया गया है.

राष्ट्रपति मुर्मू कल सुबह 11 बजे प्रयागराज के बमरौली हवाई अड्डे पर पहुंचेंगी. वहां से वे हेलीकॉप्टर के जरिए अरैल क्षेत्र के डीपीएस हेलीपैड पहुंचेंगी. इसके बाद वे कार से अरैल वीवीआईपी जेटी जाएंगी और वहां से निशादराज क्रूज के माध्यम से संगम तट तक जाएंगी. दोपहर करीब 12 बजे वे संगम में पवित्र स्नान करेंगी. इसके बाद वे गंगा पूजन और आरती करेंगी. सुरक्षा कारणों से राष्ट्रपति की उपस्थिति में संगम क्षेत्र और आसपास के प्रमुख घाटों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी. हालांकि, बाकी घाटों पर आम श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे.

महाकुंभ क्षेत्र में लागू होंगे यातायात प्रतिबंध

राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा को देखते हुए प्रयागराज प्रशासन ने कई पाबंदियां लागू की हैं. अरैल, संगम, किले और बड़े हनुमान मंदिर जाने वाले मार्गों पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद रहेगा. संगम क्षेत्र में नावों का संचालन भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. प्रशासन के अनुसार, राष्ट्रपति के संगम से लौटने के बाद ही नावों को संचालित करने की अनुमति दी जाएगी. सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पूरी मुस्तैदी से लगे हुए हैं.

सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर

राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए प्रयागराज मेला प्राधिकरण और जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं. सुरक्षा के लिहाज से संगम क्षेत्र में ड्रोन कैमरों की मदद से निगरानी की जाएगी. जल पुलिस, एनडीआरएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट मोड में रहेंगी. इसके अलावा, राष्ट्रपति की आवाजाही के दौरान हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाएगी. महाकुंभ में राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा आस्था और परंपरा का एक महत्वपूर्ण क्षण होगी, जिसकी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

प्रयागराज महाकुंभ: भारी भीड़ के कारण स्टेशन के गेट बंद, ट्रैफिक जाम में फंसे श्रद्धालु

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान पिछले कुछ दिनों से भीड़ कम होने की बात सामने आ रही थी, वहीं अखाड़ों के साधु-संतों की निकासी भी हो रही थी. इन खबरों के बाद एक बार फिर से लाखों श्रद्धालु महाकुंभ में जा पहुंचे. प्रयागराज में एक बार फिर से भारी भीड़ दिखाई दे रही है. जिसकी वजह से स्टेशन के गेट बंद कर दिए गए. जो लोग अंदर फंसे हुए हैं वह अंदर ही रह गए. रेलवे स्टेशन से भारी भीड़ रेलवे ट्रैक के सहारे ही आगे बढ़ती हुई दिखाई दी.

प्रयागराज जाने वाले सभी रास्तों पर भीषण ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई है. हालात ये है कि बच्चे-बूढ़े और अन्य श्रद्धालु पानी-खाने के लिए जाम में फंसे तड़प रहे हैं. इस पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी ट्वीट करके लोगों के लिए तुरंत व्यवस्था करवाने की बात कही है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि महाकुंभ में हर तरफ भूखे, प्यासे, बेहाल और थके तीर्थयात्री दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकार से अपील की है कि उन्हें मानवीय दृष्टि से देखा जाए तो तुरंत व्यवस्थाएं की जाएं.

दिल्ली में जल्द ही बनेगी बीजेपी की ट्रिपल इंजन की सरकार… जानिए नंबर का गेम प्लान

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है. विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा नजरें अब दिल्ली नगर निगम पर है. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर के चुनाव इसी साल अप्रैल में प्रस्तावित है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद अब दिल्ली नगर निगम चुनाव को भी दखल करने की बीजेपी ने योजना बनाई है.

आइए समझते हैं दिल्ली नगर निगम का गणित क्या है? कैसे बहुमत नहीं होने के बावजूद दिल्ली में बीजेपी का मेयर बन सकता है.

दिल्ली नगर निगम में कुल 250 पार्षद हैं. इन पार्षदों के अलावा दिल्ली के सभी सात सांसद और राज्य सभा के तीन सांसद और दिल्ली के 14 विधायक मेयर पद के चुनाव में मतदान करते हैं. फिलहाल बीजेपी के पार्षदों की संख्या 120 है. वहीं, आम आदमी पार्टी के पार्षदों की संख्या 122 है.

बीजेपी के आठ पार्षदों ने जीता विधानसभा चुनाव

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आठ पार्षदों को उम्मीदवार बनाया था. वो सभी विधानसभा चुनाव जीत गए हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों को टिकट दिया था. ये भी चुनाव जीत गए थे.

विधानसभा चुनाव जीतने वाले बीजेपी पार्षद, जिन्होंने चुनाव जीता है, वे हैं मुंडका से गजेंद्र दराल, नजफगढ़ से नीलम पहलवान, विनोद नगर से रविंदर सिंह नेगी, राजेंद्र नगर से उमंग बजाज, संगम विहार से चंदन चौधरी, शालीमार बाग से रेखा गुप्ता, वजीरपुर से पूनम शर्मा और ग्रेटर कैलाश से शिखा राय.

मनोनीत पार्षद राजकुमार भाटिया भी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है. हालांकि मनोनीत पार्षद को मेयर चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है, वो केवल जोन के चुनाव में ही वोट कर सकते हैं.

अब दिल्ली नगर निगम के मेयर पर बीजेपी की नजर

इनके अलावा पश्चिमी दिल्ली की बीजेपी की पार्षद रहीं कमलजीत सहरावत इससे पहले सांसद के चुनाव में विजय हासिल की थी. आप और मनोनीत पार्षदों के रिक्त स्थानों को एक साथ करें, तो पार्षद की 12 सीटों पर उपचुनाव प्रस्तावित हैं और एक मनोनयन किया जाना है, जिसकी नियुक्ति उपराज्यपाल द्वारा की जाएगी.

वर्तमान में बीजेपी के कुल 112 पार्षद और आम आदमी पार्टी के कुल 119 पार्षद हैं. गौरतलब है कि नवंबर 2024 में मेयर का पिछला चुनाव हुआ था, लेकिन उसका कार्यकाल सिर्फ पाृंच माह का रहा. उस समय आम आदमी पार्टी के महेश खिंची भाजपा के उम्मीदवार किशन लाल से सिर्फ तीन वोटों से ही जीत हासिल किए थे.

मेयर चुनाव में कुल 263 वोट पड़े थे, इनमें महेश खिंची को 133 वोट और किशन लाल को 130 मत प्राप्त हुए थे, जबकि दो वोट अवैध करार दिए गए थे. भाजपा के पास उस समय 113 पार्षद थे. उसे एक एमएलए और सात सांसदों का भी समर्थन हासिल था, यानी कुल 121 की संख्या थी.

मेयर के खिलाफ बीजेपी ला सकती है अविश्वास प्रस्ताव

दूसरी ओर, आप के पास कुल 141 मतदाता थे. इनमें 125 पार्षद, 13 विधायक एवं तीन राज्य सभा सांसद थे, जबकि कांग्रेस के कुल पार्षदों की संख्या 8 थी, लेकिन कांग्रेस ने चुनाव का बहिष्कार किया था.

अब अगले चुनाव में बीजेपी के 14 एमएलए और सात लोक सभा सांसद भी मतदान करेंगे. ऐसे में बीजेपी अगर अप्रैल में एमसीडी में अपने मेयर को जीता दे तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी.

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनाने के बाद भाजपा की ओर से दिल्ली मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.

छत्तीसगढ़ में बड़ी मुठभेड़: 31 नक्सली ढेर, 2 जवान शहीद

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच बड़ी मुठभेड़ हो गई. मिली जानकारी के मुताबिक, बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके में हुई मुठभेड़ में अब तक 31 नक्सली ढेर हुए हैं. वहीं, दो जवान शहीद हुए हैं. मुठभेड़ में दो जवान भी घायल हुए हैं, उन्हें इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से रायपुर भेजा गया है. डीआरजी, एसटीफ और बस्तर फाइटर के जवानों की संयुक्त टीम और नक्सलियों के बीच सुबह मुठभेड़ हुई है.

पुलिस के एक अधिकारी के मुताबिक, जिला बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके के जंगलों में नक्सलियों की उपस्थिति की जानकारी मिली थी. इसपर सुरक्षाबल की टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली. अभियान के दौरान रविवार सुबह सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई. पूरा इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. अभी भी रुक-रुक कर मुठभेड़ जारी है. मुठभेड़ में नक्सलियों को भारी नुकसान की संभावना जताई जा रही है.

नक्सलियों के पास से मिले ऑटोमैटिक हथियार

बीजापुर-नारायणपुर सीमा में रविवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई. इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को ढेर कर दिया. मुठभेड़ में सुरक्षाबल के दो जवान शहीद हुए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मुठभेड़ में DRG, STF और महाराष्ट्र की C-60 के जवान शामिल हैं. मारे गए नक्सलियों के पास से कई ऑटोमैटिक हथियार बरामद हुए हैं. वहीं इस मुठभेड़ में 2 जवानों के घायल होने की खबर भी आ रही है. उन्हें हेलीकॉप्टर से रायपुर भेजा गया है.

नक्सलियों की मौजूदगी की मिली थी जानकारी

जिस जगह सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई वह बीजापुर जिले का फरसेगढ़ इलाका है. यहां नेशनल पार्क का जंगल नक्सलियों का सक्रिय गढ़ माना जाता है. इस इलाके में सुरक्षाबलों को नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी. DRG, STF और महाराष्ट्र की C-60 के जवानों की संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया. इसी दौरान नक्सलियों ने टीम पर फायरिंग कर दी, जिसमें चार जवान घायल हो गए. इनमें दो जवान शहीद हुए हैं. जवाबी कार्रवाई में 31 नक्सलियों को ढेर कि2 जवान शहीद

MP के दामाद हैं केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा,राजनीतिक रसूखदार है ससुराल

देश की राजधानी दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा ने सत्ता में वापसी की है. भाजपा की जीत से ज्यादा देश भर में दिल्ली के पूर्व सीएम ओर आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की हार के चर्चे हैं. केजरीवाल को हराने वाले भाजपा के प्रवेश वर्मा का मध्य प्रदेश से गहरा नाता है. वे मध्य प्रदेश के दामाद भी हैं.

अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा के दामाद हैं. मध्य प्रदेश के धार में उनका ससुराल है. उनकी सास नीना वर्मा धार से विधायक हैं. चुनाव प्रचार के दौरान प्रवेश के सास और ससुर ने दिल्ली में सक्रिय भूमिका निभाई थी. नतीजों के बाद धार के बदनावर समेत कई इलाकों में भाजपा समर्थकों ने आतिशबाजी की और मिठाइयां बांटकर जीत का जश्न मनाया.

केंद्रीय मंत्री की बेटी से हुई शादी

23 साल पहले साल 2002 में प्रवेश वर्मा की स्वाति वर्मा से शादी हुई थी. इनके एक बेटा और दो बेटियां हैं. प्रवेश वर्मा के ससुर विक्रम वर्मा अटल बिहारी वाजपेई सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे हैं. उसी दौरान प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री थे. प्रवेश वर्मा भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे है. पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट से दो बार के सांसद रह चुके हैं.

दिल्ली मुख्यमंत्री की रेस में प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे चल रहा है. क्योंकि दिल्ली की राजनीति में नई दिल्ली विधानसभा सीट का अलग ही रुतबा रहा है. 2013, 2015 और 2020 में अरविंद केजरीवाल इसी सीट से जीतकर मुख्यमंत्री बने थे. उनसे पहले शीला दीक्षित इसी विधानसभा सीट से जीतकर मुख्यमंत्री थी. 2013 में केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराकर सत्ता में एंट्री ली थी. अब, जब भाजपा के प्रवेश वर्मा ने इसी सीट से जीत दर्ज की है, तो पार्टी के अंदर उन्हें सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है.

आतिशी ने मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा, 27 साल बाद BJP की वापसी

दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. हार के बाद दिल्ली की सीएम आतिशी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया है. आतिशी पिछले साल 21 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमत्री बनीं थीं. वे दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री थीं. 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली की सत्ता में वापसी हुई है. एलजी विनय कुमार सक्सेना ने सातवीं विधानसभा को भी भंग कर दिया है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव की 8 फरवरी को हुई मतगणना में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बहुमत के आंकड़े को हासिल किया है. 27 साल बाद अब बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में से 22 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है.

बीजेपी ने अपनी जीत के बाद सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी जल्द ही अपने विधायक दल की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन करेगी.

दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी थीं आतिशी

आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं थीं. इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित ने भी मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी. अरविंंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद उन्हें सीएम बनाया गया था.आतिशी का ये कार्यकाल महज साढ़े चार महीने का रहा है.

कई दिग्गजों को मिली हार

इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के तीन मंत्रियों ने जीत हासिल की है. गोपाल राय, मुकेश अहलावत और इमरान हुसैन ने अपनी-अपनी सीटों पर जीत दर्ज की है. दूसरी तरफ कई दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा है. जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सतेंद्र जैन जैसे नाम शामिल हैं.

आम आदमी पार्टी 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत दर्ज की थी. इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारा झटका लगा है. पार्टी की सीटें 70 में से 22 पर सिमट गई है. इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई है.