अरविंद केजरीवाल के घर पहुंची एसीबी की टीम, घर में नहीं मिली एंट्री

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दिल्ली में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल की तरफ से सहयोग नहीं किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट में एसीबी सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आई है। एलजी के आदेश के बाद एसीबी की टीम केजरीवाल के घर मामले की जांच को लेकर पहुंची थी। एसीबी की टीम इस मामले में केजरीवाल के बयान दर्ज करने पहुंची थी, लेकिन उसे एंट्री नहीं मिली। दरअसल, अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने आरोप लगाया था कि उनके उम्मीदवारों को 15-15 करोड़ रुपये का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में एसीबी की टीम अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करने पहुंची।

एसीबी की टीम को अंदर जाने नहीं दिया गया। केजरीवाल के आवास के बाहर उनकी लीगल टीम भी मौजूद थी। लीगल टीम का कहना था कि एसीसीबी के पास किसी भी तरह का लीगल नोटिस ही नहीं है। आम आदमी पार्टी के लीगल हेड संजीव नासियार ने कहा, बहुत ही हैरानी की बात है. पिछले आधे घंटे से यहां बैठी एसीबी टीम के पास कोई कागजात या निर्देश नहीं हैं। टीम के अधिकारी लगातार किसी से फोन पर बात कर रहे हैं। हमने उनसे जांच के लिए नोटिस मांगा मगर उनके पास कुछ भी नहीं है। एसीबी टीम किसके निर्देश पर यहां बैठी है? ये बीजेपी की राजनीतिक ड्रामा रचने की साजिश है और इसका जल्द ही पर्दाफाश होगा।

रिपोर्ट के अनुसार एसीबी की टीम बिना बयान दर्ज किए ही लौट गई है। इसके बाद एसीबी की टीम की तरफ से अरविंद केजरीवाल को नोटिस दिया गया है। विधायकों को 15 करोड़ रुपये में खरीद-फरोख्त के ऑफर के बाबत जानकारी मांगी है। इसमें बयान दर्ज कराने और डिटेल देने की मांग की गई है।

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

पाकिस्तानी सेना ने 12 आतंकियों को किया ढेर, बड़ी मात्रा में हथियार बरामद

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पाकिस्‍तान आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना है। हालांकि, पाकिस्तान ने हमेशा इस बात से इनकार किया है। इस बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर चलाए गए अभियान में 12 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। वहीं, एक जवान के भी मारे जाने की खबर है। सेना ने मौके से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद करने का दावा भी किया है।

पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा के अनुसार, यह अभियान उत्तरी वजीरिस्तान के हसन खेल इलाके में पांच-छह फरवरी की दरमियानी रात को चलाया गया, जिसमें एक सुरक्षाकर्मी की भी जान चली गई है। बयान में कहा गया कि इलाके में आंतकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी जिसके आधार पर अभियान को अंजाम दिया गया। इसमें कहा गया कि आतंकवादियों के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और ये आतंकी सुरक्षाबलों के साथ-साथ नागरिकों के खिलाफ कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे।

बता दें कि पाकिस्तान में इन दिनों तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने सेना का जीना मुश्किल कर रखा है। आए दिन पाकिस्तानी सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है। हाल के दिनों में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों ने 10 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी है। वहीं, पिछले महीने अफगानिस्तान के कई संगठनों ने पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकानों पर कब्जा कर लिया था। पांच दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकियों ने हमला किया था। इस बार आतंकियों ने पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों को निशाना बनाया थाष अर्धसैनिक बल के वाहन पर भारी गोलीबारी की गई, जिसमें चार जवानों समेत कम से कम 5 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, पाक सैनिकों ने बलूचिस्तान में अलग-अलग अभियानों में 23 आतंकवादियों को मार गिराया था।

कौन हैं बांग्लादेश की एक्ट्रेस मेहर अफरोज शॉन, देशद्रोह के आरोप में किया गया गिरफ्तार?

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार को खिलाफ बोलना देश की मशहूर अभिनेत्री मेहर अफरोज शॉन को भारी पड़ा है। अभिनेत्री मेहर अफरोज शॉन को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार किया है। मेहर अफरोज शॉन पर देशद्रोह और कथित तौर पर देश के खिलाफ साजिश रचने जैसे आरोप लगे हैं। उनकी गिरफ्तारी ढाका के धानमंडी इलाके से हुई है। मेहर बांग्लादेश की मौजूदा सरकार के खिलाफ बोलती रही हैं। वह मोहम्मद यूनुस सरकार की खुले तौर पर आलोचना कर चुकी हैं।

उनकी गिरफ्तारी उनके परिवार के घर पर हमले और आगजनी के कुछ घंटे बाद हुई। मेहर की गिरफ्तारी से पहले उनके परिवार का घर जमालपुर में कुछ घंटे पहले ही जला दिया गया था। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जमालपुर सदर उपजिला के नोरुंडी रेलवे स्टेशन के पास छात्रों और स्थानीय निवासियों ने शाम 6 बजे के आसपास घर में आग लगा दी। यह घर उनके पिता, इंजीनियर मोहम्मद अली का था। बता दें कि शॉन और उनके परिवार के संबंध अवामी लीग से हैं।

मेहर की मां ताहुरा अली, शेख हसीना की बांग्लादेश अवामी लीग पार्टी से सांसद रह चुकी हैं। बेगम तहुरा अली ने पहले दो बार आरक्षित महिला सीट (1996-2001 और 2009-2014) से संसद सदस्य के रूप में काम किया था। पिछले आम चुनाव में शॉन ने भी अवामी लीग के उम्मीदवार के रूप में आरक्षित महिला कोटे से संसदीय सीट मांगी थी।

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से ही हिंसा का दौर जारी है। बीते दिनों बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं और अब गुरुवार को कट्टरपंथी संगठनों ने बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के घर में तोड़फोड़ की गई। उन्मादी भीड़ ने शेख मुजीब के घर समेत दूसरे ऐतिहासिक स्मारकों को भी निशाना बनाया। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भी हिंसा और आगजनी की इन घटनाओं पर चिंता जाहिर की है।

चीन ने पाकिस्तान को बताया अपना स्थायी मित्र, पाक राष्ट्रपति जरदारी से मुलाकात के बाद बोले शी जिनपिंग

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पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन के दौरे पर हैं। बीजिंग में जरदारी ने बेहद गर्मजोशी के साथ चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की है। दोनों पक्षों में कई अहम समझौते हुए हैं। पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी भी जरदारी के साथ हैं। उनकी भी जिनपिंग के साथ लंबी बैठक हुई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के स्थायी मित्र बताया है।जरदारी ऐसे समय में चीन दौरे पर गए हैं जब चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख दिखाया है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से पाकिस्तान के साथ रिश्ते में गर्मजोशी की कमी दिख रही है।

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और चीनी प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाकर लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं। जिसने बीजिंग को काफी नाराज कर दिया है। चीन लगातार अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान पर प्रेशर बना रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट्स को रोकने तक की धमकी दी है। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई खटास के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी चीन को मनाने के लिए बीजिंग के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक की है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, बैठक के दौरान जरदारी ने चीनी राष्ट्रपति को आश्वस्त किया है, कि आतंकी हमले पाकिस्तान के अपने सदाबहार दोस्त चीन के साथ संबंधों को पटरी से उतार नहीं पाएंगे।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक के दौरान पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी ने इस बात को स्वीकार किया है, कि आतंकी हमलों की वजह से चीन और पाकिस्तान के संबंधों में 'उतार-चढ़ाव' आए हैं। लेकिन, जरदारी ने द्विपक्षीय साझेदारी के लिए अटूट समर्थन जताया है। पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने कहा, कि पाकिस्तान और चीन हमेशा दोस्त रहेंगे। उन्होंने कहा, कि चाहे दुनिया में कितने भी आतंक, कितने भी मुद्दे क्यों न उठें, मैं खड़ा रहूंगा और पाकिस्तानी लोग चीन के लोगों के साथ खड़े रहेंगे।

इसके अलावा दोनों नेताओं ने सीपीईसी पार्ट-2 पर चर्चा की है, जिसे सीपीईसी 2.0 के नाम से जाना जाता है। सीपीईसी 2.0 में परिवहन बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं से आगे बढ़कर औद्योगीकरण, कृषि आधुनिकीकरण और क्षेत्रीय साझेदारी को शामिल किया गया है। आपको बता दें, कि सीपीईसी प्रोजेक्ट, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का हिस्सा है।

चीन और पाक के बीच पाकिस्तान में चीनियों की सुरक्षा का ही मुद्दा नहीं है। चीन और पाकिस्तान के बीच एक मुद्दा अमेरिका का है। चीन-पाकिस्तान के सैन्य और आर्थिक सहयोग के अलावा जरदारी का ये दौरा इसीलिए अहम है क्योंकि अमेरिका ने इस्लामाबाद से नजदीकी कम की है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जापानी पीएम शिगेरू इशिबा से मिल चुके हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी 12-13 फरवरी को अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप से मुलाकातक होनी है। वहीं ट्रंप प्रशासन ने अब तक पाकिस्तान के साथ कोई औपचारिक संपर्क स्थापित नहीं किया है। ऐसे में अमेरिका से उपेक्षित महसूस कर रहे पाकिस्तान के लिए चीन एकमात्र सहारा बन गया है। चीन भी इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान की विदेश नीति पर अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।

हाल के वर्षों में बदलते भूराजनीतिक हालात में अमेरिका का ध्यान दूसरे क्षेत्रीय सहयोगियों पर ज्यादा है। ऐसे में कभी अमेरिका का करीबी दोस्त रहा पाकिस्तान अब चीन की तरफ झुकल गया है। पाकिस्तान के पास अब चीन के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है, उसे अपने 'खास दोस्त' बीजिंग की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।

खरीद-फरोख्त पर आप के आरोप की होगी जांच, एलजी ने दिए आदेश

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शनिवार को दिल्ली चुनाव नतीजे आ वाले हैं। इस बीच एग्जिट पोल की भविष्यवाणियां आ गई हैं। लगभग सभी एग्जिट पोल में भाजपा की जीत के दावे किए गए हैं। एग्जिट पोल के दावों ने आम आदमी पार्टी की बेचैनी बढ़ा दी है। आप के मुखिया और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मतगणना से पहले बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया था कि उनके 16 कैंडिडेट्स से बीजेपी संपर्क कर रही है। उन्हें खरीदने की कोशिश कर रही है। इन आरोपों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उपराज्यपाल से शिकायत की थी। जिसके बाद एलजी विनय कुमार सक्सेना ने बीजेपी की शिकायत की जांच के आदेश दिए हैं।

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बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत दर्ज करवाई है। विधायकों की खरीद के आरोप लगाने पर बीजेपी ने ये शिकायत दर्ज करवाई है। ऑनलाइन कंप्लेन भेजकर ये शिकायत करवाई कराई गई है। एसीबी ने कंप्लेन मिलने के बाद शिकायत दर्ज कर ली है। अपनी शिकायत में बीजेपी ने आप के उन तमाम ट्विटर हैंडल का भी हवाला दिया है जिससे बीजेपी पर आरोप लगाए गए थे। अब एलजी ने आप के इन आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। एसीबी इस मामले में जांच करेगी। एलजी के आदेश के बाद एसीबी की टीम संजय सिंह और मुकेश अलावत से पूछताछ करेगी।

इससे पहले केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि अब तक उनके 16 उम्मीदवारों को भाजपा की तरफ से फोन किया जा चुका है। उन्हें लालच देकर भाजपा में शामिल करवाने की कोशिश की जा रही है। उम्मीदवारों से कहा जा रहा है कि आप छोड़ कर भाजपा में आ जाओ। मंत्री बना देंगे और 15-15 करोड़ देंगे। सोशल मीडिया पर केजरीवाल ने लिखा कि कुछ एजेंसी दिखा रही हैं कि भाजपा की 55 से ज्यादा सीटें आ रही हैं। अगर ज्यादा सीटें आ रहीं हैं तो आप उम्मीदवारों को फोन करने की क्या जरूरत है। सभी सर्वे फर्जी हैं। इसके माध्यम से दिल्ली में माहौल बनाकर आप के उम्मीदवारों को साधने की कोशिश की जा रही है।

आप सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि इस बार भी भाजपा की सरकार नहीं बनेगी। ऐसे में आप को तोड़कर भाजपा सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। आप के सात उम्मीदवारों से भाजपा संपर्क कर 15-15 करोड़ रुपये लेकर पार्टी में शामिल करना चाह रही है। उन्होंने सभी उम्मीदवारों को सचेत रहने की सलाह देते हुए कहा कि भाजपा से जितनी भी कॉल आएं, उनकी रिकॉर्डिंग कर लें। अगर कोई मुलाकात कर पैसे का ऑफर देता है, तो हिडन कैमरे से वीडियो बना लें।

चुनाव आयोग पर राहुल गांधी बड़ा हमला, बोले-वोटर बढ़ाकर महाराष्ट्र चुनाव में धांधली की गई

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कांग्रेस सांसद और लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। राहुल गांधी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले और शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) सांसद संजय राउत के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें चुनाव आयोग के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी। राहुल ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव परिणामों में हेराफेरी की गई है।

5 महीने के अंदर पिछले 5 साल से ज्यादा मतदाता जोड़े गए

राहुल गांधी ने कहा कि हम इस टेबल पर महाराष्ट्र में पिछला चुनाव लड़ने वाले पूरे विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। हम चुनाव के बारे में कुछ जानकारी लाने जा रहे हैं। हमने विवरण का अध्ययन किया है- मतदाताओं और मतदान सूची का। हमारी टीमें काम कर रही हैं। हमें कई अनियमितताएं मिली हैं। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में विधानसभा 2019 और लोकसभा 2024 के बीच पांच साल में 32 लाख नए मतदाता जोड़े गए। लोकसभा 2024 और विधानसभा 2024 के बीच 5 महीने में 39 लाख नए मतदाता जोड़े गए। सवाल ये है कि 5 महीने के अंदर पिछले 5 साल से ज्यादा मतदाता कैसे जोड़े गए? यह हिमाचल प्रदेश के कुल मतदाताओं के बराबर है। दूसरा मुद्दा यह है कि महाराष्ट्र में राज्य की पूरी मतदाता आबादी से ज्यादा मतदाता क्यों हैं? किसी तरह से अचानक ही महाराष्ट्र में मतदाता बनाए गए हैं।

वोटरों की आबादी राज्य की जनसंख्या से अधिक कैसे हो गई?

कांग्रेस सासंद ने कहा कि महाराष्ट्र में व्यस्कों की आबादी 9.54 करोड़ हैं। महाराष्ट्र में वोटरों की आबादी राज्य की जनसंख्या से अधिक कैसे हो गई? वोटर लिस्ट में खामी पाई गई। हम चुनाव आयोग से लोकसभा और विधानसभा चुनाव के अलग-अलग फोटो वोटर लिस्ट चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक बूथ के मतदाता दूसरे बूथ पर स्थानांतरित कर दिए गए हैं। इनमें से ज्यादातर मतदाता दलित समुदायों, आदिवासी समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों से आते हैं।

चुनाव आयोग पर जवाब ना देने का आरोप

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग हमारी शिकायतों पर रिस्पॉन्स नहीं दे रहा है। अब, उनके जवाब न देने का एकमात्र कारण यह है कि उन्होंने जो किया है, उसमें कुछ गड़बड़ है। मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं। मैं यहां स्पष्ट रूप से डेटा प्रस्तुत कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के तीन विपक्षी दल आयोग से पारदर्शिता की अपेक्षा करता है।

महाराष्ट्र में फिर आएगा सियासी भूचाल! उद्धव ठाकरे के खिलाफ 'ऑपरेशन टाइगर'

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महाराष्ट्र में फिर से सियासी खलबली मचने वाली है। महाराष्ट्र में एक और सियासी भूचाल के संकेत दिख रहे हैं। महाराष्ट्र में एक बार फिर उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना गुट के टूटने की चर्चा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से उद्धव ठाकरे गुट समेत महा विकास अघाड़ी के नेताओं में बेचैनी है। इस बीच यह दावा किया जा रहा है कि विपक्षी पार्टी के कई विधायक और सांसद पार्टी छोड़ने के मूड में हैं।

एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने उद्धव सेना में सेंध लगाने के लिए ऑपरेशन टाइगर चलाया है। शिंदे गुट का दावा है कि उद्धव सेना के 6 सांसद जल्द ही शिवसेना में शामिल हो सकते हैं। पिछले दिनों बाल ठाकरे की जयंती पर हुए कार्यक्रम में ये सांसद नदारद थे। हालांकि इन सांसदों के नाम अभी तक स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि कुछ पूर्व विधायक और नेता भी दल बदल सकते हैं।

महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे के कई विधायक, सांसद, पूर्व विधायक एवं पूर्व सांसद डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के संपर्क में हैं। उदय सावंत ने कहा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में जो काम हुआ है उससे लोगों को यह महसूस हो गया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में काम करना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि अगले तीन महीने में जो पूर्व विधायक उद्धव ठाकरे के पार्टी में हैं वे जल्द ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व छोड़कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व को अपना लेंगे।

वित्तमंत्री के बाद आरबीआई आम आदमी पर मेहरबान, महंगी आएमआई से राहत, सस्ते कर्ज का रास्ता हुआ साफ

#rbigavereliefafter56monthsmadehomeloancheaperbycuttinginterest_rates

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ये खबर आम लोगों को खुश करने वाली है। देश के करोड़ों लोगों को सात द‍िन के अंदर दूसरा तोहफा म‍िला है। पहले सरकार ने बजट में बड़ी राहत देते हुए 12 लाख तक की आमदनी को टैक्‍स फ्री क‍िया। अब आरबीआई ने मेहरबानी दिखाई है। रिजर्व बैंक ने आखिरकार मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 12वीं बैठक में रेपो रेट घटा ही दिया। जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार आरबीआई आम आदमी को सस्‍ते लोन का तोहफा देते हुए रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर ही देगा, वैसा ही हुआ।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तरफ से शुक्रवार को ब्याज दर में 25 बेस‍िस प्‍वाइंट कटौती की घोषणा की गई। इसके साथ ही रेपो रेट घटकर 6.25% पर आ गया।आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की पहली एमपीसी मीट‍िंग में ब्‍याज दर कटौती का फैसला करके लोगों को खुश कर द‍िया है। पांच साल में यह पहला मौका है जब र‍िजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती की गई है। इससे पहले मई 2020 में कोरोना महामारी के चलते देश में लॉकडाउन लगा था जब आरबीआई ने ब्याज दरों को घटाने का फैसला लिया था।

सस्ता होगा लोन

5 फरवरी को शुरू हुई तीन द‍िवसीय द्विमासिक समीक्षा के बाद केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को करोड़ों लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट में कमी करने का फैसला क‍िया। रेपो रेट में कटौती होने के बाद उम्‍मीद है क‍ि बैंक होम लोन समेत अलग-अलग तरह के लोन पर ब्‍याज दर में कटौती करेंगे।सेंट्रल बैंक के इस फैसले के बाद बैंकों के लिए होमलोन, कारलोन, एजुकेशन लोन, कॉरपोरेट लोन से लेकर पर्सनल लोन के ब्याज दरों में कटौती करने का रास्ता साफ हो गया है।

कितनी रहेगी ग्रोथ रेट?

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। जबकि पहले 6.6 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। वित्त वर्ष 2025-26 में आरबीआई ने 6.7 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए काम करते रहेंगे। साथ ही सभी इकोनॉमी के स्टेकहोल्डर्स के साथ कंसलटेशन का दौर जारी रहेगा। संजय मल्होत्रा ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती बनी हुई है लेकिन वैश्विक हालात का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है।

महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान

महंगाई को लेकर भी आरबीआई ने अपने अनुमान जारी किए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। वैसे चौथी तिमाही के महंगाई में 10 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया गया है। जिसे पिछले के 4.4 फीसदी से बढ़ाकर 4.5 फीसदी कर दिया है। वहीं वित्त वर्ष 2026 में महंगाई 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। जबकि पहली तिमाही में 4.6 फीसदी रह सकती है। इससे पहले इसमें 4.5 फीसदी का रहने अनुमान जताया जा रहा है। दूसरी तिमाही में 4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया जा रहा है।

बांग्लादेश बार-बार कर रहा शेख हसीना के प्रत्यर्पण की बात, राज्यसभा में विदेश मंत्रालय ने दिया जवाब

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बांग्लादेश की तरफ से बार-बार पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है। भारत फिलहाल इस मामले में कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रहा है। दरअसल, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर पूछे गए एक सवाल का विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में जवाब दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है जिस पर फिलहाल अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर राज्यसभा में सवाल पूछा गया। इस पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री ने जवाब दिया। जवाब में मंत्रालय ने बताया कि बांग्लादेश ने शेख हसीना पर लगे आरोपों का विवरण साझा किया है और उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। हालांकि, भारत सरकार ने इस मांग पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।

इससे पहले बांग्लादेश की तरफ से बताया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत में रहकर की जा रही गतिविधियों पर भारत को अपना विरोध पत्र भेजा है। जिसे ढाका भड़काऊ मानता है। विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि बांग्लादेश ने भारतीय कार्यवाहक उच्चायुक्त को एक विरोध पत्र सौंपा है, जिसमें उन्हें विदेश मंत्रालय में बुलाया गया है। तौहीद ने कहा कि ढाका ने पहले भी नई दिल्ली से हसीना को ऐसी गतिविधियों से दूर रखने का अनुरोध किया था, लेकिन ढाका को नई दिल्ली से कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में भारत के कार्यवाहक उच्चायुक्त के जरिये से गुरुवार को फिर से ऐसे प्रयासों का विरोध किया।

एक सवाल के जवाब में विदेशी सलाहकार ने कहा कि हसीना की हालिया टिप्पणी बहुत आक्रामक थी, जिससे युवा पीढ़ी की भावनाएं आहत हो सकती हैं। हुसैन ने कहा कि हम देखेंगे कि भारत क्या कदम उठाता है। उन्होंने कहा कि ढाका भारत से लगातार अनुरोध करता रहता है कि हसीना ऐसी गतिविधियों से दूर रहें।

बता दें कि बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से ही बांग्लादेशी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अगस्त 2024 से ही भारत में मौजूद है और इस सबके बीच बांग्लादेश की मौजूदा सरकार ने उनके प्रत्यर्पण की मांग जरूर की है लेकिन जिस तरह से भारत सरकार का जवाब आया है वह इस ओर इशारा कर रहा है कि अभी तक शेख हसीना भारत में ही मौजूद हैं और उनके प्रत्यर्पण को लेकर भारत सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से वहां की अंतरिम सरकार ने उनके ऊपर कई केस भी दर्ज किए हैं।