CGMSC घोटाला : ईओडब्ल्यू-एसीबी ने 2 आईएएस अफसरों के खिलाफ सरकार से मांगी जांच की अनुमति
रायपुर- मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ईओडब्ल्यू-एसीबी ने राज्य सरकार से दो आईएएस समेत सीजीएमएससी के छह अफसरों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है. 400 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सीजीएमएससी के सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के ठिकानों पर हाल ही में छापा मारा था. इस छापे के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी ने मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा की गिरफ्तारी की थी. कहा जा रहा है कि छापे में ईओडब्ल्यू-एसीबी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं. इन दस्तावेजों की पड़ताल और शशांक चोपड़ा से प्रारंभिक पूछताछ के बाद कथित तौर पर घोटाले में लिप्त अफसरों की संदिग्घ भूमिका की जांच जरूरी समझी जा रही है. यही वजह है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाने के लिहाज से राज्य सरकार से अनुमति मांगी है.

मंत्रालय के उच्च पदस्थ अफसरों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन दो आईएएस अफसरों के खिलाफ जांच की अनुमति ईओडब्ल्यू-एसीबी ने चाही हैं, उनमें भीम सिंह और चंद्रकांत वर्मा के नाम शामिल हैं. पूर्ववर्ती सरकार में भीम सिंह स्वास्थ्य संचालक और चंद्रकांत वर्मा सीजीएमएससी के एमडी के रुप में कार्यरत थे. तत्कालीन पदों पर रहते हुए उनकी भूमिकाओं को जांच के दायरे में लिया जा सकता है. इसके अलावा सीजीएमएससी के जीएम टेक्निकल बसंत कौशिक, जीएम फाइनेंस मीनाक्षी गौतम, स्टोर इंचार्ज डा. अनिल परसाई, जीएम टेक्निकल इक्विपमेंट कमलकांत पाटनवार, बायमोडिकल इंजीनियर क्षिरौंद्र रावटिया तथा टेंडर एंड परचेसिंग आफिसर अभिमन्यु सिंह के खिलाफ जांच की जा सकती है. माना जा रहा है कि अफसरों से पूछताछ जांच को नई दिशा देगी.

बीते सोमवार को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सीजीएमएससी के सप्लाय मोक्षित कारपोरेशन के रायपुर और दुर्ग के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी. इसके अलावा हरियाणा के पंचकुला में भी दबिश दी गई थी. मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट से ईओडब्ल्यू-एसीबी को सात दिनों की रिमांड मिली है. मोक्षित कारपोरेशन दवा और मेडिकल इक्विपमेंट की एजेंसी है. सीजीएमएससी को यह एजेंसी दवा और मेडिकल इक्विपमेंट की सप्लाई करती थी.

ईओडब्ल्यू-एसीबी की एफआईआर में बताया गया है कि शासन के संज्ञान में लाए बिना लगभग 411 करोड़ रुपए की खरीदी की गई. स्वास्थ्य विभाग और सीजीएमएससी के अफसरों की ओर से रीएजेंट सप्लाई करने वाली कंपनी को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए शासन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. सीजीएमएससी ने खरीदी के लिए केवल 26-27 दिन के अंतराल में ही आदेश जारी किया था. इन रीएजेंट की रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं होने के बावजूद बेधड़क खरीदी की गई. एफआईआर में लिखा गया है कि खरीदी के पहले वास्तविक आवश्यकता का आंकलन किए बगैर खरीदी के लिए मांग पत्र जारी किया गया था. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि पूर्व स्वास्थ्य संचालक ने रीएजेंट की खरीदी के लिए 10 जनवरी 2022 को इंडेंट दिया. इससे पहले न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की गई और न ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया. यानी बिना शासन के संज्ञान में लाए लगभग 411 करोड़ रुपए की लाइबिलिटी शासन के ऊपर निर्मित की गई.

मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर की गई खरीदी

एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ब्लड सैंपल कलेक्शन करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली EDTA ट्यूब को मोक्षित कॉरपोरेशन से 2352 रुपये प्रति नग के भाव से खरीदा गया है, जबकि अन्य संस्थाओं ने इसी सामग्री को अधिकतम 8.50 रुपये (अक्षरी – आठ रुपये पचास पैसा) की दर से क्रय किया. छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रुपये की खरीदी मोक्षित कारपोरेशन और CB कॉरपोरेशन के साथ सांठगांठ करके की है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन ने 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट सिर्फ इसीलिए खरीद लिए ताकि मोक्षित कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास उपलब्ध केमिकल्स की एक्सपायरी डेट नजदीक न आ जाए. छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने मोक्षित कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट खरीदकर राज्य के 200 से भी अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिना मांग के ही भेज दिया. उन स्वास्थ्य केंद्रों में उक्त रिएजेंट को उपयोग करने वाली CBC मशीन ही नहीं थी. रीएजेंट की एक्सपायरी मात्र दो से तीन माह की बची हुई है और रीएजेंट खराब न हो, इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा 600 फ्रिज खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू की. एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि सीजीएमएससी ने ईडीएल दवा और नॉन-ईडीएल/कंज्यूमेबल और टेस्ट किट आइटम/फूड बास्केट/प्रोप्राइटरी और नॉन-प्रोप्राइटरी कंज्यूमेबल आइटम/आयुष दवाइयां/उपकरण सामग्री की आपूर्ति करने और कालातीत औषधियों के निष्कासन के लिए प्रतिष्ठित फर्म से कोटेशन/खरीदी और दर अनुबंध के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निविदा प्रक्रिया 26 अगस्त 2022 के लिए ई-निविदा जारी की गई. इस निविदा के लिए प्री-बिड मीटिंग के लिए 29 अगस्त 2022 निर्धारित किया गया था. इसके बाद 26 सितंबर तक निविदा दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दिए गए थे.

संचालनालय स्वास्थ्य एवं सेवाएं के उप संचालक ने इस जानकारी के बाद सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक को प्री-बिड के आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए यह बताया कि राज्य स्तरीय निरीक्षण और परीक्षण तकनीकी समिति के विषय-विशेषज्ञों के जिलों से प्राप्त स्पेसिफिकेशन का निर्धारण किया गया है, जिसमें कोई बदलाव न करते हुए टेंडर प्रक्रिया को पूर्ण करने का निर्देश दिया गया. इस निविदा के लिए मोक्षित कारपोरेशन, रिकार्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के द्वारा निविदा प्रक्रिया में भाग लिया गया. जिसमें निविदा समिति ने उपकरणों, रिएजेंट, कंज्यूमेबल्स व मशीनों के सीएमसी के एल-1 दर को मान्य किए जाने की अनुशंसा करते हुए मोक्षित कारपोरेशन को 25 जनवरी 2023 को निविदा देने की अनुशंसा की, जो प्रबंध संचालक द्वारा स्वीकृत दी गई.

5 लाख की मशीन को 17 लाख में खरीदा

जांच में यह जानकारी सामने आई कि निर्माता कंपनियां खुले बाजार में जिस सीबीसी मशीन को मात्र 5 लाख रुपये में विक्रय करती हैं, उन्हीं मशीनों को मोक्षित कारपोरेशन ने निविदा के माध्यम से दर अनुबंध करते हुए सीजीएमएससी को 17 लाख रुपये में दिया. सीजीएमएससी द्वारा मशीन एवं उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ ही दर अनुबंध किया जाता है, जबकि मोक्षित कारपोरेशन के पास अस्पताल में उपयोग होने वाले उपकरण बनाने की कोई फैक्ट्री (उत्पादन इकाई) नहीं है और न ही उपकरणों का निर्माण मोक्षित कारपोरेशन द्वारा किया जाता है. इसके बावजूद अपने रसूख और कमीशन के प्रलोभन के दम पर मोक्षित कारपोरेशन ने अधिकारियों से सैटिंग करके अधिकांश दर अनुबंध अपनी कंपनी के नाम पर करवा लिया. एफआईआर में यह लिखा गया है कि CB कारपोरेशन के नाम से संचालित शेल कंपनी भी मोक्षित कारपोरेशन ग्रुप की ही कंपनी है, जिसके नाम पर भी काफी सारे दर अनुबंध करवाए गए. मोक्षित कारपोरेशन ने रिएजेंट और केमिकल्स को अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक के दाम पर दर अनुबंध करवाया. इस प्रकार 750 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदी कर शासन के साथ धोखाधड़ी की गई.

राष्ट्रपति पर सोनिया गांधी की टिप्पणी का मामला : CM साय बोले- पुअर लेडी कहना कतई स्वीकार नहीं, ‘जनजातीय समाज गरीब और बेचारा नहीं,देश की रीढ़ है'

रायपुर- संसद के बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कांग्रेस सुप्रीमो और सांसद सोनिया गांधी के बयान से विवाद खड़ा हो गया है. उन्होंने ने कहा कि “राष्ट्रपति अपने अभिभाषण के अंत में काफी थक चुकी थीं. Poor Lady , मुझे उनके बारे में काफी बुरा लगा.” सोनिया गांधी के इस बयान की मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को अपने बयान के लिए प्रायश्चित करना चाहिए.

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कांग्रेस सुप्रीमो और सांसद सोनिया गांधी का राष्ट्रपति के बारे में दिया बयान निहायत ही आपत्तिजनक और निंदनीय है. देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू न केवल जनजाति समाज की बल्कि समूचे देश की गौरव हैं. उन्हें गरीब और बेचारी कहना, पुअर लेडी कहना कतई स्वीकार नहीं है. 

कांग्रेस कभी भी न तो जनजाति समाज को आगे बढ़ते देखना चाहती है और न ही वह यह सहन कर सकती है कि आदिवासी समाज आगे बढ़े. वह जानबूझकर कर समाज को अपमानित करती रहती है.

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति जी के लिए जिस भाषा का उपयोग किया था, उसे हम दुहरा भी नहीं सकते. पहले तो कांग्रेस ने द्रौपदी मूर्मू को हराने में जी-जान लगा दिया था. जब फिर भी जीत गयीं तो बौखलाहट में लगातार राष्ट्रपति को अपमानित करने का काम करती हैं कांग्रेस. इसे समूचा देश, विशेषकर आदिवासी समाज कभी भी न तो भूलेगा और न ही माफ करेगा.

हम सोनिया जी के इस बयान की कड़ी निंदा करते हैं. सोनिया गांधी को जानकारी नहीं होगी कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति समाज का कितना बड़ा योगदान रहा है. हम गरीब और बेचारे नहीं बल्कि इस देश की रीढ़ हैं. सोनिया गांधी को अपने बयान के लिए प्रायश्चित करना चाहिये.

छत्तीसगढ़ में साल दर साल टूटा धान खरीदी का रिकार्ड : 149 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी, किसानों को 31 हजार करोड़ रुपये का भुगतान

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में इस खरीफ सीजन में भी धान की रिकॉर्ड खरीदी हुई है। धान खरीदी के अंतिम दिन आज शाम 6.45 बजे तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 149 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी हो चुकी है। राज्य के 25 लाख 49 हजार पंजीकृत किसानों ने अब तक धान बेचा है। धान खरीदी के एवज में किसानों को बैंक लिंकिंग व्यवस्था के तहत 31 हजार 89 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी।

खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि धान खरीदी के साथ-साथ कस्टम मीलिंग के लिए तेजी के साथ धान का उठाव किया जा रहा है। अभी तक 121 लाख मीट्रिक टन धान के उठाव के लिए डीओ और टीओ जारी कर दिया गया है। जिसके विरूद्ध 100 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव हो चुका है।

गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा इस खरीफ वर्ष के लिए 27.78 लाख किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया है। इसमें 1.59 लाख नए किसान शामिल है।

हमारी नीति स्पष्ट है-बोली का जवाब बोली से और गोली का जवाब गोली से - मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर-  हमारी नीति स्पष्ट है - बोली का जवाब बोली से और गोली का जवाब गोली से। जो भी नक्सली आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, उनके लिए हमारी सरकार द्वारा बेहतर जीवन और पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जो हिंसा का रास्ता छोड़ गणतंत्र का मार्ग अपनाते हैं, उनका स्वागत है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में लगातार नक्सलियों द्वारा किये जा रहे आत्मसमर्पण पर सुरक्षाबल के जवानों को बधाई देते हुए, उनके अदम्य साहस को नमन करते हुए कहा कि - आज कांकेर जिले में 7 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिन पर कुल 32 लाख रुपए का इनाम घोषित था। इससे पहले नारायणपुर जिले के 27 एवं सुकमा जिले के 52 लाख के ईनामी 9 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। यह हमारी सरकार की प्रभावी आत्मसमर्पण नीति और नक्सलवाद के सफाए के लिए लगातार चलाए जा रहे अभियानों का प्रत्यक्ष परिणाम है।

सीएम साय ने कहा कि अब तक 941 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 1,112 नक्सलियों को हमारे सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया है। नक्सली मुठभेड़ों में 265 नक्सलियों का खात्मा हुआ है। नक्सलवाद की खोखली विचारधारा से त्रस्त होकर और बेहतर जीवन की उम्मीद में नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं। यह इस बात का संकेत है कि नक्सलवाद अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि मैं अपने बस्तर दौरे के दौरान अक्सर आत्मसमर्पित नक्सलियों से मिलता हूं। उनसे बातचीत में यह साफ झलकता है कि खोखली माओवादी विचारधारा को छोड़कर वे आज बेहतर जीवन जी रहे हैं और खुश हैं। घोर नक्सल प्रभावित जिलों के चिन्हित ग्रामों में नक्सल आधार को खत्म करने के लिए शासकीय योजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे और मूलभूत आवश्यकताओं का विकास कर रही है।

विष्णु देव साय ने कहा कि आत्मसमर्पित नक्सलियों और नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए 15 हजार प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए हैं। तय समय-सीमा के भीतर माओवाद के आतंक का अंत होगा। बस्तर में जल्द ही अमन, चैन और शांति का माहौल स्थापित होगा।

IAS नम्रता गांधी जायेंगी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर, कैबिनेट सेक्रेट्रियेट में डिप्टी सेक्रेटरी बनाई गईं, निकाय चुनाव बाद हो सकती है रिलीव

रायपुर- छत्तीसगढ़ कैडर की महिला आईएएस अधिकारी नम्रता गांधी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहीं हैं. उन्हें केंद्रीय कैबिनेट सचिवालय में डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर पोस्टिंग मिली है. नम्रता गांधी को पंचायत चुनाव के बाद रिलीव किए जाने की संभावना है.

यह पोस्टिंग आदेश केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी किया गया है. बता दें कि आईएएस नम्रता गांधी वर्तमान में धमतरी कलेक्टर के पद पर पदस्थ हैं.

देखिये आदेश की कॉपी –

सेंट्रल जीएसटी में सीबीआई का छापा, जांच जारी

रायपुर-  सेंट्रल जीएसटी के राजधानी स्थित कार्यालय में सीबीआई ने दबिश दी है. सीबीआई की कार्रवाई फ़िलहाल जारी है. सीबीआई की यह छापेमार कार्रवाई सेंट्रल जीएसटी के इंफोर्समेंट विंग में की गई है. सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक सीबीआई दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर रही है.

सूत्र बता रहे हैं कि सीबीआई को बड़े लेनदेन की स्पेसिफिक सूचना थी. इस सूचना के आधार पर सीबीआई ने छापा प्लान किया और तय वक्त पर सेंट्रल जीएसटी के दफ्तर में दबिश दी है. बताया जा रहा है कि करीब 20 सदस्यीय सीबीआई की टीम ने इस छापे की कार्रवाई को अंजाम दिया है.

छत्तीसगढ़: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल मानिकपुरी ने दिया इस्तीफा, गुटबाजी और उपेक्षा के लगाए आरोप

मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी-  मोहला_मानपुर जिले के पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष अनिल मानिकपुरी ने 31 जनवरी को कांग्रेस पार्टी से तीन दशक पुराना नाता तोड़ते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उनके साथ कई अन्य कांग्रेस पदाधिकारी, कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि भी पार्टी छोड़ने का कदम उठाए हैं. इस इस्तीफे के साथ उन्होंने पार्टी में गुटबाजी और उपेक्षा के आरोप लगाए हैं.

पार्टी से इस्तीफा देने का कारण

अनिल मानिकपुरी ने अंबागढ़ चौकी नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए टिकट न मिलने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने दो दिन पहले निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया था और आज राजनांदगांव में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की. इस दौरान उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं पर आरोप लगाया कि विधायक के चाटुकारों को पार्टी में महत्व दिया जाता है.

निर्दलीय चुनाव में उतरेंगे अनिल मानिकपुरी

अनिल मानिकपुरी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और अब वे अपनी उम्मीदवारी के साथ जनता के बीच जाएंगे. उन्होंने कहा, “मैं जनता के सामने प्रस्तुत हूं, अब जनता तय करेगी कि मुझे किसे समर्थन देना है.”

तीन दशक का कांग्रेस साथ, अब एक नया मोड़

करीब 36 वर्षों तक कांग्रेस से जुड़े रहे अनिल मानिकपुरी ने पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे पहले भी अंबागढ़ चौकी नगर पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षद रह चुके हैं. उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने कई चुनावों में जीत हासिल की थी, जिनमें विधानसभा और लोकसभा चुनाव शामिल हैं.

कांग्रेस के गढ़ में बढ़ी चुनौती

कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता के पार्टी छोड़ने से मोहला_मानपुर जिले में पार्टी को बड़ा झटका लगा है. अब अंबागढ़ चौकी नगर पंचायत चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है. इस चुनाव में अनिल मानिकपुरी के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है.

कांग्रेस के कई पदाधिकारी भी इस्तीफा देने के साथ

अनिल मानिकपुरी के साथ पार्टी छोड़ने वालों में अंबागढ़ चौकी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मनीष बंसोड़, महामंत्री शमीमुद्दीन कुरैशी, जिला कांग्रेस सचिव तुरित कुमार तिवारी, पूर्व पार्षद जयलाल सिन्हा, महिला कांग्रेस सचिव रेहाना बेगम, और कई अन्य कार्यकर्ता शामिल हैं.

भाजपा को मिलेगा फायदा?

कांग्रेस की मजबूत स्थिति में दरार आने के बाद भाजपा के लिए यह चुनावी मैदान में कदम रखने का अच्छा मौका हो सकता है. पिछले 15 वर्षों से भाजपा अंबागढ़ चौकी नगर पंचायत की सत्ता से दूर रही है, और अब अनिल मानिकपुरी के समर्थन में इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा क्या अपनी स्थिति मजबूत कर पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा.

नगरीय निकाय चुनाव : मुख्यमंत्री साय ने की भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की अपील, दी विकास की गारंटी

रायपुर-  प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया और आगामी नगर निगम चुनावों में महापौर पद और सभी 70 पार्षद प्रत्याशियों को भारी बहुमत से जीताने की अपील की. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने पिछले 13 महीनों में छत्तीसगढ़ में जो विकास कार्य किए हैं, उन्हें प्रदेश की जनता ने देखा है और अब वह भाजपा के पक्ष में खड़ी है.

राजधानी रायपुर के स्व. बलबीरसिंह जुनेजा इनडोर स्टेडियम में आयोजित विशाल भाजपा कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम साय ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद राज्य में गारंटी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं के तहत किसानों को प्रति क्विंटल 3100 रुपये में धान खरीदी, महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं को 1,000 रुपये प्रति माह की सहायता और आदिवासी क्षेत्रों में तेंदूपत्ता की खरीदी दर में बढ़ोतरी जैसे कार्यों का उल्लेख किया.

सीएम ने यह भी बताया कि रायपुर में पिछले एक साल में विकास के कार्य तेजी से हुए हैं, जिनमें स्वामित्व कार्ड योजना, महतारी वंदन योजना और विभिन्न निर्माण कार्य शामिल हैं. उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से आगामी नगर निगम चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान कराने की अपील की और कहा कि रायपुर में अब ‘ट्रिपल इंजन की सरकार’ बनानी है, ताकि विकास की गति और तेज हो सके.

इस सम्मेलन में सीएम साय ने कहा कि खुशी की बात यह रही कि नगर निगम में 2 पार्षद निर्विरोध चुने गए, जबकि 20 नगर पंचायतों में भी बीजेपी के पार्षद निर्विरोध जीते. बसना नगर पालिका अध्यक्ष भी निर्विरोध चुने गए.

प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह और उप मुख्यमंत्री साव ने भरा जोश

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव और उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने भी कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि भाजपा ने कांग्रेस के कुशासन को समाप्त कर छत्तीसगढ़ में विकास की नई राह दिखाई है. रायपुर नगर निगम चुनाव में भाजपा के महापौर प्रत्याशी मीनल चौबे ने भी कांग्रेस शासन के भ्रष्टाचार और विकास में कमी को उजागर करते हुए भाजपा की जीत का विश्वास जताया. कार्यकर्ता सम्मेलन में भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और आमजन मौजूद थे, जिन्होंने भाजपा की योजनाओं और नेतृत्व के प्रति अपना समर्थन जताया.

CGMSC घोटाला : इन अधिकारियों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, DHS की एक स्टॉफ पर अब तक नहीं पड़ी टीम की नजर…

रायपुर- छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच ACB/EOW ने तेज कर दी है. सीजीएमएससी घोटाला मामले की कथित तौर पर लिप्त अधिकारियों को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने पूछताछ के लिए तलब किया है. खबर आ रही है कि सीजीएमएससी की जीएम फाइनेंस मीनाक्षी गौतम, बायोमेडिकल इंजीनियर क्षिरौंद्र रावटिया, जीएम टेक्निकल इक्विपमेंट कमलकांत पाटनवार और टेंडर एंड परचेसिंग ऑफिसर अभिमन्यु सिंह से ईओडब्ल्यू-एसीबी की पूछताछ चल रही है.

ACB/EOW ने कल देर रात तक बसंत कौशिक को पूछताछ के लिए तलब किया था. उन्हें तीन दिन का समय देकर दस्तावेजों के साथ फिर से दफ्तर बुलाया है. मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा 7 दिनों के पुलिस रिमांड पर है. आरोपी के सामने अधिकारियों को बैठाकर ACB/EOW की टीम पूछताछ कर रही है. मामले में अधिकारियों का बयान दर्ज किया जा रहा है. इस घोटाले के संबंध में अन्य अधिकारियों को तलब कर सकती है.

स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि इस मामले में डीएचएस में पदस्थ एक स्टॉफ भी जांच के दायरे में है. इस स्टॉफ का काम ये होता था मोक्षित कार्पोरेशन के पास मौजूद उपकरण और दवाईयों का ऑर्डर दिलवाने के लिए डॉक्टरों को संपर्क करती थी और उन्हें इसे डिमांड करने के लिए कहती थी. हालांकि इसकी जानकारी अब तक कार्रवाई करने वाली टीम तक नहीं पहुंची है.

दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल

लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया. जिस हॉस्पिटल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं वहां भी सप्लाई कर दिया गया. प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.

स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के खिलाफ भी दर्ज है मामला

ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है. एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है. इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं. चर्चा है कि इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी. ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई.

चुनाव से फुर्सत पाकर मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों संग जायेंगे महाकुंभ, 13 फरवरी को संगम में लगायेंगे डुबकी

रायपुर-   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत तमाम कैबिनेट मंत्री 13 फरवरी को महाकुंभ स्नान के लिए जायेंगे। प्रयागराज में शामिल होकर पवित्र स्नान करेंगे। वहीं इसको लेकर गृहमंत्री विजय शर्मा बताया कि, सीएम से हम सभी ने आग्रह किया है।

जैसे हम सभी को सीएम साय अयोध्या राम लला दर्शन के लिए गए थे वैसे ही जल्द महाकुम्भ भी ले जायेंगे। गृहमंत्री शर्मा ने  कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि, जिसकी जैसी भावना होती है उसको वैसा दिखाई देता है।  उनके हृदय में आखन्ट भ्रष्टाचार घोटाले की भावना है इसलिए कांग्रेस को ऐसा ही दिखता है।

144 वर्षों बाद ऐसा महाकुंभ हुआ है संस्कृति का बड़ा आधार स्तंभ रहा है। इसलिए हम लोग पवित्र स्नान करने जा रहे हैं। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा था कि, पाप ज्यादा हो गया इसलिए पाप धोने जा रहे हैं।