प्रत्याशियों के नाम वापसी पर बिफरे कांग्रेसी, निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के सामने भिड़े भाजपाइयों से…
रायगढ़- नगरीय निकाय चुनाव में आज नामांकन वापसी के अंतिम दिन रायगढ़ जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने धमाल मच गया. एक के बाद एक पार्टी प्रत्याशियों के नामांकन वापस लेने से नाराज कांग्रेसियों ने भाजपाइयों से गाली-गलौच करते हुए धक्का-मुक्की तक कर डाली, बस मारपीट करना ही बाकी रह गया था.
रायगढ़ नगर निगम के 48 वार्डों में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन ऐन मतदान के पहले कांग्रेस के दो प्रत्याशी मैदान छोड़कर भाजपा प्रत्याशियों को वाकओवर दे चुके हैं. तीसरा प्रत्याशी भी अपना नामांकन वापसी लेने की तैयारी में था, लेकिन निर्वाचन कार्यालय में कांग्रेसियों के हंगामा बरपाने पर वह चुपचाप लौट गया.
प्रत्याशियों के नाम वापस लेने पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला, प्रदेश महामंत्री राकेश पाण्डेय के अलावा अन्य कांग्रेसियों ने रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय के सामने न केवल नारेबाजी की बल्कि भाजपाइयों से झड़प करते हुए गाली गलौज, धक्का-मुक्की तक कर दिए. बस मारपीट होते-होते बची.
पुलिस की भूमिका पर सवाल
इस पूरे माहौल को वहां मौजूद पुलिस कर्मियों ने भी देखा, लेकिन किसी ने भी न तो कांग्रेसियों को और न ही भाजपाइयों को रोका. उल्टे दोनों पार्टी के नेताओं को समझाते हुए कलेक्टर कार्यालय से बाहर लाते दिखाए दिए. कायदे से नगरीय निकाय चुनाव को लेकर जारी आचार संहिता का खुला माखौल उड़ाने वाले भाजपा व कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई की जाती, लेकिन किसी ने उन्हें रोका तक नहीं.
भनक लगते पहुंचे पदाधिकारी
नामांकन वापसी के अंतिम दिन अंतिम समय पर वार्ड नं. 23 से कांग्रेस प्रत्याशी शरद महापात्रे अपना नामांकन वापस लेने पहुंचे थे. इसकी भनक कांग्रेस के बड़े पदाधिकारियों को लग गई, और देखते ही देखते बड़े पदाधिकारी वहां पहुंच गए, और जमकर हंगामा मचाया.
एसडीएम ने कहा – होगी कार्रवाई
निर्वाचन कार्यालय के सामने हुई गाली-गलौज व झड़प के मामले में रायगढ़ एसडीएम प्रवीण तिवारी से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच होगी, और जरूरत पड़ी तो संबंधित नेताओं पर कार्रवाई भी की जाएगी.
कांग्रेस को झटका : नगर पंचायत के पार्षद ने दिया इस्तीफा, वंशवाद और गुटबाजी से आहत होकर पार्टी से तोड़ा नाता
रायगढ़- छत्तीसगढ़ कांग्रेस में असंतोष की लहर गहराती जा रही है. पार्टी को उस समय बड़ा झटका लगा जब घरघोड़ा नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद और ब्लॉक कांग्रेस के महामंत्री नीरज शर्मा ने प्राथमिक सदस्यता सहित समस्त दायित्वों से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को भेजे अपने त्यागपत्र में संगठन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में अब उनके अनुभव और निष्ठा का सम्मान नहीं किया जा रहा है.
पार्टी में मेरी अब आवश्यकता नहीं : नीरज शर्मा
नीरज शर्मा का परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस की सेवा करता आ रहा है. उन्होंने अपने त्यागपत्र में उल्लेख किया कि उनके दादा स्व.हरिराम शर्मा घरघोड़ा नगर पंचायत के प्रथम मनोनीत अध्यक्ष थे और उनके पिता स्व. सुरेंद्र शर्मा भी कांग्रेस संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं. नीरज शर्मा स्वयं वर्ष 2003 से पार्षद पद पर कार्यरत हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने उन्हें आहत किया है.
उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “लंबे समय तक पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण के बावजूद मेरे अनुभव की अनदेखी की गई और टिकट काट दिया गया. इससे मुझे गहरा धक्का लगा है. कांग्रेस में वंशवाद, आंतरिक गुटबाजी और अहंकार हावी होता जा रहा है, जिससे समर्पित कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है.”
जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए लिया बड़ा फैसला
नीरज शर्मा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह निर्णय केवल व्यक्तिगत असंतोष के कारण नहीं, बल्कि जनता की भावनाओं और आत्मसम्मान को ध्यान में रखते हुए लिया है. उन्होंने कहा कि संगठन में व्याप्त आंतरिक खींचतान और वंशवादी राजनीति से उनका विश्वास उठ गया है, जिसके चलते अब वे कांग्रेस से पूर्ण रूप से अलग हो रहे हैं.
जनता की मांग पर निर्दलीय चुनाव में उतरकर बिगाड़ा गणित
नीरज शर्मा के इस्तीफे के बाद घरघोड़ा नगर पंचायत में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते नजर आ रहे हैं. वार्ड क्रमांक 10 में उनकी मजबूत पकड़ है. वर्षों से पार्षद रहते हुए उन्होंने वार्ड के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों में उनकी अच्छी छवि बनी हुई है. उनकी सुलभता, सक्रियता और वार्डवासियों की समस्याओं के समाधान की प्रतिबद्धता के कारण जनता का एक बड़ा वर्ग उनके समर्थन में नजर आ रहा है. जनता की मांग और समर्थन को देखते हुए नीरज शर्मा निर्दलीय ही मैदान में उतर गए हैं जिससे दोनों पार्टी प्रत्याशियों के लिए खासी मुश्किल खड़ी हो गयी है .
राजनीतिक हलचल तेज, आगामी कदम पर नजर
शर्मा के इस्तीफे से घरघोड़ा की राजनीति में हलचल मच गई है. स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले एक मजबूत कांग्रेस नेता का पार्टी छोड़ना, संगठन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शर्मा का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा—क्या वे किसी अन्य दल का दामन थामेंगे, या फिर स्वतंत्र रूप से जनता की सेवा करेंगे? वहीं कांग्रेस नेतृत्व इस क्षति की भरपाई कैसे करेगा, यह भी एक अहम सवाल है.
राजनीतिक गलियारों में इस इस्तीफे को कांग्रेस की गिरती साख और आंतरिक कलह के संकेत के रूप में देखा जा रहा है. क्या यह सिर्फ एक नेता की विदाई है या पार्टी के भीतर व्यापक असंतोष की आहट ? आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट होगी.
छत्तीसगढ़ में HMPV वायरस की दस्तक : तीन साल के बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप, दो जिलों में जारी किया अलर्ट
रायपुर- छत्तीसगढ़ में HMPV वायरस ने दस्तक दे दी है. बिलासपुर संभाग में तीन साल के बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. इससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में HMPV का यह पहला मामला है. कोरबा जिले का बच्चा HMPV से संक्रमित मिला है. वह 27 जनवरी से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल के आईसीयू में भर्ती है. उनका इलाज जारी है. बच्चा स्वस्थ है. उसे डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. वहीं बिलासपुर और कोरबा जिले में अलर्ट जारी कर दिया गया है.
बच्चे को सर्दी, खांसी और बुखार की थी शिकायत
बिलासपुर के जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर प्रमोद तिवारी ने बताया कि कोरबा जिले के निवासी एक व्यक्ति का तीन वर्षीय बेटा सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित था. जब उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो 27 जनवरी को उसे बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया. बच्चे में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस संक्रमण की संभावना को देखते हुए उसका सैंपल रायपुर के एम्स में जांच के लिए भेजा गया था.
जांच रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि बच्चा HMPV से संक्रमित है. संक्रमित बालक को अस्पताल में अन्य मरीजों से अलग रखते हुए आईसीयू में भर्ती किया गया है, जहां शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुशील कुमार की देखरेख में उसका इलाज किया जा रहा है.
रायपुर एम्स रेफर करने की तैयारी
सीएमएचओ डॉक्टर तिवारी ने बताया कि बच्चे की हालत में कोई विशेष सुधार नहीं हो रहा है. उसे बेहतर इलाज के लिए एम्स, रायपुर भेजने पर विचार किया जा रहा है. कोरबा जिले में सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित लोगों का सर्वे करा रहे हैं. पीड़ित बच्चे के परिवार के तीन अन्य बच्चों को भी निगरानी में रखा गया है, लेकिन उनमें से किसी में भी संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए हैं.
जवानों ने नक्सलियों के नापाक मंसूबों पर फेरा पानी, अलग-अलग जगहों से IED किया बरामद
गरियाबंद- मैनपुर थाना क्षेत्र में जवानों ने नक्सलियों के मंसूबों पर पानी फेरते हुए अलग-अलग जगहों से आईईडी (Improvised Explosive Devices) बरामद कर निष्क्रिय किया है. इस दौरान बीजीएल राउण्ड, इलेक्ट्रानिक डेटोनेटर, कैंची समेत कई नक्सल बरामद किया है.
दरअसल, ग्राम भालूडीग्गी और बेसराझर के जंगलों में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर जिला बल गरियाबंद टीम ई-30 और 65 वाहिनी सीआरपीएफ की संयुक्त टीम को रवाना किया गया था. सर्चिंग के दौरान अलग-अलग जगहों पर सुरक्षा बल बी.डी.एस टीम ने आईईडी को बरामद कर सुरक्षित रूप से नष्ट किया.
सुरक्षाबलों ने सर्चिंग के दौरान जंगल में बीजीएल राउंड, इलेक्ट्रानिक डेटोनेटर, बैटरी, सोलर प्लेट, नक्सली दस्तावेज, नक्सली वर्दी, वायर, बेटरी, स्वीच, कैंची, कुल्हाड़ी जैसे अन्य समाग्री बरामद किया है.
आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की बर्खास्तगी पर सुनवाई : हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा –
बिलासपुर- हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की बर्खास्तगी को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की इच्छा के अधीन नियुक्त व्यक्तियों को किसी भी समय बिना नोटिस, कारण या सुनवाई के हटाया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं ने राज्य में नई सरकार द्वारा अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए अर्जी दाखिल की थी, जिसे खारिज कर दिया गया है. मामले की सुनवाई जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की सिंगल बेंच में हुई।
इस मामले में चार याचिकाकर्ता भानु प्रताप सिंह (अध्यक्ष), गणेश ध्रुव, अमृत लाल टोप्पो और अर्चना पोर्टे (सदस्य) शामिल थे, जिन्हें 16 जुलाई 2021 को पिछली सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में नियुक्त किया था. ये नियुक्तियां छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2020 की धारा 3 के तहत हुई थी, जिसमें कहा गया है कि अध्यक्ष और सदस्य “राज्य सरकार की इच्छा के अधीन” पद पर रहेंगे. हालांकि 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार ने 15 दिसंबर 2023 को एक आदेश जारी कर राजनीतिक नियुक्तियों को हटाने का निर्देश दिया. इसी आदेश के तहत याचिकाकर्ताओं को भी उसी दिन बिना कोई नोटिस या सुनवाई के उनके पद से हटा दिया गया.
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “नामित सदस्य को पद पर बने रहने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. यदि नियुक्ति नामांकन द्वारा हुई है तो सरकार को अधिकार है कि वह ऐसी नियुक्ति को अपनी इच्छा पर समाप्त कर सके. हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, सरकार की इच्छा के अधीन पदधारी को किसी भी समय, बिना नोटिस, बिना किसी कारण और बिना किसी कारण की आवश्यकता के हटाया जा सकता है.
बिजली तार की वजह से हाथियों की मौत पर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, ऊर्जा विभाग के सचिव से शपथ पत्र में मांगा जवाब…
बिलासपुर- बिजली के तारों के कारण हाथियों की मौत के मामले में हाई कोर्ट में शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के सचिव से व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब मांगा है.
रायगढ़ वन प्रभाग के चुहकीमार जंगल में तीन मादा हाथियों, जिनमें एक शावक भी शामिल था, की मौत ढीले पड़े 11 केवी तार के संपर्क में आने से हो गई थी. यह खबर मीडिया में आने के बाद हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस पूरे मामले में शुक्रवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बैंच में सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने के बाद हुई हाथी की मौत के मामले में एक किसान पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दी. वहीं कोर्ट ने अधिकारियों पर जांच कार्रवाई के बारे में भी पूछा.
सुनवाई के दौरान यह तथ्य निकलकर आया कि एक याचिका में बिजली तारों की ऊंचाई को बढ़ाने का आदेश दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि 14 से बढ़ाना 20 फीट करना किस विभाग की जिम्मेदारी है..? इसके बाद बैंच ने इस मामले में ऊर्जा सचिव और सीएसपीडीसीएल के प्रबंध निदेशक को नोटिस कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
OBC आरक्षण पर सुनवाई : हाईकोर्ट ने सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से मांगा जवाब, हफ्तेभर का दिया समय, जानिए पूरा मामला…
बिलासपुर- पंचायत चुनाव में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण को लेकर दाखिल याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. यह याचिका ग्राम पंचायत घुटुरकुंडी, जनपद पंचायत पंडरिया, जिला कबीरधाम के निवासी हेमंत कुमार साहू ने अपने अधिवक्ताओं वैभव पी. शुक्ला और आशीष पाण्डेय के माध्यम से दायर की थी.
याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष यह मुद्दा उठाया कि पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के लिए जो संशोधित नियम बनाए गए हैं, उनमें प्रत्येक ब्लॉक में ओबीसी वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है. अधिवक्ता वैभव पी. शुक्ला ने तर्क दिया कि राज्य सरकार के पास ओबीसी जनसंख्या के सही आंकड़े उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बिना सटीक आंकड़ों के आरक्षण का आवंटन करना संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा.
जवाब आने के बाद होगी अगली सुनवाई
इस मामले को जस्टिस बी. डी. गुरु ने गंभीरता से लेते हुए याचिका स्वीकार की और राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस मामले की सुनवाई के बाद यह स्पष्ट होगा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर पंचायत चुनावों में किस तरह का बदलाव किया जाएगा. यदि अदालत सरकार के तर्कों को अस्वीकार करती है तो आरक्षण निर्धारण प्रक्रिया में संशोधन संभव है. यह फैसला प्रदेश के पंचायत चुनावों के आरक्षण प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है. राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग की ओर से जवाब दाखिल किए जाने के बाद मामले की अगली सुनवाई तय की जाएगी.
निकाय चुनाव : भाजपा के बागी प्रत्याशी ने वापस लिया नाम, कहा – शुरू से ही भाजपा में थे और आगे भी रहेंगे…
गरियाबंद- नगर पालिका अध्यक्ष पद से भाजपा के बागी प्रत्याशी प्रशांत मानिकपुरी ने नाम वापस ले लिया. मानिकपुरी ने कहा कि वे प्रारंभ से ही भाजपा में थे और आगे भी रहेंगे. मित्रों और शुभचिंतकों के आग्रह पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर नाम वापस ले लिया है. इस दौरान विधायक रोहित साहू, जिला भाजपा अध्यक्ष अनिल चंद्राकर और पूर्व अध्यक्ष राजेश साहू मौजूद रहे.
गरियाबंद में भाजपा ने 24 घंटे के अंदर अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को लेकर चौंकाने वाला फैसला लिया था. पहले घोषित किए उम्मीदवार प्रशांत मानिकपुरी का नाम वापस लेकर पार्टी ने रिखी राम यादव को उम्मीदवार बनाया. इस बदलाव के पीछे कार्यकर्ताओं की नाराजगी और पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी को बड़ी वजह मानी जा रही. इसके बाद प्रशांत मानिकपुरी ने भाजपा से बागी होकर नामांकन दाखिल कर दिया था, अब वे वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर नाम वापस ले लिया है.
CGMSC घोटाला : ACB/EOW ने जांच की तेज, 6 अधिकारियों से पूछताछ की सरकार से मांगी अनुमति
रायपुर- छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन (CGMSC) में करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच ACB/EOW ने तेज कर दी है. हाल ही में ACB ने CGMSC के सबसे बड़े सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया था. जिसे कोर्ट ने 4 फरवरी तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है. ACB/EOW की टीम आरोपी से पूछताछ कर रही है. वहीं जांच का दायरा बढ़ाते हुए ACB/EOW ने 6 अधिकारियों से पूछताछ के लिए राज्य सरकार से नियम 17 ए के तहत अनुमति मांगी है.
इन 6 अधिकारियों से हो सकती है पूछताछ
ACB/EOW अधिकारी ने मीनाक्षी गौतम, वसंत कौशिक, डॉ. अनिल परसाई, क्षिरौंद्र रावटिया, कमलकांत पाटनवार और आनंद राव के नाम पूछताछ के लिए भेजे हैं. सभी अधिकारी CGMSC में डेपुटेशन पर तैनात रहे हैं या वर्तमान में पोस्टेड हैं.
दो साल के ऑडिट में खुली थी पोल
लेखा परीक्षा की टीम की ओर से CGMSC की सप्लाई दवा और उपकरण को लेकर वित्त वर्ष 2022-24 और 2023-24 के दस्तावेज को खंगाला गया तो कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी, जिसे ऑडिट टीम ने पकड़ लिया था. ऑडिट में पाया गया है कि पिछले दो सालों में आवश्यकता से ज्यादा खरीदे केमिकल और उपकरण को खपाने के चक्कर में नियम कानून को भी दरकिनार किया गया. जिस हॉस्पिटल में जिस केमिकल और मशीन की जरूरत नहीं वहां भी सप्लाई कर दिया गया. प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों सप्लाई की गई, जिनमें से 350 से अधिक ही प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिसमें कोई तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी. ऑडिट टीम के अनुसार DHS ने स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं में बेसलाइन सर्वेक्षण और अंतर विश्लेषण किए बिना ही उपकरणों और रीएजेंट मांग पत्र जारी किया था.
स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों के खिलाफ भी दर्ज है मामला
ईओडब्ल्यू ने अपनी एफआईआर में स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ भी अपराध दर्ज किया है. एफआईआर में स्वास्थ्य संचालक और सीजीएमएससी की एमडी पर गंभीर टिप्पणी की गई है. इस एफआईआर के बाद यह माना जा रहा है कि जांच की जद में कई आला अफसर आ सकते हैं. चर्चा है कि इस घोटाले में शामिल रहे लोगों की जल्द गिरफ्तारियां होंगी. ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि अफसरों की मिलीभगत से सरकार को अरबों रुपए की चपत लगाई गई.
NIA ने गिरफ्तार किए दो ओवर ग्राउंड नक्सली, विस चुनाव के दौरान हुए आईडी विस्फोट में थी भागीदारी…
गरियाबंद- एनआईए ने दो ओवर ग्राउंड नक्सलियों को गिरफ्तार किया है. आरोपी धनेश ध्रुव उर्फ गुरुजी और रामस्वरूप मरकाम ने विधानसभा चुनावों के दौरान गरियाबंद जिले के बड़े गोबरा गांव में 17 नवंबर 2023 को आईडी विस्फोट को अंजाम देने वाले नक्सलियों का सहयोग किया था.
नक्सलियों ने यह विस्फोट उस समय किया था, जब मतदान दल, सुरक्षाकर्मियों के साथ मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद बड़े गोबरा गांव से लौट रहा था. घटना में आईटीबीपी का एक हेड कांस्टेबल शहीद हुआ था.
एनआईए की जांच के अनुसार, राज्य में विधानसभा चुनावों के बहिष्कार के आतंकवादी संगठन के आह्वान के बाद सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति के सदस्य गणेश उइके और मनोज और विशेष क्षेत्रीय समिति के सदस्य सत्यम गावड़े ने हमले की योजना बनाई थी. बड़े गोबरा और छोटे गोबरा गांवों के ओजीडब्ल्यूएस के समर्थन से सीपीआई (माओवादी) के गोबरा दलम के कैडरों ने विस्फोट किया था.
शुरू में मैनपुर थाने में दर्ज मामला 22 फरवरी 2024 को एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया था. एजेंसी ने दिसंबर 2024 में आरसी-05/2024/एनआईए-आरपीआर मामले में 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें जांच जारी है.
Jan 31 2025, 17:55