रांची में हुए प्रदर्शन को लेकर भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द,
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई विरोध प्रदर्शन पर निषेधाज्ञा लागू करना गलत है
झा. डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2023 में रांची में हुए प्रदर्शन को लेकर भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द करने के हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देनेवाली झारखंड सरकार की एसएलपी पर सुनवाई की.
जस्टिस अभय एस ओका व जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने पक्ष सुनने के बाद अपील खारिज करते हुए कहा कि वह झारखंड हाइकोर्ट के 14 अगस्त 2024 के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती. शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि आज कल जब भी कोई विरोध प्रदर्शन होता है, तो निषेधाज्ञा लागू करने का चलन बन गया है.
अगर हम हस्तक्षेप करते हैं, तो इससे गलत संदेश जायेगा. अगर कोई प्रदर्शन करना चाहता है, तो सीआरपीसी की धारा 144 के तहत आदेश जारी करने की क्या जरूरत है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सीआरपीसी की धारा-144 का दुरुपयोग किया जा रहा है. वहीं झारखंड सरकार की ओर से पेश वकील ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद आरोपियों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जो हिंसक हो गया और प्रशासनिक अधिकारियों सहित कई लोग घायल हो गये थे.
हाइकोर्ट ने गलत निष्कर्ष निकालते हुए कहा है कि उन्हें विरोध करने का अधिकार है. वकील ने कहा कि प्रदर्शन हिंसक हो गया और पथराव किया गया. भाजपा नेताओं ने 11 अप्रैल 2023 को रांची में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें 5,000 से अधिक लोगों ने उस समय भाग लिया, जब सीआरपीसी की धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू थी. उल्लेखनीय है कि झारखंड हाइकोर्ट ने वर्ष 2024 के अगस्त माह में भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करते हुए कहा था कि शांतिपूर्ण विरोध और प्रदर्शन आदि करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) व 19(1)(बी) के तहत प्रदत्त लोगों का मौलिक अधिकार है. हाइकोर्ट के आदेश को झारखंड सरकार की अोर से चुनाैती दी गयी थी.
Jan 28 2025, 18:04