क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम? भारत के इस शहर में फैली ऐसी बीमारी
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पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम नाम की बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। स्वास्थ्य महकमे से लेकर आम लोग इसको लेकर तनाव में हैं। पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम के 24 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार एक्शन मोड में नजर आ रही है। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने इस बीमारी के मामलों में अचानक वृद्धि की जांच के लिए एक टीम गठित की है।सभी के ब्लड सैंपल आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ( एनआईवी) में जांच के लिए भेजे गए है।
राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों के नमूने जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (आईसीएमआर-एनआईवी) को भेजे हैं। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इनमें से अधिकतर मामले शहर के सिंहगढ़ रोड इलाके से सामने आए। चिकित्सकों के अनुसार, गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ विकार है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं।
दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में मेडिसिन विभाग में डॉ अजीत कुमार बताते हैं कि यह न्योरोलॉजिक बीमारी है। जो लाखों में किसी एक मरीज में होती है। स्वाइन फ्लू के तरह इस बीमारी के लक्षण होते हैं। जिसमें सर्दी, जुकाम और तेज बुखार आता है। इस बीमारी में शरीर की इम्यूनिटी ही नसों पर हमला करने लगती है। यह एक अस्थायी बीमारी है, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकती है। इससे संक्रमित होने पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमज़ोरी, दर्द होने लगता है। अगर ये कंट्रोल न हो तो ब्रेन पर भी असर हो सकता है।
इस बीमारी से ठीक होने में लगने वाला समय अलग-अलग होता है, ज़्यादातर लोग कुछ हफ़्तों से लेकर महीनों में ठीक हो जाते हैं। लगभग 80% लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि 15% में कमज़ोरी रह सकती है और 5% को गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। समय रहते इलाज ही इसका उपाय है।
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