चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान बना रहा, हमें 14 साल में 40 तेजस भी नहीं मिले”, वायुसेना प्रमुख ने जताई चिंता
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चीन ने पिछले महीने छठीं पीढ़ी के दो स्टेल्थ लड़ाकू विमानों का प्रदर्शन किया है। शेन्यांग शहर के ऊपर एक छोटे विमान की पहली परीक्षण उड़ान देखी गई। इसी दिन चेंगदू में भी तीन इंजन वाले डायमंड विंग के आकार के पंखों वाला विमान आसमान में देखा गया। इन विमानों की ताकत पर दुनियाभर के रक्षा विशेषज्ञ बात कर रहे हैं तो साथ ही इनके डिजाइन की भी चर्चा है। बीच भारतीय वायुसेना के चीफ एपी सिंह ने चीन के छठी पीढ़ी लड़ाकू विमान को लेकर चिंता जाहिर की है।एयर फोर्स चीफ ने कहा कि ऐसे समय में उत्पादन के पैमाने में इजाफा करना होगा, जब चीन जैसे भारत विरोधी देश लगातार अपनी हवाई ताकत को बढ़ा रहे हैं।
चीन ने छठी पीढ़ी का फाइटर जेट भी बना लिया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। बेहद एडवांस तकनीक वाले जे-36 फाइटर जेट की बदौलत उसकी वायुसेना की क्षमता बेहद बढ़ गई है, जो भारत के लिए बड़ा खतरा है। इसके उलट भारतीय वायुसेना अपने आधुनिकीकरण में लगातार पिछड़ रही है। इसे लेकर भारतीय वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल एपी सिंह ने चिंता जताई है। उन्होंने साल 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए मंजूर किए गए स्वदेश निर्मित तेजस फाइटर जेट्स का 40 विमानों का पहला बैच भी आज तक नहीं मिलने का जिक्र किया है।
वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने कहा कि 'साल 2016 में हमने तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। साल 1984 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। इसके 17 साल बाद वायुयान ने उड़ान भरी। इसके 16 साल बाद तेजस को वायुसेना में शामिल करने की शुरुआत हुई। आज हम 2025 में हैं और हमें अभी भी पहले 40 विमानों का इंतजार है। ये हमारी उत्पादन क्षमता है।'
एयर मार्शल एपी सिंह ने कहा कि 'हमें प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत है और हमारे पास कई स्त्रोत होने चाहिए, ताकि लोगों को यह डर रहे कि उनका ऑर्डर छिन भी सकता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात नहीं बदलेंगे।' उन्होंने कहा कि 'क्षमता निर्माण बेहद अहम है। उत्पादन इकाइयों को आधुनिक उत्पादन प्रक्रिया में निवेश बढ़ाना चाहिए और साथ ही अपने कार्यबल को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
पिछले कई वर्षों में लगातार मिग-21 क्रैश होने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते इसे ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा है। एपी सिंह ने कहा कि उत्पादन एजेंसियों को अपनी तकनीकी क्षमताओं में और इजाफा करने के लिए निवेश की जरूरत है। कुछ और निजी एजेंसियों को रक्षा उपकरणों के निर्माण में शामिल करना होगा। आज के दौर में दुनिया के कई देश लगातार अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहे हैं। हमें भी और विकल्पों को तलाशने की जरूरत है। एपी सिंह ने कहा कि जो कंपनियां रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में देरी कर रही हैं, उनके ऑर्डर कैंसिल कर देने चाहिए, ताकि दूसरी एजेंसियां भी सतर्क रहें।
भारत के तेजस लड़ाकू विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं और उनमें ही काफी देरी हो रही है। वहीं चीन ने अपने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। यही वजह है कि वायुसेना प्रमुख ने देरी पर चिंता जताई है।
Jan 09 2025, 12:01