राजस्थान: पूर्व सीएम वसुंधरा के काफिले की गाड़ी पलटी, 6 पुलिसकर्मी घायल

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काफिले की गाड़ी पलट गई है. इस हादसे में 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. जैसे ही इस बात की जानकारी वसुंधरा को लगी तो उन्होंने काफिले के पास जाकर सभी को हॉस्पिटल के लिए रवाना किया साथ ही स्थानीय विधायक ने हॉस्पिटल पहुंचकर घायलों को हाल चाल जाना है. प्राथमिक उपचार के बाद पुलिकर्मियों को छुट्टी कर दी गई है. वसुंधरा पाली जिले के बाली तहसील के मुंडारा गईं थीं वहीं से लौटते वक्त यह हादसा हुआ है.

जानकारी के मुताबिक राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अपने काफिले के साथ पाली जिले की बाली तहसील के मुंडारा गांव गईं थीं. वह मंत्री ओटाराम देवासी के घर गईं थीं. कुछ दिन पहले ओटाराम देवासी की माता का निधन हो गया था. उन्हें सांत्वना देने और उनके दुख में शामिल होने के लिए वसुंधरा रविवार को उनके घर पहुंची थीं. जब वह मंत्री ओटाराम के घर से लौट रहीं थी तभी उनके काफिले की एक गाड़ी अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गई.

काफिले के साथ चल रही पुलिस जीप पलट गई. इसमें वसुंधरा की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी बैठे हुए थे. जीप पलटने के बाद काफिला रुक गया और इसकी जानकारी वसुंधरा को दी गई. वसुंधरा तुरंत अपनी गाड़ी से उतरकर घायल पुलिसकर्मियों के पास पहुंची और मौके पर एंबुलेंस बुलाई. वसुंधरा ने सभी घायल पुलिसकर्मियों को एंबुलेंस में बिठाकर हॉस्पिटल के लिए रवाना किया. जो पुलिसकर्मी इस हादसे में घायल हुए हैं उनके नाम हैं रुपाराम, भाग, चंद, सूरज, नवीन और जितेंद्र घायल हुए हैं.

विधायक को साथ पहुंचाया

वसुंधरा राजे ने तुरंत घायल पुलिसकर्मियों को हॉस्पिटल भेजने का प्रबंध किया और घायलों से बात की. उन्होंने घायलों के सही से इलाज के लिए राजकीय चिकित्सालय बाली भेजा. उन्होंने बाली विधायक पुष्पेंद्र सिंह को उनके साथ भेजा. पुलिसकर्मियों के प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है.

कश्मीरी आतंकवादी जावेद मुंशी को पश्चिम बंगाल से किया गया गिरफ्तार, तहरीक-ए-मुजाहिदीन से जुड़ाव के आरोप में।

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के कैनिंग से संदिग्ध कश्मीरी आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने इस सख्स को उग्रवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. कश्मीर और कोलकाता पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में यह गिरफ्तारी हुई है. रविवार को संदिग्ध आतंकी को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट कश्मीर में प्रतिबंधित ‘तहरीक-ए-मुजाहिदीन’ संगठन के संदिग्ध सदस्य जावेद मुंशी को जम्मू-कश्मीर पुलिस की मांग के अनुसार 31 दिसंबर तक ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया.

पुलिस ने संदिग्ध आतंकी को कैनिंग स्थित उसके रिश्तेदार के घर गिरफ्तार किया. संदिग्ध आरोपी का नाम जावेद मुंशी है. वर्तमान में वह कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ है. उसका नाम जम्मू-कश्मीर पुलिस की वांटेड लिस्ट में भी है. पुलिस का मानना ​​है कि जावेद की आतंकी गतिविधि घाटी से चल रही थी.

कश्मीर पुलिस को गुप्त सूत्रों से श्रीनगर निवासी जावेद के बंगाल आने की जानकारी मिली. लेकिन ये सब अटकलें थीं, जो जावेद की ट्रेस लोकेशन हासिल करने के लिए हकीकत बन गई. कश्मीर पुलिस ने सैटेलाइट लोकेशन के जरिए जावेद को कश्मीर से सीधे बंगाल के कैनिंग तक ढूंढ निकाला. इसके बाद कोलकाता पुलिस से संपर्क किया गया.

श्रीनगर पुलिस से मिली जानकारी पर हुई गिरफ्तारी

उस सूत्र के आधार पर जावेद को ढूंढने के लिए संयुक्त ऑपरेशन शुरू हुआ. हालांकि, जावेद किस मकसद से बंगाल आया था? इसे लेकर अब भी काफी भ्रम है. इसके अलावा जावेद के ये रिश्तेदार कौन हैं? पुलिस उसकी जांच कर रही है.

खुफिया सूत्रों के मुताबिक बांग्लादेश में अशांति के बाद बंगाल में उग्रवादियों की आवाजाही बढ़ गयी है. मुर्शिदाबाद के फालाकाटा, हरिहरपाड़ा, अलीपुरद्वार में भी उग्रवादी गतिविधियां बढ़ी हैं. भौगोलिक सीमा को देखते हुए कई उग्रवादी बंगाल की सीमा और सुदूरवर्ती गांवों में अपना ठिकाना बना रहे हैं.

बांग्लादेश में अशांति, एक्टिव हुए आतंकी संगठन

बांग्लादेशी उग्रवादी संगठन ‘अंसारुल्लाह बांग्ला टीम’ के एक उग्रवादी मोहम्मद शाद रदी उर्फ ​​शब शेख को हाल ही में केरल से पकड़ा गया है. हालांकि, पुलिस को शक है कि इस बांग्लादेशी उग्रवादी ने बंगाल के रास्ते भारत में अपना नेटवर्क फैलाया है. क्योंकि उसके आधार कार्ड में बंगाल का पता मिला था. दूसरे शब्दों में कहें तो आतंकवादी इस राज्य से फर्जी पहचान पत्र बनाकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था.

मोहम्मद शाद का नाम मुर्शिदाबाद के कांदी और हरिहप्परपारा विधानसभा क्षेत्रों की मतदाता सूची में भी है. हाल ही में असम पुलिस ने शाद के करीबी सहयोगियों मिनारुल शेख और मोहम्मद अब्बास अलीक को हरिहरपारा इलाके से गिरफ्तार किया था. इन दोनों को पासपोर्ट घोटाले में एसटीएफ ने पकड़ा था.

खरगे ने चुनाव संचालन नियमों में संशोधन को बताया साजिश, कहा- यह लोकतंत्र पर सीधा हमला

चुनाव संचालन नियमों में संशोधन को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे चुनाव आयोग की संस्थागत अखंडता को कमजोर करने की साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि चुनाव संचालन नियमों में किया गया ये दुस्साहस सरकार की सुनियोजित साजिश का हिस्सा है. खरगे ने कहा कि चुनाव आयोग की अखंडता को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है और हम उनकी रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे.

उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से हटा दिया था, और अब वे हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी चुनावी जानकारी को छिपाने का सहारा ले रहे हैं. खरगे ने कहा कि जब भी कांग्रेस पार्टी ने चुनाव को वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने और EVM में पारदर्शिता की कमी जैसे अनियमितताओं के बारे में लिखा, तो चुनाव आयोग ने अपमानजनक तरीके में जवाब दिया और कुछ गंभीर शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया. यह फिर से साबित करता है कि चुनाव आयोग भले ही एक एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्था है लेकिन यह स्वतंत्र रूप से व्यवहार नहीं कर रहा है.

कहा जा रहा है यह कदम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को हाल ही में जारी एक निर्देश के बाद आनन फानन में उठाया गया है. कोर्ट ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान चुनाव संबंधी सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे. हालांकि, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा है इस संशोधन को कानूनी तौर पर चैलेंज किया जाएगा.

सरकार ने किए चुनाव संचालन नियमों में बदलाव

दरअसल, चुनाव संचालन नियम 93 में संशोधन किया गया है. इस संशोधन का उद्देश्य उम्मीदवारों की सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों का दुरुपयोग रोकना है. यह बदलाव चुनाव आयोग की सिफारिश पर किया गया है. इसके बाद चुनाव से संबंधित सभी कागजात जनता के लिए उपलब्ध नहीं होंगे.

केवल चुनाव संचालन नियमों में दिए गए कागजात ही जनता के लिए खुले होंगे जबकि सभी दस्तावेज सिर्फ अदालत के निर्देश पर ही उपलब्ध कराए जा सकेंगे. 1961 के चुनाव संचालन नियमों के पहले के नियम 93 (2) (ए) में कहा गया था कि चुनाव से संबंधित सभी अन्य कागजात जनता के निरीक्षण के लिए होंगे. केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग के परामर्श से चुनाव आचरण नियम में संशोधन किया है.

राम मंदिर के मुख्य पुजारी को जीवनभर मिलेगी सैलरी: 100 रुपये से बढ़कर 38,500 रुपये हुआ मासिक वेतन।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को आजीवन सैलरी मिलती रहेगी. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ऐसा फैसला लिया है. सत्येंद्र दास की उम्र 87 साल है, जो बीते 34 साल से रामजन्मभूमि में बतौर मुख्य पुजारी सेवा दे रहे हैं.

मंदिर ट्रस्ट ने सत्येंद्र दास से मंदिर से जुड़े काम से मुक्ति का आग्रह भी किया है. हालांकि, सत्येंद्र दास अपने हिसाब से जब चाहें मंदिर में आ-जा सकते हैं और पूजा कर सकते हैं. बीते 25 नवंबर को हुई ट्रस्ट की बैठक में ऐसी चर्चा हुई थी कि उन्हें आजीवन सैलरी मिलती रही. बैठक में मौजूद सभी सदस्यों ने सत्येंद्र दास को आजीवन सैलरी देने पर अपनी सहमति जताई थी.

34 साल से राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी

रामजन्मभूमि में 1 मार्च 1992 से ही आचार्य सत्येंद्र दास बतौर मुख्य अर्चक सेवा दे रहे हैं. शुरुआती दौर में उनकी सैलरी काफी कम थी. उन्हें एक महीने का पारिश्रमिक 100 रुपये मिलता था. हालांकि, अब वेतन में काफी इजाफा हो गया है. अब सत्येंद्र दास को 38500 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है.

राम मंदिर में 14 पुजारी तैनात

आचार्य सत्येंद्र दास मुख्य पुजारी हैं. इसके अलावा अन्य 13 पुजारी मंदिर में सेवा दे रहे हैं. नौ नए पुजारियों की हाल ही में मंदिर में तैनाती की गई है. वहीं अन्य 4 पहले से हैं. जब रामलला की मूर्ति टेंट में विराजमान थी, तब से आचार्य सत्येंद्र दास पुजारी के तौर पर भगवान की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई थी. अब भी सत्येंद्र दास ही राम मंदिर के मुख्य पुजारी हैं.

सत्येंद्र दास के मुताबिक, ट्रस्ट के लोग उनसे मिले थे. स्वास्थ्य व बढ़ती उम्र की बात कहकर राम मंदिर से जुड़े काम से हटने का आग्रह किया है. हालांकि, उन्होंने आजीवन सैलरी देने की बात कही है. आचार्य सत्येंद्र दास की गिनती संस्कृत के प्रकांड विद्वानों में होती है. 1975 में उन्होंने संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की थी. 1976 में अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में उन्होंने बतौर सहायक अध्यापक जॉइन की थी.

पीएम मोदी का भावनात्मक संदेश: "मेरे परिवार में 140 करोड़ लोग, मुझे 12 घंटे काम करना पड़ता है ताकि आपके सपने पूरे हों"।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत में गल्फ स्पीक लेबर कैंप का दौरा किया और भारतीय श्रमिकों से बातचीत की. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सबसे सस्ता डेटा (इंटरनेट) है और अगर हम दुनिया में कहीं भी या भारत में भी ऑनलाइन बात करना चाहते हैं, तो लागत बहुत कम है. यहां तक ​​कि अगर आप वीडियो कॉन्फ्रेंस करते हैं, तो भी लागत बहुत कम है. लोगों को बहुत सुविधा है, वे हर शाम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपने परिवार के सदस्यों से बात कर सकते हैं.

मैं भी 12 घंटे काम करता हूं- PM मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं विकसित भारत 2047 की बात इसलिए करता हूं क्योंकि मेरे देश के मजदूर भाई जो इतनी दूर से काम करने आए हैं, वो ये भी सोचते हैं कि उनके गांव में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट कैसे बने. ये आकांक्षा ही मेरे देश की ताकत है. मैं दिनभर सोचता रहता हूं कि हमारे किसान कितनी मेहनत करते हैं. हमारे मजदूर खेत में कितनी मेहनत करते हैं. जब मैं इन सब लोगों को मेहनत करते देखता हूं तो मुझे लगता है कि अगर वो 10 घंटे काम करते हैं तो मुझे भी 11 घंटे काम करना चाहिए. अगर वो 11 घंटे काम करते हैं तो मुझे भी 12 घंटे काम करना चाहिए और दूसरी बात ये कि क्या आप अपने परिवार के लिए मेहनत करते हैं कि नहीं? मैं भी अपने परिवार के लिए काम करता हूं, मेरे परिवार में 140 करोड़ लोग हैं तो मुझे थोड़ा ज्यादा काम करना पड़ता है.

4 करोड़ पक्के घर बनाकर गरीबों को दिए

पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए विकास का मतलब सिर्फ अच्छी सड़कें, अच्छे एयरपोर्ट, अच्छे रेलवे स्टेशन ही नहीं है. मैं चाहता हूं कि गरीब से गरीब व्यक्ति के घर में भी शौचालय हो. हमारा लक्ष्य 11 करोड़ शौचालय बनाने का है. गरीबों के पास पक्के घर होने चाहिए. अब तक 4 करोड़ पक्के घर बनाकर गरीबों को दिए जा चुके हैं, यानी कम से कम 15-16 करोड़ लोग उनमें रहेंगे. अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. मैं हर घर में नल से जल पहुंचाने के लिए काम कर रहा हूं. मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज गरीब की गरिमा और सम्मान है, उसे ये सब मिलना चाहिए.

मध्य प्रदेश का बड़ा घोटाला: कांस्टेबल से धनकुबेर बने सौरभ शर्मा की कहानी, 8 करोड़ कैश और 235 किलो चांदी की बरामदगी!

मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में आरक्षक रहे सौरभ शर्मा की अकूत संपत्ति को लेकर जांच एजेंसियां भी हैरान हैं. फिलहाल सौरभ शर्मा अभी दुबई में है. जांच एजेंसियां उसकी भारत वापसी के लिए प्रयासरत हैं. सौरभ के ठिकानों पर इनकम टैक्स और लोकायुक्त की छापेमारी में 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ के कैश और आभूषण मिले हैं. इसके अलावा 17 लाख की ब्रांडेड घड़ियां, 15 लाख की लेडिज पर्स और हीरे की अंगूठियां मिली हैं.

भोपाल की अरेरा कॉलोनी में सौरभ शर्मा का मकान है. यहां घर से वाहन और अन्य सामान मिले हैं, जिसकी कुल कीमत 2 करोड़ 21 लाख रुपए आंकी गई है. इसके अलावा हीरे और सोने के आभूषण (50 लाख रुपए), कैश एक करोड़ 15 लाख रुपए की बरामदगी हुई है. इसके अलावा सौरभ के ऑफिस (चेतन का मकान) से कैश 1 करोड़ 72 लाख रुपए,चांदी 234 किलो जिसकी पुलिस ने अनुमानित कीमत 2 करोड़ 10लाख आंकी है, की बरामदगी हुई है. वहीं नोट गिनने की 7 मशीनें भी मिली हैं.

भोपाल में बनवा रहा था स्कूल

इनकम टैक्स के अफसरों को पता चला है कि सौरभ भोपाल के शाहपुर B सेक्टर में 20000 वर्ग मीटर में एक स्कूल भी बना रहा था. कई बेनामी सम्पतियों के दस्तावेज भी टीम को मिले हैं, जिनकी जांच जारी है. भोपाल के मंडोरी गांव में इनोवा कार में 54 किलो सोना और लगभग 10 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई है. आशंका जताई जा रही है कि इसके कनेक्शन कहीं न कहीं सौरभ से जुड़ रहे हैं. आयकर विभाग ने इनोवा कार के मालिक चेतन गौर से पूछताछ की है.

ड्राइवर के नाम पर पेट्रोल पंप

चेतन गौर सौरभ का वाहन चालक और करीबी है. चेतन के नाम से एक पेट्रोल पंप और ललितपुर राजगढ़ बांध परियोजना में मछली पालन का भी ठेका है. हालांकि, इन सब का वास्तविक मालिक सौरभ शर्मा ही बताया जा रहा है. सौरभ चेतन को मोहरे की तरह उपयोग कर रहा था. भरोसेमंद होने की वजह से चेतन के नाम पर ही निवेश कर रहा था. हालांकि, जांच एजेंसियां अभी बेनामी संपत्तियों के बारे में और पता लगाने में जुटी है.

सौरव और चेतन के कुछ बैंक लॉकर की जानकारी भी लोकायुक्त को मिली है. शनिवार को पुलिस लॉकर खोलने की तैयारी में थी पर चाबी नहीं मिल पाई. लॉकर में बड़ी मात्रा में नगदी और ज्वेलरी भी मिल सकती है.

कैसे आरक्षक से बना धनकुबेर?

सौरभ शर्मा ग्वालियर का रहने वाला है. उसके पिता जेल के डॉक्टर थे. सौरभ शर्मा ने महज 7 साल में अकूत संपत्ति बनाई. उसने आखिर ये कैसे किया, एजेंसियां इसकी जांच कर रही है. सौरभ शर्मा को 2017 में परिवहन विभाग में पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा पर कांस्टेबल की नौकरी मिली थी. इसके बाद उसने कुछ दिन ग्वालियर में गुजारे फिर चेकपोस्ट पर नियुक्ति मिल गई. धीरे-धीरे मंत्रियों और अधिकारियों से संबंध बना लिए. चेकपोस्ट पर मिलने वाली रकम का हिसाब किताब रखने लगा. फिर सौरभ भोपाल में बस गया.

सूत्रों की माने तो सौरभ की पत्नी दिव्या शर्मा सौरभ का कारोबार संभालती है. पेट्रोल पंप क्रेशर जमीन और सोने में निवेश में दिव्या का नाम सामने आ रहा है. सौरभ शर्मा ने दो बार एमपीपीएससी की परीक्षा दी और मुख्य परीक्षा तक पहुंचा भी. एक बार तो इंटरव्यू राउंड तक पहुंचा था. पिता के निधन के बाद उसकी अनुकंपा नियुक्ति परिवहन विभाग में हो गई.

दुबई में भी सौरभ शर्मा के निवेश की आशंका

आयकर और लोकायुक्त टीम को ऐसे तथ्य मिले हैं, जिसमें सौरभ शर्मा के दुबई में भी निवेश की आशंका है. उसके घर और ऑफिस से मिले दस्तावेजों की जांच में इसकी सच्चाई सामने आएगी. वहीं सौरभ शर्मा पर हुई कार्रवाई के बाद अब राजनीति भी गरमा गई है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सौरभ शर्मा को भ्रष्टाचार के समुद्र का छोटा कीड़ा बताया है. पटवारी ने कहा कि यह सौरभ शर्मा तो छोटी मछली है, जब पूर्व आरक्षक के पास इतना जखीरा मिला है तो पीएस और मंत्रीयो के पास क्या क्या होगा?

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित का बड़ा हमला: अरविंद केजरीवाल कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते।

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते.

संदीप दीक्षित ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था है हम जेल से बाहर तो उनके आने दे रहे हैं लेकिन वो दिल्ली के सीएम के तौर पर किसी भी फाइल पर साइन नहीं कर सकते. न सीएम दफ्तर जा सकते. न किसी अधिकारी से नहीं मिल सकते. न अधिकारियों को आदेश दे सकते. यानी सुप्रीम कोर्ट ने तो तय कर दिया था कि केजरीवाल को सीएम बनने का कोई अधिकार नहीं है.

भले शपथ के हिसाब से वो बने रहें इसलिए किसी और को दिल्ली का सीएम इनके लिए मजबूरी बन गई थी और ये बेल की शर्त आज भी है. अगर ये कल को सीएम बन जाते हैं और अधिकारियों को बुला लिया और या कोई दस्तखत कर दिया तो बेल की कंडीशन टूट जाएगी. बेल की कंडीशन टूटते ही वो (केजरीवाल) जेल जाएंगे. इनके लिए मुख्यमंत्री बनना संभव ही नहीं.

सपा विधायक के बिगड़े बोल, बीजेपी को बताया ‘हिंदू आतंकवादी संगठन’

समाजवादी पार्टी के सदर विधायक सुरेश यादव ने विवादित बयान देकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है. उन्होंने भाजपा सरकार को ‘हिंदू आतंकवादी संगठन’ करार दिया. यह बयान उस समय आया जब वे बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के खिलाफ गन्ना दफ्तर में आयोजित विरोध प्रदर्शन में सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान सुरेश यादव ने कहा, ‘यह भाजपा सरकार, सरकार नहीं बल्कि हिंदू आतंकवादी संगठन है, जो देश को बर्बाद करना चाहती है. सपा इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी.’

बाराबंकी जिले में आयोजित इस कार्यक्रम में विधायक सुरेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी हमेशा गरीबों और मजलूमों की आवाज उठाती रही है और आगे भी उठाती रहेगी. बीजेपी की सरकार देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर कर रही है.

सपा विधायक के इस बयान के बाद सियासी माहौल गर्म हो गया है. भाजपा नेताओं ने इसे गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए सपा पर जमकर निशाना साधा. भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि सपा नेताओं की बयानबाजी उनकी हताशा को दर्शाती है. इस विरोध प्रदर्शन में जिले के सभी सपा जनप्रतिनिधि और भारी संख्या में कार्यकर्ता शामिल थे.

अमित शाह के बयान पर कार्यकर्ताओं में आक्रोश

दरअसल, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान को लेकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है. इसी मुद्दे पर शनिवार को प्रदेशभर में सपा कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए. बाराबंकी में गन्ना दफ्तर पर आयोजित प्रदर्शन के दौरान सुरेश यादव ने भाजपा सरकार को ‘हिंदू आतंकवादी संगठन’ करार दिया है. वहीं सपा सदर विधायक सुरेश यादव का भाजपा सरकार को ‘हिंदू आतंकवादी संगठन’ बताने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा के विरोध में कोलकाता में बीजेपी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन: अस्पतालों से गैर-हिंदू बांग्लादेशियों का इलाज बंद कर

गैर-हिंदू बांग्लादेशी मरीजों के इलाज को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कोलकाता के अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. इन लोगों की मांग है कि अस्पताल को गैर-हिंदू बांग्लादेशियों का इलाज बंद कर देना चाहिए. इसको लेकर प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल को एक ज्ञापन सौंपा है.

इसमें कहा गया है, देश पहले आता है. हमारे भाइयों और बहनों को वहां प्रताड़ित किया जा रहा है और मारा जा रहा है. इसलिए गैर-हिंदू बांग्लादेशियों को कोई इलाज मुहैया नहीं किया जाना चाहिए. अब समय आ गया है कि हम अपने राष्ट्र और तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी नैतिकता और व्यवसाय को किनारे रखें.

राष्ट्र हमेशा पहले आता है

मीडिया से बातचीत करते हुए एक प्रदर्शनकारी ने कहा, बांग्लादेश में हमारे अल्पसंख्यक हिंदू भाइयों और बहनों के साथ जो हो रहा है, उससे हम दुखी हैं. वहां उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. मारा जा रहा है. इसे रोका जाना चाहिए. राष्ट्र हमेशा पहले आता है. ये प्रदर्शनकारी ‘सैल्यूट तिरंगा’ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी निजी अस्पतालों को भी ऐसा करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे पहले ही एक अन्य अस्पताल में ऐसा कर चुके हैं.

जेएन रे अस्पताल ने किया था फैसला

दरअसल, पिछले महीने कोलकाता के मनिकतला के जेएन रे अस्पताल ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के विरोध में बांग्लादेशी मरीजों का इलाज नहीं करने का फैसला किया था. अस्पताल हम अनिश्चित काल तक किसी भी बांग्लादेशी मरीज को इलाज के लिए भर्ती नहीं करेंगे. तिरंगे के अपमान को लेकर इस अस्पताल ने यह फरमान सुनाया था.

बांग्लादेश में हिंदूओं के साथ अत्याचार

बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद हिंदूओं का नरसंहार हो रहा है. शेख हसीना के सत्ता से चले जाने के बाद में बांग्लादेश में हिंदूओं को निर्ममता से कुचला जा रहा है. अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर लूटपाट और बर्बरता की जा रही है. हिंदुओं के प्रतिष्ठानों और घरों को टारगेट किया जा रहा है. बांग्लादेश में इस्कॉन के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से हिंदू समुदाय में और आक्रोश है.

असम में बाल विवाह के खिलाफ बड़ा अभियान: 416 लोग गिरफ्तार, 335 मामले दर्ज।

असम में बाल विवाह रोकने के लिए असम सरकार की तरफ से कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके साथ ही असम पुलिस ने बाल विवाह रोकने के लिए अपने तीसरे चरण में 416 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही 335 मामले दर्ज किए हैं. यह जानकारी मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया पर दी है.

मुख्यमंत्री ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए सरकार अपनी तरफ से लगातार काम कर रही है. इसके लिए विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है. पुलिस ने 21-22 दिसंबर की रात को शुरू हुई कार्रवाई में अब तक 335 मामले दर्ज किए हैं और 416 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिन्हें रविवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा.

असम में पहले भी हो चुकी ऐसी कार्रवाई

असम सरकार ने साल 2023 में फरवरी और अक्टूबर महीने में दो चरणों में बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया था. इस अभियान के पहले चरण में 3,483 लोगों को गिरफ्तार किया गया, तो वहीं दूसरे चरण में 4,515 मामले दर्ज किये गये. जबकि अक्टूबर में दूसरे चरण में 915 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 710 मामले दर्ज किये गये. तीसरे चरण में सबसे कम मामले और लोग गिरफ्तार हुए हैं.

बाल विवाह रोकने शुरू की थी योजना

असम में बाल विवाह की प्रथा को रोकने के लिए सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली छात्राओं को हर महीने 1000 रुपये की स्कॉरलरशिप भी शुरू की थी. वहीं जो छात्राएं पोस्ट ग्रेजुएशन में हैं. उन्हें हर महीने 2,500 रुपये दिए जा रहे हैं. सीएम ने कहा था कि यह कदम असम में बाल विवाह रोकने में मददगार साबित होगा. हालांकि पिछले सालों के मुकाबले असम में बाल विवाह के मामलों में कमी देखी गई है.