लोहिया स्वच्छता अभियान फेल, लाखों रुपए हुए बर्बाद
17 पंचायतों में लाखों की राशि खर्च कर कचरा ढोने को ठेले की खरीद की गई थी
लालगंज
लालगंज प्रखंड में लोहिया स्वच्छता अभियान असफल साबित हो रहा है। यह सफेद हाथी बनकर रह गया है। लाखों के खर्च के बाद भी नगर परिषद से लेकर प्रखंड के लगभग सभी पंचायतों में जहां तहां कचरे का ढेर नजर आता है।
लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत प्रखंड में लाखों की राशि खर्च कर कचरा संस्करण इकाई का निर्माण कराया गया। वर्तमान में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई पूरी तरीके से बंद पड़ी है।
प्रखंड के 17 पंचायतों में लाखों की राशि खर्च कर कचरा ढोने के लिए ठेला रिक्शा की खरीद की गई। सभी वार्डों में मानदेय पर एक स्वच्छता कर्मी और प्रत्येक पंचायत में एक स्वच्छता पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गई। इसके बावजूद कचरे का उठाव नहीं किया जा रहा है।
लालगंज प्रखंड के पंचायतों में जगह-जगह कचरे का अम्बार नजर आता है। इधर, कचरे के प्रोसेसिंग के लिए प्रखंड परिसर में ही लाखों की लागत से लगा संयंत्र जब से बना तभी से नकारा बना हुआ है।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को हुई थी
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को हुई थी। इस अभियान का मकसद गलियों, सड़कों आदि जगहों को साफ सुथरा लालगंज में बंद पड़ी है प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई। रखना था। इस अभियान के तहत ई कचरे, प्लास्टिक और पॉलीथिन बैग जैसे जमीन को नष्ट करने वाले कचरा का प्रबंधन किया जाना था।
कुछ पंचायत में स्वच्छता ग्राही की नियुक्ति:
कमोबेश प्रखंड के शीतल भकुरहर, अनवरपुर, सिरसा बीरन, एतवारपुर सिसौला, बसंता जष्ठानाबाद, घटारी मध्य, भगवान भटौली, घटारो दक्षणी, पुरैनिया, पुरणटाण्ड, पुरैनिया, युसुफपुर सररिया, कर्ताहा आदि सभी पंचायतों का यही हाल है।
जहां कागज पर तो सब कुछ स्वच्छ दिख रहा है, लेकिन धरातल पर वास्तविक सच्चाई कहीं नजर नहीं आ रही है। प्रखंड विकास पदाधिकारी नीलम कुमारी ने बताया कि 21 पंचायतों में से लगभग 17 पंचायत में कचरा संग्रह केंद्र बन गया है। कुछ पंचायत में स्वच्छता ग्राही की नियुक्ति भी है। ग्रामीण शुल्क नहीं देना चाहते। इसलिए स्वछता ग्राही का मानदेय भी मिलना मुश्किल है। ऐसे में काम सुचारू ढंग से नहीं हो पा रहा है।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 को हुई थी, बंद पड़ी है प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई
अभियान के तहत ई-कचरा प्लास्टिक और पॉलीथिन बैग जमीन को नष्ट करने वाले कचरा का प्रबंधन होना था
लोगों ने कहा- अभियान पूरी तरह से विफल
प्रखंड क्षेत्र के लोगों ने कहा - अभियान पूरी तरह से विफल है। कुछ जगहों पर सरकारी डस्टबिन बांटा गया, लेकिन कचरा उठाव नहीं होने के चलते उसमें कचरे की जगह अब दूसरी चीजें रखी जा रही है। कुछ पंचायत में डस्टबिन और ठेला रिक्शा मुखिया के दरवाजे की शोभा बढ़ा रहा है। डस्टबिन, ठेला, रिक्सा की खरीद कर बस खानापूर्ति की गई। आमलोगों कोई फायदा नहीं हुआ। शहदुल्लहपुर पंचायत के संतोष कुमार सिंह ने बताया कि यहा न डस्टबिन मिला है और न ही कचरा उठाव हो रहा है।
Dec 22 2024, 19:00