आर अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लिया संन्यास, जानिए उनके करियर की खास बातें।

भारत के ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया. अश्विन ने गाबा टेस्ट खत्म होते ही रिटायरमेंट का ऐलान किया. रविचंद्रन अश्विन भारतीय टेस्ट इतिहास के अब तक के सबसे कामयाब गेंदबाजों में से एक रहे हैं. इस दौरे पर उन्हें अभी तक एक ही मैच खेलने का मौक़ा मिला है. एडिलेड के बाद वे गाबा टेस्ट से बाहर हो गए थे. गाबा टेस्ट के दौरान अश्विन टीम इंडिया के खिलाड़ियों को गले लगाते हुए नजर आए. उन्होंने कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली को गले लगाया. हेड कोच गंभीर से भी अश्विन ने काफी देर तक बातचीत की और फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर उन्होंने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया. रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि अश्विन अब ऑस्ट्रेलिया में नहीं रहेंगे. वो गुरुवार को भारत लौटेंगे.

अश्विन का इंटरनेशनल करियर

आर अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में 106 मैचों में 537 विकेट हासिल किए. उनके नाम 37 फाइव विकेट हॉल हैं और 8 बार उन्होंने मैच में 10 विकेट लिए. अश्विन ने 156 वनडे विकेट भी हासिल किए. टी20 में अश्विन ने 72 विकेट चटकाए. इंटरनेशनल करियर में उनके नाम 765 विकेट रहे. अश्विन ने बतौर बल्लेबाज भी अपनी छाप छोड़ी. उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 3503 रन हैं और उन्होंने कुल 6 टेस्ट शतक लगाए. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम कुल 8 शतक रहे.

अश्विन ने करियर में क्या हासिल किया?

अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेजी से 250, 300 और 350 विकेट हासिल करने वाले खिलाड़ी हैं.

अश्विन भारत के लिए सबसे तेजी से 50, 100, 150, 200, 250, 300, 350, 400, 450 और 500 टेस्ट विकेट हासिल करने वाले खिलाड़ी हैं.

अश्विन ने चार मैचों में शतक और पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया है. ये कारनामा करने वाले वो इकलौते भारतीय हैं.

अश्विन एक सीजन में सबसे ज्यादा 82 विकेट लेने वाले खिलाड़ी रहे हैं.

अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा बाएं हाथ के बल्लेबाजों को आउट किया.

अश्विन के भारत में सबसे ज्यादा 383 विकेट हैं.

अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रेटिंग प्वाइंट हासिल करने वाले खिलाड़ी हैं.

अश्विन ने करियर में क्या-क्या जीता?

अश्विन ने 2 बार एशिया कप जीता, 2010 और 2016 में वो चैंपियन टीम इंडिया का हिस्सा रहे.

2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे.

2013 में अश्विन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम में थे.

2016 में अश्विन आईसीसी मेंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर बने

2016 में ही अश्विन आईसीसी मेंस टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी बने.

2015 में अश्विन को अर्जुन अवॉर्ड मिला.

अश्विन को 2011 से 2020 के दशक की टेस्ट टीम में जगह मिली.

शोएब अख्तर का विवादित बयान: ICC को मेरे पांव धोकर पीना चाहिए, सबसे तेज गेंद के रिकॉर्ड पर दिया बड़ा बयान

पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज शोएब अख्तर अभी तक के सबसे तेज गेंदबाज हैं. वह अपने खेल के समय में अपनी तेज रफ्तार के लिए जाने जाते थे, जिसके आगे बडे़-बड़े बल्लेबाज फ्लॉप हो जाते थे. वहीं, अब अख्तर अपने अजीबोगरीब बयानों की वजह से फैंस के बीच सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने हाल ही में एक दावा किया है. उनका कहना है कि अगर वह चाहे तो 6 महीने में उनका सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड टूट सकता है. इसके अलावा उन्होंने आईसीसी को उनके पांव धोकर पीने की बात भी कही है.

शोएब अख्तर का अजीबोगरीब बयान

दरअसल, शोएब अख्तर हाल ही में टीएनकेएस पॉडकास्ट में नजर आए थे. इस यूट्यूब शो पर जब शोएब अख्तर से पूछा गया कि क्या इंटरनेशनल क्रिकेट में कोई उनका सबसे तेज गेंद का रिकॉर्ड तोड़ सकता है? इस सवाल का जवाब देते हुए अख्तर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ऐसा हो सकता है. अगर मैं दुनियाभर में गेंदबाज इकट्ठा करूं तो मेरे ख्याल में 6 महीने के अंदर ये रिकॉर्ड टूट सकता है. अगर मैं दुनियाभर से दो-तीन हजार खिलाड़ी इकट्ठा करने में कामयाब हो जाऊं तो मैं अपना रिकॉर्ड तुड़वा दूंगा. युवा खिलाड़ी 160-170 तक भी गेंदबाजी कर सकते हैं. अगर कुछ भी नहीं हुआ ना तो मैं आपको 150, 140 और 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाले तेज गेंदबाज की बड़ी तादाद में दे दूंगा. तब भारत-पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश उन्हें मौका दें या ना दें, उनकी मर्जी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं खिलाड़ी को खिलाने के लिए पोल कराऊंगा. लोग वोट करेंगे और बताएंगे कि किसे खिलाना है और किसे नहीं. मैं वाकई चाहता हूं कि कोई आए और मेरा रिकॉर्ड तोड़े. एक ही बॉल फेंकनी है. अगर 150 किलोमीटर की गति से फेंक वाले गेंदबाज बड़ी तादाद में दुनिया को मिल गए तो फिर आईसीसी को मेरे पांव धोकर पीना चाहिए.’

सालों से नहीं टूटा अख्तर का रिकॉर्ड

शोएब अख्तर ने 2003 वर्ल्ड कप के दौरान सबसे तेज गेंदबाज फेंकने का रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने इस टूर्नामेंट के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ 161.3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी थी. ये क्रिकेट के इतिहास में अभी तक की सबसे तेज गेंद थी. यानी पिछले 21 साल से कोई भी गेंदबाज इस रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सका है. अख्तर अपनी रफ्तार की वजह से ही एक सफल गेंदबाज बने थे. उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर के दौरान पाकिस्तान के लिए 224 मैचों में 444 विकेट चटकाए थे.

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी फाइनल: रजत पाटीदार ने खेली कप्तानी पारी, मध्य प्रदेश ने मुंबई को दिया 175 रनों का लक्ष्य

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का फाइनल मैच श्रेयस अय्यर की कप्तानी वाली मुंबई और रजत पाटीदार की अगुआई वाली मध्य प्रदेश की टीमों के बीच खेला जा रहा है. एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले जा रहे इस अहम मैच में मुंबई ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया था. कप्तान श्रेयस अय्यर का ये फैसला कहीं ना कहीं सही साबित हुआ, लेकिन रजत पाटीदार को अपनी टीम का कोई भी गेंदबाज नहीं रोक सका. रजत पाटीदार ने इस बड़े मुकाबले में एक कप्तानी पारी खेली और टीम को फाइटिंग टोटल तक पहुंचाया.

रजत पाटीदार ने खेली कप्तानी पारी

रजत पाटीदार के लिए बतौर बल्लेबाज सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2024 काफी यादगार रही है. उन्होंने लगभग हर एक मुकाबले में टीम के लिए अहम रन बनाए. मुंबई के फाइनल में भी उन्होंने अपनी टीम के लिए दमदार पारी खेली. पाटीदार जब बल्लेबाजी के लिए आए थे तो मध्य प्रदेश ने 48 रन पर 3 विकेट गंवा दिए थे. टीम परेशानी में नजर आ रही थी, लेकिन उन्होंने आते ही चौके और छक्का की बारिश कर दी. पाटीदार ने 40 गेंदों पर 202.50 की स्ट्राइक रेट से नाबाद 81 रन बनाए.

रजत पाटीदार ने अपनी इस पारी में 6 चौके और 6 छक्के जड़े. यानी 81 में से 60 रन तो उन्होंने चौके और छक्कों से ही बटोर लिए. ये सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2024 में रजत पाटीदार का 5वां अर्धशतक भी था. पाटीदार ने इस पारी के दौरान सिर्फ 28 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया. इसी के साथ पाटीदार ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के फाइनल में बतौर कप्तान सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. पाटीदार से पहले साल 2019 में मनीष पांडे ने नाबाद 60 रन की पारी खेली थी.

मध्य प्रदेश ने बोर्ड पर लगाए 174 रन

रजत पाटीदार की इस कप्तानी पारी के चलते मध्य प्रदेश की टीम 20 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 174 रन बनाने में कामयाब रही. पाटीदार के अलावा सुभ्रांशु सेनापति ने 17 गेंदों पर 23 रन बनाए. वहीं, वेंकटेश अय्यर ने 17 रन और राहुल बाथम ने 19 रनों का योगदान दिया. दूसरी ओर मुंबई को लिए शार्दुल ठाकुर और रॉयस्टन डायस ने सबसे ज्यादा 2-2 विकेट लिए.

राहुल द्रविड़ के छोटे बेटे अनवय ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में लगाया शतक, कर्नाटक को दिलाई जीत

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कोच रहे राहुल द्रविड़ के बेटे भी उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए पिच पर अपना रंग जमा रहे हैं. द्रविड़ के बड़े बेटे समित ने तो पिछले कुछ महीनों में अलग-अलग टूर्नामेंट में दमदार पारियां खेलने के अलावा विकेट लेकर भी अपनी पहचान बनाई है. अब उनके छोटे नवाब अनवय ने भी अपने पिता और बड़े भाई की तरह बल्ले से जलवा बिखेर दिया है. अनवय ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी के मुकाबले में अपनी टीम कर्नाटक की ओर से जोरदार शतक लगाया और टीम को 3 जरूरी पॉइंट्स दिला दिए.

बीसीसीआई के अंडर-16 रेड बॉल टूर्नामेंट विजय मर्चेंट ट्रॉफी के इस मुकाबले में कर्नाटक का सामना झारखंड से था. मुकाबला आंध्र प्रदेश के मुलापाडु में था. तीन दिनी मैच वाले इस टूर्नामेंट का ये मुकाबला 11 दिसंबर से शुरू हुआ था. झारखंड ने इसमें पहले बैटिंग करते हुए 387 रन बनाए थे. उसकी ओर से ओपनर तौहीद शतक से चूक गए और सबसे ज्यादा 98 रन उन्होंने बनाए. उनके अलावा लोअर ऑर्डर में मनमीत सागर ने भी 72 रन बनाए.

अनवय ने दिखाया बैटिंग का जलवा

इसके बाद बैटिंग आई कर्नाटक की और उसके लिए ओपनर्स ने ही जोरदार पारियां खेलीं. कर्नाटक के लिए आर्या गोडा और कप्तान ध्रुव कृष्णन ने शानदार शतक जमाए. इनके बाद चौथे नंबर पर आए राहुल द्रविड़ के बेटे अनवय. युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ने टीम की अच्छी शुरुआत का फायदा उठाते हुए एक बेहतरीन पारी खेली. अनवय ने आखिरी दिन का खेल खत्म होने से पहले अपना शानदार शतक पूरा कर लिया. उन्होंने 153 गेंदों में नाबाद 100 रन बनाए, जिसमें 10 चौके और 2 छक्के शामिल थे.

ओपनर्स के शतक और फिर अनवय की इस बेहतरीन पारी के दम पर कर्नाटक ने 4 विकेट खोकर 441 रन बनाए और झारखंड पर 54 रन की बढ़त ले ली. हालांकि, मैच ड्रॉ हो गया लेकिन पहली पारी की बढ़त के आधार पर कर्नाटक को 3 पॉइंट मिल गए, जबकि झारखंड को सिर्फ एक पॉइंट मिला. इस तरह अनवय ने अपने पिता राहुल की तरह ही क्रीज पर लंबा समय बिताकर एक बेहतरीन पारी खेली और टीम की सफलता में योगदान दिया.

बड़े बेटे ने भी किया प्रभावित

अनवय से पहले द्रविड़ के बड़े बेटे समित ने भी अपने प्रदर्शन से पहचान बनाई है. उन्हें कुछ ही महीने पहले भारत की अंडर-19 टीम में जगह मिली थी, जहां उन्हें ऑस्ट्रेलिया की अंडर-19 टीम के खिलाफ अनऑफिशियल टेस्ट मैच खेलना था. हालांकि चोट के कारण वो इसमें हिस्सा नहीं ले सके. हालांकि उससे पहले समित ने कूच बेहार ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करते हुए 8 मैच में 362 रन बनाए थे और अपनी मीडियम पेस बॉलिंग से 16 विकेट भी हासिल किए थे.

विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पूरा किया अपना 'शतक', तोड़ सकते हैं सचिन का रिकॉर्ड

ब्रिसबेन में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज का तीसरा टेस्ट शुरू हो चुका है. इस टेस्ट में मैदान पर उतरते ही विराट कोहली ने अपना शतक पूरा कर लिया. विराट कोहली का ये शतक रनों का ना होकर उनके खेले मैचों का रहा. ब्रिसबेन में विराट कोहली के इस अनोखे शतक के चलते अब सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड पर भी खतरा मंडराता दिख रहा है. दरअसल, किसी एक विरोधी के खिलाफ सर्वाधिक मैच खेलने का रिकॉर्ड मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर के ही नाम पर है.

एक विरोधी के खिलाफ सचिन-जयवर्धने ने खेले सर्वाधिक मैच

सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा मैच खेलने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही बनाया है. उन्होंने इस टीम के खिलाफ 110 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. इतने ही मैच खेलते हुए ये रिकॉर्ड संयुक्त तौर पर श्रीलंका के माहेला जयवर्धने के नाम भी है. हालांकि, जयवर्धने ने भारत के खिलाफ 110 मैच खेले हैं. एक विरोधी के खिलाफ सर्वाधिक मैच खेलने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में दूसरा नाम भी सचिन का ही है. उन्होंने ये उपलब्धि श्रीलंका के खिलाफ 109 मैच खेलकर बनाए हैं. इसके बाद लिस्ट में दो बार सनथ जयसूर्या का नाम आता है, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 105 मैच और भारत के खिलाफ 103 मैच खेले हैं. 103 मैच खेलने का रिकॉर्ड एक बार फिर से जयवर्धने का है. उन्होंने ये उपलब्धि पाकिस्तान के खिलाफ हासिल की है.

कोहली का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ‘शतक’, तोड़ सकते हैं सचिन का रिकॉर्ड

बहरहाल, अब हो सकता है कि विराट कोहली इन सबसे आगे निकल जाएं. वो दुनिया में किसी एक विरोधी के खिलाफ सबसे ज्यादा क्रिकेट मैच खेलने वाले खिलाड़ी बन जाएं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना 100 वां मैच खेल रहे विराट कोहली इस टीम के खिलाफ अगले 11 इंटरनेशनल मैच और खेलते ही इस रेस में सबसे आगे निकल जाएंगे.

विराट कोहली अब 36 साल के हो चुके हैं. ऐसे में सचिन के रिकॉर्ड से उनका आगे निकलना अब इस पर भी निर्भर करेगा कि उनके अंदर कितनी क्रिकेट बची है. T20 क्रिकेट से वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं.

विराट ने अब तक किस टीम के खिलाफ खेले कितने मैच?

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 100 वां इंटरनेशनल मैच खेल रहे विराट ने दूसरा सबसे ज्यादा 85 मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला. उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 75 मैच, वेस्टइंडीज के खिलाफ 73 मैच, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 61 मैच, न्यूजीलैंड के खिलाफ 55 मैच, बांग्लादेश के खिलाफ 30 मैच जबकि पाकिस्तान के खिलाफ 27 मैच खेले है.

वर्ल्ड चैंपियन बनकर भी क्यों रो पड़े डी गुकेश? जानें उनकी भावुक कहानी

वादा तो हर कोई करता है, सपना तो हर कोई देखता है लेकिन हर कोई उन सपनों को और खुद से किए वादों को पूरा नहीं कर पाता. वो भी ऐसा वादा, जो सिर्फ 11 साल की उम्र में किया हो और फिर 18 साल की उम्र में उसे पूरा भी कर दिखाया. भारत के युवा चेस ग्रैंड मास्टर डी गुकेश गर्व से कह सकते हैं कि वो ऐसा कर पाए. छोटी सी उम्र में ही अपने कमाल के प्रदर्शन से दुनियाभर में पहचान बना चुके गुकेश ने अब अपना नाम चेस इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज करवा दिया है. गुकेश ने सिर्फ 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया और अपने सपने को पूरा कर लिया. मगर वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद भी उन्होंने खुद को ‘बेस्ट’ मानने से इनकार कर दिया.

सच किया 7 साल पुराना सपना

गुकेश ने गुरुवार 12 दिसंबर को चीन के डिंग लिरेन को हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत ली. सिंगापुर में 17 दिनों तक चली चैंपियनशिप में 14 राउंड की कड़ी टक्कर के बाद भारतीय स्टार ने डिफेंडिंग चैंपियन को हरा दिया. दोनों ही खिलाड़ी 13 राउंड के बाद 6.5 – 6.5 पॉइंट्स के साथ बराबरी पर थे. ऐसे में आखिरी राउंड 14 में फैसला होना था और गुकेश ने यहां अपने से ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी को हराते हुए चैंपियनशिप अपने नाम कर ली. इस तरह वो सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन भी बन गए.

गुकेश ने सिर्फ 18 साल 8 महीने और 14 दिन की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर ये रिकॉर्ड बनाया. ये रिकॉर्ड तो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, मगर इसे खास बनाया गुकेश के खुद से किए वादे ने. गुकेश जब सिर्फ 11 साल 6 महीने के थे, तब चेस बेस इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने सपने का खुलासा किया था. छोटे से गुकेश ने तब कहा था कि वो बड़े होकर सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहेंगे. ठीक 7 साल 2 महीने बाद गुकेश ने वर्ल्ड चैंपियन बनकर बता दिया कि वो सिर्फ सपने देखते ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें हूबहू सच भी करते हैं.

फूट-फूटकर रोने लगे गुकेश

आम तौर पर चेस खिलाड़ी हमेशा अपने जज्बातों पर काबू रखते हैं और उनरे चेहरे के हाव-भाव से हार या जीत का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है. गुकेश भी उनसे अलग नहीं हैं. बेहद कम बोलने वाले और अपनी भावनाओं पर संयम रखने वाले गुकेश के लिए भी इस बार ऐसा करना मुश्किल था. जैसे ही डिंग ने रिजाइन करते हुए गुकेश से हाथ मिलाया और मैच शीट पर साइन किया, वो अपनी सीट पर बैठ गए और उनकी आंखें आंसुओं से भर आईं. पहली बार किसी ने इस भारतीय सितारे को इस तरह अपने इमोशन को खुलकर सामने पेश करते हुए देखा.

सिर्फ गुकेश ही नहीं, उनके पिता भी इस जीत से भावुक थे, जो कि स्वाभाविक ही था. तभी तो गुकेश जैसे ही मैच हॉल से बाहर निकले, उन्होंने सबसे पहले अपने पिता को जोर से गले लगा दिया और काफी देर तक दोनों एक-दूसरे से लिपटे रहे. पिता के चेहरे पर खुशी तो थी ही, साथ ही अपने बेटे पर गर्व भी था और उसी गर्व के साथ वो गुकेश की पीठ थपथपाते रहे.

डिंग की तारीफ, बताया कौन है बेस्ट

इतनी सी उम्र में दुनिया जीत लेना हर किसी के बस की नहीं है. अगर जीत भी जाएं तो उसके बाद भी अपने स्वभाव और अपनी बातों में स्थायित्व बनाए रखना आसान नहीं होता. अभिमान में कई चैंपियन बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं, मगर गुकेश ने यहां भी परिपक्वता दिखाई. भारतीय स्टार ने जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे पहले अपने प्रतिद्वंद्वी डिंग लिरेन की बात की और उनकी हार पर खेद जताया. गुकेश ने साथ ही उन्हें सही मायनों में वर्ल्ड चैंपियन बताते हुए कड़ी टक्कर के लिए उनकी जमकर तारीफ की.

इसके बाद गुकेश ने जो कहा, वो आम लोगों को हैरान कर सकता है. नए-नए वर्ल्ड चैंपियन बने गुकेश ने साफ किया कि ये खिताब जीतने के बाद भी वो दुनिया के बेस्ट प्लेयर नहीं हैं क्योंकि वो तमगा अभी भी नॉर्वे के दिग्गज और महानतम ग्रैंड मास्टर में से एक मैग्नस कार्लसन के नाम है, जिन्होंने 5 बार इस चैंपियनशिप पर कब्जा किया और पिछले साल खुद को इससे अलग भी कर लिया.

युवराज की नजर में कौन है सबसे कंजूस खिलाड़ी? जानें

भारतीय क्रिकटरों की बीसीसीआई कॉन्ट्रैक्ट, आईपीएल, घरेलू मैच और ब्रांड एंडोर्समेंट जैसे तमाम जगहों से कमाई होती है. साल में वो करोड़ों रूपए कमाते हैं और लग्जरी लाइफ जीते हैं. इसलिए किसी भी क्रिकेटर के कंजूस होने की बात जरा अटपटी लगती है. लेकिन युवराज सिंह की नजरों में ऐसा नहीं है. उन्होंने एक बार इंटरव्यू के दौरान टीम का राज खोला था और सबसे कंजूस खिलाड़ी के बार में बताया था. उनके खुलासे ने सभी को चौंका दिया था, क्योंकि युवराज ने जिस खिलाड़ी का नाम लिया था उसके पास आज अनुमानित 127 मिलियन डॉलर यानि करीब 1046 करोड़ की संपत्ति है.

इस खिलाड़ी को बताया सबसे कंजूस

युवराज सिंह को टीम इंडिया का सबसे मजाकिया खिलाड़ी माना जाता है. वह टीम के सभी खिलाड़ियों के साथ मस्ती करते रहते थे. इसलिए उन्हें करीब हर खिलाड़ी का सीक्रेट पता होता था. एक बार युवराज ने रेडियो मिर्ची को दिए इंटरव्यू में भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों के राज खोले थे. ये बात 2016 की है. तब उन्होंने खुलासा किया था कि टीम में कई कंजूस खिलाड़ी मौजूद थे.

युवराज ने मजाकिया अंदाज में कहा था कि ‘हमारी टीम के कई कंजूस मौजूद हैं. खासतौर से सीनियर खिलाड़ी लेकिन मैं उनका नाम नहीं ले सकता. ये बहुत ही संवेदनशील मामला है. फिलहाल विराट कोहली सबसे बड़ा कंजूस है. जब भी हम खाना खाने जाते हैं, मुझे ही पैसे देने पड़ते हैं. उसे पैसे देने के लिए मुझे मजबूर करना पड़ता है. आशीष नेहरा भी कभी-कभी कंजूसी करते हैं. ‘ बता दें कोहली तब उभरते हुए सितारे हुआ करते थे. क्रिकेट में उनके कद के साथ संपत्ति तेजी से बढ़ रही थी. आज वह 1046 करोड़ के मालिक हैं.

विराट कोहली ने दिया था ये जवाब

युवराज सिंह ने जब ये खुलासा किया तो इस बारे में विराट कोहली से भी पूछा गया. ब्रेकफास्ट विद चैंपियन शो पर युवी की इन बातों पर कोहली काफी हंसे थे. उन्होंने इस बात से इनकार करते हुए मजाकिया अंदाज में खुद युवराज पर ही कंजूस होने का आरोप लगा दिया था. कोहली ने बताया था कि युवराज पहले अपने हिसाब से खाना मंगाने के लिए बोल देते थे. फिर जब वह पनीर, कॉर्न पालक और दाल जैसी चीजें मंगा लेते थे तो वो नाराज होकर कहते यार कैसा खाना ऑर्डर कर दिया. उसमें कमियां निकालते थे.

शाहीन अफरीदी बने पाकिस्तान के पहले गेंदबाज, जिन्होंने तीनों फॉर्मेट में लिए 100 विकेट

डरबन में खेला पहला T20 भले ही साउथ अफ्रीका ने जीत लिया है. लेकिन, पाकिस्तान की हार के बावजूद उसके तेज गेंदबाज शाहीन शाह अफरीदी ने एक बड़ा कमाल किया है. इस कमाल को करने वाले शाहीन अफरीदी पाकिस्तान के पहले और दुनिया के चौथे गेंदबाज बन गए हैं. शाहीन ने ये कमाल डरबन में खेले T20 इंटरनेशनल मैच में अपना शतक पूरा करते हुए किया. यहां शतक से मतलब रनों के आंकड़े से नहीं बल्कि विकेटों की संख्या से है. शाहीन अफरीदी T20 इंटरनेशनल में 100 शिकार करने वाले गेंदबाज बन गए हैं.

इस मामले में पाकिस्तान के पहले गेंदबाज बने

अब आप कहेंगे कि शाहीन अफरीदी से पहले तो T20 इंटरनेशनल में 100 विकेट हारिस रऊफ और शादाब खान भी ले चुके हैं. फिर वो पहले गेंदबाज कैसे हुए? तो बेशक T20 इंटरनेशनल में 100 विकेट लेने वाले शाहीन अफरीदी पाकिस्तान के तीसरे गेंदबाज हैं. लेकिन, क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में 100 विकेट लेने वाले वो पाकिस्तान के पहले और दुनिया के चौथे तेज गेंदबाज हैं.

ऐसा करने वाले दुनिया के चौथे गेंदबाज शाहीन

दुनिया में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में 4 विकेट लेने वाले शाहीन अफरीदी चौथे गेंदबाज हैं. उनसे पहले श्रीलंका के लसिथ मलिंगा, न्यूजीलैंड के टिम साउदी और बांग्लादेश के शाकिब अल हसन भी ये कारनामा कर चुके हैं. शाहीन शाह अफरीदी के टेस्ट में 116 विकेट, वनडे में 112 विकेट और अब T20I में 100 विकेट हैं.

4 ओवर में शाहीन अफरीदी ने लिए 3 विकेट

मुकाबले की बात करें तो शाहीन अफरीदी ने साउथ अफ्रीका के 3 महत्वपूर्ण विकेट अपने नाम किए. उन्होंने पहले नई गेंद से उसके ओपनर रासी वैन डर दुसे को बिना खाता खोले ही डगआउट भेजा. फिर उन्होंने अपनी गेंदबाजी से डेविड मिलर के तूफान को रोकने का काम किया. वहीं अपना तीसरा और आखिरी विकेट उन्होंने साउथ अफ्रीका के नीचले क्रम के बल्लेबाज का लिया. इस तरह शाहीन अफरीदी ने अपने 4 ओवर के स्पेल में 22 रन देकर 3 विकेट झटके.

हालांकि, शाहीन अफरीदी का ये प्रदर्शन टीम के काम नहीं आ सका. पाकिस्तान बल्लेबाजों ने निराश किया जो साउथ अफ्रीका से मिले 184 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 20 ओवर में 8 विकेट पर 172 रन पर ही थम गए.

जॉर्ज लिंडे ने किया कमाल, साउथ अफ्रीका को दिलाई पहली जीत, पाकिस्तान को 11 रन से हराया

साउथ अफ्रीका ने पाकिस्तान के खिलाफ पहला T20 मुकाबला जीत लिया है. डरबन में खेले मुकाबले में उसने 11 रन से जीत दर्ज की और इसी के साथ 3 मैचों की T20 सीरीज में 1-0 की बढ़त भी ले ली. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि साउथ अफ्रीका की जीत का हीरो कौन रहा? नवजानों के खेल कहे जाने वाले इस फॉर्मेट में साउथ अफ्रीका की जीत की बंशी 33 साल के उस खिलाड़ी ने बजाई, जिसे पाकिस्तान की टीम से लगता है काफी लगाव रहा है. और, जो डरबन के मैदान पर टीम बस से बाकी खिलाड़ियों के साथ नहीं बल्कि पुलिस की वैन में बैठकर आया था. हम बात कर रहे हैं जॉर्ज लिंडे की, जिन्होंने साउथ अफ्रीका को पहला T20 जिताने में गेंद और बल्ले दोनों से अपने करियर का बेस्ट प्रदर्शन किया है.

डेविड मिलर और जॉर्ज लिंडे की विस्फोटक बल्लेबाजी

मुकाबले में टॉस जीतकर साउथ अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी की और 20 ओवर में 9 विकेट पर 183 रन बनाए. 30 रन के अंदर 3 विकेट गिरने के बाद साउथ अफ्रीका अगर 180 प्लस के स्कोर तक पहुंच सका तो इसलिए क्योंकि डेविड मिलर और जॉर्ज लिंडे ने मिलकर कमाल की बल्लेबाजी की. मिलर ने 8 छक्कों के साथ 40 गेंदों पर 82 रन ठोके, जिसमें उनका स्ट्राइक रेट 205 का रहा. इसी तरह जॉर्ज लिंडे ने भी 200 की स्ट्राइक रेट से सिर्फ 24 गेंदों में 48 रन जड़े. उन्होंने 4 छक्के उड़ाए.

बल्ले के बाद गेंद से भी लिंडे का बेस्ट प्रदर्शन

डेविड मिलर ने अपने T20 इंटरनेशनल करियर का 8वां अर्धशतक ठोका. वहीं जॉर्ज लिंडे ने बल्ले से अपने T20 इंटरनेशनल करियर का सबसे बड़ा स्कोर बनाया. अब डेविड मिलर का तो काम पूरा हो गया था. लेकिन, जॉर्ज लिंडे के पास टीम के लिए गेंद से दम दिखाने का काम अभी बाकी था. उन्होंने बल्लेबाजी की ही तरह गेंदबाजी में भी कमाल करते हुए करियर बेस्ट प्रदर्शन किया.

जॉर्ज लिंडे ने 184 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम की ईंट से ईंट बजा दी. ऐसा करते हुए उन्होंने 4 ओवर के अपने स्पेल में 21 रन देकर उनके 4 विकेट चटकाए, जो कि उनका क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में बेस्ट परफॉर्मेन्स रहा.

मैच का हीरो बनकर लिंडे ने सुनाई आपबीती

बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में बेस्ट प्रदर्शन करने के लिए जॉर्ज लिंडे को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया. मैच के हीरो बनकर लिंडे ने कहा कि इस परफॉर्मेन्स के जरिए T20 इंटरनेशनल में उनका ड्रीम कमबैक हुआ है. उन्हें खुशी है कि उन्होंने खुद से जो वादा किया था वो पूरा किया. टीम के लिए परफॉर्म किया. इसी दौरान जॉर्ज लिंडे ने बताया कि ग्राउंड आते वक्त उनकी टीम बस छूट गई थी, जिसके बाद पुलिस उन्हें छोड़ कर गई.

अंडर-19 एशिया कप 2024: बांग्लादेश ने भारत को हराकर लगातार दूसरी बार जीता खिताब

अंडर-19 एशिया कप 2024 का फाइनल मैच दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में भारत और बांग्लादेश की टीमों के बीच खेला गया. इस मुकाबले में बांग्लादेश की टीम ने बड़ा उलटफेर करते हुए भारतीय टीम को हराया और लगातार दूसरी बार खिताब अपने नाम किया. यानी बांग्लादेश की टीम अपना टाइटल डिफेंड करने में कामयाब रही. दोनों टीमों के बीच ये मैच काफी लो स्कोरिंग रहा और बांग्लादेश की टीम ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए जीत अपने नाम की.

बांग्लादेश की टीम ने रचा इतिहास

बांग्लादेश की टीम ने लगातार दूसरी बार अंडर-19 एशिया कप का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है. बता दें, ये टूर्नामेंट 1989 से खेला जा रहा है. लेकिन बांग्लादेश की टीम अंडर-19 एशिया कप के इतिहास की सिर्फ दूसरी ही टीम बनी है, जिसने दूसरी बार खिताब जीता है. वहीं, टीम इंडिया ने 8 खिताब ट्रॉफी पर कब्जा किया है. इन दो टीमों के अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने 1-1 बार इस टूर्नामेंट को अपने नाम किया है. वहीं, ये सिर्फ पहला ही मौका है जब टीम इंडिया को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा है. इससे पहले जब-जब भारतीय टीम ने अंडर-19 एशिया कप का फाइनल खेला था, तब-तब उनसे खिताब भी अपने नाम किया था.

बांग्लादेश ने बोर्ड पर लगाए 198 रन

भारतीय टीम ने इस मैच में टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया था. गेंदबाजों की ओर से अच्छा प्रदर्शन भी देखने को मिली. भारतीय टीम बांग्लादेश की पारी को 198 रनों पर रोकने में कामयाब रही. इस दौरान युधाजित गुहा, चेतन शर्मा और हार्दिक राज ने 2-2 विकेट हासिल किए. वहीं, किरण चोरमले, केपी कार्तिकेय और आयुष म्हात्रे ने 1-1 विकेट अपने नाम किया. दूसरी ओर बांग्लादेश के लिए रिजान हसन ने सबसे ज्यादा 47 रन बनाए. मोहम्मद शिहाब जेम्स ने भी 40 रनों का योगदान दिया. फरीद हसन ने भी 39 रनों की पारी खेली.

भारतीय बल्लेबाजी रही फ्लॉप

199 रनों के टारगेट का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत काफी खराब रही. आयुष म्हात्रे के रूप में टीम इंडिया को 4 रन पर पहला झटका लगा. इसके बाद लगातार विकेट गिरते चले गए, जिसके चलते भारतीय टीम मुकाबले में वापसी नहीं कर सकी. वैभव सूर्यवंशी भी इस मैच में 9 रन ही बना सके. इनके अलावा, केपी कार्तिकेय 21 रन और सी आंद्रे सिद्धार्थ भी 20 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. निखिल कुमार तो खाता भी नहीं खोल सके. कप्तान मोहम्मद अमान ने जरूर जुझारू पारी खेली, लेकिन वो भी टीम को जीत तक नहीं पहुंचा सके और भारतीय टीम 44.5 ओवर में ही 249 रनों पर ढेर हो गई.