उत्तराखंड का वो गांव जो 64 साल पहले हुई एक दर्दनाक घटना के बाद आज भी भूतिया गांव के रूप में जाना जाता है, जानें इनकी पूरी कहानी
21वीं सदी में ये बातें भले ही आपको अब बकवास लगे लेकिन इस गांव से पलायन कर चुके लोगों का यही कहना है कि यहां कुछ अजीब सा है। जानिए, ऐसा क्या हुआ था
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 265 किलोमीटर दूर चंपावत जिले के स्वाला गांव को लोग आज भूत गांव के रुप में जानते हैं। टनकपुर से चंपावत की ओर जाते हुए यह गांव मध्य में आता है। 64 साल पहले यहां ऐसा नहीं था। सबकुछ ठीक था। अन्य गांवों की तरह यहां भी चहल-पहल थी। लेकिन एक हादसे ने इस गांव को भूतों का अड्डा बना दिया।
गांव के बुजुर्ग लोग बताते हैं कि 1952 में 10 से 12 पीएसी जवानों से भरी एक मिनी बस गांव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जवानों ने ग्रामीणों से मदद की पुकार लगाई। कहते हैं कि ग्रामीण आए लेकिन जवानों की मदद करने के बजाय उनका सामान लूटकर चले गए। जवान मदद के लिए चिल्लाते रहे लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। इलाज न मिल पाने से जवानों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। उस वक्त गांव में 20 से 25 परिवार रहते थे। कहा जाता है कि उसके बाद गांव में अजीबोगरीब घटनाएं हुई, जिसके बाद ग्रामीण आतंकित हो गए।
अजीबोगरीब घटनाओं के खौफजदा ग्रामीणों ने धीरे-धीरे गांव छोड़ दिया। आज पूरा गांव खाली हो चुका है। ग्रामीणों के परपौत्र-पौत्र जो अब आस-पास बस चुके हैं, उनकी जमीनें गांव में अभी भी हैं, लेकिन कोई वहां जाने की हिम्मत नहीं करता। जहां पीएसी के जवानों की हादसे में मौत हो गई थी, वहां एक मंदिर भी स्थापित किया गया है। इस सड़क से जाने वाला हर वाहन मंदिर में रुकता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके साथ कुछ गलत घटनाएं नहीं होती।
स्वाला गांव से पलायन कर चुके ग्रामीणों के पौत्रों में कुछ भूत से डरकर गांव छोड़ने की बात से इंकार करते हैं।
वे कहते हैं कि पलायन करने की वजह सुविधाओं का अभाव रहा। वे कहते हैं कि स्वाला गांव में सुविधाओं के नाम पर सड़क भी नहीं है। इसलिए पलायन हुआ।
Dec 06 2024, 13:35