अमित शाह से क्यों मिलीं प्रियंका गांधी, एमपी बनने के बाद मुलाकात के क्या हैं मायने?

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प्रियंका गांधी केरल के वायनाड से सांसद चुनीं गई हैं। इसी चल रहे शीतकालीन सत्र में ही उन्होंने सांसद पद की शपथ ली है। सांसद चुने जाने के बाद प्रियंका एक्शन में दिख रही हैं। बाढ़ से अस्त-व्यस्त हो चुके केरल के वायनाड को उबारने के लिए प्रियंका गांधी लगातार सक्रिय हैं। इसी क्रम में प्रियंका गांधी ने बुधवार को वायनाड के स्पेशल पैकेज की मांग को लेकर संसद में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

2221 करोड़ का रिलीफ फंड की मांग

केरल के वायनाड में 30 जुलाई को भारी बारिश के बीच भूस्खलन हुआ था, जिससे बड़े इलाके में तबाही मच गई थी। इस लैंडस्लाइड में हजारों की संख्या में लोग प्रभावित हुए और सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। उन्हीं पीड़ित लोगों के लिए वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने विशेष पैकेज के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान 21 और सांसद मौजूद थे। प्रियंका ने अमित शाह से वायनाड के लिए 2221 करोड़ का रिलीफ फंड जारी करने की मांग की है।

गृह मंत्री ने सकारात्मक भरोसा दिया

प्रियंका गांधी ने बताया कि वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर हमने ये अमित शाह से मुलाकात की है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि वहां जो स्थिति है, उससे हमने उन्हें अवगत कराया है। उन्हें बताया है कि वहां क्या-क्या हुआ है और लोग पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं। लोगों के पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं बचा है। पत्रकारों से बात करते हुए प्रियंका ने कहा कि गृह मंत्री ने सकारात्मक भरोसा दिया है।

प्रियंका की अपील- राजनीति को परे रखते हुए मदद करें

प्रियंका गांधी ने कहा कि हमने अपील की है कि राजनीति को परे रखते हुए वहां लोगों की जितनी मदद की जाए वो करें। हमने उनसे कहा कि प्रधानमंत्री भी वायनाड गए थे। उन्होंने वहां के पीड़ित लोगों से मुलाकात की थी। अब उन लोगों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री आए थे तो जरूर कुछ मदद मिलेगी।

केन्द्र ने ठुकरायी राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग

बता दें कि जुलाई-अगस्त के महीने में केरल के वायनाड को भयावह बाढ़ का सामना करना पड़ा था। इस बाढ़ की वजह से करीब 400 लोगों की जान जा चुकी है। केरल सरकार ने वायनाड के इस बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया था। केरल सरकार का कहना था कि बिना राष्ट्रीय आपदा घोषित किए यहां राहत और पुनर्वास का काम आसान नहीं है। केरल सरकार ने इसके लिए केंद्र से 2 हजार करोड़ रुपए की मांग की थी।

यह मुलाकात इस वजह से भी अहम कही जा सकती है क्योंकि गांधी परिवार की तरफ से केंद्र सरकार के किसी मंत्री और खास और पर गृह मंत्री से अपने लोकसभा क्षेत्र को लेकर इस तरह की मुलाकातें कम ही याद आती है।

महाराष्ट्र में फिर फडणवीस सरकार, बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार खेमे से कौन-कौन बन सकता है मंत्री? देखें संभावित लिस्ट

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महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की शपथ लेंगे। मुंबई के आजाद मैदान में शाम साढ़े 5 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा।सरकार में पिछली बार की तरह की दो डिप्टी सीएम भी होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इसके अलावा एनडीए शासित राज्यों के सीएम भी भाग लेंगे।शपथ ग्रहण समारोह में देश की कई सारी नामचीन हस्तियां शामिल होगी। समारोह में तीनों दलों के 40 हजार कार्यकर्ता-पदाधिकारी, साधु संत सहित 2,000 अति विशिष्ट व्यक्ति शामिल होंगे।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे फडणवीस

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। कल उन्हें सर्वसम्मति से महाराष्ट्र बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था, जिससे उनके तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल 2014 से 2019 के बीच पूरे पांच साल का था, जबकि दूसरा कार्यकाल नवंबर 2019 में लगभग 80 घंटे तक रहा।

शिंदे लेंगे डिप्टी सीएम पद की शपथ

फडणवीस के साथ महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम भी होंगे। इनमें एक नाम एनसीपी नेता अजित पवार का माना जा रहा है, जबकि दूसरा नाम एकनाथ शिंदे का है। पहले इनके नाम पर कुछ साफ नहीं था लेकिन अब यह तय हो गया है कि शिंदे डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह फैसला लिया है।

मंत्रिमंडल को लेकर चर्चा तेज

शपथ ग्रहण से पहले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के किन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इसकी चर्चा तेज हो गई है। बीजेपी के एक नरिष्ठ नेता के मुताबिक, बीजेपी के 17 कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं, जबकि एनसीपी अजित पवार गुट और शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट को 7-7 कैबिनेट मंत्री मिल सकते हैं।

बीजेपी से संभावित मंत्री

बीजेपी से जिन नेताओं के मंत्री पद मिल सकता है, उनमें कोकण विभाग (मुंबई और ठाणे) से आशीष शेलार, मंगल प्रभात लोढ़ा, राहुल नार्वेकर, अतुल भातखलकर और नितेश राणे का नाम शामिल है। वहीं ठाणे जिले से रवीन्द्र चव्हाण और गणेश नाइक कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र से माधुरी मिसाल, शिवेंद्र सिंह राजे भोसले, राधाकृष्ण विखे पाटिल और गोपीचंद पडलकर को मौका मिल सकता है। इसके अलावा विदर्भ रीजन से चन्द्रशेखर बावनकुले और संजय कुटे कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं, जबकि उत्तर महाराष्ट्र से जयकुमार रावल और गिरीश महाजन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। मराठवाड़ा से अतुल सावे और पंकजा मुंडे महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं।

शिवसेन-एनसीपी के संभावित मंत्री

अगर शिवसेना की बात करें तो शिवसेना से एकनाथ शिंदे, शंभूराज देसाई, दादा भुसे, गुलाबराव पाटिल, संजय राठौड़, उदय सामंत और अर्जुन खोतकर को जगह मिल सकती है। इसके साथ ही एनसीपी अजित पवार गुट से अजित पवार, छगन भुजबल, अदिति तटकरे, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अनिल भाईदास पाटिल और नरहरि जिरवाल मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

महाराष्ट्र में बीजेपी 132 सीटों के साथ बड़ी पार्टी

महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव हुआ था और 23 नवंबर को नतीजे आए थे। चुनाव में महायुति ने शानदार जीत हासिल की थी। 132 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके अलावा शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार को एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं।

मोहम्मद यूनुस नरसंहार में शामिल', बांग्लादेश सरकार पर शेख हसीना का तीखा हमला

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोला है। शेख हसीना ने कहा है कि देश की बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहे हैं। जबकि उन्‍होंने (शेख हसीना) हिंसा रोकने के लिए देश तक छोड़ दिया, लेकिन गोली नहीं चलने दी। यही नहीं, हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस ने हिंदुओं के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। साथ ही अपने पिता शेख मुजीर्बुर रहमान और बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया।

बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई-हसीना

हसीना ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए यूनुस पर नरसंहार करने और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। अगस्त में बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण देश छोड़कर भारत में शरण लेने के बाद यह हसीना का पहला सार्वजनिक संबोधन था। इस दौरान उन्होंने पांच अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, ''हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया। अगर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाई होतीं, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे गोलियां न चलाएं।'' उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की तरह ही उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी।

यूनुस सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहे-हसीना

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए में हसीना ने कहा, ‘‘आज मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है। वास्तव में, यूनुस एक सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहे हैं। इस नरसंहार के पीछे मुख्य षड्यंत्रकारी छात्र समन्वयक और यूनुस हैं।'' हसीना ने कहा कि ढाका में मौजूदा सत्तारूढ़ सरकार अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में विफल रही है। हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का परोक्ष संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू, बौद्ध, ईसाई - किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह गिरजाघरों को ध्वस्त कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध उपासनास्थलों को तोड़ दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन के संत को गिरफ्तार कर लिया गया।

हसीना ने पूछा- अल्पसंख्यकों पर अत्याचार क्यों हो रहा है?

हसीना ने इस दौरान बांग्लादेश सरकार से पूछा, ‘‘अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों हो रहा है? उन्हें क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है?'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे तो इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला।'' हसीना ने कहा कि उन्होंने हिंसा रोकने के उद्देश्य से अगस्त में बांग्लादेश छोड़ दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।''

इस बार सर्दियों में नहीं पड़ेगी कड़ाके की ठंड, शीतलहर के दिनों में कमी की यह है सबसे बड़ी वजह


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

इस बार सर्दियों में कड़ाके की ठंड नहीं पड़ेगी। दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के दौरान देश के उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और उत्तर-पूर्व हिस्सों के अधिकतर इलाकों में शीतलहर वाले दिनों की संख्या भी सामान्य कम रहने की उम्मीद है।मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार देश के अधिकतर हिस्सों में सर्दियों के दौरान न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने के आसार हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि ला नीना की अनुपस्थिति के कारण इस साल सर्दी सामान्य से गर्म रह सकती है। ला नीना प्रशांत महासागर और ऊपर के वायुमंडल के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है। ला नीना आमतौर पर ठंडी सर्दियों से जुड़ा होता है, लेकिन इस साल यह घटना नहीं हुई है। ला नीना के दौरान व्यापारिक हवाएं मजबूत हो जाती हैं जिससे जल की बड़ी मात्रा पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र की ओर बढ़ जाती है, इससे पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में तापमान ठंडा हो जाता है। हालांकि जनवरी, फरवरी 2025 के आसपास ला नीना की स्थिति के विकसित होने की अधिक संभावना जताई गई है। नए वर्ष की शुरुआत तक ला नीना की स्थिति बढ़ने के आसार हैं।

दिसंबर माह में सामान्य से अधिक हो सकती है वर्षा

दिसंबर महीने के दौरान पूरे देश में बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है। यह लाॅन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) से 121 फीसदी अधिक हो सकती है। प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों, पश्चिम-मध्य भारत, पूर्व-मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई गई है। भारत के दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक यानी लंबी एलपीए के 131 फीसदी से अधिक बारिश होने की संभावना है। दक्षिणी प्रायद्वीप में तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश, यनम, रायलसीमा, केरल और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं। यहां होने वाली बारिश बारिश का औसत पूरे देश में परिलक्षित हो हो रहा है। अन्यथा देश के अन्य हिस्सों में बारिश ज्यादा नहीं होगी।

असम में गोमांस पर बैन:होटल-रेस्टोरेंट या किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर नहीं परोसा जाएगा बीफ

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असम की हिमंता बिस्वा सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने राज्य के गोमांस पर बैन लगाया दिया है।असम के किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में अब बीफ नहीं परोसा जा सकेगा। यही नहीं, किसी भी तरह के पब्लिक फंक्शन में भी बीफ की डिशेज नहीं सर्व की जा सकेंगी। सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने बुधवार को इस बाबत प्रतिबंधों की घोषणा की।

सरमा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि 'पहले हमारा फैसला मंदिरों के पास गोमांस खाने पर रोक लगाने का था, लेकिन अब हमने इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया है। यानी आप किसी भी सामुदायिक स्थान, सार्वजनिक स्थान, होटल या रेस्तरां में गोमांस नहीं खा सकेंगे।'

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में गो-हत्या रोकने के लिए हम 3 साल पहले कानून लाए थे. इस कानून से हमें गो-हत्या के खिलाफ काफी सफलता मिली है. अब हमने फैसला लिया है कि राज्य में किसी होटल, रेस्टोरेंट या सार्वजनिक स्थान पर बीफ नहीं परोसा जाएगा. पहले हमारा फैसला था कि किसी मंदिर के 5 किलोमीटर दायरे तक गोमांस नहीं परोसा जाएगा। सरमा ने कहा, 'हमने फैसला किया है कि किसी भी रेस्तरां या होटल में गोमांस नहीं परोसा जाएगा। इसलिए आज से हमने होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस की खपत को पूरी तरह से बंद करने का फैसला किया है।

हिमंता बिस्वा सरमा के इस फैसले के बाद सरकार में मंत्री पीजूष हजारिका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने असम कांग्रेस को चैलेंज किया है। हजारिका ने कहा,मैं असम कांग्रेस को चुनौती देता हूं कि वो गोमांस प्रतिबंध का स्वागत करे या फिर पाकिस्तान जाकर बस जाए।

असम सरकार का ये फैसला उस वक्त आया है जब राज्य में गोमांस को लेकर सियासत तेज है। दरअसल, कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने आरोप लगाया था कि नगांव जिले के सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से बीफ पार्टी का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा था कि इसका मकसद मुस्लिम मतदाताओं को रिझाना था। सामगुरी सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान हुआ था। 23 नवंबर को रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस की हार पर सांसद रकीबुल हुसैन ने भाजपा पर बीफ बांटने का आरोप लगाया था।

सरमा ने इन आरोपों पर कहा था कि रकीबुल हुसैन ने एक अच्छी बात कही है कि बीफ खाना गलत बात है।सीएम ने सोमवार को कहा था, मैं रकीबुल हुसैन से जानना चाहता हूं कि बीफ पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने खुद इस बात को स्वीकार किया कि बीफ खाना गलत है, तो ऐसी स्थिति में इस पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैं अब रकीबुल हुसैन के बयान को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखूंगा और उनसे पुछूंगा कि क्या वो भी रकीबुल हुसैन की तरह बीफ पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते हैं।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

दादा को अनुभव है शाम और सुबह भी लेने का, जब शपथ लेने को लेकर शिंदे ने ली अजित पवार की चुटकी

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महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस कल शपथ लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होंगे या नहीं इसपर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा है कि कल तक का इंतजार करो। इससे पहले आज महायुति के नेताओं ने राज्यपाल से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है। वहीं इसके बाद महायुति के तीनों नेताओं (एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार एक-दूसरे के बयानों पर मजाकिया अंदाज में चुटकी लेते नजर आए हैं।

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद फडणवीस, शिंदे और पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। फडणवीस और शिंदे दोनों ने कहा कि कितने और कौन-कौन मंत्री शपथ लेंगे, इसकी जानकारी दे दी जाएगी। शपथ ग्रहण का कार्यक्रम कल 5:30 बजे आजाद मैदान में होगा। फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में यह कार्यक्रम होगा।

मीडिया ने सवाल पूछा कि शिंदे और पवार डिप्टी सीएम की शपथ लेंगे? इस सवाल के जवाब में एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह सब आपको बुधवार शाम तक पता चल जाएगा। तभी अजित पवार बीच में बोलते हैं कि शाम तक उनका समझ में आएगा, मैं तो शपथ लेने वाला हूं। जिसके बाद राजभवन में ठहाके लगे। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने मजाकिया लहजे में यह भी कहा कि दादा को सुबह और शाम कभी भी शपथ ले सकते हैं।अजित दादा को दिन में और शाम को शपथ लेने का अनुभव है। जिसपर पवार ने कहा कि पहले तो सुबह शपथ ले ली थी, तो कुछ रह गया था इसलिए अब शाम को शपथ लेंगे मजबूती के साथ।

यह सुनते ही पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बार फिर हंसी गूंज उठी। शिंदे का यह बयान पिछले सियासी घटनाक्रम की ओर इशारा था, जब 2019 में अजित पवार ने सुबह-सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। लेकिन उसी शाम वे महाविकास अघाड़ी में शामिल हो गए थे और सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे ने किया था।

देवेन्द्र फडणवीस ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, डिप्टी सीएम पद पर एकनाथ शिंदे ने नहीं खोले पत्ते

#mahayuti_presented_claim_to_form_government_in_raj_bhavan

महाराष्ट्र में सीएम पद और सरकार गठन को लेकर चल रहा इंतजार बुधवार को खत्म हो गया।देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बुधवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में देवेन्द्र फडणवीस को नेता चुन लिया गया। जिसके बाद महायुति (बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की पार्टी एनसीपी) के नेताओं ने बुधवार को सरकार बनाने का दावा पेश किया। देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने राजभवन में राज्यपाल को विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा। इस दौरान राज्य के लिए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी भी मौजूद रहे। देवेंद्र फडणवीस पांच दिसंबर को महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ लेंगे।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने राज्यपाल से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए समर्थन पत्र सौंपा। हमारे गठबंधन सहयोगी शिवसेना और एनसीपी ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि मुझे महायुति के सीएम के रूप में शपथ दिलाई जाए। राज्यपाल ने सभी अनुरोध स्वीकार कर लिए हैं और हमें कल शाम 5.30 बजे शपथ समारोह के लिए आमंत्रित किया है। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।

इससे पहले विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद महाराष्ट्र के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को नई सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि असली संघर्ष लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में है। गुरुवार को शपथ ग्रहण समारोह से पहले राज्य भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने के बाद बोलते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन पर भरोसा जताने के लिए धन्यवाद दिया।

दक्षिण कोरिया में भारी विरोध के बाद हटाया गया मार्शल लॉ. जाने क्या है पूरा मामला

#south_korea_president_yoon_suk_lifts_martial_law_order_after_heavy_pressure

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को देश के विपक्ष पर संसद को नियंत्रित करने, उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और सरकार को राज्य विरोधी गतिविधियों से पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए साउथ कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की थी। हालांकि, कुछ ही घंटों के भीतर मार्शन लॉ हटा लिया गया। यह फैसला संसद के भारी विरोध और वोटिंग के बाद लिया गया। वोटिंग में 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को स्वीकार करने के लिए मना कर दिया। मार्शल लॉ के ऐलान के बाद वहां की जनता भी सड़को पर उतर आई। आर्मी के टैंक सियोल की गलियों में घूमने लगे। हालांकि कि बिगड़ते हालातों और लगातार बढ़ते विरोध के कारण राष्ट्रपति ने अपना फैसला वापस ले लिया।

इससे पहले मंगलवार रात को राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में सरकार को कमजोर करने के विपक्ष के प्रयासों का जिक्र किया और कहा कि 'तबाही मचाने वाली देश विरोधी ताकतों को कुचलने के लिए मार्शल लॉ की घोषणा करते हैं।' राष्ट्रपति ने टीवी पर प्रसारित बयान में बताया कि देश को उत्तर कोरिया और देश विरोधी ताकतों से खतरा है। टीवी पर एक संबोधन में उन्होंने विपक्षी दलों पर सरकार को पंगु बनाने, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखने और संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए ‘इमरजेंसी मार्शल लॉ’ की घोषणा की थी।

राष्ट्रपति यून ने अपने संबोधन में कहा कि देश को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों और देश विरोधी तत्वों से बचाने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा के लिए यह फैसला लिया गया है। यह घोषणा उस समय हुई जब उनके सत्तारूढ़ दल पीपुल्स पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अगले साल के बजट को लेकर तीखा विवाद चल रहा था। मार्शल लॉ का अर्थ था कि देश अस्थायी तौर पर सेना के नियंत्रण में चला गया।

हालांकि विपक्ष का आरोप है कि अपनी राजनीति परेशानियों के चलते राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाने का फैसला किया था। विपक्षी नेता ली जे-म्यांग ने यून की घोषणा को ‘अवैध और असंवैधानिक’ करार दिया।

इधर, राष्ट्रपति ने जैसे ही मार्शल लॉ लगाने का एलान किया, वैसे ही हजारों की संख्या में लोग दक्षिण कोरिया की सड़कों पर निकल आए और राजधानी सियोल में संसद के बाहर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। मार्शल लॉ लगते ही सैन्य बल संसद में दाखिल हो गए और संसद के बाहर पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प शुरू हो गई। वहीं पुलिस को संसद में दाखिल होने से रोकने के लिए सांसद भी पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। भारी विरोध के चलते राष्ट्रपति ने हार मान ली और कुछ ही घंटे बाद संसद में हुए मतदान को स्वीकार करते हुए मार्शल लॉ का आदेश वापस ले लिया।

भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में फिलिस्तीन का किया समर्थन, इजराइल के खिलाफ दिया वोट

#india_votes_in_favour_of_unga_resolution_on_palestine 

भारत ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर अपने पुराने रुख को बरकरार रखा। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में इजराइल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें पूर्वी यरुशलम सहित 1967 से कब्जाए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र से इजराइल से वापस जाने का आह्वान किया गया है तथा पश्चिम एशिया में व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के आह्वान को दोहराया गया है।

यह प्रस्ताव "फिलिस्तीन के सवाल का शांतिपूर्ण समाधान" शीर्षक से पेश किया गया था, जिसे सेनेगल ने प्रस्तावित किया। इसे 157 देशों का समर्थन मिला, जबकि 8 देशों - इजराइल, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, अर्जेंटीना और हंगरी ने इसका विरोध किया। कई देशों ने मतदान से दूरी बनाई, जिनमें यूक्रेन, जॉर्जिया और चेकिया शामिल हैं। 

यूएन में पेश हुए इस प्रस्ताव में मांग की गई कि इजराइल 1967 से कब्जाई गए फिलिस्तीन के क्षेत्र, जिसमें पूर्वी यरुशलम का हिस्सा भी शामिल है को खाली करे। प्रस्ताव में फिलिस्तीन के लोगों के अधिकारों, खासकर उनके आत्मनिर्णय के अधिकारों और स्वतंत्र शासन का समर्थन किया गया। इस प्रस्ताव के तहत यूएन महासभा ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इजराइल-फलस्तीन के बीच दो शासन से जुड़े हल (टू स्टेट सॉल्यूशन) का समर्थन किया। इसके तहत दोनों देशों के 1967 से पहले वाली सीमा के आधार पर शांति-सुरक्षा के साथ रहने की वकालत की जाती है।

प्रस्ताव में गाजा पट्टी में जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय परिवर्तन के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया गया, जिसमें गाजा के क्षेत्र को सीमित करने वाली कोई भी कार्रवाई शामिल है। प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया कि गाजा पट्टी 1967 में कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है और यह ‘द्वि-राष्ट्र समाधान के दृष्टिकोण की पुष्टि करता है, जिसमें गाजा पट्टी फिलिस्तीन का हिस्सा होगी।’

संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से इजराइल से फिलिस्तीनी क्षेत्रों को छोड़ने की मांग करता रहा है। यह विवाद दशकों पुराना है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच विभाजन का कारण बना हुआ है। हालांकि, अमेरिका जैसे देश इस तरह के प्रस्तावों का विरोध करते रहे हैं और इजराइल का समर्थन करते हैं।