काले कुत्ते को क्यों माना जाता है काल भैरव का वाहन? जानें इसके पीछे की कहानी और धार्मिक मान्यताएं.
भगवान शिव के रौद्र रूप को काल भैरव कहा जाता है. जहां भगवान शिव का वाहन नंदी बैल है. वहीं काल भैरव का वाहन एक काल कुत्ता है. वैसे तो सभी देवी-देवताओं का कोई न कोई वाहन जरूर होता है. जिनके पीछे कोई न कहानी जरूर होती है. क्या आपकों पता है कि भगवान काल भैरव ने एक कुत्ते को ही अपना वाहन क्यों बनाया. आखिर इसके पीछे क्या वहज हैं.
काला कुत्ता कैसे बना भैरव का वाहन?
धर्मिक ग्रंथों के अनुसार, काला कुत्ता काल भैरव का वाहन है. काल भैरव जहां भी जाते हैं. उनका वाहन हमेशा उनके साथ रहता है. लेकिन काल भैरव कभी भी उसकी सवारी नहीं करते बल्कि काला कुत्ता हमेशा उनके साथ चलाता है. मान्यता है कि काल भैरव ने काले कुत्ते को अपना वाहन इसलिए चुना क्योंकि काल भैरव का स्वरूप उग्र है और कुत्ते को भी उग्र पशु के रूप में देखा जाता है. कुत्ता कभी भय नहीं रखता. वह न तो रात के अंधेरे से डरता है. लेकिन जैसे ही कोई उसपर हमला करता है तो वह उससे अधिक उग्र होकर हमला करता है.
साथ ही कुत्ते को तेज बुद्धि के साथ सबसे वफादार और रक्षा करने वाला एक पशु माना जाता है. कुत्तों को लेकर यह भी माना जाता है कि कुत्ते में बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करने की क्षमता होती है. कुत्ता सूक्ष्म जगत की आत्माओं को देख सकता है. भैरव को श्मशान निवासी बताया गया है. श्मशान में पशु के रूप में केवल कुत्ते ही दिखाई देते हैं. ऐसे में कुत्ता भैरव का साथी बना.
काल भैरव पूजन का महत्व
तंत्र शास्त्र में काल भैरव का विशेष स्थान प्राप्त है. मान्यात है कि काले कुत्ते को कला भैरव का वाहन मानकर उसकी पूजा करने स बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है.
Disclaimer:इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करता है.
Dec 04 2024, 19:31