अधिवक्ता समाज से माफी मांगे सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ। लखनऊ के प्रेस क्लब स्थित प्रथम तल पर प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसको संयुक्त रूप से अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र व संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने सम्बोधित किया। पत्रकार वार्ता में अवध बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन देवकी नंदन पाण्डेय ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर अखिलेश यादव द्वारा निरन्तर सनातन धर्म व हिन्दू हितों की रक्षा में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं पर अशोभनीय टिप्पणी की जा रही है तथा उनके विरुद्ध आम जन मानस को भडकाया जा रहा है, जबकि अधिवक्ता अपने मुवक्किल की पैरवी का एक माध्यम होता है और अपने मुवक्किल की बात को तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय के समक्ष रखता है जिसके बाद न्यायालय सभी पक्षों को सुनने के बाद नियम के तहत उचित निर्णय पारित करती है।
अधिवक्ता केवल अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता है जो उसके अधिकार निहित कर्तव्य हैं, ऐसे में अखिलेश यादव द्वारा यह कहना कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा देश के अमन चैन छीनने का कार्य किया जा रहा है तथा अखिलेश यादव द्वारा उन पर दण्डात्मक व अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग करना व उनके विरुद्ध ओछी टिप्पणी करना श्री अखिलेश यादव कि घृणित मानसिकता को दर्शाता है । अखिलेश यादव द्वारा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का चित्र सोशल मिडिया पर लगाकर यह लिखना की जनपद-सम्भल में हुई फसाद की जड़ वही हैं। यह बहुत निन्दनीय है जिसकी मैं कड़ी भर्तस्ना एवं निन्दा करता हूँ। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ के उपाध्यक्ष गणेश नाथ मिश्र द्वारा कहा गया कि यदि कोई अधिवक्ता तर्क, तथ्य और कानून के आधार पर न्यायालय में कोई मुकदमा करता है या अपनी वात रखता है इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि यह अधिवक्ता का अधिकार है, परन्तु अखिलेश यादव द्वारा राजनितिक फायदे के लिये न्यायिक प्रक्रिया को वाधित करने का प्रयास किया जा रहा है तथा राजनितिक रंग दिया जा रहा है और अधिवक्ताओं की व्यक्तिगत आलोचना की जा रही है तथा अखिलेश यादव द्वारा समाज में यह फैलाया जा रहा है कि जनपद-सम्भल में दंगा अधिवक्ताओं द्वारा कराया जा रहा है जो अनुचित व निदंनीय है। अखिलेश यादव के इस कृत्य से अधिवक्ता व उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही हैं जो स्वयं में अपराध है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से श्री अखिलेश यादव का व्यक्तिगत द्वेष लाजमी है क्योंकि सन 2013 में जव अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तव जनपद-विजनौर, वनारस, गोरखपुर, लखनउ, कानपुरनगर, रामपुर, मुरादाबाद, वारावंकी में विभिन्न गम्भीर घटनाओं में पकड़े गये आतंकवादियों पर लगे मुकदमों को वापस लेने का आदेश उनकी सरकार द्वारा दिया गया था परन्तु उनके मनसूबों पर पानी फेरते हुए हरि शंकर जैन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ में जनहित याचिका सं0.4683/2013 (सुश्री रंजना अग्निहोत्री वनाम यूनियन ऑफ इण्डिया) दाखिल किया गया था जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय, लखनउ ने आतंकवादियों के ऊपर लगे मुकदमों को वापस लेने पर रोक लगा दिया था और श्री अखिलेश यादव तत्कालीन मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय विरोधी एवं तुष्टिकरण के कार्य में सफलता नहीं मिली थी इसलिये भी अखिलेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन से व्यक्तिगत द्वेष रखते हैं। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन व उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा मो. अली जौहर विश्वविद्यालय के विषय पर भी याचिका योजित की गई थी जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी को सफलता प्राप्त हुई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वैधता को माननीय उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है जिसमें केन्द्र सरकार को नोटिस जारी हुई है, यह मुकदमे न्यायालय में लवित है। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन द्वारा The Waqf Act, 1995 की वैधता को चुनौती देते हुए देश के अलग-अलग माननीय उच्च न्यायालय में लगभग 120 याचिकायें दाखिल की गई हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन जी का विधिक कार्यों का लम्बा इतिहास है श्री जैन जी द्वारा श्री राम मन्दिर अयोध्या, ज्ञानवापी काशी वनारस के मुकदमें में प्रमुख भूमिका निभयी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा जहां-जहां धर्म और राष्ट्रीय हित के खिलॉफ बनाये गये कानून पाये गयें है उसके खिलाफ विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। श्री जैन केवल मन्दिर, मस्जिद इत्यादि के अलावा भी जनहित के तमाम महत्वपूर्ण मुकदमे करते हैं जिस कारण अखिलेश यादव द्वारा उनको दंगा भढ़काने वाला कहना अनुचित नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन देश के विभान्न स्थानों पर स्थित मन्दिरों तथा जनहित में लगभग 204 मुकदमें देश के विभन्न न्यायालयों में योजित किया गया है जिसमें अधिकतर में सफलता मिली है, कुछ मकदमें सुनवाई हेतु लंवित है । वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरि शंकर जैन एवं उनके पुत्र विष्णु शंकर जैन द्वारा विधि के क्षेत्र में न्यायालय के माध्यम से ऐतिहासिक कार्य किया जा रहा है उनके द्वारा कभी भी कोई गैर विधिक प्रक्रिया नहीं की गई है। जहां तक The Places of Worship (Special Provision), Act 1991 की वात है यह एक्ट हर जगह लागू नहीं होता है लेकिन अज्ञानता में लोग इसकी दुहाई देते रहते हैं। जहां तक मन्दिरों से जुड़े मकदमों की वात है जब किसी मन्दिर की स्थापना हो जाती है तो वह अनन्तकाल तक रहती है, यह वात माननीय उच्चतम न्यायालय ने श्री राम मन्दिर में दिये गये निर्णय में कही है तथा इसका उत्लेख धर्मशास्त्रों में भी है तथा मन्दिर तोड़ने से देवता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है और यदि अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है तो तोड़े हुए मन्दिर पर पुनः मन्दिर का निर्माण होना चाहिये इसलिये विधिक लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ी जा रही है। अखिलेश यादव द्वारा हिन्दुओं के हित के खिलाफ पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं की सदैव सरहाना की गई है तथा ऐसे अधिवक्ताओं को उनके द्वारा अपनी सरकार में उच्च पदों पर बैठाया गया था। अखिलेश यादव जी की मानसिकता हिन्दू जन मानस विरोधी है इसलियें हिन्दुओं हितों की पैरवी करने वालों को उनके द्वारा निरन्तर निशाने पर लिया जा रहा है जो उनकी तुष्टिकरण की राजनिति का औछा प्रयास है। उनके इस कृत्य की हम कड़ी निन्दा व भर्तस्ना करते हैं तथा उत्तर प्रदेश सरकार, केन्द्र सरकार, बार कांउसिल ऑफ इण्डिया व बार कांउसिल ऑफ यू०. पी०. से मांग करते है कि श्री अखिलेश यादव के विरुद्ध तत्काल कठोर प्रशासनिक कार्यवाही करें अन्यथा समस्त अधिवक्तागण आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे ।
Dec 04 2024, 18:09