रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिला उद्यान विभाग की ओर से अनुदान और आधुनिक बीज पाकर किसान उत्तम खेती कर रहे हैं। इससे न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी सरकार की मंशा को भी बल मिलेगा। जिला उद्यान अधिकारी ममता यादव ने बताया कि केंद्र एवं प्रदेश सरकारें अन्नदाताओं की आय को बढ़ाने का काम कर रही है। सरकार की मंशा के अनुसार जिले जिले के किसानों को लाभांवित कराने का काम किया जा रहा है। कहा कि अब तक सौ कुंतल आलू डेढ़ सौ किसानों में वितरित किया गया है। इसके अलावा 396 किसानों में ब्याज बीज को रजिस्ट्रेशन कराया था। जिसके सापेक्ष सभी को बीज दिया गया। 54 किसानों को मिर्च कर दिया गया। 750 किसानों ने लहसुन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। प्रत्येक अन्नदाता को पांच किलो लहसुन का बीज दिया गया है। कार्यालय पर आकर योजनाओं के बारे में जानकारी लेने का आह्वान ग्रामीणों से किया। कहा कि आधुनिक बीज पाकर खेती करने पर ग्रामीणों को अच्छा उत्पादन मिलेगा।
*भदोही में बोर्ड परीक्षा केंद्रों में फेरबदल के लिए प्रबंधक लगा रहे अफसरों के चक्कर*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। शासन की नकलविहीन परीक्षा की मंशा पर अफसर पानी फेरने में जुटे हैं। मानक को दरकिनार कर कई वित्तविहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। छात्र आवंटन की संख्या में भी गड़बड़ी सामने आई है। सवित्त एवं राजकीय स्कूलों के होने पर भी वित्तविहीन विद्यालयों को केंद्र बना दिया गया है। उसके बाद से ही वित्तविहीन विद्यालयों के प्रबंधक अफसरों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। भाजपा के पूर्व महामंत्री ने भी सीएम, डीएम और सचिव को पत्र लिखकर केंद्र निर्धारण को पारदर्शी ढंग से कराने की मांग की। फरवरी-मार्च में होने वाली बोर्ड परीक्षा के लिए परिषद ने पिछले दिनों 85 केंद्रो की अनंतिम सूची जारी की। जिसके बाद प्रधानाचार्यों से आपत्ति मांगी गई। संसाधन की कमी, स्कूलों से दूरी समेत अन्य कमियों के आधार पर 95 विद्यालयों ने आपत्ति दर्ज कराई। डीएम के निर्देश पर गठित टीम ने आपत्तियों का निस्तारण कर रिपोर्ट सौंपा। इसके बाद विभाग की तरफ से संभावित केंद्रों की सूची परिषद को भेजी गई। डीएम की ओर से गठित टीम के अधिकारियों की कसरत काम नहीं आई। अंतत: कई मानकविहीन विद्यालय परीक्षा केंद्रों की सूची में शामिल कर दिए गए। केंद्र बनने से वंचित विद्यालयों के प्रबंधक डीआइओएस कार्यालय की परिक्रमा करने लगे, ताकि विलंब से फॉर्म जमा करने वाले विद्यालयों के छात्रों के लिए बढ़ने वाले परीक्षा केंद्रों की सूची में उनके विद्यालय का नाम आ जाए। इसमें कुछ ऐसे विद्यालय भी शामिल हैं जो पूर्व में धांधली के कारण विवादों में आ चुके हैं। दूसरी तरफ उन प्रबंधकों ने भी चक्कर लगाने शुरू कर दिए, जिनके छात्रों की जुगाड़ वाले विद्यालयों में पोस्टिंग नहीं हुई।बड़ी संख्या में प्रबंधक ऐसे हैं, जो केंद्रों में फेरबदल को लेकर प्रयासरत हैं। अधिकारियों से मुलाकात से लेकर बाबुओं से जोड़तोड़ चल रही है। भाजपा के पूर्व जिला महामंत्री श्रीनिवास चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी और सचिव को पत्र भेजकर केंद्र निर्धारण में पारदर्शी व्यवस्था करने की मांग की। कहा कि वित्तपोषित एवं राजकीय विद्यालय होने के बाद भी शिक्षा विभाग के अफसरों ने साठगांठ कर वित्तविहीन विद्यालयों को केंद्र बना दिया है। जबकि इनमें सुविधाओं की कमी है। जिला विद्यालय निरीक्षक अंशुमान ने कहा कि प्रस्तावित केंद्रो की सूची परिषद को भेजी जा चुकी है। वहां से ही केंद्रो का निर्धारण होगा।
*भदोही में 49.88 लाख से पांच समितियों का होगा जीर्णोद्धार*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले की पांच सहकारी समितियों का 49.88 लाख रुपये से जीर्णोद्धार किया जाएगा। सहकारिता विभाग ने इस्टीमेट बनाकर शासन को भेज दिया है। स्वीकृति मिलने पर काम शुरू होगा। इससे समितियों को कंप्यूटरीकृत करने के साथ ही अन्य सुविधाओं से लैस किया जाएगा।जिले में कुल 52 समितियां हैं। इसमें से 43 से 44 समितियां सक्रिय हैं। यहां से किसानों को उर्वरक, ऋण आदि सुविधाएं मिलती है। केंद्र में सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद सरकार ने इसका नाम बदलकर बी पैक्स कर दिया है। हर समितियों पर 250-250 सदस्य भी बनाए जा चुके हैं। जिले की अधिकतर समितियां ढाई से तीन दशक पूर्व बनाई गई हैं। निगरानी न होने से पूर्व में बनी अधिकतर समितियां जर्जर हो चुकी हैं। इससे खाद-बीज वितरण के समय काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित समितियों के जीर्णोद्धार के साथ ही केंद्र सरकार की केंद्र पुरोनिधानिक योजना के तहत कंप्यूटरीकरण करने का काम शुरू कर दिया है। ऐसे में जर्जर समितियों पर आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराना मुश्किल हो रहा है।अब सहकारिता विभाग ने पांच समितियों के जीर्णेाद्धार के लिए शासन को पत्र लिखा है। एक-एक समिति पर 9.96 लाख से 10 लाख तक का खर्च आएगा। पांचों समितियों पर कुल 49.88 लाख रुपये खर्च होंगे। एआर सहाकारिता राम प्रकाश ने बताया कि पांच समितियों के जीर्णेाद्धार के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।स्वीकृति मिलने पर काम शुरू कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि भविष्य में समितियों पर लोगों को उर्वरक, ऋण के साथ-साथ सीएचसी, दवा आदि की सुविधाएं मिल सकेंगी।
*पिलर पर बना दिया आस्था का चित्र, कर रहे गंदगी* *पालिका से कार्रवाई की करने की मांग*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। नगर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने फ्लाईओवर के पिलर पर सुंदरी करण के दौरान नगर पालिका परिषद की ओर से देवी-देवताओं एतिहासिक स्थल मकबरा के साथ महापुरुषों का चित्र तो बना दिया गया है। लेकिन जागरूकता के आभाव में लोग पिलर के पास गंदगी कर दे रहे हैं। नगर में सड़कों पर थूकने पर पाबंदी लगाने की घोषणा करने वाली नगर पालिका प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे गंदगी करने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है। केंद्र और प्रदेश की सरकार स्वच्छता को लेकर अभियान चलाने के साथ इसे सफल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है लेकिन इन सब से बेपरवाह आम जन की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। पिलर पर बने देवी देवताओं के बने चित्र की अनदेखी कर गंदगी करने वाले लोगों से जहां आस्था को ठेस लग रहा है। राहगीरों का सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। राजमार्ग पर हर समय आला-अधिकारियों लेकर जनप्रतिनिधि इसी रास्ते से गुजरते हैं।
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। समाज कल्याण विभाग की ओर से मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह के लिए एक बार फिर नई तिथि तय कर दी गई है। 14 दिसंबर को सभी छह ब्लॉकों में सामूहिक विवाह का मेगा इवेंट आयोजित होगा। इसके लिए ब्लॉकों से आवेदन प्राप्त करने एवं उनके सत्यापन का निर्देश दिया गया। गरीब बेटियों के हाथ पीले करने के लिए सरकार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना चला रही है। वित्तीय वर्ष में करीब 830 शादी का लक्ष्य रखा है। करीब आठ महीने से अधिक का समय बीत गए, लेकिन अब तक लक्ष्य के आधे भी शादियां नहीं हो पाई है। बलिया की घटना के बाद जांच का दायरा बढ़ने से बिचौलिये भी बैकफुट पर आ गए हैं। अब आवेदन ही कम होने लगे हैं। सितंबर में सिर्फ 46 जोड़ों का विवाह हुआ। 19 अक्तूबर को 43 और 25 नवंबर को भी सिर्फ 100 शादियां हो सकी। वित्तीय वर्ष में अब तक सिर्फ 250 के करीब विवाह कराए गए। जिसको लेकर शासन ने नाराजगी जताई। अब एक बार फिर समाज कल्याण विभाग की तरफ से मेगा इवेंट की तैयारी की जा रही है। 14 दिसंबर को ज्ञानपुर, भदोही, औराई, डीघ, सुरियावां और अभोली ब्लॉक में सामूहिक विवाह कराई जाएगी। जिला समाज कल्याण अधिकारी मीना श्रीवास्तव ने बताया कि आवेदन ऑनलाइन हो रहा है। बताया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत एक शादी पर 51 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं। इस राशि में से 35 हजार रुपये वधू के बैंक खाते में भेजा जाता है। 10 हजार रुपये से गृहस्थी का सामान खरीदकर नवविवाहित जोड़ों को बतौर उपहार दिया जाता है। छह हजार रुपये शादी के आयोजन पर खर्च होते हैं। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए आवेदक को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। योजना का लाभ पाने के लिए पहली शर्त यह है कि कन्या के अभिभावक मूल निवासी हों। शादी की तिथि तक कन्या की आयु 18 और लड़के की आयु 21 वर्ष होनी चाहिए। योजना में गरीब और निराश्रित परिवार को प्राथमिकता दी जाती है।
*कागजों पर ड्यूटी कर रहीं नर्स, 100 बेड पर नहीं मिली एक भी नर्स* *मरीजों ने बताया केवल मरीजों का आंकड़ा जुटाने के लिए ही आती है नर्से*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सरपतहां स्थित सौ शय्या अस्पताल की नर्स महज कागजों पर ड्यूटी कर कोरमपूर्ति कर रही है। ड्यूटी के प्रति बरती जा रही उदासीनता को लेकर अस्पताल प्रशासन भी बेखबर है। अस्पताल परिसर में बने बर्न यूनिट और डायलिसिस यूनिट में नियमित दो-दो नर्सों की ड्यूटी लगाई जाती है। मंगलवार को Street buzz News टीम ने डायलिसिस यूनिट की पड़ताल की। मौके पर 100 बेड पर एक भी नर्स यूनिट पर नहीं मिली।जिले के मुख्यालय के पास स्थित सौ शय्या अस्पताल में अक्सर गड़बड़ियों की चर्चा रहती है। अस्पताल में धीरे-धीरे व्यवस्थाएं सुधारने का प्रयास हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्यकर्मियों की उदासीनता के कारण यह फलीभूत नहीं हो पा रहा है। Street buzz me की टीम सुबह 11.40 बजे डायलिसिस यूनिट पहुंची। टीम करीब 1.30 बजे तक रुकी रही। सुविधाओं को लेकर मरीजों व तीमारदारों से भी बातचीत की। इस दौरान नर्स गायब मिली। यूनिट में कुल 11 स्वास्थ्यकर्मी तैनात मिले। नर्सों को लेकर पूछताछ करने पर सामने आया कि वे सिर्फ महीने में एक दिन मरीज का डाटा कलेक्ट करने आती है, क्योंकि यह डाटा स्वास्थ्य समिति और मिर्जापुर मंडलीय बैठक में अस्पताल प्रशासन को बतानी रहती है। यूनिट के मैनेजर अमित राव और टेक्नीशियन विनय सरोज ने बताया कि यूनिट में कुल 82 मरीजों का डायलिसिस चल रहा है। सुबह सात बजे यूनिट खुल जाता है। रात को 10 बजे बंद होता है। दो शिफ्ट में कर्मचारी काम करते हैं। पहली शिफ्ट सुबह 7 से 3 बजे और दूसरी दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे तक होती है। बर्न यूनिट में ताला, ड्यूटी में लापरवाही : ज्ञानपुर। बर्न यूनिट का संचालन तो जैसे-तैसे किया जा रहा है। यहां दो शिफ्ट में चार नर्स की ड्यूटी लगाई जाती है। नर्स यहां से गायब रहती है। उनका मानना है कि बर्न केस आने के बाद हम मौके पर तुरंत पहुंच जाते हैं। वहीं दूसरी ओर यूनिट पर बर्न के केस जल्द आते ही नहीं है। अमूमन लोग जिला अस्पताल का रुख करते हैं। अस्पताल में धीरे-धीरे व्यवस्थाओं का विस्तार हो रहा है। सभी नर्सों की रोस्टर वाइज ड्यूटी विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग दिन में लगाया जाता है, यदि इसमें किसी द्वारा लापरवाही बरती जा रही है, तो सख्त कार्रवाही की जाएगी। -- डॉ. सुनील कुमार पासवान, सीएमएस 100 बेड।
*हेलीकाप्टर वाले दुल्हनियां ले जाएंगे : भदोही में अनोखी बारात दूल्हा हवाई मार्ग से दुल्हन लाने निकला*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सर्रोई गांव की बारात उस वक्त खास हो गई जब दूल्हे को ले जाने के लिए उड़नखटोला वहां की जमीन पर पहुंचा। दूल्हेराजा इस पर सवार हुए और गर्जना करता हुआ हेलीकाप्टर आसमान की ओर चल दिया। दूसरे दिन दुल्हन को लेकर वापस लौटेंगे और इस शादी लोगों की बीच कौतुहल का विषय बनी हुई है। भदोही के सर्रोई गांव से सटे ह्रदयपट्टी गांव में दुल्हा हेलीकाफ्टर से दुल्हन को लेने निकले। गांव निवासी शुभम दुबे की शादी औराई के हरिनारायणपुर गांव निवासी स्वीटी दूबे से हो रही है। शादी के पहले वे हेलीकाफ्टर से दुल्हन को लेने के लिए रवाना हुए।गांव में इसको लेकर कौतूहल बना रहा। बताते चलें कि अवधेश कुमार दुबे बनारसी के बेटे शुभम दुबे साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उनकी शादी औराई के हरिनारायणपुर निवासी प्रभात दुबे की बेटी स्वीटी दुबे से तय हुआ था। शादी को यादगार बनाने के लिए दुल्हे राजा शुभम ने कुछ अलग करने की ठानी। उन्होंने हेलीकाफ्टर से बारात ले जाने का मन बनाया।इसके लिए पहले उन्होंने प्रशासन से इसकी अनुमति ली। इसके बाद एक निजी कंपनी से किराये पर हेलीकाफ्टर मंगाया। हेलीकाफ्टर के लैडिंग के लिए दोनों गांव में हेलीपैड इत्यादि बनाए गए। गांव में हेलीकाफ्टर से बारात जाने की जानकारी होने के बाद लोगों का कौतूहल बढ़ गया।शाम करीब साढ़े चार बजे दुल्हे राजा शुभम दुल्हन लेने के लिए हेलीकाफ्टर से हरिनारायणपुर गांव जाने के लिए उड़ान भरा। कुछ ही मिनट में उनका हेलीकाफ्टर गांव में लैंड कर गया। शुभम के पिता अवधेश ने बताया कि उनकी बहुत इच्छा थी कि बेटे की शादी को यादगार बनाएंगे।ऐसे में इस तरह से बारात लेने का मन बनाया। बताया कि शादी के उपरांत मंगलवार की सुबह वे हेलीकाफ्टर से ही बहू को विदा कर घर भी लाएंगे।
*यूपी 112 जोन में प्रथम,सूबे में आया तीसरा स्थान दिसंबर महीने में और बेहतर कार्य का निर्देश*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। कालीन नगरी की पुलिस माह नवंबर में भी जोन में प्रथम आई है। जबकि प्रदेश स्तरीय रैंकिंग में तीसरा स्थान मिला है। जवानों को दिसंबर माह में औसत बेहतर करने का आह्वान अधिकारियों ने किया। अपर पुलिस अधीक्षक डॉ तेजवीर सिंह ने बताया कि यूपी -112 के जवानों को सुरक्षा को लेकर मुस्तैद किया गया है। जनपद में नवंबर माह में सूचना के छह मिनट 17 सेकेंड में जिले की पुलिस संबंधित के पास पहुंची लगातार जोन में प्रथम आने का काम हो रहा है। कहा कि दिसंबर में सूबे स्तर पर प्रथय स्थान पर आने का प्रयास किया जाएगा। बता दें सरकार की उक्त योजना के कारण मारपीट, अपराधों में कमी देगी जा रही है। पहले मारपीट की घटनाओं में जहां घंटों विलंब से पुलिस पहुंचती थी। वहीं अब मात्र कुछ ही मिनटों में ऐसे में जवानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने का काम भी किया है।
*भदोही में 25 गांव के 70 हजार की आबादी पर नहीं है एक भी स्वास्थ्य केंद्र* *ट्रैक के दोनों तरफ है किसानों के खेत,खेती में होती है परेशानी*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने की तमाम प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन अब भी करीब 70 हजार की आबादी ऐसी है। जिन्हें इलाज के लिए करीब 10 से 15 किमी दूर जाना होता है। जिले में प्रयागराज की सीमा से सटे डीघ और ज्ञानपुर ब्लाॅक के करीब 25 गांवों में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं। यहां के लोग उपचार के लिए डीघ व गोपीगंज सीएचसी जाते हैं। जिसके लिए उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।जिले में एमसीएच, एमबीएस और सौ शय्या जैसे तीन बड़े अस्पताल है। इसके अलावा छह सीएचसी, 17 पीएचसी और 183 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर जिले की 20 लाख की आबादी के स्वास्थ्य सुविधाओं की जिम्मेदारी है। गांवों में पीएचसी और उप स्वास्थ्य केन्द्र ही लोगों तक प्राथमिक उपचार पहुंचाने का कार्य करतीं हैं। ऊंज क्षेत्र के डीघ और ज्ञानपुर ब्लाॅक के करीब 25 गांवों में इस तरह के एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। स्वास्थ्य केन्द्र न होने की दशा में बीमार पड़ने पर ग्रामीण नीम-हकीम के पास जाते हैं या फिर वहां से लगभग 10 किमी दूर डीघ या फिर 15 किमी दूर गोपीगंज सीएचसी पहुंचते हैं। सबसे अधिक परेशानी तो रात के समय होती है जब किसी की तबियत बिगड़ती है। नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र न होने की दशा में वे नीम-हकीम के पास जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रसूताओं को प्रसव पीड़ा होने पर भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है। मरीजों को बरसात और ठंड के मौसम में अधिक दिक्कत होती है। रात के वक्त कोहरा अधिक होने के कारण वाहनों की रफ्तार थम सी जाती है। स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र खुलवाने को लेकर कई बार मौखिक रूप से सांसद, विधायक से मांग की, लेकिन अब तक सकारात्मक पहल नहीं हो सकी। कुरमैचा अैर चौरी कला की आबादी सात से आठ हजार ऊंज के कुरमैचा गांव की आबादी 7000 से 8000 है। चौरी कला की आबादी 6000 से अधिक है। इसी तरह हर गांव की आबादी करीब 2500 से अधिक है। ऐसे में इन गांवों के लोग जब बीमार पड़ते हैं तो इनके पास नीम हकीम के यहां जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। वे इन लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर सर्दी-जुकाम जैसी बीमारी में भी 150 से 200 रुपये का बिल बना देते हैं। इन गांवों में नहीं स्वास्थ्य केंद्र: ऊंज के कुरमैचा, बनकट खास, सीकी, चौरा कला, भैरवपुर, खरगपुर, कुबी हरद्दोपट्टी, सुबरी, मुंगरी, पुरेभान, विश्वनाथपुर, मोहनपुर, बरईपुर, बेलहुआ, कुरेनगरी आदि गांव में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। ग्रामीणों की प्रतिक्रिया गांव में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, बेहतर उपचार के लिए डीघ, गोपीगंज सीएचसी जाना पड़ता है। गांव की आबादी भी पांच हजार से अधिक है, फिर भी लोग स्वास्थ्य सुविधा से बेदखल है।- सुखराज यादव, चौरी कला ज्ञानपुर। चौरी कला गांव से सटे सीकी चौरा, सोबरी, मुंगरी, चौरहटा में स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। कई मार मौखिक तौर पर जन प्रतिनिधियों से स्वास्थ्य केंद्र खुलवाने की मांग की गई, लेकिन समस्या जस की तस बनी है। - अरुण कुमार तिवारी, चौराकला ज्ञानपुर। ग्राम सभा की आबादी सात हजार से अधिक है, लेकिन एक भी उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। लोग उपचार कराने के लिए डीघ, गोपीगंज सीएचसी पर जाते हैं, लेकिन बारिश और ठंड के मौसम में दिक्कतें होती है। - अंबरीश कुमार चतुर्वेदी, कुरमैचा ऊंज। शासन के निर्देश पर जिले में हर साल किराये के भवन और स्थायी रूप से स्वास्थ्य केंद्र खोले जा रहे हैं। कुरमैचा गांव की आबादी करीब सात हजार से अधिक है। बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि यहां एक भी उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। - अंकित सिंह, कुरमैचा ऊंज।
*जिला अस्पताल में नहीं है नाक, कान और गला रोग के विशेषज्ञ* *अस्पताल में रोजाना पहुंचते हैं ईएनटी के 30 से 35 मरीज,निराश होते हैं*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही।दो से ढाई लाख लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले जिला अस्पताल में नाक, कान और गला (ईएनटी) के डॉक्टर नहीं है। अस्पताल में नौ महीने पहले ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. दिप्ती पांडेय की तैनाती हुई थी। उनके ट्रांसफर के बाद से ही यह पद रिक्त हैं। ऐसे में जिला अस्पताल पहुंचने वाले नाक, कान, गला के मरीजों को भटकना पड़ता है।जिला अस्पताल में रोजाना 700 से 800 मरीजों की ओपीडी रहती है। इसमें से 30 से 35 मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें नाक, कान और गला की समस्या होती है। जिला अस्पताल पहुंचने के बाद इस तरह के मरीजों को विशेषज्ञ न होने के कारण मजबूरी में फिजीशियन से ही दवा लेकर लौटना पड़ता है। वहीं कई मरीज ऐसे होते हैं, जो निजी अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचते हैं। नौ महीने पहले ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. दिप्ती पांडेय की अस्पताल में तैनाती की गई थी, लेकिन तबादला होने के बाद वे महाराजा बलवंत सिंह राजकीय अस्पताल चली गईं। इससे एमसीएच में आने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ गई। वर्तमान में अस्पताल में 22 डाॅक्टरों की तैनाती है, लेकिन नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ का पद खाली है। भदोही एमबीएस को छोड़ कर किसी अन्य सरकारी अस्पताल में ईएनटी के चिकित्सक नहीं है।
केस-1 15 दिन पहले धान की कटाई करते वक्त कान में कीड़ा चला गया था। इससे तकलीफ बढ़ गई थी। जिला चिकित्सालय दिखाने आया तो पता चला कि ईएनटी के डॉक्टर नहीं है। मजबूरी में फिजिशियन से दवा ली। -अभिषेक गुप्ता, ज्ञानपुर।
केस-2 एक सप्ताह पहले स्नान करते समय कान पानी चला गया था। एमसीएच में ईएनटी के डाॅक्टर को दिखाने आया, लेकिन पता चला कि भदोही एमबीएस में हैं, इसके बाद एमबीएस में उपचार के लिए गया। -रूबल पांडेय, महजूदा।
अस्पताल में ईएनटी डाॅक्टर का पद रिक्त है। इसकी जानकारी उच्चाधिकारी सहित शासन का दी गई है। -डॉ. राजेंद्र कुमार, सीएमएस, एमसीएच
Dec 04 2024, 18:02