बिहार: नीतीश कुमार वक्फ बिल पर अचानक साइलेंट क्यों हो गए हैं?

वक्फ बिल पर पूरे देश में मचे सियासी घमासान के बीच नीतीश कुमार की चुप्पी चर्चा में है. वक्फ बिल पर नीतीश के साइलेंट होने का मुद्दा बिहार विधानसभा में भी गूंज चुका है. नीतीश की चुप्पी पर सवाल इसलिए भी उठ रहा है, क्योंकि 3 महीने पहले अपने मुस्लिम नेताओं से वक्फ बिल का उन्होंने विरोध करने की बात कही थी.

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर नीतीश कुमार 3 महीने बाद ही इस बिल को लेकर साइलेंट क्यों हो गए हैं?

नीतीश ने कही थी बिल के विरोध की बात

मानसून सत्र में जब वक्फ बिल का जेडीयू ने समर्थन कर दिया, तब पार्टी के भीतर सियासी खलबली मच गई. पार्टी के अल्पसंख्यक नेता नीतीश कुमार के पास पहुंच गए. अल्पसंख्यक नेताओं के अगुवा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान थे.

बैठक में मुस्लिम नेताओं ने नीतीश कुमार को जब पूरी बात बताई, तो नीतीश ने किसी भी अल्पसंख्यक के अहित न होने देने की बात कही. नीतीश कुमार ने सभी नेताओं को आश्वासन दिया कि वे इस मुद्दे को खुद देखेंगे.

फिर नीतीश क्यों हो गए साइलेंट?

नीतीश कुमार की राजनीति जनता पार्टी के जरिए शुरू हुई है. नीतीश गांधी को अपना आदर्श मानते हैं और सेक्युलर राजनीति को तरजीह देते रहे हैं. ऐसे में वक्फ बिल पर नीतीश का साइलेंट हो जाना सवालों में है. 3 प्वॉइंट्स में जानते हैं कि नीतीश आखिर इस बिल पर चुप क्यों हैं?

मुसलमानों को लेकर ललन सिंह का बयान

जेडीयू की तरफ से केंद्र में मंत्री ललन सिंह ने हाल ही में एक बयान दिया है. सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि मुसलमान जेडीयू को वोट नहीं करते हैं. यह जानकारी नीतीश कुमार को भी है, लेकिन फिर भी हम लोग मुसलमानों के लिए लगातार काम कर रहे हैं.

ललन के इस बयान पर मुजफ्फरपुर में शिकायत भी दर्ज कराया गया है. कहा जा रहा है कि ललन का यह बयान 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में आया है.

2024 के लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार जैसी सीटों पर जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में तो जेडीयू के एक भी मुस्लिम विधायक जीतकर सदन नहीं पहुंचे, जबकि नीतीश कुमार ने इस चुनाव में 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था.

2025 का चुनाव और मजबूत होती बीजेपी

बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. नीतीश कुमार की पार्टी एनडीए में शामिल है. 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को भले ही बहुमत नहीं मिली, लेकिन नीतीश कुमार से उसे ज्यादा खतरा नहीं है.

हालिया हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में जिस तरीके से बीजेपी ने मजबूत वापसी की है, उससे गठबंधन के भीतर उसका रुतबा और ज्यादा बढ़ गया है. महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद बीजेपी की नजर बिहार पर ही है.

ऐसी स्थिति में नीतीश कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. वो भी तब, जब बीजेपी ने नीतीश को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर रखा है.

जेडीयू में मजबूत मुस्लिम नेता मौजूद नहीं

नीतीश जब सेक्युलर पॉलिटिक्स करते थे, तब उनके पास अली अनवर अंसारी, गुलाम गौस, मंजर आलम, मोनाजिर हसन और शाहिद अली खान जैसे कद्दावर नेता हुआ करते थे, लेकिन अब नीतीश के पास मुस्लिम नेताओं का अकाल है.

जेडीयू में एक-दो मुस्लिम नेता जरूर हैं, लेकिन वे डिसिजन मेकिंग से बाहर चल रहे हैं. नीतीश के चुप्पी के पीछे ये भी एक बड़ी वजह है.

जेपीसी कमेटी के पास वक्फ बिल

वक्फ बिल वर्तमान में संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) के अधीन है. कमेटी में इस पर समीक्षा की जा रही है. सुपौल के एक सांसद दिलेश्वर कामत इस कमेटी में जेडीयू की तरफ से सदस्य हैं.

जेपीसी की सिफारिश पर ही सरकार वक्फ संशोधन बिल संसद में पेश करेगी. इसके बाद वक्फ को लेकर पूरे देश में एक कानून बन जाएगा.

विधान मंडल शीतकालीन सत्र : विपक्ष के हंगामें के बाद बागी विधायकों के लिए विस अध्यक्ष ने तय किया सीट

डेस्क : बीते गुरुवार को बिहार विधानसभा के अंदर शीतकालीन सत्र के दौरान सीटिंग अरेंमेंट को लेकर हुए हंगामे के बाद आज एक बार फिर सीटिंग अरेंजमेंट में बड़ा बदलाव हुआ है। आज सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद राजद के बागी विधायक सीएम नीतीश कुमार के ठीक पिछले वाली कुर्सी पर बैठ रहे थे। उसके बाद आज विधानसभा के स्पीकर के निर्देश के बाद वह वापस से इनके लिए तय सीट पर जाकर बैठे, यह सीट विधानसभा स्पीकर के ठीक सामने तय की गई है। मतलब यह न तो विपक्ष के तरफ हैं और न ही सत्ता पक्ष के तरफ है।

वहीं सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर बागी विधायक चेतन आनंद ने कहा कि हम लोगों का सीटिंग अरेंजमेंट तय है। सीट नंबर 202 हमारा सीट है। यहीं पर हम लोग बैठते हैं सत्र की शुरुआत से ही हम लोग के लिए तय कर दिया था। उसको लेकर कोई बबाल की बात ही नहीं है। लेकिन जिस तरह से कल बवाल हुआ यह गलत है।

वहीं, सत्ता पक्ष बेंच पर बैठने को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। कभी किसी काम के लिए उधर गया तो उसमें कोई बड़ी बात नहीं है। मंत्रियों से बातचीत होती है तो ऐसा हो सकता है। लेकिन, हां सरकार गठन के समय हमलोग जरूर सत्ता पक्ष के तरफ बैठे थे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि स्पीकर ने तय कर दिया था तो उसमें समस्या क्या है। अब कुछ डिमांड एंड सप्लाई वाली सोच रखते है कि इसमें क्या ही कहना है। हमलोग सत्ता के साथ हैं।

अपने पिता की पुण्य-तिथि पर पैतृक गांव पहुंचे सीएम नीतीश कुमार, प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया नमन

डेस्क : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पिता अमर स्वतंत्रता सेनानी दिवंगत कविराज रामलखन सिंह की आज पुण्य तिथि है। इस अवसर पर सीएम नीतीश कुमार अपने पैतृक गाँव कल्याण बिगहा पहुंच 'कविराज रामलखन सिंह स्मृति वाटिका' में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उन्हें नमन किया। मुख्यमंत्री ने अपनी माता स्व० परमेश्वरी देवी एवं धर्मपत्नी स्व० मंजू सिन्हा की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस मौके पर मुख्यमंत्री के बड़े भाई सतीश कुमार सहित मुख्यमंत्री के परिवार के अन्य सदस्यों तथा निकट संबंधियों ने अमर स्वतंत्रता सेनानी स्व० कविराज रामलखन सिंह, स्व० परमेश्वरी देवी एवं स्व० मंजू सिन्हा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया एवं श्रद्धांजलि अर्पित की।

वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री ने अपने पैतृक गाँव कल्याण बिगहा के भगवती मंदिर (देवी स्थान) में पूजा अर्चना की। कल्याणबिगहा एवं आसपास के लोग मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर अत्यधिक प्रफुल्लित थे। मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना और उनका अभिवादन स्वीकार किया।

मौके पर उपस्थित अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो० जमा खान, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष उदय कांत, जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा, पूर्व विधायक ई० सुनील कुमार सहित अनेक सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता एवं परिजनों ने अमर स्वतंत्रता सेनानी स्व० कविराज रामलखन सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

विधान मंडल के शीतकालीन सत्र का आज अंतिम दिन : सीएम नीतीश कुमार पहुंचे सदन, विपक्ष का सदन के बाहर भारी हंगामा

डेस्क : बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है। आज भी सदन के अंदर हंगामे के पूरे आसार दिख रहे है। आज सदन की कार्यवाही शुरु होने से पहले ही विपक्ष के विधायकों ने सदन पार्टीकों में जमकर हंगामा किया है। वहीं विपक्ष के हंगामे के बीच सीएम नीतीश सदन पहुंच गए हैं।

विपक्षी विधायक ने कई मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान राजद, माले और कांग्रेस के विधायक भूमि अधिग्रहण के मामले को लेकर हंगामा कर रहे हैं, उनका कहना है कि सरकार जबरन जमीन अधिग्रहण का काम कर रही है इसपर तुरंत रोक लगनी चाहिए।

राजद के विधायक रोजगार, जमीन, स्मार्ट मीटर समेत कई मुद्दों को लेकर सदन के बाहर हंगामा कर रहे हैं, उनका कहना है कि एनडीए सरकार कभी भी रोजगार पर बात नहीं करती है। बिहार में नौकरी का मतलब तेजस्वी यादव है। इसके साथ ही यह सरकार लूटेरों कि सरकार है यह सिर्फ लोगों कि जमीन पर अधिग्रहण करने जा रही है।

विपक्ष सदन के बाहर पोस्टर लेकर बवाल काट रहा हैं। विपक्ष सरकार को कई मुद्दों पर घेरने के लिए तैयार है।

BPSC 32वीं न्यायिक सेवा परीक्षा में महिलाओं का जलवा, टॉप 20 में 16 महिलाएं

डेस्क : बीपीएससी ने 32वीं बिहार न्यायिक सेवा का परिणाम जारी कर दिया है। इसमें 153 अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से चयनित किया गया है। इस बार के रिजल्ट में महिलाओं का प्रदर्शन शानदार रहा है। पूरे रिजल्ट में भी 75 महिलाओं का चयन हुआ है। जिसमें टॉप 20 में 16 महिलाएं है।

वहीं टॉपर हर्षिता सिंह बनी है। दूसरे स्थान पर सुकृति अग्रवाल, तीसरे पर सुप्रिया गुप्ता, चौथे पर शांभवी, पांचवें पर शिल्पी रानी और छठा स्थान शिवानी श्रीवास्तव को मिला हैं।

मुख्य परीक्षा में 1489 अभ्यर्थी उपस्थित हुए थे। इनमें 463 को सफल घोषित किया गया था। साक्षात्कार में चार अनुपस्थित रहे। साक्षात्कार के बाद 153 सफल उम्मीदवारों का रिजल्ट जारी किया गया है।

वरीय पुलिस उपाधीक्षक राज किशोर बैठा के पुत्र राहुल राज को पहली बार में सफलता प्राप्त हुई और 26वीं रैंक मिली है। उन्होंने सीएनएलयू से सत्र 2017-22 पढ़ाई की थी।

गड़बड़ करने वाले और सुस्त सीओ की सूची तैयार, कड़ी कार्रवाई की तैयारी*

डेस्क : गड़बड़ करने वाले और सुस्त अंचलाधिकारियों के लिए बुरी खबर है। राज्य सरकार ने उनकी सूची तैयार कर ली है। अब इनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की तैयारी है। यह जानकारी बीते गुरुवार को विधानसभा में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने दी। मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मैं राजस्व मंत्री के तौर पर इसी लिए जाना जाता हूं कि मैं कार्रवाई करने में पीछे नहीं रहता हूं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भूमि से संबंधित किसी मामले में किसी स्तर पर गड़बड़ी को स्वीकार नहीं कर सकती। जनता के मुद्दे पर अधिकारियों को गंभीर होना ही होगा। उन्होंने कहा कि डीसीएलआर के स्तर पर लंबित मामलों के साथ-साथ सीओ दफ्तर में लंबित मामलों की जांच कराने का फैसला किया है। इसकी जिम्मेवारी प्रमंडलीय आयुक्त और संबंधित जिलाधिकारियों को सौंपी गयी है। उनकी रिपोर्ट आने के बाद अन्य और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। मंत्री एआईएमआईएम के अमौर विधायक अख्तरूल ईमान के सवाल का जवाब दे रहे थे। विधायक ने आरोप लगाया था कि 101 डीसीएलआर कोर्ट में मामले लंबित हैं और नियमानुसार उनकी बैठकें भी नहीं हो रही हैं। सरकारी विद्यालय की जमीन की जमाबंदी पर एक माह में कार्रवाई मंत्री ने पूर्वी चंपारण में सरकारी विद्यालय की जमीन की जमाबंदी दूसरे के नाम करने के मामले में एक माह में कार्रवाई का ऐलान किया। मंत्री ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और सरकार ने भी इसे काफी गंभीरता से लिया है। इस मामले में जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। अख्तरूल ईमान द्वारा यह कहे जाने पर कि कार्रवाई में विलंब क्यों हुआ, श्री जायसवाल ने कहा कि उनके मंत्री बनने में देर हुई इसीलिए कार्रवाई में भी देरी हुई। मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मैं राजस्व मंत्री के तौर पर इसी लिए जाना जाता हूं कि मैं कार्रवाई करने में पीछे नहीं रहता हूं। बिहार के अंचलाधिकारी और उनके समकक्ष ग्रेड के 180 पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 149 सीओ का वेतन रोक दिया गया है। मंत्री ने कहा कि एक-एक पदाधिकारी काम करेंगे, नहीं तो उन पर कारवाई की जाएगी। इसीलिए लोस चुनाव के कारण काम पेंडिंग हो गया। अधिकारियों से कहा गया है कि किसी भी परिस्थिति में लंबित मामले को निपटारा किया जाए।
15 दिसंबर से सवांद यात्रा पर निकलेंगे सीएम नीतीश कुमार, जिलों में चल रही योजनाओं की करेंगे समीक्षा*

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 दिसंबर से संवाद यात्रा पर निकलेंगे। अपने इस प्रस्तावित संवाद यात्रा के दौरान जिलों में जहां सात निश्चय एक और दो, जल जीवन हरियाली और अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की प्रगति की जानकारी लेंगे वहीं सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से भी बात करेंगे। इसके अलावा योजनाओं की जमीनी समीक्षा भी करेंगे। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर राज्य सरकार ने अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री के संवाद को लेकर जिलों के पांच-पांच गांवों की जानकारी जुटायी जा रही है। मुख्यमंत्री के संवाद के मद्देनजर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने गुरुवार को सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव के साथ ही प्रमंडलीय आयुक्त, क्षेत्रीय आइजी, डीआइजी के साथ ही डीएम और एसपी को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि मुख्यमंत्री जिलों में चल रही महत्वपूर्ण परियोजनाओं का कार्यारंभ, उद्घाटन करेंगे। योजना के लाभार्थियों से वे संवाद भी करेंगे। इसी क्रम में जिला स्तरीय योजनाओं की समीक्षा भी करेंगे। पत्र में डीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्तर पर अग्रिम तैयारी रखेंगे व सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे और इसकी जानकारी मंत्रिमंडल सचिवालय को उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने जिलाधिकारियों से जिलांतर्गत संभावित पांच गांवों और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण परियोजनाओं की विवरणी भी मांगी है। स्पष्ट किया है कि गांवों का चयन मंत्रिमंडल सचिवालय के स्तर पर होगा।
आज बिहार दौरे पर आएंगी केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पूर्वी क्षेत्र के ग्रामीण बैंक की करेंगी समीक्षा*

डेस्क : केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज शुक्रवार को बिहार दौरे पर आएंगी। इस दौरान दरभंगा में वे पूर्वी क्षेत्र के आठ ग्रामीण बैंक की समीक्षा करेंगी। पूर्वी क्षेत्र के चार राज्यों में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड राज्य शामिल हैं। बिहार में दो, पश्चिम बंगाल में तीन, ओडिशा में दो और झारखंड में एक ग्रामीण बैंक हैं। इन सभी ग्रामीण बैंकों के चेयरमैन समीक्षा बैठक में भाग लेंगे। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के प्रदर्शन की समीक्षा के क्रम में डिजिटल विस्तार तथा सरकारी आर्थिक कार्यक्रमों में ज्यादा भागीदारी पर जोर देने की संभावना है। बैठक में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव और वरिष्ठ अधिकारी, राज्य सरकारों, नाबार्ड, आठ ग्रामीण बैंक के चेयरमैन तथा प्रायोजक बैंकों के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में ग्रामीण बैंक के हितधारक और उनके प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां, जीएनपीए को कम करने पर भी जोर देंगी। आरआरबी के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी प्रणालियों को बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डालेंगी। मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रायोजक बैंक को तकनीकी सहायता प्रदान करने का निर्देश दे सकती हैं ताकि आवश्यक संसाधनों तक पहुंच सुनिश्चित करके ग्रामीण बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। मालूम हो कि दिल्ली में अगस्त में हुई पिछली बैठक में केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने आरआरबी और उनके प्रायोजक बैंकों से आग्रह किया था कि वे पीएम विश्वकर्मा और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी योजनाओं के तहत ऋण स्वीकृत करते समय लाभार्थियों की सटीक पहचान पर जोर दें। उन्होंने आरआरबी को जमीनी स्तर पर कृषि ऋण वितरण में अपनी भागीदारी बढ़ाने का भी निर्देश दिया था।
बिहार विस उपचुनाव का परिणाम दे रहा बड़ा संकेत, अब बिहार की राजनीति में विशेष समीकरण और जातिवाद बड़ा फैक्टर नहीं रहा !

डेस्क : बिहार में 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में चारों सीटों पर NDA ने जीत हासिल की है। यह चुनाव अगले साल 2025 में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले सत्ताधारी एनडीए और महागठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा था। जिसमें एनडीए को बड़ी सफलता मिली। वही इस उपचुनाव में जो सबसे बड़ी बात हुई है उससे ऐसा लग रहा है कि बिहार की राजनीति में कोई विशेष समीकरण या जातिवाद बहुत बड़ा फैक्टर नही रह गया है। इस चुनाव में कहीं भी लालू और तेजस्वी यादव का जादू नहीं चला। चाहे लालू के MY समीकरण की बात करें या फिर तेजस्वी का नया BAAP समीकरण दोनों बुरी तरह से फेल रहा। इतना ही नहीं जातिवाद का फैक्टर भी बहुत कामयाब नहीं रहा। आलम यह रहा कि बिहार के चार सीट में एक भी जगह पर लालू की पार्टी का खाता नहीं खुला है।

आईए जानते है कैसे...

बिहार के चार सीटों पर हुए उपचुनाव एनडीए ने चारो सीट पर कब्जा किया है। जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें जहां एनडीए ने राजद के दो पुराने किले को ध्वस्त किया है। वहीं एक सीट जिसपर पिछले 9 साल से वाम दल का राज था उसे भी अपने पाले में कर लिया।

सबसे पहले हम बात करते है बेलागंज विधानसभा सीट की। यह सीट पिछले 35 सालों से राजद के कब्जे में था। बेलागंज विधान सभा क्षेत्र में यादव और मुस्लिम की आबादी ऐसी है कि वह जिस तऱफ जाए उस प्रत्याशी की जीत पक्की है। बेलागंज सीट पर राजद के सुरेन्द्र यादव का लंबे समय तक कब्जा रहा। इसबार लोकसभा चुनाव जीतने के कारण यह सीट खाली हुई थी। वैसे सुरेन्द्र यादव बाहुबली नेता है, लेकिन इस सीट पर लंबे समय तक कब्जा करने के पीछे उनका सिर्फ बाहुबल ही नही माना जा सकता है। राजद सुप्रीमो का माय समीकरण यानि मुसलमान और यादव का साथ रहना भी बड़ा फैक्टर रहा है। लेकिन इस चुनाव में यह फैक्टर काम नहीं किया। ऐसा इसलिए माना जा सकता है कि इस सीट पर सुरेन्द्र यादव के बेटे बिश्वनाथ सिंह राजद से प्रत्याशी थे। लेकिन वे अपने पिता की विरासत को नही बचा पाए।

सबसे बड़ी बात यह रही कि इस क्षेत्र में लंबे समय बाद खुद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद चुनाव प्रचार को गए थे। इतना ही नहीं मुस्लिम वोटरो को गोलबंद करने के लिए पिछले दिनों राजद में दोबारा शामिल हुए सीवान के दिवंगत पूर्व बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा भी इस क्षेत्र में चुनाव प्रचार को गए थे। लेकिन लालू प्रसाद और ओसामा दोनो की मेहनत यहां बेकार गई। साफ है कि यहां राजद का माय समीकरण इसबार काम नहीं आया और जदयू की मनोरमा देवी इस सीट पर कब्जा करने में कामयाबी रही।

बिहार विधान सभा के रामगढ़ सीट पर बड़ा खेल हुआ। यहां स्थिति यह रहा कि लंबे समय से इस सीट पर अपना वर्चस्व रखने वाली राजद इस उपचुनाव में तीसरे नंबर पर चली गई। इस सीट पर एनडीए की तरफ से बीजेपी ने जीत हासिल की। वहीं दूसरे नंबर पर रहते हुए बसपा ने खेल कर दिया। रामगढ़ में राजद प्रत्याशी तीसरे नंबर रहे।

रामगढ़ विधान सभा क्षेत्र राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के प्रभुत्व वाला माना जाता है। जगदानंद सिंह खुद इस सीट से लंबे समय तक विधायक बनते रहे थे। बाद में उनके बेटे सुधाकर सिंह इस सीट से विधायक बने। इस लोकसभा चुनाव में सुधाकर सिंह बक्सल से चुनाव जीतकर सांसद बन गए। जिसके बाद जगदानंद सिंह के छोटे बेटे अजीत सिंह इसबार राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। लेकिन ये अपने परिवार की विरासत को बचाने में नाकामयाब रहे। जबकि इस चुनाव में खुद लालू यादव भी कई जगहों पर चुनावी जनसभा में गए थे और तेजस्वी भी चुनाव प्रचार किए। यहां राजद का MY समीकरण का कोई फायदा नहीं हो पाया। जबकि इस क्षेत्र में मुस्लिम की आबादी तकरीबन 8.5 प्रतिशत है जो चुनाव में किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाता है।

वहीं तरारी विधान सभा सीट की बात करे तो इस सीट पर पिछले दो टर्म से वाम का कब्जा था। लेकिन इसबार यहां से बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई है। इस विधान सभा क्षेत्र की बात करे तो यहां वैसे तो सवर्ण जाति की संख्या अधिक है, लेकिन बैकवार्ड क्लास के कुल मतदाताओं को जोड़ दिया जाए तो उसकी संख्या काफी अधिक है। इसके साथ ही इस क्षेत्र के अधिकांश इलाके नक्सल प्रभावित है। जिसका लाभ यहां से वाम को मिलता रहा है। लेकिन इसबार वह भी ध्वस्त हो गया।

जबकि इमामगंज सीट की बात करें तो यहां एनडीए समर्थित हम अपना सीट बचाने में कामयाब रही। इमामगंज क्षेत्र दलित बहुल क्षेत्र है। यहां दलित के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय भी चुनाव में जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते है। यहां दलित बनाम दलित की ही लड़ाई थी। ऐसा माना जा रहा था कि इसबार मुस्लिम मतदाता एनडीए के खिलाफ वोट कर सकते है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वैसे यह उपचुनाव था, लेकिन जिस तरह के परिणाम सामने आए है उससे एक बात साफ दिख रहा है कि बिहार में कोई विशेष समीकरण या जातिवाद चुनाव में बहुत प्रभावी नहीं है। मतदाता अपने विवेक और विकास को ज्यादा अहमियत दे रहे है।

सदन के अंदर सिटिंग अरेजमेंट को लेकर भिड़े सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य, सदन की कार्यवाही स्थगित

डेस्क : बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आज चौथे दिन की कार्यवाही भारी हंगामे के बीच शुरु हुआ। सदन की कार्यवाही शुरु होते ही सिटिंग अरेंजमेंट को लेकर भारी हंगामा हो गया और सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे से भिड़ गए। इस दौरान दोनो के बीच भारी नोक-झोंक हुई। भारी हंगामे के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।

दरअसल हंगामे की शुरुआत उस वक्त शुरु हुई जब विपक्ष के विधायक सत्तापक्ष के तरफ़ आकर बैठ गए। जिसपर आरजेडी विधायक आलोक मेहता ने सदन में सिटिंग अरेजमेंट को लेकर सवाल उठाया। जिसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया और बेल में जा पहुंचे। इस दौरान आरजेडी विदायक भाई बीरेंद्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी तक जा पहुंचे और जोरदार हंगामा करने लगे।

बाद में मार्शन द्वारा भाई बीरेंद्र समेत सभी विधायकों को वहां से जबरन हटाया। भारी हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।