ओबीसी व एससी, एसटी रेल कर्मचारी संगठन ने पुरवोत्तर रेलवे श्रमिक संघ को दिया समर्थन, किया जनसभा

गोरखपुर। पुरवोत्तर रेलवे श्रमिक संघ, ओबीसी रेल कर्मचारी संगठन गोरखपुर द्वारा पुरवोत्तर सर्विस संघ को पूर्ण रूप से समर्थन दिए जाने को लेकर महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष जनसभा का आयोजन किया गया।

जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एससी एसटी एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीएल बैरवा ने ने संबोधित किया उन्होंने कहा कि बल कर्मियों के हित के लिए लगातार एससी एसटी एसोसिएशन संघर्षरत रहता है। ऐसे में अब समय आ गया है कि हम अपनी पूरी शक्ति के साथ पूर्वोत्तर रेलवे श्रमिक संघ को समर्थन देकर भारतीय रेलवे में 11 वर्ष बाद होने वाले मान्यता हेतु चुनाव में समर्थन दिया गया है। इस मौके पर जोनल अध्यक्ष राम हरक यादव श्रमिक संघ के जोनल अध्यक्ष अरविंद कुमार महामंत्री बजरंगी दुबे जोनल महामंत्री रामाश्रय यादव सहित बड़ी संख्या में रेल कर्मचारी मौजूद रहे।

"विवेकानंद ज्ञान ज्योति यात्रा": पूरे भारत में सशक्तिकरण, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता की यात्रा

गोरखपुर। राधा गोविंद छीपा, "विवेकानंद ज्ञान ज्योति यात्रा" पहल के संस्थापक, सामाजिक जागरूकता, शिक्षा, युवा सशक्तिकरण, समानता, जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण, वृक्षारोपण और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के मिशन के साथ, पूरे भारत में एक असाधारण यात्रा पर हैं।

इस महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत को चिह्नित करते हुए, भारत के माननीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा आधिकारिक तौर पर यात्रा को हरी झंडी दिखाई गई। तब से, यात्रा ने दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, लेह लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित प्रमुख राज्यों को पार किया है, और अब, यात्रा उत्तर प्रदेश में है, जो सड़क मार्ग से 12,000 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है।

राधा गोविंद छीपा, अपने 7 वर्षीय बेटे, सहज राधागोविंद छीपा के साथ, सुजुकी वैगनआर चला रहे हैं जबकि वे महत्वपूर्ण सामाजिक कारणों के लिए जागरूकता बढ़ाने के अपने मिशन को जारी रखते हैं। यात्रा, जो विभिन्न इलाकों और क्षेत्रों में यात्रा करती है, पर्यावरणीय स्थिरता, शिक्षा और एकता के संदेश फैलाकर समुदायों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पैदा करने पर केंद्रित है।

यात्रा में "मेरा भारत महान," "एक भारत श्रेष्ठ भारत," "स्वच्छता मिशन," "स्थिरता," "शून्य प्लास्टिक उपयोग," और "मेक इन इंडिया" जैसे शक्तिशाली नारे और संदेश स्टिकर के माध्यम से वाहन पर प्रदर्शित किए गए हैं। ये पहल बेहतर, स्वच्छ और अधिक एकजुट भारत के लिए राधा गोविंद छीपा की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। स्थिरता और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए यात्रा की प्रतिबद्धता में शून्य प्लास्टिक का उपयोग करने और जल संरक्षण और वृक्षारोपण के बारे में जागरूकता बढ़ाने का सचेत प्रयास शामिल है।

जैसे-जैसे यात्रा जारी है, यह नागरिकों को स्वच्छ, अधिक टिकाऊ और सशक्त भारत के आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करती है। युवा, शिक्षा और समानता पर ध्यान एक स्थायी विरासत छोड़ने के लिए तैयार है, और यह यात्रा समाज को बदलने में जमीनी स्तर की सक्रियता की शक्ति के प्रमाण के रूप में खड़ी है।

राधा गोविंद छीपा और उनका छोटा बेटा इस उम्मीद के साथ यात्रा करना जारी रखते हैं कि उनका मिशन भावी पीढ़ियों को भारत और दुनिया के सामूहिक विकास और कल्याण में योगदान करने के लिए प्रेरित करेगा।

यात्रा के दौरान अनाथ बच्चे, नशे की आदत वाले बच्चे, जिनके माता-पिता मौजूद नहीं हैं और जो बच्चे भीख मांग रहे हैं, उनके लिए एक सुनहरा अवसर उपलब्ध करवाने का लक्ष्य है। इस मिशन के तहत, राधा गोविंद जी ने 1 लाख बच्चों को शिक्षा का अवसर देने का संकल्प लिया है और उन्हें स्कूलों में भेजने की व्यवस्था करेंगे।

मिशन का उद्देश्य स्वामी विवेकानंद जी का जो सपना था, भारत देश को विश्वगुरु बनाना और उसे "सोने की चिड़ीया" बनाना, उसे साकार करना है। इस उद्देश्य के लिए राधा गोविंद जी ने अपने जीवन को देशहित में समर्पित करके यह अनोखी पहल की है।

"विवेकानंद ज्ञान ज्योति यात्रा" के बारे में

"विवेकानंद ज्ञान ज्योति यात्रा" भारत भर में चल रही एक यात्रा है, जिसका नेतृत्व राधा गोविंद छीपा ने किया है, जो शिक्षा, युवा सशक्तिकरण, समानता, पर्यावरणीय स्थिरता और महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने पर केंद्रित है। यह यात्रा समाज में बदलाव लाने के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी और सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर जोर देती है। इस पहल के माध्यम से, छीपा का लक्ष्य एक मजबूत, अधिक जागरूक और पर्यावरण के प्रति जागरूक भारत का निर्माण करना है।

गोरखपुर में प्रेस क्लब अध्यक्ष ने साल ओढा कर स्वागत किया अविनाश गुप्ता, सुरेंद्र कुमार, सागर पासवान, आकाश पासवान, गोलू जयसवाल आदि मौजूद रहे।

कुलपति व एसएसपी ने हरी झंडी दिखाकर रैली को किया रवाना

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन के मार्गदर्शन एवं उत्तर प्रदेश सरकार की योजना के अंतर्गत चल रहे मिशन शक्ति फेज 5 के तहत आज गोरखपुर नगर में भव्य रैली निकाली गई. कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन एवं एसएसपी गौरव ग्रोवर ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. पुलिस बैंड व घुड़सवारों ने रैली की अगवानी की.

इस अवसर पर रैली को रवाना करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि यह रैली समाज में सशक्त स्त्री की छाप छोड़ेगी. जागरूकता अभियान की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगी. स्त्रियां आज किसी भी ऊंचाई को छूने में सक्षम हैं. उन्होंने अपेक्षा के अनुरूप समाज व देश की प्रगति में अपना योगदान सुनिश्चित किया है. जमीन से लेकर आसमान तक उनकी उपस्थिति को दुनिया महसूस कर रही है. वह घर भी संभाल रही है और देश भी संवार रही है. दुनिया में उसका परचम बुलंद हो रहा है. किंतु इसके साथ-साथ ही अभी भी कुछ रूढ़िया, असमानता व अत्याचार हमारे बीच व्याप्त है. इसे दूर करने के लिए समाज में मजबूत संदेश जाना अत्यंत आवश्यक है.

एसएसपी गौरव ग्रोवर ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक स्त्री में असीमित क्षमता व संभावनाएं हैं. उसे जरूरत है तो ऊंचे ख्वाब देखने की. शिक्षा एक ऐसा महत्वपूर्ण माध्यम है जिसके तहत सशक्त स्त्री का निर्माण संभव है. यदि कुछ दुश्वारियां हैं तो बदलाव भी बहुत कुछ हुआ है. आज समाज से लेकर सरकार तक स्त्री शिक्षा, सुरक्षा एवं सशक्तिकरण की दिशा में लगातार प्रयासरत है. शासन - प्रशासन स्त्रियों की समस्याओं को लेकर संवेदनशील है. अराजक तत्वों के लिए पुलिस 24 घंटे आपकी सेवा में मुस्तैद है. जरूरत है तो ऐसी मान्यताओं से पूर्णतः मुक्त, विवेकशील व स्वस्थ समाज के निर्माण की जिसमें स्त्रियों की रचनात्मकता व उन्नति की दिशा में कोई बाधा न आने पाए. यह जागरूकता से ही संभव होने वाला लक्ष्य है. इस लक्ष्य की दिशा में यह रैली निश्चय ही अर्थवान होगी.

इस रैली में गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ-साथ सेंट एंड्रयूज कॉलेज, सेंट जोसेफ कॉलेज फॉर विमेन्स, चंद्रकांति रमावती महाविद्यालय की छात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं. इसके साथ ही विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षक गण भी इस मुहिम के साक्षी बने. इस रैली का संयोजन मिशन शक्ति की नोडल अधिकारी प्रोफेसर विनीता पाठक एवं सदस्य गण ने किया.

इस रैली की यह गौर करने वाली बात रही कि इसमें दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही स्त्रियों के रोल मॉडल के रूप में छात्राओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. किसी ने जज वह वकील का रूप धारण किया था तो किसी ने पुलिस और आर्मी का. किसी ने बैंकर का तो किसी ने साइंटिस्ट का. किसी ने डॉक्टर का तो किसी ने इंजीनियर का. किसी ने वाइस चांसलर का तो किसी ने प्रोफेसर का. किसी ने अभिनेत्री का, तो किसी ने झांसी की रानी का.किसी ने स्पेस साइंटिस्ट का, तो किसी ने होम मेकर का. किसी ने पॉलिटिशियन का, तो किसी ने एयर होस्टेस व पायलट का. इस रैली को देखने वाले नागरिक समाज में उनके सकारात्मक उत्साह को स्पष्ट ही दर्ज किया जा सकता था.

वरिष्ठ अधिवक्ता के बेटे ने गोल्ड मेडल जीत कर बढ़ाया क्षेत्र का मान

खजनी गोरखपुर।इलाके के तुर्कवलियां गांव के मूल निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता मधुसूदन पांडेय के पुत्र मृत्युंजय पांडेय ने एलएलएम परीक्षा वर्ष 2024 में प्रथम स्थान और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। सूचना मिलते ही पैतृक निवास और खजनी में शुभचिंतकों और परिवारजनों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने मिठाई खिलाकर एक दूसरे को बेटे की इस उपलब्धि पर बधाईयां दीं।

मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के सागर जनपद में स्थित डाॅक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में एलएलएम की परीक्षा 2024 में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर मृत्युंजय पांडेय को 26 नवंबर 2024 को विश्वविद्यालय द्वारा "डॉक्टर सुभाष कुमार जैन स्मृति" स्वर्ण पदक और डाॅक्टर रश्मि जैन द्वारा प्रदत्त राशि से सम्मानित किया गया। डाॅक्टर सर हरीसिंह गौर संस्थापक डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के जयंती समारोह पर आयोजित सम्मान समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.डी.शर्मा के द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र मेडल और पुरस्कार राशि देकर सम्मानित करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई है।

बांसगांव दीवानी न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं तहसील बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रहे एडवोकेट मधुसूदन पांडेय के पुत्र की इस उपलब्धि पर सभी अधिवक्ताओं ने भी उन्हें बधाई दी है।

राज्य स्तरीय विज्ञान मॉडल प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

गोरखपुर/लखनऊ। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर, लखनऊ में राज्य स्तरीय विज्ञान मॉडल प्रतियोगिता का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों को आगे ले जाना, और छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना था। इस प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों को वैज्ञानिक सिद्धांतों को व्यवहारिक रूप में समझने और प्रयोगात्मक विधि से सीखने के लिए प्रेरित किया गया। यह प्रतियोगिता तीन चरणों में आयोजित की गई – जिला, मंडल और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता । राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में, प्रत्येक मंडल से प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों के साथ-साथ सांत्वना पुरस्कार विजेताओं द्वारा तैयार किए गए कुल लगभग 90 मॉडलों का प्रदर्शन किया गया। इन मॉडलों ने प्रतिभागी छात्रों की रचनात्मकता, तार्किक सोच और समस्या-समाधान क्षमता को प्रदर्शित किया।

कार्यक्रम ने न केवल नवोदित वैज्ञानिकों के प्रयासों को मान्यता और पुरस्कार देने का मंच प्रदान किया, बल्कि उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित भी किया। यह कार्यक्रम विचारों के आदान-प्रदान का एक जीवंत मंच साबित हुआ, जिसने जिज्ञासा और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित किया। प्रतियोगिता ने सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक अनुप्रयोग से जोड़ने के महत्व को रेखांकित किया और विज्ञान के माध्यम से वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक नई पीढ़ी के विचारकों और नवप्रवर्तकों का मार्ग प्रशस्त किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, उत्तर प्रदेश, अनिल कुमार ने छात्रों के प्रदर्शन की सराहना की और उनके द्वारा प्रस्तुत मॉडलों की प्रशंसा की। उन्होंने सीएसटीयूपी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन बड़े स्तर पर किया जाए ताकि अधिक से अधिक छात्र इसमें भाग ले सकें। अपने वक्तव्य में उन्होंने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक विज्ञान विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा, जिसका लाभ लंबे समय तक छात्रों को मिलेगा।

विशिष्ट अतिथि, राज्य मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उत्तर प्रदेश, अजीत सिंह पाल ने भी छात्रों को बधाई दी और उनके प्रयासों और नवाचारी विचारों की सराहना की। विभाग के प्रमुख सचिव एवं परिषद के महानिदेशक, पंधारी यादव ने छात्रों के उत्कृष्ट प्रदर्शन और उनकी समर्पण भावना की प्रशंसा करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि वे समाज में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्होंने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

विशेष सचिव एवं परिषद के सचिव एवं निदेशक, शीलधर सिंह यादव ने मुख्य अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के लिए युवाओं के मनोबल को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि परिषद एक ऐसा माहौल तैयार करने के लिए निरंतर प्रयासरत है जो अनुसंधान, नवाचार और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है। कार्यक्रम का संचालन परिषद की संयुक्त निदेशक, डॉ. हुमा मुस्तफा ने कुशलतापूर्वक और गरिमामय ढंग से किया।

अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. राजेश कुमार गंगवार, डॉ. डी.के. श्रीवास्तव, राधे लाल, डॉ. पूजा यादव और डॉ. एस. रहमान ने भी कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला और छात्रों को विज्ञान के प्रति अपने जुनून को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रेरणादायक बातें दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ने में सफल रहीं।

सीएसटीयूपी के मीडिया प्रभारी एवं वैज्ञानिक अधिकारी, सुमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि निदेशक परिषद की टीम के प्रयासों के माध्यम से यह कार्यक्रम एक प्रेरणादायक वातावरण में आयोजित किया गया, जिसने छात्रों में सीखने, रचनात्मकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने कार्यक्रम की सफलता के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम किया। सुमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार के रूप में 50,000 का नकद पुरस्कार बस्ती मंडल के श्री सुमित भट्ट को उनके प्रोजेक्ट स्मार्ट बाइक के लिए दिया गया। द्वितीय पुरस्कार 40,000 का नकद पुरस्कार कानपुर मंडल के श्री रुद्र प्रताप सिंह को ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए और तृतीय पुरस्कार 30,000 का नकद पुरस्कार बांदा मंडल के श्री कुलदीप को वेस्ट टू प्लांट के लिए प्रदान किया गया। इसके अलावा, पांच छात्रों को 5,000 का सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

यह प्रतियोगिता राज्य में छात्रों की वैज्ञानिक प्रतिभा को निखारने और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुई है ।

एचआरपी की पहचान कर करें प्रबंधन, गर्भवती का सरकारी अस्पताल में ही प्रसव सुनिश्चित हो

गोरखपुर। जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में मंगलवार की देर शाम तक चली। विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए मुख्य विकास अधिकारी ने मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने सभी ब्लॉक में उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली (एचआरपी) महिलाओं की पहचान कर निर्धारित प्रबन्धन करने और गर्भवती का सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करवाने का निर्देश दिया । साथ ही समीक्षा के दौरान अलग अलग कार्यक्रमों में अपेक्षित प्रदर्शन न करने वाले ब्लॉक के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन कटौती और उनसे स्पष्टीकरण लेने के लिए भी कहा।

बैठक के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने परिवार नियोजन कार्यक्रमों, मातृ शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, आयुष्मान भारत योजना, राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम, क्वालिटी एश्योरेंस कार्यक्रम और टेलीकंसल्टेशन कार्यक्रम की विस्तृत समीक्षा की ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि सभी ब्लॉक को निर्देश मिला है कि वह आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गर्भवती को प्रसव पूर्व चार जांचों के लिए प्रेरित करें। जांच के दौरान जो महिलाएं उच्च गर्भवस्था वाली मिलती हैं उनका नियमित फॉलो अप किया जाए । सुनिश्चित हो कि ऐसी महिलाओं का सुरक्षित प्रसव सरकारी अस्पताल में ही हो। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता द्वारा गर्भवती को प्रत्येक माह की एक, नौ, सोलह और चौबीस तारीख को 102 नंबर एम्बुलेंस के जरिये प्रसव पूर्व जांच की सुविधा दिलवाई जाए।

सीएमओ डॉ दूबे ने बताया कि प्रत्येक ब्लॉक को निर्देश दिया गया है कि मातृ और शिशु मृत्यु की रिपोर्टिंग अवश्य करें। अगर उनके क्षेत्र में कोई मृत्यु नहीं हुई है तो इसका प्रमाण पत्र दें। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत छूटे हुए सत्रों का टीकाकरण दो से तीन दिन के भीतर कराने और एमआर एक व एमआर दो टीके से वंचित बच्चों का टीकाकरण शीघ्र सुनिश्चत करवाने को कहा गया। जिले की सभी टीबी यूनिट पर टीबी की जांच दर बढ़ाने के लिए कहा गया। प्रत्येक टीबी यूनिट से कम से कम 2000 संभावित मरीजों की टीबी जांच कराने का निर्देश दिया गया है।

इस मौके पर महिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार, जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ बीके सुमन, एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, डीटीओ डॉ गणेश यादव, डीआईओ डॉ नंदलाल कुशवाहा, डीएमओ अंगद सिंह, डीडीएचईआईओ सुनीता पटेल, डीपीएम पंकज आनंद, डीडीएम पवन, क्वालिटी प्रभारी विजय श्रीवास्तव, डीईओ आदिल फखर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और सीफार के प्रतिनिधिगण मौजूद रहे।

अभियानों को सफल बनाएं

मुख्य विकास अधिकारी ने जिले में चल रहे पुरुष नसबंदी पखवाड़े को सफल बनाने को कहा । उन्होंने आठ दिसम्बर से प्रस्तावित पल्स पोलियो अभियान के दौरान नियमित सांध्यकालीन बैठकें करने का निर्देश दिया। टेलीकंसल्टेशन कार्यक्रम के तहत बेहतर सेवा देने और सक्षम पोर्टल पर नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन (एनक्वास) संबंधित दस्तावेज शीघ्र अपलोड करने का निर्देश भी दिया गया।

ऐतिहासिक उपलब्धि: एम्स गोरखपुर में पहली बार सफल लैप्रोस्कोपिक रेडिकल कोलेसिस्टेक्टॉमी

गोरखपुर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। संस्थान में पहली बार लैप्रोस्कोपिक रेडिकल कोलेसिस्टेक्टॉमी सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न की गई। यह सर्जरी एक बुजुर्ग महिला मरीज पर की गई, जिन्हें उच्च रक्तचाप और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव की समस्या थी।

इस जटिल सर्जरी को सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता के निर्देशन में डॉ. हरिकेश यादव, एसोसिएट प्रोफेसर, सर्जरी विभाग ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। मरीज को एनेस्थीसिया देने की जिम्मेदारी डॉ. गणेश, एसोसिएट प्रोफेसर ने निभाई, जो एनेस्थीसिया विभाग के प्रॉफेसर और कार्यवाहक विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में कार्यरत थे। मरीज के जटिल चिकित्सीय इतिहास को देखते हुए सर्जरी से पहले गहन योजना और अत्याधुनिक मॉनिटरिंग तकनीक का उपयोग किया गया।

फिलहाल मरीज को हाल ही में उद्घाटन किए गए एनेस्थीसिया इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती किया गया है, जहां उनकी स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। आईसीयू की टीम मरीज की सुरक्षा और शीघ्र स्वस्थ होने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।

एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने सर्जिकल और एनेस्थीसिया टीम के इस अद्वितीय प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि एम्स गोरखपुर की आधुनिक और उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

उत्पन्ना एकादशी के अवसर पर नवभारत निर्माण ट्रस्ट द्वारा मानसरोवर मंदिर पर किए गए विभिन्न कार्यक्रम

गोरखपुर। उत्पन्ना एकादशी के उपलक्ष्य में नवभारत निर्माण ट्रस्ट गोरखपुर के द्वारा संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के सहयोग से दीपोत्सव एंव सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन मानसरोवर मंदिर प्रांगण निकट गोरखनाथ पुल गोरखपुर में किया गया । जिसमें सर्व प्रथम 11 ब्राह्मणों के शंखनाद के संग प्रथम दीपक कार्यक्रम की मुख्य अतिथि (पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति) पूनम टंडन के दीप प्रज्वलित करने के साथ 11 पंडित जी द्वारा गंगा आरती करायी गयी । मानसरोवर परिसर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं द्वारा दीप के प्रज्वलन का कार्यक्रम न चलता रहा ।

तत्पश्चात कार्यक्रम में कार्यक्रम के अतिथिगण के सम्मान के क्रम में कार्यक्रम कि संरक्षक मंडली- पूजा गुप्ता, रश्मि सिंह के संग कार्यक्रम अध्यक्ष नितेश शुक्ल के द्वारा मुख्य अतिथि के पश्चात, विशिष्ट अतिथि - रीना तिवारी अंतर्राष्ट्रीय लोकगायक एवं सदस्य-संतकबीर अकादमी, उत्तर प्रदेश- हरि प्रसाद सिंह, राकेश उपाध्याय • विजय श्रीवास्तव व अनूप अग्रवाल, मधु अग्रवाल, सुधा मोदी, जेके पांडेय, प्रमोद व सभी अतिथी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया तत्पश्चात कलाकारों द्वारा लोक पारंपरिक गीत संघ सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तुति क्रमशः दी गई । कलाकारों एवं कार्यक्रम में लगे कार्यकर्ताओं को अतिथिगण द्वारा सम्मानित किया गया ।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो॰ पूनम टंडन जी ने कार्यक्रम की तारीफ़ करते हुए कहा कि दीपोत्सव कार्यक्रम बहुत ही भव्य होने के साथ ही साथ सांस्कृतिक नृत्य एवं गायन पूरे परिसर में उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध करा, इस कार्यक्रम में आकर ट्रस्ट के द्वारा कई वर्षों से किए जा रहे सेवा कार्यों को जाना जोकि अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायी है । मुख्य ट्रस्टी विक्रमादित्य नारायण सिंह ने उत्पन्ना एकादशी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि - हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। कार्तिक माह के बाद ये मार्गशीर्ष मास आता है जिसे अगहेन भी कहते हैं । इसके कृष्णपक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है, उत्पन्ना एकादशी इस लिए क्यूँकि यह प्रथम एकादशी है इस दिन एकादशी का प्रादुर्भाव हुआ था,वे प्रकट हुई थी, उत्पन्न हुई थी इसलिए इसका नाम है उत्पन्ना एकादशी । दीप दान करना शुभ माना जाता है। इसलिए आज के दिन दीप प्रज्ज्वलन कार्यक्रम के संग सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया ।कार्यक्रम की संचालिका सरिता सिंह जी ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा यह कार्यक्रम पिछले 5 वर्षो से आयोजित कराया जारहा है |

संविधान दिवस पर ‘‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान‘‘ विषयक संगोष्ठी का हुआ आयोजन

गोरखपुर। संविधान दिवस के अवसर पर संग्रहालय सभागार में ‘‘हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान‘‘ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के वक्ता प्रो0 (डाॅ0) रामप्रताप सिंह, दयानन्द वैदिक कालेज, उरई, प्रो0 अनिल यादव, वाणिज्य संकाय, दीन दयाल उपाध्याय, गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर एवं सुभाष चन्द्र चैधरी, पूर्व उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त, पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर एवं बसन्त लाल, पूर्व पुलिस अधिकारी, गोरखपुर रहे। कार्यक्रम की शुरूआत संविधान की उद्देशिका का पठन/शपथ ग्रहण के साथ किया गया।

संगोष्ठी की निर्धारित विषय-वस्तु पर सम्बोधित करते हुए सभी वक्ताओं द्वारा अपने संविधान के सम्बन्ध में काफी रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी प्रदान की गयी।

वक्ताओं की कड़ी में प्रो0 अनिल यादव ने कहा कि संविधान दिवस मनाने का अर्थ अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना है। संविधान महिलाओं की स्वतंत्रता हेतु विशेष अधिकार प्रदान करता है। हमारा संविधान हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करते हुए हमें सुरक्षा भी प्रदान करता है। संविधान एक तरफ जहाॅं प्रत्येक धर्म-भाषा, जाति के लोगों को रहने की आजादी देता है इस देश की विविधता में एकता को समाहित किए हुए है। श्री बसन्त लाल ने कहा कि हमारे देश का संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। जो पूरे विश्व में अद्भुत एवं अद्वितीय है। हमारा संविधान समस्त नागरिकों को समानता का अधिकार प्रदान करता है।सुभाष चन्द्र चैधरी ने कहा कि डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर ने एक बार कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो, अगर उसे मानने वाले तथा उसको लागू करने वाले अच्छे न हो तो एक अच्छा संविधान भी व्यर्थ हो जायेगा। वक्ता प्रो0 राम प्रताप सिंह ने कहा कि संविधान हमें समता, स्वतंत्रता, बन्धुत्व व न्याय पर आधारित समाज व राष्ट्र निर्माण का संदेश देता है। हमारा संविधान हमें सामाजिक चेतना व राजनैतिक एकता के साथ-साथ आर्थिक स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रदान करता है।

संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा संविधान ही हमारा स्वाभिमान है। संविधान के प्रति जागरूकता के माध्यम से देश के विकास में योगदान दिया जा सकता है। कार्यक्रम के अन्त में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित करते हुए सभी अतिथियों को आभार ज्ञापित किया।

उक्त अवसर पर डाॅ0 जितेन्द्र कुमार, अमरपाल सिंह यादव, एड0 कमलेश कुमार कचेर, भास्कर विश्वकर्मा, कुलवंत सिंह, भालचन्द्र मिश्रा, शिवम यादव, ओम यादव, बृज बिहारी दूबे, अनीता मांझी, रेनू मिश्रा, दीपाली मिश्रा, सुप्रिया रावत, आदित्य, अनिल कुमार अर्चना राय आदि सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

संक्रमण मुक्त होता है मां का दूध, टीबी उपचाराधीन माताएं करा सकती हैंसंक्रमण मुक्त होता है मां का दूध, टीबी उपचाराधीन माताएं करा सकती हैं स्तनपान

गोरखपुर।मां का दूध हर प्रकार से संक्रमण मुक्त होता है । ऐसे में अगर किसी माता को टीबी है और उनका उपचार चल रहा है तो वह भी मास्क लगा कर सावधानी के साथ बच्चे को स्तनपान करवाना जारी रखें। ऐसी माताओं द्वारा बच्चे को स्तनपान न कराना बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर सकता है।

 साथ ही अगर किसी भी गर्भवती और धात्री महिला में टीबी का लक्षण दिखे तो अधिक सतर्कता बरतते हुए त्वरित जांच और इलाज करवाना चाहिए। यह कहना है जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव का । उन्होंने अपील की है कि अगर किसी गर्भवती या धात्री को लगातार दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है तो वह टीबी जांच जरूर करावें।

डीटीओ डॉ यादव ने बताया कि गर्भवती में समय से टीबी की पहचान न होने से बच्चे के समय से पहले जन्म, कम वजन वाले बच्चे के जन्म, अंतर्गर्भाशयी विकास प्रतिबंध और प्रसवकालीन मृत्यु में छह गुना वृद्धि का जोखिम बना रहता है। इसके ठीक विपरीत समय से जांच और इलाज शुरू हो जाने से मां और बच्चे दोनों सुरक्षित हो जाते हैं।

 टीबी ग्रसित गर्भवती और धात्री महिलाओं के उपचार के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत निश्चित प्रोटोकॉल तय हैं और इनके जरिये मां बच्चे दोनों का ध्यान रखा जाता है। इन मरीजों को यथाशीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाना चाहिए।

डॉ यादव ने बताया कि ऐसी महिलाओं को मातृ सूक्ष्म पोषक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आयरन, फोलिक एसिड तथा अन्य विटामिन और खनिज देना जारी रखना चाहिए। ऐसी स्थिति में गर्भावस्था के दौरान जब कैल्शियम का सेवन कम हो, तो प्रसवपूर्व देखभाल के भाग के रूप में कैल्शियम अनुपूरण की सिफारिश भी की जाती है। उपचाराधीन मां को दवा के साथ साथ चिकित्सक के परामर्श के अनुसार संतुलित आहार लेते हुए आराम भी करना चाहिए।

शीघ्र स्तनपान जरूरी

शाहपुर नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू मौर्या का कहना है कि टीबी उपचाराधीन गर्भवती को भी प्रसव के तुरंत बाद यथाशीघ्र बच्चे के स्तनपान के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसी मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका होता है। मां को बच्चे के ओरल कांटैक्ट से बचने की सलाह दी जाती है। मास्क लगा कर स्वच्छता व्यवहार अपनाते हुए इन माताओं को भी छह माह तक सिर्फ अपना दूध ही बच्चे को पिलाने के लिए कहा जाता है। उपचाराधीन माता को हाथों की स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। मां के दूध से बच्चे को टीबी का संक्रमण नहीं होता है, बल्कि यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर उसे टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

देते हैं बचाव की दवा

डीटीओ डॉ गणेश यादव ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चे के जन्म के बाद लगने वाला बीसीजी का टीका उन्हें टीबी समेत कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। स्तनपान भी बच्चे को इस बीमारी से बचाव का सामर्थ्य व पोषण प्रदान करता है। टीबी पीड़ित धात्री महिला के बच्चों को बचाव की दवा भी दी जाती है।

यह लक्षण दिखे तो गर्भवती-धात्री कराएं जांच

दो सप्ताह से अधिक की खांसी

शाम को पसीने के साथ बुखार

सीने में दर्द

सांस फूलना 

वजन कम होना

बलगम में खून आना स्तनपान

गोरखपुर।मां का दूध हर प्रकार से संक्रमण मुक्त होता है । ऐसे में अगर किसी माता को टीबी है और उनका उपचार चल रहा है तो वह भी मास्क लगा कर सावधानी के साथ बच्चे को स्तनपान करवाना जारी रखें। ऐसी माताओं द्वारा बच्चे को स्तनपान न कराना बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम कर सकता है।

साथ ही अगर किसी भी गर्भवती और धात्री महिला में टीबी का लक्षण दिखे तो अधिक सतर्कता बरतते हुए त्वरित जांच और इलाज करवाना चाहिए। यह कहना है जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव का । उन्होंने अपील की है कि अगर किसी गर्भवती या धात्री को लगातार दो सप्ताह से अधिक की खांसी आ रही है तो वह टीबी जांच जरूर करावें।

डीटीओ डॉ यादव ने बताया कि गर्भवती में समय से टीबी की पहचान न होने से बच्चे के समय से पहले जन्म, कम वजन वाले बच्चे के जन्म, अंतर्गर्भाशयी विकास प्रतिबंध और प्रसवकालीन मृत्यु में छह गुना वृद्धि का जोखिम बना रहता है। इसके ठीक विपरीत समय से जांच और इलाज शुरू हो जाने से मां और बच्चे दोनों सुरक्षित हो जाते हैं।

टीबी ग्रसित गर्भवती और धात्री महिलाओं के उपचार के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत निश्चित प्रोटोकॉल तय हैं और इनके जरिये मां बच्चे दोनों का ध्यान रखा जाता है। इन मरीजों को यथाशीघ्र नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाना चाहिए।

डॉ यादव ने बताया कि ऐसी महिलाओं को मातृ सूक्ष्म पोषक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आयरन, फोलिक एसिड तथा अन्य विटामिन और खनिज देना जारी रखना चाहिए। ऐसी स्थिति में गर्भावस्था के दौरान जब कैल्शियम का सेवन कम हो, तो प्रसवपूर्व देखभाल के भाग के रूप में कैल्शियम अनुपूरण की सिफारिश भी की जाती है। उपचाराधीन मां को दवा के साथ साथ चिकित्सक के परामर्श के अनुसार संतुलित आहार लेते हुए आराम भी करना चाहिए।

शीघ्र स्तनपान जरूरी

शाहपुर नगरीय स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू मौर्या का कहना है कि टीबी उपचाराधीन गर्भवती को भी प्रसव के तुरंत बाद यथाशीघ्र बच्चे के स्तनपान के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसी मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका होता है। मां को बच्चे के ओरल कांटैक्ट से बचने की सलाह दी जाती है। मास्क लगा कर स्वच्छता व्यवहार अपनाते हुए इन माताओं को भी छह माह तक सिर्फ अपना दूध ही बच्चे को पिलाने के लिए कहा जाता है। उपचाराधीन माता को हाथों की स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। मां के दूध से बच्चे को टीबी का संक्रमण नहीं होता है, बल्कि यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर उसे टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

देते हैं बचाव की दवा

डीटीओ डॉ गणेश यादव ने बताया कि नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चे के जन्म के बाद लगने वाला बीसीजी का टीका उन्हें टीबी समेत कई बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। स्तनपान भी बच्चे को इस बीमारी से बचाव का सामर्थ्य व पोषण प्रदान करता है। टीबी पीड़ित धात्री महिला के बच्चों को बचाव की दवा भी दी जाती है।

यह लक्षण दिखे तो गर्भवती-धात्री कराएं जांच

दो सप्ताह से अधिक की खांसी

शाम को पसीने के साथ बुखार

सीने में दर्द

सांस फूलना

वजन कम होना

बलगम में खून आना