डीजीपी मुख्यालय से 15 डिप्टी एसपी का तबादला
लखनऊ । डीजीपी मुख्यालय ने बुधवार को 15 डिप्टी एसपी का तबादला कर दिया। हाल ही में निरीक्षक से डिप्टी एसपी बनने वाले 6 अधिकारी भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। आदेश के मुताबिक बिजनौर में सीओ संजय तलवार को खाद्य प्रकोष्ठ मुख्यालय भेजा गया है।

इसी तरह आशीष कुमार यादव को हमीरपुर से 11वीं वाहिनी पीएसी सीतापुर भेजा गया है। हरदोई में सीओ सुनील कुमार शर्मा को कानपुर का मंडलाधिकारी बनाया गया है। इटावा में तैनात शैलेंद्र प्रताप गौतम को सहारनपुर और अमित कुमार सिंह को रेलवे, लखनऊ भेजा गया है। आनंद कुमार राय को प्रतापगढ़ से गोंडा, मनोज कुमार सिंह को कौशांबी से प्रतापगढ़, प्रतिमा सिंह को एनडीए बरेली सें 12वीं वाहिनी पीएसी फतेहपुर, सियाराम को बरेली एयरपोर्ट से आरटीसी चुनार भेजा गया है।

वहीं प्रोन्नत डिप्टी एसपी में हरदोई में तैनात राजकुमार पांडेय को हमीरपुर में सीओ बनाया गया है। इसी तरह नरेश कुमार को हापुड़ से भदोही, राम दवन को गोंडा से इटावा, रामगोपाल शर्मा को बरेली से इटावा सीओ बनाकर भेजा गया है। यादवेंद्र कुमार राय को एलआईयू बलरामपुर से एलआईयू गोंडा और संजीव कुमार विश्नोई को नोएडा कमिश्नरेट से बरेली एयरपोर्ट में मुख्य सुरक्षा अधिकारी के पद पर भेजा गया है।
वाहन चोरी करने वाले गैंग का पदार्फाश, पांच शातिर वाहन चोर व अभियुक्त गिरफ्तार

लखनऊ। सुशांत गोल्फ सिटी थाना की पुलिस ने वाहन चोरी करने वाले गैंग के पदार्फाश करते हुए पांच चोरों को गिरफ्तार किया है। अभियुक्तों के पास से चोरी के आठ दो पहिया वाहन बरामद किया है। प्रभारी निरीक्षक धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि पीजीआई हैवतमऊ निवासी सत्यम रावत उर्फ लाली,सनी गौतम, अभिषेक रावत, उसरीखेड़ा निवासी राज रावत और मोहनलालगंज के दहिहर गांव का रहने वाला अमित कुमार रावत वाहन चोरी की घटनाओं में संलिप्त है।

एक सूचना के बाद इस्कान मंदिर के पहले एक खाली प्लाट की तरफ दबिश देकर पुलिस टीम ने इन व्यक्तियों को पकड़ा है। पूछताछ में इन लोगों बताया गया कि अस्पतालों, अन्य सरकारी संस्थानों के बाहर खड़ी मोटर साइकिल को चोरी कर लेते हैं। इसके बाद उन वाहनों को झाड़ियों छिपा देते और मौका देखकर ग्राहक तय कर उन्हें बेच देते हैं। प्राप्त पैसों को आपस में बराबर हिस्सों में बाँटकर अपना शौक पूरा करते हैं।
संभल हिंसा में संलिप्त लोगों के चौराहों पर लगेंगे पोस्टर
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई हिंसा के बाद कड़ा रुख अपनाया है। हिंसा में शामिल पत्थरबाजों और अन्य आरोपितों पर कार्रवाई तेज कर दी गई है। सरकार ने ऐलान किया है कि सार्वजनिक स्थानों पर पत्थरबाजों और हिंसा में शामिल आरोपितों के पोस्टर लगाए जाएंगे ताकि उनकी पहचान जनता के बीच उजागर हो और उन्हें पकड़ने में मदद मिले। संभल में 24 नवंबर को मस्जिद का सर्वे करने गई टीम पर एक समुदाय विशेष से जुड़े उपद्रवियों की भीड़ एकत्र हो गयी थी। सर्वे करने वाली टीम, अधिवक्ता और पुलिस बल पर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी। पत्थरबाजों ने इतना तांडव किया कि पुलिस को आंसू गैस के गोले तक छोड़ने पड़े। इस घटनाक्रम में चार लोगों की मौत हो गयी। हालांकि पुलिस प्रशासन स्पष्ट कर चुका है कि किसी की भी मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है। अब योगी सरकार ऐसे सभी चिह्नित लोगों के चौराहों पर पोस्टर लगाकर उनके चेहरे को सार्वजनिक करने जा रही है। सरकार इन उपद्रवियों पर इनाम भी घोषित कर सकती है। इनके उपद्रव से हुई क्षति की भरपाई आरोपितों से वसूल की जाएगी। आदित्यनाथ सरकार पहले ही उपद्रवियों और अपराधियों के खिलाफ नुकसान की वसूली और पोस्टर लगाने का अध्यादेश जारी कर चुकी है।








अखिलेश की राहुल से दूरी पड़ी भारी, पूरे चुनाव प्रचार के दौरान नहीं दिखी दोनों की जोड़ी, दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों में हुआ बिखराव, समेटने में

लखनऊ । विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव परिणाम ने साबित कर दिया कि सपा को कांग्रेस से दूरी भारी पड़ी है।  चूंकि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश और राहुल गांधी की जोड़ी नहीं दिखाई पड़ी। जबकि उपचुनाव में तमाम प्रयास के बाद भी विपक्ष सियासी ऊर्जा नहीं बना पाया। इससे दलित और अति पिछड़े वर्ग के वोटों में बिखराव हुआ। भाजपा ने इसका फायदा उठाया। इस चुनाव परिणाम ने यह भी संदेश दिया है कि विपक्ष की गोलबंदी के लिए कांग्रेस का सियासी रसायन जरूरी है।नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटें मांगी थी, लेकिन सपा ने सिर्फ खैर और गाजियाबाद दी।

कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया। सपा अकेले मैदान में रही। दोनों दल दावा करते रहे कि सभी कार्यकर्ता पूरे मनोयोग से मैदान में डटे हैं। सपा ने गाहे-बहागे अपने पोस्टल बैनर पर कांग्रेस नेताओं की भी तस्वीरें लगाईं, लेकिन हकीकत यह रही कि गाजियाबाद छोड़़कर अन्य किसी भी जनसभा में कांग्रेस के नेता सपा के मंच पर नजर नहीं आए। कांग्रेस नेताओं ने दबी जुबान से यह स्वीकार किया कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया। सम्मान और स्वाभिमान खतरे में देख संगठन के जुड़े ज्यादातर नेता पहले वायनाड और फिर महाराष्ट्र के चुनाव में चले गए।

राहुल गांधी एक भी जनसभा उत्तर प्रदेश में नहीं हो सकी। इसका सीधा असर सियासी ऊर्जा पर पड़ा।लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने संविधान, जाति गणना, आरक्षण सीमा बढ़ाने जैसे मुद्दे उठाकर दलितों और अति पिछड़ी जातियों को गोलबंद किया था। सियासी जानकारों का कहना था कि सपा को उम्मीद थी कि यह गोलबंदी कायम रहेगी, लेकिन कांग्रेस नेताओं के साथ नहीं रहने से दलितों में संशय रहा। वोटों का बिखराव हुआ। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। सामाजिक चेतना फाउंडेशन न्यास के अध्यक्ष पूर्व जिला जज बीडी नकवी कहते हैं कि विपक्षी एकजुटता नहीं होने से भाजपा का हौसला बुलंद रहा। तमाम सीटों पर अल्पसंख्यक बूथ तक नहीं पहुंच पाए। इसका भी नुकसान हुआ है।
अर्स से फर्स पर पहुंची बसपा, लगातार तीसरे चुनाव में शर्मनाक रहा प्रदर्शन,उपचुनाव में चार सीटों पर जमानत न बचा सकी बीएसपी, राज करने वाली पार्टी आ

लखनऊ । यूपी में उपचुनाव के परिणाम की स्थिति लगभग साफ है। इसमें बसपा कहीं नजर नहीं आ रही है। कभी यूपी जैसे बड़े प्रदेश में सत्ता चलाने वाली बसपा आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। विशेषज्ञों की मानें तो शीर्ष नेताओं से लेकर साधारण कार्यकर्ता तक की जनता से दूरी पतन का कारण बनती जा रही है। कैसे बसपा लगातार शून्य की तरफ पहुंच रही है। उत्तर प्रदेश में शनिवार को उपचुनाव की मतगणना की जा रही है।

इसमें बसपा अपना अस्तित्व खोती नजर आ रही है। कभी उपचुनाव न लड़ने वाली बसपा ने इस बार सभी नौ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। लेकिन, वह कुछ खास नहीं कर सके। या यूं कहें कि बसपा को उबारने में सहायक साबित नहीं हो सके तो गलत नहीं होगा। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद से बसपा लगातार नीचे की ओर बढ़ती दिख रही है। पहली बार बसपा ने उपचुनाव लड़ने का एलान किया। लेकिन, इसमें भी कुछ हासिल नहीं कर सकी। सभी नौ सीटों की बात करें तो किसी में तीसरे या फिर उससे निचले पायदान पर नजर आ रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें एक प्रमुख कारण बड़े नेताओं का चुनाव प्रचार से दूरी बनाना भी देखा जा रहा है।

चुनाव प्रचार से दूरी बसपा के लिए आमजन से दूरी बन गई। उसके प्रत्याशी लोगों के दिल में जगह नहीं बना पाए। पार्टी प्रमुख मायावती समेत लगभग सभी बड़े नेताओं ने एक भी सीट पर एक भी रैली नहीं की। ऐसे में जब सत्तासीन भाजपा और सपा के साथ मुकाबला कड़ा था। तब भी प्रत्याशियों के कंधों पर ही मैदान फतह करने की जिम्मेदारी रही। इसका खामियाजा भी बसपा को भुगतना पड़ा। इसका असर चुनाव परिणाम में साफ दिख रहा है। 2019 के बाद से बसपा लगातार नीचे की ओर खिसकती जा रही है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव हुए। इसमें बसपा ने सपा के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में बसपा को 10 सीटें हासिल हुईं। इसके बाद वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन समाप्त कर लिया। इस चुनाव में इसका असर भी दिखा। बसपा को महज एक सीट पर जीत मिली। जो कि बसपा के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था। इसके बाद वर्ष 2024 के आमचुनाव में भी बसपा ने अकेले लड़ने की घोषणा की।

सभी 80 सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे। मेहनत भी की गई। लेकिन, ना तो आलाकमान और ना ही पार्टी प्रत्याशी जनता के मन में जगह बना पाए। नतीजा आए तो बसपा के साथ ही उसके समर्थकों के लिए भी चौंकाने वाले थे। बसपा का खाता भी नहीं खुल सका था। यानि बसपा को आमचुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। आमचुनाव में मिली हार के बाद बसपा को यूपी में वापसी की उम्मीद थी। शायद इसीलिए कभी उपचुनाव ना लड़ने वाली बसपा ने इस बार उपचुनाव लड़ने का फैसला किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सभी नौ सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया। लेकिन, अब जब नतीजे आ रहे हैं तो बसपा को एक भी सीट मिलते नहीं दिख रही है। किसी भी सीट पर वह लड़ाई पर भी नहीं है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेताओं की जनता से दूरी भी इस हार का कारण बनती जा रही है।

उपचुनाव में सभी नौ सीटों पर प्रत्याशी उतारने के बाद पार्टी ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी की। इसमें पार्टी प्रमुख मायावती, आकाश आनंद और सतीश चंद्र मिश्र सहित करीब 40 नेताओं को मैदान संभालने की जिम्मेदारी मिली। लेकिन, समय बीतता गया और यूपी में मायावती समेत लगभग किसी भी बड़े नेता की कोई जनसभा नहीं हुई है। आमजन से दूरी का आलम यहां तक रहा कि बसपा अपने पारंपरिक वोट भी पूरी तरह से पक्ष में नहीं ला सकी। बसपा का कोर वोटर दलित माना जाता है। लेकिन, बसपा उसे भी बांधकर रखने में असफल साबित हो रही है। चुनाव नतीजों में इसका असर साफ दिख रहा है। पिछले कुछ समय से संविधान और जाति जनगणना को लेकर राजनीतिक बयानबाजी काफी तेज है। भाजपा और सपा इस पर अपने-अपने गुणा-गणित के हिसाब से बयानबाजी करती रही। लेकिन, बसपा ने खुलकर इस पर कुछ नहीं कहा। इसका भी असर बसपा के कोर वोटर समेत नए वोटरों पर दिख रहा है।

उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरे चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को वोटों के लिए तरसना पड़ गया। नतीजों से साफ है कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार बसपा का करीब 60 फीसद से अधिक वोट बैंक दूसरे दलों में शिफ्ट हो गया। दलित वोट बैंक ने बसपा को नकार दिया तो पार्टी मुस्लिम वोटरों का भरोसा भी नहीं जीत सकी। बसपा का उपचुनाव लड़ने का दूसरा कदम भी उसे नई दिशा नहीं दिखा सका। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी बसपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। फिलहाल बसपा का प्रदर्शन उसके अस्तित्व पर किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहा है।चुनावी नतीजों पर गौर करें तो करहल, कुंदरकी, मीरापुर और सीसामऊ में बसपा धड़ाम हो गई।

चारों सीटों पर बसपा का वोट पांच अंकों की सीमा तक भी नहीं पहुंच सका, जो प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने की वजह बन गया। मीरापुर और कुंदरकी में तो वोटरों ने बसपा से ज्यादा आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तिहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को तरजीह दी है।बसपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन कटेहरी सीट पर रहा, जहां पार्टी प्रत्याशी अमित वर्मा ने 41,647 वोट हासिल किए। वहीं मझवां के प्रत्याशी दीपक तिवारी उर्फ दीपू तिवारी ने 34,927 और फूलपुर के प्रत्याशी जितेंद्र कुमार सिंह को 20,342 वोट मिले। हालांकि तीनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले कम वोट मिले हैं।

गाजियाबाद में टिकट बदलने का खेल बसपा को भारी पड़ गया और उसके प्रत्याशी परमानंद गर्ग 10,736 वोट ही हासिल कर पाए।बसपा के इस खराब प्रदर्शन की वजह पार्टी के बड़े नेता हैं, जिन्होंने उपचुनाव में प्रचार करने की जहमत तक नहीं की। पार्टी नेता महाराष्ट्र और झारखंड में खुद को मजबूत करने के फेर में यूपी में अपनी जमीन को खो बैठे। प्रत्याशियों ने अपने दम पर प्रचार किया, जो जीत में तब्दील नहीं हो सका। बसपा सुप्रीमो की प्रत्याशियों से मुलाकात तो हुई, लेकिन उनके नाम की घोषणा पार्टी ने अंतिम समय पर की, जिससे वोटरों में ऊहापोह रहा। सोशल इंजीनियरिंग के बल पर चुनाव जीतने की उसकी कसरत किसी काम नहीं आई। टिकट वितरण में अंजान चेहरों पर दांव लगाने की कीमत पार्टी को चुकानी पड़ गई।
मेडिकल कॉलेज अग्निकांड : 18वें नवजात ने दम तोड़ा

लखनऊ /झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र में 15 नवंबर को हुए भीषण अग्निकांड के बाद बचाए गए एक अन्य नवजात की भी मौत हो गई। अब मरने वाले शिशुओं की संख्या 18 हो गई है।प्रशासन का कहना है कि जिस बच्चे की मौत हुई है, वह पहले से ही बीमार था। मेडिकल कॉलेज प्रशासन की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, हृदय रोग से पीड़ित नवजात का उपचार चल रहा था। शाम को उसकी मौत हो गयी। बताया गया है कि नवजात प्रीमेच्योर पैदा हुआ था और कम वजन का था। शव पोस्टमॉर्टम के लिये भेजा गया है। मेडिकल प्रशासन के अनुसार हादसे के वक्त बचाये गए बच्चों में अब कोई भी बच्चा मेडिकल कॉलेज में भर्ती नहीं है।गौरतलब है कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में 15 नवंबर को शुक्रवार की रात करीब साढ़े 10 बजे भीषण आग लग गई थी। घटना में 10 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि, एक बच्चे ने रविवार को दम तोड़ दिया था। उसके बाद सोमवार को एक और बच्चे की मौत हो गई थी। एक दिन की शांति के बाद बुधवार को 3 और नवजातों की मौत बताई गई थी। इस प्रकार मृतक नवजातों की कुल संख्या 15 हो गई थी। इसके बाद शनिवार को दो और बच्चों ने दम तोड़ दिया था। इस प्रकार मृतक नवजातों की संख्या 17 हो गई थी। देर रात हुई एक अन्य नवजात की मौत के साथ यह आंकड़ा अब 18 पर जा पहुंचा है। हालांकि जारी मेडिकल बुलेटिन में बताया गया कि जिस नवजात की मौत हुई है वह प्रीमेच्योर था। और वेंटिलेटर पर रखा गया था। यह भी बताया गया है कि अब कोई भी नवजात शिशु भर्ती नहीं है। सभी को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। गौरतलब है कि घटना के समय वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 39 बच्चों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया था।
काशी में रोजगार का कुंभ लगाने जा रही प्रदेश सरकार

लखनऊ/वाराणसी। महाकुंभ-2025 से पहले प्रदेश सरकार धर्म नगरी काशी में रोजगार का कुंभ लगाने जा रही है। काशी में तीन दिन (30 नवंबर, दो और तीन दिसंबर) तक रोजगार मेला लगेगा। इसमें उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के साथ ही अनेक राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हिस्सा लेंगी। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय वाराणसी भी 4,500 से अधिक युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए 30 नवंबर को महारोजगार मेले का आयोजन करने जा रहा है। इसमें करीब 55 से 60 राष्ट्रीय और मल्टीनेशनल कंपनियां भाग लेंगी। दिव्यांगजनों और महिलाओं को नौकरी देने के लिए ख़ास कंपनियां प्रतिभाग करेगी। युवाओं को विदेश में भी नौकरी करने का अवसर मिलेगा। 2 व तीन दिसंबर को रोडवेज बसों में चालकों के लिए होगी भर्ती प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार वाराणसी में तीन दिनों तक रोजगार मेले का महायोजन करने जा रही है। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय वाराणसी और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम युवाओं के लिए बंपर नौकरियों के अवसर लेकर आया है। दोनों विभागों को मिलाकर 4860 से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक परशुराम पांडेय ने बताया कि प्रयागराज के महाकुम्भ को देखते हुए अनुबंध पर 360 चालकों की भर्ती 2 और 3 दिसंबर को काशी डिपो प्रांगण, गोलगड्डा में होगी। अनुबंध चालकों के लिए देय भुगतान -रुपये 1.89 प्रति किमी की दर से भुगतान / प्रति माह 22 दिन ड्यूटी व 5,000 किमी करने पर रुपये 3,000 प्रोत्साहन, फिक्सेशन की व्यवस्था, दो वर्ष की सेवा पर उत्कृष्ट श्रेणी हेतु कुल रूपये 19593.00 एवं उत्तम श्रेणी हेतु रूपये 16593,पीएफ, यात्रा पास, नाइट भत्ता एवं रुपये 5.00 लाख का दुर्घटना बीमा की सुविधा, दुर्घटना रहित बस संचालन करने पर अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन। संविदा चालक के लिए न्यूनतम योग्यता, -उम्र 23 वर्ष 6 माह,योग्यता- 8वीं पास है। साथ ही लम्बाई 5 फुट 3 इंच, -लाइसेंस -2 साल पुराना (हैवी) होना चाहिए। 30 नवंबर को डॉ. घनश्याम सिंह पीजी कॉलेज सोयेपुर में लगेगा वृहद रोजगार मेला काशी में एक और रोजगार का महाकुम्भ लगने जा रहा है। क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय ,वाराणसी के मेला प्रभारी ने दीप सिंह ने बताया कि इस वृहद रोजगार मेले में लगभग दस से बारह हज़ार से अधिक बेरोजगार युवाओं के प्रतिभाग करने की संभावना है। रोजगार मेले में करीब 4500 युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य है। योग्यता अनुसार अधिकतम सालाना पैकेज लगभग 4,20,000 प्रस्तावित है। बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए लगभग 55 -60 से अधिक राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भाग लेंगी। 30 नवंबर को महारोजगार मेले का आयोजन डॉ घनश्याम सिंह पीजी कॉलेज ,सोयेपुर वाराणसी में होने जा रहा है। इसके लिए प्रतिभागी (rojgaarsangam.up.gov.in )पोर्टल पर भी पंजीयन करा सकते हैं। प्रतिभाग करने वाली मुख्य राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियां रोजगार मेले में कई प्रमुख कंपनियां प्रतिभाग करेंगी। भारत सरकार की उपक्रम स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर युवाओं को विदेश में नौकरी पाने का अवसर देगी। प्रदेश सरकार रोजगार मेले के माध्यम से दिव्यांगजनों को भी नौकरी उपलब्ध कराएगी। अनुदीप फाउंडेशन, सार्थक एजुकेशन ट्रस्ट दिव्यांगों को रोजगार देने के लिए प्रतिभाग करेगी। ख़ास टेलीकम्युनिकेशन से जुडी विस्ट्रॉन कंपनी 50 से अधिक महिलाओं को नौकरी देंगी। इसके अलावा एल एंड टी कंपनी, इफको, एसबीआई , होटल ताज, टाटा मोटर्स, उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक, डिक्सन इंटरनेशनल नोएडा ,एसआईएस सिक्योरिटी ,राष्ट्रीयकृत बैंक,ऑटोमोबाइल कंपनी, सिक्योरिटी सल्यूशन कंपनी ,टेक्सटाइल, फुटवियर, सर्विस सेक्टर, रियल एस्टेट, सेल्स एंड मार्केटिंग,आईटी सॉफ्टवेयर, एजुकेशन, जैसे कई सेक्टर से जुड़ी प्रतिष्ठित कंपनियां भाग लेंगी।
एसटीएफ ने एक करोड़ गांजे के साथ एक तस्कर को किया गिरफ्तार
लखनऊ।  एसटीएफ यूपी को अन्तर्राज्यीय स्तर पर अवैध मादक पदार्थो की तस्करी करने वाले गिरोह का एक सक्रिय सदस्य को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से 400 किलोग्राम गांजा बरामद करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई। गिरफ्तार अभियुक्त का नाम महेश मिश्रा पुत्र  रमाशंकर मिश्रा, निवासी धौरहरा, थाना हण्डिया, जनपद प्रयागराज है। एसटीएफ ने इसके कब्जे से 400 किलोग्राम अवैध गांजा (अर्न्तराष्ट्रीय कीमत लगभग एक करोड़),एक ट्रक यूपी 70, जीटी-9837, एक मोबाइल फोन, एक डीएल, एक एसबीआई एटीएम कार्ड बरामद किया है।

एसटीएफ को काफी दिनों से मिल रही थी सूचना

विगत कुछ दिनों से एसटीएफ, यूपी को अवैध मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले शातिर तस्करों के सक्रिय होने की सूचनाएँ प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न इकाईयों/टीमों को अभिसूचना संकलन एवं कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। उक्त निर्देश के क्रम में दिनेश कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ लखनऊ के पर्यवेक्षण में अभिसूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही थी। अभिसूचना संकलन के क्रम में एसटीएफ उ0प्र0 लखनऊ की एक टीम जनपद वाराणसी में  आपराधिक सूचना संकलन में मौजूद थी।

पंजाब गांजा लेकर जाने की सूचना पर दौड़ी एसटीएफ की टीम

इस दौरान मुखबिर के माध्यम से ज्ञात हुआ कि एक व्यक्ति उडीसा राज्य से गांजे की बड़ी खेप ट्रक नं0- यूपी 70, जीटी-9837 से अवैध मादक पदार्थ गांजा लेकर पंजाब जाने वाला है। इस सूचना पर विश्वास कर, स्थानीय पुलिस को अवगत कराते हुए साथ लेकर डाफी टोल प्लाजा पर इंतजार करने लगे। कुछ समय के बाद मुखबिर द्वारा बताया गया ट्रक बिहार की तरफ से आता दिखाई दिया जिसे रोककर चेक किया गया तो उसमें भारी मात्रा में गांजा पाया गया, जिस पर उसे कब्जे में लेते हुए एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके पास उपरोक्त बरामदगी हुयी।

गांजे की बड़ी खेप लाकर महाराष्ट्र एवं पंजाब के क्षेत्रों में करते हैं सप्लाई

गिरफ्तार अभियुक्त ने पूछताछ पर बताया कि उनका एक संगठित गिरोह है, जो बड़े पैमाने पर मादक पदार्थ (गांजा) की तस्करी करता है। गिरोह के सदस्य उडीसा राज्य से गांजे की बड़ी खेप लाकर महाराष्ट्र एवं पंजाब के क्षेत्रों में सप्लाई करते हैं और इसका एक साथी दिल्ली तिहाड जेल में बंद हैं। उसके जेल जाने के बाद यह अवैध मादक पदार्थ गांजे की तस्कारी का काम कर रहा है। अवैध मादक पदार्थ गांजा को उडीसा से पंजाब पहुॅचाने के लिए प्रति कुण्टल 1,25,000 रूपये मिलता है। गिरफ्तार अभियुक्त के विरूद्ध थाना लंका कमिश्नरेट वाराणसी में मु0अ0सं0 474/2024 धारा 8/20/29/60 एनडीपीएस एक्ट पंजीकृत कराकर दाखिल कियाा गया है। अग्रिम विधिक कार्यवाही स्थानीय पुलिस द्वारा की जायेगी।
भाजपा के लोग मन विधान से चलना चाहते हैं  देश : अखिलेश यादव
लखनऊ/दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देश संविधान से चलना चाहिए, ह्यमन-विधानह्ण से नहीं। भाजपा के लोग मन विधान से देश चलाना चाहते हैं संविधान से नहीं।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान हमारा कर्म ग्रंथ है। संविधान को मानना और उसके दिखाए रास्ते पर चलना ही सबसे बड़ा उत्सव है। ये हर दिन सच्चे मन से निभाने वाला फर्ज़ है, कोई दिखावटी सालाना जलसा नहीं। एक तरफ भाजपा संविधान को ताक पर रखकर मनमानी करना चाहती है, तो दूसरी तरफ दिखावा करना चाहती है। भाजपा का ये राजनीतिक दोहरापन देश और देशवासियों के लिए घातक है। जब संविधान के मान-सम्मान और उसे व्यवहार में लाने के संबंध में हालात बद से बदतर हो रहे हैं, संविधान का हर दिन तिरस्कार-अपमान हो रहा है, ऐसे में उत्सव मनाना हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है।

अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान ही संजीवनी है। संविधान हमारी रक्षा करता है। समाजवादी सच्चे संविधानवादी हैं। संविधान ही ढाल है। संविधान है तो सुरक्षा है। संविधान है तो शक्ति है। संविधान ही पीडीए का प्रकाश स्तंभ है।

अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में हजारों लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाया जा रहा है। वहां के सांसद,विधायक व उनके पुत्र पर मुकदमे लगाये जा रहे हैं। पूरी गलती सरकार की है। सर्वे के खिलाफ नहीं थे। लेकिन सर्वे टीम के पीछे जो नारे लगा रहे थे। क्या उनके खिलाफ कोई कार्यवाई हुई। विपक्ष न जाये वहां पर। वहां पर लोग परेशानी में हैं। वहां इंटरनेट बंद है। कोई जा नहीं सकता। हमारे सभी सांसद संभल जाना चाहते हैं। दोनों को जाने की अनुमति नहीं हैं। अगर हम भी जाना चाहें तो नहीं जा सकते।
भाजपा के लोग मन विधान से चलना चाहते हैं  देश : अखिलेश यादव
लखनऊ/दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि देश संविधान से चलना चाहिए, ह्यमन-विधानह्ण से नहीं। भाजपा के लोग मन विधान से देश चलाना चाहते हैं संविधान से नहीं।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि संविधान हमारा कर्म ग्रंथ है। संविधान को मानना और उसके दिखाए रास्ते पर चलना ही सबसे बड़ा उत्सव है। ये हर दिन सच्चे मन से निभाने वाला फर्ज़ है, कोई दिखावटी सालाना जलसा नहीं। एक तरफ भाजपा संविधान को ताक पर रखकर मनमानी करना चाहती है, तो दूसरी तरफ दिखावा करना चाहती है। भाजपा का ये राजनीतिक दोहरापन देश और देशवासियों के लिए घातक है। जब संविधान के मान-सम्मान और उसे व्यवहार में लाने के संबंध में हालात बद से बदतर हो रहे हैं, संविधान का हर दिन तिरस्कार-अपमान हो रहा है, ऐसे में उत्सव मनाना हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है।

अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान ही संजीवनी है। संविधान हमारी रक्षा करता है। समाजवादी सच्चे संविधानवादी हैं। संविधान ही ढाल है। संविधान है तो सुरक्षा है। संविधान है तो शक्ति है। संविधान ही पीडीए का प्रकाश स्तंभ है।

अखिलेश यादव ने कहा कि संभल में हजारों लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाया जा रहा है। वहां के सांसद,विधायक व उनके पुत्र पर मुकदमे लगाये जा रहे हैं। पूरी गलती सरकार की है। सर्वे के खिलाफ नहीं थे। लेकिन सर्वे टीम के पीछे जो नारे लगा रहे थे। क्या उनके खिलाफ कोई कार्यवाई हुई। विपक्ष न जाये वहां पर। वहां पर लोग परेशानी में हैं। वहां इंटरनेट बंद है। कोई जा नहीं सकता। हमारे सभी सांसद संभल जाना चाहते हैं। दोनों को जाने की अनुमति नहीं हैं। अगर हम भी जाना चाहें तो नहीं जा सकते।