महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंसः नतीजों के दो दिन बाद भी जारी है मंथन, शिंदे-फडणवीस या होगा कोई तीसरा नाम*
#maharashtra_result_cm_face_meeting
महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद अब साफ हो गया है कि राज्य में महायुति की सरकार बनेगी। हालांकि, महायुति से राज्य के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर कौन बिराजेगा अभी तक ये साफ नहीं हुआ है। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए इससे पहले सरकार गठित होनी है। ऐसा न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। ऐसे में संभव है कि आज इस सस्पेंस से पर्दा हट जाएगा। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में हैं। महायुति में अब तक फैसला नहीं हो पाया है कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि, पलड़ा देवेंद्र फडणवीस का भारी लग रहा है। इसकी वजह भी है। बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट अब भी सीएम पद को लेकर अडिग है। दरअसल, महायुति में साथी बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं। इस कारण बीजेपी के नेता चाहेंगे कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद पर बैठें। वहीं, शिवसेना के नेता चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे एक बार फिर से सीएम बनें। वहीं, सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार की एनसीपी देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग कर सकती है। महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मुंबई से दिल्ली तक बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी नेताओं की अलग-अलग बैठकों का दौर जारी है। इसके साथ ही सीएम पद को लेकर दबाव बनाने की राजनीति भी शुरू हो गई है। एनसीपी के विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई। वहीं, शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना और पार्टी नेता प्रताप सरनाईक ने कहा कि सभी विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे सीएम बने रहें। इस बीच सरकार का चेहरा यानी मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार आज यानी सोमवार को दिल्ली रवाना होंगे। भाजपा आलाकमान के साथ मीटिंग के बाद सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है। सीएम के नाम के ऐलान के बाद कल मुंबई, राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है।
महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंसः नतीजों के दो दिन बाद भी जारी है मंथन, शिंदे-फडणवीस या होगा कोई तीसरा नाम*
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महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद अब साफ हो गया है कि राज्य में महायुति की सरकार बनेगी। हालांकि, महायुति से राज्य के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर कौन बिराजेगा अभी तक ये साफ नहीं हुआ है। विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है, इसलिए इससे पहले सरकार गठित होनी है। ऐसा न होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। ऐसे में संभव है कि आज इस सस्पेंस से पर्दा हट जाएगा। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री की रेस में हैं। महायुति में अब तक फैसला नहीं हो पाया है कि किसे मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि, पलड़ा देवेंद्र फडणवीस का भारी लग रहा है। इसकी वजह भी है। बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट अब भी सीएम पद को लेकर अडिग है। दरअसल, महायुति में साथी बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं। इस कारण बीजेपी के नेता चाहेंगे कि देवेंद्र फडणवीस सीएम पद पर बैठें। वहीं, शिवसेना के नेता चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे एक बार फिर से सीएम बनें। वहीं, सूत्रों का कहना है कि अजीत पवार की एनसीपी देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने की मांग कर सकती है। महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आने के बाद से ही मुंबई से दिल्ली तक बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी नेताओं की अलग-अलग बैठकों का दौर जारी है। इसके साथ ही सीएम पद को लेकर दबाव बनाने की राजनीति भी शुरू हो गई है। एनसीपी के विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने अजित पवार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठाई। वहीं, शिवसेना विधायकों ने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना और पार्टी नेता प्रताप सरनाईक ने कहा कि सभी विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे सीएम बने रहें। इस बीच सरकार का चेहरा यानी मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार आज यानी सोमवार को दिल्ली रवाना होंगे। भाजपा आलाकमान के साथ मीटिंग के बाद सीएम के नाम का ऐलान हो सकता है। सीएम के नाम के ऐलान के बाद कल मुंबई, राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है।
जिन्हें जनता ने 80 बार नकारा, वो संसद का काम रोक रहे,' पीएम मोदी का विपक्ष पर जोरदार हमला

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आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री मोदी मीडिया से रूबरू हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी का नाम लिए तंज कसते हुए कहा कि आज से शीतकालिन सत्र की शुरुआत हो रही है उम्मीद है माहौल भी शीत रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि संसद का ये सत्र कई मामलों में विशेष है। सबसे बड़ी बात है कि हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है। हम चाहते हैं कि संसद में स्वस्थ्य चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में योगदान दें।

प्रधानमंत्री न विपक्ष पर निशाना साधते हुए संसद में चर्चा न होने देने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, मुट्ठी भर लोगों की हुड़दंगबाजी से सदन को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधि को रोकने से सफल होता नहीं। लेकिन उनकी ऐसी हरकतें देखकर जनता उन्हें नकार देती है। पीएम मोदी ने कहा कि इन लोगों को 80-90 बार जनता नकार चुकी है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि सबसे ज्यादा पीड़ा की बात ये है कि जो नए सांसद नए विचार और नई ऊर्जा लेकर आते हैं, उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। सदन में उनको बोलने का अवसर नहीं मिलता।लोकतांत्रिक परंपरा में हर पीढ़ी का काम करना है अगली पीढ़ी को तैयार करें, लेकिन 80-90 बार जनता ने जिनको लगातार नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं और न ही लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। न ही वे लोगों की आकांक्षाओं को समझते हैं। उसका परिणाम है कि वे जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे नहीं उतरते। इसके चलते जनता को उन्हें बार-बार रिजेक्ट करना पड़ रहा है।'

महाराष्ट्र चुनाव: महायुति गठबंधन ने 6 महीने में किया कमाल, लोकसभा चुनाव के झटकों से ऐसे उबरी
#reasons_of_mahayuti_victory_in_maharashtra
* महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘महायुति’ गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। इस गठबंधन में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 132, एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 41 सीटें जीती हैं। यानी महायुति ने कुल 230 सीटें हासिल कर सत्ता में धमाकेदार वापसी की है। दूसरी ओर, महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और शरद पवार की एनसीपी शामिल हैं। इन्हें कुल 46 सीटें मिली हैं और करारी हार का सामना करना पड़ा है। शिवसेना (यूबीटी) ने 20 सीट, कांग्रेस ने 16 और एनसीपी (शरद पवार) ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की। इस साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में महायुति का महाराष्ट्र में करारा झटका लगा था। जिसके बाद से सवाल उठ रहे थे कि क्या महायुति विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकेगी? आम चुनाव में कांग्रेस 13 सीटें जीतक सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना(यूबीटी) ने 9 और शरद पवार की एनसीपी ने 8 सीटें जीती थीं। उस वक्त अजीत पवार की एनसीपी ने महज एक, शिवसेना(शिंदे) ने सात और बीजेपी ने महज 9 सीटें मिली थी। अब विधानसभा चुनाव में महायुति ने महाविकास अघाड़ी को करारा झटका दिया है। महाज 6 महीने के अंतराल में हुए चुनाव में बीजपी ने हार को बड़ी जीत में बदल दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन 6 महीनों में महायुति की इतनी बड़ी सफलता की वजह क्या रही? महायुति को इतनी बड़ी विजय मिलने की वजहें ये हैः- *लाडली बहन योजना साबित हुई ‘गेमचेंजर’* महायुति की जीत में सबसे बड़ा योगदान 'मुख्यमंत्री- माझी लाडकी बहीण योजना' (मुख्यमंत्री मेरी लाडली बहन योजना) का माना जा रहा है। इस योजना के तहत कम आय वाले परिवारों की महिलाओं को सीधे डेढ़ हज़ार रुपये की आर्थिक मदद हर महीने दी जा रही है। चुनाव शुरू होने से पहले ही, लगभग 30 लाख से अधिक महिलाओं को इस योजना का फ़ायदा मिल गया था। उनके बैंक खातों में तीन हज़ार रुपये जमा हो चुके थे। इसके अलावा, चुनाव के दौरान महायुति ने इस योजना के विस्तार की घोषणा की। इसने भी उसके पक्ष में एक मज़बूत लहर बनाई। गठबंधन ने वादा किया कि सरकार बनने पर इस राशि को बढ़ा कर हर महीने दो हज़ार एक सौ रुपये कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग के आँकड़ों के अनुसार, इस बार महिला वोटरों की संख्या में 5.95 फ़ीसदी का इजाफा हुआ। महिला वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी को इस योजना के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। *आरएसएस की मेहनत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इस बार भाजपा के लिए पूरी ताक़त झोंक दी थी। लोकसभा चुनाव में संघ की सक्रियता अपेक्षाकृत कम थी। हालाँकि, विधानसभा चुनाव में उन्होंने शहरी मतदाताओं को जोड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया। संघ के कार्यकर्ताओं ने नागपुर और पुणे जैसे शहरी क्षेत्रों में घर-घर जाकर भाजपा के लिए प्रचार किया। आरएसेस के हजारों स्वयंसेवकों ने सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे का वक्त दिया है। स्वयंसेवक घर-घर जाकर कह कि शतप्रतिशत मतदान करना है। उन्होंने भाजपा का नाम लिए बगैर “स्थिरता और विकास” के मुद्दे की बात की और अपने संदेश को फैलाया। *हिंदु वोटों को एकजुट करने में कामयाबी* लोकसभा चुनाव में संविधान के मुद्दे पर बीजेपी को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। इस चुनाव में बीजेपी ने हर कदम रणनीति के तहत बढ़ाया। योजनाबद्ध रूप से धार्मिक ध्रुवीकरण को अंजाम दिया गया। लोकसभा चुनाव में आघाडी को मिले मुस्लिम वोटों को बीजेपी ने वोट जिहाद कहना शुरू किया। उसके बाद बीजेपी ने 'ऐलान' की जगह 'शंखनाद' कहना शुरू किया। आगे का काम योगी आदित्यनाथ के नारे 'बंटेंगे तो कटेंगे' और मोदी के नारे 'एक हैं तो सेफ हैं' ने किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए नारों ने चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की राजनीति को मज़बूत किया। “बँटेंगे तो कटेंगे या एक रहेंगे तो सेफ़ रहेंगे” जैसे नारों ने भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को और धार दी। *स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा* इसके अलावा भाजपा ने महाराष्ट्र के इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों को केंद्र में रखा। महायुति अपने ढाई साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों को जनता को बताने में सफल रही। शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद से 24×7 काम करते नजर आए। उनकी सरकार ने फैसले लेने तेजी दिखाई। महायुति के भीतर के राजनीतिक अंतर्कलह को मुख्यमंत्री ने सरकार के कामकाज पर हावी नहीं होने दिया। *मराठों का गुस्सा कम करने में रही कामयाब* लोकसभा चुनाव में भाजपा को मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार एक तरफ भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने अपने विश्वस्त साथियों के जरिए मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के साथ अच्छा तालमेल स्थापित किया, तो दूसरी तरफ भाजपा ने अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के अपने प्रतिबद्ध मतदाताओं को जोड़ने पर ध्यान दिया। इससे महायुति मराठों का गुस्सा कम करने के साथ-साथ ओबीसी का वोट पाने में सफल रही।
सदन में एक साथ गांधी परिवार के 3 सदस्‍य, वायनाड से धमाकेदार जीत के बाद भाई-मां के साथ संसद में बैठेंगी प्रियंका

#priyankagandhiwon3memberofgandhifamilyenter_parliament

वायनाड संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने धमाकेदार जीत दर्ज करने के साथ अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की है। इसी के साथ प्रियंका गांधी आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के साथ संसद में एंट्री करेंगी। शीतकालीन सत्र के दौरान गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी भी नजर आएंगी। यह पहला मौका होगा जब प्रियंका एक सांसद के रूप में पार्लियामेंट में प्रवेश करेंगी।

संसद में एक साथ गांधी परिवार के 3 सदस्‍य

प्रियंका गांधी की संसद में एंट्री के साथ अब गांधी परिवार के तीन सदस्‍य लोकतंत्र के मंदिर में पहुंच गए हैं। यह पहला मौका है जब परिवार के तीन सदस्‍य एक साथ सदन में नजर आएंगे। केरल के वायनाड उपचुनाव में उनके निर्वाचन के बाद यह पहली बार है कि संसद में गांधी-नेहरू परिवार तीन सदस्य होंगे। उनके भाई राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तथा मां सोनिया गांधी राज्यसभा की सदस्य हैं।

आजादी के बाद से गांधी परिवार के तीन सदस्य कभी एक साथ संसद में नहीं बैठे थे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय भी ऐसा अवसर नहीं आया। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनों ही अलग-अलग समय में प्रधानमंत्री रहे थे, लेकिन कभी परिवार के तीन सदस्य एक साथ संसद में नहीं थे। इस बदलाव ने गांधी परिवार के राजनीतिक महत्व को एक नया आयाम दिया है।

गांधी परिवार की चौथी महिला सांसद

प्रियंका संसद पहुंचने वाली गांधी परिवार की 9वीं सदस्य और चौथी महिला सदस्य हैं। प्रियंका से पहले गांधी परिवार से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, फिरोज गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, मेनका गांधी, वरुण गांधी और राहुल गांधी सियासत में उतर चुके हैं। गांधी परिवार की महिला के तौर पर इससे पहले उनकी दादी और देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, मां सोनिया गांधी और चाची मेनका गांधी लोकसभा सांसद चुनी गई थीं।

भाई ने बहन के लिए छोड़ी थी यह सीट

बता दें कि राहुल गांधी ने साल 2004 में कांग्रेस की पारंपरिक सीट अमेठी से पहला चुनाव लड़ा था। इस सीट से वह तीन बार सांसद चुने गए थे। लेकिन साल 2019 के आम चुनाव में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने हरा दिया था। 2019 में उन्होंने अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था, वह अमेठी से हार गए थे, लेकिन वायनाड से चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीत लिया था। साल 2024 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली और वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों सीटों से जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव के कुछ दिनों बाद, जून में कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में रायबरेली संसदीय क्षेत्र रखेंगे और केरल की वायनाड सीट खाली कर देंगे, जहां से प्रियंका लड़ेंगी। इस सीट से राहुल लगातार दो चुनावों में जीते थे। लोकसभा चुनाव में प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस की जीत में बड़ी भूमिका निभाई।

संसद का शीतकालीन सत्र आज से, वक्फ-अडानी और मणिपुर हिंसा से गरमाएगा सदन

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आज से संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत होने जा रही है। संसद का यह सत्र बेहद हंगामेदार होने की संभावना है। शीतकालीन सत्र में अडानी और वक्फ संशोधन विधेयक की ही गूंज सुनाई देने के आसार हैं। अडानी समूह को लेकर समय-समय पर सरकार पर निशाना साधते रहे विपक्ष ने रिश्वत प्रकरण सामने आने के बाद और भी हमलावर रुख अपना लिया है। दरअसल, हाल ही में अडानी समूह के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में अमेरिका में एक मुकदमा दर्ज किया गया है। इसे लेकर विपक्ष संसद में चर्चा की मांग कर रहा है। केंद्र सरकार इसके लिए इतनी आसानी से राजी नहीं होगी।

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को इंडिया ब्लॉक की पार्टियों की बैठक बुलाई गई है। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यालय में होगी। पार्टी ने एक दिन पहले ही गौतम अडानी से लेकर मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग कर अपने इरादे साफ कर चुकी है। अब लोकसभा सेशन से ठीक पहले कांग्रेस संसद में पार्टी के ऑफिस में साढ़े 10 बजे बैठक करने जा रही है। इस बैठक में संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर रणनीति बनाई जाएगी।

वक्फ विधेयक पर और चर्चा की मांग कर रहा विपक्ष

वक्फ विधेयक पर गठित जेपीसी विपक्ष के भारी विरोध के बीच शुक्रवार को रिपोर्ट पेश करेगी। विपक्ष इस मामले में और चर्चा के लिए कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहा है, जबकि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा है कि अंतिम बैठक संपन्न होने के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने इस विधेयक को इसी सत्र में पेश और पारित कराने की योजना बनाई है। चूंकि जेपीसी की सभी बैठकों में हंगामा हुआ है, ऐसे में इससे जुड़ी रिपोर्ट पेश होने से ले कर विधेयक को पेश करने तक सरकार और विपक्ष के बीच जबर्दस्त सियासी खींचतान होगी।

एक देश एक चुनाव विधेयक सूचीबद्ध नहीं

शीत सत्र के लिए सरकार ने पांच नए विधेयकों समेत कुल 16 विधेयक सूचीबद्ध किए हैं। इनमें सहकारी विश्वविद्यालय स्थापना विधेयक भी शामिल है। सरकार वक्फ विधेयक को भी इसी सत्र में चर्चा के बाद पारित कराना चाहती है। दस पुराने विधेयकों में आठ लोकसभा तो दो राज्यसभा में लंबित हैं। बहरहाल, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित एक देश एक चुनाव से जुड़ा विधेयक फिलहाल सूचीबद्ध नहीं है। हालांकि, केंद्रीय मंत्रिमंडल इस रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे चुका है। इस सत्र में पंजाब न्यायालय संशोधन, कोस्टल शिपिंग, इंडियन पोर्ट्स विधेयकों को भी सूचीबद्ध किया गया है।

यूपी के संभल में हिंसा के बाद अब इंटरनेट भी बंद, डीएम ने जारी किए निर्देश

डेस्क: संभल में हुई हिंसा के बाद अब अगले 24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। संभल के डीएम की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक सिर्फ संभल तहसील में अगले 24 घंटे तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी। संभल की जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर किये जा रहे सर्वे का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए और इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों में आग लदा दी और पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘उपद्रवियों ने गोलियां चलाईं और कुछ छर्रे हमारे पुलिसकर्मियों को लगे। हम वहां जांच कर रहे हैं जहां गोलियां चलायी गईं, खासकर दीपा सराय इलाके में।’’ एक स्थानीय अदालत के आदेश पर गत मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था जिसके बाद से संभल में पिछले कुछ दिनों से तनाव व्याप्त है। दरअसल स्थानीय अदालत में एक याचिका दाखिल करके दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है, वहां पहले हरिहर मंदिर था।

मुरादाबाद मंडल के आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने संभल में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस मामले में उपद्रवियों के दो तीन समूह थे जो लगातार गोलीबारी कर रहे थे। पुलिस प्रशासन ने सर्वे करने आई टीम को सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला। उन्होंने बताया कि समूहों में उपद्रव करने वालों में एक समूह के लोग नखासा में चले गये और पथराव शुरू कर दिया। सिंह ने कहा कि पुलिस प्रशासन ने इन सभी भगाया। उन्होंने बताया कि इस हिंसा में 20 से 25 वर्ष के बीच की उम्र के तीन लोगों की मौत हुई है।

उन्होंने कहा कि मृतकों की शिनाख्त मोहल्ला कोट गर्वी निवासी नईम, सरायतरीन निवासी बिलाल और हयातनगर निवासी नोमान के रूप में हुई है। मंडल आयुक्त ने कहा कि इस हिंसा, गोलीबारी और पथराव में पुलिस अधीक्षक के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) के पैर में गोली लगी है जबकि उप जिलाधिकारी का पैर टूट गया है।

उन्होंने कहा कि पुलिस क्षेत्राधिकारी को भी छर्रे लगे हैं और अब स्थिति नियंत्रण में है। आयुक्‍त ने कहा कि पथराव में शामिल दो महिलाओं सहित 10 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है तथा एक जांच शुरू कर दी गई है। इसके पहले एक अधिकारी ने बताया कि कुछ लोगों ने सड़क किनारे खड़ी मोटरसाइकिलों में आग लगाने की भी कोशिश की। अधिकारी ने बताया कि हिंसा के आरोपियों पर कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि सर्वे की योजना सुबह के समय बनाई गई थी ताकि मस्जिद में होने वाली नमाज में व्यवधान न हो, जो आमतौर पर दोपहर में होती है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हुई कथित हिंसा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), सरकार और प्रशासन द्वारा राज्य के उपचुनाव में अनियमितताओं पर से ध्यान हटाने के लिए ‘‘रची गई।’’

स्थानीय प्रशासन के अनुसार विवादित स्थल पर अदालत के आदेश के तहत ‘‘एडवोकेट कमिश्नर’’ ने दूसरी बार सर्वेक्षण कार्य सुबह सात बजे के आसपास शुरू किया और इस दौरान मौके पर भीड़ जमा होने लगी। मुरादाबाद के मंडल आयुक्त ने कहा, "सर्वेक्षण शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था, तभी मस्जिद के पास लोगों का एक समूह इकट्ठा हो गया और नारेबाजी करने लगा। जब पुलिस ने इलाके को खाली कराने का प्रयास किया, तो भीड़ में शामिल उपद्रवियों के एक समूह ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।’’

28 नवंबर को झारखंड के सीएम पद की शपथ लेंगे हेमंत सोरेन

डेस्क: झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की जेएमएम को मिली बंपर जीत के बाद अब फाइनल हो गया है कि झारखंड के नए सीएम हेमंत सोरेन ही होंगे और उनका शपथ ग्रहण समारोह 28 नवंबर को होगा। हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है और वे अब चुनाव में मिली जीत के बाद नए सीएम के तौर पर शपथ लेंगे। बता दें कि विधानसभा की 81 सीटों में झामुमो नीत इंडिया गठबंधन ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है। यह आंकड़ा 41 के बहुमत से 15 सीट ज्यादा है।

झारखंड के सीएम और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का कहना है, ''28 नवंबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा...'' उन्होंने आगे कहा, ''आज हमने (इंडिया) गठबंधन सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।'' उस सिलसिले में हमने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। मैंने उन्हें अपना इस्तीफा भी दे दिया है...कांग्रेस और राजद प्रभारी भी यहां मौजूद थे...28 नवंबर को शपथ ग्रहण समारोह होगा।

वहीं, चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की है यानी बहुमत के आंकड़े से 13 सीट कम। हेमंत सोरेन ने जीत के बाद झारखंड की जनता का धन्यवाद जताया और कहा कि जमीन पर मौजूद उन नेताओं का भी शुक्रिया, जो जनता की ताकत को पार्टी तक लेकर आए। जेएमएम की जीत के साथ ही राजधानी रांची की सड़कों पर पोस्टर लग गए थे जिसमें लिखा था सबके दिलों पर छा गया, शेरदिल सोरेन फिर आ गया। हेमंत सोरेन झारखंड के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जो लगातार दूसरा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालेंगे।

कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री आवास में हेमंत सोरेन से मुलाकात की। झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा- पहले भी जब हमारी सरकार पर संकट आया था, तब हमने कहा था कि हम पूरे विश्वास के साथ सरकार बनाएंगे। हम एक बार फिर पूरे विश्वास के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस पर्यवेक्षक तारिक अनवर ने कहा- यह अच्छा है, हम जीत की उम्मीद कर रहे थे।

संभल हिंसा में 3 की मौत, पीड़ित परिवार का आरोप- सीईओ की मौजूदगी में पुलिस ने मारी गोली

डेस्क: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार को शाही जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। इस दौरान यहां हिंसा भी भड़क गई। जमकर पत्थरबाजी हुई। गाड़ियों में आग लगा दी गई। इस बीच, जानकारी सामने आई है कि संभल हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने युवक को गोली मारी है। मृतक का नाम नईम खान है, वह 32 साल का था। परिवार का आरोप है कि 11:00 बजे सीईओ की मौजूदगी में पुलिस ने गोलियां चलाईं। एक गोली नईम को जाकर लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस ने जो फायरिंग की उस दीवार पर लगे लोहे के शटर पर भी निशान बने हैं। परिवार का कहना है नईम प्रदर्शन में शामिल नहीं था। वह अपनी दुकान की तरफ रिफाइंड लेने जा रहा था। गोली लगने के बाद नईम को अस्पताल ले जाया गया, उसकी मौत हो गई।

इस पूरी हिंसा में 3 लोगों की मौत हुई है। मृतकों के नाम नईम खान, बिलाल औप नोमान है। तीनों के पोस्टमॉर्टम की तैयारी की जा रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि तीनों लड़के हिंसा के समय मस्जिद के पीछे वाली सड़क पर मौजूद थे। जहां पर आगजनी और पत्थरबाजी हो रही थी। पुलिस की गोलीबारी में तीनों की मौत हो गई।

बता दें कि संभल में रविवार को करीब एक हजार लोगों की भीड़ ने जमकर हंगामा किया। पुलिस टीम पर पत्थरबाजी की गई। गाड़ियों में आग लगा दी गई। उपद्रवियों को काबू में करने के लिए पुलिस को उनपर लाठीचार्ज करना पड़ा। आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

सर्वे टीम सुबह साढ़े सात बजे जामा मस्जिद के अंदर दाखिल हुई थी। करीब एक घंटे तक हालात नॉर्मल थे तभी अचानक भीड़ आ गई। अलग-अलग गलियों से करीब एक हजार लोगों की भीड़ मौके पर जुट गई। पुलिस ने जब उन्हें वापस भेजने की कोशिश की तो उपद्रवियों ने पुलिस टीम पर हमला करते हुए पथराव शुरू कर दिया। देखते ही देखते हिंसा भड़क गई।

इमरान का ‘‘गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने’’ का ऐलान, पाकिस्तान में तूफान, इस्लामाबाद में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा

डेस्क: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पीटीआई) ने एक बार फिर से देश में बड़े आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। इससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। इमरान खान की ओर से यह संदेश दिया गया है कि अब गुलामी की बेड़ियों को नहीं सहन करेंगे और इसे उखाड़ फेकेंगे। इससे इस्लामाबद में प्रस्तावित प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार ने रविवार को सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

इमरान खान ने जनता से ‘‘गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने’’ के लिए एकजुट होने का आह्वान किया है। पाकिस्तान सरकार ने ‘पीटीआई’ द्वारा इस्लामाबाद में रविवार को किए जाने वाले प्रदर्शन को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने वाले राजमार्गों को शनिवार को ही बंद कर दिया, इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को आंशिक रूप से निलंबित कर दिया, सार्वजनिक परिवहन पर रोक लगा दी तथा महत्वपूर्ण सड़कों को कंटेनर खड़े कर अवरुद्ध कर दिया। इसके साथ ही भारी संख्या में सुरक्षाबलों को भी तैनात किया गया है। ‘

पीटीआई’ के नेतृत्व ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि योजनानुसार रविवार को प्रदर्शन किया जाएगा तथा इसे न तो स्थगित किया जाएगा और न ही लक्ष्य हासिल होने से पहले इसे समाप्त किया जाएगा। जियो न्यूज की खबर के मुताबिक, ‘पीटीआई’ के नेताओं ने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री आवास पर रविवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें प्रदर्शन करने के लिए रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। खबर में बताया गया कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा कि वह प्रस्तावित प्रदर्शन की तैयारियों का निरीक्षण करने और इस्लामाबाद तक पार्टी के मार्च का नेतृत्व करने के लिए अपराह्न तीन बजे स्वाबी पहुंचेंगे।

मुख्यमंत्री ने मार्च में शामिल होने के इच्छुक पार्टी कार्यकर्ताओं को अपराह्न तीन बजे तक स्वाबी पहुंचने का भी निर्देश दिया है। पीटीआई दो महीने में दूसरी बार प्रदर्शन करने जा रही है। प्रदर्शन स्थगित करने के सरकार के आह्वान को नजरअंदाज करते हुए पार्टी ने इस्लामाबाद की ओर बढ़ने की घोषणा की है। वहीं, अधिकारियों ने इस प्रदर्शन के दौरान संभावित खतरे की चेतावनी जारी की है।

इमरान खान की पार्टी ने अपनी तीन मांगों को लेकर इस्लामाबाद तक एक लंबा मार्च करने की पिछले सप्ताह घोषणा की थी। पार्टी जेल में बंद खान और अन्य नेताओं को रिहा करने, आठ फरवरी के चुनावों में पीटीआई की जीत को मान्यता देने के अलावा 26वें संविधान संशोधन को निरस्त करने की मांग कर रही है। 26वें संविधान संशोधन ने न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया को बदल दिया था।

पाकिस्तानी न्यूज चैनल ‘एक्सप्रेस न्यूज टीवी’ की खबर के अनुसार, राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (एनएसीटीए) ने इस्लामाबाद में पीटीआई के प्रदर्शन के दौरान संभावित आतंकवादी हमले की चेतावनी देते हुए सुरक्षा अलर्ट जारी किया है। इसने चेतावनी दी कि पीटीआई की सार्वजनिक सभा को आतंकवादी निशाना बना सकते हैं।

इस्लामाबाद में 18 नवंबर से धारा-144 लागू है, जिसके तहत लोग एकत्र नहीं हो सकते। दूसरी ओर, पंजाब सरकार ने भी 23 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरे प्रांत में धारा 144 लागू कर दी है, जिसके तहत विरोध प्रदर्शन, सार्वजनिक सभाएं, रैलियां और धरने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कड़ी सुरक्षा और प्रतिबंधों के बावजूद, पीटीआई अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पर अड़ी हुई है।