प्रशासनिक लापरवाही से छठ घाट पर डूबीं दो बेटियां, अस्पताल भेजी गईं

खजनी गोरखपुर।इलाके में छठ पूजा के दौरान बड़ी प्रशासनिक लापरवाही सामने आई है। आमी नदी के किनारे बने छठ घाट पर अर्घ्य देने के दौरान पानी में खड़ी उनवल नगर पंचायत की दो बेटियां गहरे पानी में डूबने लगीं। मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें बचाया और एंबुलेंस से बांसगांव सीएचसी में इलाज के लिए भेजा गया जहां हालत गंभीर देखते हुए उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है।

घटना से नगरवासियों ने गहरा रोष जताया है। उनवल नगर पंचायत सिकड़ियापुरा की रहने वाली धर्मेंद्र चौहान की बेटी साक्षी 16 वर्ष तथा संतु चौहान की बेटी सिमरन 17 वर्ष आमी नदी के किनारे छठ घाट पर पांव फिसलने से अचानक गहरे पानी में डूबने लगीं मौके पर मौजूद लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद दोनों को डूबने से बचाया और एंबुलेंस बुला कर इलाज के लिए बांसगांव सीएचसी में भेजा गया। जहां हालत गंभीर देखते हुए साक्षी को जिला अस्पताल भेजा गया है, जबकि सिमरन को प्राथमिक इलाज के बाद घर भेज दिया गया। घटना सबेरे 6.40 बजे की बताई गई है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार डूबते हुए साक्षी ने आमी नदी का प्रदुषित पानी पी लिया जिससे उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।

घटना के बाद नगरवासियों में तीव्र आक्रोश है। नगर पंचायत वार्ड संख्या 4 के सभासद राजन पासवान ने बताया कि हर साल नदी में छठ घाट के पास बांस बल्ली लगा कर सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जिसके कारण यह गंभीर दुर्घटना हुई है।

बता दें कि आमी नदी का पानी गीडा में स्थित औद्योगिक इकाइयों के गंदे केमिकल से प्रदूषित हो चुका है, दूषित पानी से नदी में मौजूद मछलियां मर रही हैं। अभी चार दिन पहले ही शासन की सख्ती के बाद नदी का गंदा बदबूदार पानी कुछ साफ नजर आने लगा था।

इस संदर्भ में उप जिलाधिकारी खजनी कुंवर सचिन सिंह ने बताया कि तहसील क्षेत्र के सभी छठ घाटों पर सुरक्षा के उपाय अपनाने के निर्देश दिए गए थे। यदि लापरवाही हुई है तो जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अभाविप के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के कार्यक्रम स्थल का हुआ भूमि पूजन

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 22,23 व 24 नवम्बर को आयोजित हो रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन के निमित्त दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर स्थित कार्यक्रम स्थल पर 51 वेदपाठी पुरोहितों द्वारा वैदिक वेद मंत्रो के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत प्रचारक सुरजीत, केंद्रीय विश्वविद्यालय साउथ विहार, गया के कुलपति प्रो. के. एन. सिंह, राजा महेंद्र प्रताप सिंह अलीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चंद्रशेखर, गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रति कुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही एवं गोरक्ष प्रांत अध्यक्ष डॉ. राकेश प्रताप सिंह सपत्नीक भूमि पूजन मे शामिल हुए।

उल्लेखनीय है कि तीन दिनों तक आयोजित होने वाले अभाविप के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन में सहभागी होने वाले प्रतिनिधि शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न परिवर्तनों की समसामयिक स्थिति पर चर्चा करेंगे। साथ ही संगठनात्मक, रचनात्मक एवं आंदोलनात्मक विषयों तथा लक्ष्यों का निर्धारण करने हेतु मंथन करेंगे। विद्यार्थी परिषद् को भारत की युवाशक्ति के प्रतिनिधि संगठन होने के नाते इस दायित्व का बोध भी है की भारत के समसामयिक मुद्दों और चुनौतियों के समाधान में युवाओ की भूमिका क्या होगी, यह तय किया जाये। इस हेतु को ध्यान में रखते हुए, अभाविप का 70वां राष्ट्रीय अधिवेशन एक मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि "अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने आधुनिकता के साथ अपनी मूल जड़ों से भी विद्यार्थी परिचित रहें तथा भारत की एक राष्ट्र के रूप में सतत् प्रवाहमान यात्रा के स्वरूप को समझ सकें, इसके लिए अधिवेशन में विभिन्न प्रयास करने की योजना बनाई है। गुरु गोरक्षनाथ की पावन धरा पर आयोजित हो रहे अभाविप का 70 वां राष्ट्रीय अधिवेशन ऐतिहासिक रूप से अत्यंत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा है, जहाँ एक ओर गोरखपुर धर्म और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र है वही ऐसे महत्वपूर्ण केंद्र पर समूचे देश से आने वाली छात्रशक्ति का संगम भारत की अनेकता में एकता के भाव को प्रदर्शित करेगी।"

इस अवसर पर प्रांत संघचालक डॉ. महेंद्र अग्रवाल, भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह, भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, विधायक विपिन सिंह एवं प्रदीप शुक्ल, क्षेत्रीय मंत्री जनार्दन तिवारी, डॉ प्रदीप राव, भाजपा गोरखपुर जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह, देवरिया जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, कुशीनगर जिलाध्यक्ष दुर्गेश राय, देवरिया सदर पूर्व विधायक सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी, विश्वविद्यालय मुख्य नियंता प्रो. गोपाल प्रसाद,प्रो. विनोद सिंह, प्रो. अजय शुक्ला, प्रो. श्रीवर्धन पाठक, प्रो. शरद मिश्र, प्रो. विनय सिंह, डॉ शैलेश सिंह, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. दीपेंद्र मोहन सिंह सहित अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।

दुकान का ताला तोड़कर देशी घी व नकद रूपए चुराए

खजनी गोरखपुर।इलाके में चोरों के हौसले बुलंद हैं बीती रात दुकान के शटर का ताला तोड़ कर अज्ञात चोरों ने देशी घी और नकद रूपए चुरा लिए और फरार हो गए।

थाना क्षेत्र के बरपार बरगाह गांव के रमेश उपाध्याय की घरेलू सामानों की दुकान से बीती रात अज्ञात चोरों ने शटर में लगा ताला तोड़ कर भीतर घुसे और कैश काउंटर में रखा 8 हजार रूपए नकद कीमती सामान और देशी घी के डब्बे चुरा ले गए। आज सबेरे दुकान खोलने के लिए पहुंचे रमेश उपाध्याय को घटना की जानकारी हुई। उन्होंने तत्काल स्थानीय पुलिस को घटना की सूचना दी मौके पर पहुंची पुलिस ने घटना की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।

थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने बताया कि दुकान से 8 हजार रुपए और देशी घी चुराने की सूचना मिली है।

डूबते सूर्य को दिया गया अर्घ्य, उगते सूर्य की होगी पूजा

गोरखपुरक समृद्धि, पुत्र प्राप्ति व मंगलकामना के पर्व छठ पर बृहस्पतिवार की शाम को डूबते सूर्य को अ?र्घ्य दिया गया। शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अ?र्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा। गोला तहसील क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। शाम होने से पहले ही व्रती तालाबों व नदियों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पहुंचने लगे। नगर पंचायत गोला के पक्का घाट, भरौह रामघाट, नरहन घाट, रानीपुर, सेमरी, बड़ेला, कौवाडील, आदि पोखरो पर भी पर्व की बड़ी ही धूम रही।

गोला क्षेत्र की फतेहपुर समय थान भिटी इत्यादि जगहों पर भी नगर व ग्रामीण में रह रहे लोगों ने नहर, पोखरी व अस्थायी घाट पर डूबते सूर्य को अ?र्घ्य दिया। क्षेत्र के फतेहपुर भटपुरवा व्रती महिलाओं ने तरैना घाट पर सूर्य देव व छठ मैया की पूजा की। कई जगह घाटों पर झालरों से सजाया गया है। जिसने माहौल को और भी रंगीन बना दिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कड़ी सुरक्षा का इंतजाम भी की है. कई जगह अस्थायी घाट बनाए जहां पूरे परिवार के साथ व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देने प्रति महिलाएं पहुंची।

सिकरीगंज में छठ पूजा की धूम, छठ घाटों पर उमडी व्रती माताओं की भीड़

सिकरीगंज गोरखपुर।कस्बे तथा आसपास के इलाकों में सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा के मौके पर अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने छठ घाटों पर बनी पूजा की वेदियों पर भारी संख्या में पहुंची माताओं ने श्रद्धापूर्वक अस्त होते सूर्य देव की पूजा की उन्हें अर्घ्य देकर धूप दीप जलाए तथा फल, नैवेद्य आदि विविध पूजन सामाग्रियों को चढ़ाते हुए अपने पुत्रों के लंबे स्वस्थ्य जीवन सुख समृद्धि, सौभाग्य और परिवार के हित के लिए सूर्य भगवान से प्रार्थनाऐं की।

इससे पूर्व छठ पूजा के मंगलगीत भजन आदि गाते हुए गाजे-बाजे और डीजे पर चल रहे छठ पूजा के गीतों के साथ व्रती महिलाएं परिजनों तथा बच्चों के साथ छठ घाटों पर बनी बेदियों तक पहुंची माताओं ने घुटनों तक ठंडे पानी में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव का इंतजार किया।

इस दौरान कुंआंनो नदी सिकरीगंज में बने छठ पूजा के घाटों तथा तालाबों जलाशयों पर छठ पूजा के लिए बनी वेदियों पर पूजा के लिए बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं अपने परिजनों के साथ पहुंची।

सरकारी समितियों पर खाद न मिलने से किसानों में रोष,समितियों पर किसानों की लग रही लंबी कतार

खजनी गोरखपुर। रबी की फसलों की बुवाई में जुटे किसानों को सरकारी साधन सहकारी समितियों पर खाद नहीं मिल रही है। मंहगी दर पर प्राइवेट दुकानों से खाद खरीदने वाले किसानों का आक्रोश बढ़ रहा है।स्थानीय किसानों ने बताया कि प्राइवेट दुकानों पर डीएपी खाद 1500 से 1700 रूपए में मिल रही है। जबकि सरकारी समितियों पर खाद का मूल्य 1360 या 1370 रूपए लग रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार साधन सहकारी समिति रूद्रपुर खजनी में एक ट्रक डीएपी खाद आई थी जो कि बिक गई दूसरी खेप आने का इंतजार हो रहा है, वहीं उनवल टेकवार में स्थित साधन सहकारी समिति पर पहले एक ट्रक खाद आई थी जो कि बिक गई आज अपराह्न 150 बोरी डीएपी खाद और आई है जिसकी अनलोडिंग हो रही थी अनुमान है कि उनवल में किसानों को शुक्रवार 8 नवंबर को खाद मिलेगी।

किसानों ने रबी की फसलों की बुवाई तेज कर दी हैं, तथा साधन सहकारी समितियों पर खाद लेने के लिए किसानों की लंबी कतारें लग रही हैं।

सामान्यत: रबी की फसलों की बुवाई अक्तूबर-नवम्बर के महिनों में की जाती है। दरअसल इन फसलों की बुआई के समय कम तापमान तथा पकते समय खुश्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है। जिनमें गेहूँ, जौ, आलू, मसूर, चना, अलसी, मटर व सरसों रबी की प्रमुख फसलें मानी गई हैं। क्षेत्र के किसानों ने बुवाई के लिए अपने खेतों को तैयार कर लिया है। और सरकारी साधन सहकारी समितियों पर फसल की बुआई के समय लगने वाली डाई और बुआई के साथ पहली सिंचाई के बाद लगने वाली यूरिया खाद खरीदने के लिए सबरे से ही लंबी कतारें लग रही हैं।

क्षेत्र के किसान रामभवन, गंगा प्रसाद, राममूरत, छोटेलाल, कृष्णमोहन, राधेश्याम, राम सागर, राजमणि यादव, पप्पू, घनश्याम यादव, अशोक सिंह, मुन्नीलाल, बेचन गुप्ता आदि ने बताया कि समय से बुआई के लिए खाद लेना जरूरी है। इस बार साधन सहकारी समितियों पर नैनो यूरिया और डाई खाद खरीदने के लिए किसानों की भीड़ लगी हुई है। समितियों के सचिवों के द्वारा किसानों को उनकी आवश्यकता अनुसार खाद दी जा रही है।

आक्रोशित किसानों ने बताया कि सरकारी कर्मचारी जानबूझ कर देर करते हैं और कालाबाजारी को बढ़ावा देते हैं। फसल की बुवाई का समय है किसान ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते।

छठ घाटों पर उमडी व्रती माताओं की भीड़, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की पूजा

खजनी गोरखपुर। इलाके में सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर अस्ताचलगामी (डूबते) सूर्य को अर्घ देने पहुंची माताओं ने श्रद्धापूर्वक सूर्य देव की पूजा की अर्घ्य दिया दीप जलाए तथा विभिन्न प्रकार के फल, नैवेद्य आदि पूजन सामाग्री चढ़ाकर अपने पुत्रों, सौभाग्य और परिवार के हित समृद्धि के लिए सूर्य देव से प्रार्थनाऐं की। इससे पूर्व छठ पूजा के मंगलगीत भजन आदि गाते हुए गाजे बाजे के साथ और परिजनों तथा बच्चों के साथ छठ घाटों पर बनी बेदियों तक पहुंची माताओं ने जल में खडे होकर सूर्य देव के अस्त होने की प्रतिक्षा की। छठ पूजा की व्यवस्थाओं में समाजसेवियों, ग्राम प्रधानों नगर पंचायत अध्यक्ष आदि ने विशेष सहयोग किया।

इस दौरान भरोहियां जयश्वरनाथ शिव मंदिर, सरयां तिवारी गांव के पूण्यहवां पोखरे, उनवल नगर पंचायत क्षेत्र के जलेश्वर शिव मंदिर, नीलकंठ शिव मंदिर, झारखण्डेश्वर महादेव मंदिर टेकवार, सतुआभार मंदिर के समीप बने पोखरे जमुरा नाला पुल अकटहवा बाबा स्थान, भैंसा बाजार, मुरदेवां बाजार, बढनी, बढैपुरवां, लोनावं, हरनहीं, रकौली, खजुरी बाजार, छताईं, पल्हीपार हनुमान मंदिर, आशापार , कटयां बाजार, आदि सभी स्थानों पर पोखरों और जलाशयों में छठ घाटों पर बनी पूजा की वेदियों के समीप पहुंची माताओं ने अस्त होते सूर्य देव की पूजा अर्चना और आरती करते हुए पुत्रों के स्वस्थ लंबे जीवन और सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान छठ घाटों को बिजली की झालरों और लाइट से आकर्षक ढंग से सजाया गया।

पटाखे गाजे बाजे और छठ गीतों के साथ माताओं ने छठ व्रत रहकर मंगलगीत गाते हुए श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना की, पूजा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। पूजा के दौरान स्थनीय प्रशासन एसडीएम कुंवर सचिन सिंह, तहसीलदार कृष्ण गोपाल तिवारी तहसील के सभी नायब तहसीलदार क्षेत्राधिकारी उदय प्रताप सिंह थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा उनवल चौकी प्रभारी राजीव तिवारी महुआडाबर चौकी प्रभारी एसआई विवेक चतुवेर्दी तथा पुलिस टीम शांति और सुरक्षा व्यवस्था कायम रखने के लिए मौके पर मुस्तैदी के साथ मौजूद रही।

5 किलोमीटर जमीन पर लेटकर घाट तक पहुंची महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी

गोरखपुर। छठ पूजा को लेकर श्रद्धालुओं और व्रतियों में जबरदस्त उत्साह है। गुरुवार को छठ घाटों पर डूबते सूर्य को पहला अर्घय देकर भगवान सूर्य देव से अपने यजमान और समाज के लोगों के लिए मंगल कामना की। किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी ने भी 72 घंटे का व्रत रख कर छठी मईया की पूजा-आराधना नहाए खाए मंगलवार से ही शुरू है।

आज पुनः हमेशा की तरह अपने यजमानों की सलामती एवं खुशहाली के लिए विशेष छठ पूजा कर रही हैं। महामंडलेश्वर ने गुरुवार को बैंड-बाजा के साथ घर से घाट के लिए निकलीं। उनके साथ किन्नर और स्थानीय महिलाओं की हुजूम चल रही थी। घर से 5 किलोमीटर तक जमीन पर लेटते हुए वह छठ घाट पर पहुंची। इस दौरान उन्हें देखने वालों की भीड़ लगी रही। कुछ देर में व्रती महिलाओं से घाट पट गया। सभी ने तालाब में खड़ी होकर डूबते सूर्य देव से अपने यजमानों और समाज की सलामती एवं खुशहाली के लिए मंगल कामना की। पीपीगंज किन्नरों की विशेष छठ पूजा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। छठी मईया की आराधना किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी 16 वर्षों से अनवरत 72 घंटे की व्रत रख कर कड़ी तपस्या कर रही हैं।

16 सालों से अनवरत छठ पूजा कर रही हैं महामंडलेश्वर

महामंडलेश्वर पिछले 16 सालों से अनवरत 72 घंटे की व्रत रख कर कड़ी तपस्या के बीच छठी मईया की पूजा करती आ रही हैं। उनके पीपीगंज स्थित आवास से घाट की दूरी करीब 5 किलोमीटर है। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले छठ माता से मन्नत मांग रखी थी। इसके पूरा होने पर भी 9 वर्षों तक जमीन पर लेटकर घाट तक पूजन के लिए पहुंचती हैं। मन्नत पूरी होने के बाद भी वह कड़ी तपस्या कर विशेष पूजा कर रही हैं। आज उनके जुलूस में 12 किन्नर और स्थानीय महिलाएं भी शामिल थीं। वह कहती हैं कि यहां का पूरा समाज और यजमान ही मेरा सब कुछ हैं। इसलिए उनकी सलामती के लिए में व्रत रखती हूं। और लेटते हुए घाट तक जाने की कठिन तपस्या करती हूं। ताकि छठ मैया सबका कल्याण करें। सभी सुखी रहें। उन्होंने कुछ साल पहले छठ माता से मन्नत मांग रखी थी। इसके पूरा होने के बाद भी 9 वर्षों से अनवरत छठ पूजा अर्चना करते चली आ रही हैं।

इस अवसर पर प्रयागराज की वैष्णवी, किन्नर नैना पांडेय, शिल्पा जाधव, नंदनी, सिंदूर, सिमरन, सोनी, बेबी, अर्पिता, समाजसेवी भारतीय बरनवाल, एकता, स्वयंसेविका अंजू चौहान, पूनम गुप्ता, गुंजन चौधरी, सिमरन गुप्ता, रामाय सिंह, गोलू, तनिष्क, शुभम तिवारी, सन्नी आदि लोग मौजूद रहे।

‘नवजात शिशु के सात अधिकार, सुखमय भविष्य का हैं आधार

गोरखपुर।बच्चे के जन्म से लेकर अट्ठाइस दिन की अवस्था तक उसे नवजात शिशु कहा जाता है । प्रत्येक नवजात शिशु को सात प्रमुख ऐसे अधिकार हैं जो उसके सुखमय भविष्य का आधार बन सकते हैं। सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिये नवजात शिशु को यह सेवाएं उपलब्ध करवा रही है ।

इन अधिकारों और सेवाओं के प्रति जनजागरूकता का स्तर बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष एक नवम्बर से सात नवम्बर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी। उन्होंने बताया कि जन्म के बाद शीघ्र स्तनपान, जीरो डोज टीकाकरण, 102 एम्बुलेंस सेवा, अस्पताल से ही जन्म प्रमाण पत्र, कंगारू मदर केयर, गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल और प्रत्येक बीमारी की शीघ्र पहचान के साथ इलाज नवजात शिशु का हक है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद उसे तुरंत मां का गाढ़ा पीला दूध पिलाया जाना चाहिए। इस दूध में मौजूद कोलेस्ट्रोम नवजात शिशु को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है। सरकारी अस्पताल में संस्थागत प्रसव के बाद उपलब्ध स्टॉफ मां को तुरंत स्तनपान के लिए प्रेरित करते हैं। जन्म के 24 घंटे के भीतर प्रत्येक नवजात शिशु को ओपीवी, बीसीजी और हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है ताकि उसका संक्रमण और बीमारियों से बचाव हो सके। नवजात शिशु का स्वास्थ्य खराब होने पर उसे प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने और घर वापस लौटने की सुविधा के लिए सरकारी खर्चे पर 102 नंबर एम्बुलेंस की सेवा दी जा रही है। संस्थागत प्रसव करवाने वाली माताओं के नवजात शिशुओं को सरकारी अस्पताल से ही जन्म प्रमाण पत्र निर्गत किया जा रहा है और इस प्रमाण पत्र के बाद गांव, ब्लॉक या नगर निगम से कोई अन्य जन्म संबंधी प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नहीं है।

डॉ दूबे ने बताया कि कम वजन वाले बच्चों और हाइपोथर्मिया से बचाव के लिए बच्चों की मां या परिवार के किसी एक सदस्य को कंगारू मदर केयर सिखाया जाता है। इसके तहत नवजात शिशु को शरीर से चिपका कर रखना होता है। इससे बच्चों का वजन तो बढ़ता ही है, साथ में ठंड से भी उनका बचाव होता है। इसके लिए अस्पतालों में केएमसी कार्नर भी बनाये गये हैं। जब नवजात शिशु डिस्चार्ज होकर घर चले जाते हैं तो आशा कार्यकर्ता उनके घर जाकर गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल (एचबीएनसी) करती हैं। स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर नवजात को तुरंत एम्बुलेंस की सहायता से नजदीकी अस्पताल भेजने का प्रावधान है। नवजात शिशु को बीमारी या संक्रमण होने पर नजदीकी न्यू बोर्न स्टेबिलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) या स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) पर भेजा जाता है। स्थिति ज्यादा गंभीर होने पर उसे नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में भी रेफर किया जाता है। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में सक्रिय राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम को दिशा निर्देश है कि वह प्रसव केंद्र से ही जन्मजात विकृति वाले नवजात शिशुओं को चिन्हित करें और योजना के तहत इलाज की सुविधा दिलवाएं।

होता है फॉलो अप

सीएमओ ने बताया कि इलाज के बाद जो नवजात शिशु एनबीएसयू और एसएनसीयू से स्वस्थ होकर घर चले जाते हैं उनका भी समुदाय स्तर पर फॉलो अप किया जाता है। इस वर्ष अप्रैल से सितम्बर माह तक ऐसे 4912 नवजात शिशुओं का समुदाय स्तर पर फॉलो अप किया गया है। आशा कार्यकर्ता को चौबीस घंटे के भीतर, दूसरे दिन, तीसरे दिन, सातवें दिन, चौदहवें दिन, इक्कीसवें दिन और अट्ठाइसवें दिन नवजात शिशु के घर जाकर उसकी स्थिति देखने का निर्देश है। इसके लिए आशा कार्यकर्ता को 250 रुपये भी दिये जाते हैं। उन्होंने बताया कि अठारह हजार से अधिक नवजात शिशुओं को जीरो डोज टीकाकरण की सुविधा अप्रैल से सितम्बर तक दी गयी है।

स्वास्थ्य देखभाल की हैं सुविधाएं

सीएमओ डॉ दूबे ने बताया कि जिले के प्रत्येक सरकारी अस्पताल में एक बेड का न्यू बार्न केयर सेंटर (एनबीसीसी), छह अस्पतालों में चार बेड का एनबीएसयू, दो अस्पतालों में 26 बेड का एसएनसीयू और बीआरडी मेडिकल कॉलेज में वेटीलेटर युक्त एनआईसीयू क्रियाशील है। सहयोगी संस्था यूनिसेफ की मदद से इन सेवाओं की लगातार मॉनीटरिंग की जाती है। प्रत्येक एनबीसीसी में रेडियेंट वार्मर होता है जहां प्रसव के तुरंत बाद नवजात को रखा जाता है ताकि उसके शरीर का तापमान मेंटेन रह सके। अगर नवजात शिशु को हल्की फुल्की सांस लेने संबंधी समस्या होती है तो एम्बु बैग से मदद की जाती है। म्यूकस स्ट्रक्चर की मदद से नवजात शिशु के संवेदनशील अंगों की आवश्यकतानुसार सफाई की जाती है। एनबीएसयू में नवजात शिशु को ऑक्सीजन चढ़ाने की भी सुविधा दी जाती है।

नवजात की सेहत के प्रति रहें सतर्क, परेशानी हो तो 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाएं

गोरखपुर, छठ पर्व के बाद ठंडक और बढ़ेगी। ऐसे मौसम में नवजात शिशु के संक्रमण और बीमारियों से पीड़ित होने पर शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि अगर बच्चे को हाइपोथर्ममिया, निमोनिया, बुखार या स्वास्थ्य संबंधित कोई भी दिक्कत हो तो बिना देरी किये नजदीकी सरकारी अस्पताल पर पहुंचें। शिशुओं और उनके एक अभिभावक को 102 नंबर एम्बुलेंस से अस्पताल जाने और घर वापस लौटने की सुविधा सरकारी खर्चे पर प्रदान की जा रही है। नवजात शिशु की मां को यह ध्यान रखना है कि बच्चे के जन्म से छह माह तक सिर्फ स्तनपान उसे रोगों से लड़ने की ताकत देता है, इसलिए माताएं शिशु को अपना दूध पिलाना बंद न करें।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि जिले में 102 नंबर की 50 एम्बुलेंस हैं। उन्हें निर्देश है कि मां और उसके दो साल की उम्र तक के बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर उनके घर से पिक एंड ड्रॉप की सुविधा प्रदान करें। बच्चे के जन्म से लेकर 28 दिन तक की अवस्था को नवजात शिशु की श्रेणी में रखा गया है। बच्चे की स्वास्थ्य की दृष्टि से यह अवधि बेहद संवेदनशील होती है। खासतौर से सर्दियों में पैदा होने वाले बच्चों के प्रति अधिक एहतियात बरतनी है। सरकारी अस्पताल पर संस्थागत प्रसव ही नवजात शिशु के लिए भी सुरक्षित होता है । वहां बने नवजात शिशु देखभाल कार्नर पर प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के उपकरण और सुविधाएं मौजूद हैं। संस्थागत प्रसव के बाद अतिशीघ्र बच्चों का जीरो डोज टीकाकरण किया जाता है और शीघ्र स्तनपान करवाया जाता है। मां या घर के सदस्य को कंगारू मदर केयर (केएमसी) का भी प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वह नवजात शिशु को हाइपोथर्मिया से बचा सकती हैं। कम वजन के बच्चों का वजन बढ़ाने में भी केएमसी की अहम भूमिका है।

डॉ दूबे ने बताया कि जो नवजात शिशु और उनकी मां अस्पताल से छुट्टी पाकर घर चले जाते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर आशा कार्यकर्ता की मदद लेनी चाहिए। अभिभावक खुद भी फोन करके एम्बुलेंस के जरिये ऐसे शिशुओं को अस्पताल पहुंचा सकते हैं। सभी सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं के देखभाल की प्राथमिक सुविधा उपलब्ध है। शिशु को ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सक द्वारा उन्हें आवश्यकतानुसार न्यू बोर्न स्टेबिलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) और स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के लिए रेफर कर दिया जाता है । रेफरल के दौरान भी नवजात शिशु और मां को एम्बुलेंस से ही अस्पताल पहुंचाया जाता है।

यह लक्षण दिखें तो ले जाएं अस्पताल

नाक बंद होने से सांस लेने और मां का दूध पीने में भी दिक्कत

सांस छोड़ने पर घरघराहट की आवाज़

खांसी या बलगम

बुखार आना या बच्चे का सुस्त रहना 

ठंड लगने पर उल्टी या दस्त की समस्या

यहां पर सक्रिय हैं एनबीएसयू

सीएमओ ने बताया कि जिले में बेलघाट, चौरीचौरा, जंगल कौड़िया, बांसगांव और पिपराईच सीएचसी पर, जबकि कैम्पियरगंज पीएचसी पर एनबीएसयू सक्रिय है । नवजात शिशु को स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत पर चिकित्सक की निगरानी में वहां बच्चों का इलाज होता है।

गंभीर दिक्कत पर एसएनसीयू की सुविधा

नवजात शिशु में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कत होने पर जिला महिला अस्पताल में बने एसएनसीयू में रेफर किया जाता है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपस्थिति में देखभाल की जाती है। अति गंभीर स्वास्थ्य संकट की स्थिति में चिकित्सक नवजात शिशु को बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में रेफर किया जाताहै। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफरल के दौरान भी एम्बुलेंस की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

शीघ्र अस्पताल पहुंचना जरूरी

सीएमओ डॉ दूबे ने कहा कि नवजात शिशु में स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दिक्कत होने पर सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाने की आवश्यकता नहीं है। बेहतर है कि पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर एम्बुलेंस की सहायता से पहुंचे। शीघ्र उपचार शुरू होने से नवजात के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होने की संभावना होती है। सिर्फ उन्हीं बच्चों को एनबीएसयू, एसएनसीयू या एनआईसीयू भेजा जाता है जिन्हें चिकित्सक के परामर्श के अनुसार वहां भेजना आवश्यक है।