खत्म हुआ जेट एयरवेज का “सफर”, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विक जाएंगी एयरलाइन की सभी संपत्तियां
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भारत में बजट एयरलाइंस के तौर पर चर्चित जेट एयरवेज अब कभी भी उड़ान नहीं भर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी एयरलाइंस जेट एयरवेज के ऐसेट्स को बेचने का आदेश दे दिया। इसके साथ ही जेट एयरलाइन का सफर हमेशा के लिए खत्म हो गया है। जेट एयरवेज ने 25 साल तक पूर्ण सेवा एयरलाइन के रूप में उड़ान भरने के बाद पांच साल पहले अप्रैल के महीने में अस्थाई रूप से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा की थी। नकदी संकट की वजह से एयरलाइन ने यह कदम उठाया था। अब सुप्रीम कोर्ट के एयरलाइन के परिसमापन के आदेश के बाद इसके फिर से उड़ान भरने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 7 नवंबर को जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने का आदेश दे दिया। लिक्विडेशन का मतलब है- किसी कंपनी की परिसंपत्तियों को जब्त करके उन्हें बेचने से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल उसके कर्ज और देनदारियों को चुकाने में करना। अदालत ने इस आदेश में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को पलट दिया। एनसीएलएटी ने मार्च में समाधान योजना (एयरलाइन को संकट से उबारने) के तहत जेट एयरवेज का मालिकाना हक जालान-कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को देने का फैसला सुनाया था।
बता दें कि आर्थिक संकट की वजह से जेट एयरवेज का ऑपरेशन 2019 से बंद है। उस वक्त एयरवेज पर कई बैंकों का 4783 करोड़ का कर्ज था। सबसे ज्यादा लोन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दिया था। एयरलाइन के घाटे में जाने के बाद बैंकों ने दिवालिया की कार्रवाई शुरू की थी। समाधान योजना के तहत जेकेसी को मालिकाना हक मिलना था। दरअसल, समाधान योजना के अनुसार जालान-कलरॉक कंसोर्टियम को 4783 करोड़ रुपए का भुगतान करना था। पहली किश्त में 350 करोड़ रुपए देने थे, जिसमें कंसोर्टियम 200 करोड़ रुपए ही दे पाई थी।
इसके खिलाफ बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिक्कतों से जूझ रही जेट एयरवेज को लिक्विडेट करने यानी कि इसकी संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लिक्विडेशन इसके ऋणदाताओं और कर्मचारियों के हित में होगा, क्योंकि जालान-कालरॉक कंसोर्टियम मंजूरी के 5 साल बाद भी समाधान योजना को लागू करने में विफल रहा है।
बिक जाएंगी ये सम्पतियां
• बैंकों के पास सबसे बड़ी संपत्ति मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद के हवाई अड्डों पर खड़े ग्यारह जेट एयरवेज विमान हैं।
• तीन बोइंग 777, दो एयरबस ए330 और एक बोइंग 737 सहित छह विमान मुंबई हवाई अड्डे पर खड़े हैं।
• दिल्ली हवाई अड्डे पर दो बोइंग 777 और एक बोइंग 737 हैं, जबकि एक बोइंग 737 और एक एयरबस ए330 हैदराबाद हवाई अड्डे पर हैं।
• बैंकों के अनुमान के मुताबिक, ये विमान ₹1,000 करोड़ से ₹1,500 करोड़ के बीच प्राप्त कर सकते हैं, हालांकि अंतिम मूल्यांकन परिसमापक द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
• अन्य संपत्तियों में इंजन, सहायक बिजली इकाइयां (एपीयू), विमान के पुर्जे, और जनरेटर, टो ट्रैक्टर, वाहन, कंप्रेसर, कोच और ट्रॉलियां जैसे जमीनी उपकरण शामिल हैं।
• जेट एयरवेज़ ब्रांड नाम भी बिक्री के लिए उपलब्ध होगा. इसके अलावा, जेट एयरवेज के पास मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक व्यावसायिक इमारत में आधी मंजिल है, जिसका मूल्य जून 2019 तक ₹245 करोड़ है।
• बैंकों को जेट एयरवेज के बैंक खाते में जमा लगभग ₹100 करोड़ भी भुनाने का मौका मिलेगा।
• इसके अलावा, बैंकों के पास जालान-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा जमा की गई लगभग ₹350 करोड़ की सीधी नकदी तक पहुंच है।
• सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को अपने समाधान योजना प्रस्तुत करने के दौरान जालान-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा दी गई ₹150 करोड़ की प्रदर्शन बैंक गारंटी को भुनाने का आदेश दिया।
• शीर्ष अदालत ने कंसोर्टियम द्वारा एस्क्रो खाते में जमा किए गए ₹200 करोड़ को जब्त करने का भी आदेश दिया।
Nov 08 2024, 13:48