बेलागंज विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में जदयू और राजद के बीच होगी सीधी टक्कर, क्या मनोरमा देवी फतह कर पाएंगी राजद का यह अभेद किला !
डेस्क : बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। एनडीए और इंडी एलायंस के साथ अन्य दलों ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है और 25 अक्टूबर तक सभी प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर अपनी-अपनी विधानसभा में चुनाव प्रचार भी तेज कर दिया है। इन चार विधान सभा सीटों में सबसे हॉट सीट बेलागंज माना जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस सीट पर पिछले 30 सालों से माय समीकरण ही कारगर होता रहा है। जिसकी वजह से राजद का इस विधानसभा सीट पर दबदबा रहा है। आजतक राजद की जीत का मुख्य कारण माय समीकरण ही है।
राजद नेता सुरेंद्र यादव 1990 से लगातार बेलागंज विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। 1990 व 1995 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुरेंद्र यादव का मुक़ाबला अभिराम शर्मा (1990 में निर्दलीय, 1995 में कांग्रेस) से हुआ। 1998 में सुरेंद्र यादव, जहानाबाद से लोकसभा चुनाव जीत गए, जिसके बाद यहाँ हुए उपचुनाव में राजद के ही महेश सिंह यादव विधायक बने। लेकिन, अगले ही साल हुए लोकसभा चुनाव में सुरेंद्र यादव की हार हो गई। सुरेंद्र यादव वापस 2000 में बेलागंज से चुनाव लड़ने आ गए और करीब 23,000 वोटों के बड़े अंतर से भाजपा के कृष्ण सिंह को हराया। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सांसदी का टिकट नहीं दिया, लेकिन आगे 2009 से लगातार जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से उन्हें राजद ने चुनाव लड़वाया। वह जहानाबाद से लोकसभा चुनाव हारते रहे और बेलागंज से विधानसभा चुनाव जीतते रहे। आखिरकार, 26 वर्षों के बाद 2024 लोकसभा चुनाव में वह वापस सांसद बने। अब उनके बेटे विश्वनाथ यादव बेलागंज से उपचुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
वहीं बेलागंज विधानसभा चुनाव में 2000 के बाद यह पहला अवसर है जब एनडीए की ओर से जदयू ने राजद प्रत्याशी की ही जाति के प्रत्याशी को टिकट दिया है। एनडीए प्रत्याशी के तौर पर जदयू की मनोरमा देवी को इसबार यहां से चुनाव मैदान में है। दोनों यादव जाति से आते हैं। वहीं मनोरमा देवी के पति का यादव समाज में पकड़ रही है। इसके साथ ही मनोरमा देवी खुद समाज सेवा का काम करती रही है। जिसकी वजह से वो यादव समाज के साथ-साथ अन्य समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है। वहीं यदि बाहुबल की बात करे तो इसमें भी वो कम नहीं है। इनके दिवंगत पति बिंदेश्वरी प्रसाद यादव जो बिंदी यादव के नाम से जाना जाता था। उसके ऊपर नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने का आरोप लगा था। इस मामले में बिंदी यादव की गिरफ्तारी भी हुई थी। वहीं पिछले दिनों मनोरमा देवी के आवास पर जो एनआईए की छापेमारी मनोरमा देवी से पूछताछ की थी वह नक्सलियों से संबंध को लेकर माना गया था।
इतना ही नहीं मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव की छवि भी दबंग की रही है और यही वजह है कि इस सीट से जन सुराज प्रत्याशी मोहम्मद अमजद एक बयान को लेकर मनोरमा देवी ने साफ शब्दों में कहा था कि मर्यादा में रहकर बयानबाजी होनी चाहिए। यदि सामने वाला मर्यादा तोड़ेगा तो उन्हें भी जवाब देना आता है। मनोरमा देवी के इस बयान का मतलब साफ है कि यदि कोई बाहुबल दिखाने की कोशिश करेगा तो वह भी कम नही है।
यहां बता दें प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज ने बेलागंज सीट से जिस मोहम्मद अमजद को प्रत्याशी बनाया है उनकी पहचान एक बाहुबली नेता के रुप में है। इनके उपर दंगा करने का साजिश, आपराधिक धमकी, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली की धमकी जैसे आरोप है।
वैसे एनडीए की प्रत्याशी मनोरमा देवी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बेलागंज में चुनाव का माहौल क्या चल रहा है। इस पर कहा कि विधानसभा में माहौल क्या चल रहा है यह तो जनता ही बताएगी। लेकिन, माहौल काफी अच्छा चल रहा है।
वहीं बिहार के वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि यहां पर 30 सालों से MY समीकरण ही बनते आ रहा है। इसके चलते राजद का इस विधानसभा सीट पर दबदबा रहा है। आज तक राजद की जीत का मुख्य कारण MY समीकरण ही है, लेकिन आज की मौजूदा स्थिति गड़बड़ाई हुई है। इसका कारण M में भी सेंध और Y में भी सेंध लग चुकी है। मनोरमा देवी को एनडीए ने उम्मीदवार बनाया है तब से कड़ा मुकाबला हो गया है। इसका असर इस बार चुनाव में देखने को मिल सकता है। यहां उलट पलट की स्थिति इस बार बन रही है।
वैसे एक बात तय है कि बेलागंज में राजद और जदयू के बीच ही मुकाबला होने जा रहा है। हालांकि इसमें इन दोनो की जीत-हार इस पर भी निर्भर होगा कि प्रशांत किशोर के प्रत्याशी का क्या प्रभाव होता है।
अब देखने वाली बात यह होगी की मनोरमा देवी इस सीट पर फतह कर 30 वर्षों के राजद का यह किला ध्वस्त कर पाती है या फिर इसपर राजद का दबदबा ही कायम रहता है।

						
 






 




 
  
 
 
Nov 02 2024, 21:04
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