बॉम्बे हाईकोर्ट ने गैंगस्टर छोटा राजन को दी बड़ी राहत; उम्रकैद समाप्त, जमानत भी मिली

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को गैंगस्टर छोटा राजन को बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है। उसे 2001 में होटल व्यवसायी जया शेट्टी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। 30 मई, 2024 को एक विशेष मकोका अदालत ने राजन को अन्य लोगों के साथ दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा को समाप्त कर दिया है।

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने छोटा राजन को जमानत के लिए 1 लाख रुपये का बॉन्ड भरने का निर्देश दिया। हालांकि, छोटा राजन अन्य आपराधिक मामलों के सिलसिले में जेल में ही रहेगा। इससे पहले मई में एक विशेष अदालत ने होटल व्यवसायी की हत्या के मामले में छोटा राजन को दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

छोटा राजन ने सजा के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। गैंगस्टर ने मांग की थी कि सजा को निलंबित किया जाए और उसे अंतरिम जमानत दी जाए।

मुंबई के चेंबुर में रहने वाला राजेंद्र सदाशिव निखलजे को अंडरवर्ल्ड ने छोटा राजन का नाम दिया। राजेंद्र सदाशिव ने स्कूल छोड़ने के बाद फिल्म टिकट ब्लैक करने का धंधा किया और धीरे धीरे वो राजन नायर गैंग में शामिल हो गया। राजन नायर को बड़ा राजन कहा जाता था। राजन ने एक लड़की से इश्क के चलते गैंग शुरू की थी लेकिन बाद में उसकी गर्लफ्रेंड ने उसी की गैंग में शामिल अब्दुल कुंजू से शादी कर ली। इसके बाद बड़ा राजन और कुंजू की दुश्मनी हुई और कुंजू ने बड़े राजन की हत्या करवा दी।

इसके बाद छोटा राजन दाउद इब्राहिम के संपर्क में आया और दोनों ने मिलकर लंबे समय तक मुंबई में अंडरवर्ल्ड का सिंडिकेट संभाला। दाउद ने छोटा राजन को अपने गैंग में शामिल किया और छोटा राजन ने मुंबई शहर में दाउद के नाम की दशहत फैला दी। खास तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में दाउद इब्राहिम और छोटा राजन की तूती बोलती थी। छोटा राजन ने मुंबई में फिरौती का धंधा संभाला और कई बड़े फिल्म प्रोड्यूसर्स से फिरौती में बड़ी रकम वसूलना शुरू किया।

मध्य मुंबई के गामदेवी में गोल्डन क्राउन होटल की मालिक जया शेट्टी की 4 मई, 2001 को होटल की पहली मंजिल पर छोटा राजन के गिरोह के दो कथित सदस्यों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

सावधान! कहीं आप भी न हो जाएं फ्रॉड का शिकार,जानिए कैसे बचें

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बीते कुछ सालों में साइबर फ्रॉड तेजी से बढ़ रहे हैं, ऐसे में स्कैमर्स लोगों को फंसाने के लिए नए-नए तरीके निकाल रहे हैं। इस फ्रॉड में स्कैमर्स आपको फंसा कर पर्सनल जानकारी और फाइनेंशियल डिटेल चुराने का प्रयास करते हैं। इंडियन साइबर क्राइम कॉरिडेनेशन सेंटर (I4C) की रिपोर्ट में बताया कि मई 2024 में 7,000 साइबर क्राइम रजिस्टर हुए हैं। अगर साइबर क्राइम में आई तेजी की बात करें तो वर्ष 2021 और 2023 के बीच में साइबर क्राइमके मामले 113.7 फीसदी बढ़ गए।

बढ़ते साइबर क्राइम की सबसे बड़ी वजह हमारी असावधानी है। अगर हम सतर्क रहते हैं तो किसी भी अनहोनी से आसानी से बच सकते हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि आप कैसे इस तरह के स्कैम से बच सकते हैः-

1. ट्राई फोन घोटाला: जालसाज खुद को ट्राई से होने का दावा करते हुए कहते हैं कि आपका मोबाइल नंबर अवैध गतिविधियों से जुड़ा है और सेवाएं निलंबित कर दी जाएंगी।

- वास्तविकता: ट्राई सेवाओं को निलंबित नहीं करता है; टेलीकॉम कंपनियां करती हैं.

2. सीमा शुल्क विभाग में पार्सल अटक जाना: घोटालेबाज दावा करते हैं कि प्रतिबंधित सामग्री वाला एक पार्सल पकड़ा गया है और भुगतान की मांग करते हैं।

- कार्रवाई: नंबर डिस्कनेक्ट करें और रिपोर्ट करें।

3. डिजिटल गिरफ्तारी: फर्जी पुलिस अधिकारी डिजिटल गिरफ्तारी या ऑनलाइन पूछताछ की धमकी देते हैं।

- हकीकत: पुलिस डिजिटल गिरफ्तारी या ऑनलाइन पूछताछ नहीं करती।

4. परिवार का सदस्य गिरफ्तार: घोटालेबाज दावा करते हैं कि एक रिश्तेदार को गिरफ्तार किया जाएगा और भुगतान की मांग की जाएगी।

- कार्रवाई: कार्रवाई करने से पहले परिवार के सदस्यों से पुष्टि करें।

5. त्वरित ट्रेडिंग से अमीर बनें: सोशल मीडिया विज्ञापन स्टॉक निवेश पर उच्च रिटर्न का वादा करते हैं।

 - वास्तविकता: उच्च रिटर्न वाली योजनाएं संभावित घोटाले हैं।

6. छोटे कामों के लिए बड़ी पेशकश: स्कैमर्स सरल कार्यों के लिए उच्च रकम की पेशकश करते हैं, फिर निवेश के लिए कहते हैं।

- वास्तविकता: आसान धन योजनाएं घोटाले हैं।

7. आपके नाम पर जारी क्रेडिट कार्ड: फर्जी अधिकारी फर्जी क्रेडिट कार्ड पर बड़े लेनदेन की पुष्टि करते हैं।

 - कार्रवाई: अपने बैंक से जांच करें।

8. गलत धन हस्तांतरण: घोटालेबाज गलत लेनदेन का दावा करते हैं और रिफंड मांगते हैं।

- कार्रवाई: अपने बैंक के साथ लेनदेन सत्यापित करें।

9. केवाईसी समाप्त: स्कैमर्स लिंक के माध्यम से केवाईसी अपडेट मांगते हैं।

- वास्तविकता: बैंकों को व्यक्तिगत रूप से केवाईसी अपडेट की आवश्यकता होती है।

10. उदार कर रिफंड: जालसाज खुद को कर अधिकारी बताकर बैंक विवरण मांगते हैं।

- वास्तविकता: कर विभाग के पास पहले से ही बैंक विवरण हैं और वे सीधे संवाद करते हैं।

कैसे सुरक्षित रहें:

1. कार्रवाई करने से पहले जानकारी सत्यापित करें.

2. संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें.

3. बैंकों के साथ लेनदेन की पुष्टि करें।

4. संदिग्ध कॉल/नंबरों की रिपोर्ट करें.

5. अधिक रिटर्न वाली योजनाओं से सावधान रहें।

6. केवाईसी को व्यक्तिगत रूप से अपडेट करें।

7. व्यक्तिगत/बैंक विवरण साझा न करें।

घोटालों की रिपोर्ट यहां करें:

1. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (1800-11-4000)

2. साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (cybercrime.gov.in)

3. स्थानीय पुलिस स्टेशन

भारत-चीन के साथ मिलकर अमेरीका का दबदबा खत्म करना चाहता है रूस, जानें क्या है पुतिन का प्लान?

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ढाई साल से भी लंबे समय से यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहे रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों ने एक के बाद एक कार्रवाई, पाबंदियों लगाई। यूक्रेन को आर्थिक-सामरिक समर्थन दिया। हालांकि, क्रेमलिन को कमजोर नहीं कर सके। बल्कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिम को एक तरह से पटकनी देने की पूरी प्लानिंग कर ली है। इसकी झलकी रूस में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में साफ देखी जा सकती है।

पुतिन रूस के कजान शहर में ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं। यहां एक मंच पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तुर्किये के रेसेप तैय्यप एर्दोगन और ईरान के मसूद पेजेश्कियान साथ दिखें। यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका की आलोचना का सामना कर रहे पुतिन ने रूस ने इस तरह बड़ी बैठक के जरिए यह दिखाने की भी कोशिश कर रहे हैं कि पश्चिम के मॉस्को को अलग-थलग करने के प्रयास विफल रहे हैं।

यही नहीं, ब्रिक्स के दो सबसे अहम सदस्यों भारत और चीन के बीच मतभेद रहे हैं। तमाम मतभेद के बावजूद दोनों देश ब्रिक्स में मंच साझा कर रहे हैं, इसे भी पुतिन की सफलता की तरह देखा जा रहा है। मॉस्को ने इस समिट को एक कूटनीतिक जीत के रूप में पेश किया है, जो पश्चिमी आधिपत्य को चुनौती देने के लिए गठबंधन बनाने में मदद करेगी। उसके एजेंडे के मुख्य मुद्दों में ब्रिक्स के नेतृत्व वाली भुगतान प्रणाली है। ये स्विफ्ट को टक्कर देगी, जो एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय नेटवर्क है। इससे रूसी बैंकों को 2022 में काट दिया गया था।

इसके लिए उन्होंने ब्रिक्स समूह के देशों से खास अपील कर दी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स समूह को पश्चिमी प्रतिबंधों से मुक्त स्विफ्ट जैसी सीमा-पार भुगतान प्रणाली की संभावनाएं तलाशनी चाहिए। उन्होंने साथ ही अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को खत्म करने के लिए निवेश परियोजनाओं के वित्तपोषण में राष्ट्रीय डिजिटल मुद्राओं के इस्तेमाल पर जोर दिया। रूस की मेजबानी में आयोजित ब्रिक्स नेताओं के 16वें वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले पुतिन ने यह भी कहा कि एक साझा ब्रिक्स मुद्रा के लिए अभी समय नहीं आया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 10 देशों का समूह डिजिटल मुद्रा के उपयोग की संभावना तलाश रहा है जिसके लिए उनका देश भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

रूस के राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी ब्रिक्स के आरक्षित मुद्रा बनाने की योजना के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में की। माना जाता है कि पश्चिम के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक गठजोड़ के जवाब में ब्रिक्स समूह की परिकल्पना की गई। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स अब राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ाने तथा ऐसे उपकरणों के निर्माण की संभावना का अध्ययन कर रहा है जो इस तरह के काम को सुरक्षित बना सकें। साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से ब्रिक्स देश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की संभावना पर विचार कर रहे हैं।

रूस एक नए पेमेंट सिस्टम में साथ देने के लिए भागीदार देशों का सहयोग मांग सकता है, जो ग्लोबल बैंक मैसेजिंग सिस्टम स्विफ्ट का विकल्प बने और मास्को को प्रतिबंधों की फिक्र किए बिना अपने सहयोगियों के साथ व्यापार करने में सक्षम बनाए। रूस की योजना है कि अगर एक ऐसा प्लेटफार्म तैयार हो जाता है, जिसमें चीन, भारत, रूस, ब्राजील और सऊदी अरब जैसे अमेरिका के भी महत्वपूर्ण साझीदार शामिल होते हैं, तो अमेरिका इसके पीछे नहीं पड़ेगा और अपनी अनुमति दे देगा।

इसके लिए रूस ने ब्रिक्स समूह के विस्तार को अपनी विदेश नीति का एक हिस्सा बना लिया है। अब इस संगठन के कुछ चुनिंदा सदस्य नहीं रह गए हैं। शुरुआत में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे पांच राष्ट्रों का ब्रिक्स गठित करने का उद्देश्य पश्चिमी दबदबे वाली दुनिया में एक संतुलन बनाना था। हालांकि, इस वर्ष इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई। जनवरी में ईरान, इजिप्ट, इथियोपिया और यूएई ब्रिक्स से जुड़ गए, जबकि तुर्किये, अजरबैजान और मलेशिया ने औपचारिक रूप से इसमें शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया है। इसके अलावा कई अन्य देश भी इससे जुड़ने में अपनी दिलचस्पी दिखा चुके हैं। रूस इसे एक बड़ी सफलता मान रहा है।

इस बढ़ते हुए ब्रिक्स समूह का क्या नाम होगा ये अभी साफ़ नहीं है लेकिन अभी इसे ब्रिक्स प्लस कहा जा रहा है। इस समूह के देशों की बात करें तो इनकी संयुक्त आबादी 3.5 अरब है, जो दुनिया की कुल जनसंख्या का 45 फीसदी है। इन सदस्य देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्थाएं 28.5 लाख करोड़ डॉलर का दमखम रखती हैं, जो दुनिया की अर्थव्यवस्था का करीब 28 फीसदी हिस्सा है। अगर ईरान, सऊदी अरब और यूएई की बात करें तो ब्रिक्स के ये सदस्य दुनिया के कुल कच्चे तेल के 44 फीसदी का खुद उत्पादन करते हैं।ऐसे में ब्रिक्स उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक बड़ी आवाज़ और उनका प्रतिनिधि बनना चाहता है।

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: मुंबई पुलिस ने हरियाणा निवासी को किया गिरफ्तार, अब तक हिरासत में है 11 आरोपी

मुंबई पुलिस ने बुधवार को एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी (29) की हत्या के मामले में अमित हिसामसिंग कुमार नाम के एक और आरोपी को गिरफ्तार किया, जो हरियाणा के कैथल के नाथवान पट्टी का निवासी है। उनकी गिरफ्तारी के साथ, मामले के सिलसिले में हिरासत में लिए गए आरोपियों की कुल संख्या 11 तक पहुंच गई है। रविवार को मुंबई पुलिस ने नवी मुंबई में एक स्क्रैप डीलर भागवत सिंह ओम सिंह को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। राजस्थान के उदयपुर के मूल निवासी सिंह ने कथित तौर पर उन लोगों को हथियार मुहैया कराया था, जिन्होंने 12 अक्टूबर को राकांपा नेता की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

 

बाबा सिद्दीकी की उनके बेटे जीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर तीन हमलावरों ने हत्या कर दी थी। पुलिस ने दो शूटरों गुरमेल बलजीत सिंह (23) और धर्मराज राजेश कश्यप (19) को गिरफ्तार किया है। मुख्य शूटर शिवकुमार गौतम और हत्या की साजिश में शामिल दो अन्य लोग फरार हैं। क्राइम ब्रांच की टीमों ने फरार आरोपियों खासकर मुख्य शूटर बताए जा रहे गौतम की तलाश तेज कर दी है।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हाई-प्रोफाइल हत्या के हमलावरों को अगस्त महीने में मुंबई से ज्यादा दूर कर्जत में शूटिंग का अभ्यास नहीं मिला था। पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि मामले में गिरफ्तार किए गए पांच संदिग्धों ने शुरू में हत्या के लिए ₹50 लाख की मांग की थी, लेकिन बाद में भुगतान पर असहमति और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता के प्रभाव के कारण पीछे हट गए। हालाँकि, उन्होंने फिर भी हत्या को अंजाम देने में शामिल लोगों को साजो-सामान और अन्य सहायता प्रदान की।

गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की पहचान नितिन गौतम सप्रे (32), संभाजी किसान पारधी (44), प्रदीप दत्तू थोम्ब्रे (37), चेतन दिलीप पारधी (27) और राम फूलचंद कनौजिया (43) के रूप में की गई। पुलिस के मुताबिक, सप्रे डोंबिवली का रहने वाला है, जबकि पारधी, थोम्ब्रे और पारधी ठाणे जिले के अंबरनाथ के रहने वाले हैं और कनौजिया रायगढ़ के पनवेल का रहने वाला है।

एलएसी पर भारत-चीन समझौते को लेकर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल, पूछा-क्या 26 पेट्रोलिंग पॉइंट तक जा सकेंगे हमारे जवान?

#congress_raised_questions_on_india_china_patrol_agreement

भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पेट्रोलिंग को लेकर हुए समझौते पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है।कांग्रेस ने समझौते पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरने को की कोशिश की है। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि सैनिकों के पीछे हटने से मार्च 2020 जैसी यथास्थिति बहाल हो जाएगी। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में भारत के लोगों को विश्वास में लेने की बात भी कही है। कांग्रेस पार्टी का यह बयान रूस में आयोजित हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता से पहले आया है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के संघर्ष विराम पर बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को छह सीधे सवाल दागे और कहा कि उसे उम्मीद है कि नई दिल्ली की “दशकों में सबसे खराब विदेश नीति का झटका” सम्मानजनक तरीके से हल हो जाएगा।

जयराम रमेश ने कहा, यह दुखद घटना चीन के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मूर्खता और नासमझी का पूर्ण दोषारोपण है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी को चीन ने तीन बार भव्य तरीके से मेजबानी की थी। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने चीन की पांच आधिकारिक यात्राएं कीं और चीनी प्रधानमंत्री शी जिनपिंग के साथ 18 बैठकें कीं, जिसमें उनके 64वें जन्मदिन पर साबरमती के तट पर एक दोस्ताना झूला सत्र भी शामिल है।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, भारत की स्थिति 19 जून 2020 को सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जब प्रधानमंत्री ने चीन को अपनी कुख्यात क्लीन चिट देते हुए कहा, न कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। यह बयान गलवान में हुई झड़प के सिर्फ़ चार दिन बाद दिया गया था, जिसमें हमारे 20 बहादुर सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। यह हमारे शहीद सैनिकों का घोर अपमान था, इसने चीन की आक्रामकता को भी वैध बना दिया और इस तरह एलएसी पर गतिरोध के समय पर समाधान में बाधा उत्पन्न की। पूरे संकट के प्रति मोदी सरकार के दृष्टिकोण को डीडीएलजे के रूप में वर्णित किया जा सकता है: Deny(इंकार करो), Distract ( ध्यान भटकाओ), Lie(झूठ बोलो) and Justify (न्यायोचित ठहराओ)|

कांग्रेस नेता ने कहा कि चीन के साथ इस समझौते पर पहुंचने के बाद, सरकार को भारत के लोगों को विश्वास में लेना चाहिए और इन महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देना चाहिए:

1.. क्या भारतीय सैनिक डेपसांग में हमारी दावा रेखा तक, बॉटलनेक जंक्शन से आगे पांच गश्ती बिंदुओं तक गश्त कर सकेंगे, जैसा कि वे पहले कर पाते थे?

2. क्या हमारे सैनिक डेमचोक के उन तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंच पाएंगे जो चार वर्षों से अधिक समय से सीमा से बाहर हैं?

3. क्या हमारे सैनिक पैंगोंग त्सो में फिंगर 3 तक ही सीमित रहेंगे, जबकि पहले वे फिंगर 8 तक जा सकते थे?

4. क्या हमारे गश्ती दल को गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन गश्ती बिंदुओं तक पहुंचने की अनुमति है, जहां वे पहले जा सकते थे?

5. क्या भारतीय चरवाहों को एक बार फिर हेलमेट टॉप, मुकपा रे, रेजांग ला, रिनचेन ला, टेबल टॉप और चुशुल के गुरुंग हिल में पारंपरिक चरागाहों तक पहुंचने का अधिकार दिया जाएगा?

6. क्या "बफर जोन" जो हमारी सरकार ने चीन को सौंपे थे, जिसमें युद्ध नायक और मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के लिए रेजांग ला में एक स्मारक स्थल भी शामिल था, अब अतीत की बात हो गई है?

तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंसी परमिट रीन्यू, बांग्लादेश सरकार को लगेगी मिर्ची

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पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहे बांग्लादेश को भारत ने एक और करारी चोट दी है। शेख हसीना का “बचाव” करने के बाद भारत ने बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन का निवास परमिट बढ़ाने का फैसला किया है। भारत ने कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश से भारत में स्वनिर्वासन झेल रहीं जानी-मानी लेखिका तस्लीमा नसरीन का रेजिडेंसी परमिट रीन्यू कर दिया है। गौरतलब है कि तसलीमा नसरीन का भारत में निवास का परमिट एक्सपायर हो गया था। जिसके बाद तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर गृह मंत्री से मदद मांगी थी।

तसलीमा नसरीन ने 21 अक्टूबर को गृहमंत्री को ट्वीट कर मदद मांगी थी। तसलीमा नसरीन ने एक्स पर लिखा था कि ‘करीब 20 सालों से भारत मेरा दूसरा घर है।’ नसरीन ने गृह मंत्री अमित शाह से मदद मांगते हुए बताया था कि गृह मंत्रालय ने जुलाई से उनका रेजिडेंट परमिट रिन्यू नहीं किया है। परमिट रिन्यू न होने से मैं परेशान हूं। अगर सरकार मुझे भारत में रहने देगी, तो मैं शुक्रगुजार रहूंगी।

लेखिका के गुहार लगाने के अगले ही दिन मंगलवार को उनका रिजिडेंस परमिट रीन्यू हो गया। उन्होंने इसके लिए एक्स पर एक और पोस्ट करके अमित शाह को शुक्रिया कहा।

तसलीमा नसरीन को मुस्लिम कट्टरपंथियों का कोपभाजन उनकी बहुचर्चित किताब लज्जा की वजह से बनना पड़ा था। उन्हें अपनी जान बचाने लिए ठीक उसी तरह बांग्लादेश छोड़ना पड़ा जैसे शेख हसीना को छोड़ना पड़ा था। 'लज्जा' में उन्होंने 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हुए जुल्म को बयां किया था। उन्होंने अपनी किताब में मजहबी कट्टरता और उसका व्यक्तियों व समाज पर पड़ने वाले खतरनाक असर को बयां किया था। इसी किताब की वजह से 1993 में कट्टरपंथियों ने उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। कट्टरपंथी उनके खून के प्यासे बन गए। उन्हें अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश से भागना पड़ा था। तब से वह भारत में ही रह रही हैं।

वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बार-बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की बात उठाती रही है। बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त को अपनी जान बचाते हुए हेलिकॉफ्टर से भारत भाग आई थीं। बांग्लादेश की एक अदालत ने 77 साल की शेख हसीना के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है। उन्हें 18 नवंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है। हसीना के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट के बारे में पूछे जाने पर पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि वह अपनी सुरक्षा के लिए भारत आई हैं और यहां रहना जारी रखेंगी।

भारत हर रोल निभाने को तैयार..', रूस-यूक्रेन युद्ध पर पुतिन से बोले पीएम मोदी, फिर भारत और रूस की गहरी दोस्ती आई सामने

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच रूस के कजान शहर में द्विपक्षीय वार्ता हुई। पीएम मोदी रूस में BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कजान पहुँचे थे। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने भारत-रूस संबंधों की मजबूती और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।

पीएम मोदी ने कहा कि पिछले तीन महीनों में उनका यह दूसरा दौरा है, जो दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जुलाई में मास्को में हुई वार्षिक बैठक से दोनों देशों के सहयोग को बढ़ावा मिला है। पीएम मोदी ने रूस की सफल BRICS अध्यक्षता के लिए पुतिन को बधाई दी और इस बात पर खुशी जताई कि अब कई अन्य देश भी BRICS समूह में शामिल होने की इच्छा जता रहे हैं। मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष का जिक्र करते हुए शांति और स्थिरता की जल्द बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि शांति के लिए भारत हर रोल निभाने को तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का हमेशा से मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से होना चाहिए, और भारत के प्रयास मानवता को प्राथमिकता देते हैं। पीएम मोदी ने रूस के कजान शहर में हुए स्वागत के लिए पुतिन का धन्यवाद भी किया और भारतीय दूतावास के नए भवन के उद्घाटन का उल्लेख किया, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे।

राष्ट्रपति पुतिन ने भी पीएम मोदी के स्वागत पर अपनी खुशी व्यक्त की और उन्हें कजान आने के लिए धन्यवाद दिया। पुतिन ने BRICS सम्मेलन के दौरान सभी प्रमुख नेताओं के बीच होने वाली महत्वपूर्ण चर्चा का भी जिक्र किया। उन्होंने जुलाई में दोनों के बीच हुई मुलाकात और फोन पर हुई बातचीत की याद दिलाई। राष्ट्रपति पुतिन ने मजाकिया अंदाज में यह भी कहा कि उनके और पीएम मोदी के संबंध इतने मजबूत हैं कि पीएम मोदी उनकी बात बिना अनुवाद के समझ सकते हैं। इस पर पीएम मोदी ने हंसते हुए प्रतिक्रिया दी, जिससे दोनों नेताओं के बीच सहज और मित्रवत माहौल देखने को मिला।

प्रधानमंत्री मोदी 22 अक्टूबर को कजान पहुँचे थे और अगले दिन, यानी 23 अक्टूबर को, वे BRICS शिखर बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक में पीएम मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी पहुंचे हैं। हाल ही में भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा विवाद पर हुए समझौते के बाद उम्मीद की जा रही है कि BRICS सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं के बीच मुलाकात हो सकती है। इस बैठक ने एक बार फिर भारत और रूस के बीच दोस्ताना संबंधों को मजबूत किया और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों के दृष्टिकोण को साझा किया। PM मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की इस मुलाकात ने दोनों देशों के आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता को फिर से मजबूत किया।

महाराष्ट्र चुनाव: एनसीपी ने जारी की 38 उम्मीदवारों की पहली सूची, बारामती से लड़ेंगे अजित पवार

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महाराष्ट्र चुनाव के एलान के बाद से ही सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। इस बीच आज एनसीपी (अजित गुट) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची में 38 नाम शामिल हैं जिसमें उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार का भी नाम है। उप मुख्यमंत्री अजित पवार बारामती से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अजिर पवार कह चुके थे कि उन्हें बारामती से लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन लिस्ट से उनकी मंशा साफ हो गयी है।

पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट में 38 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। लिस्ट में अजित पवार, दिलीप वालसे पाटिल, धनंजय मुंडे, नरहरी झिरवाल, अदिति तटकरे, हसन मुशरिफ सहित अनिल पाटिल ज्यादातर नाम उन्हीं के है जो सिटिंग विधायक हैं। उनकी ही सीट पर उन्हें टिकट दिया गया है। अजित पवार के बेटे पार्थ को पहले बारामती सीट से लड़ाने की तैयारी थी, लेकिन अजित खुद अपनी सीट पर लड़ रहे हैं और पार्थ पवार के नाम को किसी सीट पर घोषित नहीं किया गया है। छगन भुजबल येओला से, दिलीप वाल्से पाटिल अम्बेगांव से चुनाव लड़ेंगे।

मलिक परिवार को किनारा!

एनसीपी की इस लिस्ट में सिटिंग विधायक नवाब मलिक का नाम नहीं है। उनकी बेटी को उनकी जगह चुनाव लड़ाने की तैयारी थी। उनका नॉमिनेशन को लेकर एनसीपी ने तारीख भी तय कर दी थी, लेकिन बाद में वापस ले ली गई और अब लिस्ट में ही उनका नाम नहीं है, ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी मलिक परिवार को किनारे कर सकती है। वहीं, संयुक्त एनसीपी में जितेंद्र आह्वाड कलवा मुंब्रा से लड़ते रहे हैं, लेकिन उनके सामने अब एनसीपी ने नजीब मुल्ला को टिकट दिया है।

शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी

इससे पहले, एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना ने 45 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। सीएम एकनाथ शिंदे जीत का चौका लगाने के लिए एक बार फिर कोपरी पाचपाखाड़ी से अपनी दावेदारी पेश करेंगे तो वहीं पार्टी ने पैठण से विलास संदिपान भूमरे को चुनावी मैदान में उतारा है।

कैसा है महाराष्ट्र का सियासी समीकरण?

महाराष्ट्र में इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लगभग 25 महीने पहले जून, 2022 में महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिरी थी। इसके बाद भाजपा समर्थित सरकार बनी। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो-फाड़ होने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार के पास 202 विधायकों का समर्थन है। 102 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। अजीत पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 40 विधायक हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 18 विधायक हैं। 14 निर्दलीय विधायकों ने भी एनडीए सरकार को समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को पांच अन्य छोटे दलों का समर्थन भी हासिल है।

प्रियंका गांधी ने वायनाड से किया नामांकन, सोनिया, राहुल और रॉबर्ट वाड्रा भी साथ मौजूद

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प्रियंका गांधी वायनाड लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बुधवार को नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ राबर्ट वाड्रा भी मौजूद रहे। उन्होंने कलपेट्टा में रिटर्निंग ऑफिसर के सामने नामांकन भरा।

नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी कलपेट्टा नया बस स्टैंड पर सुबह रोड शो किया। वायनाड में रोड शो के बाद जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, मुझे 35 साल हो गए हैं, मैं अलग-अलग चुनावों के लिए प्रचार करती रही हूं। यह पहली बार है जब मैं अपने लिए आपका समर्थन पाने के लिए प्रचार कर रही हूं।यह एक बहुत ही अलग एहसास है।

प्रियंका की नव्या हरिदास से टक्कर

प्रियंका गांधी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा ने उनके खिलाफ नाव्या हरिदास को उतारा है। सिंगापुर और नीदरलैंड में काम करके अंतरराष्ट्रीय अनुभव हासिल कर चुकीं हरिदास एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जो एक दशक तक कोझिकोड में एक पार्षद के रूप में भी काम कर चुकी हैं।

प्रियंका गांधी चुनावी पारी की शुरुआत

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। बाद में उन्होंने गांधी परिवार की पारंपरिक रायबरेली सीट को चुना और वायनाड छोड़ दी।जहां से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनावी पारी की शुरुआत कर रही हैं। वायनाड से निर्वाचित होने पर प्रियंका पहली बार किसी सदन की सदस्य बनेंगी।

अब इजराइल ने नसरल्लाह के उत्तराधिकारी को किया ढेर, गद्दी पर बैठने से पहले ही उतारा मौत के घाट
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* इजरायल की एयर स्ट्राइक में लेबनान में हिजबुल्ला के संभावित उत्तराधिकारी हाशेम सफीद्दीन को मार डाला गया है। इजरायली सेना (आईडीएफ) ने मंगलवार को हाशेम साफीद्दीन की मारे जाने की पुष्टि की। साफीद्दीन हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह का चचेरा भाई था। सितम्बर के आखिर में नसरल्लाह की हत्या के बाद साफीद्दीन को उसका उत्तराधिकारी माना जा रहा था। इजराइल सेना ने दावा किया है कि अक्टूबर महीने के शुरू में बेरूत में की गई एक एयर स्ट्राइक में हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह हाशेम सफीद्दीन को मारा गया है। इजराइल ने ये खुलासा हमले के 19 दिन बाद किया है, इस खबर की अभी हिजबुल्लाह की ओर से पुष्टि नहीं की गई है। आईडीएफ के अनुसार, 4 अक्टूबर को हमले के दौरान साफीद्दीन मारा गया था। उसके साथ समूह के खुफिया विभाग के प्रमुख हुसैन अली हाजिमा की भी हत्या कर दी गई थी।इजरायली सेना ने हवाई हमले में बेरूत के दहियाह स्थित हिजबुल्लाह के भूमिगत खुफिया मुख्यालय को निशाना बनाया गया था। इजरायली सेना ने कहा था कि यह लेबनानी राजधानी के दक्षिणी उपनगर में नागरिक आबादी के बीच स्थित था। आईडीएफ ने बताया कि हमले के समय मुख्यालय में हिजबुल्लाह के खुफिया विभाग के 25 से अधिक सदस्य मौजूद थे, जिनमें शीर्ष कमांडर भी शामिल थे। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पहले ही हिजबुल्लाह नेतृत्व को निशाना बनाने में सेना की सफलता की जानकारी दी थी, लेकिन सफीद्दीन का नाम नहीं लिया था। नेतन्याहू ने बयान में कहा था, “हमने लेबनान में जारी अपने हमलों में हजारों आतंकवादियों को मार गिराया है, जिनमें नसरल्लाह खुद और नसरल्लाह के के बाद के नेता भी शामिल थे। वहीं हिजबुल्लाह ने अभी तक सफीदीन की मौत की पुष्टि नहीं की है। साफीद्दीन हिजबुल्लाह के पूर्व नेता हसन नसरल्लाह का चचेरा भाई था। अमेरिका ने उसे साल 2017 में आतंकवादी घोषित किया था। नसरल्लाह की तरह ही साफीद्दीन भी शिया मौलवी था जो उसी की तरह काली पगड़ी पहनता था। सफेद दाढ़ी और चश्मा लगाने वाले साफीद्दीन की शक्ल नसरल्लाह से काफी मिलती थी, लेकिन वह नसरल्लाह से कई साल छोटा था।