दिल्ली बनी गैस चेंबर, कई इलाकों में AQI पहुंचा 400 के पार, इस तरह लोगों को परेशान कर रही जहरीली हवा

#delhi_ncr_pollution_aqi_crossed_400

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। जहरीली हवा ने पूरी दिल्ली को ढक लिया है। दिल्ली अब पूरी तरह से गैस चैम्बर में तब्दील हो चुकी है। वायु प्रदूषण ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है और सांस से जुड़ी बीमारियों समेत कई बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है।

दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को प्रदूषण का स्तर बेहद खराब दर्ज हुआ है। हवा में धूल के कण और जहरीली गैसों की मात्रा भी बढ़ गई है। राजधानी में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गई है।राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार चला गया है। बुधवार सुबह जहांगीरपुरी में 414, आनंद विहार में 403 और नजफगढ़ में 400 एक्यूआई दर्ज किया गया। 400 या उससे ज्यादा एक्यूआई को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। यानी दिल्ली के कई इलाकों में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। इसके साथ ही दिल्ली के ज्यादा इलाकों में एक्यूआई 300 पार हो चुका है। कई जगहों पर एक्यूआई 350 के ऊपर दर्ज किया जा रहा है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली का ओवरआल एयर क्वालिटी इंडेक्स 349 दर्ज किया गया। जबकि यह मंगलवार को 318 पर था। जबकि सोमवार को यह 310 पर था।प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर काबू पाने के लिए दिल्ली में ग्रैप का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है।

समस्या को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पानी का छिड़काव सहित दूसरे उपाये तेज करने का निर्देश दिया है। साथ ही सड़कों पर वाहन कम करने के लिए पर्यावरण मंत्री ने डीटीसी और मैट्रो को फ्रीक्वेंसी और फेरे बढ़ाने के निर्देश दिया है। आदेश के बाद डीटीसी ने फ्रीक्वेंसी बढ़ाई है। वहीं मेट्रो ने 40 फेरे बढ़ा दिए हैं। साथ ही मेट्रो को आगे और ज्यादा फेरे बढ़ाने के लिए कहा गया है। वहीं सड़कों से निजी परिवहन को कम करने के लिए वाहन पार्किंग शुल्क में वृद्धि को लेकर संबंधित विभाग को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।

दिल्ली बनी गैस चेंबर, कई इलाकों में AQI पहुंचा 400 के पार, इस तरह लोगों को परेशान कर रही जहरीली हवा*
#delhi_ncr_pollution_aqi_crossed_400
देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। जहरीली हवा ने पूरी दिल्ली को ढक लिया है। दिल्ली अब पूरी तरह से गैस चैम्बर में तब्दील हो चुकी है। वायु प्रदूषण ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है और सांस से जुड़ी बीमारियों समेत कई बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है। दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को प्रदूषण का स्तर बेहद खराब दर्ज हुआ है। हवा में धूल के कण और जहरीली गैसों की मात्रा भी बढ़ गई है। राजधानी में वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गई है।राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार चला गया है। बुधवार सुबह जहांगीरपुरी में 414, आनंद विहार में 403 और नजफगढ़ में 400 एक्यूआई दर्ज किया गया। 400 या उससे ज्यादा एक्यूआई को गंभीर श्रेणी में रखा गया है। यानी दिल्ली के कई इलाकों में वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। इसके साथ ही दिल्ली के ज्यादा इलाकों में एक्यूआई 300 पार हो चुका है। कई जगहों पर एक्यूआई 350 के ऊपर दर्ज किया जा रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली का ओवरआल एयर क्वालिटी इंडेक्स 349 दर्ज किया गया। जबकि यह मंगलवार को 318 पर था। जबकि सोमवार को यह 310 पर था।प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर काबू पाने के लिए दिल्ली में ग्रैप का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है। समस्या को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पानी का छिड़काव सहित दूसरे उपाये तेज करने का निर्देश दिया है। साथ ही सड़कों पर वाहन कम करने के लिए पर्यावरण मंत्री ने डीटीसी और मैट्रो को फ्रीक्वेंसी और फेरे बढ़ाने के निर्देश दिया है। आदेश के बाद डीटीसी ने फ्रीक्वेंसी बढ़ाई है। वहीं मेट्रो ने 40 फेरे बढ़ा दिए हैं। साथ ही मेट्रो को आगे और ज्यादा फेरे बढ़ाने के लिए कहा गया है। वहीं सड़कों से निजी परिवहन को कम करने के लिए वाहन पार्किंग शुल्क में वृद्धि को लेकर संबंधित विभाग को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
*पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच आज द्विपक्षीय वार्ता, चार साल बाद हो रही मुलाकात पर दुनिया की नजर

#brics_summit_pm_modi_chinese_president_xi_jinping_bilateral_meeting

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को रूस के कजान पहुंचे हैं। यहां वो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। रूस यात्रा के पहले दिन पीएम ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। अब पीएम मोदी बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलेंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी होगी। ये बैठक काफी अहम होगी। दरअसल, लंबे अर्से से चली आ रही भारत और चीन के रिश्तों की तल्खी में हाल के दिनों में कमी आई है। ऐसे में दोनों नेताओं की इस मुलाकात पर दुनिया की नजर होगी।

भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को रूस के कजान शहर में द्विपक्षीय बैठक होगी।विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, मैं पुष्टि कर सकता हूं कि बुधवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। हालांकि उन्होंने इस दौरान इस द्विपक्षीय बैठक को लेकर और कोई अन्य जानकारी नहीं साझा की है।

इससे पहले पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद को लेकर भारतीय और चीनी सैन्य वार्ताकार एक समझौते पर पहुंच गए हैं। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को जानकारी दी थी कि एलएसी पर पेट्रोलिंग को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बन गई है। बीते कुछ हफ्तों में भारत और चीन के वार्ताकार इस मुद्दे पर संपर्क में रहे हैं। विक्रम मिस्री ने कहा है कि हाल में हुए समझौते से दोनों देशों के बीच डिस-इंगेजमेंट हो रहा है और अंततः उन मुद्दों का समाधान हो रहा है जो इन क्षेत्रों में साल 2020 में पैदा हुए थे।

वक्फ बिल पर जेपीसी की बैठक में हंगामे के बाद एक्शन, अमर्यादित आचरण के लिए निलंबित किए गए कल्याण बनर्जी

#tmc_kalyan_banerjee_one_day_suspension

तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी क बार फिर विवादों में हैं। वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में कल्याण बनर्जी को अमर्यादित आचरण के लिए सजा भुगतनी होगी। टीएमसी सांसद को वक्फ विधेयक संबंधी संसदीय समिति से एक दिन के लिए निलंबित किया गया है।बीजेपी के सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और विपक्षी सांसदों के बीच गहमागहमी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि बीच बैठक में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी ने गुस्से में आकर पानी वाली शीशे की बोतल पटक कर तोड़ दी। टीएमसी नेता के इस अशोभनीय व्यवहार के लिए समिति से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया है।

वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। तभी टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी ने एक कांच की बोतल तोड़कर फेंक दी, जिससे उनके अंगूठे और तर्जनी में चोट लग गई। टीएमसी सांसद को तुरंत प्राथमिक उपचार देना पड़ा। उन्हें अपने हाथ में टांके लगवाने पड़े हैं। बाद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आप नेता संजय सिंह उन्हें बैठक कक्ष में वापस ले जाते हुए नजर आए। 

दरअसल, बीजेपी सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति मंगलवार को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और वकीलों के एक समूह के विचार सुन रही थी। इसी समय विपक्षी सदस्यों ने सवाल किया कि इस विधेयक से इनका क्या लेना देना है। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों के बीच नोकझोंक शुरू हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि हंगाम खड़ा हो गया।

BRICS: भारत के लिए कितना अहम, पीएम मोदी का सम्मेलन में शामिल होना कितना फायदेमंद*
#brics_summit_2024_pm_modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए रूस पहुंच गए हैं। पीएम मोदी कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे। पुतिन ने खुद भारतीय प्रधानमंत्री को द्विपक्षीय वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। 22 और 23 अक्तूबर को होने वाले इस सम्मेलन की अध्यक्षता रूस करेगा। इस साल यह समिट भारत के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले साल ब्रिक्स के विस्तार के बाद हो रहा यह पहला सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। साल 2009 में रूस की पहल पर BRIC की स्थापना की गई थी। इसमें ग्रुप में ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। अगले ही साल यानी 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने से यह ब्रिक्स हो गया। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक मंच के रूप में उभर रहा है, जिसमें नई ताकतें शामिल हो रही हैं। 2023 के सम्मेलन में सऊदी अरब, ईरान, मिस्र, और यूएई जैसे देशों की सदस्यता ने इसे और व्यापक बना दिया। ब्रिक्स अब 60 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी और 37.4 प्रतिशत वैश्विक सकल उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है, जो इसे group of seven (G7) से भी ज्यादा शक्तिशाली बनाता है। इस बढ़ते संगठन की भूमिका आने वाले दशकों में वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल सकती है और भारत की इसमें भागीदारी इसे और मजबूत कर रही है। इस समूह को बनाने का उद्देश्य तेजी से बढ़ और विकसित हो रहे देशों को साथ लाना था, जिससे वे पश्चिमी शक्तियों के आधिपत्य वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के सामने अपनी बात रख सकें और अपनी चिंताओं से अवगत करा सकें। इसका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में आपसी आर्थिक सहयोग बढ़ाना है, जिससे विकसित देश खासकर पश्चिमी देश इन पर अपनी नीतियों को थोप न पाएं। इसके चलते इस समूह के मकसद में विकासशील और विकसित देशों में तालमेल कायम रखना भी है। साथ ही एक-दूसरी से राजनीतिक संबंध, एक-दूसरी की संस्कृति की रक्षा करना भी इसमें शुमार है। सीधे-सीधे कहें तो इसका लक्ष्य अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के आधिपत्य वाली वैश्विक व्यवस्था को चुनौती देना है। वैसे तो ब्रिक्स किसी देश के खिलाफ नहीं है पर विकासशील देशों की आवाज उठाने के लिए सशक्त मंच के रूप में देखा जाता है। *ब्रिक्स भारत के लिए मजबूत वैश्विक मंच* भारत हमेशा से ब्रिक्स जैसे संगठनों के लिए प्रतिबद्ध रहा है। यह वास्तव में एक बहुध्रुवीय दुनिया देखना चाहता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मसलों पर पश्चिमी देशों का आधिपत्य न हो। पिछले साल ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इसका स्पष्ट संदेश भी दे चुके हैं कि दुनिया अब बहुध्रुवीय है और अब इसे पुराने नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। वैसे भी ओआरएफ के आर्टिकल में कहा गया है कि भारत हमेशा से बहुत से मंचों के जरिए वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है। ब्रिक्स भी भारत के लिए एक ऐसा ही मंच है, जिसके जरिए वह वैश्विक साउथ की आवाज बन रहा है। *पीएम मोदी-शी जीनपिंग की मुलाकात!* 16 वें ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी न सिर्फ भारत-रूस संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। साल 2020 में भारत-चीन सीमा विवाद के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस सम्मेलन में मुलाकात की पूरी संभावना है। यह बैठक दोनों देशों के बीच संबंधों की बहाली के लिए अहम मानी जा रही है। चीन और भारत के बीच लगातार तनाव के बावजूद, इस मुलाकात से दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी पर नए सिरे से बातचीत की उम्मीद है। *एर्दोगान के बदले रुख के मायने* वहीं, तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगान के साथ पीएम मोदी की मुलाकात को दोनों देशों के बीच आपसी तल्खी दूर करने के तौर पर देखे जाने की संभावना है। तुर्की के राष्ट्रपति पिछले कुछ वर्षों से संयुक्त राष्ट्र व दूसरे मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाते थे लेकिन इस साल संयुक्त राष्ट्र की सालाना अधिवेशन में उन्होंने ऐसा नहीं कहा है। यह उनकी तरफ से भारत को एक सकारात्मक संकेत भेजने के तौर पर देखा गया है।
शांति से हो हर समस्या का समाधान', कजान में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले पीएम मोदी

#brics_summit_vladimir_putin_welcome_narendra_modi

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए मंगलवार को रूस पहुंच गए हैं। कजान पहुंचने पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी का औपचारिक तौर पर स्वागत किया। राष्ट्रपति पुतिन ने इस दौरान पीएम मोदी से कहा कि हमारे संबंध बहुत पुराने हैं। उन्होंने भारत और रूस को ब्रिक्स के मूल सदस्य देश बताया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने स्वागत के लिए पुतिन का धन्यवाद किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं आपकी (पुतिन) मित्रता और गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। इस शहर के साथ भारत के गहरे और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। कजान में भारत के नए कांसुलेट खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे। पिछले 3 महीनों में मेरा दो बार रूस आना हमारे करीबी समन्वय और गहरी मित्रता को दर्शाता है।

शांति से हो रूस-यूक्रेन के संघर्ष का समाधान- पीएम मोदी

मोदी ने पुतिन के सामने यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, मैं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर लगातार आपके संपर्क में रहा हूं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। हम शांति और स्थिरता की जल्द स्थापना का पूरा समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयासों में मानवता को प्राथमिकता दी जाती है। भारत आने वाले समय में हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है।

पुतिन ने क्या कहा

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मुझे याद है कि जुलाई में हमारी मुलाकात हुई थी और कई मुद्दों पर हमारी बहुत अच्छी चर्चा हुई थी। हम कई बार टेलीफोन पर भी बात कर चुके हैं। कजान आने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। आज हम ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाग लेंगे और उसके बाद रात्रिभोज करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान अन्य नेताओं के साथ मिलकर हमें कुछ बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली है। हमारी परियोजनाएं लगातार विकसित हो रही हैं। आपने कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है। हम इसका स्वागत करते हैं। भारत की नीतियों से हमारे सहयोग को फायदा होगा। हमें आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुशी हुई।

भारतीय सेना विवादित पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स पर फिर से पेट्रोलिंग कर सकेगी, भारत चीन दोनों देशों के बीच के रिश्तों में दिखी नरमी

भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने पर सहमति बन गई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के बाद यह निर्णय लिया गया है।

भारतीय विदेश सचिव ने भी इस समझौते की जानकारी दी, जिसके अनुसार दोनों सेनाएं अब अपनी पुरानी स्थिति पर लौटेंगी। इस समझौते के तहत भारतीय सेना विवादित पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स पर फिर से पेट्रोलिंग कर सकेगी, जिससे दोनों देशों के बीच के रिश्तों में थोड़ी नरमी देखने को मिली है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का समाधान करने की दिशा में एक नई शुरुआत है। पिछले कुछ समय में, विशेष रूप से 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से, दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ गया था। हालांकि, हाल की बातचीत के चलते यह आशा की जा रही है कि संबंधों में सुधार हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पिछली बार 2023 में ब्रिक्स बैठक के दौरान बातचीत हुई थी, लेकिन तब कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो पाई थी। जियोपॉलिटिक्स में हुए बदलावों के कारण चीन को पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वह थोड़ी बैकफुट पर नजर आ रहा है।

2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन ने केवल 4 सैनिकों की मौत की पुष्टि की थी। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तल्खी आई थी, लेकिन हाल का समझौता एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।

ज्यादा बच्चे पैदा करने की पैरवी नायडू-स्टालिन, जानें क्या डर सता रहा दोनों नेताओं को

#after_chandrababu_why_stalin_urges_people_to_have_more_kids

भारत की आबादी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। इसकी शुरूआत दक्षिण के राज्यों से ही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपने-अपने राज्यों के लोगों से कहा है कि अधिक बच्चे पैदा करें। आंध्र प्रदेश के सीएम ने राज्य की 'वृद्ध होती आबादी' का मुद्दा उठाया, जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 तक होने वाले परिसीमन के लिए 'समाधान' के रूप में '16 बच्चे' पालने वाले दंपतियों की बात की। मामले को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को जनसांख्यिकीय परिवर्तन के मुद्दे को परिसीमन प्रक्रिया से जोड़ते हुए सुझाव दिया कि राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। तमिनलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं। स्टालिन ने कहा कि अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने जनगणना और लोसकभा परिसीमन प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि नवविवाहित जोड़े अब कम बच्चे पैदा करने का विचार त्याग सकते हैं।

स्टालिन की यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तरफ से अधिक बच्चे पैदा करने की इसी तरह के बयान के एक दिन बाद आई है। इससे पहले नायडू ने रविवार को घोषणा की कि उनका प्रशासन एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहा है जिसके तहत केवल दो या उससे अधिक बच्चे वाले व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने राज्य की बढ़ती उम्र की आबादी और जनसांख्यिकीय संतुलन पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था।

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में आबादी बूढ़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने जीवनकाल में दो से अधिक बच्चों को जन्म देना चाहिए। आंध्र प्रदेश की जन्म दर प्रति महिला 2.1 जीवित जन्मों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। नायडू का कहना था कि हमें अपनी जनसंख्या को मैनेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2047 तक, हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश होगा, अधिक युवा होंगे। 2047 के बाद, अधिक बूढ़े लोग होंगे। ऐसे में यदि दो से कम बच्चे (प्रति महिला) जन्म लेते हैं, तो जनसंख्या कम हो जाएगी। यदि आप (प्रत्येक महिला) दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, तो जनसंख्या बढ़ेगी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिणी राज्यों को 2026 में होने वाले परिसीमन के कारण संसदीय प्रतिनिधित्व में संभावित बदलावों का सामना करना पड़ रहा है। अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है, तो 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा। थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रकाशित ‘भारत के प्रतिनिधित्व का उभरता संकट’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में तमिलनाडु और केरल राज्य मिलकर 16 सीटें खो देंगे।

वक्फ बिल पर बनी जेपीसी की बैठक में बवाल, टीएमसी के कल्याण बनर्जी घायल, जानें पूरा मामला

#tmc_bjp_mp_fight_in_waqf_board_meeting

वक्‍फ बोर्ड बिल को लेकर बनाई गई ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मंगलवार को बैठक हुई।बैठक में भाजपा और टीएमसी के सांसदों के बीच झड़प हो गई। बताया जा रहा कि इस झड़प में टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी चोटिल हो गए हैं। 

दरअसल, वक्फ विधेयक पर संयुक्त समिति की एक बैठक हो रही थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस दौरान टीएमसी सदस्य कल्याण बनर्जी की भाजपा के अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी बहस हो गई। इस दौरान बनर्जी को इतना गुस्‍सा आ गया कि उन्‍होंने पानी की बोतल पहले मेज पर पटकी और फिर जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल की तरफ उछाली दी। इस घटनाक्रम के दौरान बनर्जी के हाथ में भी चोट आई। उन्‍हें चार टांके आए हैं।

कल्याण बनर्जी को सस्पेंड किया जा सकता है

बताया जा रहा है कि वक्फ पर जेसीसी की बैठक में कटक से कुछ लीगल एक्सपर्ट आए थे.. अपनी बात रख रहे थे..कल्याण बनर्जी ने कहा मुझे कुछ पूछना है तो चेयरमैन ने कहा आप पहले भी कई बार बोल चुके हैं। अब नहीं, इस पर बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बीच झड़प हो गई। इस बीच कल्याण बनर्जी की पानी की बोतल तोड़ी और चेयरमैन की तरफ फेंका, अब जेपीसी में मोशन पास किया जा सकता है.. कल्याण बनर्जी को संस्पेंड किया जा सकता है।

सोमवार को भी हुई थी तकरार

इससे पहले सोमवार को भी बैठक में हंगामा हुआ था। अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रेजेंटेशन के दौरान सत्ताधारी बीजेपी और एनडीए सांसदों और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी तकरार और नोंकझोंक हुई थी। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि इस बिल को सिर्फ राजनीतिक कारणों से और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। इस दौरान बीजेपी और विपक्षी दलों के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई।

बैठक की शुरुआत में वक्फ बिल के प्रस्तावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने जेपीसी के सामने करीब 1 घंटे का प्रेजेंटेशन भी दिया और इसकी खामियों को गिनाया। जब ओवैसी प्रेजेंटेशन दे रहे थे तब ओवैसी और बीजेपी सांसद के बीच तीखी तकरार हुई। शोर शराबे के बीच वक्फ बिल पर बैठक करीब 7 घंटे चली।

राम रहीम के खिलाफ पंजाब सरकार ने मुकदमा चलाने की दी मंजूरी, जानें क्या है पूरा मामला*
#punjab_govt_approved_ram_rahim_guru_granth_sahib_sacrilege_cases *

जेल में बंद गुरमीत राम रहीम को बड़ा झटका लगा है।पंजाब की भगवंत मान सरकार ने 2015 के बेअदबी मामलों के सिलसिले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद आया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक को हटा लिया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी मामलों में चार दिन पहले ही स्टे हटाया था। राम रहीम के खिलाफ 9 साल पुरानी फाइल खुल गई है। 2015 के बेअदबी मामलों में राम रहीम के खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर पंजाब सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने मंगलवार को बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में केस चलाने की इजाजत दी। इससे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम की मुश्किल बढ़ गई है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015 में बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ कार्रवाई पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक हटा दी। इससे राम रहीम के खिलाफ केस चलाने का रास्ता साफ हो गया। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने नोटिस भी जारी किया। *क्या है 9 साल पुराना केस* पूरा मामला जून 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुआ था। जिसके बाद फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी साल अक्टूबर में बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए पन्ने बिखरे हुए पाए गए। इस मामले की कार्रवाई के लिए बाबा गुरमीत पर धारा 295ए के तहत मुकदमा चलाने के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी था। इसके बाद पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई। इस घटना के चलते पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। तीन दिन पहले कोर्ट से मिली अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने तीन दिन पहले सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी थी। लगभग ढाई वर्ष पहले पुलिस ने सिरसा डेरा प्रमुख के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी लेकिन हाईकोर्ट ने तीनों मामलों पर रोक लगा दी थी।