संभल शिक्षा के चिराग थे सर सय्यद नाज़िश नसीर खान
ह्यूमन केयर चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान मे सर सय्यद अहमद खान के यौमे पैदाइश के मौके पर सर सैयद की शैक्षिक और साहित्यिक सेवाओं पर उर्दू में लेखन प्रतियोगिता में सफलता पाने वाले छात्र छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
सरायतरीन पुलिस चौकी रोड़ स्थित फ़लक़ स्टडी सर्किल में शिक्षा के क्षेत्र में सर सय्यद अहमद खान के योगदान के बारे में बताते हुए ट्रस्ट के संस्थापक नाजिश नसीर खान ने कहा , कि सर सय्यद खान अपने आप में एक मिशन थे। उन्होने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सटी की शक्ल में तालीम के क्षेत्र में इल्म की एक शमा जलाकर समाज पर एक बहुत बड़ा एहसान किया है।
जिसको रहती दुनिया तक याद रखा जाएगा। सर सैयद अहमद खान हिन्दुस्तानी शिक्षक और नेता थे। जिन्होंने भारतीयो के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की। इन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयकी स्थापना की। उन्होने अपने बेहतरीन लेखों के माध्यम से कौम में शिक्षा व संस्कृति की भावना जगाने की कोशिश की।
तालीम तरक्क़ी का एक वाहिद हथियार है। जिसके ज़रिए इंसान अपनी और अपने कौम की तरक्की हासिल कर सकता है।
सर सैयद अहमद खान चाहते थे , कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में विज्ञान हो. यह वो दौर था जब मुसलमान शिक्षा के मामले में पिछड़े हुए थे।
एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां का आज यौमे पैदाइश हर कोई मना रहा है। एएमयू के पीछे सर सैयद का एक ही सपना था ।कौम अशिक्षा के अंधेरे से बाहर निकले। वो चाहते थे कि कैंब्रिज और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरह ही छात्र शिक्षा लें। समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करें।
उन्होंने कुरान की शिक्षाओं के साथ-साथ पश्चिमी वैज्ञानिक शिक्षा को भी शामिल करने की कोशिश की।
सर सैयद अहमद खां की यौमे पैदाइश के अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान की चर्चा करते हुए अरशद खान ने कहा कि सर सय्यद अहमद खां ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाकर समाज के बच्चों को शिक्षित बनाने का काम किया है।
विख्यात मुस्लिम सुधारक और विद्वान सर सैयद अहमद खान को अमूमन मुसलमानों से जोड़कर देखा जाता है।लेकिन वह सारे हिंदुस्तानियों की बात करते थे। वह राष्ट्रीय एकता और अखडता के प्रबल समर्थक थे।
देश व समाज की कमज़ोर हालत को देखकर उनको ऊपर उठाने के लिए आगे आए। सर सैयद का हमेशा यही कहना था कि हिंदू-मुस्लिम एकता के ज़रिए ही सपनों का भारत बनाया जा सकता है।
मुहम्मद फ़हीम ने कहा कि सर सैयद ने तालीम को तरक्की का सबसे बड़ा हथियार बताया ।और इसी फलसफे को लेकर आगे बढ़े।
राष्ट्रीय एकता को लेकर सर सैयद किस कदर संजीदा थे उसका अंदाज़ा उनके एक बयान से लगाया जा सकता है। उन्होंने हिंदू और मुसलमान को दो आखें बताया था। इससे उनकी मुराद यह थी कि दोनों में से किसी एक को तकलीफ होगी तो दूसरे को भी दर्द होगा।
अन्त में ट्रस्ट के संस्थापक नाजिश नसीर ने
सर सैयद की शैक्षिक और साहित्यिक सेवाओं पर उर्दू में एक लेखन प्रतियोगिता मे सफलता पाने वाली प्रथम आने वाली हुम्मुल फरहा ज़ैड यूं इंटर कालेज अब्दुल्ला फरहान होली सुफ्फा स्कूल मोहम्मद रेहान मोहम्मद असद इलाइट जूनियर हाई स्कूल मोहम्मद उस्मान मोहम्मद साद मोहम्मद रेहान बैबी गार्डन पब्लिक स्कूल छात्र छात्राओं को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित कियाl
इस मौके पर मोहम्मद साकिब आज़म खान मोहम्मद फहीम नाज़िर खान अबूज़र मलिक रिज़वान खान आदि शामिल रहे।
Oct 21 2024, 18:59