बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

#rsschiefmohanbhagwatwarnedindiabygivingexampleofbangladesh

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

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“बांग्लादेश जैसा उपद्रव भारत में भी हो सकता है”? किस खतरे की ओर है भगवात का इशारा

अगस्त में पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ, जिसके बाद देश के नेताओं ने यहां तक कह दिया कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्री आवास में जिस तरह लूट-खसोट हुई, वैसा ही दृश्य भारत में भी देखा जा सकता है। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी के हैं। इनमें एक तो केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उस वक्त बीजेपी नेताओं ने आपत्तियां दर्ज की थी। अब दशहरे के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता की तुलना भारत से कर दी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 'बांग्लादेश में हिंसा जैसी स्थिति भारत में पैदा करने की कोशिश', 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार' जैसे मुद्दे पर टिप्पणी की।

संघ प्रमुख ने कहा कि 'डीप स्टेट', 'वोकिज्म', 'कल्चरल मार्क्सिस्ट' शब्द इस समय चर्चा में हैं और ये सभी सांस्कृतिक परंपराओं के घोषित दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक मूल्यों, परंपराओं और जहां जहां जो कुछ भी भद्र, मंगल माना जाता है, उसका समूल उच्छेद (पूरी तरह से ख़त्म करना) इस समूह की कार्यप्रणाली का अंग है। भागवत ने आगे कहा, समाज में अन्याय की भावना पैदा होती है। असंतोष को हवा देकर उस तत्व को समाज के अन्य तत्वों से अलग और व्यवस्था के प्रति आक्रामक बना दिया जाता है। व्यवस्था, कानून, शासन, प्रशासन आदि के प्रति अविश्वास और घृणा को बढ़ावा देकर अराजकता और भय का माहौल बनाया जाता है. इससे उस देश पर हावी होना आसान हो जाता है।

भागवत ने आगे कहा कि तथाकथित 'अरब स्प्रिंग' से लेकर पड़ोसी बांग्लादेश में हाल की घटनाओं तक, एक ही पैटर्न देखा गया। हम पूरे भारत में इसी तरह के नापाक प्रयास देख रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत अधिक ताकतवर हुआ है और विश्व में उसकी साख भी बढ़ी है लेकिन मायावी षडयंत्र देश के संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं।

भागवत ने कहा क शिक्षा संस्थान, बौद्धिक जगत में कब्जा कर विचारों में विकृति पैदा करने की कोशिश करते हैं। ऐसा माहौल बनाते है कि हम ही अपनी परंपरा को तुच्छ समझें। उन्होंने कहा कि समाज की विविधताओं को अलगाव में बदलने की कोशिश करना, लोगों में टकराव की स्थिति पैदा करना, सत्ता, प्रशासन, कानून, संस्था सबके प्रति अनादर का व्यवहार सिखाना... इससे उस देश पर बाहर से वर्चस्व चलाना आसान है।

अब सवाल ये है कि भागवत के बयान में इशारा किसकी तरफ है। संघ ने हमेशा आरोप लगाया है कि भारत की संस्कृति 'हिंदू संस्कृति' है उसे 'सांस्कृतिक मार्क्सवाद' के माध्यम से नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल, संघ का इशारा उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की तरफ है, जिसे बाहरी लोग फंडिंग करते हैं और इनसे भारत विरोधी गतिविधियां करते। संघ का दावा है कि दुनिया भर के कई अंतरराष्ट्रीय संगठन भारत में विभिन्न संगठनों को वित्तीय सहायता देते हैं, यह सहायता भारत में विकास में बाधा डालने के लिए है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में उन तमाम गैर-सरकारी संगठनों पर नकेल कसी है, जो कथित तौर पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते थे। राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक व्यवस्था को पुख्ता करने का काम केंद्रीय गृह मंत्रालय का होता है और मंत्रालय ने ऐसे ही संगठनों के खिलाफ जांच और उचित कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ, जो संगठन देश और देशवासियों के लिए जनकल्याण की भावना से काम करते हैं और भारतीय कानून को मानते हैं, सरकार की तरफ से उचित मदद भी दी जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद से ही देश में रजिस्टर्ड एनजीओ की गहरी छानबीन शुरू हुई और पड़ताल में हजारों एनजीओ नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते पाए गए। सरकार ने ऐसे एनजीओ पर लगाम कसना शुरू किया और उन सारे एनजीओ के लाइसेंस कैंसल करने लगी जो नियमों के पालन में हीला-हवाली करते पाए गए। सरकार की कार्रवाई का शिकार कई मशहूर अंतरराष्ट्रीय एनजीओ भी हुए जिन्होंने भारतीय कानूनों की अनदेखी की थी।

गाजा पर मौत बनकर बरस रहा इजरायल, एयर स्ट्राइक में 33 फिलिस्तीनियी मारे गए

#israeli_strike_kills_several_people_in_jabalia

मध्य एशिया में तनाव बढ़ता ही जा रहा है।इजरायल की सेना ने एक बार फिर उत्तरी गाजा पट्टी में जबालिया शिविर पर एयर स्ट्राइक करके बमबारी की। हमले में 30 से ज्यादा लोग मारे गए। मरने वालों में 21 महिलाएं शामिल हैं। गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि जबालिया के पास शुक्रवार रात इजराइली हमले में एक शरणार्थी शिविर में 33 लोग मारे गए।

एजेंसी के प्रवक्ता महमूद बस्सल ने 33 मौतों और दर्जनों घायलों का ऐलान किया। वहीं अल-अवदा अस्पताल के एक सूत्र ने बताया कि इससे पहले उसने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए ताल अल-जातर शिविर पर हमले के बाद 22 लोगों की मौत और 70 लोगों के घायल होने की बात दर्ज की थी।

उधर, हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि इजराइली हवाई हमले में 33 फलस्तीनियों की मौत हो गई। कई पीड़ितों के मलबे और इमारतों के नीचे फंसे होने के कारण मौतों की संख्या 50 तक पहुंच सकती है। इजाराइल द्वारा की गई बमबारी में 85 से अधिक लोग घायल हुए हैं, इनमें कुछ को गंभीर चोटें आई हैं। कहा कि इस्राइली सेना ने जबालिया शिविर में कई घरों पर बमबारी की।

हालांकि, इजराइली सेना ने अभी तक इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है। एक दिन पहले इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बयान में कहा कि जब तक बंधकों को रिहा नहीं किया जाता तब तक देश की सेना लड़ती रहेगी और हमास को कमजोर करने के लिए गाजा में तैनात रहेगी। दोनों पक्षों का यह रुख इस बात का संकेत देता है कि दोनों ही संघर्ष को समाप्त करने के करीब नहीं हैं।

पुतिन बोले-अब ब्रिक्स देश चलाएंगे दुनिया की अर्थव्यवस्था, दुनिया में एक ही करेंसी का वर्चस्व नहीं रहा

#russia_president_putin_said_brics_countries_lead_world_economy

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले शुक्रवार को बड़ी बात कही। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि अब दुनिया की अर्थव्यवस्था को पश्चिमी देश नहीं, बल्कि ब्रिक्स देश चलाएंगे। पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स समूह पश्चिम विरोधी नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य वैश्विक आर्थिक विकास को गति देना है। उन्होंने ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन करते हुए कहा कि इसका दरवाजा सभी देशों के लिए खुला है।पुतिन ने ये बयान अगले हफ्ते आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले कही है।

रूस में ब्रिक्स देशों के सम्मेलन से पहले शुक्रवार को राष्ट्रपति पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि अब दुनिया की अर्थव्यवस्था को पश्चिमी देश नहीं, बल्कि ब्रिक्स के देश चलाएंगे।अपने संबोधन में पुतिन ने डॉलर का नाम लिए बिना कहा कि रूस की पहल से अब दुनिया में एक ही करेंसी का वर्चस्व नहीं रहा। आज सभी देश अपनी करेंसी में व्यापार कर रहे हैं। पुतिन ने ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक को वैश्विक दक्षिण के लिए एकमात्र बैंक बताया जो विकास के लिए काम कर रहा है।

रूसी राष्ट्रपति कहा कि ब्रिक्स समूह के देशों की साझा जीडीपी 60 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जो कि जी-7 देशों की जीडीपी से ज्यादा है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिक्स देशों की भूमिका वैश्विक अर्थव्यवस्था में भविष्य में और बढ़ेगी। पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देश वास्तव में वैश्विक आर्थिक विकास के मुख्य चालक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में वैश्विक जीडीपी में बढ़ोतरी खासतौर पर ब्रिक्स समूह की वजह से ही होगी।

पुतिन ने यह भी कहा कि 1992 में जी-7 देशों की हिस्सेदारी 45.5 फीसदी थी, जबकि ब्रिक्स देशों की देशों की हिस्सेदारी 16.7 फीसदी थी। लेकिन 2023 में ब्रिक्स की हिस्सेदारी बढ़कर 37.4 फीसदी हो गई है, जबकि जी-7 देशों की हिस्सेदारी 29.3 फीसदी रह गई है। पुतिन ने कहा कि इसमें बढ़ती हुई खाई दिखाई दे रही है और यह बढ़ती ही रहेगी, यह जरूरी भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्रिक्स का केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान ही नहीं है। बल्कि समूह की ओर से किए कामों से सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने और सतत विकास सुनिश्चित करने के ठोस नतीजे मिलते हैं, जो वास्तव में देशों के आम नागरिकों की भलाई और जीवन में स्तर में सुधार करता है।

पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों के संस्थान पश्चिमी देशों के संस्थानों के विकल्प के रूप में काम कर रहे हैं और जल्द ही उन्हें पीछे छोड़ देंगे।पुतिन ने कहा कि ब्रिक्स देशों में शामिल होने के लिए कई देशों ने रुचि दिखाई है, जिसमें इथियोपिया, इजिप्ट, ईरान, और अर्जेंटीना सहित 30 देश शामिल हैं। सभी के लिए दरवाजे खुले हैं, हम किसी को मना नहीं कर रहे हैं। हम सबको लेकर आगे बढ़ने में विश्वास करते हैं। जितने देश ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं, उनका स्वागत है।

फिर दिखा पुतिन का भारत प्रेम, पीएम मोदी की यूक्रेन युद्ध पर चिंता से लेकर भारतीय फिल्मों तक पर की बात

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें ब्रिक्स समिट में भाग लेने के लिए 22-23 अक्टूबर तक रूस का दौरा करेंगे। इससे पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी और भारतीय फिल्मों की जमकर सराहना की। पुतिन का कहना है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध को लेकर फिक्रमंद रहते हैं।इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर चिंता जताने और समाधान निकालने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया।

पीएम मोदी का जताया आभार

रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन विवाद पर सवाल हुआ था। इस पर जवाब देते हुए रूसी प्रेसीडेंट ने कहा कि जब भी बातचीत होती है तो पीएम मोदी हर बार इस मुद्दे (यूक्रेन-रूस युद्ध) को उठाते हैं और अपने विचार व्यक्त करते हैं।पुतिन ने कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा संघर्ष के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी हितधारकों के साथ संवाद व कूटनीति के महत्व पर जोर दिया है। इसके लिए हम पीएम मोदी आभार भी व्यक्त करते हैं।

यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति की समयसीमा तय करना आसान नहीं-पुतिन

मॉस्को में विदेशी पत्रकारों के एक समूह से बातचीत के दौरान पुतिन ने कहा कि रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन अमेरिका और पश्चिमी देश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नाटो यूक्रेन के लिए युद्ध लड़ रहा है, जो सही नहीं है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस दौरान कहा कि यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति के लिए समयसीमा तय करना आसान नहीं है। इसकी कोई समय सीमा तय करना मुश्किल और प्रतिकूल होगा। हालांकि उन्होंने रूस की जीत का दावा जरूर किया।

पुतिन ने की भारतीय फिल्मों की सराहना

इस दौरान पुतिन ने भारतीय फिल्मों की जमकर सराहना की। साथ ही उन्होंने रूस में भारतीय फिल्मों के प्रसारण को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर भी जोर दिया। पुतिन ने कहा कि अगर हम ब्रिक्स देशों को देखें, तो मुझे लगता है कि हमारे यहां भारतीय फिल्में सबसे लोकप्रिय हैं। एक टीवी चैनल पर तो चौबीसों घंटे भारतीय फिल्में दिखाई जाती हैं। हमें भारतीय फिल्मों में बहुत रुचि है। हम इस साल मॉस्को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में बीआरसीआईएस देशों की फिल्में पेश करेंगे।

रूस में अगले हफ्ते होगा ब्रिक्स सम्मेलन

रूस के कजान में अगले हफ्ते ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने जा रहा है।ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की 16वीं बैठक रूस के कजान में आयोजित की जाएगी। ब्रिक्स के इस साल के शिखर सम्मेलन का विषय 'वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' है।ग्रुप के नौ सदस्यों तक विस्तार होने के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है। मिस्र, ईरान, इथियोपिया और यूएई इस साल दक्षिण अफ्रीका में 2023-समिट में सदस्यता की पेशकश के बाद ग्रुप में शामिल हुए थे।

क्या अब आतिशी को भी जेल जाना होगा, तिहाड़ से निकलते ही सत्येंद्र जैन ने क्यों कही ये बात?

#satyendra_jain_said_atishi_you_will_have_to_go_to_jail

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में कोर्ट से जमानत मिलने के कुछ घंटे बाद शुक्रवार रात को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जैन का तिहाड़ के बाहर स्वागत किया।इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए सतेन्द्र जैन बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि अब आतिशी को भी जेल जाना पड़ सकता है।

द‍िल्‍ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन 18 महीने बाद तिहाड़ जेल से बाहर आ गए हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत दी थी। उन्हें 50 हजार रुपये के मुचलके पर सशर्त जमानत दी गई है। हालांकि कोर्ट ने उनके देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई है। इससे पहले उन्हें पिछले साल मई में स्वास्थ्य कारणों के चलते जमानत दी गई थी। तब वह 10 महीने तक बेल पर रहे थे।

जेल से बाहर आते ही जैन ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया और जमकर हमला बोला। उन्होंने बीजेपी पर एक बाद एक कई तंज कसे। इसी क्रम में उन्होंने दिल्ली की सीएम आतिशी से कहा कि आतिशी जी आपको भी जेल जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जो भी काम करता है ये सरकार उसे जेल में डाल देती है।

सत्येंद्र जैन ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और संजय सिंह हम सभी को जेल में डाला गया। अब दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की बारी है। अब आतिशी को जेल जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने पहले ही कहा था कि ये राजनीति आग का दरिया और तैर के जाना है। मतलब जेल तो जाना ही पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल के कामों को रोकने के लिए मुझे गिरफ्तार किया गया था। मैं मोहल्ला क्लीनिक बना रहा था और मरीजों की सुविधाओं के लिए काम कर रहा था, उसे रोकने के लिए ही मुझे गिरफ्तार किया गया। मैं यमुना को भी साफ कराने का काम कर रहा था, लेकिन उस काम में भी अड़ंगा लगाया गया लेकिन अब एक बार फिर से हम सब मिलकर ये काम करेंगे।

सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया था।सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने 2009-10 और 2010-11 में फर्जी कंपनियां बनाईं। इन कंपनियों में अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

ईडी ने इस मामले में सत्येंद्र जैन के अलावा जिन्हें आरोपी बनाया है, उनमें उनकी पत्नी पूनम जैन, अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन, अंकुश जैन, मेसर्स अकिंचन डेवलपर्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल है।

तमिलनाडु में हिंदी दिवस मनाने को लेकर विवाद, सीएम स्टालिन ने पीएम मोदी को लिखा खत, जानें क्या कहा?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में स्टालिन ने आग्रह किया कि वे केंद्र सरकार के उन फैसलों पर पुनर्विचार करें, जिनमें गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी आधारित कार्यक्रम आयोजित करने की बात की गई है। उन्होंने दावा किया है कि ऐसे कार्यक्रमों से विभिन्न भाषाई पहचान वाले क्षेत्रों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है।

पीएम मोदी को लिखे पत्र में स्टालिन ने भारत की भाषाई विविधता को मान्यता देने और उसे मनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, अगर केंद्र सरकार इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना चाहती है, तो मैं सुझाव दूंगा कि प्रत्येक राज्य में स्थानीय भाषा को समान महत्व दिया जाए।

स्टालिन ने सुझाव दिया कि अगर केंद्र सरकार इस तरह के आयोजन जारी रखती है तो उसे संबंधित राज्यों में स्थानीय भाषा माह के उत्सव को समान रूप से बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने आगे प्रस्ताव दिया कि भारत सरकार देश की विविध भाषाई संस्कृतियों के बीच मजबूत बंधन और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए अपने-अपने राज्यों में संघ द्वारा मान्यता प्राप्त सभी शास्त्रीय भाषाओं की समृद्धि का जश्न मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करे। चिट्ठी में भारत की बहुभाषी विरासत को पोषित करने के महत्व और किसी एक भाषा को विशेष दर्जा देने से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया गया, स्टालिन का कहना है कि देश भर में भाषाई विविधता को समान गर्मजोशी और सम्मान के साथ मनाया जाए।

स्टालिन ने यह पत्र चेन्नई दूरदर्शन के स्वर्ण जयंती समारोह को हिंदी माह के समारोहों के साथ मिलाने के फैसले के जवाब में लिखा। स्टालिन ने यह भी सुझाव दिया कि केंद्र सरकार उन सभी शास्त्रीय भाषाओं का सम्मान करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करे, जिन्हें सरकार ने मान्यता दी है। उन्होंने कहा, यह दृष्टिकोणी सभी समुदायों के बीच बेहतर संबंधों को बढ़ावा दे सकता है।

दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत, जेल से आएंगे बाहर

#delhi_rouse_avenue_court_grants_bail_to_satyendar_jain

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन 18 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे। राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दे दी है। कोर्ट से रिलीज ऑर्डर भी जारी हो गया है। सत्येंद्र जैन आज ही बाहर आएंगे। कोर्टने जैन को शर्तों के साथ राहत दी है। उन्हें 50 हजार रुपये का मुचलका भरना होगा। वो किसी भी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे। इसके साथ ही वो देश से बाहर नहीं जाएंगे।

राउज एवेन्यू की ट्रायल कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को जमानत दी है। ट्रायल कोर्ट ने मनीष सिसोदिया के केस के जजमेंट को फॉलो किया है। सत्येंद्र जैन को 50 हजार के बॉन्ड पर जमानत दे दी गई है। उनके वकील ने कहा कि वो आज जेल से बाहर आ सकते हैं।

दिल्ली के पूर्व सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा, सत्येंद्र जैन को भी दो साल से ज़्यादा जेल में रहने के बाद बेल मिल गई. इनका कसूर क्या था? इनके यहाँ कई कई बार रेड हुई। एक पैसा भी नहीं मिला। इनका क़सूर सिर्फ़ इतना था कि इन्होंने मोहल्ला क्लिनिक बनाये और दिल्ली के सभी लोगों का पूरा इलाज मुफ्त कर दिया। मोहल्ला क्लिनिक बंद करने के लिए और ग़रीबों का फ्री इलाज रोकने के लिए मोदी जी ने इन्हें जेल में डाल दिया। लेकिन भगवान हमारे साथ है। आज ये भी रिहा हो गए। Welcome back Satyendra!"

जैन को जमानत मिलने पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि सत्यमेव जयते। देश का संविधान ज़िंदाबाद। झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाकर सत्येंद्र जैन को इतने लंबे समय जेल में रखा। चार बार उनके घर पर रेड की। कुछ मिला नहीं फिर भी पीएमएलए का झूठा केस बनाकर जेल में डालकर रखा। देश की न्यायपालिका को सच और न्याय का साथ देने के लिए धन्यवाद। आज रात 8-9 बजे के बीच सत्येंद्र जैन जेल से बाहर आएंगे।

आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन पर आरोप है कि उन्होंने 2009-10 और 2010-11 में फर्जी कंपनियां बनाईं। इन कंपनियों में अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

ईडी ने इस मामले में सत्येंद्र जैन के अलावा जिन्हें आरोपी बनाया है, उनमें उनकी पत्नी पूनम जैन, अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन, अंकुश जैन, मेसर्स अकिंचन डेवलपर्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स प्रयास इंफो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आइडियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करेंगे अखिलेश जहां AIMIM का है मजबूत आधार, पढ़िए, कैसे दिलचस्प होगा

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर हमेशा से तनाव रहा है। अब, अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव को कम करने के लिए एक नई रणनीति बनाई है।

अखिलेश यादव ने अपने मिशन-महाराष्ट्र की शुरुआत मुस्लिम बहुल इलाकों से करने का निर्णय लिया है, जहां AIMIM का मजबूत आधार है। वे 17 और 18 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मालेगांव और धुले में कार्यक्रमों में भाग लेने जा रहे हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में मालेगांव और धुले में AIMIM ने शानदार प्रदर्शन किया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यह क्षेत्र ओवैसी के लिए महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव अब ओवैसी के गढ़ से अपनी चुनावी ताकत को दिखाना चाहते हैं। ओवैसी ने लगातार यह दावा किया है कि कांग्रेस और एनसीपी केवल मुस्लिम वोट लेते हैं लेकिन उनके मुद्दों की अनदेखी करते हैं। वे मुस्लिमों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए इसी नारे का उपयोग कर रहे हैं। इसके विपरीत, अखिलेश यादव का प्रयास है कि वे ओवैसी की पार्टी से मुस्लिम वोटरों का समर्थन प्राप्त करें। हालाँकि, महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और NCP (शरद गुट) की नज़र भी मुस्लिम वोटर्स पर हैं, जो भाजपा के खिलाफ किसी भी विपक्षी पार्टी को एकमुश्त वोट देते रहे हैं, फिर चाहे उम्मीदवार कोई भी हो। उद्धव गुट और कांग्रेस में तो मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों को लेकर खींचतान भी चल रही है, क्योंकि इन सीटों पर विपक्ष की जीत की संभावना अधिक है, अब इन्ही वोटर्स के लिए सपा और AIMIM ने भी बाहें खोलना शुरू कर दिया है।

सपा का महाराष्ट्र में प्रदर्शन 2009 में सबसे अच्छा रहा था, जब उन्होंने 4 सीटें जीती थीं। हाल के चुनावों में यह संख्या घटकर एक और दो रह गई। सपा की योजना 2024 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक से अधिक सीटें जीतने की है, जिसमें मालेगांव, भायखला, और ठाणे जैसी सीटें शामिल हैं। अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन में भी भागीदारी की योजना बनाई है और 12 सीटों की मांग रखी है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल हैं। उनका मुख्य उद्देश्य यह है कि वे ओवैसी के प्रभाव को चुनौती दें और यह संदेश दें कि मुस्लिम समुदाय का विश्वास ओवैसी पर नहीं, बल्कि सपा पर है। अब यह देखना होगा कि महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय पर कौन अधिक प्रभाव डालने में सफल होता है और चुनावी खेल में किसकी रणनीति सफल होती है।

उत्तरप्रदेश उपचुनाव: कांग्रेस 5 सीट पर अड़ी, लेकिन सपा ने कहा- 2 से ज्यादा नहीं ! जानिए, कैसे हो रही है खींचतान

उत्तर प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। इन चुनावों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर खींचतान जारी है। सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि कांग्रेस ने केवल दो सीटों—खैर (अलीगढ़) और गाज़ियाबाद—पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है, जबकि बाकी आठ सीटों पर सपा चुनाव लड़ेगी। हालाँकि, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इससे अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि वे अभी भी पांच सीटों की मांग पर अड़े हैं।

सपा ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। मीरापुर से सुंबुल राणा को मैदान में उतारा गया है, जो पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू हैं और पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। जिन 10 सीटों पर उपचुनाव संभावित हैं, उनमें मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, और मुरादाबाद की कुंदरकी सीटें शामिल हैं। हालांकि, फिलहाल केवल 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीख घोषित हुई है; मिल्कीपुर सीट की तारीख का अभी ऐलान नहीं हुआ है।

सपा के उम्मीदवारों में मीरापुर के अलावा करहल से तेज प्रताप यादव, फूलपुर से मुस्तफा सिद्दीकी, मिल्कीपुर से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद, मझवां से पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद, कटेहरी से लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा, और सीसामऊ से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला के शपथ-ग्रहण के बाद पहली हत्या, आतंकियों ने बिहारी मजदूर को मारी गोली

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकवादियों ने एक बार फिर गैर-कश्मीरी युवक को निशाना बनाते हुए उसकी गोली मारकर हत्या कर दी है। घटना के बाद सुरक्षाबल मौके पर पहुंचे और पूरे इलाके को घेर लिया है। मृतक के शव को अस्पताल भेज दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की पहचान बिहार के रहने वाले अशोक चौहान के रूप में हुई है। पुलिस ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए छानबीन शुरू कर दी है। पुलिस ने लोगों से आग्रह किया है कि वे किसी भी जानकारी के लिए उनके साथ सहयोग करें।

जम्मू-कश्मीर में संगठित आतंकवाद की गतिविधियों में कमी आने के बाद भी टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पिछले वर्ष भी आतंकियों ने कई हिंदू और गैर-कश्मीरी लोगों की चुन-चुनकर हत्या की थी। अनंतनाग, पुलवामा और पुंछ में इस तरह की कई घटनाएं सामने आई थीं। इसी साल फरवरी में श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में आतंकियों ने सिख समुदाय के दो व्यक्तियों को भी AK राइफल से गोली मारी थी, जिसमें अमृतसर के निवासी अमृत पाल और रोहित की मौत हुई थी। इससे पहले पुलवामा में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या की थी और मई 2023 में अनंतनाग में एक अन्य व्यक्ति को भी निशाना बनाया गया था।

इस घटना को उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के बाद आतंकियों द्वारा की गई पहली गैर-कश्मीरी हत्या के रूप में देखा जा रहा है। चुनाव प्रचार और मतदान के दौरान आतंकियों ने कोई बड़ी हरकत नहीं की, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वे चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जम्मू-कश्मीर की नई सरकार आतंकवादियों के खिलाफ किस तरह की रणनीति अपनाती है और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाती है।