राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा शरद पूर्णिमा कार्यक्रम और महर्षि वाल्मीकि जयंती का आयोजन उत्साहपूर्वक संपन्न
झुमरी तिलैया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में गुरुवार को शरद पूर्णिमा और महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर शिवतारा सरस्वती विद्या मंदिर में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने शरद पूर्णिमा के महत्व को समझाते हुए खीर का प्रसाद वितरित किया और महर्षि वाल्मीकि के जीवन और उनके योगदान को याद किया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर भारत माता, डॉ. हेडगेवार, गुरुजी, और महर्षि वाल्मीकि के चित्रों की पूजा-अर्चना से हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह संजय कुमार ने इस अवसर पर अपने बौद्धिक संबोधन में महर्षि वाल्मीकि के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि कहा जाता है, जिन्होंने रामायण जैसे महान ग्रंथ की रचना की। इस महाकाव्य में राजनीति, दर्शन, नैतिकता, शासन कुशलता और मनोविज्ञान का विस्तृत विवरण मिलता है। यह दर्शाता है कि महर्षि वाल्मीकि विविध विषयों के प्रकांड विद्वान थे। प्रांत कार्यवाह ने यह भी बताया कि महर्षि वाल्मीकि के रामायण में दिए गए खगोलीय विवरणों को आधुनिक विज्ञान ने भी सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि गुरुकुल परंपरा के पहले कुलपति माने जाते हैं, जिनका आश्रम तमसा नदी के किनारे स्थित था, जहां वेदों और अन्य विषयों की शिक्षा दी जाती थी। चेन्नई के पास तिरुवनमीयुर में स्थित महर्षि वाल्मीकि का 1300 वर्ष पुराना मंदिर है, जहाँ महर्षि ने रामायण की रचना के बाद कुछ समय तक विश्राम किया था। महर्षि वाल्मीकि का प्राकट्य दिवस अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जिसे वाल्मीकि जयंती के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। शरद पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रांत कार्यवाह ने बताया कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ आकाश में चमकता है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा से अमृत वर्षा होने की मान्यता है, इसलिए इस दिन खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने की परंपरा है। यह खीर अमृत समान मानी जाती है और इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। कई लोग इस दिन सूई में धागा पिरोने का कार्य भी करते हैं, जिससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। कार्यक्रम में संघ के शताब्दी वर्ष को लेकर भी चर्चा हुई। प्रांत कार्यवाह ने बताया कि संघ इस महत्वपूर्ण वर्ष में सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य जैसे समाज में पंच परिवर्तन पर काम कर रहा है, जो समाज के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम में संजय कुमार का परिचय सुनील रजक ने कराया, जबकि मुख्य शिक्षक विशाल कुमार ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं। इस अवसर पर सामूहिक गीत राजेंद्र मिस्टकार ने प्रस्तुत किया, अमृत वचन अमित कुमार ने दिया, और एकल गीत मुरली सिंह ने गाया। ध्वज प्रणाम सिद्धि प्रसाद द्वारा किया गया। कार्यक्रम में नगर संचालक रामावतार केशरी, सह संचालक डॉ. आर.के. दीपक, प्रिंस राणा, रवि कुमार, विजय राणा, सतीश सिंह, नीरज सिंह, वीरेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व डीआईजी राजीव रंजन सिंह, सुरेश प्रसाद, अजय वर्मा, नारायण सिंह, डॉ. अजय पाठक, रमेश सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. संदेश कुमार गुप्ता, लाला बहादुर चौधरी, मनोज चंद्रवंशी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
Oct 18 2024, 18:35