*तीन मजदूर पांच महीने में तैयार करते हैं ईरानी थीम की ‘जंगल’ कालीन*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। 47वें कालीन मेले में विदेशी खरीदारों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए निर्यातक नए-नए डिजाइन पर जोर देर रहे हैं। उनका मानना है कि परंपरागत चीजों को आधुनिक रूप में पेश किया जाए तो खरीदों को आकर्षित किया जा सकता है।कालीन मेले में ईरानी थीम पर बनी 'जंगल' कालीन खरीदारों की पसंद बनी है। इस कालीन की खासियत है कि पहली दफा देखने पर यह सामान्य कालीन लगेगी, लेकिन जैसे ही थोड़ा ध्यान देंगे इसमें जंगल की डिजाइन उभर कर आएगी। इसको भदोही के अनुभवी कारीगरों ने तैयार किया है।भदोही की हस्तनिर्मित कालीनों की हमेशा से अलग पहचान रही हैं। समय के साथ हो रहे बदलावों को अपनाकर बॉयरों को अपने साथ जोड़ना हर एक निर्यातक की चाहत होती है। इसी प्रयास में निर्यातक परंरागत डिजाइन व कलर को आधुनिकता के साथ जोड़कर खरीदों को अपनी ओर खींच रहे हैं। कालीन मेले में ऐसी ही एक खास कालीन भदोही के निर्यातक संजय और ब्रजेश गुप्ता ने तैयार कराया है। ईरानी थीम की इस कालीन का नाम 'जंगल' है। हस्तनिर्मित कालीन का धागा भी हाथ से बनाया गया है। निर्यातक ब्रजेश गुप्ता बताते हैं कि एक स्क्वायर सेमी में 150 गांव वाले इस कालीन की बुनाई लो एंड हाई तरीके से की गई है। जिससे इस पर उकेरी गई आकृतियां उभर सके। 8 बाई 10 फीट के इस कालीन की कीमत 1.5 लाख रुपये है। वहीं अंतिम खरीदार को यह 4.5 लाख में मिलेगी। तीन अनुभवी मजदूरों ने इसे पांच महीने में तैयार किया है। ईरानी थीम के इस कालीन में घोड़ा, हिरन, खरगोश जैसे ईरान के जंगलों में पाए जाने वाले जानवर उकेरे गए हैं। वहीं जंगल के ईरानी शिकारी और पेड़ भी उकेरे गए हैं। इसका कांसेप्ट जर्मन के एक डिजाइनर द्वारा तैयार कराया गया है। रसियन और अफ्रीकी खरीदारों को आ रही पसंद भदोही के निर्यातक ब्रजेश गुप्ता बताते हैं कि इस कालीन में परंपरागत चीजों के नए तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। खरीदारों की डिमांड के अनुसार बदलाव कर यूनिक कालीन बनाया गया है। इसकी सबसे अधिक डिमांड रसियन और अफ्रीकी खरीदारों में हैं। रसियन खरीदारों ने इसका ऑर्डर भी दिया है। ईरानी थीम वाली इस डिजाइन में वहां जंगलों की झलकियां देखने को मिलेंगी।
*भदोही में कमरे में मोबाइल गेम खेलती मिलीं 14 नर्सें*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही ‌सौ शय्या अस्पताल में निरीक्षण के दौरान मोबाइल खेलते मिली 14 नर्सों की सीएमएस ने क्लास लगाई। सीएमएस को कई नर्स एक कमरे में मोबाइल गेम खेलते, इंस्टाग्राम चलाने और गप करते दिखीं। जिसके बाद सीएमएस ने सभी को फटकार लगाई और सिर्फ हिदायत देकर छोड़ दिया। कहा कि ऐसी लापरवाही और काम के प्रति उदासीनता आगे से होने पर कार्रवाई होगी।जिले के मुख्यालय के पास स्थित सौ शय्या अस्पताल में 18 नर्सों की तैनाती है। जिसमें फिलहाल चार नर्स लीव पर हैं। वहीं 14 नर्सों की बर्न यूनिट, डायलिसिस सेंटर, ड्रेसिंग कक्ष, प्लास्टर कक्ष सहित रैबीज इंजेक्शन लगाने की ड्यूटी है। इसके अलावा कुछ नर्सों की ड्यूटी अन्य स्थानों पर लगाई गई।अस्पताल में हर दिन 200 से 250 की ओपीडी होती है। ओपीडी कम होने से कई नर्स खाली रहती हैं, लेकिन सीएमएस के औचक निरीक्षण सभी 14 नर्स एक साथ एक कमरे में बैठकर गपशप कर रही थीं। सीएमएस को देख नर्स अपनी ड्यूटी की ओर जाने लगीं। ओपीडी का समय समाप्त होने के बाद सीएमएस ने सभी नर्स को ऑफिस में बुलाकर जिम्मेदारियों के निर्वहन की हिदायत दी। चेताया कि अगर आगे से ऐसा होगा तो सख्त कार्रवाई होगी। अस्पताल में हर दिन दिखती है लापरवाही सौ शय्या अस्पताल भले ही अभी पूरी क्षमता से न चलता हो, लेकिन अस्पताल में धीरे-धीरे सुविधाएं सुदृढ़ हो रही है। अस्पताल में डायलिसिस यूनिट, बर्न यूनिट, टीबी अस्पताल, डिजीटल एक्सरे समेत तमाम सुविधाएं हैं। इसके अलावा ओपीडी भी होता है, लेकिन मजे की बात है कि इन सबके बाद भी तमाम स्वास्थ्यकर्मियों की यहां आए दिन लापरवाही देखने को मिलती है। यहां अक्सर नर्सों के गायब होने की शिकायत मिलती है।

इसके अलावा तमाम चिकित्सक भी अक्सर ड्यूटी से गायब रहते हैं। अस्पताल के औचक निरीक्षण पर निकला था। जहां नर्सों की लापरवाही देखने को मिली है। पहली दफा में उन्हें हिदायत दिया है। अगर आगे ऐसे ही चलता रहा तो कार्रवाई भी होगी। - डॉ. सुनील पासवान, सीएमएस, सौ शय्या।
*आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बड़ी राहत देने की तैयारी में यूपी सरकार, जानें अनिल राजभर के क्या कहा*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। उत्तर प्रदेश सरकार कंपनियों के तहत काम करने वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बड़ी राहत देने की तैयारी में है जल्द ही आउटसोर्सिंग व्यवस्था को समाप्त किया जाएगा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सरकारी व्यवस्था से जोड़ा जाएगा साथ ही श्रम विभाग की तरफ से 10 लाख की लागत से बनने वाले भवनों पर जो सेस टेक्स लगाया जाता है उसकी सीमा भी 25 लाख करने पर सरकार विचार कर रही है यह यह बयान भदोही में श्रम व सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने दिया है।प्रदेश के विभिन्न विभागों में कंपनियों के तहत आउटसोर्सिंग कर्मचारी को रखा जाता है लेकिन अक्सर कंपनियों के द्वारा अनियमितता बरतने की शिकायत मिलती है जिसको लेकर यूपी सरकार के श्रम व सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि सरकार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की व्यवस्था को लेकर एक नई नीति लाने जा रही है जल्द ही आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की व्यवस्था समाप्त कर उन्हें सरकारी व्यवस्था से जोड़ा जाएगा वहीं उन्होंने कहा कि श्रम विभाग के द्वारा 10 लाख की लागत से बनने वाले भवनों पर जो सेस लिया जाता रहा है उसकी सीमा भी बढाने पर विचार किया जा रहा है 10 लाख से इस सीमा को बढ़ाकर 25 लाख करने को लेकर विचार किया जा रहा है । आपको बता दें कि अनिल राजभर भदोही में चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो में पहुंचे हुए थे जहां उन्होंने कालीन निर्यातकों से मुलाकात की है और एक्सपो में लगे कालीन के स्टालों का अवलोकन किया है गौरतलब है कि इंडिया कारपेट एक्सपो में 60 देशों के 400 से अधिक आयातक शिरकत कर रहे हैं।
*विदेशियों को लुभा रही अयोध्या के राम मंदिर थीम वाली वॉल हैंगिंग*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले में अयोध्या के राम मंदिर थीम पर बनी वॉल हैंगिंग देसी से लेकर विदेशी खरीदारों को आकर्षित कर रही है। 45 दिन में तैयार इस 12 बाई चार फीट की इस कालीन पर उकेरा गया अयोध्या का राम मंदिर एक बारगी देखने में सजीव चित्रित लग रहा है। देसी खरीदार तो इस पर आकर्षित है ही, विदेशी खरीदारों को भी पसंद आ रही है।भदोही के निर्यातक आर्यन जायसवाल ने बताया कि यह वॉल हैंगिंग पूरी तरह से हैंड नॉटेड (हस्तनिर्मित) है। अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद से ही इस तरह की कालीनों का प्रचलन बढ़ा है। जिस धागे से इसकी बुनाई की गई है। वह न्यूजीलैंड से मंगाया गया है। 12 बाई चार के इस कालीन को आठ मजदूरों ने 45 दिनों में तैयार किया है।इसमें एक स्क्वायर सेमी में करीब 100 गांठ हैं। इसमें 30 हजार रुपये का मैटेरियल और करीब 70 हजार रुपये मजदूरी लगी है। उन्होंने बताया कि उनके स्टॉल पर लगे इस वॉल हैंगिंग को देखने के लिए देसी के साथ ही विदेशी खरीदार भी इसको पसंद कर रहे है। विदेशी बॉयरों का रिस्पांस इसको लेकर शानदार है।
*बोर्ड परीक्षा : सत्यापन कमेटी नहीं सौंपी रिपोर्ट, बढ़ी चिंता* *20 अक्टूबर को परिषद को भेजनी है सत्यापन रिपोर्ट*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। बोर्ड परीक्षा के लिए विद्यालयों के सत्यापन में तीनों तहसीलों में गठित टीमें उदासीन हैं। तय तिथि 15 अक्तूबर तक किसी ने शिक्षा विभाग को रिपोर्ट नहीं दी। जिससे विभाग की चिंता बढ़ गई है। 20 अक्तूबर को हर हाल में सत्यापन रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजनी है। जिससे केंद्रों का निर्धारण हो सके।जिले में तीन राजकीय इंटर काॅलेज सहित 38 राजकीय विद्यालय, 25 वित्तपोषित समेत कुल 193 माध्यमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसमें हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में करीब 55 हजार छात्र-छात्राएं पंजीकृत है। हालांकि अभी परीक्षा की तिथि तय नहीं है लेकिन फरवरी में संभावित बोर्ड परीक्षा को लेकर केंद्र निर्धारण की कवायद शुरू है। पिछले दिनों मांगे गए आवेदन पर 190 विद्यालयों के प्रबंधक और प्रधानाचार्यों की ओर से केंद्र बनाने की इच्छा जताई गई। जिलाधिकारी विशाल सिंह की ओर से गठित तहसील स्तरीय कमेटी को विद्यालयों के सुविधा संसाधनों की जांच कर 15 अक्तूबर तक जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। इसके बाद केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। निर्धारित तिथि तक कहीं से सत्यापन रिपोर्ट नहीं मिली है। जिला विद्यालय निरीक्षक अंशुमान ने बताया कि कमेटी की ओर से सत्यापन रिपोर्ट नहीं मिली है। अधिकारियों से बात की गई है। 18 से 19 तक रिपोर्ट देने का आश्वासन दिया है। जिसके बाद परिषद की वेबसाइट पर सत्यापन रिपोर्ट को अपलोड की जाएगी। छात्रा के लिए सात तो छात्र के लिए 12 किमी होंगे केंद्र आगामी बोर्ड परीक्षा में छात्र-छात्राओं के केंद्रों की दूरी तय हो गई है। छात्रों के परीक्षा केंद्र 12 किमी दूर तक बनेंगे। विशेष परिस्थिति में उसे 15 किमी तक किया जा सकता है। छात्राओं का केंद्र सात किमी के अंदर होगा। जो विद्यालय केंद्र बनते हैं वहां की छात्राओं और दिव्यांग परीक्षार्थियों को स्वकेंद्र की सुविधा मिलेगी।
*आवास का सपना होगा पूरा, 414 सीएम आवास स्वीकृत* *लाभार्थियों के चयन के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित*

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले में आवास न पाने वालों का सपना जल्द ही पूरा होगा। शासन ने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 414 आवास को स्वीकृत किया है। लाभार्थियों के चयन के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। लाभार्थी का चयन होने के बाद तीन किश्तों में उनके खाते में एक लाख 20 हजार रुपये भेजे जाएंगे।छप्पर, कच्चे घरों में रहने वाले लोगों को पक्की छत मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी एवं ग्रामीण को शुरू किया है। जिसके तहत पात्रों का चयन कर उन्हें आवास मुहैया कराया जाता है।साल 2019-20 में प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री आवास योजना की शुरूआत की। जिसमें पहले वनवासी जाति को प्राथमिकता दी गई, लेकिन बाद में विधवा, दिव्यांग से लेकर आपदा प्रभावित, कुष्ठ रोगी, अतिक्रमण में हटने के कारण बेघर लोगों को भी लाभ मिलने लगा। डीआरडीए विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो चार साल में करीब साढ़े तीन हजार लाभार्थियों का चयन कर योजना का लाभ दिया जा चुका है।पीडी आदित्य कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री आवास योजना में 414 का लक्ष्य मिला है। लाभार्थियों के चयन के लिए बीडीओ, तहसीलदार और एक जिला स्तरीय अधिकारी को नामित किया गया है। चयन के बाद तीन किश्तों में उनके खाते में 1.20 लाख रुपये भेजा जाएगा। अब तक करीब साढ़े तीन हजार लोगों को मुख्यमंत्री आवास मिल चुका है।
*पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहीं प्रेरणा और रिद्धी* *26 और 24 साल की उम्र में 19 अंतरराष्ट्रीय मेले में ले चुकी है भाग*


भदोही। 47वें इंडिया कारपेट एक्सपो में जहां कश्मीर, जयपुर, पानीपत समेत भदोही और आसपास के कालीन बेल्ट में बने मखमली कालीन खरीदारों के आकर्षण का केंद्र हैं। वहीं मेले में पिता के कारोबार की विरासत को आगे बढ़ा रहीं दो बहनें भी आधी आबादी को संदेश दे रही हैं। महज 26 साल की प्रेरणा और रिद्धी गोयल (24) दस साल पहले से ही पिता के कारोबार में सहयोग कर रही हैं। इतनी कम उम्र होने के बाद भी वे अब तक कुल 19 अंतरराष्ट्रीय कालीन मेलों में भाग ले चुकी हैं। देश-विदेश की यात्रा में अकेले ही करती हैं।नगर के कालीन निर्यातक राम गोपाल गोयल की तीन बेटियां प्रेरणा, रिद्धी और वंशिका हैं। उनका कोई बेटा नहीं है, लेकिन बेटियों ने पढ़ाई कर नाैकरी करना पसंद न कर कारोबार में पिता का सहयोग करने के बारे में सोचा। प्रेरणा और रिद्धी बताती हैं कि कालीन कारोबार का उन्हें विरासत में मिला है।1995 से पिताजी कालीन बना रहे हैं। उनके साथ हमने कालीन उत्पादन न केवल नजदीक से देखा, बल्कि 15 वर्ष की उम्र से ही कारोबार में भी कदम रख लिया था। आज डोमोटेक्स (जर्मनी) हो या इंडिया कारपेट एक्सपो देश-विदेश में एक दर्जन से अधिक कालीन मेलों में हिस्सा ले चुकी हैं। आज उन्हें कारोबार में पिता के सहयोग की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। आज के फेयर में उनके स्टाॅल पर एक दर्जन से अधिक आयातकों ने कदम रखा। बताया कि सभी से अच्छी वार्ता हुई और आगे काम शुरू होने की भी संभावना है।
*एक कालीन में 75 रंग, 200 तरह के पक्षी और फलों की डिजाइन*


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

भदोही। एक कालीन में 75 रंग और 200 तरह के पक्षी और फलों की डिजाइन है। जिले के कारपेट एक्स्पो मार्ट में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले में यह कालीन हर किसी के आकर्षण का केंद्र रही। छह बाई नौ की इस कालीन की डिजाइन इतनी सफाई और बारीकी से की गई है कि सीधा और उल्टा दोनों तरफ एक-एक चित्र स्पष्ट उभर कर कालीन पर दिखाई दे रहा है।जिले में चार दिवसीय कालीन मेला शुरू हो गया है ।मेले में विदेशी खरीदारों को आकर्षित करने के लिए निर्यातकों ने एक से बढ़कर एक डिजाइन व कलर कांबिनेशन के साथ यूनिक कालीनों को तैयार किया है। कालीनों में नए प्रयोग से निर्यातक विदेशी खरीदारों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।कश्मीर से कालीन मेले में भाग लेने आए निर्यातक मेहराज यासीन जन ने कालीन में एक अलग तरह का प्रयोग किया है। आमतौर पर हस्तनिर्मित कालीनों में 15 से 18 रंग रखे जाते हैं, लेकिन इन्होंने 75 रंगों वाली कालीन को तैयार की है। इसकी खास बात है कि इसके एक स्क्वायर सेमी में करीब 550 गांठ लगाए हैं।पूरी तरह से सिल्क की बनी इस कालीन में अलग-अलग प्रकार के 200 फूल और 200 पक्षियों का चित्र उकेरा गया है। निर्यातक मेहराज यासीन जन बताते हैं कि कालीन की इस डिजाइन को शिकारगाह डिजाइन बोलते हैं, जो कि काफी प्राचीन है। इस थीम को यूएस के एक म्यूजियम में मौजूद कारपेट बुक से लिया है। 11 हजार स्क्वायर फीट है कीमत बताया कि 6 बाई नौ के इस कालीन की कीमत 11000 हजार पर स्क्वायर फीट है। वहीं इनके यहां से कोई दुकानदार इसको ले जाकर बेचेगा तो इसकी कीमत करीब 22 से 25 हजार पर स्क्वायर फीट होगी। इस लिहाज से इस एक कालीन की कीमत 13 लाख 50 हजार रुपये होगी। उन्होंने दावा किया कि इस साइज की यह सबसे महंगी कालीन है। वहीं इतने रंग वाले कालीन आपको कहीं भी नहीं मिलेगी। तीन कारीगरों की 18 महीने की मेहनत से हुई तैयार निर्यातक मेहराज यासीन जन बताते हैं कि इस कालीन को तैयार करने में 18 माह लगा है। तीन कारीगरों ने इसे तैयार किया है। उन्होंने बताया कि कालीन बुनाई में इतनी सफाई है कि एक-एक चित्र उभर कर कालीन पर आया है और कालीन के दोनों तरफ स्पष्ट चित्र दिखाई दे रहे हैं। बताया कि जिन तीन कारीगरों ने इसे तैयार किया है। उन सबकी उम्र 50 के ऊपर है। इसे तैयार में अनुभव की भी आवश्यकता होती है।
*कल आएंगी महिला आयोग की सदस्य, सुनेगी फरियाद*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सूबे में महिला उत्पीड़न के रोकथाम एवं पीड़ित महिलाओं की सुनवाई के लिए कल राजकीय गेस्ट हाउस ज्ञानपुर में महिला जनसुनवाई का आयोजन किया गया है। इसमें राज्य महिला आयोग की सदस्य प्रतिभा कुशवाहा आएंगी। वह महिलाओं से जुड़े विभाग अफसरों संग बैठक करेंगी। उसके बाद राजकीय महिला गृह का निरीक्षण करेंगी। उत्पीड़न समेत विभिन्न मामलों से परेशान महिलाओं की वह सुनवाई करेगी। यह जानकारी जिला प्रोबेशन अधिकारी शत्रुघ्न कन्नौजिया ने दी।
*जिला अस्पताल में 22 लाख से होगी इंटरलाॅकिंग अस्पताल प्रशासन ने शासन को भेजा प्रस्ताव*



भदोही। महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल परिसर में अब 22 लाख की लागत से इंटरलाॅकिंग का कार्य कराया जाएगा। इंटरलाॅकिंग कार्य होने से अस्पताल आने वाले मरीजों को ठोकर नहीं खाने पड़ेंगे। अस्पताल प्रशासन की ओर से इसको लेकर प्रस्ताव भेज दिया गया है। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू होगा। महाराजा चेतसिंह जिला चिकित्सालय में हर दिन 800 से 900 ओपीडी लोगों की ओपीडी होती है। अस्पताल के मुख्य द्वार से प्रवेश करने से लेकर इमरजेंसी तक फर्श काफी उबड़-खाबड़ है। इससे अस्पताल आने वाले मरीजों को परेशानी होती है। खासकर बुजुर्ग महिला और हड्डी की समस्या से जूझने वाले लोग लड़खड़ा जाते हैं। अब उन्हें परेशानी नहीं होगी। जिला अस्पताल में दो चरणों में इंटरलाॅकिंग का काम कराया जाएगा। पहले चरण में अस्पताल के मुख्य द्वार से इमरजेंसी,टीबी अस्पताल, सीएमएस कार्यालय दवा काउंटर के सामने इंटरलाॅकिंग कार्य होगा। वहीं दूसरी चरण में ब्लड बैंक के बगल में कार्य होगा। इससे बारिश के दिनों में अस्पताल में पानी भी नहीं लगेगा। इस कार्य के साथ नाले भी बनाया जाएगा। जिससे पानी की निकासी हो सके। अस्पताल प्रशासन ने 22 लाख का प्रस्ताव तैयार कर भेजा है। स्वीकृति मिलते ही यह कार्य शुरू हो जाएगा।


इंटरलाॅकिंग कराने के लिए 22 लाख रुपए का स्टीमेट तैयार करके प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। स्वीकृति मिलने पर काम शुरू किया जाएगा। अस्पताल में पहले की अपेक्षा से व्यवस्थाएं बेहतर हुई है। डॉ राजेंद्र कुमार सीएमएस