नालंदा नाट्य संघ: 59 वर्षों से विलुप्त हो रही नाटक परंपरा को सजोगे रहे हैं कलाकार
नवरात्र के मौके पर बिहारशरीफ के डाक बंगला मोड़ पर नालंदा नाट्य संघ के कलाकारों की ओर से शहरी क्षेत्रों में विपलुप्त हो रही नाट्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से नाट्य सह संस्कृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
नाट्य का उद्घाटन समाजसेवी अरविंद कुमार सिन्हा द्वारा किया गया । इस मौके पर उन्होंने नालंदा नाट्य संघ के सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि आज के परिवेश में नाट्य कला विलुप्त होती जा रही है। इस विलुप्त हो रही नाट्य परंपरा को पिछले 69 साल से संघ के कलाकार पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं। जो काबिले तारीफ है । एक वक्त था जब नाट्य को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते थे ।
बहुत लोगों का इससे जुड़ाव हुआ करता था। मगर अब लोग इससे दूर होते जा रहे हैं। ऐसे परिवेश में नालंदा नाट्य संघ के कलाकार इस परंपरा को बचा रहे हैं वह बहुत बड़ी बात है ।नाटक की शुरुआत भगवान शिव के द्वारा कामदेव वध से की गई। इस नाटक के माध्यम से बताया गया कि भगवान भोलेनाथ की तपस्या को कामदेव ने भंग किया था, जिसके बाद भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोल कर कामदेव को भस्म कर दिया था।
नालंदा नाट्य संघ के अध्यक्ष रजनीश कुमार दास ने बताया कि 1955 से नालंदा नाट्य संघ के कलाकारों की ओर से एक से बढ़कर एक सामाजिक परिवेश पर नाटक के माध्यम से समाज की कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस संघ के कलाकारों ने अब तक सैकड़ों नाटकों का मंचन किया है।
उन्होंने बताया कि संघ के कलाकारों की ओर से प्राचीन परंपराओं को सहेजने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। नाटक एक शक्तिशाली माध्यम है, जिसका उपयोग समाज को जागरूक करने के लिए किया जा सकता है।मौके पर संघ के सचिव अनिल कुमार ,गुड्डू ,संजय कुमार डिस्को ,पृथ्वी नाथ ,चितरंजन कुमार ,राजेश कुमार पप्पू ,सुधीर कुमार , अमित कुमार पप्पू , ऋषिकेश कुमार ने नाट्य के सफल संचालन में सहयोग किया।
Oct 13 2024, 10:19