संयुक्त राष्ट्र पर विदेश मंत्री जयशंकर का तंज, बोले- यह पुरानी कंपनी की तरह...*
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दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत आज इस हालत में पहुंच गई है कि इसकी उपयोगिता पर सवाल उठने लगे हैं। आज दुनिया के दो मुहाने पर युद्ध लड़े जा रहे हैं। कभी ऐसे ही हालातों के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया था। आज एक बार फिर वैसे ही हालात उत्पन्न हो गए हैं, तो उसके अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने परोक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर कटाक्ष किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को एक पुरानी कंपनी बताया और यह भी कहा कि आज इसकी प्रासंगिकता नहीं बची है। कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए जयशंकर ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया के साथ तालमेल बैठाने में नाकाम रहा है जिससे देशों को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीके खोजने पर मजबूर होना पड़ा है। जयशंकर ने कहा, “चूंकि यह एक आर्थिक सम्मेलन है, इसलिए मैं आपको एक व्यावसायिक उत्तर देता हूं। जयशंकर ने यूएन की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक पुरानी कंपनी की तरह है जो बाजार के साथ पूरी तरह से नहीं चल पा रही है, लेकिन जगह घेरे हुए है। जब कंपनी दुनिया से पिछड़ जाती है तो स्टार्टअप और इनोवेशन शुरू होते हैं। अलग-अलग लोग, अपनी-अपनी चीजें करना शुरू कर देते हैं। *युद्ध के हालात के बीच यूएन को बताया दर्शक* एस जयशंकर ने आगे कहा कि दुनिया में दो बहुत ही गंभीर संघर्ष चल रहे हैं। और इन पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका क्या है? विदेश मंत्री ने कहा, 'निश्चित रूप से एक दर्शक की।' जयशंकर ने कहा, आखिरकार संयुक्त राष्ट्र तो है, लेकिन यह काम करने में बहुत कमजोर है, हालांकि यह अभी भी एकमात्र बहुपक्षीय खिलाड़ी है, लेकिन जब यह प्रमुख मुद्दों पर आगे नहीं आता है, तो देश अपने-अपने तरीके खोज लेते हैं। *कोविड के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर क्या कहा?* कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने इसके सीमित योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, संभवतः हमारे जीवन में जो सबसे बड़ी घटना घटी वह कोविड थी। जरा सोचें कि कोविड में संयुक्त राष्ट्र ने क्या किया, मुझे लगता है कि इसका उत्तर बहुत अधिक नहीं है। कोविड के दौरान भी देखा, देशों ने या तो अपने तरीके से काम किया या कोवैक्स जैसी पहल सामने आई, जिसके पीछे देशों का ग्रुप था। *संयुक्त राष्ट्र अब एकमात्र रास्ता नहीं-जयशंकर* विदेश मंत्री ने कहा, आजकल जब बड़े मुद्दों की बात आती है, तो आप पाएंगे कि देशों के समूह एक साथ आकर कहते हैं कि, आइए इस पर सहमत हो जाएं और इसे करें। उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा, लेकिन एक गैर-यूएन स्पेस भी तेजी से विकसित हो रहा है, जो एक्टिव स्पेस है।विदेश मंत्री ने जयशंकर ने आगे कहा कि हालांकि अभी संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व बना है। मगर यह अब वैश्विक समस्याओं पर देशों के सहयोग के लिए एकमात्र रास्ता नहीं है।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: एग्जिट पोल में एनसी-कांग्रेस गठबंधन की बल्ले-बल्ले, कहां चूक गई बीजेपी?
#jammu_and_kashmir_exit_poll_results जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग पूरी खत्म हो चुकी है। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी। उससे पहले शनिवार को एग्जिट पोल्स जारी किए गए।जम्मू-कश्मीर चुनाव को लेकर जारी लगभग सभी एक्जिट पोल्स में त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए गए हैं। यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे बड़े दल बनकर उभरने का अनुमान जताया गया है। एनसी-कांग्रेस गठबंधन को 41 सीटें मिलती दिख रही है।बीजेपी को 27 से 32 सीट मिलने का अनुमान है। अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद यह पहला चुनाव है। इन चुनावों में बीजेपी को झटका लगता दिख रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी को इस झटके की वजह क्या है। बेशक जम्मू में अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर भाजपा को समर्थन प्राप्त है,लेकिन स्थानीय भाजपा नेताओं के प्रति जनमानस में अंसतोष, जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा न मिलना, उसके लिए नुकसानदायक साबित हुआ है। उसने जिस तरह से बार बार खानदानी सियासत को निशाना बनाया, उससे भी आम मतदाता चिढ़े थे। वहीं, कश्मीर में आम मतदाताओं को कांग्रेस-नेकां यह समझाने में कामयाब रही है कि अनुच्छेद 370 और 35 को सिर्फ इसलिए हटाया क्योंकि जम्मू कश्मीर एक मुस्लिम बहुल प्रदेश है। दूसरा ,जम्मू कश्मीर में अब बाहरी लोगों को रोजगार और नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी। उनके लिए पहचान का संकट बन जाएगा। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार को जममू कश्मीर के लिए राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली पर केंद्रित रखते हुए स्थानीय भावनाओं को उभारने का भी प्रयास किया। उसका फायदा भी उन्हें चुनाव में मिला। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं का आह्वान किया था कि यह स्वाभिमान एवं अधिकारों का चुनाव है तथा राज्य का दर्जा छीनने वालों को सबक सिखाने का यह आखिरी मौका है। उन्होंने कहा था कि यह युवाओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने, भ्रष्टाचारियों से मुकाबला करने, अपने भूमि अधिकारों की रक्षा करने और प्रगति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक-एक वोट मूल्यवान है। वहीं, बीजेपी की तरफ से जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद, अलगाववाद, परिवारवाद और भ्रष्टाचार से दूर रखने के नाम पर वोट मांगे गए थे।
हरियाणा में हैट्रिक से चूकी बीजेपी! क्या किसानों-जवानों-पहलवानों की नारजगी का असर*
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हरियाणा के चुनाव नतीजे आने में बस 24 घंटे रह गए हैं। राज्य में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे। इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को सभी 90 सीटों पर वोटिंग हुई।वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं। एग्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बड़ी जीत का अनुमान लगाया है। किसी भी सर्वे में बीजेपी बढ़त बनाते हुए नहीं दिखी। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई। राजनीति के जानकारों की मानें तो भाजपा को इस चुनाव में किसान, जवान, पहलवान जैसे मुद्दों की वजह से नुकसान हुआ। किसान आंदोलन की वजह से किसान भाजपा से नाराज थे। पहलवाल के साथ हुए विवाद का भी खासा असर पड़ा और अग्निवीर योजना भी भाजपा के गले की फांस बन गई। *किसानों- जाटों की नाराजगी पड़ी भारी* किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। तीन कृषि कानूनों को लेकर राज्य के किसानों ने उसी तरह की नाराजगी दिखाई थी, जैसी पंजाब के किसानों ने। ध्यान देने लायक है कि किसान आंदोलन के दौरान राज्य के मंत्रियों को कई जगहों पर किसानों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। पंजाब की ही तरह यहां किसान परिवारों की संख्या अच्छी भली है। किसान भी ऐसे हैं जिनके लिए खेती आमदनी का अहम जरिया है। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए। किसानों में जाट वोटरों की संख्या भी ठीक ठाक है। हरियाणा में जाट बीजेपी के स्वाभाविक वोटर भी नहीं रहे हैं। *अग्निवीर पर आक्रोश* किसानों की इस नाराजगी को सेना में नियमित भर्ती की जगह अग्निवीर योजना से और हवा मिली। हरियाणा वो राज्य है जिसकी देश की आबादी में हिस्सेदारी महज 2 फीसदी के आस-पास है। जबकि सेना में इसकी हिस्सेदारी 5 फीसदी से कुछ ज्यादा होती है। राज्य की आबादी के हिसाब से ये बहुत बड़ी और प्रभावी संख्या है। अग्निवीर की व्यवस्था लागू होने किए जाने के केंद्र के फैसले से जो राज्य सबसे ज्यादा नाराज हुए हैं उनमें हरियाणा प्रमुख है। हरियाणा के युवाओं को ये बात गले से नहीं उतरती कि पांच साल की सेवा के बाद रिटायर अग्निवीर को सरकार ने पैरामिलिट्री और दूसरी जगहों पर नौकरियां देने का वायदा कर रखा है। *पहलवानों का दाव* राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। साक्षी मलिक के साथ विनेश फोगाट ने उस समय के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के विरोध में आवाज उठाई। ये मामला किसी न किसी रूप से हरियाणा के लिए बड़ा सवाल था। यही वो राज्य है जहां के पहलवान मेडल जीत कर दुनिया भर में भारत का नाम उंचा करते हैं। पेरिस ओलंपिक की घटना के बाद विनेश जब लौट कर भारत में आईं तब भी बीजेपी ने पार्टी के स्तर पर उनके आंसू पोछने का कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे हरियाणा के वोटरों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा काम किया गया हो। उल्टे विनेश और उनके साथ बजरंग पूनिया पहलवान कांग्रेस के पाले में चले गए। दोनों रेलवे की सरकारी नौकरी छोड़ कर सीधी लड़ाई में आ गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दे कर चुनाव लड़ाया। *बागियों ने बिगाड़ा खेल* इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।
बड़ी खबर : लैंड फॉर जॉब मामले में लालू परिवार को बड़ी राहत, लालू, तेजस्वी, तेजप्रताप समेत 8 आरोपियों को मिली जमानत*

डेस्क : राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में आज सोमवार को लालू प्रसाद, तेजस्वी और तेजप्रताप यादव समेत आठ आरोपियों को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी होने के बाद सभी को जमानत दे दी गई है। बता दें ईडी की सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। उसके बाद सभी लोग सशरीर उपस्थित हुए और उसके बाद सभी लोगों को जमानत दे दी गई है। आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुबह 10 बजे लालू परिवार की पेशी हुई। पेशी के लिए लालू फैमिली कोर्ट पहुंची थी। आज दिल्ली कोर्ट में कुल 8 आरोपियों की पेशी होनी थी, जिनमें लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव भी कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में तेजप्रताप यादव पहली बार पेश हुए। उसके बाद कोर्ट ने इन लोगों की जमानत मंजूर कर दिया है। बता दें कि जमीन के बदले नौकरी का यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री थे। उन पर आरोप लगा कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और रेलवे में ग्रुप डी में कई लोगों को जमीन के बदले नौकरी दी। पिछले महीने कोर्ट ने इस मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया है। जबकि इस केस से जुड़े हुए मामले में तीन की मौत हो चुकी है। दिल्ली की ईडी स्पेशल राउज एवेन्यू कोर्ट ने 8 लोगों को पेश होने का समन भेजा था। जिन आरोपियों को समन भेजा गया था, उनमें पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनके बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप के अलावे अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी शामिल हैं। वहीं, आज अदालत ने 1-1 लाख के निजी मुचलके पर सभी आरोपियों को जमानत दे दी है।
पांच दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, क्या उम्मीद लेकर आए हैं भारत?*
#maldives_president_mohamed_muizzu_india_visits_eyeing_a_bailout_package मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रविवार को अपनी पांच दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे हैं। मोहम्मद मुइज्जू के भारत दौरे का की विश्ष वजह है। दरअसल, मालदीव इन दिनों भारी वित्तीय संकट में है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने भरोसा जताया है कि भारत इस द्वीपीय देश की मदद के लिए आगे आएगा। इसे देखते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत आ रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि भारत से बेलआउट पैकेज मिल जाएगा। सितंबर में मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 440 मिलियन डॉलर (3697 करोड़ रुपए) था। इतने से सिर्फ डेढ़ महीने आयात हो सकता है। मालदीव इन दिनों भारी वित्तीय संकट में है। इस देश के पास सिर्फ इतना पैसा है कि 45 दिन तक विदेश से जरूरी सामान आयात कर सके। इतने दिनों में पैसे का प्रबंध नहीं हुआ तो भारी परेशानी खड़ी हो जाएगी। विदेशी मुद्रा भंडार घटकर मात्र 440 मिलियन डॉलर रह जाने के कारण मालदीव खुद को ऋण भुगतान में चूक के खतरे के करीब है, क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार केवल छह सप्ताह के महत्वपूर्ण आयातों को कवर करने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में मालदीव में "डिफ़ॉल्ट जोखिम बहुत बढ़ गया है"। बीबीसी ने मुइज्जू के हवाले से एक ईमेल साक्षात्कार में कहा, "भारत हमारी राजकोषीय स्थिति से पूरी तरह वाकिफ है और हमारे सबसे बड़े विकास साझेदारों में से एक होने के नाते वह हमारे बोझ को कम करने, हमारे सामने आने वाली चुनौतियों के लिए बेहतर विकल्प और समाधान ढूंढने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।" साक्षात्कार में मुइज्जू ने आगे कहा, दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को स्वीकार किया, हालांकि उन्होंने अपने पहले के भारत विरोधी रूख पर बात करने से परहेज किया, जो एक प्रमुख मुद्दा था जिसने उनके राजनीतिक अभियान को परिभाषित किया। उन्होंने कहा, "हमें विश्वास है कि किसी भी मतभेद को खुली बातचीत और आपसी समझ के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।" बता दें कि चीन समर्थक रुख के लिए मशहूर मुइज्जू ने पिछले साल नवंबर में मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभाला था, तब से भारत और मालदीव के बीच कूटनीतिक संबंधों में काफी तनाव देखने को मिला है। दरअसल, मुइज्जू अपने 'इंडिया आउट' अभियान के दम पर सत्ता में आए थे, जिसमें उन्होंने मालदीव से भारतीय सैनिकों और सहायक कर्मचारियों की वापसी की मांग की थी। शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद मुइज्जू ने द्वीप राष्ट्र से भारतीय सैन्यकर्मियों को तत्काल वापस बुलाने का आह्वान किया और इसके बाद नई दिल्ली ने अपनी सेना के स्थान पर नागरिक सैनिकों को तैनात कर दिया। इसके बाद, राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के बाद एक कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया। यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लक्षद्वीप द्वीपों का प्रचार करते हुए अपने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा करने के बाद आई है। हालांकि मुइज्जू ने इसमें शामिल मंत्रियों को तुरंत उनके पदों से हटा दिया, लेकिन इस घटना के कारण भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई, जिसका असर मालदीव के पर्यटन क्षेत्र पर पड़ा।
'मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जिससे भारत की...',चीन के दोस्त मुइज्जू क्यों झुकने को हुए मजबूर*
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भारत और मालदीव के रिश्तों में लगातार तनाव बना हुआ है। हालांकि, कभी चीन के कंधे पर सवार होकर भारत को आंख दिखाने वाले मुइज्जू के मिजाज बदलने लगे हैं। भारत के खिलाफ मुहिम चलाकर अपने ही देश की हालत खस्ता कर चुके मुइज्जू अब मदद की गुहार लेकर रविवार दिल्ली पहुंचे हैं। दिल्ली पहुंचते ही चीन के समर्थक मुइज्जू ने भारत के प्रति अपनी वफादारी का दिखाकर चीन को संदेश दिया है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन के साथ मालदीव के बढ़ते संबंधों पर भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मालदीव दूसरे देशों के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि उसके किसी भी कदम से क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को कोई नुकसान न पहुंचे। मुइज्जू चार दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली पहुंचे। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि, "मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जो भारत की सुरक्षा को कमजोर करता हो। भारत मालदीव का एक मूल्यवान भागीदार और मित्र है, और हमारे संबंध आपसी सम्मान और साझा हितों पर बने हैं। जबकि हम विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ अपना सहयोग बढ़ाते हैं, हम बने रहेंगे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हमारे कार्यों से हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता से समझौता न हो।'' साक्षात्कार में जब मुइज्जू से भारतीय सैनिकों की वापसी पर उनके फैसले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वह घरेलू प्राथमिकताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि "मालदीव और भारत को अब एक-दूसरे की प्राथमिकताओं और चिंताओं की बेहतर समझ है। मैंने वही किया जो मालदीव के लोगों ने मुझसे पूछा था। हालिया बदलाव घरेलू प्राथमिकताओं को संबोधित करने के हमारे प्रयासों को दर्शाते हैं। पिछले समझौतों की हमारी समीक्षा का उद्देश्य उन्हें सुनिश्चित करना है हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप रहें और क्षेत्रीय स्थिरता में सकारात्मक योगदान दें।" *भारतीय सैनिकों के निष्कासन को लेकर कही ये बात* मुइज्जू ने कहा, "भारत हमारे सबसे बड़े विकास भागीदारों में से एक है और रक्षा सहयोग हमेशा प्राथमिकता रहेगी। इन वैश्विक रूप से चुनौतीपूर्ण समय में क्षेत्रीय युद्धों के साथ सभी देशों की सुरक्षा को खतरा है, इन सहयोगों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मालदीव और भारत अब एक दूसरे की प्राथमिकताओं और चिंताओं को बेहतर ढंग से समझते हैं। मैंने भारतीय सैनिकों के निष्कासन को लेकर वही किया था जो मालदीव के लोगों ने मुझसे कहा था।" *भारतीय पर्यटकों से लौटने का किया आह्वान* उन्होंने भारतीय पर्यटकों से मालदीव लौटने का आह्वान करते हुए कहा कि पड़ोसियों और दोस्तों का सम्मान हमारे खून में है।भारतीय मालदीव में सकारात्मक योगदान देते हैं। भारतीय पर्यटकों का स्वागत है।
Bisleri मिनरल वॉटर से मिलते-जुलते नाम पर बाजार में धड़ल्ले से बिक रहीं नकली बोतलें, बागपत के डीएम ने गोदाम पर चलवाया बुलडोजर

डेस्क: बाजार में जब भी पानी की बोतल खरीदने की बात आती है तो लोग बिसलेरी की बोतल की अक्सर मांग करते हैं क्योंकि ये एक पुरानी और विश्वसनीय नाम है। लेकिन बाजार में बिसलेरी से मिलते जुलते नाम से कई लोग पानी की बोतलें बेच रहे हैं। ग्राहक भी अनजाने में इन नकली बोतलों को खरीद लेते हैं और कई बार अपनी सेहत खराब कर लेते हैं। ये मामला तब चर्चा में आया है, जब यूपी के बागपत के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने इन नकली पानी की बोतलों पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया।

दरअसल, बागपत के डीएम को जब प्यास लगी तो उन्हें बिसलेरी के नाम पर एक ऐसी पानी की बोतल परोसी गई, जिसका नाम बिसलेरी से मिलता जुलता था। लेकिन जब डीएम ने ध्यान दिया तो पाया कि इस नकली बोतल में बिसलेरी की स्पेलिंग कुछ और लिखी थी और बोतल पर लाइसेंस का मार्क भी नहीं था। इसके बाद डीएम भड़क गए और इस नकली पानी की बोतल पर बुलडोजर चलवा दिया।

बागपत के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और एसपी अर्पित विजयवर्गीय बागपत के निवाडा चेक पोस्ट पर चेकिंग कर रहे थे। इसी दौरान जब वह निवाड़ा पुलिस चौकी पर जाकर रुके और डीएम साहब को पानी की प्यास लगी तो पुलिसकर्मी भी बिसलेरी की बोतल समझकर बाजार से नकली बिलसेरी नाम की बोतल ले आए।

जैसे ही डीएम की नजर टेबल पर रखी नकली पानी की बोतल पर पड़ी तो वह नाराज हो गए और पूछा कि ये नकली बोतल कहां से आई है। इसी दौरान खाद्य विभाग की टीम को मौके पर बुलाया गया। डीएम के निर्देश पर फौरन बिसलेरी की जगह बिलसेरी बोतल की सप्लाई करने वाले सप्लायर के यहां गोदाम पर छापा मारा गया। जिसके पास से फेक ब्रांड की करीब 2663 पानी की बोतलें बरामद हुईं। डीएम के निर्देश पर बुलडोजर चलाकर इन्हें तुरंत नष्ट किया गया।

दरअसल इन नकली पानी की बोतलों पर बिसलेरी की जगह पर बलासरी लिखा हुआ होता है, जो दिखने में बिल्कुल बिसलेरी की पानी की बोतल की तरह लगती हैं। दुकानदार भी ज्यादा मुनाफे के चक्कर में इन बोतलों को बिक्री के लिए रखते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, बिसलेरी की बोतलें 140 रुपए की दर्जन आती हैं और बाजार में 20 रुपए की बेची जाती है, जबकि मिलते-जुलते नाम की नकली बोतलें 90 रुपए की दर्जन आती हैं, इन्हें भी 20 रुपए में बेचा जाता है। ग्राहक भी मिलते जुलते नाम पर ध्यान ना दे पाने की वजह से इन बोतलों को खरीद लेता है, जिसका असर उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

ये छापा बागपत के गौरीपुर जवाहर नगर गांव के रहने वाले भीम सिंह के गोदाम पर पड़ा था। गोदाम का लाइसेंस व बिल न होने के कारण उसे तत्काल प्रभाव से बिक्री पर रोक लगाने व गोदाम को बंद करने के निर्देश दे दिए गए हैं। भीम सिंह ने पूछताछ में बताया कि ये पानी की बोतलें उसे कोई हरियाणा से लाकर देता है और फिर वह आगे दुकानदारों को बागपत, बड़ौत व आसपास क्षेत्र में सप्लाई कर देता है।

महाकुंभ के दौरान नहीं होगी मांस-मदिरा की बिक्री, सीएम योगी ने प्रयागराज दौरे पर दिए कड़े निर्देश

डेस्क: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज रविवार को प्रयागराज दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने महाकुंभ को लेकर चल रही तैयारियों का जायजा लिया। इसके साथ ही उन्होंने कुंभ के लोगो का उद्घाटन की भी किया। इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि अगले साल जनवरी में आयोजित होने वाले महाकुंभ के दौरान यहां मांस-मदिरा की बिक्री नहीं होगी। उन्होंने 13 अखाड़ों, खाक चौक, दंडी बाड़ा और आचार्य बाड़ा के प्रतिनिधियों के साथ महाकुंभ को लेकर एक बैठक भी की। वहीं प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, सीएम ने बैठक में कहा कि साधु-संतों, संन्यासियों व वैरागियों सहित समस्त सनातन समाज की भावनाओं का सम्मान रखते हुए प्रयागराज की शास्त्रीय सीमा में मांस-मदिरा का क्रय-विक्रय प्रतिबंधित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पवित्र नदियों की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन साधु-संत समाज का भी सहयोग अपेक्षित है। सीएम योगी ने यह भी कहा कि महाकुंभ के दौरान ब्रह्मलीन होने वाले साधु-संतों की समाधि के लिए प्रयागराज में शीघ्र ही भूमि आरक्षित कर दी जाएगी। ओर से गो-हत्या पर प्रतिबंध की मांग पर सीएम योगी ने कहा, “उत्तर प्रदेश में गोहत्या अपराध है। गोहत्या के विरुद्ध उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही, राज्य सरकार सात हजार से अधिक गोवंश आश्रय स्थल का संचालन कर रही है, जहां 14 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं।” सीएम योगी ने सभी संतों-संन्यासियों व आचार्यों से अनुरोध किया कि वह अपने आश्रम में तब तक किसी को प्रवास की अनुमति न दें जब तक उनका विधिवत सत्यापन न हो जाए। इससे पहले सीएम योगी परेड स्थित हेलीपैड पर उतरने के बाद मोटर बोट से संगम नोज पहुंचे। यहां उन्होंने गंगा यमुना का दर्शन-पूजन किया। इसके बाद सीएम योगी ने पवित्र अक्षयवट, पातालपुरी, सरस्वती कूप और लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन किया और कुंभ के सफल आयोजन के लिए प्रार्थना की। दोपहर बाद उन्होंने भारद्वाज कोरिडोर के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने आईईआरटी सेतु का निरीक्षण करते निर्माण कार्य को तेजी से पूर्ण करने के निर्देश दिए। परियोजनाओं का स्थलीय निरीक्षण करने के दौरान मुख्यमंत्री ने वेणीमाधव मंदिर का भी दर्शन-पूजन किया।
बच्‍ची को टीका लगवाने ले गए युवक ने रास्‍ते में किया रेप, ब्‍लीडिंग देख चौंक गई ANM; परिवार को बुलाया, आरोपी गिरफ्तार

यूपी के बस्‍ती में छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म की शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। गांव का 22 वर्षीय आरोपी युवक उसे टीका लगवाने के लिए सीएचसी मुंडेरवा ले गया था। टीका लगवाने से पहले उसने बच्ची संग दुष्कर्म किया। इसके बाद जब उसे सीएचसी मुंडेरवा ले गया, यहां टीका लगाने से पहले एएनएम की नजर बच्ची को हो रही ब्लीडिंग पर पड़ी। वह अवाक रह गईं और बच्ची से इसकी वजह पूछी तो उसने आपबीती बताई। एएनएम ने परिजनों को सूचना देकर सीएचसी बुलाया। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। ब्लीडिंग नहीं रूकने पर सीएचसी से पीड़िता को जिला महिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया है। मुंडेरवा थाना प्रभारी द्वारिका प्रसाद चौधरी ने बताया कि जानकारी मिल गई है।आरोपी को गिरफ्तार कर पास्को एक्ट के तहत मामला पंजीकृत कर इलाज जारी है। मुंडेरवा थानाक्षेत्र के एक गांव की रहने वाली बच्ची के पांच वर्ष पूरा होने पर एक टीका मुंडेरवा सीएचसी पर लगना था। परिजनों ने पड़ोस के रहने वाले आरोपी युवक विकास यादव के साथ शनिवार दोपहर करीब तीन बजे बाइक से मुंडेरवा जाने के लिए भेजा था। आरोप है कि बच्ची को साथ लेकर बाइक से निकला विकास उसे पहले रास्ते में कहीं दुष्कर्म किया। घटनाक्रम से डरी-सहमी बच्ची को फिर आरोपी टीका लगवाने के लिए सीएचसी मुंडेरवा ले गया। यहां पर टीका लगाने के दौरान एएनएम की नजर बच्ची के प्राइवेट पार्ट से हो रही ब्लीडिंग पर पड़ी तो वह हैरान रह गईं। उन्होंने बच्ची से पूछताछ की तो उसने रास्ते में हुए घटना के बारे में बताया। इसकी जानकारी होने पर एएनएम ने परिजनों को सीएचसी बुलाने के साथ ही पुलिस को घटना की सूचना दी। ब्लीडिंग नहीं रूकने पर बच्ची को जिला महिला अस्पताल भेज दिया गया। यहां पर उपचार संग उसका मेडिकोलीगल भी कराया गया। इस बाबत थाना प्रभारी मुंडेरवा ने बताया कि पॉक्सो समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। बच्ची का इलाज चल रहा है, आरोपी विकास यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इजराइली बमबारी से दहशत में लेबनान, करीब 20 लाख लोगों ने सीरिया में किया पलायन

इजरायल ने लेबनानी आतंकी संगठन हिज़बुल्लाह के ठिकानों पर हमला तेज करते हुए अब लेबनान के उत्तरी हिस्सों में भी कार्रवाई शुरू कर दी है। पहली बार उत्तरी शहर त्रिपोली पर इजरायली हमला हुआ, जिसका खुलासा एक लेबनानी सुरक्षा सूत्र ने किया। इससे पहले इजरायल ने दक्षिणी बेरूत में भी हमले किए थे। हिज़बुल्लाह ने दावा किया कि इजरायली सैनिक दक्षिणी लेबनान के ओडाइसेह शहर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। इजरायली हमलों से लेबनान में भय का माहौल है और बड़ी संख्या में लोग सीरिया की ओर पलायन कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक करीब 20 लाख लेबनानी शरणार्थी सीरिया पहुंच चुके हैं। इजरायल ने बेरूत-दमिश्क मार्ग पर भी बमबारी की, जिससे इस रास्ते से निकलना भी मुश्किल हो गया है। इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने बताया कि उन्होंने एक मस्जिद के अंदर स्थित हिज़बुल्लाह के कमांड सेंटर पर हमला किया। इस बीच, लेबनान से इजरायल की ओर पांच रॉकेट दागे गए, जिन्हें इजरायली एरियल डिफेंस ने कुछ हद तक हवा में ही नष्ट कर दिया, जबकि बाकी खुले इलाकों में गिरे। इसके बाद उत्तरी इजरायल में सायरन बजाए गए, और आपातकालीन सेवाएं तुरंत सक्रिय हो गईं। इजरायल ने शुक्रवार की आधी रात हिज़बुल्लाह के सेंट्रल इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर को भी निशाना बनाया, हालांकि इस हमले में कोई प्रमुख कमांडर मारा गया या नहीं, इस पर IDF ने कोई जानकारी नहीं दी। इजरायल का दावा है कि उसने पिछले 24 घंटों में 100 से अधिक हिज़बुल्लाह लड़ाकों को मार गिराया है। वहीं, लेबनान की सरकारी समाचार एजेंसी ने 10 से अधिक हवाई हमलों की सूचना दी है, जिनमें हिज़बुल्लाह लड़ाकों और नागरिकों समेत लगभग 1400 लोग मारे गए हैं। इजरायली हमलों और बढ़ती हिंसा के बीच क्षेत्र में दहशत और पलायन का माहौल है, जबकि हिज़बुल्लाह के नेता हाशिम सफीद्दीन के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है, जिन्हें इजरायल ने निशाना बनाने का दावा किया था।