पश्चिम एशिया में भारत कम कर सकता है तनाव? ईरानी राजदूत के बयान में कितना दम

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मिडिल ईस्ट में लगातार संघर्ष बढ़ता जा रहा है। इजरायल हमास के साथ अब लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ बमों की बारिश कर रहा है। इजराइल और हिजबुल्ला के बीच शुरू हुए संघर्ष में ईरान भी शामिल हो गया है। इससे पश्चिम एशिया में तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया है और इसके व्यापक युद्ध में बदलने का खतरा पैदा हो गया है। इस बीच ईरान के राजदूत इराज इलाही भारत को लेकर बड़ा बयान दिया है। इराज इलाही का कहना है कि एक बड़ी ताकत और ग्लोबल साउथ की आवाज होने के नाते भारत तनाव को कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

भारत से हस्तक्षेप की मांग

ईरान की ओर से हाल ही में इजरायल पर मिसाइलों से हमला किया गया। शुक्रवार को ईरानी सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ने इजरायल के खात्मे की बात कहीं। इस बीच भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद के लिए भारत से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत को इस मौके का इस्तेमाल इजरायल को मनाने के लिए करना चाहिए, ताकि वह अपनी आक्रामकता को रोके और क्षेत्र में शांति आ सके।

एक शक्तिशाली देश के बजाय एक शक्तिशाली क्षेत्र की चाह

ईरान के राजदूत ने कहा कि हमारा मानना है कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता है। हम (ईरान) एक शक्तिशाली देश के बजाय एक शक्तिशाली क्षेत्र चाहते हैं। किसी देश के विकास के लिए शांति और स्थिरता सबसे पहली शर्त है। उन्होंने कहा, लेकिन फिलिस्तीन में जो हो रहा है उसके प्रति हम बेरुखी नहीं दिखा सकते, हम फिलिस्तीन में लोगों के मारे जाने की घटनाओं को नजरअंदाज या उपेक्षा नहीं कर सकते।

भारत से उम्मीद

राजदूत ने भारत के साथ संबंधों पर कहा कि भारत ईरान और इजराइल दोनों का घनिष्ठ मित्र है। इलाही ने कहा, लेकिन हमारे रिश्ते 2,000 साल पुराने हैं जबकि भारत और इजराइल के रिश्ते इतने पुराने नहीं हैं। एक बड़ी शक्ति और ग्लोबल साउथ की आवाज होने के नाते भारत इस क्षेत्र में तनाव कम करने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान को उम्मीद है कि भारत तनाव कम करने के लिए अपने प्रभाव और क्षमताओं का इस्तेमाल करेगा।

टेरर फंडिंग पर एनआईए का बड़ा एक्शन, एटीएस के साथ मिलकर 5 राज्य के 22 ठिकानों पर ताबड़तोड़ रेड

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देश विरोधी गतिविधियों के लिए होने वाली फंडिंग को लेकर एनआईए ने जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र में छापेमारी की है। एनआईए ने छापेमारी के बाद 4 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया। इन चारों संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है और सूत्रों के मुताबिक चारों के लिंक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से है।

एनआईए ने आतंकी फंडिंग के खिलाफ एक्शन लेते हुए 5 प्रदेश के करीब 22 ठिकानों पर छापेमारी की। जम्मू-कश्मीर के बारामूला में एनआईए ने रेड की है। एनआईए ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में छापेमारी की। यह छापेमारी बारामूला में इकबाल भट के आवासीय घर पर की गई है। कश्मीर में कुछ अन्य स्थानों पर भी छापेमारी चल रही है।आतंकी घटनाओं की जांच को लेकर यह छापेमारी की गई है।

जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र के साथ-साथ राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और असम में भी एनआईए की छापेमारी चल रही है।महाराष्ट्र के जालना, औरंगाबाद और मालेगांव से 4 सस्पेक्ट से पूछताछ की है। चारो के लिंक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से बताया जा रहा है।

इससे पहले एनआईए ने पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता समेत 12 ठिकानों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी छापेमारी की थी। यह छापेमारी एनआईए की माओवादियों के ठिकानों से संबंधित थी।

इंडिया के 80% घरों में 'ड्रैगन' की घुसपैठ, जासूसी की चिंताओं के बीच कितना बड़ा खतरा

#indian_households_have_1_or_more_made_in_china_gadget_and_using

चीन अपनी सस्ती चीजों के जरिए बाजारों पर तेजी से हावी हो जाता है। भारत में भी घर-घर में चाइनीज प्रोडक्ट्स की पहुंच हैं। आज देश के लगभग सभी घरों में मेड इन चाइना प्रोडक्ट मिल जाएंगे। जो एक बड़ा खतरा है। दरअसल, एक सर्वे ने मेड इन चाइना प्रोडक्ट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। इस सर्वे में यह बताया गया है कि 79 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास एक या अधिक मेड इन चाइना गैजेट हैं, जिसकी वजह से उन पर सर्विलांस का खतरा मंडरा रहा है।

लोकल सर्किल नाम की कंपनी का एक सर्वे सामने आया है। सर्वे के मुताबिक 25 प्रतिशत घरों में एक या उससे ज्यादा मेड इन चाइना गैजेट मौजूद हैं। वहीं सर्वे में शामिल किए गए 54 प्रतिशत घरों में तीन से ज्यादा मेड इन चाइना डिवाइस हैं। इन डिवाइस से जुड़े चाइनीज ऐप फोटो और वीडियो जैसे यूजर डाटा को स्टोरेज और प्रोसेसिंग के लिए चीन भेज रहे हैं। सर्वे में कहा गया है कि भारत को एप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर के साथ मिलकर तत्काल काम करना चाहिए, ताकि भारत के लोगों का डेटा चीन न जाने पाए।

लोकल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान में पेजर के विस्फोट के बाद मीडिया रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि भारत जल्द ही सीसीटीवी कैमरे, स्मार्ट मीटर, पार्किंग सेंसर, ड्रोन पार्ट्स और यहां तक कि लैपटॉप और डेस्कटॉप को केवल विश्वसनीय जगहो से सोर्स करने के अपने आदेशों को क्रियान्वित करने की संभावना है। इस साल की शुरुआत में मार्च और अप्रैल में सरकार ने दो अलग-अलग गजट नोटिफिकेशन जारी किए थे। एक सर्विलांस कैमरों के लिए 'मेक इन इंडिया' दिशा-निर्देशों से संबंधित था और दूसरा सीसीटीवी सर्टिफिकेशन के क्राइटेरिया पर था।

बता दें कि पिछले साल जुलाई में, मोबाइल साइबर सुरक्षा कंपनी, प्राडियो के साइबर सुरक्षा विश्लेषकों ने रिपोर्ट की थी कि गूगल प्ले पर दो ऐप में जासूसी सॉफ्टवेयर पाया गया था जो चीन में स्थित संदिग्ध सर्वरों को डेटा भेज रहे थे। पिछले कुछ वर्षों में, कुछ विकसित देशों ने सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए संवेदनशील इमारतों में चीनी निर्मित निगरानी कैमरों के उपयोग को रोक दिया है।

ऐसे में भारत सरकार ने जासूसी सॉफ्टवेयर रखने के कारण कई चीनी ऐप और प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया है। सरकार की यह कोशिश भारत में बने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए भी है।

बता दें कि 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। जिसमें निहत्‍थे भारतीय जवानों पर चीन ने लाठी-डंडों और पत्‍थरों से हमले किए। इस दौरान 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन की यह हरकत भारतीयों को बिलकुल नागवार गुजरी थी। ड्रैगन से बदला लेने के सेंटिमेंट ने जोर पकड़ा था और लोग तेजी से चीनी प्रोडक्ट के इस्तेमाल का बहिष्कार करने लगे थे। हालांकि वक्त बीतने के साथ फिर से उन उत्पादों का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।

इंडिया के 80% घरों में 'ड्रैगन' की घुसपैठ, जासूसी की चिंताओं के बीच कितना बड़ा खतरा

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चीन अपनी सस्ती चीजों के जरिए बाजारों पर तेजी से हावी हो जाता है। भारत में भी घर-घर में चाइनीज प्रोडक्ट्स की पहुंच हैं। आज देश के लगभग सभी घरों में मेड इन चाइना प्रोडक्ट मिल जाएंगे। जो एक बड़ा खतरा है। दरअसल, एक सर्वे ने मेड इन चाइना प्रोडक्ट को लेकर बड़ा खुलासा किया है। इस सर्वे में यह बताया गया है कि 79 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास एक या अधिक मेड इन चाइना गैजेट हैं, जिसकी वजह से उन पर सर्विलांस का खतरा मंडरा रहा है।

लोकल सर्किल नाम की कंपनी का एक सर्वे सामने आया है। सर्वे के मुताबिक 25 प्रतिशत घरों में एक या उससे ज्यादा मेड इन चाइना गैजेट मौजूद हैं। वहीं सर्वे में शामिल किए गए 54 प्रतिशत घरों में तीन से ज्यादा मेड इन चाइना डिवाइस हैं। इन डिवाइस से जुड़े चाइनीज ऐप फोटो और वीडियो जैसे यूजर डाटा को स्टोरेज और प्रोसेसिंग के लिए चीन भेज रहे हैं। सर्वे में कहा गया है कि भारत को एप्पल ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर के साथ मिलकर तत्काल काम करना चाहिए, ताकि भारत के लोगों का डेटा चीन न जाने पाए।

लोकल सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, लेबनान में पेजर के विस्फोट के बाद मीडिया रिपोर्ट्स से संकेत मिलता है कि भारत जल्द ही सीसीटीवी कैमरे, स्मार्ट मीटर, पार्किंग सेंसर, ड्रोन पार्ट्स और यहां तक कि लैपटॉप और डेस्कटॉप को केवल विश्वसनीय जगहो से सोर्स करने के अपने आदेशों को क्रियान्वित करने की संभावना है। इस साल की शुरुआत में मार्च और अप्रैल में सरकार ने दो अलग-अलग गजट नोटिफिकेशन जारी किए थे। एक सर्विलांस कैमरों के लिए 'मेक इन इंडिया' दिशा-निर्देशों से संबंधित था और दूसरा सीसीटीवी सर्टिफिकेशन के क्राइटेरिया पर था।

बता दें कि पिछले साल जुलाई में, मोबाइल साइबर सुरक्षा कंपनी, प्राडियो के साइबर सुरक्षा विश्लेषकों ने रिपोर्ट की थी कि गूगल प्ले पर दो ऐप में जासूसी सॉफ्टवेयर पाया गया था जो चीन में स्थित संदिग्ध सर्वरों को डेटा भेज रहे थे। पिछले कुछ वर्षों में, कुछ विकसित देशों ने सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए संवेदनशील इमारतों में चीनी निर्मित निगरानी कैमरों के उपयोग को रोक दिया है।

ऐसे में भारत सरकार ने जासूसी सॉफ्टवेयर रखने के कारण कई चीनी ऐप और प्रोडक्ट्स पर बैन लगाया है। सरकार की यह कोशिश भारत में बने प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए भी है।

बता दें कि 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। जिसमें निहत्‍थे भारतीय जवानों पर चीन ने लाठी-डंडों और पत्‍थरों से हमले किए। इस दौरान 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन की यह हरकत भारतीयों को बिलकुल नागवार गुजरी थी। ड्रैगन से बदला लेने के सेंटिमेंट ने जोर पकड़ा था और लोग तेजी से चीनी प्रोडक्ट के इस्तेमाल का बहिष्कार करने लगे थे। हालांकि वक्त बीतने के साथ फिर से उन उत्पादों का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।

ब्रिटेन ने मॉरीशस को वापस दिया चागोस द्वीप समूह, इस फैसले में भारत का है अहम भूमिका

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ब्रिटेन ने चागोस द्वीप पर मॉरीशस को संप्रभुता सौंपने का फैसला लिया है। इस फैसले में भारत ने अहम भूमिका निभाई है। यह द्वीपों का एक समूह है जो 19वीं शताब्दी की शुरुआत से ब्रिटिश नियंत्रण में था। अब भारत की पहल से ये द्वीप समूह ब्रिटेन से मॉरीशस को मिल रहा है। भारत ने इन द्वीपों का अधिकार मॉरीशस को वापस दिलाने में मध्यस्थ के तौर पर एक असरदार भूमिका निभाई।

भारत ने हमेशा से ही औपनिवेशीकरण के अंत का समर्थन किया है। मॉरीशस के साथ अपने मजबूत रिश्तों के चलते चागोस द्वीप समूह पर उसके दावे का भी सपोर्ट करता रहा। भारत का मानना है कि यह समझौता सभी पक्षों के लिए फायदेमंद है। भारत के इस कूटनीतिक पहल का सबसे बड़ा असर वैश्विक उपनिवेशीकरण खत्म होने की दिशा में पड़ेगा।इससे हिंद महासागर की सुरक्षा भी बेहतर हो सकेगी।

भारत को आजादी मिलने के करीब 21 साल बाद मॉरीशस को ब्रिटेन से आजादी मिली थी। हालांकि ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह को नहीं छोड़ा। अगले कुछ सालों में अंग्रेजों ने वहां के स्थानीय लोगों को भी भगा दिया। बाद में अमेरिका से डील कर ली। मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में गया और मॉरीशस के पक्ष में फैसला आया। अब जाकर ब्रिटेन इलाका छोड़ने को राजी हुआ है।

मॉरिशस को चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता का ऐतिहासिक हस्तांतरण दिलाने में भारत ने चुपचाप बड़ी भूमिका निभाई। भारत ने यूके से बातचीत के दौरान उपनिवेशवाद के 'अंतिम अवशेषों' को खत्म करने की जरूरत को पूरी दृढ़ता से रखा था। ब्रिटेन और मॉरीशस की तरफ से जो संयुक्त बयान जारी हुआ है, उसमें भी नई दिल्ली की भूमिका को स्वीकार किया गया है।बयान में जिक्र किया गया है, आज के राजनीतिक समझौते पर पहुंचने में, हमें अपने करीबी सहयोगियों अमेरिका और भारत का पूरा समर्थन और सहायता प्राप्त हुआ। संयुक्त बयान में कहा गया है, अंतिम परिणाम सभी पक्षों की जीत है और यह हिंद महासागर क्षेत्र में दीर्घकालिक सुरक्षा को मजबूत करेगा।

इस ऐतिहासिक समझौते में डिएगो गार्सिया में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे को लेकर भी 99 साल की लीज का प्रावधान है। इस समझौते से डिएगो गार्सिया में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 99 साल की लीज के प्रावधान से यह सुनिश्चित होता है कि अमेरिका का यह अड्डा यहां बना रहेगा।

यह समझौता भारत और अमेरिका के समर्थन से दो साल की बातचीत के बाद हुआ है। चागोस द्वीपसमूह के जरिए अवैध एंट्री की बढ़ती आशंकाओं के बीच यह कदम उठाया गया है। डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में सबसे महत्वपूर्ण अमेरिकी सैन्य अड्डा है, जहां बड़े युद्धपोत और लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं।

चागोस विवाद क्या है और किस बारे में है?

60 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ 58 द्वीपों का एक द्वीपसमूह है, जिसे चागोस द्वीपसमूह के नाम से जानते हैं। ये मॉरीशस से लगभग 2,200 किलोमीटर उत्तर-पूर्व और भारत के तिरुवनंतपुरम से 1,700 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। ये द्वीप 18वीं शताब्दी से मॉरीशस का हिस्सा रहे हैं, जब यह फ्रांसीसी उपनिवेश था और तब इसे आइल डी फ्रांस के नाम से जाना जाता था। बाद में ब्रिटेन का इस पर कंट्रोल हो गया। 1965 में ब्रिटेन ने मॉरीशस को तो आजादी दे दी लेकिन ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र बनाने के लिए चागोस द्वीपसमूह को अपने पास ही रखा।

दरअसल ब्रिटेन को ये द्वीप समूह सामरिक लिहाज से काफी अहम लगा। वह चागोस के सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर एक सैन्य अड्डा स्थापित करना चाहता था। इसके लिए उसने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक गुप्त सौदा किया हुआ था। लिहाजा 1960 के दशक में यहां रह रहे स्वदेशी चागोसी लोगों को द्वीपों से जबरन हटा दिया गया, तब से ये विवाद और अंतरराष्ट्रीय कानूनी चुनौतियों का विषय रहा है। फिर मॉरीशस इस पूरे मामले को इंटरनेशनल कोर्ट तक लेकर गया।

मेरा बाप अध्यक्ष है मै जिस लड़की को चाहूँ उस लड़की को छेड़ूँगा
मेरा बाप अध्यक्ष है मै जिस लड़की को चाहूँ उस लड़की को छेड़ूँगा वीडियो देखकर आपकी आँखे दंग रह जाएंगी दिनदहाड़े लड़की से बदसलूकी करने के बाद इस लड़के के तेवर देखिये, न कोई डर न कोई खौफ वीडियो दिल्ली NCR की किसी कॉलोनी का बताया जा रहा इतना Repost करें कि ये जानवर गिरफ्तार हो

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पाकिस्तान के दौरे पर जाएंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर, SCO की बैठक में होंगे शामिल

#s_jaishankar_will_visit_pakistan_to_attend_the_sco_meet 

भारत और पाकिस्तान के बीच काफी लंबे समय से रिश्ते ठंडे पड़े हुए हैं। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर अक्टूबर में पाकिस्तान जाएंगे। वे इस्लामाबाद में SCO (शंघाई सहयोग संगठन) के हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (CHG) की बैठक में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसकी जानकारी दी।15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में बैठक होगी। 2014 के बाद यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मंत्री पाकिस्तान जाएगा। पिछले 9 साल में पहली बार होगा जब भारत का कोई मंत्री पाकिस्तान जाएगा।

विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जायसवाल से सवाल किया गया कि क्या जयशंकर की यात्रा भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की कोशिश है। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि भारत SCO चार्टर को लेकर प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्री की यात्रा का यही कारण है। इसका कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।

दरअसल, पाकिस्तान ने 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को SCO मीटिंग के लिए न्योता दिया था। पाकिस्तान की विदेश विभाग की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा था कि बैठक में भाग लेने के लिए सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है।

पाकिस्तान से बातचीत की संभावनाओं को खारिज किया था

पाकिस्तान की तरफ से न्योता आने के बाद 30 अगस्त को जयशंकर दोनों देशों के रिश्ते पर बयान दिया था। जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, 'पाकिस्तान से बातचीत करने का दौर अब खत्म हो चुका है। हर चीज का समय होता है, हर काम कभी ना कभी अपने अंजाम तक पहुंचता है।' जयशंकर ने आगे कहा था, 'जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है तो अब वहां आर्टिकल 370 खत्म हो गई है। यानी मुद्दा ही खत्म हो चुका है। अब हमें पाकिस्तान के साथ किसी रिश्ते पर क्यों विचार करना चाहिए।'

यूएन में पाक को लिया आड़े हाथ

वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को आड़े हाथों लेने के कुछ दिन विदेश मंत्री एस जयशंकर की ये यात्रा हो रही है। 28 सितंबर को जयशंकर ने कहा था कि कई देश अपने कंट्रोल से परे परिस्थितियों के कारण पीछे छूट जाते हैं। मगर, कुछ देश जानबूझकर ऐसे फैसले लेते हैं, जिनके विनाशकारी परिणाम होते हैं। इसका उदाहरण हमारा पड़ोसी पाकिस्तान है।

विधायकों के साथ तीसरी मंजिल से कूदे महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नरहरि जिरवाल, जानें वजह

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महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरी झिरवल ने शुक्रवार को मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी। उनके साथ विधायक हीरामन खोसकर भी कूद पड़े। हालांकि, नीचे जाल रहने के कारण उनकी जान बच गई।धनगर समाज को एसटी कोटे से आरक्षण देने का विरोध करते हुए उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगाई। उनका कहना था कि उनकी मांगें नहीं सुनी जा रही हैं, इसलिए नाराजगी में वह मंत्रालय से कूद गए।

झिरवल उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की एनसीपी गुट के विधायक हैं। बताया जा रहा है कि वे शिंदे सरकार की तरफ से धनगर समाज को एसटी का दर्जा दिए जाने के फैसले के खिलाफ हैं। वे अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।

जानकारी केअनुसार, नरहरी जिरवाल ने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगााई। जिरवाल के बाद कुछ और आदिवासी विधायक भी कूद गए। हालांकि, नीचे जाली रहने के कारण सभी की जान बच गई।इस मामले को लेकर जिरवाल और अन्य आदिवासी विधायकों ने शुक्रवार, 4 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। हालांकि, जब बात नहीं बनी तो उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी।

महाराष्ट्र में पिछले चार दिन से आदिवासी विधायक गुस्से में दिख रहे हैं। जिरवाल ने मुख्यमंत्री शिंदे से मुलाकात से पहले चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि सीएम हमारी बात नहीं सुनेंगे तो हमारे पास प्लान बी तैयार है। जिरवाल ने कहा कि हम एसटी आरक्षण को प्रभावित नहीं होने देना चाहते हैं। इसके बाद एक घंटे के अंदर उन्होंने मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगाकर अपना गुस्सा जाहिर किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*
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बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है। जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’ श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।" विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा। दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है। भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है। लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे। दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर पहुंचे कोलंबो, क्या श्रीलंका पर चीन का दबदबा कम करेगा ये दौरा?*

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बीते 3 साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका को अपना नया कप्‍तान मिल गया है।अनूरा कुमार दिसानायके राष्‍ट्रपति बने हैं।श्रीलंका में नई सरकार का गठन होने के बाद जयशंकर आज पहली बार कोलंबो पहुंचे हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में अनुरा कुमार दिसानायके के शपथ लेने के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद द्वीप राष्ट्र के नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए वह एक दिवसीय यात्रा पर हैं।जयशंकर की इस यात्रा पर चीन पैनी नजर बनाए हुए है।

जयशंकर ने कोलंबो हवाई अड्डे पर उतरने के तुरंत बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कोलंबो में पुन: आकर अच्छा लगा। श्रीलंकाई नेतृत्व के साथ आज अपनी बैठकों को लेकर उत्साहित हूं।’’

श्रीलंका पहुंचने के बाद जयशंकर ने सबसे पहले यहां के नए विदेश मंत्री विजिथा हेराथ से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि "आज कोलंबो में विदेश मंत्री विजिथा हेराथ के साथ व्यापक और विस्तृत वार्ता संपन्न हुई। एक बार फिर उन्हें नई जिम्मेदारियों के लिए बधाई दी। भारत-श्रीलंका साझेदारी के विभिन्न आयामों की समीक्षा की। साथ ही उन्हें श्रीलंका के आर्थिक पुनर्निर्माण में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति और सागर दृष्टिकोण हमेशा भारत श्रीलंका के संबंधों की प्रगति का मार्गदर्शन करेगा।"

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर के दौरे की जानकारी देते हुए बताया कि ‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘सागर’ (एसएजीएआर) नीति के तहत दोनों देश (भारत और श्रीलंका) आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को अधिक गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

बता दें कि अनुरा दिसानायके चीन की नीतियों से प्रभावित है। हालांकि, भारत से भी करीबी संबंध बनाकर रखने के इच्छुक हैं। देश की कमान संभालने के बाद अनुरा ने ये कहकर चौंका दिया था कि भारत और चीन के बीच ‘सैंडविच’ बनने के बजाए श्रीलंका, दोनों देशों से मित्रतापूर्ण संबंधों रखने की कोशिश करेगा।

दरअसल, हिंद महासागर में स्ट्रेटेजिक लोकेशन के चलते चीन लगातार श्रीलंका को अपने नेवल बेस की तरह इस्तेमाल करता है। चीन के स्पाई शिप से लेकर पनडुब्बियां श्रीलंका में दिखाई पड़ते रहते हैं। चीन के कर्ज तले दबे श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन को लीज पर दे दिया है।

भारत के एतराज के बाद हालांकि, पिछले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों पर श्रीलंका आने पर रोक लगा दी थी। अब जबकि विक्रमसिंघे चुनाव हार चुके हैं और कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित अनुरा ने बाजी मारी ली है तो परिस्थितियां बदलने के कयास लगाए जा रहे है।

लेकिन अनुरा ने अपनी सरकार की नीति साफ कर दी है। अनुरा को भले ही चीन समर्थक माना जाता है लेकिन वे अब भारत के भी करीब आ चुके हैं। यही वजह है कि एकेडी ने कहा था कि भले ही आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में कई महाशक्तियां हैं लेकिन किसी के साथ प्रतिद्वंता नहीं रखेंगे।

दिसानायके के मुताबिक, भारत और चीन, दोनों ही श्रीलंका के महत्वपूर्ण पाटर्नर हैं। ऐसे में ‘सैंडविच’ बनने के बजाए आर्थिक संकट से उबरने में दोनों देशों की मदद की जरूरत होगी।