महात्मा गांधी की 155वीं जयंती: जानें उनके 7 महत्वपूर्ण आंदोलनों के बारे में, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
समूचे भारत में आज यानी 2 अक्टूबर 2024 को महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मनाई जा रही है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ लेकिन ये आजादी का फल यूं ही नहीं मिल गया था। देश को यह आजादी दशकों की कड़ी तपस्या के बाद मिली थी। आज ही के दिन हमारे देश ने अपनी परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ा था। यूं तो इस आजादी में बहुत से लोगों का अहम किरदार रहा लेकिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का कुछ अलग ही रहा। हमारे देश के राष्ट्रपिता की अहिंसावादी सोच का पूरे विश्व में बोलबाला है और समूचे जगत में इस पथ को नमन किया जाता है। उन्होंने हमारे देश को आजाद कराने के लिए कई आंदोलन किए। आज हम महात्मा गांधी की 155वीं जयंती पर आपको उनके सात ऐसे आंदलनों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने इस देश से अंग्रेजों के पैर उखाड़ दिए थे, जिससे वे हमारे देश को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे।
महात्मा गांधी के आंदोलन
नीचे दी गई लिस्ट के माध्यम से आप महात्मा गांधी के उन सात आंदोलनों से अवगत हो सकेंगे जिसकी वजह से अंग्रेजों को हमारे देश से भागने पर मजबूर होना पड़ा था।
-चंपारण सत्याग्रह: यह आंदोलन 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था, जहां किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर किया जा रहा था। गांधी जी ने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और सरकार को इस पद्धति को समाप्त करने के लिए मजबूर किया ।
खेड़ा आंदोलन: 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में शुरू हुआ, यह आंदोलन किसानों के कर माफी की मांग के लिए था। गांधी जी ने किसानों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और सरकार को कर माफी के लिए मजबूर किया।
रॉलेट ऐक्ट का विरोध: 1919 में गांधी जी ने रॉलेट ऐक्ट के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, जिसने ब्रिटिश सरकार को भारतीयों के खिलाफ सPECIAL पावर दिए थे। गांधी जी के नेतृत्व में यह आंदोलन भारत भर में फैल गया और सरकार को इस ऐक्ट को वापस लेने के लिए मजबूर किया।
असहयोग आंदोलन: 1920 में शुरू हुआ, यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के साथ सहयोग करने से इनकार करने के लिए था। गांधी जी ने लोगों से सरकारी नौकरियों, स्कूलों और अदालतों का बहिष्कार करने का आह्वान किया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन: 1930 में शुरू हुआ, यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सविनय अवज्ञा का आह्वान था। गांधी जी ने लोगों से सरकारी कानूनों का उल्लंघन करने और सत्याग्रह करने का आह्वान किया।
भारत छोड़ो आंदोलन: 1942 में शुरू हुआ, यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ने के लिए था। गांधी जी ने लोगों से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष करने का आह्वान किया।
सत्याग्रह आंदोलन: यह आंदोलन गांधी जी के सत्याग्रह की अवधारणा पर आधारित था, जिसका उद्देश्य अहिंसा और सत्य के माध्यम से सरकार को बदलना था।
उक्त में से क्विट इंडिया मूवमेंट
का प्रभाव जनता पर इस कदर पड़ा था कि पूरा देश ही 'भारत छोड़ो आंदोलन' की मुहिम में शामिल था। आपको जानकारी के लिए बता दें कि इस आंदोलन के दौरान ही महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। इन नारे से जनता पर ऐसा प्रभाव ऐसा पड़ा कि अंग्रेजों के पैर उखड़ गए और उन्हें हमारे देश को छोड़कर भागना पड़ा।
Oct 02 2024, 10:09