तिरुपति बालाजी की 4 सबसे पॉवरफुल पुजारी फैमिली , शाही ठाठ-बाट; सैलरी के साथ मिलती है कई और सुविधाएं

डेस्क : तिरुपति मंदिर की सेवा में लगे 4 परिवारों की चर्चा खूब हो रही है, जिनकी पुश्तें दशकों से देवस्थानम की देखरेख और पूजा अर्चना कर रही हैं। इन परिवार की पावर भी किसी आम परिवार से कहीं अधिक है। तिरुपति मंदिर में कुल 58 पुजारी जो रोजाना की पूजा अर्चना कराते हैं । इसमें 23 पुजारी वंशानुगत हैं ।

मुख्य धार्मिक कार्यकलाप इन्हीं के हाथों से  सभी पुजारियों को सैलरी मिलती है और अन्य सुविधाएं भी, साथ में VIP पास देने की सुविधा भी

सदियों से तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर का धार्मिक प्रबंधन 4 पुजारी परिवारों द्वारा किया जाता रहा है। तिरुमति मंदिर के 4 पॉवरफुल फैमिली के तौर पर इन्हें जाना जाता है। मंदिर में सुबह से शाम तक जो धार्मिक अनुष्ठान चलता है, वो इसी परिवार के लोग करते हैं।

इन 4 पुजारी परिवारों का नाम है – पैडिपल्ली, गोल्लापल्ली, पेद्दिन्ति और तिरुपतम्मा। पीढ़ियों से ये परिवार तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में अनुष्ठान करते आ रहे हैं। इन 4 परिवार के 23 पुजारियों का सिक्का पूरे तिरुपति में चलता है। वो शानोशौकत से यहां रहते हैं।

तिरूमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट में कुल 16,000 लोगों का स्टाफ है।मंदिर में 4 वंशानुगत पुजारी परिवारों के 23 पुजारी हैं, मंदिर की असल धार्मिक ताकत इन्हीं के हाथों में होती है।गैर वंशानुगत तौर पर मंदिर में 35 पुजारी हैं ।

*पुजारियों का वेतन*

मंदिर का मुख्य पुजारी वंशानुगत ही होता है जिसे प्रधान अर्चक कहते हैं, इनका महीने का वेतन करीब 82,000 रुपए होता है, साथ में सुविधाएं अलग।

दूसरे हेड पुजारी भी वंशानुगत ही होते हैं, जिन्हें हर महीने वेतन के तौर पर 52,000 रुपए मिलते हैं, भत्ते अलग, हालांकि ये कितने मिलते हैं, इसका खुलासा नहीं किया जाता।

गैर वंशानुगत पुजारियों का वेतन 30,000 से 60,000 रुपए होता है, जो अनुभव पर निर्भर करता है।

कुछ वंशानुगत पुजारियों को उनकी सेवाओं के साथ एक बार मोटी राशि भी दी जाती है, जैसे रमन्ना दीक्षितुलु को उनकी सेवाओं के बदले 30 लाख रुपए दिए गए।

*पुजारियों को भत्ते और सुविधाएं*

सभी पुजारियों को रहने के लिए घर मिलते हैं। हालांकि इसका कोई नियम नहीं है। सभी पुजारियों को वेतन के अलावा कई तरह के भत्ते मिलते हैं लेकिन उनके बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है

सभी पुजारियों और उनके परिवार को स्वास्थ्य को लेकर खर्च टीटीडी वहन करता है, वैसे टीटीडी का खुद का भी काफी आधुनिक अस्पताल है।

तिरुपति बालाजी मंदिर में सुबह तड़के से धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाते हैं और ये रात तक चलते रहते हैं। इन पुजारियों का मंदिर परिसर के सारे धार्मिक क्रियाकलाप पर पूरा नियंत्रण रहता है।

सभी पुजारियों को छुट्टी भी मिलती है. लेकिन ये नियमबद्ध नहीं है।

सभी पुजारियों की एक उम्र तय है, उसके बाद वो रिटायर होते हैं। तब उन्हें रिटायरमेंट के बेनिफिट मिलते हैं। रिटायरमेंट प्लान यहां 2018 से लागू हुआ है। 65 साल की उम्र में पुजारी रिटायर हो जाता है।

हालांकि ये मामला कोर्ट में गया तो राज्य सरकार ने इसको हटा लिया। क्योंकि वंशानुगत पुजारियों का तर्क है कि उनका पद जीवनपर्यंत है, इसमें रिटायरमेंट की कोई बाध्यता नहीं है। लेकिन ये सुविधा गैर वंशानुगत पुजारियों को हासिल नहीं है। इस मामले में कोर्ट में मुकदमा जारी है।

हर पुजारी अपने परिवार या कुछ लोगों को अपने कोटे पर VIP सुविधा से मंदिर में दर्शन के लिए ला सकता है।

वो 4 पुजारी परिवार जो सबसे ताकतवर

जो 4 परिवार तिरुपति मंदिर में वंशानुगत पुजारी हैं, वो पैडिपल्ली, गोल्लापल्ली, पेद्दिन्ति और तिरुपतम्मा परिवारों से आते हैं,  मंदिर के पहले पुजारी गोपीनाथाचार्युलु के वंशज हैं। वह मंदिर के अनुष्ठानों पर एक संहिता वैखानस आगम के विशेषज्ञ थे। वैखानस आगम भगवान विष्णु से जुड़े मंदिरों में पूजा की 2 परंपराओं में एक है।

इस परिवार के लोगों को अर्चक, मीरासी परिवार या वंशानुगत पुजारी के रूप में जाना जाता है. करीब 2,000 वर्षों से ये परिवार तिरुमाला मंदिर और गोविंदराज स्वामी मंदिर से जुड़े हुए हैं ।

इन परिवारों के सदस्यों को पारंपरिक रूप से मंदिर के अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के संरक्षक के रूप में देखा जाता है। वे दैनिक अनुष्ठान (नित्य कैंकर्यम) और विशेष समारोह करते हैं, जो मंदिर की प्रथाओं को नियंत्रित करने वाले आगम शास्त्रों का पालन सुनिश्चित करते हैं ।

*फिलहाल मंदिर का मुख्य पुजारी कौन है*

तिरुपति मंदिर के मुख्य अर्चक यानि मुख्य पुजारी ए वेणुगोपाल दीक्षितुलु हैं, जो गोल्लापल्ली वंशानुगत परिवार से हैं. वह 2018 में मुख्य अर्चक बने. इससे पहले मंदिर के मुख्य पुजारी डॉ. एवी रमन्ना दीक्षातुलु थे, जो गोल्लापल्ली परिवार के थे. मंदिर में अनुष्ठानों के विशेषज्ञ कहे जाते थे. उनके पास माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की डिग्री थी. पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने 1967 में पुजारी का पद संभाला था।

*क्यों ये 4 परिवार तिरुपति से सबसे अमीर परिवारों में गिने जाते हैं*

पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है लेकिन माना जाता है कि उन्हें हमेशा से TTD कुल कमाई में एक हिस्सा मिलता है. केवल यही नहीं इन चारों परिवारों के लोग TTD के भीतर प्रभावशाली पदों पर भी बने हुए हैं। इनकी संपत्ति करोड़ों में मानी जाती है। बहुत ठाट बाट के साथ ये लोग रहते हैं। इनका काफी रसूख और असर भी है. सीधे CM तक उनकी पहुंच होती है. देशभर के असरदार लोगों के अनुष्ठान कराते हैं।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।
आइए जानते हैं कौन से विटामिन्स की कमी आपके चेहरे के लिए हानिकारक
डेस्क :– आपने देखा होगा कि बहुत बार कई लोगों के चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ जाते हैं और लाख कोशिशों के बावजूद भी इन्हें साफ कर पाना मुश्किल होता है। बहुत से लोग महंगे-महंगे उत्पादों की मदद लेते हैं लेकिन फिर भी चेहरे से दाग-धब्बे हटने का नाम नहीं लेते हैं। दरअसल इसके पीछे कहीं न कहीं आपके शरीर में मौजूद विटामिन्स की कमी होना है, जिसकी वजह से इन्हें बाहरी तौर पर हटा पाना मुश्किल होता है। ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते हैं लेकिन फिर भी वो बाजार से अलग-अलग उत्पादों का यूज करते हैं, जो उनके चेहरे को और ज्यादा बिगाड़ने का काम करता है। अगर आपके चेहरे पर भी दाग-धब्बे, जो हटने का नाम नहीं ले रहे हैं तो आपके शरीर में इन विटामिन्स की कमी हो सकती है। आइए जानते हैं कौन से विटामिन्स की कमी आपके चेहरे के लिए हानिकारक है।

*1-विटामिन्स सी की कमी*
विटामिन सी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है, जो कि इम्यूनिटी को बूस्ट करने के साथ-साथ हमारे चेहरे की खूबसूरती को निखारने में मदद करता है। हालांकि जब शरीर में विटामिन सी की कमी हो जाती है तो चेहरे की नमी गायब हो जाती है, जिसकी वजह से चेहरा डिहाइड्रेट हो जाता है और इस विटामिन की कमी से आपके चेहरे पर पिंपल्स और दूसरी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इसलिए आप ऐसे फलों व सब्जियों का सेवन करें, जो जिनमें विटामिन सी की मात्रा ज्यादा हो।

*2-विटामिन ई की कमी*
विटामिन ई की कमी से चेहरे का निखार गायब हो जाता है और त्वचा भी बेजान दिखाई देने लगती है। विटामिन ई एक ऐसा विटामिन है, जो चेहरे को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ चेहरे के ग्लो को बनाए रखने में मदद करता है। आप इस विटामिन की कमी को दूर करने के लिए विटामिन ई फूड्स के अलावा दूसरे कैप्सूल भी ट्राई कर सकते हैं।

*3-विटामिन बी-6 की कमी*
विटामिन बी एक प्रकार का समूह है, जिसमें ढेर सारे विटामिन्स होते हैं जैसे विटामिन बी1, बी2 बी6, बी12 और दूसरे विटामिन्स। लेकिन जब शरीर में विटामिन बी 6 की कमी हो जाती है तो चेहरे पर छोटे-छोटे सफेद निशान होने लगते हैं। अगर आप इस विटामिन की कमी को दूर करने के लिए ऐसे फूड्स का सेवन कर सकते हैं, जो कि विटामिन बी6 की कमी को दूर कर सके।

*4-विटामिन बी12 की कमी*
विटामिन बी12 भी बी विटामिन समूह का एक जरूरी हिस्सा है, जो शरीर में कई जरूरी काम को अंजाम देता है। शरीर में विटामिन बी12 की कमी से चेहरे पर झांइयां आनी शुरू हो जाती है। शरीर में विटामिन बी 12 की कमी होने से भी चेहरे और शरीर के दूसरे हिस्सों पर सफेद दाग आ सकते हैं। इस विटामिन की कमी को दूर करने के लिए आपको दूध और दूध से बनी चीज, मछली, शेलफिश, मांस, अंडा खाना चाहिए।

*5-कैल्शियम की कमी* कैल्शियम एक मिनरल है, जिसकी कमी न सिर्फ आपके चेहरे पर बल्कि आपके नाखून पर दिखाई देने लगती है। कैल्शियम की कमी न सिर्फ चेहरे पर बल्कि आपको अंदर से भी परेशान करती है, जिसकी वजह से शरीर कमजोर होने लगता है। इसलिए कैल्शियम की कमी न होने दें और ऐसे फूड्स का सेवन करें, जो इस मिनरल की आपूर्ति करे।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
आइए जानते हैं सुबह खाली पेट कौन से पत्ते चबाने चाहिए और उनके फायदे क्या है
डेस्क:– प्रकृति ने हमें तमाम ऐसे पेड़-पौधों का उपहार दिया है जो किसी औषधि से कम नहीं है। पेड़ पौधों की पत्तियां, बीज, छाल और यहां तक कि जड़ें भी बहुत उपयोगी हैं। खासकर, अगर पत्तियों की बात करें तो प्रकृति में तमाम ऐसे पेड़ पौधे हैं, जिनकी पत्तियों में बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है। आज हम आपको पांच ऐसे पेड़ पौधों की पत्तियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें खाली पेट चबाने मात्र से कई बीमारियां दूर हो जाती हैं, और कई गंभीर बीमारियां ऐसी हैं जो इन पत्तियों के डर से आपको छू तक नहीं पाती हैं। आइए जानते हैं सुबह खाली पेट कौन से पत्ते चबाने चाहिए और उनके फायदे क्या है। 

*तुलसी की पत्तियां खाली पेट चबाने के फायदे* सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां चबाने से आपको कई रोगों में आराम मिलता है। तुलसी की पत्तियां चबाने से पेट में ऐंठन, एसिडिटी, सर्दी, जुकाम और आंतों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है। क्योंकि तुलसी की पत्तियों में एंटीवायरल गुण होते हैं जो सीजनल बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन को कम करने में भी मदद करते हैं। तुलसी की पत्तियां फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं, किडनी रोग और तमाम तरह की बीमारियों में कारगर है।

*करी पत्ता खाली पेट चबाने के फायदे* करी पत्ता आमतौर पर दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है, लेकिन जैसे-जैसे इसकी उपयोगिता लोगों तक पहुंच रही हैं अब हर कोई खाने में करी पत्ते का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन एक खासियत और यह है कि करी पत्ता डायबिटीज में बहुत फायदेमंद होता है। यह इंसुलिन के उत्पादन में मदद करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। करी पत्ते प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस को कम करने में भी मदद करते हैं। यह कब्ज और डायरिया को भी ठीक करता है।

*अजवाइन की पत्तियां खाली पेट चबाने के फायदे* जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अजवाइन पेट की हर समस्या का रामबाण उपचार है। अगर आप सुबह ताजी अजवाइन की पत्तियां चबाते हैं तो इसके और भी ज्यादा फायदे आप पा सकते हैं। अजवाइन की पत्तियां खाली पेट चबाने से पेट की गैस, एसिडिटी और मरोड़ से राहत मिलती है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण आपको इंफेक्शन से बचाते हैं। यह दर्द को दूर करने में भी बहुत कारगर है।

*नीम की पत्तियां खाली पेट चबाने के फायदे* नीम की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं जो पेट के कीड़ों को मारने से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती हैं। सुबह सुबह खाली पेट नीम की पत्तियां चबाने से आपका ब्लड प्यूरीफाई होता है। आपकी त्वचा अंदर से स्वस्थ होती है। और पेट संबंधी सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह मसूड़ों और दांतों से जुड़ी समस्याओं का भी उपचार करती हैं। साथ ही साथ या लीवर के लिए भी फायदेमंद है।

*पुदीने की पत्तियां खाली पेट चबाने के फायदे* पुदीने की पत्तियां लोग स्वाद बढ़ाने के लिए अलग-अलग व्यंजनों में शामिल करते हैं। लेकिन इसके औषधीय उपयोग बहुत ज्यादा है। पुदीना पेट की समस्याओं में बहुत कारगर है। यह एसिडिटी, कब्ज, गैस और भूख की कमी को दूर करती है। गर्मी के मौसम में पुदीने की पत्तियां चबाने से आप पेट संबंधी समस्याओं से दूर रहते हैं। आपका मूड फ्रेश रहता है, और सर्दी जुकाम में भी फायदेमंद है।
11 इंच के डिस्प्ले और 8300mAh बैटरी के साथ आया नया Honor Pad X8a टैबलेट
डेस्क:– भारतीय मार्केट में स्मार्टफोन्स के साथ ही दमदार टैबलेट की भी काफी डिमांड रहती है। इसी कड़ी में हॉनर (Honor) ने बाजार में अपना एक नया टैबलेट लॉन्च कर दिया है। दरअसल, हॉनर पैड एक्स8ए को कंपनी ने लॉन्च किया है। इस पैड में कंपनी ने 4GB रैम के साथ ही 8300mAh की दमदार बैटरी प्रदान कराई है जो टैबलेट को लंबे समय तक चार्ज रखने में सक्षम है। वहीं इसमें 11 इंच का विशाल डिस्प्ले दिया गया है जो यूजर्स के बेहतरीन एक्सपीरिएंस प्रदान करेगा।

अब इस टैबलेट के स्पेक्स के बारे में बताएं तो HONOR Pad X8a में 11 इंच का FHD TFT एलसीडी डिस्‍प्‍ले उपलब्ध कराया गया है। ये डिस्प्ले 90 हर्त्‍ज तक रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करता है। साथ ही इसमें 400 निट्स का पीक ब्राइटनेस सपोर्ट भी मिलता है। कंपनी के अनुसार, डिस्‍प्‍ले को लो ब्‍लू लाइट सर्टिफिकेशन मिला है। इसका मतलब है कि टैबलेट का डिस्प्ले आंखों को कम नुकसान पहुंचाएगा।

इसके साथ ही डिवाइस को क्‍वालकॉम स्‍नैपड्रैनग 680 प्रोसेसर के साथ उतारा गया है। वहीं ग्राफिक्स के लिए इसमें एड्रिनो 610 जीपीयू दिया गया है। ये डिवाइस 4GB रैम के साथ आता है और इसमें 4GB तक वर्चुअल एक्‍सटेंड रैम भी दिया गया है। डिवाइस की स्टोरेज 128GB की है. वहीं इसमें एसडी कार्ड का स्लॉट दिया गया है जिसकी मदद से डिवाइस की स्टोरेज को 1 टीबी तक बढ़ाया जा सकता है।

HONOR Pad X8a लेटेस्‍ट एंड्रॉयड 14 ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करता है। डिवाइस में 5MP का प्राइमरी कैमरा दिया हुआ है। वहीं वीडियो कॉल के लिए इसमें 5MP का फ्रंट कैमरा प्रदान कराया है। पावर के लिए इसमें 8300mAh की तगड़ी बैटरी दी गई है। इसे यूएसबी टाइप-सी पोर्ट की मदद से फुल चार्ज किया जा सकता है. इस टैबलेट का वजन 495 ग्राम है।


Honor Pad X8a की कीमत कंपनी ने 12,999 रुपये रखी है। वहीं इसे कंपनी ने स्‍पेस ग्रे कलर में लॉन्च किया है। इस डिवाइस को ई-कॉमर्स साइट अमेजन (Amazon) से खरीदा जा सकता है। इसके अलावा इस डिवाइस को खरीदने पर कंपनी Honor Flip कवर फ्री में दे रही है।
अगर आप भी करते हैं जितिया का व्रत तो व्रत के समय सुनें ये कथा, संतान सुखी रहेगी
डेस्क :– अपने बेटे की सलामती के लिए मां निर्जला व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत की काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो बच्चों को लंबी उम्र के साथ बेहतर स्वास्थ्य मिलता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से और कथा पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं।बता रहे हैं कि जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है और इस दिन कौन सी कथा पढ़ने से भक्तों को फल मिलेगा।

*जितिया व्रत की तारीख*

हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया लगता है. इस बार ये दो दिन मनाया जा रहा है। 2024 में 24 सितंबर को 12 बजकर 36 मिनट से जितिया व्रत शुरू हो रहा है जो 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा। शुभ मुहूर्त की बात करें तो 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है। 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी। इसके बाद ओठगन होगा और फिर निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाएगी।

*जितिया व्रत कथा*

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नैमिषारण्य के निवासी ऋषियों ने संसार के कल्याण के लिए सूतजी से पूछा कि भविष्य काल में लोगों के बालक किस तरह दीर्घायु होंगे। सूतजी ने कहा- जब द्वापर का अन्त और कलियुग का आरंभ था, उसी समय बहुत-सी फिक्रमंद महिलाओं ने आपस में सलाह की थी कि क्या इस कलियुग में माता के जीवित रहते पुत्र मर जाएंगे? जब वे आपस में कुछ निर्णय नहीं कर पाईं तो गौतमजी के पास गईं। जब उनके पास पहुंचीं, तो उस समय गौतमजी आनन्द के साथ बैठे थे। उनके सामने जाकर उन्होंने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया।महिलाओं ने पूछा कि हे प्रभु, इस कलयुग में लोगों के पुत्र जीवित रहें, किसी आपता का शिकार ना हों, ऐसा कोई उपाय है क्या? इसके लिए कोई व्रत हो या कोई तपस्या हो तो राह दिखाएं।

अपने बेटे की सलामती के लिए मां निर्जला व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत की काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो बच्चों को लंबी उम्र के साथ बेहतर स्वास्थ्य मिलता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से और कथा पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं. बता रहे हैं कि जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है और इस दिन कौन सी कथा पढ़ने से भक्तों को फल मिलेगा.

*जितिया व्रत की तारीख*

हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया लगता है. इस बार ये दो दिन मनाया जा रहा है. 2024 में 24 सितंबर को 12 बजकर 36 मिनट से जितिया व्रत शुरू हो रहा है जो 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है. 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी. इसके बाद ओठगन होगा और फिर निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाएगी।

*जितिया व्रत कथा*

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नैमिषारण्य के निवासी ऋषियों ने संसार के कल्याण के लिए सूतजी से पूछा कि भविष्य काल में लोगों के बालक किस तरह दीर्घायु होंगे। सूतजी ने कहा- जब द्वापर का अन्त और कलियुग का आरंभ था, उसी समय बहुत-सी फिक्रमंद महिलाओं ने आपस में सलाह की थी कि क्या इस कलियुग में माता के जीवित रहते पुत्र मर जाएंगे? जब वे आपस में कुछ निर्णय नहीं कर पाईं तो गौतमजी के पास गईं. जब उनके पास पहुंचीं, तो उस समय गौतमजी आनन्द के साथ बैठे थे। उनके सामने जाकर उन्होंने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया। महिलाओं ने पूछा कि हे प्रभु, इस कलयुग में लोगों के पुत्र जीवित रहें, किसी आपता का शिकार ना हों, ऐसा कोई उपाय है क्या? इसके लिए कोई व्रत हो या कोई तपस्या हो तो राह दिखाएं.

महिलाओं की बात सुनकर गौतमजी बोले- आप सभी को मैं वो बात बताने जा रहा हूं जो मैंने कभी सुनी थी। जब महाभारत युद्ध का अन्त हो गया और द्रोणपुत्र अश्वत्थामा द्वारा अपने बेटों को मरा देखकर सब पाण्डव बड़े दुःखी हुए, तो पुत्र के शोक से व्याकुल होकर द्रौपदी अपनी सखियों के साथ ब्राह्मण-श्रेष्ठ धौम्य के पास गईं और कहा-‘हे विप्रेन्द्र। कौन-सा उपाय करने से बच्चे दीर्घायु हो सकते हैं, कृपया बताएं। धौम्य बोले- सत्ययुग में सत्यवचन बोलने वाला, श्रेष्ठ आचरण वाला, समदर्शी जीमूतवाहन नामक एक राजा हुआ करता था।

*राजा जीमूतवाहन का किस्सा*

एक दफा हालात कुछ ऐसे हुए कि वह अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल गया और वहीं रहने लगा। एक दिन आधी रात के समय पुत्र के शोक से व्याकुल कोई स्त्री रोने लगी, क्योंकि वह अपने बेटे को खोकर निराश थी। वह रोती हुई कहती थी-‘हाय, मुझ बूढ़ी माता के सामने मेरा बेटा मरा जा रहा है।’ उसका रोना सुनकर राजा जीमूतवाहन का निर्मल हृदय मायूस हो गया।

वह उस महिला के पास गए और पूछा- तुम्हारा बेटा कैसे मरा है? बूढ़ी माता ने कहा- गरुड़ प्रतिदिन आकर गांव के लड़कों को खा जाता है। इस पर दयालु राजा ने कहा- माता! अब तू रो मत। आनन्द से बैठो. मैं तुम्हारे बच्चे को बचाने का प्रयास करता हूं। ऐसा कहकर राजा उस स्थान पर गया, जहां गरुड़ रोज आता था और मांस का सेवन करता था। उसी समय गरुड़ भी उस पर टूट पड़ा और मांस खाने लगा। जब अतिशय तेजस्वी गरुड़ ने राजा का बायाँ अंग खा लिया तो झटपट राजा ने अपना दाहिना अंग फेरकर गरुड़ के सामने कर दिया।

यह देखकर गरुड़जी ने कहा- कौन हो तुम? क्या तुम कोई देवता हो? तुम मनुष्य तो नहीं लगते. अच्छा, अपना जन्म और कुल बताओ। पीड़ा से तड़पते राजा ने कहा- हे पक्षिराज. इस तरह के प्रश्न करना व्यर्थ है, तुम अपनी इच्छाभर मेरा मांस खाओ’। यह सुनकर गरुड़ रुक गए और बड़े आदर से राजा के जन्म और कुल की बात पूछने लगे।

राजा ने कहा- मेरी माता का नाम है शैव्या और मेरे पिता का नाम शालिवाहन है। सूर्यवंश में मेरा जन्म हुआ है और जीमूतवाहन मेरा नाम है’। राजा की दयालुता देखकर गरुड़ ने कहा- हे देवपुरुष, तुम्हारे मन में जो अभिलाषा हो वह वर मांगो। राजा ने कहा- हे पक्षिराज। यदि आप मुझे वर दे रहे हैं तो वर दीजिए कि आपने अब तक जिन प्राणियों को खाया है वे सब जीवित हो जाएं। हे स्वामिन्! अबसे आप यहां बालकों को ना खायें और कोई ऐसा उपाय करें कि जहां जो उत्पन्न हों वे लोग बहुत दिनों तक जीवित रहें। धौम्य ने कहा, पक्षीराज गरुड़ राजा को वरदान देकर स्वयं अमृत के लिए नागलोक चले। वहां से अमृत लाकर उन्होंने उन मरे मनुष्यों की हड्डियों पर बरसाया। ऐसा करने से सब लोग जीवित हो गए, जिनको पहले गरुड़ ने खाया था। इस कथा का पाठ करने से और निर्जला व्रत रखने से संतान की सेहत बढ़िया होती है और आयु में वृद्धि होती है।
यूपी के बागपत में जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंदिर,इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं

डेस्क :– यूपी के बागपत में जैन धर्म का सबसे प्राचीन मंदिर है। यहां स्थित दिगंबर जैन बड़ा मंदिर 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है। दीवारों और छतों पर की गई स्वर्णकार नक्काशी इतनी बेजोड़ है कि जिसका कोई दूसरे सा नहीं है। इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं। भारत में अलग-अलग धर्म और सभ्यताओं के लोग प्यार से रहते हैं। यहां अलग अलग धर्म के कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं जो अपनी मान्यताओं के लिए मशहूर हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बार में बताने जा रहे हैं जो खुद में इतिहास समेटे हुए है। वहीं यहां भक्त अपनी मुराद पूरी करने आते हैं। आज हम आपको बागपत के बड़ौत में दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के बारे में बताएंगे जो 650 साल का इतिहास खुद में समेटे हुए है। मंदिर में दीवारों और छतों पर की गई स्वर्णकार नक्काशी इतनी बेजोड़ है कि जिसका कोई दूसरे सानी नहीं है। इस मंदिर में कुल सात वेदियां हैं। पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। दूसरी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा विराजमान हैं। इसी प्रतिमा के बराबर में चौथी वेदी पर भगवान नेमिनाथ विराजमान हैं। अगर यदि इस नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा की बात करें तो यह देश भर में मिलने वाली भगवान नेमिनाथ की प्रतिमाओं में सबसे दुर्लभ प्रतिमाएं मानी जाती है। यह प्रतिमा श्याम वर्ण में है। चौथी वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की अति दुर्लभ प्रतिमा विराजमान है यह प्रतिमा बड़ौत में ही खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। इसके पास में रखी दूसरी प्रतिमाएं पन्ना धातु से बनी हुई हैं। पांचवी वेदी पर अरहनाथ भगवान की खड्ग आसन में प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा में भगवान मुस्कुराते हुए प्रतीत होते हैं। छठी वेदी पर चंद्रप्रभु भगवान की मूल प्रतिमा विराजमान हैं। इस अतिशयकारी प्रतिमा के चारों ओर स्वर्ण नक्काशी की गई है। साथ ही चंद्रगुप्त के 16 स्वपन्नों को भी चित्रों के माध्यम से बड़े सुंदर ढंग से दिखाया गया है। सातवीं वेदी पर भी भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के प्रथम तल में हजारों वर्ष प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ मौजूद हैं, जोकि बेहद दुर्लभ हैं। इन सभी दुर्लभ ग्रंथों का संग्रह मंदिर में किया गया है। इस मंदिर में हर वर्ष दशलक्षण पर्व पर 13 दीप महामंडल विधान का आयोजन होता है, जिसके बाद यहां से भव्य रथयात्रा निकाली जाती है। इसे देखने के लिए और पूजा-अर्चना करने के लिए देशभर से श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां पर लगता है। बागपत जनपद के यदि प्राचीन जैन मंदिरों की बात करें तो उन्हें बड़ौत स्थित दिगंबर जैन बड़ा मंदिर का नाम सबसे अग्रणी श्रेणी में आता है। दिगंबर जैन बड़ा मंदिर लगभग 650 साल पुराना है। इस मंदिर की प्राचीनता और यहां विराजमान अतिशयकारी मूर्तियों के कारण यहां पर श्रद्धालुओं के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
एलोवेरा एक अद्भुत औषधीय पौधा है, इसमें 75 से अधिक सक्रिय तत्व पाए जाते हैं , चेहरे के लिए बहुत लाभकारी
डेस्क :– एलोवेरा एक अद्भुत औषधीय पौधा है, जो विशेष रूप से गर्म जलवायु में तेजी से उगता है। इसमें 75 से अधिक सक्रिय तत्व होते हैं, जिनमें एंजाइम, अमीनो एसिड, विटामिन और खनिज शामिल हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर ऐजल पटेल के अनुसार, एलोवेरा त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में बेहद प्रभावी है।

एलोवेरा का ताजा जेल जले या कटे घावों पर लगाने से तुरंत आराम मिलता है और त्वचा की मरम्मत प्रक्रिया तेजी से होती है। इसके तत्व न केवल जलन को कम करते हैं बल्कि संक्रमण को भी रोकते हैं, जिससे घाव जल्दी भरता है। एलोवेरा त्वचा की सूजन और दर्द को भी कम करने में सहायक है।

एलोवेरा का ताजा जेल फोड़े-फुंसियों के उपचार में भी बेहद उपयोगी होता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। रोजाना सुबह एलोवेरा जेल चेहरे पर लगाने से त्वचा पर निखार आता है और दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है, जिससे चेहरा साफ और चमकदार दिखता है।

*एलोवेरा का उपयोग कैसे करें?*

एलोवेरा के पौधे से एक पत्ती तोड़कर उसे धो लें। ध्यान रखें कि इसे तभी तोड़ें जब इसका उपयोग करना हो। फ्रेश एलोवेरा जेल को फोड़े-फुंसी, घाव, या जले-कटे स्थान पर लगाने से तेजी से राहत मिलती है।

एलोवेरा न केवल घावों और जलन के इलाज में बल्कि त्वचा की अन्य समस्याओं, जैसे फोड़े-फुंसी, के उपचार में भी अत्यधिक प्रभावी है। इसे प्राकृतिक औषधि के रूप में नियमित उपयोग से त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रहती है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
कानपुर टेस्‍ट से पहले बांग्‍लादेश को लगा बड़ा झटका,दिग्गज ऑल राउंडर हो सकता है बाहर


डेस्क :– भारत के खिलाफ चेन्नई टेस्ट मैच में हार के बाद बांग्लादेश की टीम अगला मैच कानपुर में खेलने वाली है। कानपुर टेस्ट मैच में बांग्लादेश के लिए एक जीत काफी जरूरी रहेगी। हार का सामना करने पर सीरीज हाथ से चली जाएगी। ड्रॉ होने पर भी सीरीज में हार होगी।

अब एक नई समस्या भी देखने को मिली है। बांग्लादेश की टीम से एक बड़ा खिलाड़ी बाहर हो सकता है। इस मैच में बांग्लादेश को अपनी प्लेइंग इलेवन में परिवर्तन करना पड़ सकता है। ऐसा होता है, तो टीम के लिए एक बड़ा झटका माना जा सकता है।

ऊँगली में चोट के कारण दिग्गज ऑल राउंडर शाकिब अल हसन के खेलने पर संशय बना हुआ है। शाकिब इस मैच में खेलेंगे या नहीं, इस पर फ़िलहाल कोई फैसला नहीं हुआ है। बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड की तरफ से यह जानकारी आई है कि उनका असेसमेंट किया जाना है।

बीसीबी सलेक्शन पैनल के हनन सरकार ने कहा कि मंगलवार को हम कानपुर पहुंचेंगे और इसके बाद दो सेशन होंगे। इस समय हम कोई फैसला नहीं लेना चाहते, कानपुर में शाकिब की उपलब्धता को लेकर स्थिति देखी जाएगी। शाकिब को टीम के फिजियो मोनिटर कर रहे हैं। इसके बाद हम फिजियो से फीडबैक लेंगे।

शाकिब की ऊँगली की चोट की समस्या को नजमुल शान्तो ने नजरअंदाज कर दिया और कहा कि अन्य गेंदबाज अच्छा कर रहे थे इसलिए हमने शाकिब का ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया। इसका मतलब यह है कि शुरुआती टेस्ट मैच से पहले शाकिब अल हसन को कोई परेशानी नहीं थी। ऊँगली में चोट बाद में आई है।

गौरतलब है कि शाकिब अल हसन गेंदबाजी के दौरान लय में नजर नहीं आ रहे थे। उनकी गेंदों को भारतीय बल्लेबाजों ने आसानी से सीमा रेखा से बाहर भेजने में सफलता प्राप्त की। शाकिब बैटिंग में भी अपनी टीम के लिए कुछ खास नहीं कर पाए थे।
ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक ज़लसे का प्रोग्राम किया गया
जिला संभल के ग्राम खग्गुपुरा में ईद मिलादुन्नबी के मौके पर एक ज़लसे का प्रोग्राम किया गया जिसमे औलादे नबी स. हजरत सैय्यद सरफराज़ मियां व सैय्यद गुलफराज मियां मुरादाबाद से तशरीफ़ लाये व जिला संभल से क़ारी राशिद साहब व क़ारी मोअज्जम साहब व क़ारी दानिश साहब तशरीफ़ लाये सायरे इस्लाम हज़रत अय्यूब रजा साहब मवई डोल से तशरीफ़ लाये ये जलसा 17 रविउल अव्वल 21 सितम्बर 2024 को मनाया गया सभी औलामाओ ने क़ुरान ओ हदीस की रौशनी में नबी पाक स. की शान बयान की और आप की पैदाइश पर भी रौशनी डाली इस ज़लसे को गांव की अरकाने कमेटी खग्गुपुरा ने सजाया आदि।

सुबह खाली पेट चबाएं इस पौधे की पांच पत्तियां,  आसपास नहीं भटकेंगी बीमारियां

डेस्क:– करी पत्ता दक्षिण भारतीय व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्वाद और सुगंध के साथ-साथ औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां न केवल भोजन में स्वादिष्ट और खुशबूदार होती हैं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद हैं। करी पत्ता में मौजूद औषधीय गुणों के कारण इसे अब विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जाने लगा है। खासकर, खाली पेट इसका सेवन करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।

करी पत्ते में विटामिन बी, विटामिन सी, प्रोटीन, और कई एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने में मदद करते हैं। इसका नियमित सेवन बालों की समस्याओं को दूर करता है और स्कैल्प को स्वस्थ रखता है. इसमें मौजूद अमीनो एसिड बालों में चमक लाते हैं और बालों के झड़ने की समस्या को कम करते हैं।

*आंखों और वजन के लिए फायदेमंद*
करी पत्ते में विटामिन ए भी होता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक है। यह दूर की दृष्टि को बेहतर बनाने में मदद करता है। जिन लोगों की आंखों की रोशनी कम हो रही है, उन्हें भोजन के बाद करी पत्ते का सेवन करना चाहिए।

करी पत्ते में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं, जो मोटापे से लड़ने में मदद करते हैं। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है, जिससे वजन को संतुलित रखने में मदद मिलती है।

करी पत्ते का सेवन कैसे करें?
सुबह खाली पेट 5-6 करी पत्तियां चबाने के बाद हल्का गर्म पानी पीना फायदेमंद होता है। आप इसे शहद के साथ भी ले सकते हैं या फिर भोजन में इसका उपयोग कर सकते हैं। करी पत्ता खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ ही सेहत को भी संवारने में मदद करता है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।