परिवर्तन यात्रा की सफलता को लेकर उठे सवाल, क्या पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में होगी सफल!
गुमला। परिवर्तन यात्रा की तैयारियों को लेकर गुमला में भाजपा के पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई लेकिन कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए कार्यकर्ताओं को समुचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराए जाने से कार्यक्रम की सफलता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। जिले के तीन विधान सभा क्षेत्र में आगामी 26 सितंबर को यह परिवर्तन यात्रा पहुंचेगी जिसके लिए कार्यक्रताओं के साथ पार्टी पदाधिकारियों ने 24सितंबर को एक साथ बैठक कर कार्यक्रम की तैयारी का जायजा लिया और पार्टी कार्यकर्ताओं को जरूरी निर्देश दिया। इस दौरान भाजपा के जिला प्रभारी मनोज मिश्रा ने पार्टी के कार्यक्रम को लेकर आने वाली भीड़ की समीक्षा की। उन्होंने सभी मंडल अध्यक्ष और मोर्चा अध्यक्षों से बारी बारी से जानकारी ली और पूछा कि इस कार्यक्रम में उनके द्वारा कितने लोगों को कार्यक्रम में शामिल किया जायगा। इसपर पार्टी पदाधिकारियों ने बताया कि वे अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्यकर्त्ता लाएंगे साथ ही उन्होंने बताया कि एक मंडल से कम से कम तीन से पांच सौ लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे लेकिन इस दौरान एक बात जो सामने आई कि पार्टी के द्वारा उन्हे कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई है। जिसके चलते कार्यकर्ताओं में थोड़ी उत्साह की कमी देखी गई। हालांकि पार्टी के नेता बार बार कार्यक्रम की सफलता को लेकर पार्टी कार्यक्रताओं पर दबाब बनाते रहे। ऐसे में पार्टी को उम्मीद है कि इस कार्यक्रम में तीनों सीटों में होने वाली परिर्वतन यात्रा में कम से कम 12 से 15 हजार लोग शामिल होंगे। गौरतलब है कि पार्टी में भागीदारी नहीं मिलने से समाज का एक धड़ा पहले से नाराज है। जो किसी भी दल के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकता है। लेकिन पार्टी ने अभी तक इसबहरहाल अब देखना है कि इस समस्या का हल पार्टी कैसे निकालती है या फिर लोकसभा की तरह ही विधानसभा में पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है!
राजनीतिक दलों में बढ़ी बेचैनी, गठबंधन में टूट के आसार!
प्रमोद दास.
गुमला। विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की चहलकदमी के बाद राजनीतिक दलों में तनाव बढ़ने लगा है और तनाव होना भी लाजमी है। वैसे चुनाव आयोग ने अभी चुनाव को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आनेवाले 15 दिनों में कभी भी चुनाव आयोग आदर्श चुनाव आचार संहिता की घोषणा कर सकता है। इधर चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में टिकट बंटवारे को लेकर भी घमासान शुरू हो गया है। सताधारी दल जेएमएम जहां टिकटों को लेकर अपनी दावेदारी तेज कर रहा है वहीं लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल कर लोकसभा में पहुंची कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश कर जिले की कम से कम दोया फिर सभी विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी की तैयारी में है। जिसमें सिसई , गुमला और विशुनपुर विधानसभा की सीट शामिल है। हालाकि जेएमएम अपनी किसी भी सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है और हो भी क्यों उसके पास पहले से तीनों सीट जो है। फिर भी इंडिया गठबंधन का फैसला अंतिम फैसला होगा ऐसा कॉन्ग्रेस के बड़े नेता कहते हैं। लेकिन जेएमएम ने इस तरह की किसी संभावना से इंकार किया है और कॉन्ग्रेस के दावे को खारिज कर दिया है। ऐसे में इंडिया गठबंधन में भी विवाद खड़ा हो गया है। उधर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की है। जिसमें पार्टी को क्रमशः तीन नामों को प्राथमिकता देकर प्रदेश समिति को भेजा जाना था हालाकि ये तीन नाम कौन हैं ये अभी संशय बना हुआ है। लेकिन चर्चा है कि गुमला विधानसभा से निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत पर पार्टी एक बार दांव लगा सकती है।वहीं दुसरे, तीसरे चौथे, पांचवें नंबर पर शिवशंकर उरांव, कमलेश उरांव,शकुंतला उरांव, गौरी किंडो, मिसिर कुजूर जैसे करीब दस लोगों के नाम हैं जो चुनाव की दौड़ में शामिल हैं। जिनमें एक का चुनाव पार्टी को करना है। वहीं सिसई विधानसभा से अरुण उरांव, किरण बाड़ा दिनेश उरांव और विशुनपुर विधानसभा से समीर उरांव, भिखारी भगत, रामप्रसाद बड़ाइक अशोक उरांव जैसे कुछ नाम शामिल हैं। वहीं कांग्रेस से विशुनपुर विधानसभा के लिए चैतू उरांव बॉबी भगत शिवकुमार भगत और सिसई विधानसभा के लिए पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, चैतु उरांव रोशन बरवा के नाम चर्चा में हैं। इधर गुमला सीट पर भी कांग्रेस अपनी दावेदारी को लेकर हमलावर नजर आ रही है। राजनितिक सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में जेएमएम जिस तरह दावा कर रही है। अब की परिस्थिति पहले से अलग है। इसलिए अगर कांग्रेस इन सीटों पर दावा करती है तो गलत नहीं है।इस सीट पर भी अपनी दावेदारी को लेकर रोहित उरांव, दीपनारायण उरांव, राजनिल तिग्गा, अलबर्ट तिग्गा, अमृता भगत के नामों की चर्चा है।हालाकि अभी यह तय नहीं है कि इंडिया गठबंधन किन किन सीटों में अपने उम्मीदवार उतारेगी और उतारेगी तो क्या आपसी सहमति बन पाएगी या फिर जिस तरह सीटो को लेकर गठबंधन में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है कहीं इसका असर तो गठबंधन पर नहीं पड़ेगा यह बड़ा सवाल है? इधर एक बात तो तय है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से सीख लेकर विधानसभा में फूंक फूंक कर कदम रखना चाहती है। वैसे बताया जा रहा है कि पार्टी पहले चुनाव लड़ चुके वैसे किसी उम्मीदवार पर दाव लगाना नहीं चाह रही है। जिससे पार्टी को खतरा हो।चूंकि जनता ने इन उम्मीदवारों को पहले ही खारिज कर दिया है। उधर दूसरी ओर आधी आबादी में भी दावेदारी को लेकर आवाज उठने लगी है। जिस तरह महिलाओं को लेकर सरकार उनके सम्मान की बात लगातार कर रही है। वैसे में महिलाओं का कहना है कि उन्हें भी सरकार में प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए। बहरहाल टिकट को लेकर पार्टियों में घमासान शुरू हो गया है अब देखना है कि प्रारंभ से इन सीटों में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस ने अबतक अपनी पकड़ मजबूत रही थी क्या आनेवाले चुनाव में भी अपनी पकड़ बरकरार रखने में सफल हो पाएगी यह बड़ा सवाल है! .
राजनीतिक दलों में बढ़ी बेचैनी, इंडिया गठबंधन में टूट के आसार!
प्रमोद दास

गुमला। विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग की चहलकदमी के बाद राजनीतिक दलों में तनाव बढ़ने लगा है और तनाव होना भी लाजमी है। वैसे चुनाव आयोग ने अभी चुनाव को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आनेवाले 15 दिनों में कभी भी चुनाव आयोग आदर्श चुनाव आचार संहिता की घोषणा कर सकता है। इधर चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में टिकट बंटवारे को लेकर भी घमासान शुरू हो गया है। सताधारी दल जेएमएम जहां टिकटों को लेकर अपनी दावेदारी तेज कर रहा है वहीं लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल कर लोकसभा में पहुंची कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश कर जिले की कम से कम दोया फिर सभी विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी की तैयारी में है। जिसमें सिसई , गुमला और विशुनपुर विधानसभा की सीट शामिल है। हालाकि जेएमएम अपनी किसी भी सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है और हो भी क्यों उसके पास पहले से तीनों सीट जो है। फिर भी इंडिया गठबंधन का फैसला अंतिम फैसला होगा ऐसा कॉन्ग्रेस के बड़े नेता कहते हैं। लेकिन जेएमएम ने इस तरह की किसी संभावना से इंकार किया है और कॉन्ग्रेस के दावे को खारिज कर दिया है। ऐसे में इंडिया गठबंधन में भी विवाद खड़ा हो गया है। उधर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की है। जिसमें पार्टी को क्रमशः तीन नामों को प्राथमिकता देकर प्रदेश समिति को भेजा जाना था हालाकि ये तीन नाम कौन हैं ये अभी संशय बना हुआ है। लेकिन चर्चा है कि गुमला विधानसभा से निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत पर पार्टी एक बार दांव लगा सकती है।वहीं दुसरे, तीसरे चौथे, पांचवें नंबर पर शिवशंकर उरांव, कमलेश उरांव,शकुंतला उरांव, गौरी किंडो, मिसिर कुजूर जैसे करीब दस लोगों के नाम हैं जो चुनाव की दौड़ में शामिल हैं। जिनमें एक का चुनाव पार्टी को करना है। वहीं सिसई विधानसभा से अरुण उरांव, किरण बाड़ा दिनेश उरांव और विशुनपुर विधानसभा से समीर उरांव, भिखारी भगत, रामप्रसाद बड़ाइक अशोक उरांव जैसे कुछ नाम शामिल हैं। वहीं कांग्रेस से विशुनपुर विधानसभा के लिए चैतू उरांव बॉबी भगत शिवकुमार भगत और सिसई विधानसभा के लिए पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, चैतु उरांव रोशन बरवा के नाम चर्चा में हैं। इधर गुमला सीट पर भी कांग्रेस अपनी दावेदारी को लेकर हमलावर नजर आ रही है। राजनितिक सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में जेएमएम जिस तरह दावा कर रही है। अब की परिस्थिति पहले से अलग है। इसलिए अगर कांग्रेस इन सीटों पर दावा करती है तो गलत नहीं है।इस सीट पर भी अपनी दावेदारी को लेकर रोहित उरांव, दीपनारायण उरांव, राजनिल तिग्गा, अलबर्ट तिग्गा, अमृता भगत के नामों की चर्चा है।हालाकि अभी यह तय नहीं है कि इंडिया गठबंधन किन किन सीटों में अपने उम्मीदवार उतारेगी और उतारेगी तो क्या आपसी सहमति बन पाएगी या फिर जिस तरह सीटो को लेकर गठबंधन में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है कहीं इसका असर तो गठबंधन पर नहीं पड़ेगा यह बड़ा सवाल है? इधर एक बात तो तय है कि भाजपा लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से सीख लेकर विधानसभा में फूंक फूंक कर कदम रखना चाहती है। वैसे बताया जा रहा है कि पार्टी पहले चुनाव लड़ चुके वैसे किसी उम्मीदवार पर दाव लगाना नहीं चाह रही है। जिससे पार्टी को खतरा हो।चूंकि जनता ने इन उम्मीदवारों को पहले ही खारिज कर दिया है। उधर दूसरी ओर आधी आबादी में भी दावेदारी को लेकर आवाज उठने लगी है। जिस तरह महिलाओं को लेकर सरकार उनके सम्मान की बात लगातार कर रही है। वैसे में महिलाओं का कहना है कि उन्हें भी सरकार में प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए। बहरहाल टिकट को लेकर पार्टियों में घमासान शुरू हो गया है अब देखना है कि प्रारंभ से इन सीटों में कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस ने अबतक अपनी पकड़ मजबूत रही थी क्या आनेवाले चुनाव में भी अपनी पकड़ बरकरार रखने में सफल हो पाएगी यह बड़ा सवाल है! .
परिवर्तन यात्रा के माध्यम पार्टी में नई जान फूंकने की तैयारी, कल होगी शंख नदी तट पर बैठक!
प्रमोद दास.

गुमला।भाजपा की परिवर्तन यात्रा की तैयारियों के मद्देनजर गुमला भाजपा महिला मोर्चा की बैठक आहूत की गई। जिसकी अध्यक्षता मोर्चा की जिलाध्यक्ष गौरी किंडो ने की। यह बैठक बिरसा मुंडा पार्क के आनंदमई भवन में आयोजित की गई थी। हालाकि बैठक में पार्टी के उतने पदाधिकारी मौजुद नहीं थे। लेकिन आगमी परिवर्तन यात्रा के मद्देनजर आयोजित इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कुछ इसी तरह की तैयारियों को मद्देनजर 24 सितंबर को भी एक बैठक जिले के मंझाटोली में आहूत की गई है। इस बैठक में पार्टी के सभी जिला पदाधिकारियों सहित पूर्व अध्यक्ष, प्रदेश के पदाधिकारी कार्यसमिति सदस्य और मंडल के अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है। चूंकि यह बैठक इस कार्यक्रम की तैयारी को लेकर अंतिम बैठक है ऐसे में इस बैठक का महत्व काफी बढ़ गया है। परिवर्तन यात्रा को लेकर पार्टी पहले से तैयारियों में जुटी है। ताकि इस यात्रा के माध्यम पार्टी में नई जान फूंका जा सके। वैसे भी लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी फूंक फूंक कर कदम रखना चाहती है और सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास के साथ सबका विश्वास की तर्ज पर काम करना चाहती है। बहरहाल अब देखना है कि पार्टी का यह प्रयास कितना रंग लाता है!
हाथियों के आतंक से ग्रामीण में दहशत, मुआवजा बांटकर पल्ला झाड़ रहा विभाग!
गुमला के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों जंगली हाथियों का आतंक है। हाथियों का झुंड पिछले कई दिनों से जिले के अलग अलग इलाकों में विचरण कर घरों को तोड़ रहा है और फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। लेकिन वन विभाग इसके बचाव के लिए उचित पहल नहीं कर मुआवजा बांटने में दिलचस्पी दिखा रहा है। जिसके चलते इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है और ग्रामीण दहशत के साए में हैं। ऐसा नहीं है कि जंगली हाथियों के द्वारा नुकसान की यह पहली घटना है। हाथी हर साल यहां आते हैं और बड़ी संख्या में घरों और फसलों को नुकसान के साथ लोगों की जान भी ले लेते हैं। पिछले साल जंगली हाथियों ने जिले के चैनपुर, भरनो, बिशुनपुर घाघरा आदि इलाकों में कई लोगों की जान ली थी। एक बार फिर हाथियों का झुंड यहां पहुंचा है। आपको बताते चलें कि हर साल हाथी बरसात के अंतिम माह में धान की फसल के दौरान हाथी आते हैं। हाथियों के आने से ग्रामीण इलाकों में लोगों को घरों में रात गुजरना मुश्किल हो जाता है। लोग दहशत के साए में मशाल जलाकर रात बिताते हैं। बताया जाता है कि हाथियों से बचाव के लिए सरकार लाखों रुपए खर्च करती है लेकिन इसका जनहित में सदुपयोग नहीं होने से इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है!
सड़क नहीं तो वोट नहीं, ग्रामीण करेंगे वोट बहिष्कार
गुमला:- झारखंड में मतदाता जागरूकता अभियान की शुरुआत के साथ ही वोट बहिष्कार की गूंज भी सुनाई देने लगी है। ग्रामीणों ने जन जागरुकता अभियान के माध्यम आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं करने और नेताओं को गांव में घुसने नहीं देने का फरमान जारी किया है। मालूम हो कि देश आज अपनी आजादी का जश्न मना रहा है। वहीं दूसरी ओर आम ग्रामीण जनता एक अदद सड़क के संघर्ष कर रही है। ऐसे में अब ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है और ग्रामीण विरोध पर उतर आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव नजदीक है ऐसे में अगर उनके गांवों की सड़क नहीं बनती है तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे। जाहिर है और हो भी क्यों ना सड़क जैसी जरूरी चीजें नहीं होने से रायडीह पंचायत के ऊपर खटंगा गांव के करीब 70 परिवार सड़क के लिए तरस रहे हैं। उनकी इस समस्या का समाधान करने में मदद के लिए अब मजदूर संघ ने अपना हाथ आगे बढाया है और जन जागरुकता अभियान के माध्यम अपनी मांग तेज कर दी है। ग्रामीणों ने धमकी दी है कि अगर उनकी इस मांग पर विचार नहीं किया जाता है तो वे किसी भी नेता को गांव में घुसने तक नहीं देंगे। ऐसे में नेताजी इस बार आपको जनता माफ करने वाली नहीं है!
सड़क नहीं तो वोट नहीं, ग्रामीण करेंगे वोट बहिष्कार
गुमला :- झारखंड में मतदाता जागरूकता अभियान की शुरुआत के साथ ही वोट बहिष्कार की गूंज भी सुनाई देने लगी है। ग्रामीणों ने जन जागरुकता अभियान के माध्यम आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट नहीं करने और नेताओं को गांव में घुसने नहीं देने का फरमान जारी किया है। मालूम हो कि देश आज अपनी आजादी का जश्न मना रहा है। वहीं दूसरी ओर आम ग्रामीण जनता एक अदद सड़क के संघर्ष कर रही है। ऐसे में अब ग्रामीणों के सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है और ग्रामीण विरोध पर उतर आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव नजदीक है ऐसे में अगर उनके गांवों की सड़क नहीं बनती है तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे। जाहिर है और हो भी क्यों ना सड़क जैसी जरूरी चीजें नहीं होने से रायडीह पंचायत के ऊपर खटंगा गांव के करीब 70 परिवार सड़क के लिए तरस रहे हैं। उनकी इस समस्या का समाधान करने में मदद के लिए अब मजदूर संघ ने अपना हाथ आगे बढाया है और जन जागरुकता अभियान के माध्यम अपनी मांग तेज कर दी है। ग्रामीणों ने धमकी दी है कि अगर उनकी इस मांग पर विचार नहीं किया जाता है तो वे किसी भी नेता को गांव में घुसने तक नहीं देंगे। ऐसे में नेताजी इस बार आपको जनता माफ करने वाली नहीं है!

रिपोर्ट:-प्रमोद कुमार, गुमला