'हमने नरेंद्र मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से ख़त्म कर दिया.., अब वो पहले जैसे नहीं रहे, जम्मू-कश्मीर में PM पर राहुल गांधी ने किया सीधा हमला

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अब पहले जैसे नहीं रहे। राहुल ने दावा किया कि उनकी पार्टी और विपक्ष ने नरेंद्र मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, "आज का नरेंद्र मोदी वह नहीं है जिसे आप पहले देखा करते थे। हमने उनके सामने खड़े होकर उन्हें बदलने पर मजबूर कर दिया है।"

राहुल गांधी ने कहा कि संसद में जब वह प्रधानमंत्री मोदी को देखते हैं, तो उन्हें साफ नजर आता है कि अब वह 56 इंच की छाती वाले पहले वाले मोदी नहीं बचे हैं। उन्होंने कहा कि जब भी सरकार कोई कानून लाती है, विपक्ष उसके खिलाफ खड़ा हो जाता है और फिर सरकार को कानून में बदलाव करना पड़ता है। राहुल ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने इलेक्शन के दौरान कहा था कि उनका सीधा कनेक्शन ऊपर यानी भगवान से है, लेकिन अब विपक्ष के INDIA गठबंधन ने उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़ दिया है।

राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने यह सब नफरत से नहीं, बल्कि मोहब्बत से किया है और यह दिखाया है कि मोहब्बत के जरिए नफरत को हराया जा सकता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने पर भी सवाल उठाए और कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया। यह लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला है। राहुल ने देश में फैली बेरोजगारी पर भी नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार केवल 2-3 उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है और देश के 25 अरबपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है, जबकि छोटे कारोबारियों को बर्बाद कर दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि पूरे देश में, और खासतौर पर जम्मू-कश्मीर में, रोजगार की कमी है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की सरकार दिल्ली से चल रही है और लोगों के पास अपने अधिकार नहीं हैं। राहुल गांधी ने जोर दिया कि कांग्रेस चाहती थी कि राज्य को चुनाव से पहले ही पूर्ण राज्य का दर्जा मिले, और चुनाव के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने भाजपा पर समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि वे भाषा, राज्य, धर्म और जाति के आधार पर लोगों को लड़ाने का काम करते हैं। राहुल ने चेतावनी दी कि भाजपा का यह प्रोजेक्ट फेल होगा, और पहाड़ी व गुर्जर समुदायों को आपस में लड़ाने की उनकी कोशिशें नाकाम साबित होंगी।

iPhone 16 के बाद अब Apple लॉन्च करेगा सस्ता फोन, बस इतनी कम रहेगी कीमत,यहां डिटेल में जानिए फीचर्स



एपल ने हाल ही में iPhone 16 सीरीज लॉन्च की, जिसकी बिक्री शुरू हो गई है. अब कई लोगों की नजर iPhone SE 4 पर है, जो एपल का सस्ता फोन बनेगा. यह स्मार्टफोन SE सीरीज में एक्सपीरियंस बदलने का काम करेगा. आईफोन एसई 4 का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि iPhone SE 3 को 2022 में काफी कम बदलावों के साथ लॉन्च किया गया था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि SE 4, एपल के फ्लैगशिप आईफोन सीरीज का किफायती वेरिएंट बनेगा. इसमें iPhone 16 के डिजाइन से कुछ चीजें ली जा सकती हैं.

जिन लोगों का बजट कम है, और वे आईफोन खरीदना चाहते हैं तो उनके लिए एसई सीरीज अच्छा ऑप्शन हो सकती है. आईफोन एसई 4 कंपनी की सबसे किफायती फोन बन सकता है. अपकमिंग आईफोन के संभावित स्पेसिफिकेशंस, डिजाइन, डिस्प्ले और कैमरे से लेकर कीमत तक के बारे में यहां पढ़ें.

डिजाइन और डिस्प्ले

आईफोन एसई 4 के बारे में रूमर है कि यह आईफोन 16 के जैसे डिजाइन के साथ आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो SE 3 के आईफोन 8 जैसे लुक से छुटकारा मिल जाएगा. लीक्स के मुताबिक, नए आईफोन 6.1 इंच के बड़े OLED डिस्प्ले और टच आईडी से फेस आईडी तक में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. इसमें आईफोन 16 का डायनामिक आइलैंड दिए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन इसमें आईफोन 14 की तरह एक नॉच हो सकता है. पीछे की तरफ, इसमें एक ही कैमरा हो सकता है. इसके अलावा लाइटनिंग की जगह USB-C पोर्ट और म्यूट स्विच की जगह एक्शन बटन शामिल किए जा सकते हैं. एपल ने आईफोन 15 सीरीज से आईफोन में चार्जिंग के लिए USB-C पोर्ट देना शुरू किया है.

विशेषताएं

आईफोन SE 4 में 8GB रैम के साथ A18 चिपसेट की सपोर्ट मिल सकती है. हालांकि, CPU और GPU कोर में कुछ लिमिटेशंस हो सकती हैं. फोन में आईफोन 14 की तरह 3,279mAh की बैटरी और SE 3 के 12MP कैमरा की तुलना में 48MP का रियर कैमरा मिल सकता है. इसमें AI-पावर्ड फीचर्स शामिल होने का भी अनुमान है, जो इसे एपल इंटेलिजेंस वाला सबसे किफायती आईफोन बना सकता है.


संभावित कीमत

आईफोन SE 4 के बेस 64GB मॉडल की संभावित कीमत 500 डॉलर (लगभग 42,000 रुपये) से कम हो सकती है. ये नया आईफोन पुराने एसई सीरीज आईफोन की तरह मार्च और अप्रैल 2025 के बीच लॉन्च किया जा सकता है. फिलहाल, एपल ने इसकी रिलीज डेट को कंफर्म नहीं किया है.
iPhone 16 के बाद अब Apple लॉन्च करेगा सस्ता फोन, बस इतनी कम रहेगी कीमत,यहां डिटेल में जानिए फीचर्स

 एपल ने हाल ही में iPhone 16 सीरीज लॉन्च की, जिसकी बिक्री शुरू हो गई है. अब कई लोगों की नजर iPhone SE 4 पर है, जो एपल का सस्ता फोन बनेगा. यह स्मार्टफोन SE सीरीज में एक्सपीरियंस बदलने का काम करेगा. आईफोन एसई 4 का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है, क्योंकि iPhone SE 3 को 2022 में काफी कम बदलावों के साथ लॉन्च किया गया था. सबसे दिलचस्प बात यह है कि SE 4, एपल के फ्लैगशिप आईफोन सीरीज का किफायती वेरिएंट बनेगा. इसमें iPhone 16 के डिजाइन से कुछ चीजें ली जा सकती हैं.

जिन लोगों का बजट कम है, और वे आईफोन खरीदना चाहते हैं तो उनके लिए एसई सीरीज अच्छा ऑप्शन हो सकती है. आईफोन एसई 4 कंपनी की सबसे किफायती फोन बन सकता है. अपकमिंग आईफोन के संभावित स्पेसिफिकेशंस, डिजाइन, डिस्प्ले और कैमरे से लेकर कीमत तक के बारे में यहां पढ़ें.

 डिजाइन और डिस्प्ले

आईफोन एसई 4 के बारे में रूमर है कि यह आईफोन 16 के जैसे डिजाइन के साथ आ सकता है. अगर ऐसा हुआ तो SE 3 के आईफोन 8 जैसे लुक से छुटकारा मिल जाएगा. लीक्स के मुताबिक, नए आईफोन 6.1 इंच के बड़े OLED डिस्प्ले और टच आईडी से फेस आईडी तक में बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. इसमें आईफोन 16 का डायनामिक आइलैंड दिए जाने की संभावना नहीं है, लेकिन इसमें आईफोन 14 की तरह एक नॉच हो सकता है. पीछे की तरफ, इसमें एक ही कैमरा हो सकता है. इसके अलावा लाइटनिंग की जगह USB-C पोर्ट और म्यूट स्विच की जगह एक्शन बटन शामिल किए जा सकते हैं. एपल ने आईफोन 15 सीरीज से आईफोन में चार्जिंग के लिए USB-C पोर्ट देना शुरू किया है.

विशेषताएं

आईफोन SE 4 में 8GB रैम के साथ A18 चिपसेट की सपोर्ट मिल सकती है. हालांकि, CPU और GPU कोर में कुछ लिमिटेशंस हो सकती हैं. फोन में आईफोन 14 की तरह 3,279mAh की बैटरी और SE 3 के 12MP कैमरा की तुलना में 48MP का रियर कैमरा मिल सकता है. इसमें AI-पावर्ड फीचर्स शामिल होने का भी अनुमान है, जो इसे एपल इंटेलिजेंस वाला सबसे किफायती आईफोन बना सकता है.

 संभावित कीमत

आईफोन SE 4 के बेस 64GB मॉडल की संभावित कीमत 500 डॉलर (लगभग 42,000 रुपये) से कम हो सकती है. ये नया आईफोन पुराने एसई सीरीज आईफोन की तरह मार्च और अप्रैल 2025 के बीच लॉन्च किया जा सकता है. फिलहाल, एपल ने इसकी रिलीज डेट को कंफर्म नहीं किया है.

सेकुलरिज्म पर ऐसा क्या बोले तमिलनाडु के राज्यपाल, मचा बवाल!*
#secularism_european_concept_not_india_tamil_nadu_governor_said
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सेकुलरिज्म पर टिप्पणी कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।उन्होंने सेकुलरिज्म को यूरोप का कॉन्सेप्ट बताया है, जिसे लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। कांग्रेस ने तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि की इस टिप्पणी को अपमानजनक और अस्वीकार्य बताया है और उन्हें तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है। *इंदिरा गांधी को बताया असुरक्षित प्रधानमंत्री* तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने एक बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म एक यूरोपीय कॉन्सेप्ट है, जो चर्च और राजा के बीच संघर्ष के बाद विकसित हुई जबकि भारत एक धर्म-केंद्रित राष्ट्र है और इसलिए यह संविधान का हिस्सा नहीं था। बाद में इसे आपातकाल के दौरान 'एक असुरक्षित प्रधानमंत्री' द्वारा जोड़ा गया था। *धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या को बताया गलत* आर. एन. रवि ने रविवार को कन्याकुमारी जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के लोगों के साथ बहुत धोखाधड़ी की गई है और उनमें से एक धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या है। उन्होंने कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता से क्या आशय है। धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय अवधारणा नहीं है। *भड़की कांग्रेस ने कहा- बर्खास्त किया जाए* राज्यपाल आर एन रवि के इस बयान के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। कांग्रेस ने उन्हें संवैधानिक पद से बर्खास्त करने की मांग उठाई है। साथ ही साथ आरोप लगाया है कि राज्यपाल वही कर रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करवाना चाह रहे हैं। कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने दावा किया कि रवि केवल एक ट्रायल बैलून फ्लोटर हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो करवाना चाहते हैं, वही दोहरा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इस व्यक्ति ने संविधान की शपथ ली है और ये अभी तक संवैधानिक पदाधिकारी बने हुए हैं। तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए। वह एक कलंक है। यह उनका पहला अपमानजनक और अस्वीकार्य बयान नहीं है, लेकिन वह केवल एक ट्रायल बैलून फ्लोटर है। वह वही दोहरा रहे हैं जो नॉन-बायलोजिकल पीएम करवाना चाहते हैं।’
यूएन के मंच से पीएम मोदी का बड़ा संदेश, बोले-शांति के लिए ग्लोबल रिफॉर्म की जरूरत, भारत तैयार है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र में 'समिट ऑफ द फ्यूचर' को संबोधित किया।उन्होंने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर भाषण दिया। ‘बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान’ विषय पर आयोजित इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के विभिन्न नेता शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक सहयोग को मजबूत करने और आपसी हितों के मुद्दों पर चर्चा की।

'समिट ऑफ द फ्यूचर' को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जून में अभी मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनावों में भारत के लोगों ने मुझे लगातार तीसरी बार सेवा का अवसर दिया है और आज मैं इसी मानवता के छठे हिस्से की आवाज आप तक पहुंचाने यहां आया हूं। उन्होंने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय विश्व के भविष्य पर चर्चा कर रहा है, तो सर्वोच्च प्राथमिकता ‘‘मानव-केंद्रित दृष्टिकोण’’ को दी जानी चाहिए।

वैश्विक संस्थाओं में सुधार की वकालत

प्रधानमंत्री मोदी ने किसी विशेष संघर्ष का नाम लिए बिना कहा, मानवता की सफलता हमारी सामूहिक शक्ति में निहित है, युद्ध के मैदान में नहीं।वैश्विक शांति और विकास के लिए वैश्विक संस्थाओं में सुधार महत्वपूर्ण हैं। सुधार प्रासंगिकता की कुंजी है। एक तरफ वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद जैसा बड़ा खतरा है, वहीं दूसरी तरफ साइबर, मैरिटाइम, स्पेस जैसे संघर्ष के नए मैदान बन रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर वैश्विक कार्रवाई वैश्विक महत्वाकांक्षा से मेल खानी चाहिए। 

हमारे पास दुनिया को देने को बहुत कुछ-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट का दावा ठोका और कहा कि हमारे पास दुनिया को देने को बहुत कुछ है। पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल एक्शन मस्ट मैच ग्लोबल एम्बिशन। टेक्नोलॉजी के सेफ और रेस्पांसिबल इस्तेमाल के लिए बैलेंस की आवश्यकता है। ग्लोबल गुड के लिए भारत अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरे विश्व से साझा करने के लिए तैयार है।

पीएम मोदी ने कहा, सतत विकास को प्राथमिकता देते हुए, हमें मानव कल्याण, भोजन, स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी होगी। हमने भारत में 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकालकर दिखाया है कि सतत विकास सफल हो सकता है। हम सफलता के इस अनुभव को ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।

चौथी बार सरकार बनने की गारंटी नहीं', जानें ऐसा क्यों बोले नितिन गडकरी*
#nitin_gadkari_teased_ramdas_athawale * केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अकसर अपने बेबाक बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। एक बार फिर गडकरी ने नागपुर के एक कार्यक्रम में ऐसी बात कह दी कि वहां उपस्थित सभी लोग हंस पड़े। उन्होंने केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले को लेकर मजाकिया अंदाज में कहा कि हमारी चौथी बार सरकार बनने की गारंटी नहीं है, लेकिन कोई भी सरकार आए रामदास अठावले का फिर से मंत्री बनना तय है। रामदास अठावले रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख हैं और वो एनडीए की तीनों सरकार में मंत्री रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। जिसमें केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी मौजूद थे। कई सरकारों की कैबिनेट शामिल रहे कैबिनेट सहयोगी रामदास अठावले को लेकर गडकरी ने कहा कि, इस बात की गारंटी नहीं है कि हमारी सरकार चौथी बार लौटेगी, लेकिन रामदास अठावले चौथी बार सरकार में होंगे इसकी गारंटी है। जिसके बाद वहां मौजूद हर एक शख्स मुस्करा उठा। नितिन गडकरी ने राजद चीफ लालू प्रसाद यादव का उदाहरण देते हुए कहा कि, एक बार लालू ने रामविलास पासवान को "राजनीति के बहुत बड़े मौसम वैज्ञानिक" कहा था। यह उपमा बताती है कि आठवले को राजनीति के उतार-चढ़ाव का बहुत अच्छे से पता होता है। हालांकि बाद में गडकरी ने कह दिया कि, मैं मजाक कर रहा था। गडकरी ने आगे कहा कि, मैं रामदास अठावले को दिल से शुभकामनाएं देता हूं। उन्हें बेहतर जीवन और स्वस्थ जीवन मिले। मैं आप सभी की ओर से यह प्रार्थना करता हूं। मेरा मानना है कि उन्होंने दलितों और पीड़ित लोगों के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।
क्या हिजबुल्लाह को खत्म करके ही “दम” लेगा इजराइल? लेबनान एयरस्ट्राइक में 500 के करीब मौत

#israel_attack_on_hezbollah_in_lebanon_kills_492

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष बढ़ गया है। इजराइल लेबनान में लगातार हिजबुल्लाहब के ठिकानों को तबाह कर रहा है। सोमवार को दक्षिणी लेबनान और बेका में 1600 हिजबुल्लाह ठिकानों को निशाना बनाया गया। इन हमलों में अब तक 492 लोगों के मौत की खबर है। इनमें 35 बच्चे और 58 महिलाएं शामिल हैं। जबकि, 1645 लोग घायल हुए हैं। 2006 के बाद यह इजरायल का सबसे घातक हमला है। लेबनान में दहशत का माहौल है।

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि इजरायली हमलों में 35 बच्चों और 58 महिलाओं सहित 492 लोग मारे गए और 1645से अधिक लोग घायल हो गए। लेबनान के अधिकारियों ने कहा कि देश को 80,000 से अधिक संदिग्ध इजरायली कॉल प्राप्त हुए, जिसमें उसके नागरिकों को खाली करने की चेतावनी दी गई। लेबनान में इजरायल के इन ताजा हमलों ने एक और बड़ी जंग की स्थिति पैदा कर दी है।

लेबनान में यूएन में उठाया हमले का मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र महासभा में लेबनान के प्रतिनिधि ने कहा इजरायल के हमलों का वर्णन किया। लेबनानी संसद की सदस्य बाहिया एल हरीरी ने लेबनानी पीएम नजीब मिकाती की ओर से सोमवार को न्यूयॉर्क में यूएन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमले ने लेबनान की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है और हमारी सामाजिक व्यवस्था को खतरा पैदा किया है।

हमले से पहले इलाके को खाली करने का संदेश

जानकारी के मुताबिक इजराइली सेना ने हमलों से पहले लेबनान के लोगों को इस इलाके को खाली करने का संदेश जारी किया था। लेबनान की स्थानीय मीडिया ने बताया है कि बेरूत समेत कई इलाकों के लोगों के लैंडलाइन कॉल संदेश के जरिए चेतावनी दी गई है। इसमें हवाई हमले से बचने के लिए इमारतों को खाली करने को कहा गया है। इसमें साफ कहा गया कि वह लेबनान की बेका घाटी में हमला करने वाली है। आरोप है क‍ि हिजबुल्लाह वहां हथियार जमा कर रखा है।

वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रिकॉर्ड किए गए संदेश में लेबनानी नागरिकों से इलाके को खाली करने के इजरायली संदेश के संदर्भ में कहा, ‘इस चेतावनी को गंभीरता से लें।’ नेतन्याहू ने कहा, ‘प्लीज अब खतरे से दूर हो जाएं। हमारा अभियान खत्म हो जाने के बाद आप सुरक्षित रूप से अपने-अपने घरों में वापस जा सकते हैं।

न्यूयॉर्क में जेलेंस्की से मिले पीएम मोदी, 1 महीने में दूसरी मुलाकात, जानें क्या हुई बात*
#ukrainian_president_met_pm_narendra_modi
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के समाप्त होने का दुनिया इंतजार कर रही है। युद्ध खत्म कराने के लिए दुनिया के ताकतवर देश भी भारत की तरफ देख रहे हैं।पीएम मोदी भी इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।हाल ही में राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की मॉस्‍को यात्रा पर राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद अब पीएम नरेंद्र मोदी न्‍यूयॉर्क में यूक्रेन के राष्‍ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (स्थानीय समयानुसार) को न्यूयॉर्क में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेन में संघर्ष के शीघ्र समाधान, क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत के समर्थन को दोहराया।पिछले तीन महीनों में दोनों नेताओं के बीच यह तीसरी बैठक है। मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात हुई। हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए पिछले महीने यूक्रेन की अपनी यात्रा के परिणामों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यूक्रेन में संघर्ष के शीघ्र समाधान और शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत का समर्थन दोहराया।' पीएम मोदी से मुलाकात के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्वीट कर लिखा कि, यह इस साल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तीसरी द्विपक्षीय बैठक है। हम सक्रिय रूप से अपने संबंधों को विकसित कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हमारी बातचीत का मुख्य फोकस अंतरराष्ट्रीय मंचों, खासकर संयुक्त राष्ट्र और जी20 में हमारी बातचीत को बढ़ाने के साथ-साथ शांति सूत्र को लागू करना और दूसरे शांति शिखर सम्मेलन की तैयारी पर था। हमने उपलब्ध अवसरों पर एक ठोस चर्चा की। मैं हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के स्पष्ट समर्थन के लिए आपका आभारी हूं। वहीं, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक विशेष ब्रीफिंग के दौरान इस मुलाकात की जानकारी दी।विक्रम मिस्री ने कहा कि पीएम मोदी के साथ राष्ट्रपति जेलेंस्की की बैठक के लिए यूक्रेनी पक्ष ने अनुरोध किया था।विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक विशेष ब्रीफिंग के दौरान कहा कि बैठक के दौरान, जेलेंस्की ने यूक्रेन में संघर्ष पर भारत के ध्यान की सराहना की और इससे बाहर निकलने के प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। मिस्री ने कहा कि दोनों नेता निकट संपर्क में रहने पर भी सहमत हुए। बता दें कि दोनों नेताओं के बीच लगभग एक महीने में यह दूसरी बैठक थी। पीएम मोदी ने 23 अगस्त को यूक्रेन का दौरा किया था और रूस-यूक्रेन संघर्ष में जल्द शांति बहाल करने के लिए हर संभव तरीके से योगदान देने की भारत की इच्छा दोहराई थी।पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेलेंस्की के निमंत्रण पर यूक्रेन का दौरा किया था, जो साल 1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी।
इजराइल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के 300 से अधिक ठिकानों पर किया हमला, 182 लोगों की मौत
#israel_strikes_hezbollah_targets_in_lebanon

इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच का संघर्ष तेज होता जा रहा है।इजराइल की सेना ने लेबनान के दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी हिस्से में जबरदस्त एयरस्ट्राइक की है। इजराइली सेना ने हिजबुल्लाह के 300 ठिकानों को टारगेट बनाया है। इन हमलों में 182 लोगों के मौत की खबर है।

इजरायली सेना ने कहा है कि लेबनान को बेका घाटी को तुरंत खाली कर देना चाहिए। इजरायल ने आरोप लगाया है कि बेका घाटी के लोगों के घरों में हिजबुल्लाह ने हथियारों को छिपाया हुआ है। ऐसे में आम लोगों को किसी भी हमले का शिकार बनने से बचाने के लिए बेका घाटी को तुरंत खाली करना होगा।

बताया जा रहा है कि सोमवार की सुबह लोगों को उनके फोन पर मैसेज आने लगे। लिखा था, अगर आप क‍िसी ऐसी इमारत में रहते हैं, जहां हिजबुल्लाह के हथियार रखे हैं, तो तुरंत गांव छोड़कर भाग जाएं। लेबनानी रेडियो पर भी इसी तरह के मैसेज अचानक गूंजने लगे। उसके बाद जोरदार धमाकों की आवाजें आने लगीं। रॉकेट आकर ग‍िरने लगे। पल भर में पूरा इलाका धुएं के गुबार में भर गया। अफरातफरी मच गई. लोग इधर-उधर भागते नजर आए।

लेबनान ने दावा किया है कि इजरायल के इस अभूतपूर्व हवाई हमले में कम से कम 182 लोग मारे गए हैं, जबकि 700 से अधिक लोग घायल हैं। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजराइली हवाई हमले बिंट जेबिल, एतारौन, मजदल सेलेम, हुला, टूरा, क़लैलेह, हारिस, नबी चित, तरैया, श्मेस्टार, हरबता, लिबबाया और सोहमोर सहित दर्जनों शहरों पर हुए।

इजरायल के विदेश मंत्री कैट्ज ने भी सोशल मीडिया पर लिखा, हम साउथ लेबनान को आतंक‍ियों का गढ़ नहीं बनने देंगे। उन्‍हें हटाने के ल‍िए पूरी ताकत झोंक देंगे। एबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कैट्ज ने कहा, हिज़्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह ने लेबनान के लोगों को बंधक बनाकर रखा है। वह इजरायली लोगों को धमकाने के ल‍िए उन्‍हें हथ‍ियार बांट रहा है। गांवों और उनके घरों में ह‍थ‍ियार और मिसाइलें छिपाकर रखा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम उस पूरे गांव को तबाह कर देंगे। लोगों को अगर बचना है, तो उन्‍हें तुरंत अपने घर और गांव छोड़कर भाग जाना चाह‍िए। हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक हमें नहीं लग जाता क‍ि अब इजरायल के लोगों को कोई खतरा नहीं है।
क्या संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को मिलेगी स्थायी सदस्यता? क्वाड समिट से मिले संकेत
#us_quad_summit_india_could_get_unsc_permanent_membership
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। इस बीच एक बार फिर भारत के सुरक्षा परिषद ((यूएनएससी) में स्थायी सदस्यता को लेकर चर्चा होने लगी है। दरअसल, क्वाड समिट में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है। इस वार्ता में सबसे बड़ी बात यह निकलकर आई है कि, अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थाई सीट का समर्थन किया है।

*सालों से यूएनएससी में स्थायी सीट मांग रहा भारत*
यूएनएससी में सुधार का मुद्दा लंबे समय से दुनिया के सामने है। ये मामला अमेरिका में हालिया क्वाड समिट के दौरान भी उठा है। रविवार को क्वाड नेताओं ने यूएनएससी की सीटें बढ़ाने और इस निकाय को ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए इसमें सुधार का आह्वान किया है। क्वाड नेताओं ने अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों को यूएनएससी में स्थायी सदस्यता का दिए जाने की मांग की है। भारत के लिए ये अहम है क्योंकि उसकी ओर से बीते कई वर्षों से यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग की जा रही है।

*चीन बार-बार डाल रहा अडंगा*
दरअसल भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग करता रहा है, लेकिन चीन के विरोध के कारण यह मुमकिन नहीं हो पाया।सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य देश हैं, जिसमें से 4 (अमेरिकी, यूके, फ्रांस और रूस) भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन में हैं, लेकिन चीन इस बात का विरोधी रहा है और वह नहीं चाहता कि इतने बड़े प्लेटफॉर्म पर भारत भी स्थायी सदस्य के रूप में शामिल हो। भारत की बढ़ती ताकत से चीन परेशान है और उसे लगता है कि अगर भारत स्थायी सदस्य बना तो वह इंटरनेशनल लेवल पर चीन के समानांतर स्टैंड करेगा। ये बात चीन बिल्कुल भी हजम नहीं कर पा रहा है।

*स्थायी सदस्यता मिलने से भारत को फायदा*
अगर यूएन की सुरक्षा परिषद में भारत स्थायी सदस्य बनता है तो पूरी दुनिया में भारत की साख और शक्ति दोनों बढ़ेंगी। इंटरनेशनल लोगों के मंच पर भारत पहले से ज्यादा मजबूत दिखेगा। वैश्विक मंच पर भारत के पास भी स्थायी सदस्य के रूप में वीटो का अधिकार होगा, जिसे वह किसी भी बड़े फैसले में देशहित के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
वहीं एक फायदा ये भी होगा कि चीन के समकक्ष खड़े होकर भारत उसे ये एहसास दिला देगा कि किसी भी मामले में भारत उससे कम नहीं है। एक फायदा ये भी है कि भारत सुरक्षा मामलों से जुड़ी बातों को विश्व पटल पर रख सकेगा और पाकिस्तान के लिए भी एक कड़ा संदेश दे सकता है।

*सुधार की मांग ने पकड़ा जोर*
यूएनएससी में सुधार की मांग काफी वर्षों से की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2022 में सुरक्षा परिषद सुधार पर अपनी चर्चा समाप्त की थी। उस समय इसके सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए 15 सदस्यीय निकाय को आधुनिक बनाने पर सहमत हुए थे। यूएनएससी द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए प्रस्ताव पारित करने में विफल रहने के बाद कुछ स्थायी सदस्यों के पास वीटो शक्ति पर भी सवाल उठाए गए थे।अक्टूबर 2023 में शुरू हुए इजरायल-गाजा युद्ध के बाद यूएनएससी में सुधार और विस्तार की मांग नए सिरे से की जा रही है। यूएनजीए के पूर्व अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा था कि दुनियाभर के क्षेत्रों में हिंसा और युद्ध फैल रहा है और सुरक्षा परिषद में बड़े पैमाने पर विभाजन के चलते संयुक्त राष्ट्र पंगु हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने भी अपने बयानों में दोहराया कि सुधार पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गए हैं।