Mirzapur : कुंभकर्णी नींद से जागा वन विभाग, पेड़ कटान की जांच कर कार्रवाई में जुटा
मीरजापुर। जिले के ड्रमंडगंज वन रेंज के बबुरा रघुनाथ सिंह वन क्षेत्र के कोदवारी जंगल में सागौन, सलई और खैर के सैकड़ों पेड़ों के काटे जाने की खबर प्रकाशित होने के बाद वन विभाग की नींद खुल गई है। विभागीय अधिकारी पेड़ कटान की जांच में जुट गए हैं। बीते शनिवार को खबर प्रकाशित होने के बाद शनिवार शाम को उपप्रभागीय वनाधिकारी मीरजापुर शेख मुअज्जम ने कोदवारी जंगल पहुंचकर पेड़ों के काटे जाने की जांच पड़ताल की है। मौके पर काटे गए पेड़ों को देखकर उप प्रभागीय वनाधिकारी ने रेंजर और वनकर्मियों को फटकार लगाई। उप प्रभागीय वनाधिकारी ने रेंजर ड्रमंडगंज व वनकर्मियों को चेतावनी दी कि वनों की सुरक्षा में लापरवाही बर्दाश्त नही की जाएगी। लापरवाही बरतने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
वन कटान में शामिल लोगों को चिंहित कर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए रेंजर वीरेंद्र कुमार तिवारी को निर्देश दिया। रविवार को वन दरोगा अभिषेक सिंह, वन रक्षक सर्वेश्वर पटेल, अनादि नाथ तिवारी ने कोदवारी जंगल पहुंचकर काटे गए पेड़ों की लकड़ियां जब्त कर ट्रैक्टर ट्राली से लदवाकर वनरेंज कार्यालय ड्रमंडगंज ले गए। बताते चलें कि बबुरा रघुनाथ सिंह वनक्षेत्र में महीनों से हरे भरे पेड़ों का कटान करवाए जाने से जंगल में लगे हरे भरे पेड़ों का अस्तित्व मिटने लगा था। विभिन्न समाचार-पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद गहरी नींद में सो रहे वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की नींद खुली तो मौके की जांच पड़ताल की है। पेड़ कटान में लिप्त लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई में जुट गए हैं। इस संबंध में वनदरोगा अभिषेक सिंह ने बताया कि कोदवारी जंगल में काटे गए पेड़ों की लकड़ी जब्त कर ली गई है। बबुरा रघुनाथ सिंह वनक्षेत्र में पेड़ काटे जाने की जांच की जा रही है पेड़ कटान में शामिल लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों पर फर्जी कार्रवाई की बाजिगरी से बाज नहीं आ रहे अधिकारी
वर्षों से सांप की भांति कुंडली मारकर बैठे ड्रमंडगंज वन क्षेत्र के अधिकारियों की भूमिका खुद ही संदिग्ध बनी हुई है। जो वनों की सुरक्षा से कहीं ज्यादा अपनी आय को सुरक्षित रखने में मशगूल रहते हैं। जिनके खिलाफ तमाम शिकायतें भी होती आई हैं। वन क्षेत्र में अवैध वसूली से लेकर पेड़ों के कटान, जंगल में खेती किए जाने की शिकायतों और वीडियो वायरल होने के बाद भी वन अधिकारी की चुप्पी जहां ऐसे लोगों को बढ़ावा देती आई है तो वहीं उल्टे शिकायतकर्ता से लेकर सीधे साधे गरीब ग्रामीणों को वन अधिनियम की विभिन्न धाराओं में पाबंद करते हुए न्यायालय के जरिए नोटिस भेज आर्थिक और मानसिक उत्पीड़न करने की कारगुजारियों से मी अधिकारी बाज नहीं आ रहे हैं। हद की बात तो यह है कि वन विभाग के उच्चाधिकारियों को भी सबकुछ पता होने के बाद भी ऐसे अधिकारियों के उपर कार्रवाई तो दूर उनके स्थानान्तरण की कार्रवाई से भी पैर पीछे खिंच लिया जाता है। जिससे स्पष्ट होता है उच्चाधिकारियों की भी इसमें मौन संलिप्तता है।
Sep 22 2024, 18:27