सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा मामलों को स्थानांतरित करने की मांग पर सीबीआई को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा के मामलों को पश्चिम बंगाल से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने की मांग पर शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की खिंचाई की।

जांच एजेंसी ने एक स्थानांतरण याचिका दायर की थी जिसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा, "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी ने पश्चिम बंगाल में पूरी न्यायपालिका के खिलाफ कलंक लगाया है।"

अदालत ने याचिका में उन बयानों पर गंभीर आपत्ति जताते हुए एजेंसी को अपनी याचिका वापस लेने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी अदालतों में मामलों की सुनवाई में शत्रुता है।

आप पश्चिम बंगाल की सभी अदालतों को शत्रुतापूर्ण बता रहे हैं। जिला न्यायपालिका के न्यायाधीश अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते। आप कह रहे हैं कि सुनवाई ठीक से नहीं हुई,'' कोर्ट ने कहा।

अदालत ने याचिका का मसौदा तैयार करने वाले वकील को अवमानना नोटिस जारी करने की धमकी दी, साथ ही न्यायमूर्ति ओका ने चेतावनी दी, "यह मसौदा तैयार करने वाले के खिलाफ अवमानना नोटिस के लिए उपयुक्त मामला है।"

इस बीच, सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आक्षेप लगाने का कोई इरादा नहीं है।

हालाँकि, अदालत ने एक साधारण वापसी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका में आरोपों को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया था। यह सब काले और सफेद रंग में है l आप यह कैसे कर सकते हैं? बार और बेंच ने अदालत के हवाले से कहा, आपके अधिकारी को पहले पश्चिम बंगाल की अदालतों पर इस तरह के आरोप लगाने के लिए माफी मांगनी होगी।

एएसजी राजू ने अदालत से कठोर भाषा का उपयोग करने से परहेज करने का अनुरोध किया, इस बात पर जोर दिया कि न्यायपालिका के खिलाफ कोई भी टिप्पणी अनजाने में थी। अदालत ने याचिका खारिज कर दी और सीबीआई को नई याचिका दाखिल करने की इजाजत दे दी।

चीन से ही पूरा दुनिया में फैला कोरोना, COVID-19 की उत्पत्ति इस शहर से हुई, मिले सबूत

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कोविड-19 महामारी की शुरुआत कैसे हुई, यह रहस्य बना हुआ है। कोरोना वायरस का कहर साल 2019 से चीन में शुरू हुआ था, जिसके बाद धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैल गया। इस महामारी के फैलने के बाद तरह-तरह की बातें कहीं गई। कई तरह की परिकल्पनाएं सामने आई, लेकिन इसे स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि SARS-CoV-2, कोरोनावायरस जो COVID-19 का कारण बनता है, जानवरों से मनुष्यों में फैला, जिसे जूनोटिक ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है। कुछ शोधकर्ताओं ने कहा है कि वायरस चमगादड़ों में उत्पन्न हुआ। किसी ने कहा एक स्वाभाविक रूप से उभरने वाला वायरस जिसका प्रयोगशाला के अंदर अध्ययन किया गया और लीक हो गया। इनमें से किसी भी परिकल्पना के लिए अभी तक कोई निश्चित सबूत नहीं है।

वहीं, तमाम एक्सपर्ट्स ने दावा किया था कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से फैला था, लेकिन इसे लेकर विवाद चलता रहा। अमेरिका समेत कई देशों ने चीन पर वायरस फैलाने के आरोप लगाए थे, जबकि चीन इससे इनकार करता रहा। इस बीच, एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 संभवतः चीनी बाजार में संक्रमित जानवरों से उत्पन्न हुआ है। सेल जर्नल (पीयर-रिव्यू) में प्रकाशित, अध्ययन में मजबूत साक्ष्य का हवाला दिया गया है, जो कि वुहान के हुआनान सीफूड मार्केट से एकत्र किए गए 800 नमूनों पर आधारित है। नमूने चीनी अधिकारियों द्वारा जनवरी 2020 में एकत्र किए गए थे जब बाजार बंद था।

ये सैंपल जनवरी 2020 में बाजार बंद होने के बाद सीधे जानवरों या लोगों से नहीं, बल्कि जंगली जानवरों को बेचने वाले स्टॉल और नालियों की सतहों से लिए गए थे। इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस यहीं से फैला था।

जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी की को-ऑथर फ्लोरेंस डेबेर ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि वे निश्चित रूप से यह नहीं कह सकती हैं कि बाजार में मौजूद जानवर संक्रमित थे या नहीं। हालांकि फ्रांस के CNRS रिसर्च एजेंसी की बायोलॉजिस्ट ने कहा कि हमारा अध्ययन पुष्टि करता है कि 2019 के अंत में इस बाजार में जंगली जानवर थे। इनमें रैकून कुत्ते और सिवेट्स जैसी प्रजातियों वाले जानवर थे। ये जानवर बाजार के दक्षिण-पश्चिम कोने में थे, जो उसी क्षेत्र में है जहां SARS-CoV-2 वायरस का पता लगाया गया था। यही कोविड-19 का कारण है।

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये जानवर इंसानों की तरह वायरस पकड़ सकते हैं। इसकी वजह से ये इंसानों और चमगादड़ों के बीच एक इंटरमीडिएट होस्ट के रूप में संदेह के घेरे में हैं, जिनसे SARS-CoV-2 की उत्पत्ति होने की आशंका है। हुआनान मार्केट में इन जानवरों की उपस्थिति पहले विवादित रही थी, हालांकि कुछ फोटोग्राफिक सबूत और 2021 का एक अध्ययन मौजूद था। अध्ययन के अनुसार कोविड वायरस के लिए एक स्टॉल के कई हिस्से टेस्ट में वायरस से पॉजिटिव मिले, जिसमें जानवरों की गाड़ियां, एक पिंजरा, एक कचरा गाड़ी और एक बाल/पंख हटाने की मशीन शामिल थी।

अब, हाल के साक्ष्यों के आधार पर, वैज्ञानिक दो संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं जिनके कारण अतिव्यापी आनुवंशिक साक्ष्य सामने आए। पहली ये कि 19 से संक्रमित जानवरों को पहले वुहान बाजार में लाया गया था, और फिर वायरस मनुष्यों में फैल गया। दूसरी संभावना यह है कि एक संक्रमित मानव, जिसे किसी अन्य स्रोत से वायरस मिला हो, उसने वुहान बाजार का दौरा किया और उसमें से कुछ को पीछे छोड़ दिया। फिर, यह स्तनधारियों के साथ-साथ मनुष्यों तक भी पहुंच गया होगा।

FATF ने भारत को चेताया, कहा- ISIS और अलकायदा से खतरा, सावधान रहने की जरूरत*
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कुछ समय की शांति के बाद एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस बीच टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर पैनी नजर रखने वाली अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍था फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स (FATF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत के लिए चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत पर बड़े आतंकवादी हमले का खतरा मंडरा रहा है। खासकर ISIS और अलकायदा के आतंकवादी देश पर हमले की फिराक में हैं। ये दोनों इंटरनेशनल टेरर ऑर्गेनाइजेशन जम्‍मू-कश्‍मीर के आसपास एक्टिव हैं। मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनैंसिंग से निपटने में भारत की व्यवस्था कई मायनों में अच्छी है, लेकिन ऐसे मामलों में मुकदमों को अंजाम तक पहुंचाने के मामले में और सुधार की जरूरत है। दुनियाभर में मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनैंसिंग के मामलों पर नजर रखने और उनसे निपटने के उपायों की समीक्षा करने वाली वैश्विक संस्था फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने गुरुवार को यह बात कही। साथ ही FATF ने भारत की म्यूचुअल इवैल्यूएशन रिपोर्ट में भारत के लिए आतंकवाद से जुडे कई तरह के खतरे भी गिनाए। रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत ने आजादी के बाद से आतंकवाद के प्रभावों को लगातार सहा है। भारत को विभिन्न प्रकार के आतंकवाद के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। जिन्हे, भारत ने छह विभिन्न क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है। इन्हें संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है कि ये आईएसआईएल या अल-कायदा से जुड़े चरमपंथी समूहों से जुड़े वर्ग हैं, जो जम्मू-कश्मीर में और उसके आसपास सक्रिय हैं। चाहे वे प्रत्यक्ष रूप से हों या छद्म या सहयोगियों के माध्यम से, साथ ही क्षेत्र में अन्य अलगाववादी। चरमपंथी लोगों और रैडिकलाइजेशन से खतरा है। उत्तर पूर्व में क्षेत्रीय उग्रवाद और लेफ्ट विंग चरमपंथ से खतरा है। रिपोर्ट में पूर्वोत्‍तर और उत्‍तर भारत में सक्रिय उग्रवादी संगठनों के साथ ही नक्‍सलियों की ओर से सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने की बात भी कही गई है। FATF की 368 पेज की रिपोर्ट में मणिपुर की हालिया स्थिति का भी उल्लेख किया गया है, जहां पिछले एक साल से अधिक समय से जातीय हिंसा जारी है, जिसके कारण 220 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 में आतंकवादी-वित्तपोषण (TF) जांच में अचानक वृद्धि देखी गई और इसका कारण मणिपुर में हुई घटनाएं हैं। इसके चलते 50 से अधिक मामलों में ऐसी जांच की गई है।इस लिहाज से यह देश के लिए बड़ा खतरा हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सबसे महत्वपूर्ण आतंकवाद का खतरा आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट) या एक्यू (अल-कायदा) से जुड़े समूहों से है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि आईएसआईएल या आईएसआईएस को सीमित समर्थन मिलने के कारण विदेशी आतंकवादी लड़ाकों (एफटीएफ) की वापसी को भारत के संदर्भ में ‘महत्वपूर्ण जोखिम क्षेत्र’ नहीं माना गया। एफएटीएफ ने इस संदर्भ में ‘केस स्टडीज’ का भी हवाला दिया और कहा, कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने एक मामले ‘मैंगलोर विस्फोट मामले’ की जांच की थी। इन सबका संबंध आईएसआईएस नेटवर्क से था।
तनाव के बाद भी मालदीव पर मेहरबान भारत, पाई-पाई को हुआ मोहताज तो मदद के लिए बढ़ाया हाथ

#indiaextendsfivecroredollarsupportmaldives

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्झू के पदभार ग्रहण करने के साथ ही भारत के साथ मालदीव के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। मुइज्जू ने अपने शपथग्रहण के कुछ समय बाद ही मालदीव से भारतीय सैनिकों को निकालने का अल्टीमेटम दे दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद विवाद ने एक नया रूप ले लिया था। भारत से पंगा लेना मालदीप को भारी पड़ रहा है। इंडिया के लोगों ने जब से मालदीव को बॉयकॉट करना शुरू किया, जिससे मालदीव को हर दिन करोड़ों का नुकसान हो रहा है। हालांकि तनाव के बाद भी भारत बार-बार मालदीव की मदद कर रहा है।

आर्थिक संकटों से जूझ रहे मालदीव पर एक बार फिर भारत ने मेहरबानी दिखाई है। भारत ने मालदीव की सरकार को बड़ी आर्थिक मदद देते हुए पांच करोड़ डॉलर के ट्रेजरी बिल को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। मालदीव सरकार की अपील पर भारत ने यह कदम उठाया। मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

उच्चायोग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 'मालदीव सरकार की अपील पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मालदीव के वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी ट्रेजरी बिल्स की मैच्योरिटी एक साल के लिए बढ़ा दी है। पहले इनकी मैच्योरिटी 19 सितंबर को होनी थी।' भारतीय उच्चायोग ने मालदीव को भारत का प्रमुख पड़ोसी और भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति के तहत महत्वपूर्ण साझेदार बताया। उच्चायोग ने कहा कि भारत ने जरूरत के समय में मालदीव की सहायता की है और ट्रेजरी बिल का एक साल के लिए रोलओवर बढ़ाना मालदीव के लोगों और वहां की सरकार के लिए भारत के निरंतर समर्थन को दर्शाता है।

क्या होता है ट्रेजरी बिल?

बता दें कि कि मई में भी मालदीव सरकार के विशेष अनुरोध पर पांच करोड़ डॉलर के ट्रेजरी बिल के पहले रोलओवर को मंजूरी दी थी। इस तरह इस साल यह भारत सरकार का मालदीव के लिए दूसरा रोलओवर है।ट्रेजरी बिल्स सरकार द्वारा जारी किए गए शॉर्ट-टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं, जिनका इस्तेमाल सरकार अपनी शॉर्ट टर्म की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए करती है।

मालदीव के विदेश मंत्री ने की भारत की तारीफ

भारत की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के प्रति आभार जताया और कहा है कि 'भारत सरकार की घोषणा मालदीव और भारत के बीच दोस्ती के स्थायी संबंध को प्रदर्शित करती है। सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा किए गए एक पोस्ट में ज़मीर ने कहा, 'मालदीव को पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर के ट्रेजरी बिल के रोलओवर के रूप में महत्वपूर्ण बजटीय सहायता प्रदान करने के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और भारत सरकार का हार्दिक आभार। यह उदार भाव मालदीव और भारत के बीच दोस्ती के स्थायी बंधन को दर्शाता है।'

इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के कई ठिकानों को बनाया निशाना, 1000 रॉकेट बैरल लांचर ध्वस्त*
#israel_airstrike_destroying_many_hideouts_of_lebanon_hezbollah *
इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर हमला किया। यह हमला उसी वक्त किया गया जबकि हिजबुल्लाह के प्रमुख नसरल्लाह पेजर विस्फोटों के बाद भाषण दे रहे थे। दक्षिण लेबनान के कई शहरों पर इजराइल ने ताबड़तोड़ बमबारी की है। दावा किया जा रहा है कि ये बमबारी हिजबुल्लाह के ठिकानों पर की गई है। माना जा रहा है कि हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की धमकी के जवाब इजराइल में लेबनान में स्ट्राइक स्ट्राइक किया। दरअसल, हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह ने कहा था कि इजराइल ने लेबनान में जो नरसंहार किया है उसकी सजा दी जाएगी। हिजबुल्ला का गढ़ कहे जाने वाले लेबनान में दो दिनों में पेजर और वायरलेस जैसे छोटे डिवाइसों में हुए विस्फोटों ने अफरा-तफरी मचा दी है। अभी यहां के लोग इन धमाकों से उभर भी नहीं पाए कि इजराइल ने गुरुवार देर हिजबुल्ला के ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले कर दिए। हिजबुल्ला का गढ़ कहे जाने वाले लेबनान में दो दिनों में पेजर और वायरलेस जैसे छोटे डिवाइसों में हुए विस्फोटों ने अफरा-तफरी मचा दी है। अभी यहां के लोग इन धमाकों से उबर भी नहीं पाए कि इजराइल ने गुरुवार देर हिजबुल्ला के ठिकानों को निशाना बनाकर हवाई हमले कर दिए। इजरायल ने कहा कि उसने हिजबुल्लाह के तकरीबन 150 रॉकेट को लॉन्च से पहले ही एयर स्ट्राइक से निशाना बनाया। इजरायली सेना ने ऑपरेशन को अंजाम देते हुए हिजबुल्ला के 30 के करीब लॉन्चरों और आंतकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। दक्षिण लेबनान में इजरायल ने हिजबुल्लाह के ठिकानों, और वेपन स्टोरेज फेसिलिटी को तबाह किया। रात भर लेबनान में इजरायली फाइटर जेट गरजते रहे और बमों की बारिश करते रहे। इससे पूरा देश हिल गया। इस दौरान हिजबुल्ला के 1000 से ज्यादा रॉकेट बैरल लांचर नष्ट हो गए और 100 से ज्यादा ठिकाने ध्वस्त हुए। इजराइली रक्षा बल (आईडीएफ) ने कहा कि लड़ाकू विमानों ने दोपहर से लेकर देर रात तक करीब 100 रॉकेट लॉन्चरों पर हमला किया, जिनमें लगभग एक हजार बैरल थे। सेना ने आगे कहा कि आईडीएफ अपने देश की रक्षा के लिए हिज्बुल्ला आतंकवादी संगठन के बुनियादी ढांचे और क्षमताओं को नष्ट करने के लिए हमला करना जारी रखेगा। इजरायल के लेबनान में हिजबुल्लाह आतंकवादियों को निशाना बनाए जाने के बाद इजरायली रक्षा मंत्री ने युद्ध के ‘नए चरण’ की शुरुआत की घोषणा की है। इजराइल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने बुधवार को सैनिकों से कहा कि ‘हम युद्ध के नए चरण की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें साहस, दृढ़ निश्चय और जिद की जरूरत होगी। बता दें कि मंगलवार को लेबनान में हिजबुल्लाह द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले पेजर को कथित रूप से इजरायल ने निशाना बनाकर विस्फोट किए। जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और करीब तीन हजार लोग घायल हुए। वहीं लेबनान में बुधवार को वॉकी-टॉकी और अन्य उपकरणों में हुए विस्फोट में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 450 से ज्यादा लोग घायल हुए।
अजीत डोभाल को यूएस कोर्ट के समन, जानें क्या है पूरा मामला?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है। एक अमेरिकी अदालत ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल समेत कई मौजूदा व पूर्व टॉप खुफिया अफसरों को समन भेजा है। यह समन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की तरफ से दाखिल सिविल केस में भेजा गया है, जिसमें खालिस्तानी आतंकी ने इन अधिकारियों पर अमेरिका में अपनी हत्या की कथित साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया है।

न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की अमेरिकी जिला कोर्ट ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, पूर्व रॉ प्रमुख सामंत गोयल को समन में शामिल किया था। हत्या के मामले में आरोपी दो व्यक्तियों, निखिल गुप्ता और विक्रम यादव को भी समन भेजा गया है। निखिल गुप्ता को पिछले साल चेक गणराज्य में अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर न्यूयॉर्क में पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इस साल जून में चेक गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था।

अमेरिकी कोर्ट के भारत सरकार और टॉप अफसरों को समन जारी करने पर केंद्र ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई है और मुकदमे को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि जब ये मुद्दे पहली बार हमारे ध्यान में लाए गए, तो हमने कार्रवाई की। (इस मामले में) एक उच्च स्तरीय समिति लगी हुई है।

विदेश मंत्रालय की गुरुवार दोपहर की ब्रीफिंग में मीडिया ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मैं यह केस दाखिल करने वाले व्यक्ति की तरफ आपका ध्यान खींचना चाहूंगा। पन्नू का इतिहास हर कोई जानता है। पन्नू एक कट्टरपंथी गैरकानूनी संगठन सिख फॉर जस्टिस का प्रमुख है, जिसे भारतीय नेताओं और संस्थानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और धमकियां देने के लिए हर कोई जानता है। नई दिल्ली उसे 2020 में ही आतंकवादी घोषित कर चुकी है।

क्या है पन्नू की हत्या की साजिश का मामला

पिछले साल नवंबर में ब्रिटिश न्यूजपेपर फाइनेंशियल टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अमेरिका ने पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया है। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। इस न्यूज रिपोर्ट की पुष्टि बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासनिक अधिकारियों ने भी की थी। इस मामले में भारतीय नागरिकों के नाम सामने आने और उनका लिंक भारतीय खुफिया एजेंसियों से जुड़ा होने का दावा किया गया था। इस जानकारी के सामने आने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे चिंता की बात बताया था और भारत की तरफ से एक हाई-लेवल जांच शुरू करने की बात कही थी। इसके बाद से अमेरिका में इस मामले को लेकर जांच चल रही है।

हिंद महासागर में चीन के बढ़े प्रभाव ने भारत-अमेरिका चिंतित, ड्रैगन पर श‍िकंजा कसने की तैयारी में दोनों देश

#in_indian_ocean_india_usa_can_take_this_big_step_soon

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से भारत ही नहीं अमेरिका भी चिंतित है। इन चिंताओं के बीच अमेरिका ने हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के साथ ज्यादा निकटता से सहयोग करने का फैसला लिया है। अमेरिका ने इस संबंध मे बयान जारी किया है। अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट एम कैंपबेल ने इस संबंध में अपने बयान में कहा, मैं आपको यह पहली बार बता सकता हूं कि अमेरिका और भारत हिंद महासागर पर एक सत्र आयोजित करने जा रहे हैं। हम इस बारे में बात करने जा रहे हैं कि हमारी आपसी चिंताएं क्या हैं, हम एक साथ कैसे काम कर सकते हैं। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी रिपब्लिकन में बोलते हुए उन्होंने ये ऐलान किया है।

WION ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि बाइडन के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी कैंपबेल ने कहा कि हिंद महासागर में भारत जैसे साझेदार के साथ अधिक निकटता से काम करने की ओर आशा से देख रहे हैं।

हिंद महासागर वैश्विक व्यापार के लिए सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है, जहां से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में शिपिंग यातायात गुजरता है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया का 60 प्रतिशत समुद्री व्यापार हिंद महासागर से होकर गुजरता है, जिसमें दुनिया के एक तिहाई कंटेनर कार्गो और दुनिया के दो-तिहाई तेल शिपमेंट शामिल हैं। इसके चोकपॉइंट्स से हर दिन करीब 36 मिलियन बैरल की आवाजाही होती है, जो दुनिया की लगभग 40 फीसदी तेल आपूर्ति और 64 फीसदी तेल व्यापार के बराबर है।

चीन बीते कुछ समय से इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। उसका जिबूती में एक सैन्य अड्डा है जो 2017 में चालू हो गया। ग्वादर से चटगांव तक इसने चीन के लिए आसानी तकर दी है। माना जा रहा है कि अगले 4 वर्षों में चीन के पास इस क्षेत्र में एक स्थायी विमानवाहक पोत हो सकता है। इससे अमेरिका चिंतित है और भारत भी असहज है। ऐसे में भारत और अमेरिका साथ आकर इस क्षेत्र में काम करने के संकेत दे रहे हैं।

'मेड इन इंडिया' तोप के गोले कैसे पहुंचे यूक्रेन? जानें रूस का रूख़

#madeinindiaartilleryshellsagainstrussiareachedukraine

रूस और यूक्रेन दो साल से अधिक वक्त से एक दूसरे के खिलाफ युद्ध कर रहे हैं। इस बीच भारत दोनों देशों से लगातार शांति की अपील करता आ रहा है। पिछले दिनों भारत की लगातार अपील का असर भी देखा गया, जब रूस के राष्ट्रपति ने भारत, जीन और ब्राजील से शांति स्थापित करने की पहल करने की अपील की। पुतिन ने खासकर भारत पर भरोसा जताया। हालांकि, इस बीच एक ऐसी खबर आई है, जिससे भारत-रूस की दोस्ती पर असर पड़ सकता है। दरअसर, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध में भारतीय तोप के गोले का इस्तेमाल कर रहा है। भारतीय हथियार निर्माताओं की ओर से इन्हें यूरोप के देशों को बेचा गया था। बाद में इन्हें यूक्रेन भेज दिया गया। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने यह खुलासा किया है।

कितनी संख्या में भारतीय गोला-बारूद यूक्रेन पहुंचे?

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध में बेहद कम मात्रा में हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन ने जितने भी गोला-बारूद का आयात किया है, यह उसका एक प्रतिशत से भी कम होगा। हालांकि, अभी तक ये पता नहीं चला कि यूरोपीय देशों ने ये गोला-बारूद यूक्रेन को दान में दिया या दोबारा बेचा है। बताया जा रहा है कि ये हथियार यंत्र इंडिया नामक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने बनाए हैं।

बीते एक साल से भेजे जा रहे हथियार

रिपोर्ट में सूत्रों और सीमा शुल्क के आंकड़ों के आधार पर कहा गया है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन की रक्षा का समर्थन करने के लिए भारतीय हथियारों का हस्तांतरण एक साल से भी अधिक समय तक हो रहा है। बावजूद इसके कि ये नियमों के खिलाफ है। भारतीय हथियार निर्यात नियमों के मुताबिक, हथियारों का इस्तेमाल केवल खरीदने वाला ही कर सकता है। अगर हथियार दूसरे को हस्तांतरित किए जाते हैं तो भविष्य में बिक्री रोकी जा सकती है।

रूस ने जताई थी आपत्ति

रिपोर्ट में तीन भारतीय अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि रूस ने कम से कम दो मौकों पर इस मुद्दे को उठाया है। इसमें रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और डॉ.एस जयशंकर के बीच जुलाई में हुई मीटिंग भी शामिल है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस और भारत के रक्षा मंत्रालयों ने इससे जुड़े सवाल का जवाब नहीं दिया। जनवरी में भारीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारत ने यूक्रेन को तोपखाने के लिए गोले नहीं बेचे हैं।

पीएम मोदी को मिले 600 से ज्यादा तोहफों की हो रही नीलामी, जानें कितनी तय की गई कीमत

#pmmodieauctionofmorethan600gifts

प्रधानमंत्री मोदी को मिले तोहफों की नीलामी शुरू हो चुकी है। 600 से ज्यादा गिफ्ट्स में से कुछ भी कोई खरीद सकता है। पीएम मोदी ने गुरुवार पिछले एक साल में मिले उपहारों की नीलामी में लोगों से हिस्सा लेने का आग्रह किया। ये ऑक्शन 17 सितंबर से लेकर 2 अक्टूबर तक चलेगी। इस नीलामी से मिलने वाला पैसा नमामि गंगे योजना में जाएगा।

पीएम मोदी को मिले तोहफों की निलामी में सिर्फ 600 रुपये की शुरुआती कीमत से लेकर 9 लाख रुपये तक की कीमत में तोहफे हैं। इस ऑनलाइन निलामी के लिए आप इसकी ऑफिशियल वेबसाइट (https://pmmementos.gov.in/) पर विजिट कर सकते हैं।

गिफ्ट्स में क्या-क्या?

पैरालंपिक कांस्य पदक विजेता अजीत सिंह, सिमरन शर्मा और रजत पदक विजेता निशाद कुमार द्वारा भेंट किए गए जूतों के अलावा रजत पदक विजेता शरद कुमार की हस्ताक्षरित टोपी का आधार मूल्य 2.86 लाख रुपये के आसपास रखा गया है। राम मंदिर की एक प्रतिकृति जिसकी कीमत 5.50 लाख रुपये है, मोर की एक मूर्ति जिसकी कीमत 3.30 लाख रुपये है, राम दरबार की एक मूर्ति जिसकी कीमत 2.76 लाख रुपये है और चांदी की वीणा जिसकी कीमत 1.65 लाख रुपये है, उच्च आधार मूल्य वाली वस्तुओं में शामिल हैं। सबसे कम आधार मूल्य वाले उपहार में सूती अंगवस्त्रम, टोपी और शॉल शामिल हैं, जिनकी कीमत 600 रुपये रखी गई है।

5 साल में हुई ₹50 करोड़ की कमाई

आपको बता दें कि पीएम मोदी को मिले गिफ्टों की नीलामी का यह छठा संस्करण है। 2019 में पीएम मोदी के बर्थडे से इसकी शुरुआत हुई थी। इन नीलामियों ने पिछले 5 साल में 50 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। हर साल की तरह इस बार भी पीएम मोदी के गिफ्ट्स की नीलामी से हुई आय को नमामि गंगे परियोजना में लगाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने लोगों से इस ई-नीलामी में भाग लेने का आग्रह किया, क्योंकि इस ई-ऑक्शन में भाग लेकर वे एक नेक काम में योगदान देंगे। इससे हमारे देश के पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायता मिलेगी।

गणपति-पंडाल का डीजे हानिकारक तो ईद के जुलूस का क्यों नहीं', याचिका की सुनवाई करते हुए बॉम्बे-हाई कोर्ट ने पूछा सवाल

बॉम्बे हाईकोर्ट ने डीजे से ध्वनि प्रदूषण से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि यदि गणपति उत्सव के चलते डीजे हानिकारक हो सकता है, तो ईद मिलादुन्नवी के जुलूस में डीजे का उपयोग क्यों नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ता ने अपनी पीआईएल में तेज ध्वनि से होने वाले नुकसान को उजागर करते हुए राहत की गुहार लगाई थी।

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि एक ऐसा आदेश जारी किया जाए जिससे नगर निकाय या पुलिस उच्च डेसीबेल ध्वनि उपकरणों के उपयोग की अनुमति न दें। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बीते महीने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 का उल्लंघन करने वाले त्योहारों के चलते एजेंसियों को लाउड स्पीकर एवं अन्य ध्वनि प्रणालियों को तत्काल जब्त कर लेना चाहिए। खंडपीठ ने इसी आदेश का हवाला देते हुए टिप्पणी की। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि गणपति उत्सव के चलते डीजे की आवाज से लोगों को नुकसान हो सकता है, तो ईद के जुलूस में भी ऐसा क्यों नहीं हो सकता।

हाईकोर्ट ने कहा कि हदीस या कुरान जैसे ग्रंथों में उत्सव के लिए डीजे सिस्टम या लेजर लाइट के उपयोग का कोई उल्लेख नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ओवैस पेचकर ने मामले की सुनवाई के चलते आग्रह किया कि गणपति उत्सव के संदर्भ में जारी आदेश में ईद समेत अन्य त्योहारों को भी सम्मिलित किया जाए, जिनमें डीजे का उपयोग होता है। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि इसकी आवश्यकता नहीं है। सुनवाई के चलते, लेजर लाइट से होने वाले नुकसान पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने वैज्ञानिक सबूत पेश करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस सिलसिले में वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं होते, वह इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले सकती। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पीआईएल दाखिल करते समय उन्हें बुनियादी शोध भी नहीं करना चाहिए।