केसरीवाड़ा, पुणे: जहां बाल गंगाधर तिलक ने पहला सार्वजनिक गणेशोत्सव आयोजित किया, जाने

1857 की क्रांति की विफलता के बाद अंग्रेजी दासता से मुक्ति के लिए संघर्ष का यह दूसरा चरण था. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक इस संघर्ष के जनक थे. राष्ट्रीयता की भावना विकसित करने और समाज को संगठित करने के लिए उन्होंने अनूठे तरीके अपनाए. विघ्ननाशक आराध्य श्री गणेश के पूजन को उन्होंने घरों की चहारदीवारी से बाहर निकालकर सार्वजनिक उत्सव के रूप में प्रस्तुत किया. शौर्य-साहस के नायक छत्रपति शिवाजी के उत्सव आयोजित करके उन्होंने युवाओं को संगठित किया और उन्हें स्वतंत्रता के संघर्ष के लिए प्रेरित किया. तिलक ने यह तब किया जब अंग्रेजी हुकूमत ने सार्वजनिक तौर पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन पर रोक लगा रखी थी.

जाहिर तौर पर ये धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम थे. लेकिन इनका असली उद्देश्य जनता को ब्रिटिश दासता के विरुद्ध संघर्ष के लिए जागृत और संगठित करना था. अंग्रेजों ने जल्दी ही इस खतरे को पहचाना. दमन चक्र चलाया. तिलक को बार-बार जेल यात्राएं करनी पड़ी. लेकिन स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, के प्रणेता तिलक का जीवन देश के लिए समर्पित था और इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने को वे हमेशा तैयार रहे.

गजानन राष्ट्रीय एकता के प्रतीक

तिलक ने 20 अक्तूबर, 1893 को पुणे के अपने निवास स्थल केसरीबाड़ा में पहला सार्वजनिक गणेशोत्सव आयोजित किया. इसके कार्यक्रम दस दिन तक चले. इतिहासकारों के अनुसार, शिवाजी महाराज के बाल्यकाल में उनकी मां जीजाबाई ने ग्रामदेवता कसबा गणपति की स्थापना की थी. बाद में पेशवाओं ने इसका विस्तार किया. लेकिन तिलक के गणेशोत्सव के आयोजन धार्मिक कर्मकांडों तक सीमित नहीं रहे. उन्होंने गजानन को राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया. इस उत्सव के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए सामाजिक कुरीतियों और छुआछूत दूर करने के प्रभावी संदेश दिए गए. सामाजिक एकता और राष्ट्रीय भावना का विकास इन आयोजनों के मूल में था.

पूजन के बहाने अंग्रेजी राज के विरुद्ध संदेश

गणेशोत्सव के आयोजनों की लोकप्रियता को जल्दी ही विस्तार मिला. स्थान-स्थान पर इस उत्सव से सक्रिय रूप से जुड़ने वालों की भीड़ बढ़ती ही गई. प्रत्यक्ष तौर पर उत्सव का उद्देश्य आराध्य श्री गणेश का पूजन था. लेकिन आयोजन के दौरान युवकों की टोलियां देशभक्ति के गीत गाती भ्रमण करतीं. पर्चे वितरित करतीं. अंग्रेजी राज के विरुद्ध लोगों को खड़े होने के लिए संगठित होने और इसके लिए आपसी मतभेद भुलाने और क्षुद्र स्वार्थों के परित्याग का संदेश दिया जाता था.सार्वजनिक तौर ऐसे आयोजनों के लिए प्रशासन की अनुमति नहीं थी. धार्मिक पूजन – अर्चन के उत्सव के नाम पर सरकार के विरुद्ध निर्मित हो रहे वातावरण से अंग्रेज चिंतित थे. खुफिया रिपोर्टों में इस पर चिंता भी जाहिर की गई. इसके चलते इस आयोजन के सूत्रधार तिलक किसी न किसी बहाने अंग्रेजो के निशाने पर बने रहे.

मुगलों से शिवाजी लड़े, अंग्रेजों से आप लड़ो

तिलक को अंग्रेजी राज की नाराजगी या उत्पीड़न की चिंता नहीं थी. 15 अप्रैल 1895 को उन्होंने शिवाजी उत्सव की शुरुआत रायगढ़ किले में की. शौर्य – साहस के पर्याय छत्रपति शिवाजी महाराज भारत वर्ष के प्रेरक अग्रणी नायकों की सूची में काफी ऊंचे स्थान पर रहे हैं. उन्होंने मुगलों के विरुद्ध निरंतर संघर्ष करके मराठा साम्राज्य को अक्षुण्ण रखा था.

असलियत में शिवाजी के अदम्य साहस, शौर्य और संघर्ष के जरिए तिलक विशेषकर युवाओं में उनकी ही भांति जोश और जागृति उत्पन्न करना चाहते थे. इस उत्सव के दौरान शिवाजी के जीवन के प्रेरक प्रसंगों और मुगलों के विरुद्ध उनके साहसपूर्ण संघर्ष की याद दिलाकर संदेश दिया जाता कि देश के सामने आज भी ऐसी ही परिस्थिति है. तब विदेशी मुगलों से संघर्ष था. अब अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने की जरूरत है.

ईश्वर ने भारत का पट्टा विदेशियों को नहीं दिया

12 जून 1897 को शिवाजी उत्सव में तिलक का भाषण संघर्ष प्रारम्भ करने का खुला आह्वान था. उन्होंने कहा, “क्या शिवाजी ने अफजल खान को मार कर कोई पाप किया था? इस प्रश्न का उत्तर महाभारत में मिल सकता है. गीता में श्रीमन कृष्ण ने अपने गुरूओं और बांधवों तक को मारने का उपदेश दिया है. उनके अनुसार अगर कोई व्यक्ति निष्काम भाव से कर्म करता है तो वह किसी पाप का भागी नही बनता है.

शिवाजी ने अपनी उदर पूर्ति के लिए कुछ नही किया था. बहुत नेक इरादे के साथ, दूसरों की भलाई के लिए उन्होंने अफजल खान का वध किया था. अगर चोर हमारे घर में घुस आए और हमारे अन्दर उनको बाहर निकालने की ताकत न हो तो हमे बेहिचक दरवाजा बन्द करके उसे जिन्दा जला देना चाहिए. ईश्वर ने हिन्दुस्तान के राज्य का पट्टा ताम्रपत्र पर लिखकर विदेशियों को तो नहीं दिया है.

शिवाजी महाराज ने उनको अपनी जन्मभूमि से खदेड़ने की कोशिश की. ऐसा करके उन्होंने दूसरे की वस्तु हड़पने का पाप नही किया. कुएं के मेढ़क की तरह अपनी दृष्टि संकुचित मत करो. ताजीराते – हिन्द की कैद से बाहर निकलो. गीता के अत्यन्त उच्च वातावरण में पहुंचो और महान व्यक्तियों के कार्यों पर विचार करो.”

विलक्षण प्रतिभा के धनी

23 जुलाई 1856 को जन्मे बाल गंगाधर तिलक ने 1880 में वकालत पास की. नौ वर्षों तक कानून की कक्षाएं लीं. अपने अखबार ‘केसरी’ में कानून पर तमाम विद्वतापूर्ण लेख लिखे. 40 साल के अपने सार्वजनिक जीवन मे लगातार मुकदमों और अदालतों में उलझे रहे. इसमें लंदन की अदालतें भी शामिल थीं. तीन बार राजद्रोह के मुकदमों का सामना किया. कानूनी कौशल ऐसा विलक्षण कि जब 1897 में पहली बार राजद्रोह के मामले में सजा के बाद उन्हें जेल भेजा गया तो अगले ही दिन जेल से उन्होंने प्रिवी काउंसिल में की जाने वाली अपील का ड्राफ्ट तैयार कर अपने वकीलों को सिपुर्द कर दिया.

यह अपील अदालत में फैसला सुनकर तैयार की गई थी. दिग्गज वकील आश्चर्य में पड़ गए थे. न्यायिक प्रक्रिया का राजनीतिक इस्तेमाल उन जैसा शायद ही कोई नेता कर सका हो.

दिव्यांग महिला के साथ ट्रेन में दुष्कर्म का प्रयास, पैंट्रीकार कर्मचारी गिरफ्तार

ओड़िशा के पुरी से एक परेशान करने वाली घटना सामने आई है. यहां पुरी से ऋषिकेश जाने वाली उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन में एक दिव्यांग महिला के साथ पैंटीकार के कर्मचारी ने जबरदस्ती करने की कोशिश की. महिला जब बाथरूम जा रही थी इसी दौरान पैंट्रीकार के कर्मचारी ने महिला के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया. लोगों ने महिला की चीखें सुनी तो बाथरूम का दरवाजा खुलावाया जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ.

घटना ओड़िशा के ऋषिकेश जाने वाली 18477 उत्कल एक्प्रेस के एसी-3 कोच में उस वक्त हड़कंप मच गया जब देर रात दो से तीन बजे के करीब ट्रेन कटक और जाजपुर के बीच से जा रही थी. इसी दौरान कोच के बाथरूम से महिला के चीखने की आवाज आने लगी. इसके बाद कोच में सफर कर रहे बाकी लोग शौचालय के दरवाजे तक पहुंचे और जबरन शौचालय का दरवाजा खोला तो लोगों की आंखें फटी की फटी रह गई.

शौचालय के अंदर ट्रेन में सफर कर रही एक दिव्यांग महिला यात्री के साथ ट्रेन के पैंटीकार का एक कर्मचारी जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था. पीड़िता ओड़िशा के नयागढ़ अपने मायके आए हुए थी. वह वापस उत्तर प्रदेश अपने ससुराल लौट रही थी. इसी दौरान वह भुवनेश्वर से उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुई थी. सफर के दौरान देर रात लगभग 2 से 3 बजे के बीच जब वह शौचालय गई, इसी दौरान उसके पीछे-पीछे उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन के पैंटीकार का एक कर्मचारी जिसका नाम रामजीत सिंह है, भी आ गया.

आरोपी पुलिस के हवाले

वो महिला के पीछे-पीछे बाथरूम में गया और उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश करने लगा. इसके बाद महिला ने अपने बचाव में चीखना शुरू कर दिया. महिला की आवाज सुनकर ट्रेन में मौजूद बाकी यात्री तुरंत शौचालय का दरवाजा खोलकर महिला को बचाया और आरोपी को ट्रेन के चक्रधरपुर पहुंचते ही आरपीएफ के जवानों के हवाले कर दिया गया. आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पीड़ित महिला अपने नाबालिग बेटे के साथ सफर कर रही थी. जिस दौरान उत्कल एक्सप्रेस ट्रेन में उनके साथ ये घटना हुई.

गणेश चतुर्थी 2024: इन शहरों में रहेंगे बैंक बंद,जानें क्या है RBI की गाइडलाइन,देखे लिस्ट

आज से गणेश चतुर्थी का पर्व शुरू हो रहा है. देश के कई हिस्सों में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. महाराष्ट्र से लेकर गुजरात में इसका काफी महत्त्व है. ऐसे में इस मौके पर तमाम जगहों पर बैंक बंद रहते हैं और कामकाज नहीं होता है. आज भी कई जगह बैंक बंद रहने वाले हैं. अगर आपने कोई बैंक का आज के लिए पेंडिंग रखा है बैंक विजिट करने से पहले एक बार ये जरूर चेक कर लें कि कहीं आपके शहर में भी तो बैंक बंद नहीं है.

बैंक की छुट्टियां रिजर्व बैंक हर महीने जारी करता है. RBI के मुताबिक, गणेश चतुर्थी पर पूरे भारत में छुट्टी नहीं होगी, लेकिन तमाम जगहों पर बैंक बंद रहेंगे. RBI Bank Holidays Calendar के मुताबिक गणेश चतुर्थी के दिन मुंबई, नागपुर, पणजी, अहमदाबाद, बेलापुर, बेंगलुरु, चेन्नई, भुवनेश्वर, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में बैंक बंद रहेंगे. वहीं, देश के बाकि राज्यों में बैंकों में सामान्य रूप से कामकाज होगा.

सितंबर में कब-कब बंद रहेंगे बैंक

सितंबर के महीने में छुट्टियों की भरमार है. इस बार देश के तमाम हिस्सों में 10 या 12 दिन नहीं बल्कि 15 दिन बैंक बंद रहेंगे.

1 सितंबर: रविवार

4 सितंबर: तिरुभव तिथि ऑफ श्रीमंता शंकरदेवा (गुवाहाटी)

7 सितंबर: गणेश चतुर्थी

8 सितंबर: रविवार

14 सितंबर: दूसरा शनिवार, फर्स्ट ओणम (कोची, रांची और तिरुवनंतपुरम)

15 सितंबर: रविवार

16 सितंबर: बारावफात

17 सितंबर: मिलाद-उन-नबी (गंगटोक और रायपुर)

18 सितंबर: पंग-लहबसोल (गंगटोक)

20 सितंबर: ईद-ए-मिलाद-उल-नबी (जम्मू और श्रीनगर)

22 सितंबर: रविवार

21 सितंबर: श्री नारायण गुरु समाधि दिवस (कोची और तिरुवनंतपुरम)

23 सितंबर: महाराजा हरिसिंह जी जन्मदिवस (जम्मू और श्रीनगर)

28 सितंबर: चौथा शनिवार

29 सितंबर: रविवार

अलग-अलग होती है छुट्टी

बैंकों के लिए सभी राज्यों में छुट्टियों की लिस्ट एक जैसी नहीं होती है. भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, सभी राज्यों की छुट्टियों की लिस्ट अलग होती है. RBI की ऑफिशियल वेबसाइट पर इन छुट्टियों की पूरी लिस्ट दी होती है, जिसमें राज्यों के हिसाब से अलग त्योहारों छुट्टियों का पूरा ब्यौरा दिया होता है. बैंकों के बंद रहने के बावजूद भी ग्राहकों को परेशानी नहीं होगी. छुट्टियों के दिन भी लोग ऑनलाइन बैंकिंग की सहायता से अपने सारे काम निपटा सकते हैं. आज के समय में बैंक की ज्यादातर सर्विसेज ऑनलाइन उपलब्ध हैं. इसलिए अवकाश वाले दिन भी आप बहुत से बैंकिंग कार्य घर बैठे ही निपटा सकते हैं.

गणेश चतुर्थी पर दिल्ली में धूम: बुराड़ी में सजेगा सबसे बड़ा पंडाल, और क्यो मुंबई के लालबाग से की जाती है तुलना,जानिए इनका इतिहास

गणेश चतुर्थी का त्योहार शानिवार यानी आज मनाया जा रहा है. मंगल मूर्ति गणपति बप्पा जी की पूजा किसी भी शुभ काम से पहले की जाती है. गणेशोत्सव के इस पावन त्योहार को लेकर हर कोई उत्सुक है. बप्पा को घर में स्थापित करने की तैयारियां लोगों ने पहले से ही कर ली हैं. 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार पर पंडाल भी सजाए जाते हैं.

वैसे तो गणेशोत्सव का महत्व महाराष्ट्र में ज्यादा है लेकिन राजधानी नई दिल्ली में इस मामले में पीछे नहीं है. यहां भी गणपति जी का उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है. दिल्ली की कई जगहों पर बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं. बता दें कि दिल्ली में सबड़े बड़ा पंडाल बुराड़ी इलाके में लगाया जाता है, जिसे देखने के लिए दू-दूर से लोग आते हैं. खास बात तो ये है कि इसकी तुलना मुंबई के लालबाग से की जाती है

जानिए पंडाल का इतिहास

आपको बता दें कि साल 2015 में इस बड़े से पंडाल को सांसद मनोज तिवारी ने सजवाया था. उनका कहना था कि लोग मुंबई में लालबाग के राजा के दर्शन करने जाते हैं. वैसे ही हम भी दिल्ली के लोगों के लिए लालबाग का आयोजन करवाएंगे. बीते 9 सालों से दिल्ली में इतने बड़े पंडाल का आयोजन करवाया जा रहा है.

ये है खासियत

पंडाल की खासियत ये है कि इसका फर्श लकड़ियों का बनाया जाता है, जिस पर करीब 5 लाख लोगों के खड़े होने की क्षमता है. गणेश उत्सव के दौरान बुराड़ी के लालबाग पंडाल में लगभग 1 से 5 लाख लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.

कैसे पहुंचे लालबाग पंडाल

दिल्ली में रहने वाले लोग बुराड़ी इलाके को तो जानते ही होंगे. यहां पहुंचने के लिए आप नजदीकी मेट्रो से जीटीबी नगर पहुंचे. जीटीबी नगर येलो लाइन मेट्रो पर है. लालबाग का पंडालDDA ग्राउंड, संत निरंकारी समागम, बुराड़ी में आयोजित किया जाता है. तो इस बार आप भी अगर दिल्ली में ही लालबाग के राजा का दर्शन करना चाहते हैं तो बुराड़ी के पंडाल में जरूर घूमकर आएं. यहां आपको खाने के भी तमाम सारे स्टॉल लगे दिख जाएंगे.

मेवा सिंह को लाडवा सीट से कांग्रेस का टिकट, सीएम नायब सिंह सैनी से होगा मुकाबला,जाने कौन है मेवा सिंह

कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है और 32 उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगा दी है. पार्टी ने लाडवा सीट से मेवा सिंह को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने सीएम नायब सिंह सैनी को इस सीट से उतारा है, जिसके बाद, अब इस सीट पर मेवा सिंह का सीएम नायब सिंह सैनी से सीधा मुकाबला होगा.

जिस सीट से बीजेपी ने सीएम नायब सिंह सैनी को उतारा है, उस सीट पर कांग्रेस ने मेवा सिंह पर भरोसा जताया है. इस भरोसे के पीछे मेवा सिंह का सियासी सफर है. मेवा सिंह हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं

कौन हैं मेवा सिंह?

मेवा सिंह पर ही कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव (2019) में भी लाडवा सीट से भरोसा जताया था और मेवा सिंह ने बीजेपी के पवन सैनी को 12,637 वोटों से हराया था. मेवा सिंह ने साल 1985-86 में राजनीति में कदम रखा, उन्होंने सरपंच बनने से अपने इस सियासी सफर की शुरुआत की. इसके बाद वो इंडियन नेशनल लोकदल का हिस्सा बने और उन्होंने कुरुक्षेत्र जिला परिषद अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली

BJP के टिकट पर लड़ा पहला चुनाव

लाडवा कुरुक्षेत्र जिला की विधानसभा सीट है, जिसको साल 2009 में कुरुक्षेत्र के थानेसर निवार्चन क्षेत्र से अलग करके बनाया गया है. मेवा सिंह ने अपना पहला चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा था. इस चुनाव में वो 21 हजार 775 वोट ही हासिल कर सके थे. साल 2009 के चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी के शेर सिंह बड़शामी ने जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस की कैलाशो देवी सैनी दूसरे पायदान पर रही थी.

कब हुए कांग्रेस में शामिल?

मेवा सिंह ने साल 2011 में बीजेपी का साथ छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामा था. हालांकि, उनको जेबीटी घोटाले में दोषी ठहराया गया था, जिसके चलते वो साल 2014 का चुनाव नहीं लड़ सके थे और उनकी पत्नी बचन कौर ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वो कामयाबी हासिल नहीं कर सकी थी और तीसरे नंबर पर रही थी. साल 2014 के चुनाव में बीजेपी के पवन सैनी ने जीत हासिल की थी.

2019 में हासिल की जीत

2014 में जीत हासिल करने के बाद बीजेपी ने एक बार फिर 2019 के चुनाव में लाडवा सीट से पवन सैनी को ही टिकट दिया था और इस बार कांग्रेस ने मेवा सिंह को मैदान में उतारा था. हालांकि, दोनों के बीच काफी कड़ा मुकाबला था, लेकिन लगभग 12 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से मेवा सिंह ने जीत हासिल की थी. मेवा सिंह ने 57 हजार 665 वोट हासिल किए थे, जबकि बीजेपी के पवन सिंह ने 45 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे.

लाडवा सीट का इतिहास

लाडवा सीट इस समय हरियाणा विधानसभा चुनाव की हॉट सीट मानी जा रही है, क्योंकि बीजेपी ने इस सीट पर सीएम नायब सैनी पर दांव खेला है, जिससे इस सीट पर मुकाबला काफी बढ़ गया है. कांग्रेस के मेवा सिंह की अब सीधी टक्कर बीजेपी के सीएम रहे नायब सैनी से है. हालांकि, इस सीट के इतिहास के हिसाब से यहां हर साल परिवर्तन होता रहा है.

एक भी चुनाव में कोई भी उम्मीदवार लगातार 2 बार जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हो सका है. जहां इस सीट पर साल 2009 में इनेलो ने जीत हासिल की, वहीं, साल 2014 का चुनाव बीजेपी के खाते में गया, जिसके बाद साल 2019 में कांग्रेस के मेवा सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की. हालांकि, अब देखना होगा कि इस बार लाडली सीट किस के सिर पर जीत का सेहरा बांधती है. हरियाणा में एक चरण में 5 अक्टूबर को चुनाव होने हैं, जिसके रिजल्ट 8 अक्टूबर को सामने आएंगे.

मणिपुर में पूर्व मुख्यमंत्री के घर पर रॉकेट से हमला, एक की मौत, 5 घायल

मणिपुर में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेंबम कोइरेंग के आवास पर रॉकेट से हमला हुआ है. इस हमले में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गई है. पांच लोग घायल हुए हैं. यह हमला बिष्णुपुर जिले के रिहाइशी इलाके मोइरांग में शुक्रवार दोपहर हुआ है. कहा जा रहा है कि उग्रवादियों ने इसे अंजाम दिया है. शुक्रवार को जिले में यह दूसरा रॉकेट हमला हुआ है.

पूर्व मुख्यमंत्री मैरेंबम कोइरेंग के आवास पर हुए इस हमले को लेकर एक अधिकारी ने बताया कि इस हमले में जान गंवाने वाला बुजुर्ग धार्मिक अनुष्ठान की तैयारी कर रहा था. हमले में13 साल की लड़की समेत 5 लोग घायल हो गए है. इससे पहले दिन में इंफाल से करीब 45 किलोमीटर दूर ट्रोंगलाओबी में एक रॉकेट दागा गया था.

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर केस: न्याय की मांग पर 8 सितंबर को फिर होगा प्रदर्शन

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर मामले का नौ सितंबर को एक महीना बीत जाएगा. न्याय की मांग पर अभी भी कोलकाता में प्रदर्शन चल रहे हैं. इसके पहले कोलकाता सहित पूरे देश में रिक्लेम द नाइट और लाइटें बंद कर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. अब नौ सितंबर से पहले आठ सितंबर की रात को फिर से न्याय की मांग पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है. शुक्रवार को कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदर्शनकारी रिमझिम सहित अन्य महिलाओं ने आठ सितंबर की रात को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया.

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी. रेप और हत्या के आरोप में इस मामले में कोलकाता पुलिस ने सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया है. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है.

रेप केस मामले में आरोपों से घिरे आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी सीबीआई ने अरेस्ट किया है, लेकिन इस मामले में अभी भी न्याय की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है.

आठ सितंबर की रात को फिर होगा प्रदर्शन

प्रदर्शनकारीरिमझिम ने कहा कि 8 सितंबर की रात को वे लोग फिर से सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. विरोध प्रदर्शन को ‘शासक को जगाने के लिए नए गीतों की सुबह’ नाम दिया गया है.

इस कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए रिमझिम ने सत्यजीत रे की फिल्म ‘गुपी गेन बाघा बेन’ का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वे शासकों को उसी तरह जगाना चाहते हैं जैसे गुपी गेन ने राजा को जगाया था. रिमझिम ने कहा कि रात को सांस्कृतिक तरीके से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इस कार्यक्रम में गायन मंडली, नृत्य मंडली, सांस्कृतिक जगत की विभिन्न हस्तियों को आमंत्रित किया गया है.

नौ अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर की मिली थी लाश

9 अगस्त की सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार रूम से एक महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था. तब से 25 दिन से अधिक समय बीत चुका है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है. आरजी कर मामले की सुनवाई 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी. उससे ठीक एक रात पहले आंदोलनकारी सड़क पर उतरेंगे.

इससे पहले 10 अगस्त की रात को रिमझिम ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके रिक्लेम द नाइट का आह्वान किया था. इस आह्वान पर कोलकाता, दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई सहित देश के विभिन्न शहरों में आधी रात को प्रदर्शन हुए थे और महिलाओं की सुरक्षा की मांग की गई थी.

केन्या में एक स्कूल के हॉस्टल में आग लगने से 17 छात्रों की मौत,13 गंभीर रूप से झुलसे

केन्या में एक स्कूल के हॉस्टल में आग लगने से 17 छात्रों की मौत हो गई और 13 अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं. ये घटना न्येरी काउंटी के हिलसाइड एंडाराशा प्राइमरी स्कूल में हुई है. हालांकि, मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई गई है, क्योंकि कई छात्र गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं. मौके पर पहुंची पुलिस और राहत-बचाव की टीमों ने बच्चों को बाहर निकाला और नजदीकि अस्पताल में भर्ती करवाया है.

पुलिस प्रवक्ता रेसिला ओन्यांगो ने बताया कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है. इस हॉस्टल में 14 साल तक के बच्चे रहते हैं और इसमें 150 से ज्यादा छात्र रहते थे. स्कूल की बिल्डिंग मुख्य रूप से लकड़ी की बनी हुई हैं, जिससे आग तेजी से फैल गई. केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने इस घटना को “भयावह” बताया और संबंधित प्राधिकारियों को इस मामले की गहन जांच करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.

उपराष्ट्रपति ने घटना पर क्या कहा?

केन्या के उपराष्ट्रपति रिगाथी गचागुआ ने स्कूल प्रशासन से अपील की कि वे सुनिश्चित करें कि आवासीय विद्यालयों के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा अनुशंसित सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन किया जाए. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, मैं संबंधित प्राधिकारियों को इस भयावह घटना की गहन जांच करने का निर्देश देता हूं. जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

केन्या में हॉस्टल में आग लगने की घटनाएं आम हैं. शिक्षा मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ये आग अक्सर मादक द्रव्यों के सेवन और क्षमता से अधिक छात्रों के रहने के कारण लगती हैं. माता-पिता का मानना है कि हॉस्टल में रहने से उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए ज्यादा समय मिलता है.

हाल के सालों में, केन्या के स्कूलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं. ये छात्रों और शिक्षकों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं. 2017 में नैरोबी में एक स्कूल में आग लगने से 10 छात्रों की मौत हो गई थी. स्कूल में आग लगने की सबसे घातक घटना 2001 में हुई थी जब माचकोस काउंटी में एक छात्रावास में आग लगने से 67 छात्रों की मौत हो गई थी.

सावित्री जिंदल ने बीजेपी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान

हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. जिस समय पार्टी चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है, उसी समय देश की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने बीजेपी से बगावत कर दी है. साथ ही सावित्री जिंदल ने ऐलान कर दिया है कि वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी.

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने बुधवार देर शाम को 67 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, लेकिन पार्टी की लिस्ट सामने आते ही बीजेपी में हलचल मच गई, टिकट न मिलने पर कई नेता नाराज हो गए.

सावित्री जिंदल की BJP से बगावत

कई नाराज पदाधिकारियों ने तो सोशल मीडिया पर ही अपना इस्तीफा पार्टी को सौंप दिया. वहीं, गुरुवार को देश की चौथी सबसे अमीर महिला और पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने भी बीजेपी से बगावत कर दी है. बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा- मैं बीजेपी की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं, मैं चुनाव न लड़ने के बारे में बोलने के लिए दिल्ली से वापस आई थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर अब मैंने फैसला लिया है कि मैं मैदान में उतरूंगी.

सावित्री जिंदल ने क्या कहा

सावित्री जिंदल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद कहा , मैं बीजेपी की सदस्य नहीं हूं. हिसार की जनता जो कहेगी मैं वो करूंगी. उन्होंने इस बात के संकेत भी साफ दे दिए हैं कि वो चुनाव लड़ेंगी और कहा, हिसार की सेवा करने के लिए मैं चुनाव लड़ूंगी. उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव में सिर्फ मैं अपने बेटे का चुनाव प्रचार करने गई थी, मैंने कभी बीजेपी ज्वाइन नहीं की.

किस BJP नेता के खिलाफ लड़ेंगी चुनाव

सावित्री जिंदल मशहूर उद्योगपति और कुरूक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान सावित्री जिंदल अपने बेटे के लिए लगातार प्रचार करती भी नजर आ रही थी. हालांकि, अब हिसार सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से होगा जो इस समय हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. दोनों मैदान में आमने-सामने होंगे.

कौन हैं सावित्री जिंदल

सावित्री जिंदल एक उद्योगपति हैं, जिन्होंने साल 2005 में अपना सियासी सफर शुरू किया था. वह हिसार सीट से जीतकर विधानसभा पहुंची, जिसके बाद साल 2009 में उन्होंने एक बार फिर किस्मत आजमाई और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की. साल 2013 में उन्हें हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. हरियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान किया जाएगा और वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी.

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