कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर केस: न्याय की मांग पर 8 सितंबर को फिर होगा प्रदर्शन

कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-मर्डर मामले का नौ सितंबर को एक महीना बीत जाएगा. न्याय की मांग पर अभी भी कोलकाता में प्रदर्शन चल रहे हैं. इसके पहले कोलकाता सहित पूरे देश में रिक्लेम द नाइट और लाइटें बंद कर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. अब नौ सितंबर से पहले आठ सितंबर की रात को फिर से न्याय की मांग पर विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया गया है. शुक्रवार को कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदर्शनकारी रिमझिम सहित अन्य महिलाओं ने आठ सितंबर की रात को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया.

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी. रेप और हत्या के आरोप में इस मामले में कोलकाता पुलिस ने सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया है. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है.

रेप केस मामले में आरोपों से घिरे आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भी सीबीआई ने अरेस्ट किया है, लेकिन इस मामले में अभी भी न्याय की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है.

आठ सितंबर की रात को फिर होगा प्रदर्शन

प्रदर्शनकारीरिमझिम ने कहा कि 8 सितंबर की रात को वे लोग फिर से सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. विरोध प्रदर्शन को ‘शासक को जगाने के लिए नए गीतों की सुबह’ नाम दिया गया है.

इस कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए रिमझिम ने सत्यजीत रे की फिल्म ‘गुपी गेन बाघा बेन’ का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वे शासकों को उसी तरह जगाना चाहते हैं जैसे गुपी गेन ने राजा को जगाया था. रिमझिम ने कहा कि रात को सांस्कृतिक तरीके से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. इस कार्यक्रम में गायन मंडली, नृत्य मंडली, सांस्कृतिक जगत की विभिन्न हस्तियों को आमंत्रित किया गया है.

नौ अगस्त को ट्रेनी डॉक्टर की मिली थी लाश

9 अगस्त की सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार रूम से एक महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था. तब से 25 दिन से अधिक समय बीत चुका है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है. आरजी कर मामले की सुनवाई 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी. उससे ठीक एक रात पहले आंदोलनकारी सड़क पर उतरेंगे.

इससे पहले 10 अगस्त की रात को रिमझिम ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके रिक्लेम द नाइट का आह्वान किया था. इस आह्वान पर कोलकाता, दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई सहित देश के विभिन्न शहरों में आधी रात को प्रदर्शन हुए थे और महिलाओं की सुरक्षा की मांग की गई थी.

केन्या में एक स्कूल के हॉस्टल में आग लगने से 17 छात्रों की मौत,13 गंभीर रूप से झुलसे

केन्या में एक स्कूल के हॉस्टल में आग लगने से 17 छात्रों की मौत हो गई और 13 अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं. ये घटना न्येरी काउंटी के हिलसाइड एंडाराशा प्राइमरी स्कूल में हुई है. हालांकि, मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई गई है, क्योंकि कई छात्र गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं. मौके पर पहुंची पुलिस और राहत-बचाव की टीमों ने बच्चों को बाहर निकाला और नजदीकि अस्पताल में भर्ती करवाया है.

पुलिस प्रवक्ता रेसिला ओन्यांगो ने बताया कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है. इस हॉस्टल में 14 साल तक के बच्चे रहते हैं और इसमें 150 से ज्यादा छात्र रहते थे. स्कूल की बिल्डिंग मुख्य रूप से लकड़ी की बनी हुई हैं, जिससे आग तेजी से फैल गई. केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने इस घटना को “भयावह” बताया और संबंधित प्राधिकारियों को इस मामले की गहन जांच करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.

उपराष्ट्रपति ने घटना पर क्या कहा?

केन्या के उपराष्ट्रपति रिगाथी गचागुआ ने स्कूल प्रशासन से अपील की कि वे सुनिश्चित करें कि आवासीय विद्यालयों के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा अनुशंसित सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन किया जाए. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, मैं संबंधित प्राधिकारियों को इस भयावह घटना की गहन जांच करने का निर्देश देता हूं. जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

केन्या में हॉस्टल में आग लगने की घटनाएं आम हैं. शिक्षा मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ये आग अक्सर मादक द्रव्यों के सेवन और क्षमता से अधिक छात्रों के रहने के कारण लगती हैं. माता-पिता का मानना है कि हॉस्टल में रहने से उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए ज्यादा समय मिलता है.

हाल के सालों में, केन्या के स्कूलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं. ये छात्रों और शिक्षकों के लिए खतरा पैदा कर रही हैं. 2017 में नैरोबी में एक स्कूल में आग लगने से 10 छात्रों की मौत हो गई थी. स्कूल में आग लगने की सबसे घातक घटना 2001 में हुई थी जब माचकोस काउंटी में एक छात्रावास में आग लगने से 67 छात्रों की मौत हो गई थी.

सावित्री जिंदल ने बीजेपी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का किया ऐलान

हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. जिस समय पार्टी चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है, उसी समय देश की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने बीजेपी से बगावत कर दी है. साथ ही सावित्री जिंदल ने ऐलान कर दिया है कि वो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी.

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने बुधवार देर शाम को 67 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, लेकिन पार्टी की लिस्ट सामने आते ही बीजेपी में हलचल मच गई, टिकट न मिलने पर कई नेता नाराज हो गए.

सावित्री जिंदल की BJP से बगावत

कई नाराज पदाधिकारियों ने तो सोशल मीडिया पर ही अपना इस्तीफा पार्टी को सौंप दिया. वहीं, गुरुवार को देश की चौथी सबसे अमीर महिला और पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने भी बीजेपी से बगावत कर दी है. बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा- मैं बीजेपी की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं, मैं चुनाव न लड़ने के बारे में बोलने के लिए दिल्ली से वापस आई थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर अब मैंने फैसला लिया है कि मैं मैदान में उतरूंगी.

सावित्री जिंदल ने क्या कहा

सावित्री जिंदल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद कहा , मैं बीजेपी की सदस्य नहीं हूं. हिसार की जनता जो कहेगी मैं वो करूंगी. उन्होंने इस बात के संकेत भी साफ दे दिए हैं कि वो चुनाव लड़ेंगी और कहा, हिसार की सेवा करने के लिए मैं चुनाव लड़ूंगी. उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव में सिर्फ मैं अपने बेटे का चुनाव प्रचार करने गई थी, मैंने कभी बीजेपी ज्वाइन नहीं की.

किस BJP नेता के खिलाफ लड़ेंगी चुनाव

सावित्री जिंदल मशहूर उद्योगपति और कुरूक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान सावित्री जिंदल अपने बेटे के लिए लगातार प्रचार करती भी नजर आ रही थी. हालांकि, अब हिसार सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी के मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से होगा जो इस समय हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. दोनों मैदान में आमने-सामने होंगे.

कौन हैं सावित्री जिंदल

सावित्री जिंदल एक उद्योगपति हैं, जिन्होंने साल 2005 में अपना सियासी सफर शुरू किया था. वह हिसार सीट से जीतकर विधानसभा पहुंची, जिसके बाद साल 2009 में उन्होंने एक बार फिर किस्मत आजमाई और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की. साल 2013 में उन्हें हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. हरियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान किया जाएगा और वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी.

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दिल्ली से वाराणसी जाने वाली फ्लाइट में AC नहीं चलने से यात्रियों का फुटा गुस्सा

इंडिगो एयरलाइंस में सफर करने वाले यात्रियों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा.

ये फ्लाइट दिल्ली से वाराणसी के लिए टेक ऑफ करनी थी. टेक ऑफ करने से पहले ही फ्लाइट में एसी काम नहीं कर रही थी. यात्रियों ने फ्लाइट के टेक ऑफ करने से पहले ही एयरलाइंस कर्मियों से इसकी शिकायत की थी, लेकिन इसके बाद भी एसी को सही नहीं कराया गया और पूरी यात्रा में सफर करने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी.

फ्लाइट में ही लोगों का गुस्सा फूट गया और उनकी एयरलाइंस स्टाफ के साथ जमकर कहा सुनी हुई, जिसका वहां मौजूद यात्री ने ही वीडियो बना लिया. अब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. बाद में वाराणसी पहुंचकर भी यात्रियों ने एयरलाइंस अथॉरिटी से इसकी शिकायत की. इस फ्लाइट में सफर करने वाले यात्रियों का आरोप है कि प्रशासन से शिकायत के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई.

यात्रियों का फूटा गुस्सा

एयरलाइंस में ऊमस और गर्मी से जब सभी यात्री बेहाल हो गए तो उनका आक्रोश एयरलाइंस कर्मियों पर फूटा. फ्लाइट में मौजूद एक शख्स ने कहा कि, “हमारा दिमाग खराब है, जो हम एसी को बार-बार ठीक कराने के लिए कह रहे हैं, यात्रियों ने कहा कि हमारी जिंदगी का मजाक बना दिए हैं”. ये घटना इंडिगो की फ्लाइट 6 E 2235 में हुई.

एसी बंद होने से दम घुटने लगा

इंडिगो की इस फ्लाइट में एसी बंद होने से कुछ लोगों का दम घुटने लगा. उन्हें सांस लेने में काफी तकलीफ होने लगी. फ्लाइट के अंदर सही तरीके से ऑक्सीजन न मिलने के कारण कुछ महिलाएं और बच्चे वहीं बेहोश होने लगे, जिन्हें बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया. एयरलाइंस में यात्रियों को हुई इस असुविधा से सभी बेहद नाराज हैं. किसी तरह से सफर करते हुए बड़ी मुश्किल से वो दिल्ली से वाराणसी पहुंचे.

पितृपक्ष चंद्रग्रहण के साए में होगी शुरुआत, जानें श्राद्ध कर्म के नियमों में क्या होगा बदलाव,पितरों को कैसे दिलाएं मुक्ति?

हिंदू धर्म में पितृपक्ष अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का एक महत्वपूर्ण समय है. इस दौरान पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं, लेकिन इस साल चंद्रग्रहण के साए में पितृपक्ष की शुरूआत हो रही है. ऐसे में पितरों को मुक्ति कैसे दिलाएं मिलती है और उनका आशीर्वाद कैसे प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि जब पितृपक्ष के दौरान चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय घटना होती है, तो श्राद्ध कर्म करने के नियमों में कुछ बदलाव आ जाते हैं. चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना जाता है और इस दौरान कई धार्मिक कार्य वर्जित होते हैं. पितृपक्ष के दौरान चंद्र ग्रहण का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह पितरों से जुड़ा एक विशेष समय है.

इस बार पितृपक्ष में ही साल का दूसरा चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिष के मुताबिक, इस साल पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से होने जा रही है. 18 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध के साथ ही पितृपक्ष की शुरुआत होगी. उसी दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है. यह पितृपक्ष अत्यंत शुभदायक नहीं रहेगा. साल का दूसरा चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इसलिए भारत में सूतक नहीं माना जाएगा. लेकिन पितृ पक्ष पर इस ग्रहण का प्रभाव रहेगा.

पंचांग के अनुसार, चंद्रग्रहण सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर होगा. भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इस ग्रहण का प्रभाव नहीं होगा. फिर भी प्रतिपदा पर श्राद्ध करने वाले लोगों को ध्यान रखना होगा कि जब तक ग्रहण काल समाप्त नहीं हो जाए, तब तक श्राद्ध नहीं करें. ग्रहण के मोक्ष काल की समाप्ति के बाद ही प्रतिपदा के श्राद्ध की शुरुआत करें.

पितरों को ऐसे दिलाएं मुक्ति

ऐसा मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पितर धरती पर आते हैं. पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक रहता है. इस दौरान पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि किया जाता है. इन कार्यों से पितृ प्रसन्न होते हैं और हमको आशीर्वाद देते हैं. चंद्र ग्रहण के दौरान पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है. इस समय पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं. यदि आप पितृपक्ष के दौरान चंद्र ग्रहण के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो किसी पंडित या ज्योतिषी से संपर्क कर सकते हैं.

पितृ शांति के लिए करें ये उपाय

चंद्र ग्रहण के दौरान पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं. ग्रहण के दौरान श्राद्ध करना वर्जित होता है. ग्रहण समाप्त होने के बाद ही शुभ मुहूर्त में श्राद्ध करना चाहिए. ग्रहण के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए और गरीबों को दान करना चाहिए. ग्रहण के बाद पितरों को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शंकर दिनकर काणे के शताब्दी वर्ष के मौके पर कहा,मणिपुर में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं

मणिपुर में शिक्षा के लिए आंदोलन चलाने वाले और शिक्षा की जड़े मजबूत कर कई छात्रों का भविष्य बदलने वाले शंकर दिनकर काणे (जिन्हें भैयाजी के नाम से भी जाना जाता है) का 5 सितंबर को शताब्दी वर्ष मनाया गया.

इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, मणिपुर में चुनौती पूर्ण स्थिति है और सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होने के बावजूद, संगठन के स्वयंसेवक संघर्षग्रस्त मणिपुर में मजबूती से डटे हैं.

“सुरक्षा की गारंटी नहीं”

शंकर दिनकर काणे के कामों को याद करते हुए संघ प्रमुख ने कहा, साल 1971 तक बच्चों की शिक्षा पर काणे ने ध्यान केंद्रित किया, छात्रों को महाराष्ट्र लाए और उनके रहने की व्यवस्था की थी. मोहन भागवत ने कहा, मणिपुर में हालात बहुत मुश्किल है, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है.

स्थानीय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर शंका में हैं, जो लोग वहां व्यापार या सामाजिक कार्य के लिए गए हैं, उनके लिए हालात और भी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी संघ के स्वयंसेवक मजबूती से तैनात हैं और दोनों गुटों की सेवा कर रहे हैं, साथ ही राज्य में हालात को सामान्य और शांतिपूर्ण बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

स्वयंसेवक डटकर काम कर रहे”

दरअसल, मणिपुर में काफी लंबे समय से दो जाति मैतई और कुकी के बीच विवाद चल रहा है, जिसको लेकर संघ प्रमुख ने कहा, संघ के स्वयंसेवक न तो उस राज्य से भागे हैं और न ही निष्क्रिय बैठे हैं, बल्कि वे वहां जीवन को सामान्य बनाने, दोनों समूहों के बीच क्रोध और द्वेष को कम करने और राष्ट्रीय एकता की भावना सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे है.

उन्होंने कहा, एनजीओ सब कुछ नहीं संभाल सकते, लेकिन संघ अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रहा है और दोनों जातियों के बीच चल राज्य में चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए संघ संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, संघ के लागातर मणिपुर में काम करने के नतीजे में उन्होंने उनका (लोगों का) विश्वास हासिल कर लिया है, इस विश्वास का कारण यह है कि राज्य के लोगों ने सालों से काणे जैसे लोगों के काम को देखा है.

मणिपुर में बदलाव आया”

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, हम सभी भारत को वैश्विक मुद्दों पर काम करने वाला देश बनाने की बात करते हैं, लेकिन यह सिर्फ काणे जैसे लोगों की लगातार कोशिश, मेहनत, तपस्या की वजह से ही मुमकिन है. उन्होंने कहा कि लगभग 15 साल पहले पूर्वांचल क्षेत्र को समस्याओं वाला क्षेत्र कहा जाता था और कुछ चरमपंथी समूह तो देश से अलग होने तक की बात करते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और क्षेत्र में समय के साथ बदलाव आया.

भागवत ने कहा, मणिपुर जैसे राज्यों में आज जो अशांति हम देख रहे हैं, वह कुछ लोगों का काम है जो प्रगति के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न करना चाहते हैं, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं होगी. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब 40 साल पहले स्थिति बदतर थी, तब लोग वहीं रुके, काम किया और हालात को बदलने में मदद की.

भारत के सपने को लेकर क्या कहा?

मोहन भागवत ने शंकर दिनकर काणे के काम की प्रशंसा करते हुए कहा, संघ के सदस्य, चाहे वे स्वयंसेवक हों या प्रचारक, वहां गए, उस क्षेत्र का हिस्सा बन गए और परिवर्तन लाने के लिए काम किया. साथ ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिस भारत का सपना देखा गया है, उसे साकार करने में अभी दो और पीढ़ियां लगेंगी.

उन्होंने भारत की तरक्की को लेकर कहा, भारत को आगे बढ़ाने के रास्ते में हमें उन लोगों की ओर से बाधाओं का सामना करना पड़ेगा जो देश के उत्थान, तरक्की से ईर्ष्या करते हैं, लेकिन हमें इन बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ना होगा.

केसी त्यागी बोले, मोदी सरकार को विपक्ष या सहयोगी दलों से कोई खतरा नहीं

बिहार की क्षेत्रीय पार्टी और बीजेपी की अहम सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के नेता केसी त्यागी ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गठबंधन सरकार पूरी तरह सुरक्षित है. यह आसानी से अपना कार्यकाल पूरा करेगी और इसे विपक्ष या सहयोगी दलों से कोई खतरा नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर पूरा भरोसा जताया.

हाल में जेडीयू के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद केसी त्यागी ने ‘पीटीआई’ के साथ बातचीत में यह बात कही है. उन्होंने कहा कि उनका रुख हमेशा पार्टी की विचारधारा के अनुरूप रहा. उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरा भरोसा है. राजनीतिक टिप्पणीकारों के अनुसार, पार्टी प्रवक्ता पद से उनका इस्तीफा कई मुद्दों पर उनके स्पष्ट बयानों का परिणाम था, जिनसे सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता था.

नीतीश के करिश्मे की बराबरी कोई नहीं कर सकता

हालांकि, केसी त्यागी ने इस बात को खारिज कर दिया कि इजराइल-हमास युद्ध और लेटरल एंट्री जैसे मुद्दों पर उनके बयानों से पार्टी के कई सहयोगी असहज थे. उन्होंने कहा कि उनके लिए जेडीयू का मतलब नीतीश कुमार हैं जो पार्टी के अध्यक्ष भी हैं. पांच दशक से अधिक समय से समाजवादी राजनीति में सक्रिय त्यागी ने कहा, ‘मैं जेडीयू में केवल नीतीश कुमार के लिए हूं. वह मेरे मित्र और नेता हैं. सिर्फ उनकी चिंताएं मेरे लिए मायने रखती हैं.’

उन्होंने कहा कि वह जेडीयू कभी नहीं छोड़ेंगे और नीतीश कुमार को छोड़ना उनके स्वभाव में नहीं है. त्यागी ने जोर दिया कि नीतीश कुमार के करिश्मे की बराबरी कोई भी नेता नहीं कर सकता. उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार जैसा कोई नहीं है.’ उन्होंने नीतीश कुमार की ईमानदारी, जातिवाद की कमी और राज्य में सुशासन लाने के लिए प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘मैंने मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद और कई अन्य समाजवादियों के साथ काम किया है. नीतीश जैसा कोई नहीं है.’

लेटरल एंट्री और फलस्तीन पर स्टेंड बरकरार

त्यागी ने कहा कि वह लंबे समय से नीतीश कुमार से उन्हें प्रवक्ता पद से मुक्त करने के लिए कह रहे थे. पार्टी अध्यक्ष ने उन्हें राजनीतिक सलाहकार के रूप में अपने पद पर बने रहने को कहा. उन्होंने कहा कि ‘लेटरल एंट्री’ का उनका विरोध समाजवादी राजनीति के अनुरूप था और फलस्तीन के लिए समर्थन भारत की ऐतिहासिक स्थिति को दर्शाता है.

त्यागी एनडीए के एकमात्र नेता थे जिन्होंने कुछ विपक्षी सांसदों और अन्य लोगों के साथ एक बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें उन्होंने फलस्तीनियों के ‘नरसंहार’ के लिए इजराइल की निंदा की गई थी. इसी क्रम में उन्होंने भारत से इजराइल को किसी भी तरह के हथियार की आपूर्ति नहीं करने के लिए कहा था

नेहरू, वाजपेयी की प्रशंसा, राहुल पर कटाक्ष

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘सरकार को कोई खतरा नहीं है. इसे कहीं से भी कोई चुनौती नहीं है, न विपक्ष से और न ही अपने सहयोगियों से. यह अपना कार्यकाल पूरा करेगी.’ इस दौरान जेडीयू नेता ने जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी की भी सराहना की. त्यागी ने कहा कि नेहरू को अपनी गलतियों के लिए माफी मांगने में कोई हिचक नहीं थी. वहीं, वाजपेयी ने पहले वामपंथियों को विरोध करने के लिए उकसाया. फिर इसका इस्तेमाल इराक युद्ध में भारत को शामिल करने के अमेरिका के प्रयास को नाकाम करने के लिए किया.

हालांकि, त्यागी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल गांधी अब अन्य पिछड़े वर्ग के हितों की वकालत कर रहे हैं. लेकिन उनके पिता राजीव गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने के वीपी सिंह सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए संसद में ढाई घंटे से अधिक देर तक भाषण दिया था.

नीतीश कुमार अब कहीं नहीं जाएंगे- केसी त्यागी

नीतीश कुमार के गठबंधन बदलने के इतिहास पर उन्होंने कहा कि हर पार्टी ने अपने विरोधियों से हाथ मिलाया है. उन्होंने कई उदाहरण दिए, जिनमें कांग्रेस का डीएमके के साथ जाना और बीजेपी का नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, दोनों से अलग-अलग समय पर हाथ मिलाना शामिल है. वहीं, उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार थोड़े ज्यादा बदनाम हो गए हैं. त्यागी ने जोर दिया कि नीतीश कुमार अब कहीं नहीं जाएंगे. बीजेपी के साथ ही रहेंगे.

कोलकाता रेप केस में डॉक्टर विरुपाक्ष बिस्वास को किया गया निलंबित

कोलकाता रेप केस मामले में डॉक्टर विरुपाक्ष बिस्वास को भारी विवाद के बाद सस्पेंड कर दिया गया है.

इस संबंध में स्वास्थ्य भवन ने गुरुवार को नोटिस जारी किया. इससे पहले अभिक डे को सस्पेंशन नोटिस दिया गया था. इस तरह से दो विवादास्पद डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया.

वहीं अभिक डे के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू होने की संभावना है. इस बीच नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता रेप केस मामले की अगली सुनवाई होगी.

पहले पांच सितंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश की पीठ नहीं बैठने के कारण यह सुनवाई नहीें हो सकी थी. वहीं आरजी कर में भ्रष्टाचार के मामले की जांच सीबीआई से कराने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ संदीप घोष की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

बता दें कि अभिक और विरुपाक्ष पर 9 अगस्त को आरजी कर सेमिनार हॉल में मौजूद रहने का आरोप था.

इस बीच, विरुपाक्ष पर मेडिकल कॉलेज में ‘खतरे की संस्कृति’ स्थापित करने का आरोप लगाया गया है. विरुपाक्ष बिस्वास बर्दवान मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पैथोलॉजी विभाग में एक वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर हैं.

वह 9 तारीख को आरजी क्यों गए, मौके पर क्या कर रहे थे, यह सवाल उठा था.

डॉ विरुपाक्ष की भूमिका पर उठे थे सवाल

विरुपाक्ष के खिलाफ इतनी प्रतिक्रिया हुई कि काकद्वीप उप-विभागीय अस्पताल को बर्दवान से स्वास्थ्य भवन में स्थानांतरित कर दिया गया. काकद्वीप उप-विभागीय अस्पताल डायमंड हार्बर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है, लेकिन जैसे ही इस तबादले की सूचना जारी हुई, वहां मौजूद जूनियर डॉक्टर विरोध में उतर आये. आम लोगों ने भी विरोध किया.

इसके तुरंत बाद स्वास्थ्य भवन ने कहा कि विरुपाक्ष को वरिष्ठ रेजिडेंट के पद से मुक्त कर दिया गया है. अभिक डे एसएसकेएम के पीजीटी हैं. राज्य चिकित्सा परिषद के सदस्य हैं. उन्हें निलंबित कर दिया गया है.

नौ सितंबर को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

इस पीच, कोलकाता रेप केस मामले की 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी. मुख्य न्यायाधीश की पीठ पर नहीं बैठेने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी. अब इस मामले की सोमवार 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी.

न्याय की मांग कर रहे जूनियर डॉक्टरों नेबुधवार की रात को लाइटें बंद कर मोमबत्तियां जलाकर विरोध जताने का आह्वान किया गया था. इस आह्वान के बाद कोलकाता में लोगों ने लाइटें बंद कर विरोध प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में मृतका के माता-पिता भी शामिल हुए थे.

उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनकी बेटी का अंतिम दाह संस्कार कर दिया था. उन्होंने न्याय की गुहार लगाते हुए कोलकाता पुलिस और अस्पताल के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाया था.

सिक्किम में सेना के वाहन हादसे का शिकार, चार जवानों की मौत

सिक्किम में बड़ा हादसा हुआ है. यहां सेना का वाहन हादसे का शिकार हो गया है. इसमें चार जवानों ने जान गंवाई है. यह हादसा उस वक्त हुआ, जब सेना का वाहन पश्चिम बंगाल के पेडोंग से सिक्किम के पाकयोंग जिले में सिल्क रूट से जुलुक जा रहा था.

इसी बीच वाहन सड़क से 300 फीट नीचे गिर गया. हादसे की सूचना मिलते ही सेना के अधिकारी और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंची हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. हादसे के कारण का अभी तक पता नहीं चला है.

बीते साल लद्दाख में भी ऐसा ही दर्दनाक हादसा हुआ था. अगस्त मेंभारतीय सेना का एक वाहन हादसे का शिकार हुआ था. ये दुर्घटना लेह के पास क्यारी गांव में हुई थी.

यहां सेना का वाहन खाई में गिर गया था. इस हादसे में नौ जवानों ने जान गंवाई थी. इसमें एक जेसीओ (जूनियर कमीशन अफसर) भी थे.

सेना के काफिले में थे तीन वाहन

सेना के काफिले में तीन वाहन शामिल थे. इसमें से ही एक वाहन हादसे का शिकार हुआ था. इस काफिले में सेना के 3 अफसर, 2 जेसीओ और 34 जवान थे. 3 वाहनों के काफिले में 1 जिप्सी, 1 ट्रक और 1 एंबुलेंस थी. हादसे पर दुख जताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा था किलेह के पास हुई दुर्घटना में सेना के जवानों के मौत से दुखी हूं. शोक संतप्त परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं.

2022 में तुरतुक सेक्टर में हुआ था भीषण हादसा

इस हादसे से एक साल पहले यानी कि 2022 में लद्दाख के तुरतुक सेक्टर में भीषण हादसा हुआ था. श्योक नदी में वाहन के गिरने से 7 जवानों की जान चली गई थी. कई जवान घायल हुए थे. सेना के वाहन में 26 जवान थे. वाहन परतापुर से सब-सेक्टर हनीफ की तरफ जा रहा था. इसी दौरान नदी में गिर जाने से सात जवानों की मौत हो गई. वाहन के सड़क से फिसल जाने के कारण ये हादसा हुआ था.