'देखो अपना देश' अभियान में वोट कर अपने राज्य के गंतव्यों को बनाएं राष्ट्रीय धरोहर

रायपुर-   बलौदाबाजार कलेक्टर दीपक सोनी ने जिले के नागरिकों से अपील की है कि वे भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे "देखो अपना देश" अभियान में सक्रिय भागीदारी करें। इस अभियान के तहत देशभर के नागरिकों को अपने राज्य के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों के लिए वोट करने का मौका मिल रहा है, और छत्तीसगढ़ के अद्वितीय और खूबसूरत गंतव्यों को इस राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने का यह एक सुनहरा अवसर है।

श्री सोनी ने कहा,"जिले के प्राकृतिक सौंदर्य,समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक स्थलों को पूरे देश में पहचान दिलाने का यह एक महत्वपूर्ण कदम है। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे अपने जिले सहित राज्य के गंतव्यों के लिए वोट करें और इस अभियान को सफल बनाने में अपना योगदान दें।"

वोट कैसे करें
वोटिंग के लिए नागरिकों को वेबसाइट
https://forms.gle/ANvrFcQqxg55EkSw7
का उपयोग करना होगा। इस फॉर्म के माध्यम से लोग छत्तीसगढ़ सहित बलौदाबाजार भाटापारा के उन स्थलों के लिए वोट कर सकते हैं, जिन्हें वे राज्य और देश का गौरव मानते हैं। राज्य सरकार ने भी सभी से आग्रह किया है कि वे इस लिंक को अपने सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि अधिक से अधिक लोग इस अभियान में भाग ले सकें।

अंतिम तिथि

इस अभियान में वोट करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर 2024 है। इसके बाद, चुने गए गंतव्यों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया जाएगा, जिससे राज्य सहित जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास के नए अवसर पैदा होंगे। छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, और यह अवसर हमें अपनी धरोहर, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता को देशभर में फैलाने का मौका देता है।

अम्बेडकर अस्पताल स्थित मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया एक बायोमार्कर किट

रायपुर-     देश में स्वास्थ्य अनुसंधान अधोसरंचना को विकसित एवं सुदृढ़ करने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में स्थापित मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू/ बहु विषयक अनुसंधान इकाई) के वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसा बायोमार्कर किट विकसित किया है जो कोविड-19 महामारी संक्रमण की गंभीरता का अनुमान प्रारंभिक चरण में ही लगा लेगा। कोविड-19 के प्रारंभिक चरण से प्रारंभ किये गये इस शोध के परिणाम हाल ही में विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स (https://www.nature.com/articles/s41598-024-70161-8) में प्रकाशित हुई है जो प्रतिष्ठित नेचर प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित किया गया है। रिसर्च के क्षेत्र में यह दुनिया का 5वां सबसे अधिक संदर्भित किया जाने वाला रिसर्च जर्नल है।

महामारी की शुरुआत में, जबकि देश के कई प्रमुख वैज्ञानिक नए कोविड-19 डायग्नोस्टिक टेस्ट किट विकसित करने में जुटे हुए थे, रिसर्च पब्लिकेशन के करेस्पोंडिंग लेखक(प्रिसिंपल इन्वेस्टिगेटर) डॉ. जगन्नाथ पाल (एमबीबीएस, पीएचडी, हार्वर्ड कैंसर संस्थान (बोस्टन यूएसए) से पोस्टडॉक. की उपाधि प्राप्त) वरिष्ठ वैज्ञानिक, एमआरयू, ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के उपरोक्त बुनियादी मुद्दे की दिशा में विचार करना शुरू किया, जो भविष्य में किसी भी महामारी की स्थिति से निपटने के लिए भी उपयोग में आ सकता है।

कोविड-19 प्रोग्नोस्टिक बायोमार्कर किट (प्रारंभिक स्तर में रोग की गंभीरता का पूर्वानुमान) को विकसित करने वाले प्रमुख वैज्ञानिक एवं टीम लीडर डॉ. जगन्नाथ पाल के अनुसार, कोरोना महामारी के प्रारंभिक चरण में संसाधन एवं एंटी-वायरस दवाओं का बहुतायत मात्रा में प्रयोग हुआ, जिससे गंभीर दवा संकट के साथ-साथ रेमडेसिवीर जैसी जीवन रक्षक दवाओं का संकट भी उत्पन्न हुआ। शुरुआती चरण में यह पता लगाना मुश्किल होता था कि किन कोरोना रोगियों को मेडिकल की अग्रिम सुविधा की आवश्यकता है अथवा नहीं ? इसलिए पूर्वानुमानित परिणाम के आधार पर रोगियों के संक्रमण की गंभीरता को अलग-अलग श्रेणी में विभाजन करना आवश्यक था जिससे कि इन संसाधनों का गंभीर कोरोना रोगियों में उपयोग किया जा सके, परन्तु उस समय कोई भी ऐसा टेस्ट/जांच उपलब्ध नहीं था जिससे कि प्रारंभिक चरण में ही कोरोना रोगियों की गंभीरता का पता चल सके।

तीन साल के अथक परिश्रम से मिली सफलता

डॉ. पाल के नेतृत्व में एमआरयू रिसर्च टीम ने उपलब्ध सीमित संसाधन का उपयोग करके इस दिशा में काम करना शुरू किया और अंततः बायोमार्कर किट विकसित करने में सफलता हासिल कर ली, जिसका उपयोग करके कोरोना के गंभीरता की भविष्यवाणी प्रारंभिक चरण में ही की जा सकती है। इस शोध कार्य में वैज्ञानिकों ने क्यू पीसीआर (Quantitative PCR) आधारित टेस्ट का उपयोग करके एक सीवियरिटी स्कोर विकसित किया जिनकी संवेदनशीलता 91 प्रतिशत और विशेषता 94 प्रतिशत है। इस शोध दल में एक अन्य एमआरयू वैज्ञानिक डॉ. योगिता राजपूत, पेपर की पहली लेखिका ने विभिन्न विभागों के अन्य बहु-विषयक योगदानकर्ताओं के साथ समन्वय करते हुए चुनौतीपूर्ण परियोजना को मूर्त रूप में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. पाल के आविष्कार के संभावित व्यावसायिक मूल्य को ध्यान में रखते हुए पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज ने भारतीय पेटेंट के साथ- साथ अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। डॉ. पाल के अनुसार, हाल ही में अमेरिका की पेटेंट सर्च एजेंसी ने अमेरिका में आविष्कार के संभावित व्यावसायिक महत्व को दर्शाते हुए उत्साहजनक रिपोर्ट प्रदान की है। इसका मतलब है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने वाली चिकित्सा प्रौद्योगिकी को विदेशों में निर्यात करने का अवसर हमें मिल सकता है। एमआरयू का रिसर्च हमारे देश के प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान को भी बरकरार रखेगा। आम धारणा के विपरीत कि इस तरह के टेक्नोलॉजी के अविष्कार के लिए बड़े बुनियादी ढांचे, बड़े धन और जनशक्ति की आवश्यकता होती है। सफलता की कहानी संसाधन सीमित केंद्रों में काम करने वाले कई शोधकर्ताओं के लिए एक प्रेरक उदाहरण भी है। पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज की उपलब्धि एक उत्साहजनक उदाहरण स्थापित करेगी कि एक राज्य संचालित मेडिकल कॉलेज समय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मेडिकल टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है और इसके व्यावसायीकरण में भी अपना योगदान दे रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका से आमंत्रण, 10 से 22 सितंबर तक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित है EPPI Con 2024 कांफ्रेंस
रायपुर-     छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को 10 से 22 सितंबर तक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित EPPI Con 2024 कांफ्रेंस में शामिल होने का आमंत्रण मिला है। आईआईएम रायपुर के तत्वाधान में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के ग्लोबल आउटरीच के डायरेक्टर ने स्वास्थ्य मंत्री को इस कांफ्रेंस में शामिल होने का आमंत्रण दिया है। इस कांफ्रेंस के माध्यम से छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर चर्चा करने के साथ ही राज्य की प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयों (आशा कार्यकर्ता एवं मितानिन) को मजबूत करने की योजना पर कार्य होगा। कांफ्रेंस के मुख्य उद्देश्य के अनुसार आशा एवं मितानिन कार्यकर्ताओं को डिजिटल साक्षर बनाने के लक्ष्य पर काम करना है तथा उन्हें आईआईएम, आईआईटी, एम्स एवं एनएनएलयू के साथ मिलकर ट्रेनिंग देकर और सक्षम बनाना है ताकि राज्य मे निचले स्तर पर ही बुनियादी एवं प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रहें।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने ‘छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रतनपुर’ पुस्तिका का किया विमोचन
रायपुर-    उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने रायपुर के सिविल लाइन स्थित अपने निवास पर राज्य के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल महामाया धाम रतनपुर पर आधारित पुस्तिका ‘छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रतनपुर’ का विमोचन किया। उन्होंने पुस्तिका का विमोचन करते हुए कहा कि इसमें रतनपुर के सभी मंदिरों, तालाबों और सांस्कृतिक विरासतों की जानकारी दी गई है, जो बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने रतनपुर के तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में प्रचार-प्रसार के लिए भी इसे उपयोगी बताया। विमोचन के दौरान पुस्तिका के लेखक बलराम पाण्डेय सहित कन्हैया यादव, रविंद्र दुबे, संतोष तिवारी, तीरथ यादव, बबलू कश्यप तथा बिलासपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारी संजय सोनी, वासित अली एवं ताहिर अली भी मौजूद थे।
मौत के बाद रिश्वत के आरोप से मुक्त हुआ बैंक प्रबंधक, बेटों के साथ पत्नी ने लड़ी कोर्ट में अपने पति की लड़ाई…
बिलासपुर-  मौत के बाद बैंक प्रबंधक रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त हुए. 22 साल तक चले मामले में बैंक प्रबंधक की पत्नी ने बेटों के साथ हाई कोर्ट में केस लड़कर जीत हासिल की. बैंक प्रबंधक पर शासकीय योजना के तहत बोरवेल खुदाई के लिए लोन देने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप था.

दरअसल, दुर्ग निवासी राजेन्द्र कुमार यादव वर्ष 2000-01 में कृषि एवं भूमि विकास बैंक के बेमेतरा शाखा में शाखा प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे. इस दौरान ग्राम एरमसाही नवागढ़ ब्लॉक निवासी किसान धीरेन्द्र कुमार शुक्ला ने अपने पिता राजेन्द्र नारायण शुक्ला के नाम से बोरवेल खुदाई के लिए सरकारी योजना के तहत लोन लेने आवेदन दिया. इस आवेदन पर शाखा प्रबंधक राजेन्द्र कुमार यादव ने प्रोसेस शुल्क 526 रुपए जमा करने के लिए कहा. इस पर किसान ने शाखा प्रबंधक द्बारा रिश्वत मांगे जाने की लोकायुक्त रायपुर में शिकायत की.

शिकायत पर लोकायुक्त ने मई 2001 को शिकायतकर्ता को केमिकल लगे करेंसी लेकर बैंक प्रबंधक के पास भेजा और ट्रेप कर शाखा प्रबंधक को हिरासत में लिया. इस मामले में विशेष न्यायाधीश ने जनवरी 2003 को शाखा प्रबंधक को भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में 6 माह कैद 500 रूपये अर्थदंड एवं धारा 13 (डी) 1 में 1 वर्ष कैद एवं 500 अर्थदंड की सजा दी. शाखा प्रबंधक ने इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. अपील लंबित रहने के दौरान अपीलकर्ता शाखा प्रबंधक की मौत हो गई.

पति की मौत के बाद पत्नी उतम कुमारी यादव ने अपने पुत्र प्रशांत यादव व निशांत यादव के साथ मिलकर मुकदमा को आगे बढ़ाया. 22 वर्ष बाद अगस्त में अपील पर हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मामले में पाया कि शिकायतकर्ता ने अपीलकर्ता को 526 रुपए प्रोसेस शुल्क दिया था. ट्रेप टीम ने उसके जेब से 100-100 के चार करेंसी नोट जब्त करने की बात कही.

सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि अपीलकर्ता के जेब से टीम ने 7-8 करेंसी नोट निकाला था. रिश्वत में दिए गए नोट के नंबर भी दर्ज नहीं है. वही अपीलकर्ता ने बचाव में कहा कि शिकायतकर्ता ने प्रोसेस शुल्क दिया था, जिसकी उसे रसीद भी दी गई थी. मामले में उक्त रसीद को भी प्रस्तुत किया गया. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद बैंक प्रबंधक को रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त करते हुए निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया है.

छात्र को थप्पड़ मारने वाला लाइब्रेरियन निलंबित, अन्य कर्मचारियों पर भी गिरेगी गाज
बलरामपुर-  कक्षा 9वीं के छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. छात्र को मारने वाले लाइब्रेरियन (ग्रंथपाल) को घटना के बाद निलंबित कर दिया गया है. यह पूरा मामला वाड्रफनगर विकासखंड के हायर सेकेंडरी स्कूल पंडरी का है.

जानकारी के अनुसार, कुछ दिन पहले ग्रंथपाल चक्रधारी सिंह ने एक छात्र के कान में थप्पड़ मारा था. घटना के बाद स्कूल प्रबंधन ने इस मामले को दबाने की कोशिश की. वहीं थप्पड़ खाने से पीड़ित छात्र के कान में परेशानी उत्पन्न हुई, जिसके बाद परिजन उसे निजी अस्पताल में इलाज के लिए ले गए. इस घटना की शिकायत मिलने पर संयुक्त संचालक सरगुजा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लाइब्रेरियन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. सूत्रों का कहना है कि इस घटना में शामिल अन्य स्कूल कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है.
हाई कोर्ट ने माना विधवा बहू अपने ससुर से भरण-पोषण की हकदार, परिवार न्यायालय का आदेश रखा बरकरार…
बिलासपुर-    बेटे की मौत के बाद बेवा बहू व पोती के भरण पोषण को लेकर ससुर द्वारा लगाई गई अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. मामले में परिवार न्यायालय ने 1500 सौ रुपये पेंशन देने कहा था, आदेश के खिलाफ 40 हजार रु पेंशन पाने वाले ससुर ने हाई कोर्ट में अपील की थी. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को यथावत रखते हुए अपील खारिज कर दी है. मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई।

बंगलापारा, रायपुर जिले के तुमगांव निवासी जनकराम साहू के बेटे अमित साहू की वर्ष 2022 में मौत हो गई थी. इसके बाद उसकी पत्नी मनीषा साहू, 29 वर्ष और पुत्री  कु. टोकेश्वरी साहू उम्र लगभग 9 वर्ष के सामने अपना जीवन चलाने का संकट हो गया. मनीषा ने पारिवारिक न्यायालय महासमुंद में अपनी बेटी के लिए जीवन निर्वाह भत्ता दिलाने की मांग अपने ससुर से की. जिसे मंजूर कर फेमिली कोर्ट ने माँ को 1,500 रुपये प्रति माह और प्रतिवादी संख्या 2 बेटी को 500 रुपये प्रति माह देने का आदेश दिया. इसके खिलाफ जनकराम ने हाईकोर्ट में अपील की.

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया गया कि अमित साहू की मृत्यु 2 जनवरी 2022 को हो गई थी. अपने जीवनकाल के दौरान वह पत्नी और बच्ची को 2 हजार रुपये का रखरखाव भुगतान करते थे. उनके पिता जनकराम साहू वर्ष 2013 में बिजली विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें 40,000 रुपए प्रति माह पेंशन मिलती है. इसके अलावा मकान किराये के रूप में प्रति माह 10,000 रुपये मिलते हैं. मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 के तहत विधवा बहू अपने ससुर से भरण-पोषण की हकदार है. कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

जिलों में राज्यपाल की समीक्षा बैठक पर बोले भूपेश बघेल- सरकार कौन चला रहा है ? अरुण साव का पलटवार, कहा-

रायपुर-   जिलों में राज्यपाल की समीक्षा बैठक पर सियासत तेज हो गई है. इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर तंज कसा है. बघेल ने कहा कि यह बहुत गम्भीर बात है. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. मैं तो यह देखकर हैरान हूँ कि राज्यपाल दुर्ग, बिलासपुर, महासमुंद अन्य जिलों में जाकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं, करेंगे. यह तो मुख्यमंत्री साय के लिये निश्चित तौर पर सोचनीय होगा. समझ नहीं रहा है कि सरकार कौन चला रहा है ? सरकार के समान्तर सरकार वाली बात हो गई.

मुख्यमंत्री थे तो बघेल को कौन चला रहे थे ?- साव

भूपेश बघेल के इस तंज पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पलटवार किया है. बघेल जी को ऐसा कहने से पहले खुद के कार्यकाल को याद करना चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि उन्हें मुख्यमंत्री रहते कौन चला रहे थे ? बघेल जी अपनी और कांग्रेस की चिंता करें. प्रदेश में विष्णु का सुशासन है. अब डबल इंजन की सरकार है. उन्हें तनाव नहीं लेना चाहिए.

राज्यपाल ने अधिकारियों की ली है बैठक

गौरतलब है कि राज्यपाल रामेन डेका छत्तीसगढ़ में शपथ लेने के बाद से बहुत ही सक्रिय हैं. राजभवन में अधिकारियों की बैठक लेने के बाद अब वें जिलों में अधिकारियों की समीक्षा बैठक कर रहे हैं. महासमुंद और बिलासपुर में बैठक कर चुके हैं. कई और जिलों में बैठक लेने वाले हैं. राज्यपाल की इस सक्रियता की चर्चा राजनीतिक गलियारों में खूब है.

घाट कटिंग कर सड़क निर्माण कार्य से वनांचल के ग्रामीण हो रहे लाभान्वित, कठिनाई पूर्ण आवागमन के समस्या का हुआ समाधान, साथ ही मिला रोजगार

रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संवेदनशील पहल पर राज्य के वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों के लिए आवागमन की कठिनाइयों का समाधान किया जा रहा है। इसी क्रम में कबीरधाम जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पंडरिया विकासखंड के कांदावनी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम रूखमीदादर में मिट्टी सड़क सह घाट कटिंग का कार्य किया गया है। इस कार्य से विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के लोगों को रोजगार के साथ-साथ आवागमन की सुविधा भी प्राप्त हो रही है।

लगभग 1 किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण कार्य 15 मार्च 2024 को प्रारंभ हुआ और 6 सप्ताह के भीतर इसे पूर्ण कर लिया गया। 10 लाख 18 हजार 7 सौ रुपये की लागत से तैयार इस सड़क ने 461 से अधिक आबादी वाले इस क्षेत्र के लोगों को बड़ी राहत दी है। इससे पहले ग्रामीणों को पगडंडियों के संकरे और पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता था, लेकिन अब इस सड़क के बन जाने से ग्रामीणों के लिए बाजार और अन्य स्थानों तक पहुंचना आसान हो गया है। सड़क निर्माण कार्य के दौरान 3613 मानव दिवस का रोजगार सृजन हुआ, जिससे 95 परिवारों के 165 मजदूरों को रोजगार मिला। इसमें 7 लाख 60 हजार 7 सौ रुपये की मजदूरी राशि सीधे उनके बैंक खातों में जमा की गई। इस परियोजना से वनांचल क्षेत्र के बैगा समुदाय को न केवल रोजगार का लाभ मिला, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है।

कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया कि मनरेगा योजना के अंतर्गत ग्रामीणों की मांग पर विभिन्न कार्य स्वीकृत किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण करना है। उन्होंने बताया कि बैगा समुदाय की कठिनाइयों को देखते हुए पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क का निर्माण कराया जा रहा है, जिससे आवागमन की सुविधा में विस्तार हो रहा है। सड़क निर्माण कार्य से खुश ग्रामीणों ने राज्य शासन व स्थानीय प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस नई सड़क के माध्यम से अब ग्रामीणों को बाजार, स्कूल और अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं तक पहुंचने में आसानी हो रही है। ग्रामीणों का मानना है कि इस परियोजना से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया है।

डीएमएफ से 60 से अधिक नए स्कूल भवन और 10 पीएचसी के बाउण्ड्री वॉल निर्माण की मिली स्वीकृति,विद्यार्थियों को जर्जर स्कूल भवन से मिलेगी मुक्ति

रायपुर-     कोरबा जिले के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास मद से प्राप्त राशि वरदान साबित होने लगी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ से जिले में लगातार स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा व्यवस्था एवं जनहित संबंधित आवश्यक कार्य को कराने पहल की जा रही है। इसी कड़ी में कलेक्टर अजीत वसंत द्वारा जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों तथा आसपास मौजूद जर्जर स्कूल भवनों का चिन्हांकन कर नए भवनों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है।

डीएमएफ से कुल 60 से अधिक नए स्कूल भवन निर्माण, अतिरिक्त कक्ष, जीर्णाेद्धार कार्य हेतु प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके अलावा उन्होंने 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षा के दृष्टिकोण से वहां की आवश्यकताओं को देखते हुए बाउण्ड्री वॉल निर्माण की स्वीकृति भी प्रदान की है। इससे पूर्व बीते माह फरवरी में ही 88 नवीन स्कूल भवन की स्वीकृति प्रदान की थी। दूरस्थ क्षेत्रों सहित आसपास के जर्जर स्कूल भवनों के स्थान पर नए भवन बनने से स्कूल में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों सहित शिक्षकों की समस्याएं दूर होंगी। इन स्वीकृति में ज्यादातर प्राथमिक स्कूल नवीन भवन ( पुराने भवन का विनिष्टिकरण भी ) शामिल है। कुछ स्थानों पर माध्यमिक शाला हेतु भवन,अतिरिक्त कक्ष एवं प्रयोगशाला कक्ष तथा जीर्णाेद्धार की स्वीकृति प्रदान की गई है।

नए भवन स्वीकृत होने पर विद्यार्थी और शिक्षक खुश -

जिला प्रशासन द्वारा जर्जर हो चुके स्कूल भवनों के लिए नए भवन स्वीकृत किए जाने पर स्कूल के विद्यार्थियों सहित संबंधित शिक्षकों में खुशी है। करतला विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले दूरस्थ ग्राम बैगापारा-घिनारा का प्राथमिक शाला भवन भी है। 38 साल पुराने शीट युक्त छत वाले भवन में प्राथमिक शाला का संचालन किया जा रहा है। दो कमरों में संचालित विद्यालय में 57 विद्यार्थी हैं। विद्यालय की शिक्षिका शशीकला राठिया ने बताया कि यहां नए स्कूल भवन की सख्त आवश्यकता थी। जिला प्रशासन द्वारा नए भवन स्वीकृत किए जाने की सूचना मिली है। यह हमारे लिए खुशी की बात है। नए भवन बनने से विद्यार्थियों के साथ ही हमें भी राहत मिलेगी।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बनेगा बाउण्ड्रीवॉल -

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर कलेक्टर ने जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए डीएमएफ से दूरस्थ क्षेत्रों के 23 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आवास निर्माण एवं बाउण्ड्रीवाल निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान की है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में आवास निर्माण होने से चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ आसानी से रूक पाएंगे। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बाउण्ड्रीवॉल बनने पर मरीज सहित चिकित्सकीय स्टाफ खुद को स्वास्थ्य केंद्र में सुरक्षित महसूस करेंगे।