अम्बेडकर अस्पताल स्थित मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया एक बायोमार्कर किट
रायपुर- देश में स्वास्थ्य अनुसंधान अधोसरंचना को विकसित एवं सुदृढ़ करने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में स्थापित मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू/ बहु विषयक अनुसंधान इकाई) के वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसा बायोमार्कर किट विकसित किया है जो कोविड-19 महामारी संक्रमण की गंभीरता का अनुमान प्रारंभिक चरण में ही लगा लेगा। कोविड-19 के प्रारंभिक चरण से प्रारंभ किये गये इस शोध के परिणाम हाल ही में विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स (https://www.nature.com/articles/s41598-024-70161-8) में प्रकाशित हुई है जो प्रतिष्ठित नेचर प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित किया गया है। रिसर्च के क्षेत्र में यह दुनिया का 5वां सबसे अधिक संदर्भित किया जाने वाला रिसर्च जर्नल है।
महामारी की शुरुआत में, जबकि देश के कई प्रमुख वैज्ञानिक नए कोविड-19 डायग्नोस्टिक टेस्ट किट विकसित करने में जुटे हुए थे, रिसर्च पब्लिकेशन के करेस्पोंडिंग लेखक(प्रिसिंपल इन्वेस्टिगेटर) डॉ. जगन्नाथ पाल (एमबीबीएस, पीएचडी, हार्वर्ड कैंसर संस्थान (बोस्टन यूएसए) से पोस्टडॉक. की उपाधि प्राप्त) वरिष्ठ वैज्ञानिक, एमआरयू, ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के उपरोक्त बुनियादी मुद्दे की दिशा में विचार करना शुरू किया, जो भविष्य में किसी भी महामारी की स्थिति से निपटने के लिए भी उपयोग में आ सकता है।
कोविड-19 प्रोग्नोस्टिक बायोमार्कर किट (प्रारंभिक स्तर में रोग की गंभीरता का पूर्वानुमान) को विकसित करने वाले प्रमुख वैज्ञानिक एवं टीम लीडर डॉ. जगन्नाथ पाल के अनुसार, कोरोना महामारी के प्रारंभिक चरण में संसाधन एवं एंटी-वायरस दवाओं का बहुतायत मात्रा में प्रयोग हुआ, जिससे गंभीर दवा संकट के साथ-साथ रेमडेसिवीर जैसी जीवन रक्षक दवाओं का संकट भी उत्पन्न हुआ। शुरुआती चरण में यह पता लगाना मुश्किल होता था कि किन कोरोना रोगियों को मेडिकल की अग्रिम सुविधा की आवश्यकता है अथवा नहीं ? इसलिए पूर्वानुमानित परिणाम के आधार पर रोगियों के संक्रमण की गंभीरता को अलग-अलग श्रेणी में विभाजन करना आवश्यक था जिससे कि इन संसाधनों का गंभीर कोरोना रोगियों में उपयोग किया जा सके, परन्तु उस समय कोई भी ऐसा टेस्ट/जांच उपलब्ध नहीं था जिससे कि प्रारंभिक चरण में ही कोरोना रोगियों की गंभीरता का पता चल सके।
तीन साल के अथक परिश्रम से मिली सफलताडॉ. पाल के नेतृत्व में एमआरयू रिसर्च टीम ने उपलब्ध सीमित संसाधन का उपयोग करके इस दिशा में काम करना शुरू किया और अंततः बायोमार्कर किट विकसित करने में सफलता हासिल कर ली, जिसका उपयोग करके कोरोना के गंभीरता की भविष्यवाणी प्रारंभिक चरण में ही की जा सकती है। इस शोध कार्य में वैज्ञानिकों ने क्यू पीसीआर (Quantitative PCR) आधारित टेस्ट का उपयोग करके एक सीवियरिटी स्कोर विकसित किया जिनकी संवेदनशीलता 91 प्रतिशत और विशेषता 94 प्रतिशत है। इस शोध दल में एक अन्य एमआरयू वैज्ञानिक डॉ. योगिता राजपूत, पेपर की पहली लेखिका ने विभिन्न विभागों के अन्य बहु-विषयक योगदानकर्ताओं के साथ समन्वय करते हुए चुनौतीपूर्ण परियोजना को मूर्त रूप में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. पाल के आविष्कार के संभावित व्यावसायिक मूल्य को ध्यान में रखते हुए पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज ने भारतीय पेटेंट के साथ- साथ अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। डॉ. पाल के अनुसार, हाल ही में अमेरिका की पेटेंट सर्च एजेंसी ने अमेरिका में आविष्कार के संभावित व्यावसायिक महत्व को दर्शाते हुए उत्साहजनक रिपोर्ट प्रदान की है। इसका मतलब है कि भारत की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने वाली चिकित्सा प्रौद्योगिकी को विदेशों में निर्यात करने का अवसर हमें मिल सकता है। एमआरयू का रिसर्च हमारे देश के प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान को भी बरकरार रखेगा। आम धारणा के विपरीत कि इस तरह के टेक्नोलॉजी के अविष्कार के लिए बड़े बुनियादी ढांचे, बड़े धन और जनशक्ति की आवश्यकता होती है। सफलता की कहानी संसाधन सीमित केंद्रों में काम करने वाले कई शोधकर्ताओं के लिए एक प्रेरक उदाहरण भी है। पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज की उपलब्धि एक उत्साहजनक उदाहरण स्थापित करेगी कि एक राज्य संचालित मेडिकल कॉलेज समय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मेडिकल टेक्नोलॉजी विकसित कर रहा है और इसके व्यावसायीकरण में भी अपना योगदान दे रहा है।

रायपुर- देश में स्वास्थ्य अनुसंधान अधोसरंचना को विकसित एवं सुदृढ़ करने के उद्देश्य से डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय रायपुर में स्थापित मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू/ बहु विषयक अनुसंधान इकाई) के वैज्ञानिकों की टीम ने ऐसा बायोमार्कर किट विकसित किया है जो कोविड-19 महामारी संक्रमण की गंभीरता का अनुमान प्रारंभिक चरण में ही लगा लेगा। कोविड-19 के प्रारंभिक चरण से प्रारंभ किये गये इस शोध के परिणाम हाल ही में विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स (https://www.nature.com/articles/s41598-024-70161-8) में प्रकाशित हुई है जो प्रतिष्ठित नेचर प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित किया गया है। रिसर्च के क्षेत्र में यह दुनिया का 5वां सबसे अधिक संदर्भित किया जाने वाला रिसर्च जर्नल है।


रायपुर- छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को 10 से 22 सितंबर तक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित EPPI Con 2024 कांफ्रेंस में शामिल होने का आमंत्रण मिला है। आईआईएम रायपुर के तत्वाधान में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के ग्लोबल आउटरीच के डायरेक्टर ने स्वास्थ्य मंत्री को इस कांफ्रेंस में शामिल होने का आमंत्रण दिया है। इस कांफ्रेंस के माध्यम से छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था पर चर्चा करने के साथ ही राज्य की प्राथमिक स्वास्थ्य इकाइयों (आशा कार्यकर्ता एवं मितानिन) को मजबूत करने की योजना पर कार्य होगा। कांफ्रेंस के मुख्य उद्देश्य के अनुसार आशा एवं मितानिन कार्यकर्ताओं को डिजिटल साक्षर बनाने के लक्ष्य पर काम करना है तथा उन्हें आईआईएम, आईआईटी, एम्स एवं एनएनएलयू के साथ मिलकर ट्रेनिंग देकर और सक्षम बनाना है ताकि राज्य मे निचले स्तर पर ही बुनियादी एवं प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध रहें।
रायपुर- उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने रायपुर के सिविल लाइन स्थित अपने निवास पर राज्य के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल महामाया धाम रतनपुर पर आधारित पुस्तिका ‘छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रतनपुर’ का विमोचन किया। उन्होंने पुस्तिका का विमोचन करते हुए कहा कि इसमें रतनपुर के सभी मंदिरों, तालाबों और सांस्कृतिक विरासतों की जानकारी दी गई है, जो बाहर से आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने रतनपुर के तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में प्रचार-प्रसार के लिए भी इसे उपयोगी बताया। विमोचन के दौरान पुस्तिका के लेखक बलराम पाण्डेय सहित कन्हैया यादव, रविंद्र दुबे, संतोष तिवारी, तीरथ यादव, बबलू कश्यप तथा बिलासपुर प्रेस क्लब के पदाधिकारी संजय सोनी, वासित अली एवं ताहिर अली भी मौजूद थे।
बिलासपुर- मौत के बाद बैंक प्रबंधक रिश्वत लेने के आरोप से मुक्त हुए. 22 साल तक चले मामले में बैंक प्रबंधक की पत्नी ने बेटों के साथ हाई कोर्ट में केस लड़कर जीत हासिल की. बैंक प्रबंधक पर शासकीय योजना के तहत बोरवेल खुदाई के लिए लोन देने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप था.
बलरामपुर- कक्षा 9वीं के छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. छात्र को मारने वाले लाइब्रेरियन (ग्रंथपाल) को घटना के बाद निलंबित कर दिया गया है. यह पूरा मामला वाड्रफनगर विकासखंड के हायर सेकेंडरी स्कूल पंडरी का है.
बिलासपुर- बेटे की मौत के बाद बेवा बहू व पोती के भरण पोषण को लेकर ससुर द्वारा लगाई गई अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. मामले में परिवार न्यायालय ने 1500 सौ रुपये पेंशन देने कहा था, आदेश के खिलाफ 40 हजार रु पेंशन पाने वाले ससुर ने हाई कोर्ट में अपील की थी. मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को यथावत रखते हुए अपील खारिज कर दी है. मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई।
रायपुर- जिलों में राज्यपाल की समीक्षा बैठक पर सियासत तेज हो गई है. इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य सरकार पर तंज कसा है. बघेल ने कहा कि यह बहुत गम्भीर बात है. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. मैं तो यह देखकर हैरान हूँ कि राज्यपाल दुर्ग, बिलासपुर, महासमुंद अन्य जिलों में जाकर समीक्षा बैठक कर रहे हैं, करेंगे. यह तो मुख्यमंत्री साय के लिये निश्चित तौर पर सोचनीय होगा. समझ नहीं रहा है कि सरकार कौन चला रहा है ? सरकार के समान्तर सरकार वाली बात हो गई.
रायपुर- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की संवेदनशील पहल पर राज्य के वनांचल क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों के लिए आवागमन की कठिनाइयों का समाधान किया जा रहा है। इसी क्रम में कबीरधाम जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पंडरिया विकासखंड के कांदावनी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम रूखमीदादर में मिट्टी सड़क सह घाट कटिंग का कार्य किया गया है। इस कार्य से विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय के लोगों को रोजगार के साथ-साथ आवागमन की सुविधा भी प्राप्त हो रही है।

रायपुर- कोरबा जिले के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास मद से प्राप्त राशि वरदान साबित होने लगी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ से जिले में लगातार स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा व्यवस्था एवं जनहित संबंधित आवश्यक कार्य को कराने पहल की जा रही है। इसी कड़ी में कलेक्टर अजीत वसंत द्वारा जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों तथा आसपास मौजूद जर्जर स्कूल भवनों का चिन्हांकन कर नए भवनों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है।


Sep 03 2024, 14:43
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