*एक तरफा लिंगभेदी महिला कानूनों में संशोधन को लेकर प्रदर्शन, कानूनों का दुरूपयोग रोकने व पुरूष आयोग के गठन की मांग*
मिर्जापुर- एक तरफा लिंगभेदी महिला कानूनों में संशोधन और महिला कानूनों का दुरुपयोग रोके जाने व पुरुष आयोग के गठन को लेकर न्यास संकल्प परिवार फाउंडेशन के तत्वाधान में सिटी क्लब के मैदान में सत्याग्रह आंदोलन करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया है। इस दौरान वक्ताओं ने महिला सुरक्षा के नाम पर बनाये गये कानूनों का इस्तेनाल सुरक्षा की बजाय 99% तक प्रताड़ना के लिए किया जा रहा है, का आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ लोभी महिलाओं के द्वारा अपने स्वार्थ, बदला लेने, किसी की छवि खराब करने के लिए, या पर-पुरुष सम्बन्ध (जिसे कानूनी मान्यता प्राप्त है और पति विरोध नहीं कर सकता है) को छुपाने के लिए, पुरुषों को ब्लैकमेल करने के लिए, समझौता के नाम पर रुपया उगाही के लिए, सिर्फ अपनी मनमानी चलाने के लिए इन महिला कानूनों का व महिला आयोग का दुरुपयोग कर रही है। ज्यादातर महिलायें निर्दोष पुरुषों तथा उनके परिवार के ऊपर घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, गुजारा भत्ता, छेड़छाड़, बलात्कार इत्यादि झूठे आरोपों को लगाकर पुरुष तथा उनके परिवार को पुरी तरह से तबाह व बर्बाद कर रही है।
बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे Legal Terrorism अर्थात कानूनी आतंकवाद तक की संज्ञा सन 2005 में ही दे दी थी। इन महिला कानूनों के दुरुपयोग के परिणाम स्वरुप हमारे देश के कई होनहार पुरुष, इन महिलाओं के द्वारा झूठे मुकदमें किये जाने की धमकी तथा मुकदमों से आहत व प्रताड़ित होकर, मानसिक रुप से बुरी तरह बर्बाद किये जा रहे है। वर्षों तक कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पर भी न्याय नहीं मिलता, या 10-20 साल में निर्दोष पाए जाने तक वह बर्बाद हो चुके होते हैं। पूरी न्याय प्रणाली भी एकतरफा महिलावादी सोच से ग्रस्त होने के कारण, पुरुष अदालतों में भी हर कदम पर अपमानित होता है। यही सब एकतरफा सुनवाई और न्यायालय में न्याय के नाम पर की जा रही प्रताड़ना से आहत होकर आज महिला से तीन गुना ज्यादा तक पुरुष आत्महत्या कर लेने पर मजबूर है। पुरुष को सिर्फ अत्याचारी और रुपया कमाने की एक मशीन मात्र समझा जाता है। घरेलू हिंसा कानून भी सिर्फ महिलावादी होने कारण पुरुष पर हुई घरेलू हिंसा की कोई सुनवाई का प्रावधान ही नहीं है। यही कारण है कि आज आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह घरेलू कलह है, जिसमें महिला से तीन गुना ज़यादा पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। विगत वर्ष भी 1,22,000 से अधिक पुरुषों ने आत्महत्या कर ली थी।
इसके अलावा पत्नी व उसके प्रेमी से मिलकर, जान से मार दिए गये पतियों की संख्या अतिरिक्त है। कहा कि झूठी रिपोर्ट लिखवाने वालों के साथ-साथ झूठी व अधूरी जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों, जिनकी एक तरफा महिला पक्षीय जांच न्यायालय में गलत पाए जाने के बावजूद, उनको 1% भी सजा नहीं होती है। यही कारण है कि आज महिला अपराध के झूठे मुकदमें बेधड़क और बेखौफ लिखवाए जाते हैं और दबाव बनाकर रुपयों की उगाही का धंधा चल रहा है। पेशेवर तरीके से रेप का केस लिखाने का कानूनी-धंधा चल रहा है और बेगुनाह पति, पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं या उनका पूरा जीवन सरकार द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। कहा कि आज स्थिति यह है कि पत्नी अपने प्रेमी के साथ खुल्लम-खुल्ला सम्बन्ध बना रही हैं और पति व पुलिस कोर्ट कुछ नहीं कर सकते हैं, जबकि पत्नी को रोकने के आरोप में पति को पत्नी की आज़ादी रोकने व घरेलू हिंसा का दोषी मानकर या दौरान कोर्ट कार्यवाही पति से गुजाराभत्ता दिलवाया जाता है। ऐसी स्थिति में पति इस समाज में अपने को ठगा-सा और अपमानित होकर इस मानसिक स्थिति से गुजरता है और पति के लिए फांसी जैसी क्रूरतम सजा निर्धारित की जाती है, ताकि समाज इस "महिला आज़ादी" में बाधा न पहुंचाए। अगर पत्नी की जारता (एडल्ट्री) स्पष्ट भी हो जाती है तो भी पुलिस, अधिकारी, कोर्ट सब अपने को महिला- अधिकार कानून के आगे मजबूर बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। एडल्ट्री (जारता) की खुली छूट होने के कारण अब आम जनता की बजाय यह गंदगी सरकारी कार्यालयों, पुलिस थानों, सरकारी आवासों, कॉर्पोरेट व जगह-जगह खुले oyo होटलों में आम हो चुकी है, स्त्री को वेश्यावृत्ति का पेशा चुनने का "हक" पहले ही कोर्ट दे चुकी हैं। यदि कोई पति जारता के आधार पर तलाक लेना चाहे तो भी पति को उस तलाकशुदा पत्नी को आजीवन गुजाराभत्ता देना तय कर दिया जाता है, क्योंकि "कभी-कभी" जारता में रहने वाली (या कहे कि रंगे हाथ पकड़ी जाने वाली) पत्नी को कोर्ट जारता नहीं मानती है। बच्चों की कस्टडी भी पत्नी को दे दी जाती है, भारी भरकम मेंटेनेंस बांधकर ऐसे में पति अब क्या करे।
इस दौरान संगठन के अध्यक्ष संस्थापक जराफत खान, कमाल अहमद, अतुल केशरी, जहूर खां, जुबेर, सन्नी वर्मा,रानू, रतन यादव, मनीत गुप्ता आदि लोगों सहित बड़ी संख्या में सोनीपत हरियाणा, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, भदोही, मीरजापुर, हापुड़, मेरठ इत्यादि से महिला पीड़ित पुरुषों ने भाग लिया।
Aug 26 2024, 18:31