सोनभद्र रेल हादसा: अधिकारियों के लापरवाहियों का नतीजा, नियमों की अनदेखी बनी दुर्घटना का कारण
उत्तर प्रदेश अनपरा तापीय विद्युत परियोजना के अधिकारियों की लापरवाही आई सामने*नियमों के उल्लंघन से हुआ रेल हादसा
सरकारी ड्यूटी में आराम फरमाना, पावर प्रोजेक्ट की सप्लाई के लिए लापरवाही रूपी दिखा तस्वीर
कोयले से लदी रेल मालगाड़ी अधिकारियों के लापरवाही से ही पलटी समय से नहीं किया निरीक्षण
विकास कुमार अग्रहरी
सोनभद्र। सोनभद्र के शक्ति नगर से कोयला लेकर जा रही मालगाड़ी कृष्ण शिला रेलवे स्टेशन के निकट बेपटरी हो गई। यह हादसा 11 अगस्त की सुबह तकरीबन 11:00 बजे हुआ, जब मालगाड़ी की दो बोगी ट्रैक से उतर गई। बारिश के कारण रेलवे ट्रैक के नीचे की मिट्टी खिसक गई, जिससे यह दुर्घटना हुई।
रेलवे के कोल ट्रांसपोर्टिंग अधिकारी एसपी यादव ने बताया कि मूसलधार बारिश के कारण ट्रैक के नीचे माटी खिसक गई थी, जो भूस्खलन के कारण ट्रैक पर लोड पड़ने की वजह से बोगियां बेपटरी हो गईं। उन्होंने यह भी बताया कि इस घटना का समय सुबह 11:00 बजे के करीब था और ट्रैक को सही होने में 24 घंटे का समय लगेगा। हालांकि, उन्होंने आश्वस्त किया कि अनपरा तापीय विद्युत परियोजना में विद्युत आपूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि कोल स्टॉक पर्याप्त है और अन्य रूट के माध्यम से परिवहन किया जा सकता है।
बहरहाल, घटना के बाद की स्थिति कुछ अलग ही तस्वीर पेश करती है। अधिकारियों ने सफाई के काम का दावा किया है, लेकिन मौजूदा तस्वीरें यह दर्शाती हैं कि लंबे समय से मेंटेनेंस की कमी थी। स्थानीय विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे ट्रैक की सफाई और मरम्मत की जिम्मेदारी अनपरा तापीय विद्युत परियोजना के रेल विभाग की है, जिसने सही समय पर आवश्यक मरम्मत नहीं की।
**सरकारी नियमों का उल्लंघन**
भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, नियमित रूप से ट्रैक की जांच और मरम्मत की जानी चाहिए। नियम संख्या 60.1 के तहत, ट्रैक की स्थिति का निरीक्षण हर 7 दिनों में किया जाता है। इसके साथ ही, नियम संख्या 70.2 के अनुसार, अत्यधिक बारिश के बाद विशेष जांच और मरम्मत का काम प्राथमिकता के साथ करना अनिवार्य है। इस हादसे में यह स्पष्ट होता है कि इन नियमों की अनदेखी की गई, जिससे दुर्घटना घटित हुई।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों के अनुसार, अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही यह हादसा हुआ। उनकी मान्यता है कि यदि समय पर ट्रैक की मरम्मत और सफाई की जाती, तो यह बड़ा हादसा टल सकता था। अधिकारियों ने बरसात को हादसे का प्रमुख कारण बताया, लेकिन असल में यह लापरवाही और नियमों की अनदेखी का परिणाम है।
यह हादसा न केवल रेलवे की सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमजोरियों को उजागर करता है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही को भी उजागर करता है। सरकारी नियमों की अनदेखी और मरम्मत में विफलता ने इस दुर्घटना को जन्म दिया, जिससे यह साबित होता है कि “आपका ढोल, आपका राग” की कहावत सटीक है, जहां अधिकारी अपनी लापरवाहियों को छुपाने के लिए बाहरी कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं। यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करना कितना महंगा पड़ सकता है।
Aug 23 2024, 10:53