Shashikant34

Aug 23 2024, 00:16

आरक्षण

आरक्षण कोई मुद्दा नही था। न ही इससे किसी को कोई दिक्कत थी। इसे बीजेपी द्वारा प्रस्तावित राजनीतिक मुद्दा बनाया गया वोट बैंक के लिए। जनता के बीच प्रोपेगंडा फैलाया गया कि,आरक्षण के कारण जेनेरल केटेगरी वालो की नौकरी में सेंधमारी हो रही है। जेनेरल केटेगरी वालो की नौकरी आरक्षण वाले खा रहे है। बगैरा-बगैरा। जबकि sc/st से ज्यादा आरक्षण जेनेरल केटेगरी को मिलता हैं। 100 में 50.5% जेनेरल केटेगरी वालो को मिलता है। बाकी का 49.5% sc/st और obc को मिलता है। आधे से ज्यादा आरक्षण तो जेनेरल केटेगरी वाले ले रहे और इल्जाम sc/st पर लगा रहे की वे लोग उनकी नौकरी/हिस्सेदारी खा रहे है। यह बिल्कुल तर्कहीन और तथ्यहीन बात है। महीन बात यह है कि,सवर्णो को sc/st का आगे बढ़ना चुभता है। जिसे वो किसी भी हाल में खत्म करना चाहते है।

आरक्षण तो सिर्फ सहारा है। चलना खुद पडता है। आरक्षण ठिक उस walkar की तरह है। जिसके सहारे एक छोटा बच्चा चलना सिखता है। उसी आरक्षण रूपी walkar से दलित/आदिवासी/पिछडा लोग आज अपने समाज मे चलना सीख रहे है। जिस दिन ये लोग पूर्ण रूप से चलना सीख जायेगे उस दिन खुद-ब-खुद walkar रूपी आरंक्षण को भुला देगे। जैसे बच्चा जब अपने पैरो से चलना शुरू कर देता है उस दिन से वह अपने walkar को हाथ तक नही लगाता।

आरक्षण एक व्यवस्था है समाज मे समानता लाने का। यह आरक्षण दलित/आदिवासी/पिछडो के विकास का संसाधन है। और संसाधन के बिना विकास संभव नही। देश का विकास करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति का विकास करना जरूरी है। व्यक्ति के विकास से ही एक अच्छे समाज का निर्माण होगा। जहां खुशियां होगी,अमन-चैन और सुकुन होगा। लोगो के बीच नफरत नही मोहब्बत होगी।

समाज मे,अपने आस-पास किसी की मदद करना या किसी को सहारा देना गलत है क्या? समाज मे दलित/आदिवासी/पिछडे लोगो को आरक्षण का सहारा देकर उन्हें अपने पैरों पर खडा होने लायक बनाया जा रहा तो क्या इसमें कोई बुराई है?

आजकल अकसर सुनने को मिलता है- आरक्षण वाला डॉक्टर/आरक्षण वाला इंजीनियर। जब लोग RIMS(Rajendra Institute of Medical Science,Ranchi) पहुचते है तब कोई भी यह सवाल नही करता कि कौन आरक्षण वाला डॉक्टर है और कौन बिना आरक्षण वाला?

मैने फेसबुक पर एक post देखा था। "जिसमे चार लड़कों की तस्वीर थी। जहां तीन लडको को सोता हुआ दिखाया गया था और उनके उपर लिखा था- Sc/st/obc। चौथे लडके को पढ़ते हुए दिखाया गया था और उसके उपर लिखा था- General."

उस post का मतलब यही था कि, जेनेरल केटेगरी के लडके रात-दिन पढाई करके डॉक्टर/इंजीनियर बनते है और sc/st/obc केटेगरी के लडके सोये-सोये डॉक्टर/इंजीनियर बन जाते है। इसलिये ऐसे डॉक्टर/इंजीनियर न तो अच्छा इलाज कर सकते है और ना ही अच्छा काम। ताजुब की बात यह है कि,पढे-लिखे लोग भी ऐसे post को share nd like करते है। जबकि हकीकत इसके उलट है।

आरक्षण केवल sc/st/obc candidates को medical/engineering college तक पहुचने मे मदद करता है ना कि डॉक्टर/इंजीनियर की डिग्री दिलाने मे।

डॉक्टर/इंजीनियर बनने के लिये sc/st/obc candidates को भी उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है जितना जेनेरल केटेगरी वाले करते है। फिर भी लोग कहते है- आरक्षण वाला डॉक्टर/ आरक्षण वाला इंजीनियर!

एक तरफ बहुत से लोग है जो आरक्षण को खत्म करने की वकालत करते है। वही दूसरी तरफ मोदी सरकार ने सवर्ण को भी दस प्रतिशत का आरक्षण दे दिया है। जबकि उन्हें आरक्षण की नही,economic support की जरूरत है। क्योकि सवर्ण लोग बौद्धिक और तार्किक क्षमता से निपुण होते है। जबकि sc/st/लोगो की बौद्धिक और तार्किक क्षमता सवर्णो की तुलना में कम होती है। पर इसका मतलब यह कतई नही है कि, sc/st के लोगो को मौका मिलने पर अपनी बौद्धिक और तार्किकि क्षमता को विकसित नही कर सकते। हज़ारो हज़ार sc/st लड़को ने डॉक्टर/इंजीनियर बन कर साबित भी किया हैं। बस उन्हें मौका मिलना चाहिए। और यह मौका उन्हें आरक्षण के द्वारा मिलता है। बहुत से लोगो का यह मानना है कि,जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर सुखी-सम्पन्न हो चुके है। उन्हें आरक्षण का लाभ नही लेना चाहिए। पर महीन बात यह है कि,आरक्षण का संबंध इनकम से नही बल्कि सामाजिक असमानता और इंटेलिजेंस(बौद्धिक एवं तार्किक क्षमता) से है। इसकी क्या गारंटी है कि,आरक्षण से डॉक्टर/इंजीनियर बनने वाले का बेटा/बेटी बिना आरक्षण के डॉक्टर/इंजीनियर बन पाएंगे? कुछ लोग यह भी कहते है कि,आरक्षित वर्ग के कुछ खास लोग तथा कुछ खास जातियां ही आरक्षण का लाभ उठा रही है। जिसके कारण बाकी लोग आरक्षण का लाभ नही उठा पा रहे। अब यह कैसे संभव है?

आरक्षित वर्ग(sc/st) के जो भी पढ़े-लिखे लोग है। वे सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में शामिल होते है। जिसने अच्छे से पढ़ाई-लिखाई किया,वो सफल होते है। जिसने अच्छे से पढ़ाई नही किया,वे सफल नही हो पाते। sc/st को भी सफल होने के लिए पढ़ना पड़ता है। मेहनत करनी पड़ती है। ऐसा नही है कि,आरक्षण के नाम पर बगैर पढ़े-लिखे ही नौकरी मिल जाएगी। आरक्षण का लाभ वही लोग उठाते है,जो पढ़ते है। मेहनत करते है। इसलिए यह कहना गलत है कि,आरक्षण का लाभ केवल खास जाती या खास लोग उठा रहे है।

हज़ारो साल के शोषण ने sc/st के DNA को विकृत कर दिया है। सवर्णो का यह शोषण हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक है। जिसका नतीजा है कि, आज भी sc/st के बच्चे सवर्णो का मुकाबला नही कर पाते है। इसी विकृति को दूर करने के लिए आरक्षण नाम का एन्टी डॉज लाया गया। ताकि sc/st केटेगरी के लोग सवर्णो की बराबरी कर सके। पर सवर्णो को ये बराबरी रास नही आती। इसलिए ये लोग हमेशा से आरक्षण का विरोध करते आये है। मेरे खयाल से आरक्षण तब तक लागू रहना चाहिए जब तक sc/st की बौद्धिक और तार्किक क्षमता सवर्णो के बराबर न हो जाए। आरक्षण भीख नही,सवर्णो द्वारा किये गए शोषण का मुआवजा है। जो आज सवर्णो को भारी पड़ रहा है।

सवर्णो में भी बहुत से ऐसे लोग है जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपना विकास नही कर पाते। सरकार वैसे लोगो को schoolarship दे ताकि वे लोग भी अपना विकास कर समाज मे सम्मान पा सके।

सवर्ण को schoolarship रूपी walkar की जरूरत है न की आरक्षणरूपी walkar की।

रिजर्वेशन शुड कंटिन्यू टिल द एन्ड ऑफ कास्टिसम।