राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के अन्तर्गत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA-IDA) 2024 के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु आठ प्रचार वाहन रवाना

हज़ारीबाग : राष्ट्रीय फाइलेरिया विलोपन कार्यक्रम के अन्तर्गत मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA-IDA) 2024 के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु पी.सी.आई. के तत्वाधान में आज दिनांक 17.08.2024 को आठ प्रचार वाहनों को सदर अस्पताल परिसर से अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. श्रीमती शशि जायसवाल द्वारा झण्डा दिखाकर रवाना किया गया।

इस अवसर पर जिला भी. बी.डी. पदाधिकारी डॉ. एस. के. सुबोध, जिला आर.सी.एच. पदाधिकारी, डॉ. कपिलमुनि प्रसाद एवं केंद्रीय दल की सदस्य डॉ. एकता दत्ता के अतिरिक्त भी.बी.डी. सलाहकार, प्रभारी जीव विज्ञानवेत्ता, पी.सी.आई. एवं पीरामल के प्रतिनिधि तथा स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मी विशेष रूप से उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से हजारीबाग जिलाबल के हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के परिजनों ने की मुलाकात

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से आज कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में हजारीबाग जिला बल के हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के परिजनों ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम की पत्नी श्रीमती जोमोती देवी, पुत्र महेश हेम्ब्रम तथा पुत्री सुश्री स्वाति हेम्ब्रम सहित अन्य परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के परिजनों को विश्वास दिलाया कि उन्हें हर हाल में न्याय मिलेगा। मुख्यमंत्री ने परिजनों से कहा कि राज्य सरकार की ओर से डीजीपी सहित वरीय पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि दोषी को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

मुख्यमंत्री ने हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि दुःख की इस घड़ी में राज्य सरकार सदैव आपके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने परिजनों को राज्य सरकार की ओर से हर संभव मदद दिए जाने का आश्वासन दिया। विधायक श्रीमती कल्पना सोरेन ने भी हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के परिजनों को प्रति संवेदना जतायी तथा उनका ढांढस बंधाया।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के परिवार में एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने परिजनों से कहा कि जल्द ही अनुकंपा के आधार पर वर्ग 3 अथवा 4 में नियुक्ति हेतु सभी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, इस निमित्त अधिकारियों के निर्देश दिया जा चुका है।

हजारीबाग जिलाबल के हवलदार स्व० चौहान हेम्ब्रम के कर्तव्य के दौरान मृत्यु होने के उपरांत राज्य सरकार द्वारा इनके आश्रित परिजनों को लगभग 1 करोड़ 29 लाख रुपए प्रदान की जाएगी। देय राशि इस प्रकार हैं।
खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी ने लोकनायक जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारा का किया औचक निरीक्षण

हजारीबाग: आज दिनांक 16 अगस्त को खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी प्रकाश चंद्र गुग्गी ने केंद्रीय कारा एवं संप्रेक्षण गृह में संचालित कैंटीन का औचक निरीक्षण किया। 

खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी ने निरीक्षण के क्रम में खाद्यान्न भंडारण कक्ष,भोजनालय की साफ सफ़ाई एवं व्यतिगत स्वच्छता को लेकर औचक निरीक्षण किया। 

इस दौरान उन्होंने प्रयोग किए जानें वाले तेल,आटा, हल्दी पाउडर की गुणवत्ता की जांच की एवं गुड़ की गुणवत्ता की जांच के लिए नमूना खाद्य प्रयोगशाला के लिए संग्रह किया। खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी ने सजायाफ्ता बंदियों को स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके इसके लिए नियमित रुप से पीने के पानी की जांच पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, हजारीबाग से कराने का प्रस्ताव दिया। इस निरीक्षण क्रम के दौरान जेलर मौजूद रहे।

राज्य स्तरीय नाटक प्रतियोगिता में "ब्रेनवाश" नाटक की हुई शानदार प्रस्तुति ,मिला चतुर्थ स्थान


हजारीबाग: कला सांस्कृतिक विभाग झारखंड सरकार की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय नाट्य प्रतियोगिता में हजारीबाग की हो एंटरटेनमेंट की ओर से प्रस्तुत नाटक ब्रेनवाश की शानदार प्रस्तुति हुई। जिसमे कला दल को पूरे झारखंड में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया । नाटक के निर्देशक रोहित वर्मा ने बताया की

नाटक "ब्रेन-वाश" किसी व्यक्ति के अपने विचार को बदलने या प्रभावित करने की कोशिश है। वर्तमान समय मे युवाओं में भटकाव की स्थिति काफी प्रबल है जिससे सही-ग़लत के चुनाव में असमंजस की स्थिति बनी रहती है। आज के युवाओं को ये समझना होगा कि जात-पात, रंग-भेद, धर्म-मज़हब ये सभी बाहरी तत्व हैं। उनका मुख्य मक़सद इंसानियत की राह पर चलना है। काफ़ी संघर्षों के बाद हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सभी ने मिलकर देश को आज़ाद किया लेकिन आज युवाओं के मस्तिष्क पर बाहरी तत्व इस क़दर हावी है कि छोटी-छोटी बातें ग़लत राह और मुल्क के प्रति गलत भावना रखने में कोई कसर नहीं छोड़ती।

 प्रस्तुत एकांकी में किसी भी धर्म-मज़हब को ठेस पहुँचाने से उठती पीड़ा उसे अपने ही मुल्क के लोगों को परायेपन की नज़र से देखने पर मजबूर करती है। युवा छोटे-मोटे तानों को सुनकर देश विरोधी कार्यों में लिप्त हो जाते हैं। उसके युवा साथी उसे इंसानियत का पाठ पढ़ाने के लिए उसके मिशन में शामिल होकर उसका ब्रेन-वाश करता है और वापस इंसानियत की राह पर लौटने को मजबूर करता है। "ब्रेन-वाश" एकांकी का मक़सद युवाओं में भटकाव को रोकना है। तेरा-मेरा से बचते हुए हमें एक होकर रहना है क्योंकि लहू के एक ही रंग होते हैं। हम हिंदुस्तान के एक अंग हैं, मानवता की ओर चलें..... राष्ट्र प्रेम की अलख जगाते रहें।

जय हिंद, जय भारत। इस शानदार नाटक के मुख्य कलाकारो में दीपक कुमार

,पवन रजक

,काशिश कुमारी

,स्वेता मेहता ,मनीषा कुमारी,

अदिति कुमारी

,किशुन दास

,अमित,लक्ष्मण ,सरस्वती कुमारी

आरोही कश्यप

,प्रिया कुमारी 

कृष्णा ,भीम ने निभाई जबकि 

सह निर्देशक की भूमिका दीपक कुमार

मंच सज्जा सह रूप सज्जा उमेश कुमार,प्रकाश परिकल्पना अमिताभ श्रीवास्तव ,बांसुरी वादन सुभि कुमारी,कविता पाठ स्वीटी मेहता ने किया। प्रतियोगिता में चतुर्थ स्थान प्राप्त करने पर विभाग की ओर से सर्टिफिकेट, स्मृति चिन्ह एवं नकद 21,000/ रुपए की पुरुस्कार राशि के साथ पूरे टीम को सम्मानित किया गया।

सम्पूर्णता अभियान को लेकर चौपारण के ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा का हुआ आयोजन

हजारीबाग: उपायुक्त श्रीमती नैंसी सहाय के निर्देश पर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, चौपारण के नेतृत्व में 15 अगस्त 2024 दिन गुरुवार को आकांक्षी प्रखंड कार्यक्रम अंतर्गत सम्पूर्णता अभियान को लेकर चौपारण प्रखण्ड के 21 पंचायतों में एक साथ ग्राम सभा का आयोजन किया गया। ग्राम सभा मे नीति आयोग भारत सरकार के आकांक्षी प्रखण्ड कार्यक्रम अंतर्गत संपूर्णता अभियान को लेकर 6 इंडीकेटर्स (सूचकांक) का सितंबर तक शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उपस्थित प्रतिभागियों के द्वारा शपथ लिया गया एवं प्रस्ताव पारित किया गया।

नीति आयोग भारत सरकार द्वारा 04 जुलाई से 30 सितंबर तक आकाँक्षी प्रखण्ड एवं आकाँक्षी ज़िले के 6-6 सूचकांकों का शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति हेतु सम्पूर्णता अभियान चलाया जा रहा है। आकाँक्षी प्रखंड के 4 थीम के 6 सूचकांकों का 30 सितम्बर तक शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करना है जिसमे 4 थीम में स्वास्थ्य से (3 सूचकांक), पोषण(1), कृषि (1) एवं सामाजिक विकास (1) का सूचकांक है। 

ग्राम सभा मे सभी पंचायत के मुखिया, बीस सूत्री सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, उपमुखिया, वार्ड सदस्य, सभी पंचायत के सचिव, आंगनवाडी सेविका, एएनएम, सहिया, एसएचजी सदस्य, स्थानीय नागरिक आदि ने मिलकर कार्यक्रम को सफल बनाया। ग्राम सभा में आकांक्षी प्रखण्ड फ़ेलो नीति आयोग सुरेश कुमार, प्रखड़ं समन्वयक पंचायती राज अभिषेक कुमार, गरिमा सिंह जिला लीड पीरामल, दुर्गेन्दर कुमार एवं आदित्य कुमार, गांधी फ़ेलो पीरामल फाउंडेशन आदि शामिल हुए।

हजारीबाग सदर अस्पताल में डॉक्टरों के साथ मारपीट, इमरजेंसी सेवाएं ठप, सुरक्षा की मांग पर प्रदर्शन


रिपोर्टर पिंटू कुमार

हजारीबाग सदर अस्पताल में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट से इमरजेंसी सेवाएं ठप। हाल ही में डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के कारण इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। जूनियर डॉक्टरों ने आज सुबह से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है, जो कि सुरक्षा की मांग को लेकर है।

प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का आरोप है कि 16 अगस्त को तीन अज्ञात लोगों ने उनके एक सीनियर डॉक्टर पर हमला किया था। इस घटना से डॉक्टरों में असुरक्षा का भाव पैदा हो गया है।प्रदर्शन करते हुए डॉक्टरों ने कहा, "हम अपने साथी डॉक्टरों के साथ हुई हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई और सभी मेडिकल स्टाफ के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग करते हैं।

डॉक्टरों का यह नारा सुरक्षा नहीं, सेवा नहीं साफ दर्शाता है कि सुरक्षा के बिना वे अपनी सेवाएं नहीं दे सकते हैं। उनकी मांग है कि अस्पताल परिसर में सुरक्षात्मक उपाय किए जाएं ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।इस घटनाक्रम ने स्वास्थ्य सेवाओं के बीच चिंता पैदा कर दी है और यह आवश्यक हो गया है कि संबंधित इस दिशा में तत्काल कार्रवाई करें।

झारखंड के नाराज परीक्षार्थी आज मुख्यमंत्री का करेंगे पुतला दहन, कल आवास घेराव की तैयारी


डेस्क: झारखंड सीजीएल की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों का धर्य अब जवाब दे चुका है. अब वे आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं. शुक्रवार को सभी जिलों में छात्रों का संगठन मुख्यमंत्री का पुतला दहन करेंगे. वहीं, शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे. दरअसल छात्र लंबे समय से सीजीएल परीक्षा की तिथि निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. हालांकि हाल ही में कर्मचारी चयन आयोग ने 21 और 22 सितंबर को परीक्षा की तिथि निर्धारित कर दी है, लेकिन परीक्षा उसी तारीख में होगी या नहीं यह स्पष्ट नहीं है.

छात्रों का इसके पीछे का तर्क ये है कि उस डेट में पहले से ही उत्पाद सिपाही, झारखंड फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर समेत कई परीक्षाओं की तिथि निर्धारित है. ऐसे में आयोग कैसे उस परीक्षा को आयोजित कर पाएगा. वहीं, कई लोगों का कहना है कि सरकारी नौकरियों की तैयारी करने वाले कई अभ्यर्थी उत्पाद सिपाही, जेपीएससी समेत कई परीक्षाओं के लिए आवेदन किया है. ऐसे में वह छात्र कैसे परीक्षा में बैठ पाएगा.

उल्लेखनीय है कि झारखंड सीजीएल की परीक्षा 28 जनवरी और 4 फरवरी 2024 को ही निर्धारित की गयी थी. परीक्षा संपन्न तो हो गयी लेकिन पेपर लीक हो जाने के कारण उस परीक्षा को रद्द करना पड़ा. इसके बाद छात्र संगठनों ने जेएसएससी कार्यालय के सामने जमकर बवाल काटा था. आक्रोशित छात्रों ने आयोग के कार्यालय का शीशा तोड़ा डाला था. तो वहीं उस वक्त के तत्कालीन अध्यक्ष नीरज सिन्हा की गाड़ी पर तोड़फोड़ की गयी थी. इस मामले में 4000 छात्रों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जबकि 15 छात्रों को नामजद आरोपी बनाया गया था. बता दें कि यह साल 2015 की वैकेंसी है. लेकिन हर बार परीक्षा की तारीख आगे बढ़ने से अब तक एग्जाम नहीं हो पाया है. इस वजह से छात्र आक्रोशित हैं.

आज है पुत्रदा एकादशी, इस कथा के बिना अधूरा है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान की होगी प्राप्ति

नयी दिल्ली : हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। सावन माह की पुत्रदा एकादशी का व्रत आज 16 अगस्त 2024 को किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से संतान प्राप्ति और बच्चे की तरक्की से जुड़ी सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत बिना अधूरा कथा पाठ करने से अधूरा माना जाता है ।

एकादशी तिथि को शुभ माना जाता है।

इस दिन श्रीहरि की पूजा होती है।

सावन में पुत्रदा एकादशी व्रत किया जाता है। एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मत है कि पुत्रदा एकादशी व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही यश कीर्ति सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी संतान की प्राप्ति चाहते हैं, तो सावन की पुत्रदा एकादशी का व्रत करें और पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करें। इससे साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए पढ़ते हैं पुत्रदा एकादशी व्रत कथा।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन कथा के अनुसार, द्वापर युग के शुरुआत में एक नगरी थी, जिसका नाम महिरूपति था। इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था। लेकिन उसको पुत्र न होने की वजह से राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।

पुत्रदा एकादशी पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

पुत्र की प्राप्ति के लिए राजा ने कई तरह के उपाय किए। लेकिन पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। एक बार राजा ने सभी ऋषि-मुनियों, सन्यासियों और विद्वानों को बुलाया और उनसे पुत्र प्राप्ति के उपाय पूछे। सभी ने राजा की समस्या को सुनकर कहा कि हे राजन तुमने पूर्व जन्म में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था, जिसकी वजह से गाय ने तुम्हे संतान न होने का श्राप दिया था। इसकी वजह से तुम पुत्र की प्राप्ति से वंचित हो।

इसके पश्चात ऋषि-मुनियों ने कहा कि अगर तुम सावन की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करोगे, तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। जिसके बाद तुम्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद राजा न सच्चे मन से सावन की एकादशी का व्रत किया। 

इस व्रत के पुण्य से राजा की पत्नी गर्भवती हुई और पुत्र को जन्म दिया। धार्मिक मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक डेविड धवन का 73वां बर्थडे आज,आइए जानते है निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।


नयी दिल्ली : डेविड धवन बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों के बिना इंडस्ट्री अधूरी है। निर्देशक अपनी फिल्मों से हंसा-हंसाकर दर्शकों के पेट में दर्द करवा चुके हैं। कई साल से वह दर्शकों का अपनी फिल्मों के जरिए मनोरंजन कर रहे हैं। लोगों का उनकी फिल्मों के साथ खास जुड़ाव रहता है। 

डेविड धवन इंडस्ट्री को अपने करियर के दो से ज्यादा के दशक में कई सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। निर्देशक ने बॉलीवुड के कई बड़े सुपरस्टार्स के करियर को चमकाया है। वहीं, उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के कारण उन्हें 'किंग ऑफ कॉमेडी' का टैग भी मिला।डेविड धवन आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। चलिए इस खास मौके पर जानते हैं निर्देशक की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बाते।

निर्देशक डेविड धवन का जन्म 16 अगस्त 1951 में अगरतला में हुआ था। उनका नाम राजिंदर धवन रखा गया। निर्देशक का पिता बैंक में मैनेजर थे, जिनका ट्रांसफर कानपुर हो गया था। डेविड ने कानपुर से अपनी पढ़ाई की। 12वीं पास करने के बाद उनका रुझान फिल्मों की और हो गया और उन्होंने सोचा कि वह फिल्म इंडस्ट्री में ही काम करेंगे। इसके बाद उन्होंने एफटीआईआई में दाखिला लिया, जहां उन्होंने अभिनय से लेकर निर्देशन और एडिटिंग तक की बारीकियां सीखीं। 

अभिनय सीखने के बावजूद डेविड ने निर्देशन और एडिटिंग का रास्ता चुना, क्योंकि वह शुरुआत में ही समझ चुके थे कि वह अभिनय नहीं कर पाएंगे, इसलिए उन्होंने फिल्म मेकिंग पर खास ध्यान दिया।

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डेविड धवन ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और एडिटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। डेविड की पहली फिल्म 1984 में आई 'सारांश' थी, जिसमें अनुपम खेर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था और एडिटिंग डेविड धवन ने की थी। 

एडिटिंग के बाद डेविड धवन ने अपना हाथ निर्देशन में आजमाया और बहुत जल्दी इस लाइन में अपना सिक्का जमा लिया। डेविड ने 1989 में आई फिल्म 'ताकतवर' से अपना निर्देशन डेब्यू किया था, जिसमें गोविंदा और संजय दत्त मुख्य भूमिका में नजर आए थे। अपनी पहली फिल्म से ही बतौर निर्देशक डेविड धवन इंडस्ट्री में छा गए। इसके बाद लगातार वह अपनी फिल्मों के जरिए सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए।

निर्देशक में 90 के दशक से लेकर अब तक बॉलीवुड के कई बड़े सितारों के साथ काम किया, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा जोड़ी गोविंदा के साथ जमी। इस जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। दोनों ने एक साथ 17 फिल्मों में काम किया, जिनमें से अधिकतर हिट साबित हुई थीं। डेविड ने 'स्वर्ग', 'आंखें', 'शोला और शबनम', 'साजन चले ससुराल', 'जुड़वा', 'बड़े मियां छोटे मियां', 'दुल्हन हम ले जायेंगे', 'मुझसे शादी करोगी', 'पार्टनर', 'चश्मे बद्दूर', 'मैं तेरा हीरो' और 'जुड़वा 2' सहित कई सुपरहिट फिल्में इंडस्ट्री को दीं। डेविड धवन ने अपने करियर में करीब 42 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें से 17 फिल्में उन्होंने गोविंदा के साथ की थीं। हालांकि, बाद में दोनों के रिश्ते में दरार आने के बाद कभी वह साथ नहीं दिखे।

डेविड धवन की तमाम सुपरहिट फिल्मों की बदौलत उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी के टैग से भी नवाजा गया। वहीं डेविड धवन की निजी जिंदगी के बारे में बात करें तो उन्होंने करुणा चोपड़ा धवन के साथ शादी की, जिनसे उन्हें दो बच्चे हुए- रोहित धवन और वरुण धवन। उनके बेटे वरुण धवन ने बतौर अभिनेता बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखा और अपना नाम कमाया।

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि,आइए जानते है उनसे जुड़ी कुछ खास बाते

भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उन महान नेताओं में से एक थे जिनका योगदान न केवल राजनीति में, बल्कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा में भी महत्वपूर्ण रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें:

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से पूरी की और आगे की पढ़ाई कानपुर के डीएवी कॉलेज से की, जहाँ से उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

2. राजनीतिक करियर की शुरुआत:

वाजपेयी जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जन संघ से की, जिसे आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी के रूप में पुनर्गठित किया गया। 1957 में वे पहली बार बलरामपुर, उत्तर प्रदेश से सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री का पद भी शामिल है।

3. प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल:

अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998 में और तीसरी बार 1999 में। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को विश्व स्तर पर एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया।

4. भारत रत्न सम्मान:

अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें भारतीय राजनीति और समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए दिया गया।

5. कवि और लेखक:

अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रख्यात कवि और लेखक भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति, समाज सुधार और मानवीय संवेदनाओं की झलक मिलती है। "मेरी इक्यावन कविताएँ" उनकी प्रमुख काव्य संग्रह में से एक है।

6. विनम्रता और सर्वसम्मति की राजनीति:

वाजपेयी जी की राजनीति की सबसे बड़ी खासियत उनकी विनम्रता और सभी दलों के साथ मिलकर काम करने की क्षमता थी। उनकी नेतृत्व क्षमता और सर्वसम्मति बनाने की कला ने उन्हें सभी दलों में सम्मान दिलाया।

7. स्वास्थ्य और निधन:

अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य उनके जीवन के अंतिम वर्षों में धीरे-धीरे बिगड़ता गया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई।

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि के अवसर पर, हमें उनके महान विचारों और उनकी सेवाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी मातृभूमि की सेवा में हमेशा समर्पित रहें।