अल्पसंख्यक समुदाय को फिर रिझाने की कोशिश में जुटा राजद, पिता लालू प्रसाद की नीति का क्या तेजस्वी यादव को होगा फायदा !
डेस्क : 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बनने वाले लालू प्रसाद जनता दल के बड़े नेताओं की पहली पसंद नही थे। केन्द्र में पीएम बीपी सिंह उस समय बिहार की कमान रामसुंदर दास को देना चाहते थे। वहीं चंद्रशेखर की पसंद रघुनाथ झा थे। लेकिन तब केन्द्र में डिप्टी पीएम देवी लाल ने लालू प्रसाद को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया। सीएम का पद संभालने के बाद बिहार की सियासत में लालू यादव ने 90 के दशक में यादव-मुस्लिम (M-Y) का ऐसा राजनीतिक समीकरण बनाया। बाद में उन्होंने 5 जुलाई 1997 को अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय जनता बनाया और माय समीकरण के दम पर उनकी पार्टी ने 15 साल तक बिहार पर राज किया। हालांकि सत्ता से बाहर जाने के बाद भी यादव और मुस्लिम राजद के साथ मजबूती से साथ खड़ा रहा।
वही लालू प्रसाद द्वारा पार्टी का कमान तेजस्वी यादव के सौंपे जाने के बाद तेजस्वी यादव ने राजद के उपर लगे इस माय समीकरण के ठप्पे को खत्म करने और राजद को सभी जातियों की पार्टी बताने की पूरी कोशिश की। लेकिन इसका बहुत फायदा उन्हें नहीं मिल पाया। अब वे एकबार फिर अपने पिता के राह पर चलने की कोशिश में जुटते हुए दिख रहे है।
पिछले दिनों तेजस्वी प्रसाद यादव ने अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश करते हुए बड़ा बयान दिया। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि अगर बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय का साथ रहा, तो 2025 में गठबंधन की सरकार बनेगी। वहीं उन्होंने सबसे बड़ी बात जो कही है वह यह है कि अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहे, तो राजद को आगामी चुनाव में चार गुना सीटें मिलेंगी। नीतीश कुमार सामने रहेंगे, तो इससे आरजेडी मजबूत होगी।
राजद प्रदेश कार्यालय के कर्पूरी सभागार में आयोजित अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने अल्पसंख्यकों से आह्वान किया कि आप साथ दें, आपकी भागीदार मैं तय करूंगा। अल्पसंख्यकों का उचित साथ मिलेगा, तो सूबे में सरकार जरूर बनेगी।
उन्होंने दावा किया कि सबसे पहले लालू प्रसाद ने बिहार में अल्पसंख्यक मंत्रालय बनाया। इसके बाद यह मंत्रालय देश में बना। सीएम बनते ही लालू प्रसाद ने देश में कमंडल के खिलाफ मंडल शुरू किया था। लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करके माहौल को ठीक किया था। वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ आरजेडी सांसदों ने संसद में मजबूती से लड़ाई लड़ी। पहली बार भाजपा ने किसी बिल को जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी) में भेजा है।
तेजस्वी ने आगे कहा, हमारे पूरे परिवार पर केस हुआ और मुकदमा किया गया। हम लोग कभी इस बात से डरे नहीं और झुके नहीं। नीतीश कुमार ने साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ सरकार बनाई, लेकिन नीतीश कुमार ने मौके पर धोखा दिया। नीतीश जब भी बीजेपी के साथ रहे बीजेपी मजबूत हुई। जब लालू नहीं डरे तो तेजस्वी भी कभी डरेगा नहीं। अल्पसंख्यकों का साथ रहा तो 2025 में गठबंधन की सरकार बनेगी।
वहीं लोकसभा चुनाव में सीवान से टिकट नहीं मिलने के बाद से नाराज चल रही दिवंगत पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी को मनाने की कोशिश में भी तेजस्वी और लालू जुट गए है। पिछले दिनों दोनो की मुलाकात हिना शहाब से हुई थी। वहीं उनकी तबियत खराब होने की खबर के बाद ऐसी चर्चा जोरो पर है कि तेजस्वी उन्हें देखने जाने वाले है।
वैसे देखा जाए तो लालू प्रसाद लंबे समय तक अल्पसंख्यक समुदाय को बीजेपी के सांप्रदायिक होने का डर दिखाते रहे थे वह डर पिछले कुछ वर्षो में अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से खत्म हो गया है। साथ ही जिस यादव वोट पर अबतक राजद अपना एकछत्र राज समझता था उसमे भी सेंध लग गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि तेजस्वी का अपने पिता के पुराने माय समीकरण को एकबार फिर जोड़ने की कोशिश में कितनी सफलता मिल पाती है।
Aug 16 2024, 16:31