15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी जानें इससे जुड़े रोचक सवालों के जवाब


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज पुरा देश अपना 78वां स्वतंत्रता मना रहा है। भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी। जिसके बाद से ही हर साल प्रत्येक देशवासी के लिए गौरव का दिन है। हालांकि, सवाल ये है कि आखिर भारत की आजादी के लिए यही दिन क्यों चुना गया था और क्यों 15 अगस्त को ही हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक जानकारी।

सबसे बड़ा सवाल है कि 15 अगस्त को ही आजादी का दिन क्यों चुना गया

ब्रिटेन के तात्कालिक प्रधानमंत्री एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटेन की सेना में लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, ऐसे में माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना। 

आजादी के समय महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। 

 आजादी के जश्न में आशीर्वाद लेने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल पत्र भेज कर बुलाया था। उन्होंने पत्र के जवाब में कहा मैं शामिल नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।

भारत के नोटों का ही इस्तेमाल करते थे पाकिस्तानी 

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के गुलामी के आजाद हुआ तो आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की इसके बाद निर्णय लिया गया कि। नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा।समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की बहनों को रक्षा बंधन पर सौगात, मईंया सम्मान योजना की राशि भेजी जाएगी अकाउंट में


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : रक्षा बंधन के पावन दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड की महिलाओं को रक्षा बंधन पर तोहफा देने की तैयारी कर रहे है। झारखंड मुख्यमंत्री मईंया सम्मान योजना की राशि रक्षा बंधन के दिन वितरित करने की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर चल रही है। इस योजना के तहत राज्य की महिलाओं को प्रति माह एक हजार रुपये उनके खाते में ट्रांसफर किए जाएंगे।

हालांकि अभी आवेदन जमा करने की प्रक्रिया चल रही है। हेमंत सोरन के अधिकारिक एक्स हैंडल से मिली जानकारी के अनुसार योजना का लाभ लेने के लिए अब तक 30 लाख महिलाओं का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। राज्य सरकार को अनुमान है इस योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं की संख्या 48 लाख तक हो सकती है। बता दें कि इस योजना का लाभ उन महिलाओं को दिया जाएगा जो 18 वर्ष से ऊपर हैं और 50 वर्ष के नीचे हैं। बताते चलें कि रक्षाबंधन यानी 19 अगस्त को सीएम सोरेन प्रतीकात्मक तौर पर डीबीटी के माध्यम से 151 महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजेंगे। इसके साथ ही झारखंड में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। गौरतलब है कि जिन लाभुकों ने बिना किसी गलती/त्रुटी के फॉर्म भरा होगा उनके खाते में एक हजार रुपये आयेंगे।

अब बात करते है मईया सम्मान योजना के आवेदन की तो अब तक 30 लाख आवेदन आ चुके हैं। इस योजना के कारण महिलाओं में हो रहे उत्साह से मुख्यमंत्री हेमंत सारेन काफी खुश नजर आ रहे हैं। आज उन्होंने झंडा उत्तोलन में भी इस बात की जिक्र की। उन्होंने पंचायत से लेकर जिलों, विभागों और मंत्रालय तक के सभी कर्मचारियों को बधाई दी।

रांची के मोरहाबादी मैदान में सीएम हेमंत सोरेन ने फहराया झंडा,

 कहा - महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना सरकार की पहली प्राथमिकता

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। उन्होंने राजकीय कार्यक्रम में सशस्त्र बलों के परेड की सलामी ली और उत्कृष्ट सेवा के लिए सरकारी पदाधिकारियों-कर्मियों और अदम्य साहस, बहादुरी एवं वीरता के लिए पुलिस पदाधिकारियों-जवानों को पदक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर राज्य की जनता को संबोधित किया और न सिर्फ अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं बल्कि विरोधियों पर भी हमला बोला। इस बीच उन्होंने कहा कि एक नई और महत्वाकांक्षी योजना झारखंड मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत हुई है।

वीर शहीदों को याद करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आजादी हमें हमारे पूर्वजों ने अनगिनत संघर्ष, त्याग और बलिदान से मिली है। वही सरकार की नई योजना का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा मंईयां सम्मान योजना से महिलाओं के सशक्तिकरण की जरूरत को ध्यान में रखकर योजना तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 21 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को हर महीने 1 हजार रूपए की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में उपलब्ध कराई जाएगी।

 इस योजना से झारखंड की 48 लाख महिलाओं को लाभ दिया जाने का लक्ष्य हैं। युवाओं को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि जेएसएससी के माध्यम से अक्टूबर तक 35 हजार नियुक्तियां की जाएंगी। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के जरिए 12,417 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं और लाभुकों के बीच 262 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है। इसी वर्ष से मुख्यमंत्री फेलोशिप योजना शुरू की जा रही है।

 इसके तहत पीएचडी करने वाले छात्र जो नेट, गेट या जेट परीक्षा पास करेंगे उन्हें 22500 से 25000 प्रति माह तक की फेलोशिप प्रदान की जाएगी।

अपने संबोधन के जरिए सीएम ने विरोधियों पर निशाना साधा और कहा कि निहित स्वार्थ से प्रेरित कुछ विकास विरोधी तत्वों ने झारखंड के विकास की राह में बार-बार परेशानियां खड़ी करने की कोशिश की, लेकिन जनता की अटूट आस्था और विश्वास के कारण हमने हर कठिनाई और बाधा का डटकर सामना किया और विरोधी अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सके। मुझे पूरा विश्वास है कि अगर इरादों में मजबूती, दिल में विश्वास और नीयत में ईमानदारी हो तो दुनिया की कोई ताकत आपको झुका नहीं सकती।

दिमाग को शांत और पॉजिटिव रखने करे ये योगासन

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक तनाव और चिंता सामान्य समस्याएँ बन चुकी हैं। इनसे निपटने के लिए योग एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता को भी बढ़ावा देता है। यहां कुछ योगासन बताए गए हैं जो दिमाग को शांत और सकारात्मक बनाए रखने में मदद कर सकते हैं:

1. शवासन (Corpse Pose)

शवासन एक बहुत ही सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी योगासन है। इस आसन में शरीर पूरी तरह से आराम की अवस्था में होता है। इसे करने से शरीर और मन दोनों को गहरी शांति मिलती है और तनाव कम होता है। इसे करने के लिए, पीठ के बल लेट जाएं, आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें, और अपने शरीर को पूरी तरह से स्थिर और आराम की स्थिति में रखें।

2. प्राणायाम (Breathing Exercises)

प्राणायाम में विभिन्न प्रकार की सांस संबंधी तकनीकों का उपयोग किया जाता है जो दिमाग को शांत और संतुलित रखने में मदद करते हैं। विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ाते हैं। इसे नियमित रूप से करने से तनाव कम होता है और दिमाग में सकारात्मकता का संचार होता है।

3. बालासन (Child’s Pose)

बालासन एक आरामदायक और सुकून देने वाला योगासन है। यह आसन दिमाग को शांत करने, थकान दूर करने और चिंता को कम करने में मदद करता है। इस आसन में घुटनों के बल बैठकर शरीर को आगे की ओर झुकाएं और माथे को ज़मीन पर रखें। हाथों को आगे की ओर फैलाकर रखें और शरीर को आराम की अवस्था में छोड़ दें।

4. विपरीत करनी (Legs Up the Wall Pose)

विपरीत करनी आसन में पैरों को दीवार के सहारे ऊपर उठाया जाता है, जिससे रक्त प्रवाह में सुधार होता है और दिमाग को शांति मिलती है। यह आसन तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। इसे करने के लिए दीवार के पास लेटें और पैरों को सीधा ऊपर उठाकर दीवार से सटाकर रखें। शरीर को ढीला छोड़ें और कुछ मिनटों तक इस स्थिति में बने रहें।

5. सेतु बंधासन (Bridge Pose)

सेतु बंधासन मन को शांत करने और दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करता है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटें, घुटनों को मोड़ें और पैरों को ज़मीन पर रखें। हाथों को शरीर के बगल में रखें और धीरे-धीरे कूल्हों को ऊपर उठाएं। कुछ सेकंड इस स्थिति में बने रहें और फिर वापस प्रारंभिक स्थिति में लौटें।

6. ध्यान (Meditation)

ध्यान मानसिक शांति और आत्म-चेतना को बढ़ावा देने का सर्वोत्तम तरीका है। नियमित ध्यान करने से दिमाग शांत होता है और नकारात्मक विचारों का प्रभाव कम होता है। आप किसी शांत स्थान पर बैठकर अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं या कोई विशेष मंत्र का जाप कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

दिमाग को शांत और पॉजिटिव बनाए रखने के लिए योग एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका है। उपरोक्त योगासन और प्राणायाम न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधारेंगे बल्कि आपके जीवन में संतुलन और सकारात्मकता भी लाएंगे। इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें और धीरे-धीरे फर्क महसूस करें।

आइए जानते है ग्रीन टी का सेवन करने से कितने दिन में वजन कम होता हैं।


ग्रीन टी का सेवन वजन कम करने में सहायक हो सकता है, लेकिन यह कितने दिन में असर दिखाएगा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है। ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन्स और कैफीन जैसे तत्व मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देते हैं, जिससे शरीर अधिक कैलोरी बर्न कर सकता है।

हालांकि, केवल ग्रीन टी पीने से तेजी से वजन कम होना संभव नहीं है। इसके साथ आपको एक संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी।

परिणाम देखने का समय:

व्यक्तिगत अंतर: हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए कुछ लोगों में असर जल्दी दिख सकता है जबकि कुछ में समय लग सकता है।

सेवन की मात्रा: अगर आप नियमित रूप से ग्रीन टी पीते हैं (दिन में 2-3 बार), तो आपको 1-2 महीने में फर्क दिखना शुरू हो सकता है, बशर्ते आप संतुलित आहार और व्यायाम भी कर रहे हों।

आहार और व्यायाम: यदि ग्रीन टी के साथ आप स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम को भी फॉलो करते हैं, तो परिणाम अधिक जल्दी और प्रभावी हो सकते हैं।

ध्यान रखें: ग्रीन टी को एक सप्लीमेंट की तरह इस्तेमाल करना चाहिए, ना कि मुख्य वजन घटाने के उपाय के रूप में।

नियमितता, धैर्य, और एक स्वस्थ जीवनशैली ही लंबे समय तक टिकाऊ वजन कम करने का सही तरीका है।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर रांची समाहरणालय में डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने किया झंडोत्तोलन,जिलेवासियों को दी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर समाहरणालय परिसर में रांची उपायुक्त, राहुल कुमार सिन्हा ने झंडोत्तोलन किया। इस दौरान वरीय पुलिस अधीक्षक चंदन सिन्हा, उप विकास आयुक्त, दिनेश यादव समेत जिला स्तरीय सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।

उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने सभी जिलेवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमें अपने वीर शहीदों के कुर्बानी को हमेशा याद रखना चाहिए और इस देश के उत्थान के लिए अपना सर्वोच्च न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

झारखंड से जुडी है नेताजी सुभाष चंद्र बोस कि यादें,आज भी सरिया के लोग नेताजी कोठी के नाम से प्रसिद्ध प्रभाती कोठी कि करते हैं चर्चा


झा. डेस्क 

 स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का गिरिडीह जिला के सरिया (हजारीबाग रोड) से काफी लगाव था. यहां की प्रभाती कोठी की नींव उन्होंने ही डाली थी. इसे नेता जी की कोठी के नाम से भी लोग जानते थे. उस भवन से इनकी काफी यादें जुड़ी हुई हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस सरिया को अपनी कर्मभूमि मानते हुए अंग्रेजों के विरुद्ध यहां रणनीति बनाते थे. फिरंगी हुकूमत के खिलाफ कई रणनीतियों की साक्षी यह कोठी रही है.यहीं से वे 

1940 में कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने रामगढ़ गये थे.

यहां रहते थे नेताजी के बहनोई 

बताया जाता है कि बंगाल विभाजन के बाद पश्चिम बंगाल से बंगाली परिवार के लोग तत्कालीन हजारीबाग जिला में अपना आशियाना बनाने लगे थे. ग्रैंड कोर्ड रेल मार्ग के बीच हजारीबाग रोड स्टेशन था, जिस कारण सरिया में बंगाली परिवारों ने मकान बनाने के लिए जमीन तलाशनी शुरू कर दी थी. सैकड़ों बंगाली परिवारों ने यहां अपनी आलीशान कोठी बनायी.

स्थानीय लोगों की मानें तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बहन-बहनोई भी राजधनवार रोड सरिया में मकान बनाने के लिए जमीन उपलब्ध करवायी थी. यह वह दौर था जब अंग्रेजों के विरुद्ध नेताजी अभियान छेड़ चुके थे. फिरंगी हुकूमत उन्हें बंदी बनाने के लिए उनकी तलाश कर रही थी. इधर, नेताजी बोस हुकूमत की नजर बचाकर अपने बहनोई के मकान बनाने में लगे मजदूरों में शामिल हो गये.ताकि अंग्रेजी हुकूमत उनकी पहचान नहीं कर सके.

प्रभाती कोठी की नींव में उन्होंने पांच ईंट रखी थी तथा चांदी के बेलचे से मिट्टी भरने की बात भी कही जाती है. इसी कोठी में कई बार अपने सहयोगियों के साथ रहकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनायी थी. वे क्षेत्र में लोगों से मिलते थे. आजादी की लड़ाई को गति देते थे. 1920 ई से लेकर 1941 ई के बीच नेताजी का सरिया आना-जाना लगा रहता था. 1938 में कांग्रेस के महाधिवेशन में शामिल होने वह यहीं से गये थे..उग्र क्रांतिकारी स्वभाव के कारण ब्रिटिश शासन को परेशान करने में वह कामयाब रहे.

श्रमिक राजनीति में भी रही उनकी सक्रियता

बताया जाता है कि श्रमिक हितों के संरक्षण के लिए मजदूरों को एकजुट करने में इन्होंने सराहनीय भूमिका निभायी थी. सरिया में ही रहकर 1940 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 54 वें अधिवेशन के समांतर उन्होंने रामगढ़ में एक सम्मेलन आयोजित किया था. जानकार बताते हैं कि एक बार नेताजी अपने भतीजे डॉ शिशिर बोस के साथ ओडिशा से जीटी रोड होते हुए कार से सरिया पहुंचे थे.

कार में खराबी आ जाने के कारण उसे बगोदर में ही छोड़ देना पड़ा. अब उसका अवशेष भी नहीं रहा. बताया जाता है कि सुभाष चंद्र बोस के सरिया पहुंचने की खबर फिरंगियों को मिल चुकी थी. उन्हें घेर कर गिरफ्तार करने का प्रयास भी हुआ, जिसकी जानकारी उन्हें मिल चुकी थी. सुभाष चंद्र बोस छुपकर हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन आये. यहां रेलवे ट्रॉली की मदद से गोमो स्टेशन की ओर भाग निकले.

खरीदार ने कोठी की शक्ल बदल डाली

नेताजी की कोठी के नाम से जानी जाने वाली प्रभाती कोठी उनके परिजनों ने बेच दी. उस बंगले में नेताजी की कई तस्वीरें तथा उनकी लिखी डायरी होने की बात भी कही जाती है. अब उसके नामोनिशान नहीं बचे. खरीदार ने उक्त बंगले को खंडित कर अपनी दुकान बना ली है. नेताजी की बनायी प्रभाती कोठी का अवशेष आज भी मौजूद है. भले ही नेताजी की धरोहर सरिया में अब नहीं रही, परंतु उनके लगाव के कारण स्थानीय लोगों की मदद से बागोडीह मोड़ में उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है.

रांची के शहीद चौक स्थित शहीद स्मारक पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया झंडोत्तोलन, शहीदों को दी श्रद्धांजलि


रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार 15 अगस्त को रांची के शहीद चौक पहुंचे। यहां शहीद स्थल पर ध्वजारोहण किया। ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर इस स्थल स्थल पर राज्य के मुखिया झंडोत्तोलन करते हैं।

बता दे कि यहां लगे कदम के पेड़ से 1858 में स्वतंत्रता सेनानी पांडे गणपत राय को सजा दी गई थी, साथ कई स्वतंत्रता सेनानीयो को भी सजा दी गई थी। जिसके बाद से इस स्थान को स्मारक स्थल के रूप में संजो कर रखा गया है।

देश आजादी के बाद प्रत्येक वर्ष यहां झंडोतोलन किया जाता है। ऐसे शहीदों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक तरीका है। इस मौके पर यहां स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के लोग भी मौजूद थे।

निकेश कुमार सिन्हा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल बने

रांची : राज्य के न्यायिक अधिकारियों का तबादला किया गया है। झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मो शकीर को चाईबासा का प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश बनाया गया है। 

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (प्रशासन) निकेश कुमार सिन्हा हाईकोर्ट के नए रजिस्ट्रार जनरल बनाए गए हैं। असिस्टेंट रजिस्ट्रार प्रशांस कुमार गुप्ता को एडिशनल सिविल जज रांची, ज्वाइंट रजिस्ट्रार न्यायिक संजय सिंह नंबर 2 को जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश नगरउंटारी, फहीम किरमानी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश बेरमो तबादला किया गया है। 

चाईबासा के प्रधान जिला जज को एक्टिंग चीफ जस्टिस का ओएसडी, जमशेदपुर पोक्सो कोर्ट के विशेष जज कंवलजीत चोपड़ा को हाईकोर्ट में ज्वाइंट रजिस्ट्रार बनाया गया है। इसकी अधिसूचना जारी कर दी गयी है।

राहुल गांधी से मिली मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, कहा- कांग्रेस को लोगों के जनभावनाओं को समझना होगा


नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के आमंत्रण पर मांडर विधायक ने नयी दिल्ली में की उनसे मुलाक़ात

रांची : मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विशेष आमंत्रण पर बुधवार को नयी दिल्ली में उनसे मुलाकात की। शिल्पी ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से बस एक ही बात कही कि कांग्रेस देश में लोगों के दिलों में है और जनमानस की भावनाओं को समझकर यदि रणनीति तैयार की जाये तो इसके अच्छे नतीजे आयेंगे। साथ ही अनेक वैसी जटिल समस्याओं के समाधान में सहायता मिलेगी जो पिछले 10 साल में पैदा हुई हैं। 

संगठन की स्थिति की जानकारी ली

गौरतलब है कि 13 अगस्त को फोन पर श्री गांधी के कार्यालय ने शिल्पी नेहा तिर्की को बुधवार को एक विशेष बैठक और मुलाकात के लिये आमंत्रित किया था। मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने शिल्पी नेहा तिर्की से झारखंड में कांग्रेस की संगठनात्मक स्थिति के साथ ही सरकार की गतिविधियों की भी जानकारी ली। राहुल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में आनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र एकजुटता के साथ इंडिया गठबंधन चुनाव लड़ेगा और लोगों को सच्चाई तथा ज़मीनी हक़ीक़त बताने की जरूरत है।