भारत सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थियों को दी बड़ी राहत, जमीन का मालिकाना हक मिला
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भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को प्रदेश की जमीन पर मालिकाना हक दे दिया है। ये फैसला आर्टिकल 370 हटने की पांचवीं सालगिरह से ठीक पांच दिन पहले लिया गया है।
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जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने पश्चिमी पाकिस्तान विस्थापितों और 1965 के विस्थापितों को मालिकाना हक प्रदान करने को मंजूरी दे दी है। श्रीनगर में मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। सरकार ने पश्चिमी पाकिस्तान विस्थापितों के परिवारों के पक्ष में राज्य की भूमि पर मालिकाना अधिकार प्रदान करके उनके खिलाफ भेदभाव को समाप्त कर दिया गया। इससे जम्मू क्षेत्र के हजारों परिवारों को काफी सशक्त बनाया जा सकेगा।
चाहे वो 1947 में पाकिस्तान से आए विस्थापित लोग हों या फिर 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बेघर होने के बाद अपने ही राज्य में शरणार्थी बन गए लोग, उन्हें ये अधिकार दिया गया है। दरअसल जम्मू कश्मीर में जमीनों पर ये मालिकाना हक उन्हीं पाकिस्तानी विस्थापितों को प्रदान किया गया है, जिनके पूर्वजों को तत्कालीन राज्य सरकार ने 70 साल पहले बसाया था। वहीं, इस फैसले के बाद अब वो आवंटित सरकारी जमीन के आवंटी नहीं बल्कि मालिक कहलाएंगे।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, 1947 में देश विभाजन के बाद पश्चिमी पाकिस्तान के कई इलाकों से पलायन कर 5764 परिवार यहां पहुंचे थे और जम्मू संभाग के विभिन्न स्थानों पर बस गए थे। ये जम्मू में आरएस पुरा के इलाके बडियाल काजिया, जंगलैड, कुतुब निजाम, चौहाला आदि में रहते हैं। इसके साथ ही खौड़ में भी इनकी आबादी है। 1954 में शरणार्थियों को 46666 कनाल (2.37 करोड़ वर्ग फीट) राज्य सरकार की भूमि आवंटित की गई। प्रति परिवार 4 एकड़ कृषि भूमि आवंटित की गई और उन्हें जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों में बसाया गया।











Aug 01 2024, 14:00
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