सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एसटी-एससी में कोटा के अंदर कोटा को परमिशन*
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सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजातियों को आरक्षण के मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है।सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली 7 जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए उप-वर्गीकरण को ग्रीन सिग्नल दे दिया है। कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजातियों में सब-केटेगरी बनाई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 6/1 से ये फ़ैसला सुनाया। सीजेआई चंद्रचूड़ सहित 6 जजों ने इस पर समर्थन दिखाया, जबकि जस्टिस बेला त्रिवेदी इससे असहमत रहीं।सात जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। बता दें कि भारतीय संविधान के अनुसार देश की आबादी को अलग-अलग जातियों के आधार पर मूल रूप से चार वर्गों (सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति) में बांटा गया है। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंदर भी कई वर्ग बनाए जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने 6-1 के बहुमत से कोटे के अंदर कोटा का फैसला सुनाया। सात जजों की संविधान पीठ में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। सीजेआई ने कहा कि 6 राय एकमत हैं, जबकि जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने असहमति जताई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में ऐतिहासिक साक्ष्यों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियां एक सजातीय वर्ग नहीं हैं। उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता है। साथ ही उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 341(2) का उल्लंघन नहीं करता है। अनुच्छेद 15 और 16 में ऐसा कुछ भी नहीं है जो राज्य को किसी जाति को उप-वर्गीकृत करने से रोकता हो। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सामाजिक लोकतंत्र की आवश्यकता पर दिए गए बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला दिया। जस्टिस गवई ने कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं, जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। *क्या है पूरा मामला* सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने 2004 में दिए गए 5 जजों के फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के फैसले में कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उप श्रेणियों में बांटने का अधिकार नहीं है। दरअसल, पंजाब सरकार ने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों में से 50 फीसद ‘वाल्मिकी’ एवं ‘मजहबी सिख’ को देने का प्रविधान किया था। 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 2020 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि वंचित तक लाभ पहुंचाने के लिए यह जरूरी है। मामला दो पीठों के अलग-अलग फैसलों के बाद 7 जजों की पीठ को भेजा गया था।
इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेगा ईरान, सुप्रीम लीडर खामनेई ने इजराइल पर सीधे हमले का जारी किया आदेश

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मध्य पूर्व एशिया एक बार फिर से भीषण युद्ध की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने ईरान को सीधे इजरायल पर हमला करने का आदेश दिया है। यह हमला तेहरान में हमास के नेता इस्माइल हनिया की हत्या का बदला लेने के लिए किया जाएगा।बीते दिन ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई है। इसके बाद से ही इजरायल और ईरान में तनाव बढ़ गया है। 

आपात बैठक में हमले का आदेश

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने इस्माइल हानिया की मौत का बदला लेने के लिए ईरान को इजरायल पर सीधा हमला करने का आदेश दिया है। खामेनेई ने ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में हमले का आदेश दिया है। खामेनेई ने सैन्य कमांडरों को निर्देश दिया है कि वे युद्ध की स्थिति में हमले और बचाव दोनों की योजना तैयार करें।

प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी

ईरान पहले भी इजराइल पर सीधे अटैक कर चुका है, लेकिन तब उसके सभी रॉकिट्स और ड्रोन इजराइल और उसकी एलायंस फोर्सिस ने रोक दिए थे। ईरान मिलिट्री कमांडर इसी तरह का दूसरा हमला करने की तैयारी में जुट गए हैं। खबर ये भी है कि मिलिट्री कमांडर हमले के उन तरीकों को तलाश कर रहे हैं, जिनमें आम नागरिकों की जान न जाए। ईरान इस बार अपने प्रॉक्सीज के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।

हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर

इधर, हानिया की मौत के बाद इजराइल अलर्ट पर है। हालांकि इजराइल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन ये बाद भी किसी से छिपी नहीं कि इजराइल का ऐसे ऑपरेशन्स को अंजाम देने का लंबा इतिहास रहा है।

अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर किया था बड़ा हमला

दशकों की शत्रुता के बीच अप्रैल में ईरान ने इजरायल पर अपना सबसे बड़ा और सबसे खुला हमला किया था। सीरिया के दमिश्क में अपने दूतावास परिसर पर इजरायली हमले के जवाब में उसने सैकड़ों मिसाइलों और ड्रोन को लॉन्च किया। दमिश्क में हुए हमले में कई ईरानी सैन्य कमांडर मारे गए थे। लेकिन ताकत दिखाने के उस हमले की जानकारी भी पहले से ही इजरायल को हो गई थी। जिसके बाद लगभग सभी रॉकेटों और ड्रोन को इजरायल और उसके सहयोगियों ने हवा में ही मार गिराया था। ईरान के इस हमले में इजरायल को बहुत कम नुकसान हुआ था।

बादल फटने से हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में भारी तबाही, 30 से ज्यादा लोग लापता, एक शव बरामद

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हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से भारी तबाही हुई है। कुल्लू के निरमंड ब्लॉक, कुल्लू के मलाणा और मंडी जिले में बादल फटे हैं। प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटे हैं और अब तक कुल 30 लोग लापता। लगातार हो रही बारिश से कई पुल ढह रहे हैं, पहाड़ दरक रहे हैं। कई हाईवे तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिस कारण कई शहरों के रूट आपस में कट भी गए हैं। कुल्लू के निरमंड में बादल फटने के बाद बागी पुल के आसपास गाड़ियां और मकान बह गए हैं। वहीं, मनाली में ब्यास नदी ने फिर अपना रास्ता बदला है और हाईवे पर आ गई है और यहां पर आलू ग्राउंड में पानी भर गया है। इसी तरह चंडीगढ़ मनाली हाईवे जगह-जगह लैंडस्लाइड के चलते बंद है। 

बाढ़ में 7 लोग लापता

कुल्लू जिले के निरमंड में बादल फटने से एक ही परिवार के पांच लोगों सहित कुल 7 लोग पानी में बह गए हैं। यहां पर बारिश के बाद निरमंड के बागीपुल में 31 जुलाई की रात करीब एक बजे कुर्पन नदी ने बाढ़ आ गई। बाढ़ में 7 लोग लापता हो गए और दर्जनों गाड़ियां भी बह गई हैं। बाढ़ इतनी भयंकर थी कि अपने साथ पांच से ज्यादा मकानों को भी बहा ले गई। स्थानीय निवासी गुलवंत ठाकुर ने बताया कि बारिश और बाढ़ में यहां पर भयंकर तबाही हुई है।

चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड में पार्वती नदी में समाई

वहीं, कुल्लू के मलाणा इलाके का एक वीडियो सामने आया है। यहां देर रात भारी बारिश से पार्वती नदी इतने ऊफान पर आ गई कि न जाने कितने ही घर और गाड़ियां इसमें समा गईं। वीडियो में दिख रहा है कैसे एक चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड के अंदर पार्वती नदी में समा गई। बिल्डिंग कहां गई पता ही नहीं चला। कुल्लू जिले की बात करें तो यहां ब्यास और पार्वती नदियां डेंजर मार्क से भी ऊपर हैं। मलाणा गांव में बना पॉवर प्रोजेक्ट का डैम भी ओवर फ्लो हुआ है।

मंडी में नौ लोग लापता

मंडी के थलटूखोड़ में आधी रात बादल फटने से तबाही मच गई। यहां मकान ढहने की सूचना है। सड़क कनेक्टिविटी भी ठप हो गई है। मौके के लिए एसडीआरएफ समेत अन्य टीमें रवाना हो गई हैं। थलटूखोड़ पंचायत प्रधान कली राम ने बताया कि तेरंग और राजबन गांव में बादल फटने की घटना हुई है। घटना में कई लोग लापता है। तीन घर बहने की सूचना है। जानकारी मिली है कि पधर उपमंडल के थलटूखोड़ में बादल फटने की घटना में नौ लोग लापता हैं, एक शव बरामद किया गया है। जबकि 35 सुरक्षित हैं। मंडी जिला प्रशासन ने रेस्क्यू के लिए एयरफोर्स को अलर्ट किया है। मदद की जरूरत होने पर सेवाएं ली जाएंगी। एनडीआरएफ को भी मदद का निवेदन किया गया है।

जेपी नड्डा ने सीएम से की बात

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में बादल फटने के कारण काफ़ी नुक़सान और जन जीवन अस्त व्यस्त होने के दुःखद समाचार पर जगत प्रकाश नड्डा ने हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखु से बात कर जानकारी ली और मोदी सरकार की तरफ़ से हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। नड्डा जी ने पूर्व मुख्यमंत्री और एलओपी जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से बात की और सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को राहत कार्यों में लगने का निर्देश दिया।

भारत में हमले की साजिश रच रहा आईएसआईएल-के, संयुक्त राष्ट्र का चौंकाने वाला दावा

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आतंकवादी समूह ‘इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवंत-खोरासान’ (आईएसआईएल-के) को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में बताया गया कि आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट खुरासान (आईएसआईएलके) भारत में बड़े पैमाने पर हमला करने में असफल रहा। इसके बावजूद अब वह भारत में मौजूद अपने आकाओं की मदद से ऐसे लोगों की भर्ती करना चाहता है, जो अकेले घटनाओं को अंजाम दे सके। 

आईएसआईएल (दाएश), अल-कायदा और संबंधित व्यक्तियों एवं संस्थाओं के बारे में विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल की 34वीं रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई।रिपोर्ट में कहा गया है, आतंकवादी समूह ने उर्दू में हिंदू-मुस्लिम द्वेष को बढ़ाने वाली, भारत के संबंध में अपनी रणनीति को रेखांकित करने वाली एक पुस्तिका जारी की है।’’ इसमें कहा गया है कि आईएसआईएल-के इस क्षेत्र में सबसे गंभीर खतरा बना हुआ है, जो अफगानिस्तान से परे आतंक फैला रहा है, जबकि ‘‘अल-कायदा रणनीतिक संयम बरतता है’’ और तालिबान के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है। 

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि क्षेत्र में सबसे अधिक खतरा आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवेंट खुरासान से बना हुआ है। यह अफगानिस्तान से परे आतंकवाद का प्रदर्शन कर रहा है, जबकि अल-कायदा धैर्य अपनाने की रणनीति अपनाता है और तालिबान के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है।

रिपोर्ट के अनुसार, तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी), तालिबान और भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूआईएस) के बीच समर्थन और सहयोग बढ़ा है। वो अफगानिस्तान में प्रशिक्षण शिविर साझा कर रहे हैं और तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान (टीजेपी) के बैनर तले अधिक घातक हमले कर रहे हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘टीटीपी अन्य आतंकवादी समूहों के लिए एक पनाह देने वाले संगठन में तब्दील हो सकता है। मध्यम अवधि में, टीटीपी और एक्यूआईएस का संभावित विलय पाकिस्तान और अंततः भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के खिलाफ खतरा बढ़ा सकता है।’’ कुछ सदस्य देशों ने अनुमान जताया है कि आईएसआईएल-के के लड़ाकों की संख्या 4,000 से बढ़कर 6,000 हो गई है।

ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर बर्खास्त, यूपीएससी ने किया ब्लैक लिस्ट, नहीं दे पाएंगीं कोई भी परीक्षा

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सिविल सर्विसेस में सिलेक्शन के लिए पहचान बदलने और विकलांगता सर्टिफिकेट में गड़बड़ी की आरोपी पूजा खेडकर अब ट्रेनी आईएएस 

नहीं रहीं। यूपीएससी ने पूजा का सिलेक्शन रद्द कर दिया है। साथ ही पूजा खेडकर को यूपीएससी ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है। यानी वह अब कभी यूपीएससी की परीक्षा में नहीं शामिल हो सकतीं हैं। यूपीएससी ने उन्हें नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया, जिसके बाद उन पर यह कार्रवाई की गई।

बदला था अपना और माता-पिता का नाम

2023 बैच की ट्रेनी आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर के खिलाफ यूपीएससी ने पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी। यूपीएससी ने पूजा को नोटिस जारी कर सिलेक्शन कैंसिल करने को लेकर जवाब भी मांगा था। यूपीएससी ने कहा था कि पूजा के खिलाफ जांच में पाया गया कि उन्होंने अपना नाम, माता-पिता का नाम, सिग्नेचर, फोटो, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और एड्रेस बदलकर यूपीएससी का एग्जाम दिया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और डिसेबिलिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।

पूजा ने यूपीएससी के नोटिस का जवाब नहीं दिया

18 जुलाई, 2024 को यूपीएससी ने पूजा खेडकर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। पूजा को 25 जुलाई तक ही इस नोटिस का जवाब देना था, लेकिन पूजा ने 4 अगस्त तक का समय मांगा, लेकिन यूपीएससी ने उन्हें 30 जुलाई तक का ही समय दिया। हालांकि वे इस तारीख तक जवाब नहीं दे पाईं। इसके बाद यूपीएससी ने कार्रवाई की।

पूजा खेडकर पर आरोप

पूजा खेडकर का तबादला पुणे से वाशिम कर दिया गया था। उन्हें अतिरिक्त सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्ति मिली थी। इसके बाद जिलाधिकारी सुहास दिवसे ने वरिष्ठ अधिकारियों को खेडकर के आचरण के बारे में जानकारी दी थी। पूजा खेडकर पर आरोप लगाया गया कि प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी के रूप में उन सुविधाओं की मांग की, जिनकी वे हकदार नहीं थीं। इसके अलावा उन पर एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने का भी आरोप है। खेडकर पर अपने पद का बेजां दुरुपयोग करने का भी आरोप है। बताया गया है कि पूजा खेडकर ने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ के प्लेट लगवाई। इस निजी कार में पूजा खेडकर वाशिम की सड़कों पर घूमती नजर आईं।

केरल को एक हफ्ते पहले अलर्ट किया था, राज्य सरकार ने ध्यान ही नहीं दिया”, राज्यसभा में बोले अमित शाह

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केरल के वायनाड में भूस्खलन के कारण 158 लोगों की मौत हो गई है और ये आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केरल के वायनाड में हुई भूस्खलन की घटना को लेकर बुधवार को राज्यसभा में अपनी बात रखी। उन्होंने केरल की लेफ्ट सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य सरकार को पहले ही आगाह किया गया था, लेकिन केरल सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।

बता दें कि लैंडस्लाइड सोमवार देर रात 2 बजे और 4 बजे के करीब मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में हुई थीं। इनमें घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां बह गईं। हादास के बाद 158 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं, 131 लोग अस्पताल में हैं, जबकि 220 के लापता होने की रिपोर्ट लिखाई गई है।

अब गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में बताया- 23-24 जुलाई को ही केरल सरकार को अलर्ट किया गया था, सरकार समय रहते लोगों को हटाती तो इतना नुकसान नहीं होता। उन्होंने कहा, "इस घटना में जितने भी लोग हताहत हुए हैं और घायल हुए हैं, उन सभी के परिवारजनों के साथ मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।" उन्होंने आगे कहा, "मैं सदन के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि 23 जुलाई को केरल सरकार को भारत सरकारी की तरफ से चेतावनी दी गई थी। इसके बाद फिर 24 और 25 जुलाई को भी चेतावनी दी गई थी। 26 जुलाई को बताया गया कि 20 सेमी से ज्यादा वर्षा होगी, भूस्खलन होने की संभावना है। मिट्टी भी गिर सकती है और लोग इसमें दब कर मर सकते हैं।"

अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने तो 23 जुलाई को एनडीआरएफ की 9 टीमें केरल भेज दी थी, लेकिन केरल की सरकार ने लोगों को शिफ्ट करने के लिए क्या किया।लोगों को शिफ्ट किया गया क्या। अगर शिफ्ट किया गया तो मरे कैसे। अमित शाह ने कहा कि अर्ली वॉनिंग सिस्टम कहीं पर है तो भारत में है। 7 दिन पहले इसका अनुमान मिल जाता है। सिर्फ 4 देश ऐसा करते हैं, उसमें भारत भी है।

केरल सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने आगे कहा कि इस देश में राज्य सरकारें ऐसी हैं, जिन्होंने इस प्रकार की चेतावनी का उपयोग करके शून्य हताहत आपदा प्रबंधन किया है। ओडिशा में जब नवीन पटनायक की सरकार थी, तब हमने सात दिन पहले साइक्लोन का अलर्ट भेजा, सिर्फ एक व्यक्ति की मृत्यु हुई, वो भी गलती से। गुजरात सरकार को हमने 3 दिन पहले साइक्लोन का अलर्ट भेजा, एक पशु भी नहीं मरा।

शाह ने कहा, "भारत सरकार ने 2014 के बाद पूर्ववर्तीय चेतावनी प्रणाली के लिए दो हजार करोड़ खर्च किए हैं और इसे साझा किया जाता है। सात दिन पहले हर राज्य को सूचना भेजी जाती है। वो सूचना वेबसाइट पर सबके लिए उपलब्ध है, यहां उपस्थित माननीय सांसदों के लिए भी उपलब्ध है। कई राज्यों ने इसका उपयोग भी किया है और परिणाम भी आया है।

सोनिया गांधी ने बीजेपी पर कसा तंज, बोलीं-लोकसभा चुनाव में लगे झटकों से भी नहीं लिया सबक

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कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (सीपीपी) की बैठक को संबोधित किया। सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव तथा जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव की संभावना के मद्देनजर पार्टी नेताओं में जोश भरने का प्रयास किया। इस दौरान सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से कहा कि कुछ ही महीनों में 4 राज्यों- महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। माहौल हमारे पक्ष में है। लोकसभा चुनाव में मिले जनता के समर्थन और भावनाओं को हमें बरकरार रखना है।

सोनिया गांधी ने कहा, अगर आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में हम जीत गए तो उसका राष्ट्रीय राजनीति में विशेष प्रभाव पड़ेगा, इसलिए कमर कस लें। हवा का रुख हमारे पक्ष में है। उन्होंने कहा कि मैं हमारे दोनों एलओपी और हमारे सहयोगियों को बधाई देती हूं, जिन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान हमारी पार्टी के विचारों को जोरदार तरीके से व्यक्त किया। पिछले कुछ दिनों में जब तत्काल आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने की बात आती है तो आप में से कई लोगों ने बजट की कई अपर्याप्तताओं को बहुत प्रभावी ढंग से सामने रखा।

सोनिया ने कहा कि हमें बिल्कुल भी लापरवाह नहीं होना है। न ही हमें अति-आत्मविश्वास से भरना है। मैं यह कह सकती हूं कि अगर हम अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो लोकसभा चुनाव में जैसा माहौल दिखा उस आधार पर राष्ट्रीय राजनीति अब बदलने जा रही है।

सोनिया गांधी ने आगो कहा कि हमें लगा था मोदी सरकार लोकसभा चुनाव में लगे बड़े झटके से सबक लेगी। लेकिन इसके बजाय वह समुदायों को बांटने और डर फैलाने की अपनी नीति पर कायम है। सौभाग्य से सुप्रीम कोर्ट ने सही समय पर हस्तक्षेप किया, लेकिन यह केवल एक अस्थायी राहत हो सकती है. देखिए कि कैसे नौकरशाही को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने के लिए नियमों को अचानक बदल दिया गया है। यह खुद को एक सांस्कृतिक संगठन कहता है लेकिन पूरी दुनिया जानती है कि यह बीजेपी का राजनीतिक और वैचारिक आधार है।

बजट मं किसानों और विशेषकर युवाओं की ज्वलंत मांगों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य लोगों द्वारा बजट और इसकी तथाकथित उपलब्धियों के बारे में बात करने के बावजूद व्यापक निराशा हुई है। अपने संबोधन में सोनिया गांधी ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार का जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है। यह हमें देश की जनसंख्या, विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या का नवीनतम अनुमान ल, गाने से रोक देगा। इसका मतलब यह भी है कि हमारे कम से कम 12 करोड़ नागरिक 2013 के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ से वंचित हैं, जिसे अब पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के रूप में पुनर्निर्मित किया गया है।

त्रिपुरा से दक्षिण भारत भागने वाले थे 23 बांग्लादेशी घुसपैठिए, RPF ने रेलवे स्टेशन पर दबोचा

 त्रिपुरा के अगरतला रेलवे स्टेशन से 27 जुलाई को बांग्लादेश के 23 अवैध घुसपैठियों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, ये गिरफ़्तारियाँ एक गुप्त सूचना के आधार पर की गई हैं। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के प्रवक्ता ने पुष्टि की, "सभी 23 व्यक्ति बांग्लादेश के चपई नवाबगंज के निवासी हैं, जिनकी उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच है।" 

पुलिस ने बताया है कि, वे हमसफ़र एक्सप्रेस ट्रेन से दक्षिण भारत जाने की कोशिश कर रहे थे। इस प्रकरण में एक चिंताजनक पैटर्न है। रेलवे स्टेशन पर पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश से आए सौ से ज़्यादा घुसपैठियों को हिरासत में लिया गया है। चूँकि उन्हें कई पुलिस अधिकार क्षेत्रों से छिपकर गुज़रना पड़ता है, इसलिए स्टेशन तक उनका सही रास्ता अभी भी अज्ञात है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि, "यह हैरान करने वाला है कि ये लोग स्थानीय पुलिस या खुफिया एजेंसियों की पकड़ में आए बिना कई जिलों में घुसने में कामयाब हो जाते हैं।" 

अगरतला के महाराजा बीर बिक्रम (MBB) हवाई अड्डे पर बांग्लादेश के छह और नागरिकों को हिरासत में लिया गया, जिससे रहस्य और गहरा गया। पुलिस ने बताया कि, "CISF कर्मियों ने संदेह के आधार पर व्यक्तियों को हिरासत में लिया और पूछताछ के दौरान वे संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे।" एयरपोर्ट पुलिस के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल ने बताया कि, "इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 28 जुलाई को स्थानीय अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें आगे की जांच के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है।"

इस बड़े पैमाने पर घुसपैठ के पीछे के कारण अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। इन अनधिकृत घुसपैठों को सक्षम करने वाले नेटवर्क की पहचान करने के लिए गहन जांच शुरू की गई है। एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने कहा, "यहां राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर है; यह केवल सीमा सुरक्षा के बारे में नहीं है। यदि ये पैटर्न अनियंत्रित रूप से जारी रहते हैं, तो इससे पूरे देश में महत्वपूर्ण सुरक्षा जोखिम पैदा हो सकते हैं।"

संसद में जातिगत जनगणना विधेयक का मुद्दा 'जाति' तक पहुंचा तो हुआ राहुल Vs अनुराग ठाकुर : पलटवार कर रहे अखिलेश पर बीजेपी का अटैक

कांग्रेस और भाजपा के बीच जब संसद में जातिगत जनगणना विधेयक का मुद्दा 'जाति' तक पहुंच गया, तो इस विवाद में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी कूद पड़े. वह संसद में सत्‍ता पक्ष के सांसद अनुराग ठाकुर पर भड़क उठे. अखिलेश यादव ने अनुराग ठाकुर की टिप्‍पणी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- आप किसी की जाति कैसे पूछ सकते हैं? भाजपा नेता अब कुछ वीडियो पोस्‍ट कर अखिलेश यादव को आईना दिखा रहे हैं. इन वीडियो में अखिलेश यादव पत्रकारों की जाति पूछते नजर आ रहे हैं. भाजपा सवाल उठा रही है कि अखिलेश का कौन-सा चेहरा असली है? 

"ये जाति कैसे पूछ सकते हैं..." 

दरअसल, हुआा ये कि भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में राहुल गांधी की जाति को लेकर एक टिप्‍पणी कर दी. अनुराग ठाकुर ने कहा कि जिनकी जाति का पता नहीं वो जाति जनगणना की बात करते हैं. अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेता इस बयान को लेकर बेहद नाराज होकर हंगामा करने लगे. अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की तरफ से मोर्चा संभालते भाजपा सांसद पर हमला बोला. सपा मुखिया ने कहा, "जाति कैसे पूछ सकते हैं... इनसे पूछिए कि ये जाति कैसे पूछ सकते हैं.... पूर्व मंत्री हैं, बड़े दल के नेता हैं. शकुनी, दुर्योधन तक ये ले आए, लेकिन आप जाति कैसे पूछ सकते हैं. " 

भाजपा ने अखिलेश पर साधा निशाना 

अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए यूपी के उपमुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक्‍स पर पोस्‍ट किया, "कांग्रेस के मोहरे सपा बहादुर श्री अखिलेश यादव जिस तरह श्री राहुल गांधी की जाति पूछने पर उखड़े, उससे वह नेता कम, बल्कि गांधी परिवार के दरबारी ज्‍यादा लगे.

2027 में 2017 दोहराएंगे."

पत्रकारों से जाति पूछ रहे अखिलेश 

भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी पोस्‍ट किया है, जिसमें अखिलेश यादव पत्रकारों से उनकी जाति पूछते हुए नजर आ रहे हैं. अखिलेश यादव कह रहे हैं, "तुम अपना कैमरा कहीं ओर ले जाओ अपना. तुम पिछड़े हो कि कोई और? नाम क्‍या है तुम्‍हरा? नहीं नाम बताओ इनका क्‍या है. अरे... कुछ तो शर्म करो. पत्रकारिता करो यार." एक अन्‍य वीडियो में अखिलेश यादव प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कह रहे हैं, "अरे, पत्रकार साथी. नाम क्‍या है, इनका... पूरा नाम बताइए..... अरे ये तो शूद्र नहीं हैं."  

राहुल गांधी बोले- मुझे माफी नहीं चाहिए

अनुराग ठाकुर के 'जाति' संबंधी टिप्पणी पर पलटवार करते हुए विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "अनुराग ठाकुर ने मुझे गाली दी है, मेरी बेइज्जती की है, लेकिन मुझे इनसे माफी भी नहीं चाहिए. मुझे इसकी जरूरत नहीं है. आप मुझे जितना चाहें अपमानित कर सकते हैं, लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि हम संसद में जाति जनगणना विधेयक पारित कराएंगे. गरीबों और वंचितों के लिए आवाज उठाने वालों को अक्सर गालियां मिलती हैं. हम सभी गालियां सहने के लिए तैयार हैं और जाति जनगणना करवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को लिखा पत्र, कहा, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने के ब

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस के बीमा प्रीमियम पर 18 फीसद माल एवं सेवा कर (GST) वापस लेने की मांग की है। पत्र का हवाला देते हुए रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नितिन गडकरी ने कहा कि जीएसटी जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने के बराबर है। इससे इस सेक्टर का ग्रोथ रुक जाएगा।

हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक नितिन गडकरी ने सीतारमण को लिखे अपने लेटर में कहा है, "आपसे अनुरोध है कि लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने के सुझाव पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करें, क्योंकि यह सीनियर सिटिजन के लिए बोझिल हो जाता है।" उन्होंने कहा, "इसी तरह, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी इस सेगमेंट के विकास के लिए एक बाधा साबित हो रहा है जो सामाजिक रूप से आवश्यक है।"

उन्होंने कहा, "जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर टैक्स लगाने के समान है। यूनियन का मानना है कि जो व्यक्ति परिवार को कुछ सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को कवर करता है, उसे इस जोखिम के खिलाफ कवर खरीदने के प्रीमियम पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए।"

गडकरी ने कहा, " यह जीवन बीमा के जरिए बचत के अंतर उपचार, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए आयकर कटौती को फिर से शुरू करने और सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों के कंसॉलिडेशन की ओर भी इशारा करता है।"

बजट को लेकर हो रही आलोचना

गडकरी ने वित्त मंत्री को यह पत्र ऐसे समय लिखा है जब पिछले हफ्ते नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट को लेकर कई पक्षों की आलोचना हो रही है। एनडीटीवी के मुताबिक विपक्ष ने जहां केंद्र पर केवल अपने प्रमुख सहयोगी टीडीपी और जेडीयू शासित राज्यों के प्रति उदार होने का आरोप लगाया है, वहीं सोशल मीडिया यूजर्स के एक वर्ग ने सैलरीड क्लास के लिए हाई टैक्स रेट की ओर इशारा किया है। वित्त मंत्री ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र ने सभी राज्यों को धन मुहैया कराया है। उन्होंने कहा कि अगर बजट भाषण में किसी राज्य का नाम नहीं है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह कवर नहीं है।