आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चे की बचाई आंख, माँ बाप ने किया डॉक्टर के नाम पे बच्चे का नामकरण

रायपुर-    छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित प्रसिद्ध साईं बाबा आई हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष महोबिया ने एक और मिसाल कायम करते हुए एक बच्चे के आँखों की सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। दरअसल बच्चे को कोलॉस्टॉमी ओपनिंग और क्लोजर की समस्या थी, साथ ही वह आर.ओ.पी. थर्ड स्टेज से भी जूझ रहा था। आर्थिक समस्या के कारण, आशीष के परिवार के पास उसके इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, जिस वजह से वे अस्पताल से जा रहे थे।

इस बीच, डॉक्टर आशीष महोबिया ने उन्हें कॉल किया और बताया कि बच्चे को तुरंत आर.ओ.पी. और लेजर उपचार की आवश्यकता है। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, डॉक्टर महोबिया ने यह सुनिश्चित किया कि पैसों की कमी के कारण बच्चे का उपचार नहीं रुकेगा। डॉक्टर महोबिया के इस निर्णय ने आशीष की दृष्टि को बचा लिया। आज आशीष सामान्य रूप से देख सकता है, और इसके लिए उसका परिवार डॉक्टर महोबिया का अत्यंत आभारी है।

डॉ. आशिष महोबिया ने कहा, "हमारा मुख्य उद्देश्य मरीज़ों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि कोई भी मरीज़ सिर्फ आर्थिक तंगी की वजह से इलाज से वंचित न रह जाए। हमारा विश्वास है कि चिकित्सा सेवा एक अधिकार है, और हम हर मरीज़ को सर्वोत्तम उपचार और सहायता प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। हम उनकी समस्याओं को ध्यान से सुनते हैं, उचित सलाह देते हैं, और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।"

साईं बाबा हॉस्पिटल अपने 30 वर्षों से अधिक के समृद्ध अनुभव और अत्याधुनिक तकनीकी सुविधाओं के साथ चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है। हॉस्पिटल में जर्मनी, मुंबई, चेन्नई, पुणे, हैदराबाद, मदुरई, एवं दिल्ली से प्रशिक्षित डॉक्टरों की एक कुशल टीम कार्यरत है, जो अलग-अलग विधाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हॉस्पिटल में प्रशिक्षित चिकित्सकों की एक टीम है जो नवीनतम फेको पद्धति और अत्याधुनिक मशीनों का उपयोग करके रोगियों का इलाज करती है। इसके अलावा, अस्पताल गरीब और ज़रूरतमंद मरीज़ों के लिए निःशुल्क और रियायती दरों पर उपचार प्रदान करता है, ताकि आर्थिक स्थिति किसी भी मरीज़ को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने से रोक न सके। अस्पताल ने पहले भी मोतियाबिंद के निःशुल्क ऑपरेशन और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए कई महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत की है, जिससे समाज के वंचित वर्गों को लाभ हुआ है।

साईं बाबा हॉस्पिटल में अब न सिर्फ़ ज़्यादा चश्मे के नंबर का ऑपरेशन, बल्कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद रह गया चश्मे का नंबर, और बड़ी उम्र के साथ आने वाले नज़दीक के नंबर का भी इलाज अब नई मशीन के साथ संभव है। यदि आप आँखों से संबंधित किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो साईं बाबा आई हॉस्पिटल से संपर्क करने में संकोच न करें। उनकी अनुभवी टीम और उत्कृष्ट सुविधाएं आपको निश्चित रूप से राहत प्रदान करेंगी।

SI परीक्षा अभ्यर्थी सड़क पर उतरे, सरकार का ध्यानाकर्षण के लिए निकाला कैंडल मार्च, रिजल्ट जारी करने की मांग
रायपुर-. सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2018 के अभ्यर्थियों ने परीक्षा परिणाम जारी करने की मांग को लेकर मंगलवार को कैंडल मार्च निकाला. सरकार का ध्यान आकर्षण करने के लिए कैंडल मार्च में सैकड़ों परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया. मार्च नालंदा परिसर से शुरू हुआ, जो आंबेडकर चौक पर समाप्त हुआ। अभ्यर्थियों ने कहा कि वर्ष 2018 में परीक्षा हुई थी पर 6 साल बाद भी परिणाम जारी नहीं हुआ है.


SI परीक्षा अभ्यर्थियों ने कहा कि पिछले एक साल से भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी अपने अधिकारों के लिए लड़ रहें है. हमारी मांग की सुनवाई किसी भी स्तर पर नहीं हो रही है. हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी रिजल्ट जारी नहीं हो रहा है. हमारा एक ही आग्रह है, जैसे बाकी परीक्षाओं के रिजल्ट जारी होते हैं. उसी तरह सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जाए. लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. उसका पालन आज तक होते नजर नहीं आ रहा है. परीक्षा अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार के जिम्मेदार का कहना है कि न्यायालय के निर्णय के बाद तत्काल रिजल्ट आएगा लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है. अधिकारियों का कहना है कि रिज़ल्ट तैयार है. लेकिन वो दिख नहीं रहा है. इसके विरोध में हम आज रोड पर उतर गए है. आज कैंडल मार्च निकालकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया है. भविष्य में हमारा आंदोलन उग्र रहेगा.
छत्तीसगढ़ के स्टील उद्योग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, CM हाउस में एसोसिएशन के साथ हुई सकारात्मक बैठक, अब 2 अगस्त को होगा निर्णय
रायपुर- छत्तीसगढ़ में बढ़े हुए बिजली बिल के खिलाफ स्टील उद्योंगों ने उत्पादन बंद कर दिया है. 29 जुलाई से लगभग 150 मिनी स्‍टील प्‍लांट और 50 अन्‍य स्पंज आयरन प्लांट में ताला लटका हुआ है। वहीं स्टील प्लांट के इस बड़े प्रदर्शन से प्रदेश में सियासत भी गरमा गई है. इस बीच आज CM हाउस में छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन की बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुख्यमंत्री ने उद्योग मंत्री के नेतृत्व में सभी पक्षों को सुना।

छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया कि CM हाउस में आयोजित बैठक सकारात्मक रही है। बैठक के नतीजे 2 तारीख की बैठक में तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बैठक में मुख्यमंत्री ने उद्योग मंत्री के नेतृत्व में सभी पक्षों को सुना। इस दौरान बिजली विभाग और उद्योग विभाग ने अपनी-अपनी प्रजेंटेशन दी। CM ने गड़बड़ियों को समझ लिया है।

2 अगस्त को होगा निर्णय

अनिल नचरानी ने बताया कि आयरन स्पंज उद्योग बंद होने से करोड़ों का नुकसान हुआ है। यदि 2 तारीख तक समस्या का समाधान नहीं होता है तो लोहे की कीमतों में 5-10% तक बढ़ोतरी हो सकती है।

जारी रहेगी अनिश्चितकालीन हड़ताल

अनिल नचरानी ने बताया कि आगामी 2 अगस्त तक अनिश्चितकालीन हड़ताल में रहेंगे। आगे क्या करना है साथियों के साथ चर्चा करके अवगत कराएंगे। कल साथियों के साथ बैठेंगे और आज जो बात हुई है उसको लेकर चर्चा करेंगे। जो उद्योग बंद है वो बंद रहेंगे क्योंकि दो दिन का समय दिया गया है, चर्चा सकारात्मक हुई है इस हड़ताल को हम बड़ा रूप नहीं देंगे। रायगढ़ जैसे अन्य उद्योग क्षेत्र हड़ताल से जुड़ने वाले थे उनको हम रोकेंगे। अनिश्चितकालीन हड़ताल का विस्तार नहीं करेंगे जो जारी है वहीं जारी रहेगा।
स्टील उद्योगों को दी जा रही 713 करोड़ रुपए की छूट , अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में बिजली सस्ती, मात्र 35 पैसे ही बढ़ा ऊर्जा प्रभार
रायपुर- प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर दी गई है। बढ़ी हुई दरों के विरोध में स्टील उद्योग और स्पंज आयरन फैक्ट्री 29 जुलाई से बंद है। इधर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि प्रदेश में स्टीट उद्योगों को 713 करोड़ रुपए की छूट दी जा रही है। वहीं लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है। ऊर्जा प्रभार की दर में भी 6 रुपए प्रति यूनिट से बढ़कर 6.35 रुपए प्रति यूनिट की गई है, जो कि मात्र 35 पैसे प्रति यूनिट (5.83 प्रतिशत) की वृद्धि विगत सात वर्षों में हुई है। वहीं अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में यह दरें कम है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रत्येक वर्ग के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए जो पुनरीक्षित विद्युत दरें घोषित की गई हैं उनमें खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट के द्वारा 713 करोड़ रुपए की छूट उच्चदाब स्टील उद्योगों को दी जा रही है। यह छूट अन्य किसी भी वर्ग के उपभोक्ता को नहीं मिलती है। नियामक आयोग द्वारा लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है।उल्लेखनीय है कि लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट को अज्ञात कारणों से आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाया गया था। इस परिस्थिति में भी छत्तीसगढ़ में उच्चदाब स्टील उद्योगों को विकसित सामाजिक-आर्थिक भौगोलिक अधोसंरचना वाले ताप विद्युत उत्पादक अन्य राज्यों की तुलना में काफी रियायती दरों पर ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है। नियामक आयोग ने इस छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया है, जो वर्ष 2021-22 के पूर्व 8 प्रतिशत थी इस तरह वर्तमान छूट भी 2 प्रतिशत अधिक ही रखी गई है।छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अधिकृत सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से 1 जून 2024 को वर्ष 2024-25 के लिए विद्युत आपूर्ति की नये दरों की घोषणा की गई है। इसमें उच्चदाब स्टील उद्योगों के प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में मात्र 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि कर 1 जून 2024 से प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार 6.35 रुपए निर्धारित किया गया है एवं लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है, जो 4 वर्ष पूर्व अचानक, आश्चर्यजनक तथा अज्ञात कारणों से 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दी गई थी। नियामक आयोग द्वारा छूट की दर 10 प्रतिशत करने की कार्यवाही इसलिए की गई ताकि अन्य श्रेणी के तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से प्राथमिकता वाले विद्युत उपभोक्ताओं पर कम मार पड़े। पूर्व में वर्ष 2021-22 में टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट, अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी की ओर से इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था।आयोग ने विगत वर्षों की वास्तविक खपत को आधार मानते हुए, उच्चदाब स्टील उद्योगों की इस वर्ष की अनुमानित खपत 11,237 मिलियन यूनिट का आकलन किया है। इस खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद भी टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाले छूट के द्वारा 713 करोड़ रुपए की छूट टैरिफ के माध्यम से स्टील उद्योगों को प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त उच्चतम दाब की अवधि, जो कि प्रतिदिन पहले 6 घंटे थी, उसको भी टैरिफ में 8 घंटे कर दिया गया है, जिसमें स्टील उद्योगों को 80 प्रतिशत ही बिलिंग होगी।स्टील उद्योगों के टैरिफ का विगत वर्ष 2017-18 से तुलना करते है तो मांग प्रभार में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है। ऊर्जा प्रभार के दर में भी 6 रुपए प्रति यूनिट से बढ़कर 6.35 रुपए प्रति यूनिट की गई है, जो कि मात्र 35 पैसे प्रति यूनिट (5.83 प्रतिशत) की वृद्धि विगत सात वर्षों में हुई है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में जब यह राशि मात्र 6.35 रुपए है तब महाराष्ट्र में 8.36 रुपए, तेलंगाना में 8.10 रुपए तथा मध्यप्रदेश में 7.15 रुपए है।छत्तीसगढ़ में विगत वर्षों में एचवी-4 स्टील उद्योग के ऊर्जा प्रभार में हुई वृद्धि इस प्रकार है, जो कि इन वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ी मंहगाई दर की तुलना में बहुत कम है। वर्ष ऊर्जा प्रभार (रू. प्रति यूनिट)
2017-18 6.00
2018-19 5.85
2019-20 5.85
2020-21 5.85
2021-22 5.95
2022-23 6.10
2023-24 6.10
2024-25 6.35
स्टीट उद्योगों को दी जा रही 713 करोड़ रुपए की छूट , अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में बिजली सस्ती, मात्र 35 पैसे ही बढ़ा ऊर्जा प्रभार
रायपुर- प्रदेश में बिजली दरों में बढ़ोत्तरी कर दी गई है। बढ़ी हुई दरों के विरोध में स्टील उद्योग और स्पंज आयरन फैक्ट्री 29 जुलाई से बंद है। इधर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि प्रदेश में स्टीट उद्योगों को 713 करोड़ रुपए की छूट दी जा रही है। वहीं लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है। ऊर्जा प्रभार की दर में भी 6 रुपए प्रति यूनिट से बढ़कर 6.35 रुपए प्रति यूनिट की गई है, जो कि मात्र 35 पैसे प्रति यूनिट (5.83 प्रतिशत) की वृद्धि विगत सात वर्षों में हुई है। वहीं अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में यह दरें कम है।



छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रत्येक वर्ग के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए जो पुनरीक्षित विद्युत दरें घोषित की गई हैं उनमें खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट के द्वारा 713 करोड़ रुपए की छूट उच्चदाब स्टील उद्योगों को दी जा रही है। यह छूट अन्य किसी भी वर्ग के उपभोक्ता को नहीं मिलती है। नियामक आयोग द्वारा लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट (पॉवर फैक्टर इन्सेन्टिव) को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है।

उल्लेखनीय है कि लोड फैक्टर पर मिलने वाली छूट को अज्ञात कारणों से आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाया गया था। इस परिस्थिति में भी छत्तीसगढ़ में उच्चदाब स्टील उद्योगों को विकसित सामाजिक-आर्थिक भौगोलिक अधोसंरचना वाले ताप विद्युत उत्पादक अन्य राज्यों की तुलना में काफी रियायती दरों पर ही विद्युत आपूर्ति की जा रही है। नियामक आयोग ने इस छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया है, जो वर्ष 2021-22 के पूर्व 8 प्रतिशत थी इस तरह वर्तमान छूट भी 2 प्रतिशत अधिक ही रखी गई है।

छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के अधिकृत सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग की ओर से 1 जून 2024 को वर्ष 2024-25 के लिए विद्युत आपूर्ति की नये दरों की घोषणा की गई है। इसमें उच्चदाब स्टील उद्योगों के प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में मात्र 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि कर 1 जून 2024 से प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार 6.35 रुपए निर्धारित किया गया है एवं लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है, जो 4 वर्ष पूर्व अचानक, आश्चर्यजनक तथा अज्ञात कारणों से 8 प्रतिशत से बढ़ा कर 25 प्रतिशत कर दी गई थी। नियामक आयोग द्वारा छूट की दर 10 प्रतिशत करने की कार्यवाही इसलिए की गई ताकि अन्य श्रेणी के तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से प्राथमिकता वाले विद्युत उपभोक्ताओं पर कम मार पड़े। पूर्व में वर्ष 2021-22 में टैरिफ आदेश जारी करते समय लोड फैक्टर छूट, अधिकतम 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि पॉवर कंपनी की ओर से इस प्रकार का कोई भी प्रस्ताव नियामक आयोग को नहीं भेजा गया था।

आयोग ने विगत वर्षों की वास्तविक खपत को आधार मानते हुए, उच्चदाब स्टील उद्योगों की इस वर्ष की अनुमानित खपत 11,237 मिलियन यूनिट का आकलन किया है। इस खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद भी टैरिफ में लोड फैक्टर पर मिलने वाले छूट के द्वारा 713 करोड़ रुपए की छूट टैरिफ के माध्यम से स्टील उद्योगों को प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त उच्चतम दाब की अवधि, जो कि प्रतिदिन पहले 6 घंटे थी, उसको भी टैरिफ में 8 घंटे कर दिया गया है, जिसमें स्टील उद्योगों को 80 प्रतिशत ही बिलिंग होगी।

स्टील उद्योगों के टैरिफ का विगत वर्ष 2017-18 से तुलना करते है तो मांग प्रभार में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है। ऊर्जा प्रभार के दर में भी 6 रुपए प्रति यूनिट से बढ़कर 6.35 रुपए प्रति यूनिट की गई है, जो कि मात्र 35 पैसे प्रति यूनिट (5.83 प्रतिशत) की वृद्धि विगत सात वर्षों में हुई है। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में जब यह राशि मात्र 6.35 रुपए है तब महाराष्ट्र में 8.36 रुपए, तेलंगाना में 8.10 रुपए तथा मध्यप्रदेश में 7.15 रुपए है।

छत्तीसगढ़ में विगत वर्षों में एचवी-4 स्टील उद्योग के ऊर्जा प्रभार में हुई वृद्धि इस प्रकार है, जो कि इन वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ी मंहगाई दर की तुलना में बहुत कम है।

वर्ष ऊर्जा प्रभार (रू. प्रति यूनिट)
2017-18 6.00
2018-19 5.85
2019-20 5.85
2020-21 5.85
2021-22 5.95
2022-23 6.10
2023-24 6.10
2024-25 6.35
विश्व आदिवासी दिवस : राजधानी में जनजाति समाज की विशिष्ट विभूतियों को किया जाएगा सम्मानित

रायपुर- हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विश्व आदिवासी दिवस मनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है. 09 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राजधानी में जनजाति समाज की विशिष्ट विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा.

जनजाति समाज की विभूतियां जिन्होंने शैक्षणिक, सामाजिक, समाज सेवा, सांस्कृतिक, पर्यावरण संरक्षण, ट्राइबल आर्ट, खेल-कूद, कृषि और चिकित्सा के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल की है उन्हें सम्मानित किया जाएगा। इच्छुक व्यक्ति, अपने नाम, विशिष्ट उपलब्धि, बायोडाटा, मोबाईल नंबर, जिले आदि की विस्तृत जानकारी के साथ कलेक्टर कार्यालय के आदिवासी विकास शाखा कक्ष क्रमांक-40 में 02 अगस्त तक जमा कर सकते हैं.

गरीबों को प्रधानमंत्री आवास दिलाने सरकार प्रतिबद्ध - उप मुख्यमंत्री अरुण साव

रायपुर-   उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों को आवास दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। पूर्ववर्ती सरकार के समय प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत दिसम्बर-2023 के पहले हर महीने 1680 के औसत से आवास बनते थे, जबकि जनवरी-2024 से जून-2024 तक राज्य में हर माह 5018 के औसत से 30 हजार 105 आवासों के निर्माण पूर्ण किए गए हैं।

उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत इस साल जनवरी से जून तक 165 करोड़ 30 लाख रुपए का केन्द्रांश और 94 करोड़ 13 लाख रुपए का राज्यांश स्वीकृत किया गया है। योजना के तहत कुल 358 करोड़ 22 लाख रुपए का भुगतान हितग्राहियों को किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में शहरी क्षेत्रों में आवासों का निर्माण लगातार जारी है। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवास निर्माण में तेजी आएगी।

धान की अवैध खरीदी के मामले में सहायक समिति प्रबंधक और दो ऑपरेटर निलंबित

रायपुर-     रायगढ़ जिले के खरसिया विकासखंड के बरगढ़ के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के सहायक समिति प्रबंधक शिवकुमार डनसेना, कम्प्यूटर आपरेटर भोलाराम जायसवाल, एवं कम्प्यूटर आपरेटर शेषकुमार जायसवाल को अवैध धान खरीदी की शिकायत सही पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया है।

उप आयुक्त सहकारिता चंद्रशेखर जायसवाल ने बताया कि उक्त तीनों के संबंध में यह शिकायत मिली थी कि इन्होंने षड्यंत्र कर अपने परिवार के सदस्यों के नाम फर्जी पंजीयन करने तथा मृत व्यक्तियों के नाम से भूमिहीन व्यक्तियों का फर्जी कृषक पंजीयन कर, फर्जी रूप से धान विक्रय कर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई है। इस शिकायत की जांच में मामला सही पाए जाने पर उक्त तीनों कर्मचारियों के निलंबन की कार्रवाई की गई है।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकहित के मामले में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री से सवाल पूछा

रायपुर-     SC/ST/OBC के उत्थान के लिए बनी पीएम-दक्ष योजना के संबंध में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री से सवाल पूछे है। जिसपर सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने बताया कि, पीएम-दक्ष एक केंद्रीय क्षेत्र की स्कीम है जिसे वर्ष 2020-21 में अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों , कचरा बीनने वालों सहित सफाई मित्रों आदि जैसे विभिन्न लक्षित समूहों के योग्यता स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।

जिससे उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्वरोजगार और कामकाजी-रोजगार दोनों में रोजगार योग्य बनाया जा सके। लक्षित समूह के अधिकांश व्यक्तियों के पास न्यूनतम आर्थिक परिसंपत्ति है; इसलिए, इन लाभवंचित लक्षित समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण/उत्थान के लिए प्रशिक्षण का प्रावधान और उनकी क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक है। स्कीम के अंतर्गत, कोई भी ओबीसी और ईडब्ल्यूएस उम्मीदवार जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 3.00 लाख रुपये से कम है, प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पात्र हैं, जबकि कचरा बीनने वालों सहित एससी / एसटी, सफाई मित्रों से संबंधित उम्मीदवारों के लिए कोई आय सीमा नहीं है। इस स्कीम में वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 450 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। वर्ष 2024-25 में पीएम-दक्ष स्कीम के अंतर्गत 130 करोड़ रुपये स्वीकृत है।

छत्तीसगढ़ में साल 2022-23 में CSR मद से करीब 600 करोड़ रुपए के कार्य किए गए

रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कॉरपोरेट कार्य मंत्री से छत्तीसगढ़ समेत देश भर में सीएसआर मद के अंतर्गत विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा उपयोग की गई धनराशि का ब्यौरा मांगा है। जिसपर कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने जानकारी दी है कि, छत्तीसगढ़ में वर्ष 2022-23 में CSR मद से करीब 600 करोड़ रुपए खर्च की गई है। जो की वर्ष 2021 -22 में करीब 300 करोड़ रुपए और 20-21 में 325.53 करोड़ रुपए थी। वहीं देश भर में यह राशि करीब 30 हजार करोड़ रुपए है। जो की 2122 में करीब 26600 करोड़ रुपए और 20-21 में करीब 26210 करोड़ रुपए थी।

देश में इस्पात उत्पादन बढ़ाने और सुधारने के लिए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मांगी जानकारी

इस्पात उत्पादन बढ़ने का सबसे बड़ा फायदा छत्तीसगढ़ होगा, विकास के साथ रोजगार में भी बढ़ोत्तरी होगी

इस्पात उ‌द्योग में अकार्बनीकरण को बढ़ावा देने के सरकार विभिन्न स्तरों पर कर रही कार्य


छत्तीसगढ़ देश का बड़ा इस्पात उत्पादक राज्य है जहां देश का 38 फीसदी स्टील का उत्पादन होता है साथ ही राज्य में देश का कुल 20 फीसदी लौह अयस्क उपलब्ध है। जिस कारण बीएसपी और इस्पात की कई बड़ी कंपनियों के यहां संयंत्र है, जो उत्पाद के साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार भी उपलब्ध करा रही हैं। यह कहना है सांसद बृजमोहन अग्रवाल का जिन्होंने देश में इस्पात का उत्पादन बढ़ाने और सुधारने के लिए सरकार की योजनाओं की जानकारी मांगी थी
जिसपर इस्पात राज्य मंत्री ने जानकारी दी है कि, इस्पात उत्पादन में पिछले 5 सालों के वैश्विक रिकॉर्ड के मुताबिक भारत 5.54 फीसदी वार्षिक वृद्धि के साथ विश्व में अग्रणी देश है। सरकार ने देश में विशेष इस्पात के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजीगत निवेशों को आकर्षित कर आयात को कम करने के लिए विशेष इस्पात हेतु उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना शुरू की है। जिसके तहत विशेष इस्पात हेतु 29,500 करोड़ रुपए का प्रत्याशित अतिरिक्त निवेश और विशेष इस्पात के लिए लगभग 25 मिलियन टन की अतिरिक्त क्षमता का सृजन अपेक्षित है।

देश में इस्पात के उपयोग, इस्पात की समग्र मांग और इस्पात क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने के लिए रेलवे, रक्षा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, आवासन, नागर विमानन, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, कृषि एवं ग्रामीण विकास क्षेत्रों सहित संभावित उपयोगकर्ताओं के साथ और अधिक सहभागिता के साथ मेक इन इंडिया पहल और प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान पर कार्य कर रहा है। जिसका लाभ छत्तीसगढ़ को भी मिलेगा। इतना ही नहीं घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाने हेतु स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति को अधिसूचित करना है। सरकार ‌द्वारा इस्पात उ‌द्योग में अकार्बनीकरण को बढ़ावा देने के सरकार इस्पात क्षेत्र के अकार्बनीकरण हेतु विभिन्न स्तरों पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश करने के लिए उ‌द्योग, शिक्षाविदों, बु‌द्धिजीवियों, एस एंड टी निकायों, विभिन्न मंत्रालयी तथा अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए 14 कार्यबलों का गठन किया गया है। इस्पात स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति, 2019 इस्पात निर्माण में कोयले की खपत को कम करने के लिए स्वदेशी रूप से उत्पादित स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाती है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन के उत्पादन तथा उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को अधिसूचित किया है। इस्पात क्षेत्र को भी इस मिशन में एक हितधारक बनाया गया है।

प्रधानमंत्री ई बस सेवा की राज्य स्तरीय स्टेयरिंग समिति की बैठक सम्पन्न

रायपुर-     मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में प्रधानमंत्री ई बस सेवा योजना के अंतर्गत राज्य स्तरीय स्टेयरिंग कमेटी की प्रथम बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में समिति द्वारा राज्य के विभिन्न शहरों में सार्वजनिक परिवहन सुविधा के लिए बसों की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान प्रदान की गई।

ज्ञातव्य है कि शहरों में सार्वजनिक परिवहन के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएम ई बस सेवा योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत राज्यों को शहरो के लिए जनसंख्या के आधार पर बसों की संख्या निर्धारित की गई है, जिसके संबंध में राज्य स्तरीय स्टेयरिंग कमेटी (एसएलएससी) की प्रथम बैठक 30 जुलाई 2024 को आयोजित की गई। समिति द्वारा रायपुर हेतु 100 मिडी ई बस, दुर्ग भिलाई हेतु 50 मिडी ई बस, बिलासपुर हेतु 35 मिडी तथा 15 मिनी ई बस और कोरबा हेतु 20 मिडी तथा 20 मिनी ई बसों की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव का कार्याेत्तर अनुमोदन प्रदान किया गया है तथा योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार बीटीएम और बस डिपोट सिविल अधोसंरचना हेतु राशि रूपए 70.34 करोड़ रूपए के प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किये जाने का अनुमोदन किया गया।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की यह योजना राज्यों को मिलने वाली केंद्रीय सहायता को पारदर्शिता और उनके प्रदर्शन से जोड़ने की कोशिश का हिस्सा है। केंद्र सरकार की मंशा है कि यह योजना शहरों में मेट्रो के विकल्प या उसके सहयोगी साधन के रूप में विकसित हो ताकि लोगों को किफायती, भरोसेमंद और सुगम परिवहन की सुविधा मिले।

ई-बस सेवा से छत्तीसगढ़ के शहरों में कम कार्बन उत्सर्जन से वायु गुणवत्ता में सुधार तथा पर्यावरणीय संरक्षण के साथ-साथ कम ऊर्जा खपत और बेहतर ईंधन दक्षता एवं आरामदायक सुखद यात्रा प्राप्त होगा। बैठक में परिवहन विभाग के सचिव एस. प्रकाश, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव बसवराजू एस, विशेष सचिव वित्त शीतल शाश्वत वर्मा सहित अन्य अधिकारी एवं समिति के सदस्य मौजूद थे।